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मिलाद-उन नबी का जुलूस दो दिन के लिए टाला,अब निकले जाएंगे 19 सितंबर को,जानें क्यों लिया गया ये फैसला...?

इस साल पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब का जन्मदिन 16/17 सितंबर को मनाया जाएगा. उनके जन्मदिन यानी मिलाद-उन-नबी के पाक मौके पर तेलंगाना में जुलूस निकलने वाला था लेकिन इसे दो दिन के लिए टाल दिया गया है.

पहले यह जुलूस 17 सितंबर को निकलने वाला था. मगर अब मिलाद-उन नबी का यह जुलूस 19 सितंबर को निकलेगा. तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने गुरुवार को हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के भाई और AIMIM के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी की मौजूदगी में यह फैसला लिया.

17 सितंबर को गणेश विसर्जन

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने गुरुवार को मिलाद-उन-नबी जुलूस की व्यवस्था और 17 सितंबर को गणेश मूर्तियों के विसर्जन के मुद्दे पर एक बैठक की. इस बैठक में सीएम रेड्डी ने मिलाद समिति के सदस्यों को मिलाद-उन-नबी जुलूस को स्थगित करने को लेकर कहा.

बैठक में राज्य के मंत्री पोन्नम प्रभाकर और डी श्रीधर बाबू, एआईएमआईएम विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी और मिलाद समिति के सदस्य शामिल थे. इस बैठक में सभी मसलों पर चर्चा हुई. इसके बाद मिलाद के सदस्यों ने जुलूस को स्थगित करने के सरकार की अपील पर अपनी सहमति जताई.

कोरोना महामारी के कारण मेंटल हेल्थ की चुनौती: रिसर्च में चौंकाने वाले नतीजे

कोरोना महामारी को कोई चाहकर भी भूल नहीं सकता है. इस महामारी को 4 साल गुजर गए हैं लेकिन आज भी इसके खतरनाक साइडइफेक्ट्स लोगों पर दिखाई दे रहे हैं. हाल ही में एक रिसर्च सामने आया है. जिसमें दावा किया गया है कि कोरोना महामारी के कारण आज भी 40 प्रतिशत लोगों की मेंटल हेल्थ की समस्या से जूझ रहे हैं.

इन 40 प्रतिशत लोगों में वो लोग हैं जो कोरोना से बिल्कुल ठीक हो चुके हैं लेकिन इतने साल बितने के बाद भी कोरोना वे पीछा नहीं छोड़ा है.

कोविड के कारण मेंटल पर पड़ा है बुरा असर

इस रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि कोरोना ने लोगों की मेंटल हेल्थ पर बुरा असर डाला है. भारत सहित दूसरे देशों के लोग भी इस बीमारी के कारण कई महीनों तक घर के अंदर बंद रहे. इसे एक ग्लोबल समस्या बताते हुए पूरी दुनिया में आपातकाल घोषित किया गया था. लेकिन 4 साल बितने के बाद भी इसका असर पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है.

सर्वे में किन बातों का हुआ खुलासा

अगर हम भारत की बात करें तो भारत के 40 प्रतिशत से भी ज्यादा लोग मेंटल हेल्थ की प्रॉब्लम से गुजर रहे हैं. यह वो लोग है जो कोरोना से पूरी तरह से ठीक हो गए हैं. लेकिन जब इनसे पूछा गया कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी आपको किस तरह की समस्या रहती है तो इन्होंने कहा कि काफी ज्यादा स्ट्रेस, एंग्जायटी जैसा अनुभव होता है. दिन पर दिन ये चीजें बढ़ ही रही है. कोलकाता के कोविड मरीजों को भी इस सर्वे में शामिल किया गया. जिसमें से देखा गया कि 45 प्रतिशत लोगों की मेंटल हेल्थ दिन पर दिन खराब होते जा रही है. वहीं 41 प्रतिशत से ज्यादा ऐसे लोग हैं जिन्हें दूसरी तरह की मानसिक समस्याएं हैं.

कोरोना से ठीक होने के बाद यह मानसिक समस्या से गुजर रहे हैं सर्वाइवर

इस सर्वे में पाया गया कि 84 प्रतिशत सर्वाइवर से जब उनकी मेंटल हेल्थ को लेकर बात कि गई तो पता चला कि उन्हें डिप्रेशन, एंग्जायटी, इंसोमिनीया जैसी दिक्कतें हो रही है. इसमें से ज्यादातर सर्वाइवर ने तीनों बार सवाल पूछने पर यही उत्तर दिया. साल 2022 की लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के दौरान 35 प्रतिशत लोगों ने अपने अनुभव शेयर करते हुए बताया कि वह महामारी के दौरान गंभीर डिप्रेशन से गुजर रहे थें.

कोलकाता रेप-मर्डर केस में संजय रॉय ने खुद किया ये बड़े खुलासा,जाने

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई रेप और मर्डर की वारदात में नया खुलासा हुआ है. ट्रेनी महिला डॉक्टर की जान बच सकती थी, लेकिन चिल्लाने की वजह से आरोपी ने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी. ये खुलासा खुद आरोपी संजय रॉय ने किया है. उसका कहना है कि पीड़िता चिल्ला रही थी, जिसकी वजह से उसने डॉक्टर को गला दबाकर मौत के घाट उतार दिया. सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (CBI) ने इस खौफनाक वारदात का पूरा सच जानने के लिए संजय रॉय का पोलीग्राफ टेस्ट करवाया था, जिसमें उसने इस दरिंदगी का खुलासा किया है.

संजय रॉय ने टेस्ट में बताया कि जब पीड़िता सेमिनार हॉल में सो रही थी तो वह वहां गया और रेप करने की कोशिश की. उसने कहा कि डॉक्टर उस वक्त गहरी नींद में थी और संजय रॉय ने वहां जाते ही बलात्कार करने का प्रयास किया. इस दौरान पीड़िता ने खुद को बचाने की कोशिश की, जिसमें संजय को चोटें भी आईं. आरोपी ने पूछताछ में आगे बताया कि उसने इसलिए पीड़िता की हत्या कर दी क्योंकि वह शोर मचा रही थी.

संजय रॉय को डर था कि सेमिनार हॉल से गुजरते हुए कोई पीड़िता की आवाज सुनकर न आ जाए. वैसे इस बात पर भी सवाल उठ रहे हैं कि संजय रॉय को हॉल में जाते समय किसी ने उसको रोका क्यों नहीं.

संजय रॉय ने कहा कि उसने पीड़िता का गला दबाया और जब तक महिला डॉक्टर ने दम नहीं तोड़ दिया तब तक उसने गला दबाकर रखा. संजय रॉय से पूछताछ में यह भी पता चला कि वह बॉक्सिंग का अच्छा खिलाड़ी रह चुका है, जिसकी वजह से पीड़िता ताकत में संजय रॉय से जीत नहीं पाई और उसके हाथों से खुद को बचाने में नाकाम रही.

पीड़िता ने खुद को बचाने की पूरी कोशिश की और वह चिल्लाई भी, लेकिन संजय ने उसकी आवाज दबा दी और सेमिनार हॉल से बाहर उसकी आवाज नहीं पहुंच सकी. 9 अगस्त की सुबह ट्रेनी डॉक्टर का शव सेमिनार हॉल में मिला था. इसके अगले दिन संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया.

आप भी ट्रेन के डिब्बे में खोल सकते हैं अपना रेस्टोरेंट,रेलवे ने शुरू कर दी है इस योजना पर काम

यदि आप कैटरिंग का कारोबार करना चाहते हैं तो यह आपके लिए अच्छी खबर हो सकती है. अब आप भी रेलवे के डिब्बों में अपना रेस्टोरेंट खोल सकते हैं. रेलवे ने इस योजना पर काम शुरू कर दिया है. इसके लिए जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरू होने वाली है. इस योजना का शुभारंभ अभी छत्तीसगढ़ से होने जा रहा है. यदि योजना सफल रही तो देश के अन्य हिस्सों में भी इस तरह के रेस्टोरेंट शुरू किए जा सकते हैं.

रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक यह रेस्टोरेंट रेलवे परिसर में खड़े कंडम कोच में खोले जाएंगे. इस तरह के कोच अभी रायपुर और दुर्ग रेलवे स्टेशन पर हैं. इन दोनों स्टेशनों पर खड़े कोच को रेस्टोरेंट खोलने के लिए ऐसी जगह पर लगाया जाएगा, जहां लोग आसानी से पहुंच सकें. इन सभी कोच में कुर्सियां इस तरह से लगाई जाएंगे, जिनसे लगेगा कि यह बर्थ हैं और यहां आने वाले लोगों को ट्रेन में बैठकर ही खाने पीने की अनुभूति हो सके.

यूनिक कांसेप्ट है कोच में रेस्टोरेंट

रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक इन कोच के एक हिस्से में रेलवे का इतिहास बताने वाली प्रदर्शनी और स्टॉल भी लगेंगे. इससे यहां आने वाले लोग रेलवे का इतिहास और इसकी प्रगति की कहानी आसानी से देख और समझ सकेंगे. रायपुर मंडल के सीनियर डीसीएम अवधेश कुमार के मुताबिक कोच में रेस्टोरेंट का कांसेप्ट थोड़ा अलग है, लेकिन मजेदार है. फिलहाल यह कोच 10 साल की लीज पर दिए जाएंगे.

आप भी खोल सकते हैं अपना रेस्टोरेंट

इसके लिए जल्द ही टेंडर जारी किया जाएगा. इसके लिए वह सभी लोग आवेदन के पात्र होंगे, जो कैटरिंग के कारोबार में आगे बढ़ना चाहते हैं और कुछ नया करना चाहते हैं. वहीं इस तरह से शहर के लोगों को नहीं, बल्कि इन स्टेशनों से यात्रा शुरू करने वाले या यहां ट्रेन से उतरने वालों को भी अलग तरह के रेस्टोरेंट में बैठकर खाने का आनंद आएगा.

केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार विरोध प्रदर्शन में हुए शामिल, कहा 29 अगस्त से सात दिवसीय धरना करेंगे शुरू

कोलकाता में एक विरोध रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों पर कथित पुलिस कार्रवाई के विरोध में भाजपा द्वारा बुलाए गए 12 घंटे के 'बंगाल बंद' के बीच 28 अगस्त को केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। भाजपा नेता ने कोलकाता के बागुईआटी में एक रैली में भाग लिया ।

मौके पर हेलमेट पहने पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मी भी मौजूद थे। सुकांत मजूमदार, जो राज्य भाजपा अध्यक्ष भी हैं, ने संवाददाताओं से कहा कि वे कोलकाता उच्च न्यायालय द्वारा अनुमति दिए जाने के बाद 29 अगस्त से सात दिवसीय धरना शुरू करेंगे।

" कोलकाता HC ने हमें सात दिवसीय धरना की अनुमति दी है। हम इसे कल से शुरू करेंगे...हम उनके फैसले का स्वागत करते हैं

यहां कोई लोकतंत्र नहीं है, पुलिस गोलीबारी नहीं रोक सकती, लेकिन केवल भाजपा के विरोध को रोक सकती है। पुलिस भाजपा नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन आरोपियों को नहीं," उन्होंने संवाददाताओं से कहा।

इससे पहले आज, तृणमूल कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भाजपा के 'बंगाल बंद' के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर बंगाल में अराजकता फैलाने का आरोप लगाया।

हम सभी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बलात्कार - हत्या मामले में न्याय चाहते हैं। ममता बनर्जी भी न्याय चाहती हैं... मामला अब सीबीआई के हाथ में है... एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है... अब सीबीआई मामले की जांच कर रही है

वे (भाजपा) यहां अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, कल उन्होंने पुलिस पर हमला किया और आज उन्होंने बंद बुलाया है... बंगाल में सब कुछ सामान्य है... पश्चिम बंगाल के लोगों ने भाजपा के बंद को खारिज कर दिया है,"

टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा। पश्चिम बंगाल में, भाजपा ने 'नबन्ना अभिजन' रैली में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कोलकाता पुलिस द्वारा लाठीचार्ज, पानी की बौछारों और आंसू गैस के इस्तेमाल के बाद '12 घंटे का बंगाल बंद' बुलाया । 27 अगस्त को कोलकाता की सड़कों पर अराजकता फैल गई ।

आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बलात्कार - हत्या मामले को लेकर बढ़ते विरोध के बीच,

पश्चिम बंगाल राज्य सचिवालय नबान्न की ओर मार्च कर रहे हावड़ा ब्रिज पर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस के गोले दागे, पानी की बौछारें कीं और लाठीचार्ज किया। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को एक महिला प्रशिक्षु डॉक्टर की हत्या और कथित यौन उत्पीड़न ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया और देश के विभिन्न राज्यों में कई रैलियां निकाली गईं।

यूपी में बदले गए 8 रेलवे स्टेशनों के नाम, देखें पूरी लिस्ट

देश में किसी स्थान/ स्टेशन/ संस्था का नाम बदले जाने की प्रथा कोई नई नहीं है, ऐसा ही कुछ यूपी में भी देखने को मिला है. बता दें कि यूपी की सरकार ने अपने अब तक कई स्थानों के नाम बदले है. अब अमेठी जिले के कुछ रेलवे स्टेशन के नाम बदले गए है. हालांकि, यह फैसला यूपी सरकार ने नहीं बल्कि रेल मंत्रालय की ओर से लिया गया है.

8 रेलवे स्टेशनों के बदले गए नाम:

उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में लखनऊ मंडल के अंतर्गत आने वाले आठ रेलवे स्टेशनों के नामों को आधिकारिक रूप से बदल दिया गया है. यह परिवर्तन केंद्रीय रेल मंत्रालय ने मंगलवार को अधिसूचित किया.

उत्तर रेलवे की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, कासिमपुर हॉल्ट रेलवे स्टेशन को अब जायस सिटी रेलवे स्टेशन, जायस को गुरु गोरखनाथ धाम, मिसरौली को मां कालिकन धाम और बानी को स्वामी परमहंस के नाम से जाना जाएगा.

पूर्व सांसद स्मृति ईरानी ने की थी पहल:

पूर्व अमेठी लोकसभा सांसद स्मृति ईरानी ने फरवरी महीने में गृह मंत्रालय को नाम बदलने का प्रस्ताव भेजा था, जिसे मार्च में मंजूरी मिल गई थी. हालांकि, लोकसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के कारण इस प्रक्रिया में देरी हुई, लेकिन अंततः मंगलवार को नाम बदलने का आदेश जारी कर दिया गया.

निहालगढ़ रेलवे स्टेशन का नाम भी बदला:

अमेठी क्षेत्र में आने वाले मशहूर निहालगढ़ रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर महाराजा बिजली पासी रेलवे स्टेशन कर दिया गया है. वहीं अकबरगंज का नाम बदलकर मां अहोरवा भवानी धाम, वारिसगंज का नाम अमर शहीद भाले सुल्तान और फुरसतगंज का नाम बदलकर तपेश्वरनाथ धाम कर दिया गया है.

किन स्टेशनों के बदले गए नाम:

लखनऊ मंडल के अंतर्गत आने वाले आठ रेलवे स्टेशनों के नए नामों की लिस्ट नीचे दी गयी है, जिसे आप देख सकते है-

कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ रिलीज से पहले ही काफी विवादों में घिरी,सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप

कंगना रनौत की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘इमरजेंसी’ (Emergency) रिलीज से पहले ही काफी विवादों में घिर गई है. फिल्म की रिलीज पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. दरअसल सिख समुदाय इस फिल्म के ट्रेलर के आने के बाद से इसके खिलाफ आब्जेक्शन उठा रहा है और इसकी रिलीज पर रोक लगाने की मांग कर रहा है.

इन सबके बीच मंगलवार को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने कंगना समेत फिल्म के निर्माताओं को नोटिस भेजकर इस महीने की शुरुआत में रिलीज हुए ट्रेलर को हटाने के लिए कहा है.

एसजीपीसी सचिव प्रताप सिंह ने फिल्म पर आपत्ति जताई और खुलासा किया कि ‘इमरजेंसी’ पर बैन लगाने के लिए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री और सीबीएफसी के अध्यक्ष को अलग-अलग पत्र भी लिखे गए थे. उन्होंने रनौत पर सिखों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया और दावा किया कि फिल्म का ट्रेलर जारी होने के बाद कई ''सिख विरोधी दृश्य सामने आए थे.'

जीडीपीसी और अकाल तख्त ने भी जताई आपत्ति

वहीं पिछले हफ्ते, जीडीपीसी और अकाल तख्त ने फिल्म पर फौरन बैन लगाने की मांग की थी और दावा किया था कि यह सिखों के खिलाफ नेरेटिव बनाकर उनका "चरित्र हनन" करने की कोशिश करती है. एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को दौरान बताया था कि उन्होंने रानौत के खिलाफ एफआईआर की मांग की और फिल्म के खिलाफ आपत्ति जाहिर की. उन्होंने कहा कि पहले भी ऐसे कई उदाहरण हैं जब फिल्मों में समुदाय की गलत प्रस्तुति के कारण सिख भावनाएं आहत हुईं. फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए उन्होंने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को 'पक्षपातपूर्ण' बताया और सेंसर बोर्ड में सिख सदस्यों को शामिल करने का आग्रह किया था.

कंगना की फिल्म पर सिख समुदाय के कैरेक्टर असासिनेशन का आरोप

दूसरी ओर, अकाल तख्त के जत्थेदार (प्रमुख) ज्ञानी रघबीर सिंह ने दावा किया कि फिल्म में "जानबूझकर अलगाववादियों के रूप में सिखों के चरित्र को गलत तरीके से दिखाया गया है, जो एक गहरी साजिश का हिस्सा है." उन्होंने तर्क दिया कि फिल्म समुदाय का "अपमान" करती है और कंगना पर सिखों का "जानबूझकर चरित्र हनन" करने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, “समुदाय जून 1984 की सिख विरोधी क्रूरता को कभी नहीं भूल सकता है और रानौत की फिल्म जरनैल सिंह खालसा भिंडरावाले के कैरेक्टर असासिनेशन करने की कोशिश कर रही है, जिसे श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा कौमी शहीद (समुदाय का शहीद) घोषित किया गया है.”

इमरजेंसी’ कब होगी रिलीज?

कंगना रनौत ने 2021 में ‘इमरजेंसी’ की अनाउंसमेंट की थी. बाद में एक्ट्रेस ने क्लियर किया था कि भले ही यह एक पॉलिटिकल ड्रामा है, लेकिन यह इंदिरा गांधी की बायोपिक नहीं है. बता दें कि ‘इमरजेंसी’ में कंगना ने दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है. उन्होंने इस फिल्म का निर्देशन भी किया है. ‘इमरजेंसी’ में कंगना के अलावा अनुपम खेर, मिलिंद सोमन, महिमा चौधरी और श्रेयस तलपड़े भी अहम भूमिका में है. दिवंगत अभिनेता सतीश कौशिक भी भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री जगजीवन राम की भूमिका में नजर आएंगे. ये फिल्म 6 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है.

राहुल गांधी के अमेरिकी दौरे में किया गया बदलाव

राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में अपनी पहली विदेश यात्रा करने जा रहे हैं. वह सितंबर के पहले सप्ताह में अमेरिका यात्रा पर जाएंगे, जहां वे भारतीय प्रवासियों को संबोधित करेंगे. इस बीच विधानसभा चुनावों को देखते हुए राहुल गांधी के अमेरिकी दौरे में बदलाव किया गया है और इसे 10 से 12 दिन छोटा कर दिया गया है. कांग्रेस नेता के 5 से 6 सितंबर की दरमियानी रात अमेरिका जाने का कार्यक्रम है.

अमेरिका यात्रा के दौरान राहुल गांधी टेक्सास में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करेंगे. उसके बाद वाशिंगटन डीसी में लॉ मेकर्स से तमाम मुलाकातें होंगी, बाकी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है. इस दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी विधानसभा चुनाव प्रचार की कमान संभालेंगी और पार्टी के पक्ष में माहौल तैयार करने की कोशिश करेंगी.

कांग्रेस महासचिव सितंबर के दूसरे हफ्ते से जम्मू कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए कैंपेन का आगाज कर सकती हैं. प्रियंका चुनाव प्रचार की शुरुआत जम्मू कश्मीर से करेंगी और वह दोनों ही राज्यों में 5 से 7 रोड शो करेंगी. इसके अलावा 15 से ज्यादा चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगी. अकेले हरियाणा में प्रियंका गांधी एक दर्जन से ज्यादा रैलियां करेंगी.

जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव

विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस से गठबंधन किया है, जबकि हरियाणा में उसने आम आदमी पार्टी (AAP) से गठबंधन की सभी अटकलों को खारिज करते हुए अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. जम्मू-कश्मीर में 18, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को तीन चरणों में वोटिंग करवाई जाएगी. वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी. जम्मू-कश्मीर में 90 विधानसभा सीटें हैं और केंद्र शासित प्रदेश में 88.06 लाख मतदाता हैं.

हरियाणा में होगी चौतरफा लड़ाई

वहीं, 90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा के लिए 1 अक्टूबर को चुनाव होने हैं, जिसके नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित होने की उम्मीद है. इस साल लोकसभा चुनावों में दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी को केवल 0.87 प्रतिशत वोट मिले थे और उसका कोई भी उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर सका था. 2019 के विधानसभा चुनावों में हरियाणा में बीजेपी ने 40 सीटों पर जीत हासिल की थी और जेजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी. जेजेपी ने 10 सीटों पर विजय पताका फहराई थी, जबकि कांग्रेस के खाते में 31 सीटें गई थीं. इस साल की शुरुआत में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन टूट गया था. इस बार हरियाणा में बीजेपी, कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच चौतरफा मुकाबला होने की संभावना है.

ओडिशा के पुरी में भीषण आग लगने से 30 से ज्यादा घर जलकर राख,15 परिवार हुए बेघर,लाखों का हुआ नुकसान

ओडिशा के पुरी जिले के सत्यवादी ब्लॉक के अलिसा गांव में सोमवार देर रात भीषण आग लगने से 15 परिवारों के 30 से ज्यादा घर जलकर राख हो गए. इन घरों में रखे एक-एक सामान कुछ देर में आग की चपेट में आ गए. इस भयानक हादसे में लाखों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा. देखते ही देखते, आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और आसपास के दूसरे घरों को भी अपनी चपेट में ले लिया. इस हादसे में एक व्यक्ति गंभीर रूप से झुलस गया और आग की लपटों में तीन मवेशियों की जान चली गई.

इन घरों में आग की लपटों को उठता देख मौके पर अफरा-तफरी मच गई. अपने आशियाने को जलता हुआ देख सभी की चीखने चिल्लाने लगे. लोगों की जान को बचाने के लिए सभी को एक-एक करके वहां से लाया गया. बच्चे-बूढ़े युवा सभी को मौके से सुरक्षित बाहर निकाला गया. प्रारंभिक जांच में आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट को माना जा रहा है. गांव में आग की लपटों को उठता देख गांववालों ने तुरंत आग बुझाने की कोशिश शुरू कर दी. आग को बढ़ता देख अग्निशमन विभाग को इसकी सूचना दी गई. सूचना मिलने पर अग्निशमन सेवा कर्मी की सहायता से आग पर काबू पा लिया गया.

घर एक ऐसी पूंजी है, जिसे सभी बनाना चाहते हैं. सभी का सपना होता है कि उनका खुद का एक घर हो. सालों की जमा पूंजी के बाद एक-एक सामान को जुटाकर घर में रखने की कोशिश होती है, लेकिन अलिसा गांव में 30 से ज्यादा घर आग में जलकर खाक हो गए. इस घटना के बाद से हर कोई स्तब्ध है. 15 परिवारों में रहने वाले लोग अब बेघर हो गए. घर में रखे सारे सामान पूरी तरह से जलकर खाक हो गए. अलिसा गांव में इस आग से हुए विनाश ने स्थानीय समुदाय को झकझोर कर रख दिया है. प्रशासन द्वारा घटना की जांच की जा रही है. फिलहाल इन घरों में आग लगने का असली कारण पता नहीं चल पाया है. घायल शख्स का अस्पताल में इलाज किया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव,पहले चरण में 279 उम्मीदवारों ने किया अपना नामांकन पत्र दाखिल

जम्मू-कश्मीर के सात जिलों के 24 विधानसभा क्षेत्रों में 279 उम्मीदवारों ने अपने नामांकन पत्र दाखिल किए हैं, जहां 18 सितंबर को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान होने जा रहा है. विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने का 27 अगस्त आखिरी दिन था. मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के मुताबिक उन उम्मीदवारों के बारे में जानकारी दी गई है, जिन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया है.

दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में कुल 72 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया है. इसके अलावा पुलवामा जिले में 55, डोडा जिले में 41, किश्तवाड़ जिले में 32, शोपियां जिले में 28, कुलगाम जिले में 28 जबकि रामबन जिले में 23 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है. जम्मू संभाग में किश्तवाड़ जिले के तीन विधानसभा क्षेत्रों के लिए कुल 13 उम्मीदवारों ने, 48 इंद्रवाल विधानसभा क्षेत्र से 11 उम्मीदवारों ने और 49 किश्तवाड़ विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किए गए हैं, जबकि 8 उम्मीदवारों ने 50 पड्डर-नागसेनी विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया है.

इतने लाख वोटर्स

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण के दौरान 23.27 लाख से ज्यादा वोटर हैं, जिनमें 11.76 लाख पुरुष वोटर और 11.51 लाख महिला वोटर और 60 थर्ड जेंडर वोटर शामिल हैं, जो अपने चुनावी मताधिकार का इस्तेमाल करने के पात्र हैं. इनमें 5.66 लाख युवा वोटर्स भी मतदान के लिए पात्र हैं. पहले चरण के लिए अधिसूचना 20 अगस्त को जारी की गई थी और इस चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी 27 अगस्त 3:00 बजे तक थी.

नामांकन वपास लेने की तारीख

अब नामांकन पत्रों की जांच संबंधित रिटर्निंग अधिकारियों की ओर से 28 अगस्त को की जाएगी. उम्मीदवार अपना नामांकन पत्र 30 अगस्त, 2024 को दोपहर 3:00 बजे तक रिटर्निंग अधिकारी के कार्यालय में वापस ले सकते हैं. अब देखना होगा कि इस बार जम्मू-कश्मीर में सिक्का चलता है, क्योंकि जहां एक ओर बीजेपी इस बार वहां अपने दम पर चुनाव लड़ने जा रही है, तो वहीं कांग्रेस ने भी नेशनल कॉन्फ्रेंस से हाथ मिला लिया है.