आइए जानते हैं इंसान ने खाना बनाने की शुरुआत कब से की थी
खाना बनाना इंसान की सबसे पुरानी कलाओं में से एक है. यह सिर्फ भूख मिटाने का जरिया ही नहीं, बल्कि संस्कृति, समाज और इतिहास का एक अहम हिस्सा भी है. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर इंसान ने पहली बार खाना बनाना कब शुरू किया? इस सवाल का सटीक जवाब देने के लिए हमें कुछ रिसर्च पर गौर करना होगा, क्योंकि उस समय कोई लिखित रिकॉर्ड मौजूद नहीं था.
सबसे पहले कुकिंग कब शुरू हुई? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए हमें ऑर्कियोलॉजिस्ट्स और साइंटिस्ट्स पर निर्भर रहना पड़ता है, क्योंकि उन्होंने कई तरह के सबूतों को स्टडी किया है.
खाना पकाना जरूरी था, क्योंकि कुछ रिसर्चर्स का मानना है कि इसी वजह से हमारे मानव पूर्वजों को बड़ा दिमाग विकसित करने के लिए जरूरी एक्स्ट्रा कैलोरी पाने में मदद मिली. तो खाना पकाने का आविष्कार कब हुआ?
कितने साल पहले खाना पकाना हुआ शुरू?
समय के बारे में कुछ साफ नहीं है, लेकिन सबूत बताते हैं कि लोग कम से कम 50,000 साल पहले और सबसे ज्यादा शुरुआती समय की बात की जाए तो 20 लाख साल पहले से खाना पका रहे हैं. यह सबूत दो जगह से आते हैं- ऑर्कियोलॉजी और बायोलॉजी.
खाना पकाने के लिए आर्कियोलॉजिकल सबूत का एक हिस्सा दांतों का कैलकुलस या सख्त डेंटल प्लाक (पीली परत) में पाए जाने वाले पके हुए स्टार्च के दाने हैं. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में बायोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजी के रिटायर्ड प्रोफेसर और “कैचिंग फायर: हाउ कुकिंग मेड अस ह्यूमन” (बेसिक बुक्स, 2009) के ऑथर रिचर्ड रैंगहम बताते हैं कि लोग इस चीज को 50,000 साल पुराने दांतों में पा सकते हैं.
आग और खाना पकाना
लेकिन उससे पहले के सबूत कुछ साफ इशारा नहीं करते हैं. आम तौर पर साइंटिस्ट्स इस बात के सबूत तलाशते हैं कि लोग आग को काबू कर रहे थे. लेकिन आग को काबू करने का सबूत जरूरी नहीं कि खाना पकाने का सबूत हो. लोग उस आग का इस्तेमाल गर्मी के लिए या कुछ औजार बनाने के लिए कर सकते थे
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में ऑर्कियोलॉजिकल जियोकैमिस्ट बेथन लिंस्कॉट के मुताबिक, आर्कियोलॉजिकलिक रिकॉर्ड में आग के सबूत हर जगह मौजूद हैं. लेकिन समस्या यह है कि यह काबू हुई आग थी या फिर आग को इकट्ठा करके जलाया गया था. आप सोचिए कि एक जंगली आग है और आपके पास ऐसे होमिनिन हैं जो सुलगती हुई टहनी को उठाकर उसका फायदा उठा सकते हैं और शायद औजारों को तैयार कर सकते हैं या खाना बना सकते हैं.
जब आप आग पर काबू के सबूत की तलाश कर रहे होते हैं तो सबसे जरूरी चीजों में आग जलाने की एक खास जगह (जैसे-चूल्हा) होती है. इसलिए शायद पत्थरों को एक गोल घेरे के आकार में लगाया गया हो और फिर बीच में कुछ राख हो, शायद कुछ फाइटोलिथ (लंबे समय से मरे हुए पौधों से निकला सिलिका स्ट्रक्चर) और जली हुई कलाकृतियां और चीजें हों.
यहां मिले आग काबू करने के सबूत
रिसर्चर्स ने इन कलाकृतियों को कई जगहों पर पाया है जो होमो सेपियन्स से पहले की हैं, जिसका मतलब है कि पहले के होमिनिन भी आग का इस्तेमाल करते थे. इजराइल में केसेम गुफा में जांच कर रही एक टीम को कटे हुए जानवरों के अवशेषों के पास 3 लाख साल पुराने चूल्हे के सबूत मिले, और इंग्लैंड के सफोक में एक गुफा की जगह पर 4 लाख साल पुराना चूल्हा है जिसमें जली हुई हड्डियां और औजार बनाने के चकमक पत्थर हैं.
इससे और भी पहले दक्षिण अफ्रीका में वंडरवर्क गुफा में राख की वजह से साइंटिस्ट्स को शक हुआ कि 10 लाख साल पहले भी खाना पकाया जाता था. लगभग 30 मीटर (100 फीट) गहरी गुफा से यह मुमकिन नहीं है कि 10 लाख साल पहले यह राख प्राकृतिक रूप से बनी हो.
केन्या में 16 लाख साल पहले की काबू पाई आग के सबूत भी मिले हैं. इजराइल में गेशर बेनोट या’आकोव नामक एक साइट पर काम करते समय रिसर्चर्स को 7.8 लाख साल पहले खाना पकाने के और भी पुख्ता सबूत मिले. वहां न केवल पत्थरों के घेरे थे जो चूल्हे का इशारा करते थे, बल्कि मछली की हड्डियां भी थीं जो गर्म होने के सबूत दिखाती थीं.
कच्चा खाना खाने से हुआ बदलाव
खाना पकाने की शुरुआत कब हुई, इसका जैविक प्रमाण मानव शरीर के विकास के तरीके में मौजूद है. हम पृथ्वी पर हर दूसरी प्रजाति से अलग हैं क्योंकि हम जैविक रूप से पका हुआ खाना खाने के आदी हैं. उदाहरण के लिए कच्चा खाना खाने वाले लोगों पर की गई एक स्टडी में रिसर्चर्स ने पाया कि इन लोगों का वजन कम होने लगा और एक तिहाई महिलाओं में मासिक धर्म बंद हो गया.
मानव पूर्वज और मौजूदा इंसान
कुकिंग की शुरुआत मॉडर्न इंसानों के उभरने से भी पहले हो सकती है. होमो इरेक्टस (Homo erectus) पहला होमिनिन था जिसके शरीर का अनुपात प्राइमेट जैसा कम और इंसान जैसा ज्यादा था. कुछ विशेषताओं से पता चलता है कि वे खाना पकाने वाले पहले व्यक्ति हो सकते हैं.
इंसानों और हमारे प्राइमेट कजिन के बीच एक बड़ा फर्क हमारी आंत का आकार है. क्योंकि खाना पकाने के लिए हमें कम पाचन करना पड़ता है, इसलिए हमारी आंतें उनकी तुलना में छोटी होती हैं.
हमारी बड़ी आंत, हमारा कोलोन, आंत का आखिरी हिस्सा, उस आकार का लगभग दो-तिहाई है जो अगर हम चिम्पांजी, बोनोबो या गोरिल्ला होते तो होता. इसका मतलब है कि उनके मुकाबले हमारे पेट सपाट हैं, न कि उभरे हुए हैं.
उन बड़ी आंतों को एडजस्ट करने के लिए गैर-मानव प्राइमेट्स में चौड़े पेल्विस और उभरी हुई पसलियां होती हैं. हमारे मानव पूर्वजों ने लगभग 20 लाख साल पहले ये विशेषताएं खो दी थीं.
चबाने वाले दांतों से मिला ये संकेत
उसके बाद जो दूसरी चीज हुई वह मानव विकास के इतिहास में चबाने वाले दांतों के आकार में सबसे बड़ी गिरावट थी. इसलिए फिर से यह इस विचार से बहुत मेल खाता है कि अचानक खाने में कुछ बदल गया है. खास तौर पर खाना चबाना आसान हो गया है, क्योंकि शायद यह नरम था. यह लगभग उसी समय हुआ था, 18 लाख साल पहले.
इसलिए यहां बड़ी कहानी यह है कि खाना पकाने की शुरुआत लगभग 19 लाख साल पहले उस प्रजाति की उत्पत्ति के साथ हुई जो मानव विकास में सबसे ज्यादा हमारे जैसी दिखती है, यानी होमो इरेक्टस. रैंगहम को लगता है कि खाना पकाना और आग पर काबू पाना होमो इरेक्टस के विकास के लिए जिम्मेदार था.
लेकिन उस समय के आग को काबू करने वाले सबूतों के बिना, यह सोचना कि होमो इरेक्टस पहला रसोइया था, अभी भी बहस का विषय है. अभी भी बहुत से लोग इस पर काम कर रहे हैं, और यह लंबे समय तक चलता रहेगा. लिंस्कॉट के अनुसार, शायद साइंटिस्ट्स कभी भी सटीक तौर पर यह नहीं बता पाएंगे कि खाना बनाने की शुरुआत कब हुई थी.
Aug 21 2024, 20:20