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अजमेर कांड में 32 साल बाद फैसला, 6 दोषियों को आजीवन कारावास, सैकड़ों लड़कियों से ब्लैकमेलिंग-गैगरेप का मामला

#convicted_in_ajmer_1992_sexual_abuse_blackmail_mms_case

देश में बीते कई दिनों से कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर की खबर खुर्खियों में है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वतः संज्ञान लेते हुए नेशनल टास्क फोर्स का गठन कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि महिलाओं-लड़कियों के खिलाफ इस तरह के अपराधों को रोकना चाहिए, इसके लिए हम किसी नए मामले का इंतजार नहीं कर सकते। इसी बीच अजमेर रेप एंड ब्लैक मेलिंग केस में भी कोर्ट का फैसला आ गया है। 32 साल पहले हुए अजमेर गैंगरेप और ब्लैकमेल कांड के बाकी बचे 6 आरोपियों को स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 5-5 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।

साल 1992 में कॉलेज छात्राओं के साथ गैंगरेप हुआ था, जिस पर आज कोर्ट ने सजा का ऐलान किया है। सभी आरोपियों को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। स्कूली छात्राओं की आपत्तिजनक फोटो खींचकर ब्लैकमेल करने के मामले में अदालत ने फैसला सुनाया।

यह मामला 1992 का है । जब राजस्थान के अजमेर में 100 से ज्यादा स्कूली और कॉलेज की लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार और ब्लैकमेलिंग की गई थी। अजमेर के एक गैंग ने 1992 में स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली करीब 250 लड़कियों की नग्न तस्वीरें हासिल की। फिर उन्हें लीक करने की धमकी देकर 100 से अधिक छात्राओं के साथ गैंगरेप किया। गैंग के लोग स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं को फार्महाउस पर बुलाते थे। उनके साथ गैंगरेप करते थे। कई स्कूल तो अजमेर के जाने-माने प्राइवेट स्कूल थे। इन बच्चियों की उम्र उस समय 11 से 20 साल की हुआ करती थी। 

एक अखबार ने इसका खुलासा किया तो मामला सामने आया। साल 1992 के मई महीने में अजमेर के एक स्थानीय अखबार दैनिक नवज्योति अखबार में इस मामले का खुलासा किया था। इसके लिए जिम्मेदार गिरोह धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में प्रभाव रखता था। इस पूरे स्कैंडल का मास्टर माइंड तत्कालीन अजमेर यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती था। उसके साथ कई अन्य आरोपी भी थे। अजमेर जिला पुलिस ने पाया कि अजमेर के सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिम परिवारों के कई युवा रईस इसमें शामिल थे।

फारूख अब्दुल्ला या उमर कौन लड़ेगा चुनाव? नेशनल कांफ्रेंस में पिता-पुत्र को लेकर असमंजस बरकरार
#national_conference_farooq_or_omar_who_will_contest_assembly_election

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का एलान हो चुका है। पहले चरण का चुनाव 18 सितंबर को होगा, दूसरे चरण का चुनाव 25 सितंबर तो तीसरे चरण का चुनाव 1 अक्टूबर को होगा। चुनाव की घोषणा के बाद से जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। इस बीच नेशनल कांफ्रेंस में असमंजस की स्थिति बरकरार है। सवाल उठ रहे हैं कि नेशनल कांफ्रेंस से पिता पारूख अब्दुल्ला और बेटे उमर के बीच कौन चुनावी मैदान में नजर आएगा?

चुनाव की तारीखों के एलान के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मैं ये चुनाव लड़ूंगा, उमर अब्दुल्ला चुनाव नहीं लड़ेंगे। जब राज्य का दर्जा मिल जाएगा तो मैं पद छोड़ दूंगा और उस सीट पर उमर अब्दुल्ला चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हम राज्य का दर्जा चाहते हैं, न केवल एनसी बल्कि जम्मू-कश्मीर की सभी पार्टियां ऐसा चाहती हैं। यह भारत सरकार का वादा है कि पूर्ण राज्य का दर्जा होगा।

दरअसल, विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर उमर को लेकर असमंजस इसलिए है क्योंकि उन्होंने 2020 में यह दावा कर दिया था कि जबतक जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता, वह विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। 2019 में जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद इसे राज्य से बदलकर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। उमर ने इसी के विरोध में यह सियासी प्रतिज्ञा कर ली थी। लेकिन, परिस्थितियां दावे के विपरीत दिखने लगीं तो उन्होंने हाल ही एक बयान दिया, जिसमें इस बात के संकेत दिए थे कि वह अपने वादे को दूर रखकर चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं।

नेशनल कॉन्फ्रेंस लोकसभा चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन का हिस्सा थी, लेकिन पार्टी को उमर अब्दुल्ला जैसे नेता के रूप में बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा, जहां बारामुला में वह यूएपीए केस में जेल में बंद इंजीनियर राशिद से हार गए। अब उनके विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर भी संशय है।
दिल्ली के एंबिएंस मॉल समेत कई जगह को मिली बम से उड़ाने की धमकी, अधिकारियों ने जारी किया अलर्ट

मंगलवार को दिल्ली के विभिन्न शॉपिंग मॉल्स को बम से उड़ाने की धमकी भरा ईमेल मिलने से हड़कंप मच गया। इस धमकी में चाणक्य मॉल, सेलेक्ट सिटीवॉक, एंबिएंस मॉल, डीएलएफ, सिने पोलिस, पैसिफिक मॉल, प्राइमस हॉस्पिटल और यूनिटी ग्रुप का नाम शामिल है। ईमेल में कहा गया कि 'कुछ घंटों में विस्फोटक फट जाएगा', जिससे सभी जगहों पर दहशत फैल गई।


अधिकारियों ने तुरंत दिल्ली पुलिस को इसकी जानकारी दी। सूचना मिलते ही पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया और जांच शुरू कर दी। मौके पर बम निरोधक दस्ते और दमकल की गाड़ियां तुरंत भेजी गईं। अब तक की जांच में किसी भी मॉल से कोई बम नहीं मिला है, लेकिन पुलिस हर एंगल से मामले की जांच कर रही है ताकि कोई चूक न हो।

यह पहली बार नहीं है जब दिल्ली में इस तरह की धमकी दी गई हो। 12 मई को इसी साल कोर्ट ग्रुप नामक आरोपियों ने दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों को भी इसी तरह का धमकी भरा ईमेल भेजा था। इसके अलावा, दिल्ली एनसीआर के 200 से अधिक स्कूलों को भी बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। हालांकि, इन मामलों में अब तक कोई गंभीर घटना सामने नहीं आई है, लेकिन पुलिस जांच में जुटी है।

इस ताजे मामले के बाद दिल्ली पुलिस ने शहर भर में सुरक्षा कड़ी कर दी है। सभी संबंधित मॉल्स और संस्थानों को सुरक्षा के लिहाज से अलर्ट कर दिया गया है। पुलिस सभी संभावित ठिकानों की छानबीन कर रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि कहीं भी कोई खतरा न हो।


धमकी भरे ईमेल्स को पुलिस गंभीरता से ले रही है, क्योंकि यह केवल डर फैलाने के लिए भी हो सकता है, लेकिन इस तरह के मामलों में किसी भी चीज़ को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस मेल के पीछे कौन है और इसका उद्देश्य क्या हो सकता है।


दिल्ली पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे इस तरह की किसी भी संदिग्ध सूचना को नजरअंदाज न करें और तुरंत पुलिस को सूचित करें। पुलिस का कहना है कि किसी भी परिस्थिति में डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क रहना आवश्यक है। पुलिस लगातार इस मामले पर नजर रखे हुए है और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है।
फूड प्वाइजनिंग से 200 से अधिक जवान बीमार, BSAP के 935 जवानों ने की भूख हड़ताल


सुपौल जिले के भीमनगर में स्थित बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस (BSAP) के 265 पीटीसी प्रशिक्षु जवान रविवार को फूड प्वाइजनिंग की चपेट में आ गए। इनमें से छह जवानों की हालत गंभीर बताई जा रही है, जबकि 20 जवान वीरपुर के अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती हैं। इतने बड़े पैमाने पर जवानों के बीमार होने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। सोमवार को इस घटना से नाराज होकर कैंप में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे सभी 935 जवानों ने भूख हड़ताल कर दी है। जवान कैंप के कमांडेंट पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।


खराब खाने से बिगड़ी जवानों की तबीयत

रविवार की सुबह करीब 8:30 बजे जवानों ने नाश्ते में पूरी, जलेबी और काबुली चना की सब्जी खाई थी। इसके बाद दोपहर करीब डेढ़ से दो बजे के बीच कुछ जवानों की तबीयत अचानक खराब होने लगी। लेकिन उन्हें कैंप से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई और कैंप के अंदर ही कुछ दवाइयां दी गईं। शाम होते-होते कई जवानों की तबीयत और भी ज्यादा बिगड़ गई, जिसके बाद आनन-फानन में 50 से 60 जवानों को वीरपुर स्थित अनुमंडलीय अस्पताल ले जाया गया। धीरे-धीरे अन्य जवान भी बीमार महसूस करने लगे और रात 10:30 बजे तक यह संख्या 265 तक पहुंच गई।


सोमवार की सुबह तक ज्यादातर जवानों की हालत स्थिर हो गई थी और डॉक्टर ने प्राथमिक उपचार के बाद रात करीब एक बजे अधिकांश जवानों को अस्पताल से छुट्टी दे दी। लेकिन इस घटना से नाराज जवानों का आक्रोश सोमवार की सुबह फूट पड़ा। उन्होंने कैंप के कमांडेंट के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और खराब क्वालिटी के खाने की शिकायत की। जवानों का कहना है कि वे पिछले डेढ़ महीने से यहां प्रशिक्षण ले रहे हैं और शुरुआत से ही उन्हें खराब गुणवत्ता वाला खाना परोसा जा रहा है, लेकिन अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।

जांच की मांग और भूख हड़ताल की जिद

जवानों ने बताया कि रविवार की सुबह का नाश्ता करने के बाद ही उनकी तबीयत खराब होने लगी थी। बार-बार अनुरोध के बावजूद उन्हें बाहर इलाज के लिए जाने नहीं दिया गया और कैंप के अंदर ही इलाज चलता रहा। शाम को हालत बिगड़ने पर ही उन्हें अनुमंडलीय अस्पताल ले जाया गया। जवानों का आरोप है कि प्रशिक्षण केंद्र में महज 400 अभ्यर्थियों की क्षमता वाले वर्ग कक्ष में 935 जवानों को बैठाकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो असहनीय है। इस कुव्यवस्था के विरोध में जवानों ने सोमवार की सुबह से भूख हड़ताल शुरू कर दी है। हालांकि, कैंप में भोजन तैयार है, लेकिन जवान तब तक खाना खाने को तैयार नहीं हैं, जब तक मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो जाती। उन्होंने डीआईजी और आईजी से भीमनगर पहुंचकर इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
अजमेर कांड में 32 साल बाद फैसला, 6 दोषियों को आजीवन कारावास, सैकड़ों लड़कियों से ब्लैकमेलिंग-गैगरेप का मामला*
#convicted_in_ajmer_1992_sexual_abuse_blackmail_mms_case
देश में बीते कई दिनों से कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर की खबर खुर्खियों में है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वतः संज्ञान लेते हुए नेशनल टास्क फोर्स का गठन कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि महिलाओं-लड़कियों के खिलाफ इस तरह के अपराधों को रोकना चाहिए, इसके लिए हम किसी नए मामले का इंतजार नहीं कर सकते। इसी बीच अजमेर रेप एंड ब्लैक मेलिंग केस में भी कोर्ट का फैसला आ गया है। 32 साल पहले हुए अजमेर गैंगरेप और ब्लैकमेल कांड के बाकी बचे 6 आरोपियों को स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 5-5 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। साल 1992 में कॉलेज छात्राओं के साथ गैंगरेप हुआ था, जिस पर आज कोर्ट ने सजा का ऐलान किया है। सभी आरोपियों को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। स्कूली छात्राओं की आपत्तिजनक फोटो खींचकर ब्लैकमेल करने के मामले में अदालत ने फैसला सुनाया। यह मामला 1992 का है । जब राजस्थान के अजमेर में 100 से ज्यादा स्कूली और कॉलेज की लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार और ब्लैकमेलिंग की गई थी। अजमेर के एक गैंग ने 1992 में स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली करीब 250 लड़कियों की नग्न तस्वीरें हासिल की। फिर उन्हें लीक करने की धमकी देकर 100 से अधिक छात्राओं के साथ गैंगरेप किया। गैंग के लोग स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं को फार्महाउस पर बुलाते थे। उनके साथ गैंगरेप करते थे। कई स्कूल तो अजमेर के जाने-माने प्राइवेट स्कूल थे। इन बच्चियों की उम्र उस समय 11 से 20 साल की हुआ करती थी। एक अखबार ने इसका खुलासा किया तो मामला सामने आया। साल 1992 के मई महीने में अजमेर के एक स्थानीय अखबार दैनिक नवज्योति अखबार में इस मामले का खुलासा किया था। इसके लिए जिम्मेदार गिरोह धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में प्रभाव रखता था। इस पूरे स्कैंडल का मास्टर माइंड तत्कालीन अजमेर यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती था। उसके साथ कई अन्य आरोपी भी थे। अजमेर जिला पुलिस ने पाया कि अजमेर के सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिम परिवारों के कई युवा रईस इसमें शामिल थे।
घर वापसी' की अटकलों पर गुलाम नबी आजाद ने लगाया विराम, जानें क्या है पूरा मामला*
#ghulam_nabi_azad_refuses_to_return_congress *
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही सियासी हलचल और तेज हो गई है। इस बीच बयानबाजियों और अटकलों का दौर जारी है। इसी बीच गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस में वापस जाने की खबरें भी सामने आई थीं। कहा जा रहा था कि एक बार फ‍िर कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं. जम्‍मू कश्मीर चुनाव में उन्‍हें अहम ज‍िम्‍मेदारी दी जा सकती है. अटकलें तो यहां तक हैं क‍ि उनकी पार्टी के कई नेता अगले कुछ दिनों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैंहालांकि, उनकी पार्टी ने इसे बेबुनियाद बताया है। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) की ओर से जारी बयान में कहा गया कि गुलाम नबी आजाद की कांग्रेस में वापसी की खबरें पूरी तरह से निराधार हैं। जम्‍मू-कश्मीर कांग्रेस के नेताओं की ओर से ये अफवाह फैलाई जा रही है। जब से तारिक हमीद करा को कांग्रेस ने प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया है, तब से पार्टी में हलचल काफी बढ़ गई है। पूर्व मंत्री ताज मोहिउद्दीन कांग्रेस में वापसी की घोषणा भी कर चुके हैं। बताया जा रहा है क‍ि डोडा, किश्तवाड़, रामबन और रियासी ज‍िलों के कई नेता कांग्रेस में फ‍िर शामिल होने की जुगत लगा रहे हैं। इनमें पूर्व विधायक अब्दुल मजीद वानी, रियासी से पूर्व विधायक जुगल किशोर शर्मा जैसे कई नाम शामिल बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है क‍ि ये सभी कांग्रेस के संपर्क में हैं। इन सबके बीच गुलाब नबी आजाद के भी पार्टी में वापसी की अटकलें लग रही थी। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पार्टी पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद की वापसी की इच्छुक है। लेकिन कुछ लोग विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है क‍ि आजाद ने शीर्ष नेताओं के ख‍िलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया है। हालांकि, ज्‍यादातर लोगों का यही मानना है क‍ि अगर आजाद कांग्रेस में लौट आएं या अपनी पार्टी का विलय कर लें तो इससे उन्हें मदद मिल सकती है। बता दें कि चुनाव आयोग ने शुक्रवार (16 अगस्त) को जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा की। प्रदेश में तीन चरणों में वोट डाले जाएंगे। 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को वोटिंग होगी। वहीं, वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी। चुनाव आयोग के मुताबिक, जम्मू और कश्मीर में 90 निर्वाचन क्षेत्रों में 87.09 लाख मतदाता हैं, जिनमें 42.6 लाख महिलाएं शामिल हैं। गौर करने वाली बात है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त किए जाने के बाद पहली बार यहां विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ये भी कहा जा रहा था कि आजाद ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वापसी के लिए कुछ शर्तें भी रखी थी। उन्होंने वकार रसूल वानी को लेकर आपत्ति जताई थी। जिसके बाद कांग्रेस ने तारिक हमीद कर्रा को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। हालांकि, कांग्रेस के नए अध्यक्ष ने तारिक हमीद कर्रा ने गुलाम नबी आजाद की पार्टी DPAP से गठबंधन को लेकर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने साफ तौर से कहा है कि उनके बीच गठबंधन अब बंद चैप्टर की तरह है। हमीद कर्रा ने कहा, "गुलाम नबी आजाद साहब की पार्टी से इनकार आ गया है। उसके बाद, गठबंधन या विलय के बारे में बात करने के लिए कुछ भी नहीं है. यह अब एक क्लोज्ड चैप्टर है।"
जम्मू-कश्मीर में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी भाजपा, INDIA गठबंधन के दम पर कांग्रेस! कश्मीर में कई दिग्गजों की किस्मत दांव पर लगी

 जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गई हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने साफ कर दिया है कि वह केंद्र शासित प्रदेश में अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी और कुछ सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन करेगी. इस बीच कांग्रेस ने भी अपने पत्ते खोल दिए हैं और उसने इंडिया गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने की बात कही है. हालांकि उसने कहा है कि गठबंधन के मापदंड लोकसभा चुनाव से अलग होंगे.

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने कहा है कि पार्टी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए एक सम्मानजनक गठबंधन बनाने के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ बातचीत के लिए तैयार है. दरअसल, तारिक हमीद कर्रा से पूछा गया था कि क्या उनकी पार्टी कांग्रेस नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) जैसी पार्टियों के साथ गठबंधन करेगी.

लोकसभा चुनाव के दौरान हुए गठबंधन को लेकर कर्ना ने कहा, ‘पिछले गठबंधन के अलग-अलग मापदंड थे. यह राष्ट्रीय स्तर पर था और संसदीय चुनावों और विधानसभा चुनावों के बीच मापदंड हमेशा अलग-अलग होते हैं इसलिए हमें जम्मू-कश्मीर में पार्टी के बात करनी होगी. हमें दिल्ली की लीडरशिप से आश्वासन दिया गया है कि एक सम्मानजनक गठबंधन होगा.’

जम्मू-कश्मीर कांग्रेस प्रमुख ने कहा, ‘हमें कार्यभार संभालने के तुरंत बाद चर्चा शुरू करनी होगी और मुझे अपने सहयोगियों के साथ चर्चा करनी होगी और उसके बाद ही हम निर्णय लेंगे. हम बीजेपी के वर्चस्ववादी रवैए के खिलाफ लड़ रहे हैं. हम इसके लिए तैयार हैं. उन्हें राज्य का दर्जा बहाल करना होगा. साथ ही, जो कानून हम पर थोपे गए थे उन पर भी विचार करना होगा. आमतौर पर लोग बीजेपी के रवैए से तंग आ चुके हैं.’

इधर, जम्मू-कश्मीर के बीजेपी अध्यक्ष रविंदर रैना ने कहा कि पार्टी चुनाव से पहले कोई गठबंधन नहीं करेगी. हालांकि कश्मीर घाटी में 8 से 10 निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन जरूर करेगी. पार्टी चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है और जल्द ही उम्मीदवारों की पहली लिस्ट का ऐलान किया जाएगा. बीजेपी कश्मीर घाटी में अपने उम्मीदवार चुनावी अखाड़े में उतारेगी और बहुमत से चुनाव जीतने में सफल होगी.

'स्त्री 2' बनी 2024 की तीसरी सबसे ज्यादा कमाने वाली फिल्म, कई बड़े रिकॉर्ड को तोडा, पहले नंबर पर ये फिल्में

'स्त्री 2' का खुमार दर्शकों के सिर चढ़कर बोल रहा है. जितना एक्साइटमेंट रिलीज से पहले देखी जा रही थी, पर्दे पर आने के बाद फैंस उससे भी ज्यादा प्यार फिल्म पर लुटा रहे हैं. श्रद्धा कपूर और राजकुमार राव स्टारर 'स्त्री 2' इसी 15 अगस्त को थिएटर्स में आई है और रिलीज के साथ ही छा गई है. महज तीन दिन के कलेक्शन में फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए हैं.

'स्त्री 2' ने प्रीव्यूज मिलाकर पहले दिन 76.5 करोड़ की कमाई करके शानदार ओपनिंग ली. दूसरे दिन फिल्म का कलेक्शन 41.5 करोड़ रुपए रहा. वहीं अब तीसरे दिन के आंकड़े भी सामने आ गए हैं जिसके मुताबिक 'स्त्री 2' ने पहले शनिवार को 54 करोड़ रुपए छाप लिए हैं. घरेलू बॉक्स ऑफिस पर फिल्म का कुल कलेक्शन अब 172 करोड़ रुपए हो गया है.

दिन कलेक्शन

प्रीव्यू ₹ 8.5 करोड़

Day 1 ₹ 76.5 करोड़

Day 2 ₹ 41.5 करोड़

Day 3 ₹ 54 करोड़

कुल ₹ 172 करोड़

'स्त्री 2' ने तीन दिन के कलेक्शन के साथ अब एक नया रिकॉर्ड बना लिया है. श्रद्धा कपूर और राजकुमार राव की ये हॉरर-कॉमेडी मूवी इस साल की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्म बन गई है. पहले नंबर पर अब भी ऋतिक रोशन की 'फाइटर' है, दूसरे नंबर पर अजय देवगन और आर माधवन की 'शैतान' का दबदबा है. वहीं 'स्त्री 2' ने शरवरी वाघ की 'मुंज्या' को शिकस्त देकर तीसरा स्थान अपने नाम कर लिया है.

इससे पहले राजकुमार राव ने 'स्त्री 2' के दो दिनों का कलेक्शन शेयर करते हुए खुशी जाहिर की थी. पोस्ट में उन्होंने लिखा था- 'मेहर, रब की और आप सबकी. दिल से धन्यवाद.' 'स्त्री 2' को दिनेश विजान ने डायरेक्ट किया है, फिल्म 2018 की 'स्त्री' का सीक्वल है जिसका दर्शक इंतजार कर रहे थे. श्रद्धा कपूर और राजकुमार राव फिल्म में लीड रोल में हैं. पंकज त्रिपाठी, अपारशक्ति खुराना और अभिषेक बनर्जी भी फिल्म में अहम भूमिकाएं अदा करते नजर आए हैं.

आरक्षण को लेकर फिर मोदी सरकार पर हमलावर हुआ विपक्ष, अधिकारियों की भर्ती से जुड़े मामले में कौन बैक फुट पर और कौन किस पर क्या लगा रहा आरोप

 नरेंद्र मोदी सरकार की लेटरल एंट्री मोड के ज़रिए 45 वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों की भर्ती करने की नवीनतम पहल ने महत्वपूर्ण राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। विपक्षी नेताओं ने सरकार पर भारत में हाशिए पर पड़े समुदायों के अवसरों की रक्षा के लिए बनाई गई आरक्षण प्रणाली को कमज़ोर करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस कदम की निंदा करते हुए आरोप लगाया है कि यह भाजपा द्वारा अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को प्रमुख सरकारी पदों से बाहर करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है। एक्स पर एक पोस्ट में, खड़गे ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा, "संविधान की धज्जियां उड़ाने वाली भाजपा ने आरक्षण पर दोहरा हमला किया है!"

खड़गे ने भाजपा पर भर्ती की ऐसी प्रथाओं को लागू करने का आरोप लगाया जो जानबूझकर एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों को हाशिए पर धकेलती हैं। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने भी इसी तरह की चिंताओं को दोहराया और इस कदम को आरक्षण प्रणाली और डॉ. बीआर अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान पर "गंदा मजाक" बताया। यादव ने तर्क दिया कि अगर ये पद पारंपरिक सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से भरे जाते, तो एक महत्वपूर्ण हिस्सा एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होता। यादव ने इन समुदायों को शासन में उनका वाजिब हिस्सा न देने के लिए सरकार की आलोचना की। उन्होंने एक्स पर लिखा, "पिछले चुनाव में प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों ने दावा किया था कि आरक्षण खत्म करके कोई भी उनके अधिकारों को नहीं छीन सकता। लेकिन उनकी आंखों के सामने ही वंचित और उपेक्षित वर्गों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है।"

यह विवाद संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा हाल ही में लेटरल एंट्री के माध्यम से भरे जाने वाले 45 पदों के लिए जारी विज्ञापन के बाद हुआ है। इसमें 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक/उप सचिव शामिल हैं। ये पद, जो आमतौर पर IAS, IPS और IFoS जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों द्वारा भरे जाते हैं, अब लेटरल एंट्री के माध्यम से अनुबंध के आधार पर दिए जा रहे हैं। मोदी सरकार द्वारा 2018 में शुरू की गई लेटरल एंट्री पहल का उद्देश्य प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के इरादे से निजी क्षेत्र और अन्य गैर-सरकारी संगठनों से विशेषज्ञ प्रतिभाओं को सरकार में लाना है। इसकी शुरुआत से लेकर अब तक इस पद्धति के ज़रिए 63 नियुक्तियाँ की जा चुकी हैं, जिनमें से 35 निजी क्षेत्र से हैं।

अपने लक्ष्यों के बावजूद, लेटरल एंट्री सिस्टम को आरक्षण प्रणाली को दरकिनार करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है, जिसका उद्देश्य ऐतिहासिक अन्याय को दूर करना और हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए सरकारी नौकरियों का एक प्रतिशत आरक्षित करके सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना है। आलोचकों का तर्क है कि यह दृष्टिकोण भारतीय संविधान में निहित समान अवसर के सिद्धांतों को कमजोर करता है।

मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम का भारत दौरा, पीएम मोदी से की मुलाकात, दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत करने की कवायद

मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम आज भारत पहुंचे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में गर्मजोशी से स्वागत किया। इस दौरान पीएम मोदी ने अनवर इब्राहिम को गले लगाकर उनका स्वागत किया। मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर भारत के तीन दिवसीय आधिकारिक दौरे पर सोमवार देर शाम दिल्ली पहुंचे।

पहली भारत यात्रा

नवंबर 2022 में पदभार ग्रहण करने के बाद यह मलेशियाई प्रधानमंत्री की पहली भारत यात्रा है। पीएम मोदी से मुलाकात के बाद, प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए राजघाट भी गए।

प्रधानमंत्री इब्राहिम की यात्रा के दौरान, पीएम मोदी उनके सम्मान में दोपहर का भोजन आयोजित करेंगे। इसके बाद, मलेशियाई प्रधानमंत्री का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने का कार्यक्रम है। इसके अलावा, विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी मलेशियाई नेता से मुलाकात करेंगे।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत और मलेशिया के बीच ऐतिहासिक और सामाजिक-सांस्कृतिक संबंध बहुत मजबूत हैं। 2015 में प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी की नींव रखी गई थी। अगले साल दोनों देश उन्नत रणनीतिक साझेदारी के दूसरे दशक में प्रवेश कर रहे हैं, और इस यात्रा से भारत-मलेशिया संबंधों को और मजबूत करने का मौका मिलेगा।

प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के साथ मलेशिया की विदेश मंत्री उतामा हाजी मोहम्मद बिन हाजी हसन, व्यापार और उद्योग मंत्री तेंगकू दातुक सेरी उतामा ज़फरुल अज़ीज़, पर्यटन मंत्री दातो श्री टियोन किंग सिंग, डिजिटल मंत्री गोबिंद सिंह देव और मानव संसाधन मंत्री स्टीवन सिम ची केओंग भी आए हैं।

अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री इब्राहिम भारतीय उद्योग जगत के दिग्गजों के साथ एक गोलमेज बैठक में शामिल होंगे। इसके अलावा, वे भारतीय विश्व मामलों की परिषद (आईसीडब्ल्यूए) में 'एक उभरते वैश्विक दक्षिण की ओर: मलेशिया-भारत संबंधों का लाभ उठाना' विषय पर एक व्याख्यान भी देंगे।

ब्रिक्स गठबंधन में शामिल होने की संभावना

मलेशिया आसियान सदस्य देशों में भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और 2023 में आठ दक्षिण एशियाई देशों में सबसे बड़ा साझेदार है। उम्मीद है कि अपनी यात्रा के दौरान मलेशियाई प्रधानमंत्री भारत से ब्रिक्स गठबंधन में शामिल होने के लिए समर्थन मांगेंगे। ब्रिक्स एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इस गठबंधन में 1 जनवरी, 2024 को चार नए सदस्य - मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हुए हैं।