ऐसे शुरु हुई थी सलीम और अनारकली की प्रेम,अकबर क्यू बना प्रेम कहानी के विलेन जाने
एक दिन अपने पिता और बादशाह के दरबार में सलीम की नजर एक लड़की पर पड़ी जिसका नाम अनारकली था। उसके रूप-रंग को देखकर शहजादे सलीम उसके दीवाने हो गए। यहीं से शुरू होती है दोनों के प्यार की कहानी। ऐसा कहा जाता है कि अनारकली की खूबसूरती के चर्चे पूरे लाहौर में थे। जब इस बात का अकबर को पता चला तो उन्होंने अनारकली को अपने दरबार में बुलाया। इसके बाद जब अनारकली को दरबार में बुलाया गया तो अनारकली ने बहुत अच्छा नृत्य किया जिसके बाद दरबार में मौजूद सभी लोग अनारकली का नृत्य और उसकी सुंदरता देख कर आश्चर्यचकित रह गए। अकबर अनारकली के नृत्य से इतने खुश हुए कि उन्होंने अनारकली को अपने दरबार की नृतिका घोषित कर दिया। उस दिन से अनारकली का काम था शाही दरबार में लोगों के आगे नृत्य कर उनका मनोरंजन करना।
शहजादे सलीम को ऐसे हुए प्यार अनारकली से
अकबर के दरबार में अनारकली को नृत्य करता देख शहजादे सलीम को अनारकली से प्यार हो गया। वहीं, अनारकली भी खुद को सलीम से प्यार करने से नहीं रोक पाईं। इसके बाद धीरे-धीरे दोनों का प्यार नया मोड़ लेता गया। यहां तक के दोनों एक दूसर से छुुप-छुपकर मिलने लगे। दोनों जितनी बार दोनों एक दूसरे से मिलते उतनी बार उनका प्यार परवान चढ़ता। लंबे समय तक दोनों के बीच सब कुछ अच्छा चल रहा था तभी एक दिन बादशाह अकबर की दासी नूरजहां की नजर उन पर पड़ी। ऐसा कहा जाता है कि दासी नूरजहां को शहजादे सलीम से प्यार हो गया था। इसलिए वह बस ये चाहती थी कि सलीम बस उसे प्यार करे लेकिन शहजादे सलीम तो अनारकली के प्यार में डूबे हुए थे। और यही बात नूरजहां बरदाश नहीं कर पाई। जिसके बाद नूरजहां ने बादशाह को जाकर शहजादे सलीम और अनारकली के बारे में सब कुछ बता दिया।
अकबर बने प्रेम कहानी के विलेन
अकबर और उनके बेटे सलीम के बीच दरार का कारण बनी सलीम और अनारकली की प्रेम कहानी।
अकबर नहीं चाहते थे कि एक नाचने वाली से उनका बेटा शादी करे। इसलिए अकबर दोनों की प्रेम कहाने के बिल्कुल खिलाफ थे। ये बात हर पल अकबर को बार-बार खटक रही थी। क्योंकि अगर ऐसा हो जाता तो ये मुगल सलतनत के लिए बहुत शर्मनाक बात होती। इसलिए अकबर ने सलीम और अनाकरली को अलग करने की ठान ली थी।
इसके बाद अकबर ने सलीम को अनारकली को कभी न देखने की सलाह दी मगर सलीम का दिल नहीं माना। सलीम अनारकली के लिए अपने ही पिता के खिलाफ हो गए। सलीम को लगने लगा कि उनके पिता ही उनके प्यार के असली दुश्मन हैं। बात इतनी बिगड़ गई कि शहजादे सलीम ने अपने पिता के खिलाफ ही जंग का ऐलान कर दिया। इसके बाद पिता और बेटे में घमासन युद्ध हुआ मगर आखिरी में शहजादे सलीम अकबर की सेना के सामने हार गए। इसके बाद अकबर ने अपने ही बेटे को बंदी बना लिया।
कहा जाता है कि अकबर ने इसके बाद सलीम के आगे दो सुझाव रखे। एक या तो वह अनारकली को छोड़ दें वरना मौत को गले लगा लें। सलीम भी अपने प्यार के लिए मरने को तैयार हो जाते हैं। लेकिन इससे पहले ही अनारकली सलीम के प्यार के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान करने को राजी हो जाती हैं।
इसके बाद अकबर ने अनारकली को सलीम के दिल और दिमाग से दूर करने के लिए उसी की आखों के सामने एक दीवार में अनारकली को जिंदा दफना दिया। यहां अनारकली को दीवार में दफनाने से शहजादे सलीम और अनारकली अलग-अलग तो हो गए। लेकिन इनकी प्रेम कहानी हमेशा के लिए अमर हो गई।
Jul 29 2024, 14:56