जानें उंडावल्ली गुफाओं में कौन से भगवान है बिरजमान और क्या महत्व है? और इसमें कितनी प्रतिमाएं है स्थापित
भारत के कई स्थानों पर विशाल अखंड चट्टानों को काटकर बनायी गयी कई गुफाएं हैं। आंध्र प्रदेश के गुंटूर नगर में स्थित उंदावल्ली गुफाएं उन्ही में से एक है। इसी प्रकार बनायी गयी कई प्रसिद्ध गुफाओं की जानकारी हमें पहले से ही है, जैसे महाराष्ट्र में स्थित अजंता, एलोरा तथा एलिफेंटा गुफाएं। कुछ अन्य गुफाएं, जिनके विषय में कम लोग जानते हैं, वे हैं मध्यप्रदेश के धार जिले में स्थित बाघ गुफाएं, मुंबई की कान्हेरी गुफाएं, उड़ीसा के उदयगिरी तथा खंडगिरी गुफाएं, कर्नाटक स्थित बदामी गुफाएं तथा मध्य प्रदेश के विदिशा में स्थित उदयगिरी गुफाएं। मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित भीमबेटिका गुफाएं, जहां चट्टानों पर प्राचीन चित्रकारियाँ हैं तथा छतीसगढ़ की कुछ अन्य गुफाएं प्रागैतिहासिक गुफाएं हैं।
कुछ समय पहले मैं एक विश्व नृत्य एवं संगीत उत्सव का आनंद उठाने आंध्र प्रदेश स्थित अमरावती गयी थी। साथ ही कुछ हवाई रोमांचक खेलों में भाग लेने का भी अवसर मिला, जैसे गुब्बारे द्वारा हवाई सैर, पैराग्लाइडिंग इत्यादि। परन्तु विरासती धरोहरों से जुड़े ह्रदय के संकेतों को अनदेखा ना कर सकी। अतः समयाभाव के होते हुए भी मैंने कुचिपुड़ी गाँव, कोंडपल्ली नगरी तथा उंदावल्ली गुफाओं के भी दर्शन करने के लिए समय निकाल ही लिया।
यद्यपि उंदावल्ली गुफाएं भारत में स्थित अन्य गुफाओं के सामान ही हैं, तथापि इसमें विशेष अनूठापन भी है। कृष्णा नदी के तीर पर स्थित यह कई लघु गुफाओं का एक समूह है। ये गुफाएं गुंटूर नगर के अंतर्गत होते हुए भी विजयवाड़ा नगर एवं आंध्र प्रदेश की नई नवेली राजधानी अमरावती के समीप स्थित है।
उंदावल्ली गुफाओं का उत्खनन युग
ऐसा अनुमान है कि उंदावल्ली गुफाओं का उत्खनन राजा विश्नुकुंदी के राज में ४वी से ५वी. शताब्दी के मध्य कभी हुआ था। इन गुफाओं को १६वीं. शताब्दी तक राजसी संरक्षण प्राप्त था। किन्तु इसके पश्चात ये अधिकतर अनुपयोगी ही रही। स्वतंत्रता के पश्चात भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसे अपने संरक्षण में ले लिया और इसे राष्ट्रीय विरासत घोषित किया।
अखंड उंदावल्ली गुफाएं
उंदावल्ली पहुँचने से पूर्व मुझे जानकारी प्राप्त हुई कि उंदावल्ली गुफाओं को अखंड चट्टान से उत्खनित किया गया है जो चारों ओर हरियाली से घिरा हुआ है। इन गुफाओं के समूह में एक मुख्य गुफा है जो चार मंजिली है। इसके भीतर सुव्यवस्थित प्रकार से उत्खनित कई कक्ष तथा स्तंभ हैं। पर्यटक भी अधिकतर इसी गुफा पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं।
स्तरित उंदावल्ली गुफाएं
उंदावल्ली की स्तरित गुफाएं कुल मिलाकर अत्यंत आकर्षक प्रतीत हो रहे थे। प्रत्येक स्तर स्पष्ट रूप से दृश्यमान थे। निचला स्तर सम्पूर्ण नहीं है। इसकी अपूर्णता हमारे लिए सहायक सिद्ध होती है। इससे उत्खनन की तकनिकी जानकारी प्राप्त होती है। यह ज्ञात नहीं हो पाया कि स्तरित गुफाएं किसी वास्तुविद की पूर्व कल्पना थी अथवा स्तरों को क्रमशः भिन्न भिन्न काल में उत्खनित किया था। गुफाओं की छत पर कहीं कहीं रंगरोगन के चिन्ह थे। अर्थात् किसी काल में इन गुफाओं में रंगरोगन भी किया गया था।
गुफाओं में उपस्थित स्तंभ विजयनगर शैली का आभास कराते हैं। किन्तु कहा जाता है कि उंदावल्ली गुफाओं के उत्खनन के पश्चात ही महाबलीपुरम गुफाओं के उत्खनन की प्रेरणा प्राप्त हुई थी।
उंदावल्ली गुफाओं की प्रतिमाएं
1.शेषशायी विष्णु
शेषशायी विष्णु की प्रतिमा उंदावल्ली गुफाओं की मुख्य एवं मौलिक प्रतिमा है। इससे यह सिद्ध होता है कि यह वैष्णव गुफा मंदिर है। इस शेषशायी विष्णू की प्रतिमा के ऊपर एक गरुड़ की मनमोहक आकृति उत्कीर्णित है। इस शिल्प में गरुड़ भगवान् विष्णु को ऐसे निहार रहे हैं मानो भगवान् विष्णू की निद्रा भंग ना हो इसका ध्यान रख रहे हों।
विशाल शेषनाग ने उनके शीश को आधार दिया है तथा फन उनके शीश के ऊपर फैला कर उन्हें छाँव प्रदान कर रहे हैं। वहीं अन्य देवी देवता आकाश से उन्हें निहार रहे हैं
वृक्ष उन्मूलन करता गज
उंदावल्ली गुफाओं के कई शिल्पों में एक आकृति मुख्यतः दिखाई दी, वह थी गज की आकृतियाँ। उनमें मुख्यतः वृक्ष उन्मूलन करते गज को दर्शाया गया है।
आसनस्थ गणेश की प्रतिमा
आसन ग्रहण किये गणेशजी की स्फटिक में बनी प्रतिमा पर हल्दी, सिंदूर व पुष्प अर्पित किये हुए थे। इसका अर्थ है कि इस प्रतिमा की पूजा अर्चना आज भी होती है।
नरसिंह अवतार
उंदावल्ली गुफा में नरसिंह अवतार की कई प्रतिमाएं हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं। आँध्रप्रदेश में नरसिंह उपासना की प्रथा है। उंदावल्ली गुफा में नरसिंह की एक प्रतिमा खड़ी अवस्था में है। स्तंभों पर कई गोलाकार पदकों पर नरसिंह की आकृतियाँ देखने को मिलती हैं। आँध्र प्रदेश में भगवान् विष्णु को नरसिंह अवतार में पूजने की प्रथा आपको यहाँ के कई बड़े मंदिरों में दिखाई देगी जैसे विशाखापट्टनम के निकट सिंहाचलम मंदिर। आँध्रप्रदेश के अलावा मुझे केवल हिमाचल प्रदेश के कुछ स्थानों पर नरसिंह आराधना की जानकारी है। उनमें से एक है सराहन।
हनुमान
उंदावल्ली गुफा में हनुमान की भी कई प्रतिमाएं हैं। यहाँ तक कि रामायण महाकाव्य के भी वही दृश्य चित्रित हैं जिसमें हनुमानजी की भूमिका है।
महाकाव्य रामायण के दृश्य
महाकाव्य रामायण के कई दृश्य गुफा के स्तंभों पर उत्कीर्णित हैं। उपरोक्त दृश्य में श्रीलंका के अशोक वाटिका में हनुमानजी देवी सीता से भेंट करते दर्शाए गए हैं।
Jul 28 2024, 13:15