*आखिर राम चेत है कौन और क्या है उनकी कहानी,क्यों राहुल गांधी को राम चेत ने दिया आशीर्वाद,जाने पूरा मामला*
सुल्तानपुर में राहुल गांधी से मुलाकात के बाद सुर्खियों में आये मोची रामचेत की हालत बेहद दयनीय है। जूता चप्पल की मरम्मत कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले रामचेत और उसके परिवार को अब तक ज्यादातर सरकारी योजनाओं का लाभ न के बराबर मिला है। ऐसे में राहुल से मुलाकात के बाद क्या अब रामचेत के दिन बहुरेंगे इसका इंतजार सभी को है। इनसे मिलिए ये हैं रामचेत। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के कूरेभार थानाक्षेत्र के विधायक नगर चौराहे पर जूते चप्पल की मरम्मत करने वाले रामचेत शुक्रवार को उस समय पूरे देश में सुर्खियों में आ गए जब मानहानि के मामले में कोर्ट में पेशी पर सुल्तानपुर पहुंचे राहुल गांधी का काफिला अचानक इनकी छोटी से गुमटी पर रुक गया। करीब आधे घंटे तक इनकी गुमटी पर रुके राहुल गांधी ने न सिर्फ रामचेत से परिवार का हाल चाल लिया बल्कि तमाम विषयों पर बात चीत भी की। साथ ही रामचेत से चप्पल और जूता बनाने की शिक्षा भी ली। वहीं अवध की माटी के रहने वाले रामचेत ने भी अपनी गरीबी के बावजूद राहुल गांधी को अपने पैसों से कोल्ड ड्रिंक पिलाकर उनका स्वागत सत्कार भी किया। राहुल गांधी के जाने के बाद अब स्थानीय लोगों की निगाहों में रामचेत हीरो बन गया है,तमाम चैनलों पर रामचेत और राहुल गांधी की दरियादिली की खबरें चल रही हैं, लेकिन वो हकीकत कोई नहीं देखना चाहता कि रामचेत कैसे अपना जीवन यापन कर रहा है। आइए आपको वो हकीकत दिखाते हैं जिसकी हकीकत न राहुल गांधी जानते और यूपी सरकार। ऐसे में रामचेत की वर्तमान स्थिति भी जिला प्रशासन के मुंह पर वो तमाचा है जो फाइलों मे आल इस वेल दिखाकर शासन प्रशासन ने वाहवाही लूटते हैं। ये नजारा है कूरेभार ब्लॉक के ढेसरुआ गांव का। इसी गांव के रहने वाले रामचेत की दयनीय हालत देखकर आप दंग रह जाएंगे। कहने को केंद्र और प्रदेश सरकार ऐसे गरीबों के लिए तमाम कल्याणकारी योजनाएं चला रही है, लेकिन हकीकत में ऐसी योजनाएं धरातल पर पहुंच रही है या नहीं, रामचेत इससे अच्छा उदाहरण हो ही नहीं सकता। इनके दो बेटे है,एक तो यही साथ रहता है जबकि दूसरा अपनी माली हालत सुधारने के लिए अपना पूरा परिवार लेकर परदेश चला गया। रामचेत इसी झोपड़ी नुमा मकान में किसी तरह रहकर सर्दी,गर्मी और बरसात में जीवन व्यवतीत करते हैं। लेकिन आज तक कोई सरकारी योजना का लाभ नसीब नहीं हुआ। बेटे को एक कॉलोनी मिली है वो अपने परिवार के साथ रहता है। राशन कार्ड में नाम था 5 किलो राशन फ्री मिलता था लेकिन दो साल से वो भी कट गया,बिजली पानी गैस तो उसके लिए सपना ही है। वैसे तो गांव के लोगों और गांव के विकास की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की है। कागजों में ग्राम प्रधान ने गांव को चमन कर दिया होगा। लेकिन अभी तक रामचेत का विकास क्यों नहीं हुआ। उनसे सवाल हुआ तो वे अपने को नया नवेला प्रधान बता रहे हैं। वैसे करीब तीन साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, चहेतों को लाभ भी मिल गया हो गया होगा, लेकिन रामचेत जैसे लोग अभी भी विकास से वंचित हैं। वहीं राहुल गांधी के रामचेत से मिलने पर ग्रामीणों में खुशी तो बहुत है, लोग राहुल गांधी की तारीफ भी करते नजर आ रहे हैं लेकिन रामचेत समेत गांव के गरीबों की स्थिति देखकर चिंता भी व्यक्त कर रहे हैं। उनकी माने तो राहुल गांधी आए, गरीब का कोल्ड ड्रिंक पिए और सुर्खियां बटोर कर चलते बने। अब कौन इसकी सुध लेगा। बहरहाल गरीबों को योजनाएं न मिलने के पीछे वे यहां के अधिकारी कर्मचारी और नेता जिम्मेदार हैं। अगर वही सही रहते तो रामचेत जैसे लोगों को झोपड़ी में सोने को मजबूर न होना पड़ता।
Jul 28 2024, 02:39