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मिश्री और सौंफ को एक साथ खाने से होते कई आर्युवेदिक फायदे,जाने इसके कुछ महत्वपूर्ण फायदे


मिश्री और सौंफ का मिश्रण आयुर्वेद में कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। इसे अक्सर भोजन के बाद सेवन किया जाता है और इसके कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:

पाचन में सुधार: सौंफ और मिश्री का मिश्रण पाचन को सुधारने में मदद करता है। यह गैस, अपच और एसिडिटी को कम करने में सहायक होता है।

मुँह की ताजगी: मिश्री और सौंफ का सेवन मुँह की दुर्गंध को दूर करता है और ताजगी बनाए रखता है।

आँखों की रोशनी: सौंफ में विटामिन ए होता है, जो आँखों की रोशनी के लिए अच्छा माना जाता है। मिश्री के साथ सेवन करने से इसके लाभ और बढ़ जाते हैं।

श्वसन समस्याओं में राहत: सौंफ और मिश्री का मिश्रण श्वसन तंत्र को शांत करने में मदद करता है और खाँसी व सर्दी जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।

मस्तिष्क के लिए फायदेमंद: यह मिश्रण मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव को कम करने में मदद करता है।

एनर्जी बूस्टर: मिश्री और सौंफ का सेवन शरीर में ताजगी और ऊर्जा बनाए रखता है।

इन लाभों के कारण मिश्री और सौंफ का मिश्रण भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है और इसे विभिन्न प्रकार के भोजन के बाद सेवन किया जाता है।

हमारी कई आदतें ऐसी हैं जिनके दुष्प्रभावों के कारण आप समय से पहले बूढ़ा दिखने लगते हैं? 30 की ही उम्र में आप 50 की आयु वालों जैसे हो सकते हैं?
उम्र बढ़ना प्रकृति का नियम है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है, त्वचा से लेकर पूरे शरीर पर इसका असर दिखना शुरू हो जाता है। 50 की उम्र आते-आते त्वचा की कसावट कम होने लगती है, चेहरे पर झुर्रियां हो जाती हैं, बाल सफेद होने लगते हैं, मसलन आप बूढ़े दिखने लगते हैं। इसे रोका नहीं जा सकता है पर जीवनशैली के कुछ उपाय हैं जो इन लक्षणों को कुछ साल के लिए आगे बढ़ा सकते हैं।

पर क्या आप जानते हैं कि हम रोजाना कई ऐसे काम करते हैं, हमारी कई आदतें ऐसी हैं जिनके दुष्प्रभावों के कारण आप समय से पहले बूढ़ा दिखने लगते हैं? 30 की ही उम्र में आप 50 की आयु वालों जैसे हो सकते हैं?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जल्दी बूढ़ा दिखने से बचना चाहते हैं तो जरूरी है कि इसके लिए निरंतर प्रयास किए जाते रहें। हमारी जीवनशैली की कई चीजें न सिर्फ लाइफ एक्सपेक्टेंसी को कम कर रही हैं साथ ही शरीर को इस तरह से प्रभावित करती हैं जिससे कम उम्र में ही बूढ़े दिखने लग सकते हैं।

आप कितने स्वस्थ हैं, कैसे दिखते हैं इन सभी के लिए आहार का स्वस्थ और पौष्टिक रहना सबसे आवश्यक माना जाता है। अनियमित और अस्वास्थ्यकर आहार कई प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकते हैं जिससे आप कम उम्र में ही बुढ़ापे का शिकार हो सकते हैं। आहार में गड़बड़ी मोटापे, मधुमेह, और हृदय रोग का कारण बन सकती है, जिसका सीधा असर आपकी त्वचा पर दिखने लगता है। इसलिए संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें। फलों, सब्जियों, अनाज और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ आपको स्वस्थ और जवां बनाए रखने में सहायक हैं।

धूम्रपान और अल्कोहल दो ऐसी आदतें हैं जिनसे हमारी सेहत को अनगिनत नुकसान हो सकते हैं। धूम्रपान त्वचा को नुकसान पहुंचाता है, हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर का जोखिम बढ़ाता है। इसी तरह से अल्कोहल के कारण लिवर को क्षति होती है और त्वचा कोशिकाएं अस्वस्थ होने लगती हैं।जो लोग धूम्रपान और अल्कोहल पीते हैं उनके समय से पहले बूढ़ा दिखने का खतरा, इनका सेवन न करने वालों की तुलना में कहीं ज्यादा होता है। शारीरिक गतिविधि की कमी जैसे लंबे समय तक बैठे रहने, व्यायाम की कमी और कम चलने की आदत कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों की प्रमुख वजह मानी जाती है। इससे मोटापा, हृदय रोग, और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। ये बीमारियां शरीर को अंदर-अंदर खोखला बनाती जाती हैं जिसका असर आपकी लुक पर भी दिखने लगता है।

यही कारण है कि  नियमित योग-व्यायाम करने वाले लोग ज्यादा स्वस्थ और जवां बने रहते हैं। हर दिन कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि जैसे कि चलना, साइकिलिंग, दौड़ना, योग या व्यायाम करना बहुत महत्वपूर्ण है।

बहुत अधिक तनाव मानसिक और शारीरिक समस्याओं दोनों का कारण बन सकती है। तनाव के कारण स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल रिलीज होता है जो न सिर्फ कई बीमारियों के जोखिमों को बढ़ा देता है साथ ही इससे आपकी त्वचा पर भी नकारात्मक असर हो सकता है। ध्यान, योग, और मानसिक आराम के अन्य तरीके अपनाएं। गड़बड़ आदतों से बचाव करके आप न केवल अपनी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं, बल्कि एक स्वस्थ और लंबा जीवन भी जी सकते हैं।

note: स्ट्रीट बज लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
क्या आप जानते हैं किस ब्लड ग्रुप वालों को हृदय रोग और कैंसर का कम होता है खतरा

हमारे पूरे शरीर को ठीक तरीके से काम करते रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में रक्त की आवश्यकता होती है। रक्त कोशिकाओं के ही माध्यम से शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन का संचार होता है। हमारे खून में कई तरह कोशिकाएं होती हैं और इनके कार्य भी काफी महत्वपूर्ण हैं। जैसे लाल रक्त कोशिकाएं शरीर के विभिन्न ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचाती हैं, श्वेत रक्त कोशिकाएं संक्रमण की स्थिति में रोगजनकों को नष्ट करती हैं। खून के मामले में इसके समूहों (ब्लड ग्रुप) की भी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।

अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि हमारा ब्लड ग्रुप इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर कौन से एंटीजन हैं? कुछ खास ब्लड ग्रुप वाले लोगों में विशेष क्वालिटी हो सकती है। जैसे एक अध्ययन  में शोधकर्ताओं ने बताया कि जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ओ होता है, वह अन्य ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में अधिक जाते हैं। ऐसे लोगों में कई तरह की क्रोनिक और गंभीर बीमारियों का जोखिम कम पाया गया है। क्या आपका भी 'ब्लड ग्रुप ओ' है? ब्लड ग्रुप मुख्यरूप से चार प्रकार का- ए, बी, एबी और ओ होता है। ब्लड ग्रुप ओ को यूनिवर्सल डोनर भी माना जाता है। यानी कि इस ब्लड ग्रुप वाले लोग किसी दूसरे ब्लड ग्रुप वाले लोगों को रक्तदान कर सकते हैं। दुर्घटनाओं के समय जब समान ब्लड ग्रुप नहीं मिल पाता है तो ब्लड ग्रुप ओ वाला रक्त देकर किसी भी रोगी की जान बचाई जा सकती है।

इसके अलावा अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों में अन्य की तुलना में कोलेस्ट्रॉल, पेट के कैंसर, तनाव सहित कई प्रकार की बीमारियों का खतरा भी कम होता है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के विशेषज्ञों ने एक अध्ययन में पाया क टाइप ए, टाइप बी या टाइप एबी रक्त वाले लोगों में ब्लड ग्रुप ओ वाले लोगों की तुलना में दिल का दौरा पड़ने या हार्ट फेलियर की आशंकाअधिक होती है। ओ ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में ब्लड ग्रुप ए या बी में दिल का दौरा पड़ने का जोखिम 8%  और हार्ट फेलियर का जोखिम 10% अधिक था। शोधकर्ताओं ने बताया कि अध्ययन में टाइप ए और बी लोगों में डीप वेन थ्रोम्बोसिस विकसित होने की आशंका 51% अधिक थी जो रक्त के थक्के बनाने का कारण बनते हैं और हार्ट फेलियर के जोखिमों को भी बढ़ा सकते हैं। ब्लड ग्रुप ओ वालों में इसका जोखिम कम देखा गया।

एक अन्य अध्ययन में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि ब्लड ग्रुप ओ वाले लोगों को कई प्रकार के कैंसर का भी जोखिम कम हो सकता है। ब्लड ग्रुप ए, एबी और बी वाले लोगों में ओ ब्लड ग्रुप की तुलना में पैट के कैंसर का अधिक जोखिम देखा गया हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि एच. पाइलोरी संक्रमण ए रक्त समूह वाले लोगों में अधिक आम है। यह एक बैक्टीरिया है जो आमतौर पर पेट में पाया जाता है और यह सूजन और अल्सर का कारण बन सकता है।

इसी तरह से टाइप ए और बी वालों में एच. पाइलोरी बैक्टीरिया आंतों में भी देखे गए हैं, इससे अग्नाशय कैंसर होने की आशंका भी अधिक हो सकती है। पेन मेडिसिन के हेमेटोलॉजिस्ट डॉ. डगलस गुगेनहेम कहते हैं, ब्लड ग्रुप ओ वाले लोगों के पास वरदान जैसा कुछ होता है जो उन्हें कई बीमारियों से बचाकर लंबी आयु प्रदान कर सकता है। ब्लड ग्रुप ओ वाले लोगों का मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का जोखिम भी कम देखा जाता रहा है। अध्ययन में पाया गया कि टाइप ए ब्लड वाले लोगों के शरीर में कॉर्टिसोल (स्ट्रेस हार्मोन) का स्तर अधिक होता है, जबकि टाइप ओ वाले लोगों में कॉर्टिसोल की मात्रा सबसे कम पाई गई है। जब एड्रेनल ग्रंथि रक्त में अधिक मात्रा में कॉर्टिसोल रिलीज करती है तो लोगों की तनाव की समस्या अधिक होती है। ब्लड ग्रुप ओ वाले लोगों को इससे भी सुरक्षित पाया गया है।

स्ट्रीट बज लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
बरसात के पानी में भीगने से स्किन पर हो रही है खुजली और फोड़े,तो नहाने के पानी में मिलाए ये चीज मिलेगी राहत

बारिश में भीगने के बाद स्किन पर खुजली और फोड़े की समस्या हो सकती है, जो अक्सर बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन के कारण होती है। इस समस्या से राहत पाने के लिए नहाने के पानी में नीम के पत्ते मिलाना बहुत फायदेमंद हो सकता है।

नीम में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो त्वचा के संक्रमण को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, यह खुजली और सूजन को कम करने में भी सहायक होता है।

इस्तेमाल करने का तरीका:

एक बर्तन में पानी गर्म करें।

इसमें कुछ नीम के पत्ते डालें और कुछ समय के लिए उबालें।

जब पानी ठंडा हो जाए तो इसे अपने नहाने के पानी में मिलाएं।

इस पानी से नहाएं और ध्यान रखें कि प्रभावित क्षेत्रों पर अच्छे से पानी डालें।

नियमित रूप से ऐसा करने से आपको राहत मिल सकती है। अगर समस्या बनी रहती है, तो डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।

हेल्थ टिप्स:खाना खाने के बाद सौंफ चबाने के कई फायदे,आईए जानते है।

सौंफ, एक ऐसा मसाला है जो भारतीय रसोई में आसानी से मिल जाता है। इसे खाने के बाद चबाने का चलन सदियों से चला आ रहा है। सौंफ न केवल स्वाद में अच्छी होती है, बल्कि इसके अनेक स्वास्थ्य लाभ भी हैं। आइए जानते हैं, खाना खाने के बाद सौंफ चबाने के कुछ प्रमुख फायदे:

1. पाचन तंत्र को सुधारता है

सौंफ में पाए जाने वाले तेल पाचन तंत्र को उत्तेजित करते हैं और खाना पचाने में मदद करते हैं। यह गैस, अपच और पेट फूलने जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है।

2. मुंह की दुर्गंध दूर करता है

सौंफ का ताज़ा और मिठा स्वाद मुंह की दुर्गंध को दूर करने में मदद करता है। इसे चबाने से मुंह में ताजगी बनी रहती है और बैक्टीरिया का सफाया होता है।

3. ब्लड प्रेशर नियंत्रित करता है

सौंफ में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायक होती है। यह रक्त वाहिनियों को फैलाकर रक्त प्रवाह को सही दिशा में बनाए रखती है।

4. इम्यूनिटी बढ़ाता है

सौंफ में विटामिन सी और अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इससे संक्रमण से लड़ने की शक्ति बढ़ती है।

5. वजन घटाने में सहायक

सौंफ के नियमित सेवन से मेटाबॉलिज्म तेज होता है, जिससे कैलोरी बर्न होती है और वजन घटाने में मदद मिलती है। यह भूख को भी नियंत्रित करता है जिससे आप ओवरईटिंग से बच सकते हैं।

6. हड्डियों को मजबूत बनाता है

सौंफ में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। यह हड्डियों के विकास और मजबूती के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है।

7. हार्मोन संतुलन

सौंफ में फाइटोएस्ट्रोजेन होते हैं जो हार्मोन संतुलन में मदद करते हैं, विशेष रूप से महिलाओं के लिए यह फायदेमंद है। यह मासिक धर्म की समस्याओं और रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करने में सहायक होती है।

निष्कर्ष

सौंफ के सेवन से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जो इसे रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। इसे अपनी डाइट में शामिल करके आप न केवल अपने पाचन तंत्र को स्वस्थ रख सकते हैं, बल्कि अन्य कई बीमारियों से भी बच सकते हैं। तो अगली बार खाना खाने के बाद एक मुट्ठी सौंफ चबाना न भूलें।

आंखो की थकान दूर करने के लिए करे ये एक्सरसाइज मिलेगी राहत

आंखों की थकान आजकल एक आम समस्या बन गई है, खासकर उन लोगों के लिए जो लंबे समय तक कंप्यूटर, मोबाइल या टीवी स्क्रीन के सामने रहते हैं। आंखों की थकान से सूजन, दर्द, और धुंधलापन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इससे बचने के लिए और अपनी आंखों को स्वस्थ रखने के लिए, यहां तीन आसान एक्सरसाइज बताई जा रही हैं जिन्हें आप रोज कर सकते हैं:

1. पामिंग एक्सरसाइज

कैसे करें:

अपनी आंखों को बंद करें और आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं।

अपने हाथों को रगड़ें जब तक वे गर्म न हो जाएं।

अब अपनी हथेलियों को धीरे-धीरे आंखों पर रखें, ध्यान रहे कि कोई दबाव न बने।

कुछ मिनट तक आंखों को अंधेरे में रखें और आराम महसूस करें।

यह एक्सरसाइज आंखों की मांसपेशियों को आराम देती है और थकान को दूर करती है।

2. 20-20-20 नियम

कैसे करें:

हर 20 मिनट पर अपने काम से ब्रेक लें।

20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखें।

यह नियम आपकी आंखों को ताजगी देता है और लंबे समय तक स्क्रीन देखने से होने वाले तनाव को कम करता है।

इस प्रक्रिया को दिन भर में कई बार दोहराएं।

3. आंखों का घूमना (Eye Rolling)  

कैसे करें:

सीधे बैठें और अपनी आंखें बंद करें।

अपनी आंखों को पहले घड़ी की दिशा में 10 बार घुमाएं।

फिर आंखों को उल्टी घड़ी की दिशा में 10 बार घुमाएं।

इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार दोहराएं।

यह एक्सरसाइज आंखों की मांसपेशियों को मजबूती देती है और थकान को कम करती है।

इन सरल एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या में शामिल करके, आप आंखों की थकान से राहत पा सकते हैं और सूजन और दर्द में भी आराम महसूस कर सकते हैं। 

इसके अलावा, पर्याप्त नींद लेना, स्वस्थ आहार का सेवन करना, और समय-समय पर आंखों की जांच कराना भी जरूरी है।

रोजाना अंकुरित अनाज खाने के होते है कई फायदे,आइए जानते है एक्सपर्ट से अगर एक महीने अंकुरित अनाज का सेवन करे तो सेहत पे कैसा दिखता है असर


अनाज हमारी डाइट का अहम हिस्सा है जिसका सेवन हम दिन भर के खाने में तीन बार करते हैं। अनाज कृषि उत्पाद होते हैं जिसे पेड़-पौधों से हासिल किया जाता है। अनाज में हम दालें, गेहूं, मक्का, चावल, जौ, बाजरा,जई, राई और ट्रिटिकेल का सेवन करते हैं। अनाज का सेवन अगर साबुत अनाज के रूप में किया जाए तो सेहत को बेहद फायदा होता है।

अनाज का सेवन अगर स्प्राउट के रूप में किया जाए तो सेहत को कई तरह के फायदे होते हैं। आप जानते हैं कि एक महीने तक अनाज का सेवन अंकुरित करके करने से वो और भी ज्यादा पौष्टिक हो जाता है।

भारतीय योग गुरु, लेखक, शोधकर्ता और टीवी पर्सनालिटी डॉक्टर हंसा योगेंद्र (Hansa Yogendra) ने बताया स्प्राउट अनाज में एंजाइम एक्टिवेट हो जाते हैं और उसका असर हमारे पाचन पर भी पड़ता है। अगर रोजाना एक महीने तक इस तरह अनाज का सेवन किया जाए तो पाचन से लेकर डायबिटीज तक कंट्रोल रहती है। 

आइए जानते हैं कि अनाज का सेवन एक महीने तक स्प्राउट के रूप में करने से बॉडी को कौन-कौन से फायदे होते हैं और कौन से अनाज का सेवन स्प्राउट के रूप में कर सकते हैं।

स्प्राउट अनाज का पाचन पर असर

अनाज का सेवन अगर स्प्राउट के रूप में किया जाए तो उसे पचाना आसान होता है। इस अनाज को स्प्राउटिड करके खाने से ग्लूटेन और फाइटिक एसिड जैसे कठिन कॉम्पोनेंट को आसानी से तोड़ने में मदद मिलती है। इस अनाज का सेवन करने से पाचन दुरुस्त रहता है। गैस, कब्ज और एसिडिटी की परेशानी से राहत मिलती है।

डायबिटीज रहती है कंट्रोल

अगर अनाज का सेवन स्प्राउट के रूप में किया जाए तो डायबिटीज को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। स्प्राउट किया हुआ अनाज बॉडी में धीरे-धीरे टूटता है और धीमी गति से बॉडी में ग्लूकोज को रिलीज करता है। इस अनाज का सेवन करने से ब्लड शुगर का अचानक से बढ़ना कम हो जाता है।

वजन रहता है कंट्रोल

स्प्राउट अनाज का सेवन करने से वजन कंट्रोल रहता है। स्प्राउट अनाज में प्रोटीन ज्यादा होता है जो वजन को कम करने में मदद करता है। स्प्राउट में मौजूद फाइबर पेट को लम्बे समय तक भरा रखता है और वजन को आसानी से कंट्रोल करता है।

कोलेस्ट्रॉल होता है कंट्रोल

एक कटोरी स्प्राउट अनाज में 0.38 ग्राम वसा होती है जो बहुत कम होती है। कम वसा और ज्यादा प्रोटीन वाला अंकुरित अनाज बॉडी में जरूरी पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है, कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है और दिल को हेल्दी रखता है।

कौन-कौन से अनाज को स्प्राउट कर सकते हैं?

स्प्राउट अनाज की प्रक्रिया बेहद आसान है। आप दालें, ब्राउन राइस,अल्फाल्फा, गेहूं, ब्राउन राइस, किनोवा और मूंग का सेवन आप स्प्राउट करके खा सकते हैं।

चेहरे पे जादुई निखार चाहिए तो सप्ताह में तीन बार लगाए ग्रीन टी का फेस पैक


ग्रीन टी से बना फेस पैक न सिर्फ आपकी स्किन पर होने वाली जलन या खुजली को दूर करता है, बल्कि इसे लगाने से पिंपल फ्री स्किन पाने में भी काफी मदद मिलती है। अगर आप भी त्वचा के ढीलेपन या मुंहासों से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो कुछ मामूली चीजों के साथ ग्रीन टी को मिलाकर इसका शानदार पैक तैयार कर सकते हैं। बता दें, यह आपको साफ, यंग और कोमल त्वचा दिलाने में भी काफी मदद कर सकता है। चलिए आपको बताते हैं इसे बनाने और इस्तेमाल करने का तरीका।

ग्रीन टी फेस पैक बनाने के लिए सामग्री

ग्रीन टी- 1 चम्मच दही- 1 चम्मच शहद- 1 चम्मच

ग्रीन टी फेस पैक बनाने की विधि

ग्रीन टी फेस पैक बनाने के लिए सबसे पहले एक बाउल में 1 ग्रीन टी बैग को काटकर डालें। इसके बाद इसमें एक चम्मच ठंडी दही भी डाल दें। फिर इसमें 1 चम्मच शहद भी एड करें। इसके बाद इन सारी चीजों को अच्छी तरह एक साथ मिलाकर पेस्ट बना लें। बस तैयार है आपका ग्रीन टी फेस पैक।

ग्रीन टी फेस पैक का ऐसे करें इस्तेमाल

ग्रीन टी फेस पैक को लगाने के लिए सबसे पहले चेहरे को धोकर अच्छी तरह पोंछ लें। इसके बाद चेहरे और गर्दन पर इस तैयार पैक को अच्छे से लगा लें। फिर इस फेस पैक को तकरीबन 15-20 मिनट तक ड्राई होने दें। इसके बाद अपने ठंडे पानी से चेहरे को धोकर साफ कर लें। फिर आखिर में अपने फेस पर कोई मॉइश्चराइजर जरूर लगाएं।

सावन में क्यों नहीं खाना चाहिए मांस ये सिर्फ आस्था है या इसके पीछे हैं कोई वैज्ञानिक कारण आइए जानते है...


दिल्ली:- सावन का महीना चल रहा है अभी शिवालयों में हर सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ महाकाल को जल चढ़ाने के लिए पहुंच रही है । बाकी पंथ को मानाने वाले लोगों के लिए यह सिर्फ एक मानसूनी मौसम है लेकिन सनातनियों के लिए यह भगवान शिव को समर्पित माह है।

आपने बहुत से लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि 'चलो आज टंगड़ी चबा लेते हैं क्योंकी कल से सावन शुरू होने वाला है' बहुत से लोग सावन मास में मांस और मदिरा का त्याग कर देते हैं और उनके हिसाब से यही त्याग उनकी आस्था का प्रतीक है.

लोगों को लगता है कि सावन के महीने में मांस-मदिरा का सेवन इसी लिए नहीं करना चाहिए क्योंकी यह माह भगवान शिव की अर्चना के लिए होता है. ऐसा लॉजिक देने वालों को यह मालूम नहीं होता कि वो शिव की पूजा 12 महीने कर सकते हैं. शिव को अगर आपके मांस खाने से आपत्ति है तो वह बाकी महीनों में भी रहेगी।

देखा जाए तो सावन के महीने में मांस का त्याग करना आस्था से अधिक वैज्ञानिक है. आस्था अपनी जगह है और विज्ञान अपनी जगह. कहा जाता है कि सावन में पाचन शक्ति भी कमजोर होने लगती है और मांस पचने में समय लगता है, अगर सही समय पर मांस नहीं पचता है तो वो आंतो में सड़ने लगता है जो फ़ूड पॉइजनिंग का कारण बनता है. इस मौसम में सूर्य का प्रकाश भी कम पड़ता है इसी लिए चीज़ें जल्दी खराब होने लगती हैं.

वातावरण में कीड़े-मकोड़ों की तादात बढ़ जाती है, कई विषैले कीट पैदा होते हैं. वो घांस-फूस के माध्यम से भेड़-बकरियों के शरीर में जाकर उन्हें बीमार कर देते हैं, मांस के लिए इस्तेमाल होने वाले पक्षी जैसे मुर्गा, बत्तख, तीतर भी बीमार पड़ने लगते हैं. इसी मौसम में बर्ड फ्लू फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।

बीमार जानवर का मांस खाना इंसान के लिए जहर सामान होता है. इसी महीने में मछलिया अंडे देती हैं, उनके शरीर में हार्मोनल बदलाव होता है, वो बीमार भी पड़ती हैं. इसी लिए मछली का मांस भी नहीं खाना चाहिए मुर्गी के अंडों से भी परहेज करना चाहिए।

अगर मन में बार-बार नकारात्मक विचार आते हैं और आप परेशान रहते हैं तो इन उपायों को अपनाकर आप नेगेटिव विचार से हो सकते है दूर

नकारात्मक विचार हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। जीवन में उतार चढ़ाव आते ही रहते हैं. कभी अच्छा समय होता है और कभी थोड़ा कम अच्छा. ऐसे में मन में पॉजिटिव और नेगेटिव विचार आते हैं. पोजिटव विचार से आप प्रेरित होते हैं लेकिन नेगेटिव विचार आपको परेशान कर सकते हैं. ऐसे में मन में तरह-तरह की बातें आने लगती हैं और निराशा की भावना घर करने लगती है. आइए जानते हैं जब किसी कारण से मन में नेगेटिव विचार आ रहे हों तो इन्हें नियंत्रित करने और सकारात्मक जीवन जीने के लिए कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं:

1. ध्यान और योग:

ध्यान और योग मानसिक शांति प्राप्त करने के प्रभावी तरीके हैं। प्रतिदिन कुछ समय निकालकर ध्यान और योग करने से मानसिक तनाव कम होता है और नकारात्मक विचार दूर रहते हैं। श्वास-प्रश्वास पर ध्यान केंद्रित करके मन को शांत करना सरल और प्रभावी उपाय है।

2. सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताएं:

सकारात्मक सोच वाले लोगों के साथ समय बिताने से आपकी सोच पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे लोग आपको प्रेरित करते हैं और आपकी ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं। इसलिए, अपने समय का अधिकतर हिस्सा उन लोगों के साथ बिताएं जो आपको खुश रखते हैं और प्रेरणा देते हैं।

3. आत्म-संवाद को सुधारें:

आत्म-संवाद यानी स्वयं से बातचीत करने का तरीका बदलें। जब भी नकारात्मक विचार आएं, उन्हें सकारात्मक विचारों से बदलने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए, "मैं यह नहीं कर सकता" को "मैं यह कर सकता हूं" में बदलें। सकारात्मक आत्म-संवाद से आत्मविश्वास बढ़ता है और नकारात्मक विचार कम होते हैं।

4. रचनात्मक कार्यों में समय बिताएं:

रचनात्मक गतिविधियों में समय बिताने से मन को व्यस्त और सकारात्मक बनाए रखा जा सकता है। संगीत सुनना, पेंटिंग करना, किताबें पढ़ना, या किसी नई कला को सीखना नकारात्मक विचारों को दूर रखने में मदद करता है। ये गतिविधियाँ मन को प्रसन्नता देती हैं और तनाव को कम करती हैं।

5. शारीरिक गतिविधियों में भाग लें:

नियमित शारीरिक व्यायाम न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। व्यायाम करने से मस्तिष्क में एंडोर्फिन नामक रसायन का स्त्राव होता है जो मूड को बेहतर बनाता है और नकारात्मक विचारों को दूर करता है। दौड़ना, तैराकी, या किसी भी प्रकार की खेल गतिविधि में भाग लें।

निष्कर्ष:

नकारात्मक विचारों को नियंत्रित करने और सकारात्मक जीवन जीने के लिए ध्यान, योग, सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताना, आत्म-संवाद सुधारना, रचनात्मक कार्यों में समय बिताना और शारीरिक गतिविधियों में भाग लेना बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन उपायों को अपनाकर आप मानसिक शांति और खुशहाल जीवन प्राप्त कर सकते हैं।