प्रकृति-आधारित उनकी जीवनशैली व आजीविकाओं की रक्षा के लिए राज्य सरकार व भागीदारों के साथ मिलकर ‘सुरक्षित हिमालय पहल’ शुरू की है
भारत में यूएनडीपी, वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF), सिक्किम सरकार के साथ मिलकर, ‘सुरक्षित हिमालय पहल’ के ज़रिए, स्थाई प्रकृति-आधारित आजीविका का पालन करने वाले समुदायों को समर्थन दे रहे हैं.
MLAS व यूएनडीपी जैसे संगठनों के साथ साझेदारी के ज़रिए, लेप्चा समुदाय के लोगों को अपनी पारम्परिक आजीविका से मिलने वाले आर्थिक लाभ को बढ़ाने के उपाय इस्तेमाल किए जा रहे हैं.
क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली जंगली घास - हिमालयन बिछुआ बूटी से प्राप्त रेशों का प्रसंस्करण, इस पहल के हिस्से के रूप में किया जा रहा है. इससे सूत बनाने के पारम्परिक तरीक़ों में बहुत समय और मेहनत लगती है.
ऐसे में, इस परियोजना के तहत विशेषज्ञों की मदद से, समुदाय के सदस्यों को जंगल से बिछुआ पौधों की कटाई के बेहतर तरीक़ों पर प्रशिक्षित किया जा रहा है. हाथ से कच्चे रेशे का सूत कातने में लगने वाली मेहनत को कम करने के लिए, नेपाल से मशीनों का आयात किया गया है.
समुदाय के सदस्य, बिच्छुआ घास के रेशों को नदी में धो रहे हैं. इनसे कपड़ा निर्माताओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बिछुआ फाइबर का उत्पादन किया जाता है.
सिक्किम के एक बुटीक फैशन ब्रांड -ला डिजिंग्स की मालिक सोनम ताशी ग्यालत्सेन कहती हैं, "बिछुआ के रेशों से बने उत्पादों की अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार में बहुत मांग है, और उनकी अच्छी क़ीमत मिलती है. बिछुआ के रेशों से बने, एक मीटर सूत के कपड़े की क़ीमत लगभग 20 अमेरिकी डॉलर है, जबकि समान मात्रा में कपास के रेशों की क़ीमत केवल 1 डॉलर होती है. इसलिए, आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर हम उच्च गुणवत्ता वाले रेशों का उत्पादन करने में सक्षम हो सकें, तो यहाँ के समुदायों को कितना आर्थिक फ़ायदा हो सकता है.”
ला डिजिंग्स, ‘नेटल फाइबर’ के उत्पाद बनाकर, लन्दन और न्यूयॉर्क जैसे देशों को निर्यात करता है. प्रशिक्षण के परिणामस्वरूप, ला डिजिंग्स को अब समुदाय से उच्च गुणवत्ता वाले बिछुआ रेशे प्राप्त हो रहे हैं.
इसके अलावा, परियोजना के तहत, लेप्चाओं के साथ मिलकर, जैव विविधता के समुदाय-आधारित प्रबन्धन पर काम किया जा रहा है. परियोजना के हिस्से के रूप में, सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एक ग्रामीण स्तर की संस्था, जैव विविधता प्रबन्धन समिति (बीएमसी) की भी स्थापना की गई है. इस समिति के माध्यम से, क्षेत्र में स्थित समुदायों के समस्त जैविक संसाधनों की सूची बनाई जाती है, ताकि उनका निरन्तर उपयोग और प्रबन्धन किया जा सके.
Jul 16 2024, 06:39