पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत के करीब आए खाड़ी देश, रिपोर्ट में खुलासा
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खाड़ी देशों के साथ भारत के संबंध हाल के कुछ सालों में काफी मजबूत हुए हैं। 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्तृत्व वाली सरकार अपने कार्यकाल में खाड़ी देशों के बीच संबंधों को नई ऊंचाई देने का प्रयास किया।कहा जाए कि अरब देशों के साथ भारत के रिश्ते अबतक के अपने सबसे ऊंचे मुकाम पर हैं तो ये भी गलत नहीं होगा। ऐसा नहीं कि सिर्फ भारत ही खाड़ी देशों के साथ मजबूत रिश्तों के लिए एक्टिव दिख रहा। गल्फ देश भी इन रिश्तों को एक नई ऊंचाई तक ले जाने को लालायित नजर आ रहे। इस बीच इटली के इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल पॉलिटिकल स्टडीज (आईएसपीआई) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भी कुछ सा ही दावा किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के कार्यभार संभालने के बाद भारत के खाड़ी के देशों के साथ रिश्ते पूरी तरह से बदल गए हैं। खाड़ी के देश अब भारत की विदेश नीति और सुरक्षा नीति में प्राथमिकता पर आ गए हैं। खाड़ी के देशों में बहरीन, कुवैत, इराक, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।
आईआईएसएस में दक्षिण और मध्य एशियाई रक्षा, रणनीति और कूटनीति के रिसर्च फेलो विराज सोलंकी ने आईएसपीआई के लिए रिपोर्ट में लिखा है कि खाड़ी भारत के लिए एक विदेश और सुरक्षा नीति प्राथमिकता बन गई है, जिसमें नई दिल्ली की भी रुचि और प्रभाव बढ़ रहा है। इससे पहले, यह संबंध केवल ऊर्जा, व्यापार और भारतीय प्रवासियों पर केंद्रित था, लेकिन अब यह संबंध राजनीतिक संबंधों, निवेश और रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को शामिल करते हुए एक नए ढांचे में विकसित हो गया है। आज, भारत की प्राथमिकताओं में आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए निवेश आकर्षित करना, क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं (अरब सागर और खाड़ी सहित) को संबोधित करना और अपनी क्षेत्रीय उपस्थिति और प्रभाव को बढ़ाना शामिल है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अगस्त 2015 में मोदी की यूएई यात्रा 34 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यूएई की पहली यात्रा थी, जबकि अगस्त 2019 में उनकी बहरीन यात्रा किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। ऊर्जा, व्यापार और भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना पारंपरिक रूप से भारत-खाड़ी संबंधों के प्रमुख घटक रहे हैं। खाड़ी स्थिरता में भारत की बड़ी हिस्सेदारी है, क्योंकि इस क्षेत्र में लगभग 8.8 मिलियन भारतीय नागरिक रहते हैं।
खाड़ी क्षेत्र में भारत के बढ़ते रणनीतिक और आर्थिक हितों के परिणामस्वरूप निवेश, राजनीतिक संबंधों और रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर आधारित भारत-खाड़ी संबंधों के लिए एक नई रूपरेखा तैयार हुई है। भारत में खाड़ी देशों के बढ़ते निवेश के कारण भारत और खाड़ी देशों के बीच आर्थिक सहयोग तेज हुआ है। खाड़ी देशों के संप्रभु-संपत्ति कोष और राज्य के स्वामित्व वाले उद्यम भारत में पूंजी निवेश करना जारी रखते हैं। सबसे विशेष रूप से, भारत के तेजी से आकर्षक आर्थिक बाजार बनने के साथ, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने भारत में क्रमशः $100 बिलियन और $75 बिलियन के निवेश लक्ष्य की घोषणा की थी। संयुक्त अरब अमीरात भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सातवां सबसे बड़ा स्रोत है, वर्तमान में $15.3 बिलियन है। मार्च 2022 तक सऊदी अरब ने 3.2 बिलियन डॉलर का निवेश किया था, जबकि कतर ने पिछले साल 1.5 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया था।
भारत, इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकॉनोमिक कॉरिडोर (IMEC) में भी शामिल है। संयुक्त अरब अमीरात के साथ मिलकर तो भारत आतंकरोधी सुरक्षा सहयोग, मेरीटाइम सिक्योरिटी और नौसैन्य सहयोग भी बढ़ा रहा है।
आईएसपीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के लिए खाड़ी के देशों में चुनौतियां भी बढ़ी हैं। खासकर इस्राइल-हमास युद्ध के बाद से अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट पर लगातार हमले हो रहे हैं, जिसका असर भारत के आर्थिक विकास पर भी पड़ा है। साथ ही चीन भी लगातार खाड़ी के देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में अब मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में भी सरकार की कोशिश होगी कि खाड़ी के देशों के साथ संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जाए।
Jun 21 2024, 09:02