संपादकीय: क्या 7 वीं की छात्रा मनीषा का पूर्व सीएम हेमन्त सोरेन के नाम मार्मिक पत्र उनके पॉजिटिव काम का इफेक्ट है......?
पलामू के सीएम ऑफ एक्सीलेंस स्कूल के 7 वीं क्लास की छात्रा मनीषा पांडेय ने पूर्व सीएम हेमन्त सोरेन के नाम एक खत लिखी जो काफी वायरल हो रहा है। उसका वह खत काफी भावुक अंदाज़ में लिखा गया जिसमें उसने लिखा कि आप थे तो हम छात्राओं में हौसला था।उम्मीद थी कि हमलोग पढ़ लेंगें। हमने अब रोना छोड़ दिया है।
कहने को तो यह एक छात्रा की भावुकता में लिखा गया पत्र लगता है, लेकिन उसके साथ हीं इस पत्र से राज्य के बच्चों की एक पीड़ा भी झलकती है कि पिछले 24 सालों में कई सरकारें आयी।लेकिन राज्य में शिक्षा व्यवस्था सुधार के लिए कुछ नही किया गया।
अगर सच कहें तो राज्य सरकार के सरकारी स्कूलों में जो शिक्षा व्यवस्था थी उसपर उस स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी भरोसा नही था।वे भी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजते हैं।जहां शिक्षा के नाम पर मोटी रकम की वसूली,तरह तरह के इवेंट के नाम पर अलग फीस ली जाती है।साथ ही फीस नही चुकता करने वाले बच्चों को जिस मानसिक प्रताड़ना से गुजड़ना पड़ता है उससे वे आत्म हत्या के लिए भी विवश हो जाते हैं।ऐसी कई घटनाएं सामने आई है।स्कूल संचालन करने वाले इतने रसूख वाले होते हैं जिनका इन घटनाओं के बाद बाल भी बांका नही होता है।
मनीषा ने प्राइवेट स्कूल का दर्द महसुस किया है। उसने खत में लिखा भी किस तरह प्राइवेट स्कूल से सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस तक का सफर तय की।उसने किस तरह देखा कि उसकी कुछ दीदी ने प्राइवेट स्कूल का फीस नही चुका पाने के कारण स्कूल छोड़ दी।और इन पीड़ा से गुजर रही मनीषा जैसी छात्राओं में सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस से एक उम्मीद जगी।
हेमन्त सोरेन के फोटो स्कूलों से हटाए जाने पर पीड़ा महसूस की ओर संवेदनाओं से वशीभूत इस तरह के पत्र लिख कर अपनी पीड़ा व्यक्त की।
अब हम बात करें इस बार पूर्ण बहुमत से आये हेमन्त सरकार के काम काज की तो पिछले 24 सालों से आये सभी सरकारों से वे ठीक जा रहे थे।
इसका दो कारण था। एक तो इतने दिनों से राजनीति के उठापटक और सियासत के मैदान में संघर्ष से एक परिपक्व राजनेता के रूप में उभर कर सामने आए थे। दूसरी बात मुख्यमंत्री बनने के बाद वे दिल्ली जाकर केजरीवाल मॉडल को भी समझने का प्रयास किया और शिक्षा , स्वास्थ्य जैसे बुनियादी व्यवस्था को बदलने के दिशा में काम करना शुरू किया।जिसके कारण यहां के प्रतिभाशाली बच्चों को उन्होंने सरकारी खर्च पर विदेश पढ़ने के लिए भेजा।सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनाकर एक मॉडल पर एक्सपेरिमेंट शुरू किया। और साथ हीं सरकार के विभिन्न योजनाओं को सीधे जनता तक पहुंचाने के लिए सरकार आपके द्वार कार्यक्रम की शुरुआत की।
हेमन्त सोरेन की सरकार ने राज्य की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने,स्थानीय उधोगो में 75 प्रतिशत स्थानीय युवाओं को रोजगार दिलाने,तथा रोजगार मेला लगाकर लोगों को ऑफर लेटर देकर उसे रोजगार उपलब्ध कराने जैसे कई पहल की सराहना की गई।
कुछ उनके करीबी,और कुछ अपनी राजनीति चमकाने में लगे लोगों ने1932 खतियान के नाम पर उन्हें सियासी पेंच में जरूर उलझाया, जिसको कई मौके पर हेमन्त सोरेन ने एक परिपक्व राजनेता के तरह अपने लोगों को समझाने का प्रयास भी किया कि यह व्यवहारिक नही है , आगे कानूनी पेंच में उलझ कर रह जाएगा,और ऐसा हुआ भी।
इसके वावजूद हेमन्त सोरेन एक मैच्यूओर नेता के रूप में उभर रहे आदिवासी युवक के रूप में झारखंड का बागडोर संभाला और वे बेहतर कर रहे थे।लेकिन सियासी भवँर में उन्हें उलझा कर सत्ता से बेदखल कर दिया गया। जिसका पीड़ा मनीषा जैसे छात्रा को भी है।
इसीलिए हेमन्त सोरेन की गिरफ्तारी,और मुख्यमंत्री परिवर्तन के बाद चम्पई सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद उक्त स्कूलों से पूर्व सीएम सोरेन की तस्वीर उतारी जा रही थी और उसके जगह चम्पई सोरेन का तस्वीर लगाया जा रहा था।
7 वीं की वह अबोध छात्रा यह नही जानती है कि हेमंत को क्यों मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा।वह यह भी नही जानती की उनकी गिरफ्तारी एक राजनीति का हिस्सा है या वास्तव में कथित घोटाले में उनकी कोई भूमिका है।
लेकिन वह सिर्फ यह जानती है कि उन्होंने यह स्कूल बनाया।और प्राइवेट स्कूल की फीस तथा अन्य खर्चों के बोझ तले दबे उनके अभिभावक इस स्कूल में भेज कर इस भार से मुक्त हुए।
जिससे वे प्रभावित थे और उसके लिए यह असहनीय था। क्योंकि मनीषा ने देखी थी कि उसकी कई सहेली इस कारण पढ़ाई छोड़ दी थी।कि उसके अभिभावक प्राइवेट स्कूल के भार नही उठा पाए।
इसी लिए मनीषा ने अपने पत्र में लिखी कि आप के लिए अब मैं नही रोउंगी। लेकिन आप थे तो हौसला था। पढ़ाई की हिम्मत बढ़ी थी। हमारे जैसे लड़कियां पढ़ पा रही थी। लेकिन स्कूल से आप का तस्वीर उतारा जा रहा है इसका दर्द हमें है।
एक बच्ची की इस भावना से स्वाभाविक तौर पर हेमन्त सोरेन की लोकप्रियता और उनके काम से पॉजिटिव इम्पेक्ट झलकता है।
पिछले 24 साल हो गए झारखंड अलग राज्य गठन का।सरकार भाजपा की भी रही जेएमएम की भी रही।लेकिन सच पूछिए तो जिस उम्मीद और आकांक्षाओं को लेकर इस क्षेत्र को बिहार से अलग कर एक अलग राज्य का दर्जा दिया गया था उस कसौटी पर कोई सरकार खड़ी नही उतरी।
पहली बार हेमंत सोरेन की सरकार कुछ खामियां को दरकिनार कर दें तो सही दिशा में जा रही थी।
फिलहाल मनीषा जैसे बच्ची के मार्मिक पत्र, आदिवासियों की सहानुभूति से हेमंत सोरेन का कद बरकरार है और अच्छे काम को जनता महसूस कर रही है।अब देखना है कि यह इफेक्ट अगले चुनाव में कितना काम आ सकता है....!
May 29 2024, 12:43