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धनबाद सिविल कोर्ट का बदला स्वरूप,किया गया आधुनिक उपकरणों से लैस,धनबाद से ही अधिवक्ता झारखंड हाईकोर्ट में कर सकेंगे बहस





धनबाद : सिविल कोर्ट धनबाद जहां रोजाना हजारों लोगों का आना-जाना होता है अब पूरी तरह से वतानुकूलित हो गया है । यही नहीं लोगों की सुविधा के लिए सारे आधुनिक व्यवस्थाएं भी की जा रही है । आने वाले समय में धनबाद से ही अधिवक्ता झारखंड उच्च न्यायालय में अपने मुकदमे में बहस कर सकेंगे और केस फाइल कर सकेंगे ऐसी व्यवस्था की जा रही है। सोलर पैनल के जरिए पूरे कोर्ट परिसर में विद्युत की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है । खूंटी, रामगढ़ के बाद धनबाद में भी सोलर पैनल के जरिए पूरे कोर्ट की विद्युत आपूर्ति की जा रही है । वहीं ऊर्जा मंत्रालय के द्वारा 500 केवीए का नया ट्रांसफार्मर लगाया गया है। दिव्यांगों,वरिष्ठ नागरिकों,वरिष्ठ वादकारियों, अधिवक्ताओं को कोर्ट रूम तक जाने के लिए व्हीलचेयर,अधिवक्ता, वादकारियों के लिए लिफ्ट की व्यवस्था अलग से की जा रही है ताकि किसी को न्यायिक प्रक्रिया में भाग लेने में किसी भी तरह की परेशानी का न करना पड़े। वादकारियों ,पोक्सो एक्ट के गवाहों के बैठने के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। पूरे परिसर में दिव्यांगो के लिए नए शौचालय का निर्माण कराया गया वहीं शीतल पेयजल की भी व्यवस्था की गई है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से सिविल कोर्ट में प्रवेश के लिए एक मुख्य गेट को ही खोला गया है जहां पुलिस बल के जवान आधुनिक उपकरणों से लैस रहते हैं सम्यक जांच के बाद ही किसी को अंदर जाने की इजाजत मिलती है। धनबाद के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राम शर्मा ने शनिवार को मीडिया से बात करते हुए उपरोक्त बातें बताई । उन्होंने कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय के निर्देश पर सिविल कोर्ट धनबाद का पूरी तरह से आधुनिकीकरण किया गया है। झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सह जोनल जज धनबाद रंगन मुखोपाध्याय से प्राप्त दिशा निर्देश पर ऊर्जा मंत्रालय झारखंड सरकार द्वारा सिविल कोर्ट धनबाद के भवन को पूरी तरह से वातानुकूलित बनाया गया है। पूरे कोर्ट भवन में कुल 169 वातानुकूलित मशीन लगाई गई है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम के अलावा हर एक कोर्ट रूम में अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए हैं जिसमें बिना असुविधा के सभी जगह से कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेल में बंद बंदियों की पेशी के अलावा,गवाही की जा रही है।दिव्यांग एवं बुजुर्ग लोगों, अधिवक्ताओं के लिए न्यायालय में लिफ्ट की व्यवस्था,शौचालय की व्यवस्था,की गई है। ई कोर्ट सर्विस के तहत कोर्ट के सभी मुकदमों के फाईलों को डिजिटिलाइजेशन किया जा रहा है। अदालत द्वारा मुकदमों मे पारित आदेशों, निर्णयों को वेबसाइट पर अपलोड किया जा रहा है ताकी वादकारियों , व अधिवक्ता अपने मुकदमे में पारित आदेशों को सुलभता से जान सके और मुकदमे की अद्धतन जानकारी प्राप्त कर सके। कोर्ट परिसर में ई - सेवा केंद्र बनाया गया है जहां मुकदमों से संबंधित जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जल्द ही झारखंड हाई कोर्ट का एक्सटेंशन काउंटर यहां काम करना शुरू करेगा जहां से अधिवक्ता हाई कोर्ट में अपने मुकदमे मे बहस कर सकेंगे और यही से हाई कोर्ट में आवेदन दाखिल किए जा सकेंगे।न्यायालय भवनों का भी सौंदर्यीकरण किया गया है।
लगातार भाजपा के लिए हैट्रिक बना धनबाद लोकसभा सीट इस बार और क्यों है संकट में,पढ़िए पुरी खबर...?






कभी कभी जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वास,अभिमान लोगो को ले डूबता है।यही हाल है धनबाद लोकसभा क्षेत्र का। भाजपा के दबदबा वाले धनबाद लोकसभा क्षेत्र में इस बार भी भाजपा हैट्रिक लगा पायेगी या इस सीट को गवाना पड़ेगा यह सियासी गलियारी में चर्चा का विषय बना हुआ है।

भाजपा ने इस बार उम्र का हवाला देकर पीें एन सिंह का टिकट काट दिया और टिकट बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो को दिया। जब से ढुल्लू महतो को टिकट मिला तब से वे अपने हड़कतों और बड़बोलेपन के करण चर्चा में हैं जिसका मतदाताओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

यूँ तो ढुल्लू महतो के ऊपर लगभग दो दर्जन से अधिक अपराधिक मामले दर्ज़ हैं।जिसको लेकर भाजपा के एक कार्यकर्ता कृष्णा अग्रवाल ने भाजपा के वरीय अधिकारियो को पत्र लिखा था।इसके बाद कृष्णा अग्रवाल को धमकाना और इस प्रकरण में मामला दर्ज होना,जमशेदपुर विधायक सरयू राय का आना कई प्रकरण हुए जो ढुल्लू महतो के साथ भाजपा के टिकट वितरण करने वालों पर भी सवाल उठने लगा।

इस बींच ढुल्लू महतो ने अपरिपक्व मानसिकता का परिचय देते हुए कई ऐसे बयान दे डाले जिससे भाजपा के बड़े नेता के साथ आम कार्यकर्ता में भी आक्रोश है।जिसका चोट भाजपा के वोट बैंक पर पड़ेगा। ढुल्लू महतो ने विपक्ष पर कम अपने पार्टी के सांसद, विधायक पर हीं ज्यादा चोट करना शुरु कर दिया। सांसद पी एन सिंह,विधायक राज सिन्हा,पूर्व सांसद रबिन्द्र पांडेय पर ही ऐसा बयान दे डाला जो समझ से पड़े है।

ऐसा या तो अहंकारी व्यक्ति कर सकता है इस नादान। दूसरी तरफ कोंग्रेस प्रत्याशी अनुपमा सिंह है, जो समझदार,पढ़ी लिखी,संयमित भाषा का प्रयोग करने वाली एक सुलझी हुई महिला हैं।उनका छवि वेदाग और साफ सुथरा है।जानता से मिलती है।उनके हक और अधिकार की बात करती है। अब इस बार जानता इस् पर मंथन गंभीरता से मंथन कर रही है कि इस बार कौन...? एक अपराधिक रिकॉर्ड और अपने पार्टी के लोगों को भी नही बख्सने वाले दागदार सांसद या साफ सुथरी छवि वाली चेहरा।

वैसे भाजपा के प्रति लोगों में जरूर हमदर्दी है।पी एम मोदी के काम से लोग प्रभावित हैं,परन्तु एक ऐसा सांसद जो चुनाव जीतने से पहले अपना रंग दिखाना शुरु कर दे। यह उनका विकल्प हो या नही इस पर मतदाता कर रही है मंथन।
हजारीबाग में इस बार कौन..? चलेगा मोदी का जादू या , काम कर जाएगा यशवंत सिन्हा फैक्टर,पढ़िए पुरी खबर...?

झारखंड डेस्क

झारखंड में हज़ारीबाग लोकसभा सीट इस बार भाजपा बचा पायेगी या कोंग्रेस का इसपर होगा कब्ज़ा यह सियासी हलकों में चर्चा का विषय है। वैसे हज़ारीबाग लोकसभा सीट को अब तक भाजपा का में मना जाता रहा है।

 अस्सी के दशक से यहां भाजपा का व्यापक प्रभाव रहा है। राम मंदिर आंदोलन शुरू होने से पहले भी यहां बीजेपी का जनाधार मौजूद था। तब बिहार (राज्य के बंटवारे से पहले) की इस सीट पर सीपीआई की पकड़ भी काफी मजबूत थी।

1998 में पहली बार यहां से नौकरशाह से नेता बने यशवंत सिन्हा बीजेपी से जीते और तब से हजारीबाग लोकसभा सीट पार्टी के लिए उनके परिवार के नाम होकर रह गई। वे 1999 में भी जीते, लेकिन 2004 में सीपीआई के दिग्गज भुवनेश्वर प्रसाद मेहता के हाथों हार गए।

वैसे हजारीबाग का तीन बार यशवंत सिन्हा प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। सिन्हा अटल सरकार के में वित्त और विदेश मंत्री जैसी जिम्मेदारियां भी संभाल चुके हैं। 

लेकिन, 2014 में पार्टी ने उनके बेटे जयंत सिन्हा को टिकट दिया। वे मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त और नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री भी बनाए गए। 2019 में मोदी की दूसरी लहर में उनकी जीत का मार्जिन बढ़कर 4.79 लाख हो गया।

इस बार भाजपा ने मौजूदा सांसद का टिकट काट कर मनीष जायसाल पर दांव लगाया है।

इससे एक साल पहले ही यशवंत सिन्हा बीजेपी से निकल गये और पार्टी और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के कटु आलोचक बन गए। 2022 में राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद से वे टीएमसी में चले गए। बहरहाल, इस बार बीजेपी ने जयंत सिन्हा को टिकट नहीं दिया है।

भाजपा द्वारा मनीष जयसवाल को टिकट दिये जाने के बाद भाजपा से तीन टर्म बिधायक रहे जय प्रकाश भाई पटेल ने भाजपा को वाय-वाय कह दिया।और कोंग्रेस में शामिल हो गये।

कोंग्रेस ने हज़ारीबाग लोकसभा पर इसबार विधायक मनीष जायसवाल के खिलाफ ओबीसी नेता और मांडु के तीन बार के विधायक जय प्रकाश भाई पटेल को टिकट दिया है। ये मार्च में ही बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं। कोंग्रेस के पक्ष में यशवंत सिन्हा ने खुलकर कैम्पैनिंग की।अब यशवंत फैक्टर के बाद यह देखा जा रहा है की इस बार हज़ारीबाग के लिए कौन मज़बूत कैंडिडेट है।और जानता किसे चुन रही है ।इसके लिए हम जातीय आधार पर भी विश्लेषण करके निष्कर्ष निकाल सकते हैँ।

हजारीबाग लोकसभा सीट का जातीय समीकरण


हज़ारीबाग में कूल मतदाता 16,,64,,464 है।इसमें कुर्मी वोटर 15 प्रतिशत है।वहीं मुस्लिम और अन्य भाजपा विरोधी वोट का कुल प्रतिशत मिला दिया जाय 

और अगर इन समीकरण को देखा जाय तो हजारीबाग लोकसभा जेपी पटेल की दावेदारी मजबूत लगती है। क्योंकि, जायसवाल वैश्य समुदाय से आते हैं। 

लेकिन, तथ्य यह है कि इस क्षेत्र में भाजपा का संगठन काफी मजबूत है और यहां बीते करीब ढाई दशकों में जीतने वाले प्रत्याशी को सिर्फ जाति के आधार पर वोट पड़े हों, ऐसा नजर नहीं आता है।

कितना असरदार होगा यशवंत सिन्हा फैक्टर?


इस बार चर्चा का विषय यही है कि यहां यशवंत सिन्हा फैक्टर कितना असरदार साबित होगा? वैसे 3 अप्रैल को उन्होंने इंडिया ब्लॉक के प्रत्याशी को समर्थन देने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा, 'मैं हजारीबाग की जनता की भावनाओं के हिसाब से अभिभावक की भूमिका में आगे आया हूं। मैंने 40 वर्ष हजारीबाग में बिताए और सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया। मेरा एक ही लक्ष्य है कि क्षेत्र का विकास हो और मैं अपनी बची हुई ऊर्जा जेपी पटेल को जिताने में लगा दूंगा।'

जयंत बागी नहीं हुए हैं, लेकिन बीजेपी के लिए सक्रिय भी नहीं हैं जयंत सिन्हा को टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने कहा, 'मुझे निजी तौर पर मालूम नहीं कि जयंत को टिकट क्यों नहीं मिला, लेकिन अगर यह मेरी वजह से हुआ तो इसका मुझे अफसोस है।' वैसे एक्स पर जयंत सिन्हा ने बीजेपी के आधिकारिक उम्मीदवार को समर्थन किया है, लेकिन वह उनके लिए चुनाव अभियान से दूरी बनाकर रह रहे हैं।

इस बीच जयंत के बेटे और यशवंत के पोते आशिर सिन्हा कांग्रेस की एक रैली में नजर आए तो हल्ला मच गया कि वह पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं। हालांकि, बाद में इस तरह की खबरों को नकार दिया गया और कहा गया कि वह दादा के टीएमसी में होने की वजह से वहां इंडिया ब्लॉक के समर्थन के लिए पहुंचे थे।

दोनो कैंडिडेट की क्या है स्थिति..?


वैसे देखा जाय तो दोनो उम्मीदवार इस बार मज़बूत हैँ इस लिए होगा तो कांटे का संघर्ष।जेपी भाई पटेल दिग्गज नेता स्वर्गीय टेकलाल महतो के पुत्र हैं कुर्मी वोटरों के बीच उनका दबदबा है। मांडू से पिछले तीन टर्म से विधायक हैं।अगर ये सरे फैक्टर काम कर गया तो पेटल की स्थिति मज़बूत दिखती है।

लेकिन मनीष जयसवाल की छवि भी अच्छा है।वे सक्रिय विधायक रहे ।जनता के दुखदर्द् में शामिल होते रहे हैं।साथ ही उनके साथ मोदी फैक्टर है।मोदी के प्रभाव,भाजपा का वोट बैंक और उनका व्यक्तिगत प्रभाव के बीच अगर जातीय समीकरण आड़े नही आये तो मनीष जयसवाल भी जीत सकते हैं। वैसे टककर दिलचस्प है।लेकिन वोटरों के मिजाज कब किस धारा में बह जाय यह कहाना मुश्किल है।इस लिए इंतज़ार 4 जून का करना होगा।

झारखंड सरकार के मंत्री आलमगीर आलम ने मंत्री पद से दिया इस्तीफा, 6 साल के लिए कांग्रेस ने किया पार्टी से निष्कासित


झा.डेस्क

ईडी द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार हुए झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन को सौंप दिया है। 

उन्हें पार्टी से 6 सालों के लिए निष्कासित भी किया गया है। उनके इस्तीफा को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री ने उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने के लिए राज्यपाल को पत्र लिखा है। कुछ देर बाद इस पत्र के आलोक में राजभवन से आदेश भी जारी किया जाएगा।

ईडी ने टेंडर कमीशन घोटाले में आलमगीर आलम को समन जारी किया था

बता दें कि ईडी ने टेंडर कमीशन घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को समन जारी किया था और ईडी ने उन्हें 14 मई को ईडी की रांची स्थित जोनल कार्यालय में पूछताछ के लिए भी बुलाया था।

ईडी ने बरामद किया था 35 करोड़ से ज्यादा राशि

उनके निजी सचिव संजीव लाल की पत्नी रीता लाल को भी ईडी ने अपने कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया था। बता दें कि आलगीर आलम के निजी संजीव लाल व उनके नौकर जहांगीर आलम के ठिकानों से ईडी ने 35 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी बरामदगी की थी और इसके बाद से ही ईडी का शक आलमगीर पर गहरा गया।

एक कुशल गृहिणी से परिपक्व राजनीतिज्ञ बनी कल्पना सोरेन क्या दिशोम गुरु के राजनितिक विरासत को संभालने में सफल रही..?

झारखंड डेस्क

5 महीने पहले दिसंबर में जब रांची के मोरहाबादी मैदान में लगे सरस मेले में क्ल्पना सोरेन् अपनी सहेलियों के साथ शॉपिंग करने आई थीं, तो मीडिया के सवाल पर बेबाकी से उन्होने कहा था- “बाबा और माँ (ससुर शिबू सोरेन और सास रूपी सोरेन) की सेहत, पति हेमंत सोरेन का ख्याल और दोनों बच्चों की परवरिश में बिजी रहती हूं।फिलहाल राजनीति में जाने का कोई प्लान नहीं है।”

लेकिन परिस्थिति बदली पति को झारखंड के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देकर जेल जाना पड़ा।ईडी ने शिकंजा कसा और वे नय्यायिक लड़ाई लड़ रहे हैं।इस ईडी के कंधे पर परिवार के साथ राजनीति और ससुर एवं पति से मिली विरासत में पार्टी को भी संभालना पड़ा। अब कल्पना सोरेन गांडेय उपचुनाव के जरिए चुनावी राजनीति में एंट्री ले रही हैं। मीडिया के उसी सवाल पर आज कल्पना सोरेन एक मंजे हुए राजनीतिज्ञ की तरह कहती हैं कि अपने परिवार के साथ उन्हें झारखंड की 3 करोड़ जनता की भी फिक्र करनी है। 

चुनाव के इस मौसम में उनके दिन की शुरुआत कार्यकर्ताओं के साथ बैठक से होती है। वे पूरे झारखंड का दौरा करती हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ-साथ सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के लिए वोट मांगती हैं और जनसंपर्क के लिए गांव-गांव तक पहुंच जाती हैं।

अपनी चुनावी सभा में जब कल्पना सोरेन जनता से बात करती हैं, तो उनमें ससुर शिबू सोरेन और पति हेमंत सोरेन की झलक साफ दिखाई देती है।

अब कुशल गृहिणी से कल्पना सोरेन परिपक्व राजनीतिज्ञ बन गयी


कल्पना सोरेन कुशल गृहिणी से अब परिपक्व राजनीतिज्ञ बन है। बहुत कम समय में उन्होंने

ससुर और पति की रजनीति के विरासत को संभाल ली। अब वे इसमे पुरी तरह रमने लगी हैं। सिर्फ 5 महीने में कुशल गृहिणी से कल्पना सोरेन परिपक्व नेता के रूप में ट्रांसफॉर्म होती दिख रही हैं।

क्या हेमंत को परिस्थितियों का आभास था...?


अब सवाल उठने लगा है कि क्या हेमंत सोरेन को परिस्थियों का आभास था। जब गांडेय के झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक सरफराज अहमद ने इस साल 1 जनवरी को विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर सियासी हलचल मचा दी थी। इस इस्तीफे को तभी से जेएमएम की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा था।

 31 जनवरी 2024 को प्रवर्तन निदेशालय- ईडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया यह। झारखंड में नेतृत्व का संकट पैदा हुआ और चंपाई सोरेन अगले मुख्यमंत्री बने।पर खाली कराई गांडेय की सीट ने कल्पना सोरेन के लिए भविष्य का रास्ता तैयार कर दिया।

पति हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के 2 महीने बाद कल्पना सोरेन घर से बाहर निकलीं और 5 मार्च को गिरिडीह के झंडा मैदान में हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्थापना समारोह के जरिए सियासत में एंट्री ली।

गांडेय उप चुनाव से शुरु होगी कल्पना की नई पारी


अब गांडेय उप चुनाव से होगी कल्पना की नई पारी की शुरुआत होगी। 16 मार्च को लोकसभा चुनाव के साथ गांडेय में उपचुनाव का ऐलान हुआ और कल्पना सोरेन जेएमएम की उम्मीदवार बन गईं है। इसके साथ ही ये सवाल उठने लगा कि क्या गांडेय उपचुनाव जीतने पर झारखंड में फिर सत्ता परिवर्तन होगा और कल्पना सोरेन मुख्यमंत्री बनेंगी?

कल्पना सोरेन के लिए गांडेय ही क्यों?


कल्पना सोरेन के लिए गांडेय ही क्यों? यह एक सवाल है।सरफराज अहमद को इसी रणनीति के तहत इस्तीफा दिलाये जाने और राजयसभा भेजनें के पीछे भी यही तर्क है।यह सीट कल्पना के लिए सुरक्षित सीट है इसका वजह है यहाँ का जातीय समीकरण जिसके करण सरफराज अहमद जीत कर आये थे। गांडेय में 26 फीसदी मुस्लिम, 20 फीसदी आदिवासी और 11 फीसदी अनुसूचित जाति के वोटर हैं।साथ ही 10 फीसदी से ज्यादा कुर्मी वोटर भी हैं। इसमें से मुस्लिम और आदिवासी यानी 46 फीसदी ‘इंडिया’ गठबंधन का कोर वोटर है।

गांडेय में अब तक 10 बार हुए विधानसभा चुनाव में से 5 बार जेएमएम, 2-2 बार कांग्रेस और बीजेपी तथा एक बार जनता पार्टी ने बाजी मारी थी। इसलिए गांडेय जैसी जेएमएम के प्रभाव वाली सीट से कल्पना सोरेन सियासत में नई उड़ान भरने की कोशिश कर रही हैं। पर उनकी राह उतनी भी आसान नहीं है।

2019 में जेएमएम उम्मीदवार सरफराज अहमद 34.7 फीसदी यानी 65 हजार, 23 वोट लाकर चुनाव जीते तो। दूसरे स्थान पर रहे बीजेपी उम्मीदवार जेपी वर्मा को 29.98 प्रतिशत यानी 56,168 वोट मिले तो। इसके बाद जेपी वर्मा जेएमएम में चले गए. पर कोडरमा लोकसभा से टिकट नहीं इनके। इनके बाद उन्होंने जेएमएम से बगावत कर दी और निर्दलीय उम्मीदवार बन गए। जेपी वर्मा की ये नाराजगी कल्पना सोरेन के लिए मुसीबत बन सकती । इस उपचुनाव में दिलीप वर्मा बीजेपी उम्मीदवार हैं। वे 2019 में गांडेय से झारखंड विकास मोर्चा- जेवीएम के टिकट पर चुनाव लड़े थे।पर तब महज 8,952 वोट लाकर छठे स्थान पर चले गए थे।लेकिन इस बार उनके साथ बीजेपी और ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन- आजसू की सियासी ताकत कि।

बाबूलाल मरांडी का गृह जिला में कल्पना की चुनौती कितना आसान है...?


जिस गांडेय सीट से कल्पना सोरेन जेएमएम उम्मीदवार हैं, वह बीजेपी झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का गृह जिला कि। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी भी इसी इलाके की संसदीय सीट कोडरमा का प्रतिनिधित्व करती हैं।ऐसे में कल्पना सोरेन को रोकना इन दोनों सियासी दिग्गजों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया कि। इसलिए बाबूलाल मरांडी और अन्नपूर्णा देवी गांडेय से लेकर गिरिडीह और कोडरमा के चुनावी रण में दिन-रात पसीना बहा रही हैं. बीजेपी के लिए जेएमएम के आदिवासी-मुस्लिम समीकरण में सेंधमारी और हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कल्पना के पक्ष में उपजी सहानुभूति की लहर को रोकना भी किसी चुनौती से कम नहीं है. इसलिए हाल में गिरिडीह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा कराई गई। उस सभा में उमड़े जनसैलाब से बीजेपी का उत्साह दोगुना हो गया।

कल्पना सोरेन के हाथ में कमान


जेल में बंद पति हेमंत सोरेन जा की गैरमौजूदगी में कल्पना सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा की कमान संभाल ली है।वो अक्सर चुनावी सभाओं में बीजेपी के खिलाफ मुखर देखी जाती हैं।इंडिया गठबंधन के घटक दलों को एकजुट करने में भी वो भूमिका निभाती नजर आती हैं. हाल में रांची में हुई उलगुलान रैली में विपक्षी दलों का नेतृत्व करती दिखीं. धरातल पर जनता से संवाद करना हो या बीजेपी के हमले का जवाब देना, कल्पना सोरेन हर मोर्चे पर सक्रिय दिख रही हैं। गांडेय के साथ-साथ गठबंधन के सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के लिए भी वे चुनाव प्रचार करती हैं, तो जेएमएम को बिखरने से बचाने के लिए भी एक्टिव दिखती हैं।वे कभी आदिवासी अस्मिता के सवाल पर आदिवासी वोटर को गोलबंद करने की कोशिश करती दिखती हैं, तो कभी हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी पर विक्टिम कार्ड के जरिये सहानुभूति बटोरने की कोशिश करती दिखती हैं।

कल्पना सोरेन की पृष्ठभूमि


सैन्य परिवार में जन्मी, इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और ओडिशा के मयूरभंज की रहने वाली कल्पना सोरेन फर्राटे से 4 भाषाएं बोलती हैं। अंग्रेजी और हिंदी के साथ-साथ मातृभाषा उड़िया और संथाली भाषा पर भी उनकी कमांड की। आदिवासी बहुल इलाके में संथाली भाषा में जनता से बात करते हुए वे पति हेमंत सोरेन का बचाव करने में कोई कसर नहीं छोड़तीं।पर हेमंत सोरेन से 2006 में हुए विवाह के 18 साल बाद सियासत में आईं कल्पना सोरेन की राह में गांडेय उपचुनाव जैसी कई और चुनौतियां इंतजार कर रही हैं।

ED द्वारा जब्त पैसे को मोदी गरीबो के बीच बांटना चाहते हैं, उन्होंने,इसके लिए न्याय पालिका से भी मांगी है सलाह




झा.डेस्क पी एम मोदी ने एक चुनावी सभा में कहा की सरकार प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी में जब्त राशि को गरीबों में वितरित कर दिया जायेगा। ये बात उन्होने एक इंटरव्यू में कही है। उन्होंने कहा है कि ED की तरफ से जब्त की हुई राशि को गरीबों में वितरित की राह सरकार तलाश रही है। उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस काल में ED ने काम करना बंद कर दिया था। भारतीय जनता पार्टी सरकार में यह खुलकर काम कर रही है। एक मीडिया हाउस के साथ इंटरव्यू में मोदी ने कहा, ‘मैं इसपर काफी विचार कर रहा हूं, क्योंकि मुझे दिल से लगता है कि इन लोगों ने अपने पद का गलत फायदा उठाकर गरीब लोगों का पैसा लूटा है और उन्हें वो वापस मिलना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘अगर मुझे कानूनी बदलाव करने पड़े, तो मैं करूंगा। फिलहाल, मैं लीगल टीम का सहयोग ले रहा हूं। मैंने न्यायपालिका का भी सलाह मांगा है। नई भारतीय दंड संहिता में भी इसका कुछ प्रावधान है। मोदी ने यह भी बताया कि भारतीय दंड संहिता यानी IPC के स्थान पर लाई गई ‘न्याय में भी इस संबंध में कुछ प्रावधान हैं। उन्होने कहा कि सरकारी एजेंसियां 1.25 लाख करोड़ रुपये की जब्त कर चुकी हैं। इस दौरान उन्होंने खासतौर से पश्चिम बंगाल, केरल और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से जुड़े मामलों का जिक्र किया। उन्होंने केरल को लेकर कहा, ‘कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थन वाले सहकारी बैंकों में पर्सनल बिजनेस पार्टनरशिप् के नाम पर लोगों का पैसा ठगा गया।
बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में मंत्री आलमगीर आलम की बेचैनी में गुजरी रात,सही से नही खाया खाना


बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में गुरुवार को पहली रात राज्य के ग्रामीण विकास विभाग मंत्री आलमगीर आलम की तनाव में बीती। जेल में प्रवेश करने के बाद उन्होंने किसी से बात नहीं की। 

बताया जाता है कि आलमगीर देर रात तक बेचैन नजर आए। कभी वह अपने वार्ड में टहल रहे थे तो कुछ देर अपने बिस्तर पर जाकर लेट रहे थे। अपने वार्ड में जाने के बाद एक बार भी वह बाहर नहीं निकले। हालांकि जेल प्रशासन की ओर से समय-समय पर उन्हें खाना-पानी के लिए भी पूछा जा रहा था, मगर वह इंकार कर दे रहे थे।

जेल में उन्हे अपर डिवीजन ब्लॉक में रखा गया

मंत्री आलमगीर आलम को दिन के 1.50 बजे ईडी के अफसर उन्हें जेल लेकर पहुंचे। मंत्री सीधे जेलर के कार्यालय में पहुंचे। वहां पर जेल अधीक्षक भी मौजूद थे। करीब 45 मिनट तक बातचीत हुई। इसके बाद जेलकर्मी उन्हें अपर डिविजन ब्लॉक ले गए। उनके लिए अपर डिविजन में सारी व्यवस्था थी। उनकी सुरक्षा के लिए अपर डिविजन में शिफ्टवाइज चार-चार पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है।

जेल में भिंडी की भुजिया,रोटी और दूध दी गयी।आधा रोटी ,एक गिलास दूध उन्होंने पीया

शाम साढ़े सात बजे उन्हें खाना दिया गया। खाने में उन्हें भिंडी-आलू की भुजिया और रोटी दी गई। इसके अलावा उन्हें एक गिलास दूध भी दिया गया। काफी देर तक खाना उनके टेबल पर पड़ा रहा। 

बताया जा रहा है कि रात करीब दस बजे उन्होंने आधी रोटी और आधा गिलास दूध ही पीया। सूत्र बताते हैं कि आधी रोटी भी बहुत मुश्किल से और काफी देर में खायी।

आलमगीर आलम को स्लीप एपनिया नामक बीमारी है,कोर्ट का निर्देश उनका सही से रखा जाय ख्याल

पेशी के दौरान पीएमएलए कोर्ट ने आलमगीर आलम से उनका नाम और पता पूछा। साथ ही स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। इस पर उनके वकील ने कहा कि उन्हें स्लीप एपनिया नामक बीमारी है। इसके लिए सीपीएपी मशीन की जरूरत पड़ती है। इसे साथ रखना है। कोर्ट ने पूछताछ के दौरान ईडी को आलमगीर के स्वास्थ्य पर ध्यान रखने का आदेश दिया। ईडी ने कहा कि पूछताछ में स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा जाता है।

आज केंद्रीय गृहमंत्री अमितशाह करेंगे रांची में रोड कर,भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ के लिए जनता से मांगेंगे वोट


झा.डेस्क केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दिवसीय झारखंड दौरे पर रांची आयेंगे. श्री शाह 17 मई को सांसद व भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में रांची के चुटिया में रोड शो करेंगे. साथ ही लोगों से भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ के पक्ष में वोट देने की अपील करेंगे.

वहीं, 18 मई को बोकारो में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे. इससे पहले श्री शाह ने झारखंड में पहले व देश के चौथे चरण के चुनाव से पहले खूंटी में चुनावी सभा की थी.इधर 19 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड पहुंचेंगे. वह जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र के घाटशिला में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे.

प्रधानमंत्री अब तक झारखंड में चार चुनावी सभा व राजधानी रांची में रोड शो कर चुके हैं. उनकी चाईबासा, पलामू, गुमला, चतरा व गिरिडीह में चुनावी सभा हो चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री के झारखंड दौरे को लेकर प्रदेश भाजपा ने तैयारी शुरू कर दी है. कार्यक्रम को लेकर पार्टी नेताओं को जिम्मेवारी सौंपी गयी है.
झारखंड में पीएम सहित भाजपा के स्टार प्रचारकों के लगातार दौरे से क्या इस बार भी क़ायम रहेगा यहाँ मोदी मैजिक...?

 झारखंड डेस्क

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा ने झारखंड में पुरी ताकत झोंक दी है। स्टार प्रचारको का झारखंड में लगातार दौरा हो रहा है,गठबंधन दलों पर आरोप के  वाण चलाये जा रहे हैँ।

इस बीच ईडी की करवाई के बाद बरामद नोटों के पहाड़ और सत्ताधारी दल के नेताओं की इस मामले में गिरफ्तारी से भाजपा को अब झारखंड के सत्ता पक्ष खास कर अपने विरोधी दल कांग्रेस के लिए एक बड़ा मुद्दा मिल गया है।

 भाजपा इसी हथियार के सहारे कांग्रेस पर हमलावर है।इस परिस्थिति में भाजपा ने झारखंड के सभी 14 लोकसभा सीटों पर जीत की मुहीम तेज़ कर दी है।

 पीएम मोदी ने अब तक खुद झारखंड में 3 बार चुनावी सभा कर चुके हैँ। चाईबासा, पलामू, गुमला, चतरा व गिरिडीह के उनके चुनावी सभा में अपार भीड़ जुटी जिससे यह भी लगाता है कि अभी भी जानता में मोदी का क्रेज है।जिसका लाभ इस चुनाव में मिल सकता है।

अब चौथी बार वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19 मई को फिर झारखंड आएंगे। वे जमशेदपुर से बीजेपी उम्मीदवार विद्युत वरण महतो के समर्थन में घाटशिला में चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। 

इससे पहले प्रधानमंत्री अब तक झारखंड में पांच चुनावी सभा व राजधानी रांची में रोड शो कर चुकी है।

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री के झारखंड दौरे को लेकर प्रदेश बीजेपी ने तैयारी शुरू कर दी है। कार्यक्रम को लेकर पार्टी नेताओं को जिम्मेवारी सौंपी गयी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 17 मई से फिर दो दिनो तक झारखंड दौरे पर रहेंगे। वे 17 मई को जनसभा को संबोधित करेंग पीएम मोदी के अलावे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्वशर्मा ने भी झारखंड मे सभा की है। यहाँ उत्तराखंड सीएम,राजस्थान सीएम भी चुनावी सभा को सम्बोधित किया है।इसके वाबजूद सवाल उठता है क्या भाजपा की पूरी ताकत झोकने के बाद भी क्या झारखंड के 14 लोकसभा सीट पर भाजपा जीत। दर्ज करेगी


2019 के लोकसभा चुनाव में क्या थी स्थिति ?


यू तो 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने झारखंड के 12 सीट हासिल की थी। उस समय देश भर में जबरदस्त मोदी लहर थीtf जिसका व्यापक असर झारखंड में पड़ा।उस लहर में भी गठबंधन दल ने झारखंड में सिंहभूम और राजमहल सीट जीत ली थी।सिंहभूम में कांग्रेस प्रत्याशी गीता कोड़ा ने सीट जीती थी।और राजमहल से झामुमो के विजय हंसदा ने सीट जीत कर अपनी उपस्थिति दर्ज़ की इसबार गठबंधन दल कुछ ज्यादा सीट जीतने की दावा कर रही है। लेकिंन् भाजपा की पुरी कोशिस है कि गठबंधन दलों को एक भी सीट झारखंड में हासिल नही हो।अब देखना है कि पीएम सहित अन्य स्टार प्रचारक कितना बदल पाते हैं झारखंड का माहौल..?

वैसे झारखंड में कुछ सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों के प्रति नाराजगी जरूर है।पार्टी के अंदर टिकट बंटवारे को लेकर भी आलकामन के प्रति नाराजगी है।इसके वाबजूद भाजपा के परम्परिक वोटर का कहना है कि हम नरेंद्र मोदी को वोट दे रहे हैं। कैंडिडेट कि नही।

यह अन्तर्विरोध,धनबाद,दुमका,खूंटी,जमशेदपुर और अन्य कई जगहों पर है। वैसे खूंटी में मतदान हो चुका है। धनबाद की बात करें तो ढुल्लु महतो का टिकट मिलने के बाद से हीं कृष्णा अग्रवाल को धमकाने और इस में जमशेदपुर के निर्दलीय विधायक सरयू राय की इंट्री से विवाद शुरु हुआ।इस मामले में केस भी दर्ज़ हुई।वहीं ढुल्लु महतो के कुछ बयानों से भाजपा के वर्तमान सांसद पीे एन सिंह, विधायक राज सिन्हा, गिरिडीह के पूर्व सांसद रविन्द्र पांडेय नाराज हैं।कार्यकर्ताओं के अंदर भी नाराजगी है।इसके वावजूद सभी नाराज लोग मोदी के लिए वोट मांग रहे हैं। इसी तरह कुछ अन्य सीटों पर भी है।हज़ारीबाग् में जयंत सिन्हा की नाराजगी,दुमका में सुनील सोरेन की नाराजगी।से भी पार्टी के लिए कड़ी चुनौती है।

इस बीच पीएम मोदी ,अमित शाह,राजनाथ सिंह सरीखे नेताओं के लगातार दौरा और स्टार प्रचारको के आगमन से भाजपा की सभाओं में भीड़ भी जूट रही है।इस से अनुमान लगाया जा रहा है की भाजपा के प्रति लोगों का रुझान और मोदी मैजिक झारखंड में इस बार भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करेंगा।हलाकि खूंटी,लोहरदगा,सिंहभूम और पालमू में वोट हो गयी हो।चुनाव परिणाम 4 जून को होगा।इन सीटों पर जबरदस्त संघर्ष था।ये संघर्ष भाजपा और गठबंधन दलों के बीच हुआ है। अब देखना है की मोदी सहित अन्य नेताओं का झारखंड दौरा कितना सफल होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा ईडी पीएमएलए की धारा 19 के तहत किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती, हिरासत में लेने के लिए कोर्ट से लेनी होगी परमिशन

झारखण्ड डेस्क

झारखंड समेत देश भर में लगातार ईडी ने पीएमएलए कानून के तहत कई गिरफ्तारियां की है।अब पीएमएलए कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक सुनवाई करते हुए  कहा है कि स्पेशल कोर्ट द्वारा शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद ईडी पीएमएलए की धारा 19 के तहत किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि अगर ईडी ऐसे आरोपियों की हिरासत चाहती है तो उसे हिरासत के लिए संबंधित अदालत में आवेदन करना होगा।

अगर कोर्ट ईडी की बात से संतुष्ट हो जाता है कि उसे हिरासत में पूछताछ की जरूरत है तो वह हिरासत दे सकता है।

जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी की ईडी की शक्तियों पर आज फैसला सुनाया। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, धारा 44 के तहत एक शिकायत के आधार पर पीएमएलए की धारा 4 के तहत दंडनीय अपराध का संज्ञान लेने के बाद ईडी और उसके अधिकारी शिकायत में आरोपी के रूप में दिखाए गए व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए धारा 19 के तहत शक्तियों का प्रयोग करने में असमर्थ हैं।

कोर्ट मदन आवेदन देकर हिरासत मांगनी होगी

अगर प्रवर्तन निदेशालय उस अपराध की आगे की जांच करने के लिए समन के बाद पेश होने वाले आरोपी की हिरासत चाहता है तो उसे स्पेशल कोर्ट में आवेदन करके आरोपी की हिरासत मांगनी होगी। इतना ही नहीं आरोपी को सुनने के बाद में स्पेशल कोर्ट को कारण दर्ज करने के बाद आवेदन पर आदेश पारित करना होगा।

आवेदन पर सुनवाई करते समय कोर्ट तब ही हिरासत की इजाजत दे सकता है जब उसे लगता है कि ईडी को पूछताछ की जरूरत है, भले ही आरोपी को धारा 19 के तहत कभी गिरफ्तार नहीं किया गया  हो

*अटल जी ने कानून बनाया,मनमोहन सिंह ने इसे लागू किया*

केंद्र सरकार पर विपक्षी पार्टियां प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के दुरुपयोग का आरोप लगाती रहती हैं। इस कानून को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 2002 में बनाया गया था।

लेकिन यह कानून मनमोहन सिंह की सरकार में जाकर लागू हुआ था। अब तक इस एक्ट में कई बार संसोधन किए गए हैं। इस एक्ट का केवल एक ही उद्देश्य था कि कैसे काले धन को रोकना है।

पीएमएलए के कानून का पहला शिकार झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोडा बने थे। 2010 के बाद टूजी घोटाला, कोयला घोटाला समेत कई बड़े घोटाले हुए और पीएमएलए कानून के तहत शिकंजा और कसता ही चला गया। 2012 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इसमें संशोधन किया और इसको और अधिक सख्त कर दिया।