बिहार के मुख्य सचिव और डीजीपी को एनएचआरसी ने किया तलब
मुजफ्फरपुर: बीते दिनों मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन से 21 बच्चों को रेलवे प्रशासन की सजगता के कारण मानव तस्करों के चंगुल से बचाया गया था। मानव तस्करों के द्वारा इन बच्चों को लुधियाना एवं सहारनपुर ले जाया जा रहा था। ये बच्चें बिहार एवं पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों के रहने वाले है।
पुरे मामले को लेकर मानवाधिकार मामलों के अधिवक्ता एस. के.झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली एवं बिहार मानवाधिकार आयोग, पटना के समक्ष दो अलग-अलग याचिका दाखिल की थी और बिहार तथा बिहार से सटे सीमावर्ती इलाकों में मानव तस्करी के मामलों में हो रहे इजाफा पर सवाल उठाया था।
मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा की याचिका पर गंभीरतापूर्वक सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले में बिहार के डीजीपी और मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है। आयोग के द्वारा इन दोनों को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट की माँग की गई है।
विदित हो कि विगत 2 मई को न्यू जलपाईगुड़ी से अमृतसर जाने वाली 12407 कर्मभूमि एक्सप्रेस में छापेमारी कर आर.पी.एफ. ने मानव तस्करों के चंगुल से 21 बच्चों को मुक्त कराया था तथा छह मानव तस्करों को गिरफ्तार किया था।
बिहार व बंगाल के सीमावर्ती जिले कटिहार, अररिया व उत्तर दिनाजपुर के विभिन्न इलाको से जुड़े गरीब बच्चों को सहारनपुर के होटल व लुधियाना की प्लाईवुड फैक्ट्री में काम कराने के लिए ले जाने की तैयारी थी। प्रशासनिक सक्रियता की वजह से इन बच्चों को मानव तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया गया।
मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा बताते हैं कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद - 23(1) के अनुसार, मानव तस्करी को प्रतिबंधित किया गया है तथा इसे कानूनन दंडनीय अपराध बनाया गया है और इसकी रोकथाम के लिए अनैतिक दुर्व्यपार/तस्करी (रोकथाम) अधिनियम - 1956 बनाया गया है।
श्री झा ने बरामद बच्चों को कॉउन्सिलिंग के पश्चात परिजनों को सौंपने तथा गिरफ्तार किये गये मानव तस्करों के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई किये जाने की माँग की है तथा मानव तस्करी पर रोकथाम लग सकें, इसके लिए उचित आदेश पारित करने की भी माँग की है।
May 11 2024, 20:37