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क्या सोरेन परिवार के अंदर सच में महाभारत चल रहा है, सीता सोरेन और बसंत सोरेन के बयान के बाद बनी यह चर्चा की विषय...?


झारखंड डेस्क

झामुमो के अंदर कल्पना सोरेन को सक्रिय होने भी बाद पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक ठाक चल रहा है...?

एक तबका कल्पना सोरेन की क्षमता और सूझबूझ को पार्टी हित में अच्छा मान रहे हैं। तो कुछ लोग इसको लेकर खुश नही हैँ। लोबिन हेम्ब्रम खुलकर मीडिया के सामने अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैँ तो परिवार के अंदर भी कुछ लोगों को नागवार लग रहा है।इधर सीता सोरेन के बयान को अगर सच माना जाए तो बसंत सोरेन भी कल्पना सोरेन के एक्टिव होने से अन कोम्पोर्टेबल महसूस कर रहे हैं। हलाकि इस बयान के पीछे राजनीति भी हो सकती तो,लेकिन बहरहाल यह चर्चा का विषय जरूर् बन गया है।

इस बीच सूचना है कि दुमका के खिजुरिया स्थित शिबू सोरेन के आवास पर मंत्री बसंत सोरेन व झामुमो छोड़ भाजपा में शामिल हुईं भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन के बीच गुरुवार को मुलाकात हुइ।इसके बाद जो बयान बसंत सोरेन का सामने आया इस् दोंनो आमने सामने आ गये हैं।

 शुक्रवार को दुमका समाहरणलय परिसर में झामुमो प्रत्याशी नलिन सोरेन के नामांकन के बाद मंत्री बसंत सोरेन से मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कुछ ऐसा बोल गये कि बहस का विषय बन गया।

 मीडियाकर्मियों द्वारा यह पूछे जाने के बाद कि झामुमो छोड़ने के बाद भाजपा में शामिल हुईं सीता सोरेन गुरुवार को खिजुरिया स्थित आवास गई थीं जहां आपसे मुलाकात भी हुई। क्या कुछ बातें हुईं, इसपर मंत्री बसंत सोरेन ने कहा कि भाभी सीता सोरेन मोदी परिवार में गई थीं, पर अब उनका भ्रम टूट गया है। अब वह सोरेन परिवार में आना चाहती हैं।

पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर कि - सीता सोरेन तो दुमका लोकसभा सीट से भाजपा की प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन कर दिया है। ऐसे में मोदी परिवार को फिर से छोड़ सोरेन परिवार में कैसे शामिल होंगी..?

इसपर बसंत ने कहा 17 तारीख का इंतजार करें सब पता चल जाएगा। आगे पूछे जाने पर कहा कि सब कुछ तो कह दिया है, इंतजार करिए!

 बता दें कि सीता सोरेन ने अपना नामांकन किए जाने के ठीक एक दिन पूर्व खिजुरिया स्थित शिबू सोरेन के आवास पर पहुंचकर मंत्री बसंत सोरेन से भी मुलाकात की थी। 

इसके बाद बाहर निकलने पर मीडिया कर्मियों को बताया था कि वे अपने घर आई थीं। इसी क्रम में बसंत सोरेन से भी मुलाकात की बात कही थी। आगे कहा था कि जो बातें हुई हैं वह बताने लायक नहीं हैं।

सिता सोरेन् का दावा बसंत खुद भाजपा में आना चाहते हैं

इधर बसंत सोरेन के बयान के बाद भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन ने प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर इस बात से इंकार किया है कि वह झामुमो परिवार में पुन्: जाना चाहती है। दुमका गोशाला रोड में अपने अस्थायी आवास में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बसंत सोरेन ने मेरे बारे में जो बयान दिया है वह सब बिल्कुल बेबुनियाद बातें हैं। जबकि सच्चाई तो यह है कि मैं जब कल अपने खिजुरिया आवास पर गई थी तो वहां बसंत सोरेन ने मुझे भाजपा में शामिल होने और यहां मुझे मिल रहे सम्मान को लेकर बधाई दी थी। 

साथ ही उन्होंने कहा कि मेरे लिए भी आप भारतीय जनता पार्टी में कोई बेहतर स्थान देखें।

सीता सोरेन ने कहा कि बसंत सोरेन इन दिनों झामुमो में जो चल रहा है उससे परेशान हैं। जब से कल्पना सोरेन पार्टी में सक्रिय हुई हैं, वह अपने आप को दरकिनार महसूस कर रहे हैं।

 हाल ही में रांची में जो उलगुलान रैली हुई थी उसमें भी उन्होंने कल्पना सोरेन के साथ मंच साझा नहीं किया था।

 कल्पना सोरेन के आते ही झामुमो पर कब्जा जमा लिया है। इससे बसंत सोरेन उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। यही वजह है कि वह भाजपा में आना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने मुझसे बात की है।

बीजेपी नेता ने कहा कि झामुमो में कल्पना सोरेन किस पद पर हैं यह स्पष्ट करना चाहिए। वर्तमान मुख्यमंत्री को भी उपेक्षित किया जा रहा है। हाल ही में राहुल गांधी के र्काक्रम में यह दिखा। मोदी परिवार में जो सम्मान मिला है उससे अब झामुमो परिवार की ओर झांकना भी नहीं चाहती हूं। अब वहां केवल महाभारत की स्थति बनी हुई है और उस महाभारत से दूर रहकर क्षेत्र का विकास करना चाहती हूं।

दुमका लोकसभा चुनाव: दो मज़बूत राजनितिक हस्ती के बीच का सियासी जंग दुमका को बना दिया हॉट सीट

झारखंड डेस्क

झारखंड का दुमका लोकसभा सीट दो कद्दावर राजनेताओं के कारण इन दिनों हॉट सीट बन गया है। इस सीट पर शिबू सोरेन की पुत्रवधू सीता सोरेन का मुकाबला झामुमो के वरिष्ठ नेता अपने चाचा नलिन सोरेन से है। इन दोनों के बीच कांटे का टक्कर है।इस टक्कर में किसका पलड़ा भारी है इसका खुलासा 4 जून यह होगा। लेकिन सब की निगाहें इस सीट पर है।

दुमका सीट पर अपने परिवारिक अंतर्कलह और झामुमो में लगातार उपेक्षा का आरोप लगाकर सीता सोरेन ने भाजपा का दामन थामा। भाजपा ने उन्हें दुमका लोकसभा से प्रत्याशी के तौर पर उतार कर एक साथ दो निशाने पर बार किया।एक तो दुमका सीट पर शिबू सोरेन के प्रभाव का लाभ उठाने के लिए उनके पुत्रबधु को मैदान में उतरा, दूसरी तरफ झामुमो से सीता सोरेन को अलग होने से दुर्गा सोरेन से सहानुभूति रखने वाले और सीता सोरेन के समर्थको को अपने पक्ष में करके झामुमो को कमजोर भी किया।

इस बदले परिस्थिति में इंडी गठबंधन को एक् ऐसे चेहरे की जरूरत पड़ी जो सीता सोरेन को कड़ी टक़्कर दे सके उसके लिए पिछले चार दशक से राजनितिक अनुभव वाले नलिन सोरेन यह सीता सोरेन के मुकवाले में उतारा गया। अब इन दोनों मजबूत  प्रत्याशियों के कारण दुमका सीट काफी हॉट हो गया है। दोनों गठबंधन दुमका को जीतने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

दोंनो को है जनता पर भरोसा,कर रहे हैँ जीत के दावे


 भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा दोनों ही मज़बूत प्रत्याशी माने जाते हैँ।इसी लिए जानता पर दोनो प्रत्याशी को भरोसा है।

इन दोनो प्रत्याशी से लोगों को यह महसूस हो गया कि मुकाबला कांटे का है। भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन और झामुमो प्रत्याशी नलिन सोरेन दोनों के यह दावे हैं कि उनकी जीत पक्की है। एक तरफ सीता सोरेन को खुद पर और मोदी लहर पर विश्वास है, वे जहां भी जा रही हैं यह कहती हुई नजर आती हैं कि उनके पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जिन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा को खड़ा किया, अलग झारखंड की लड़ाई लड़ी, राज्य को अलग कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की उस पार्टी और परिवार में ना तो उनका और ना ही उनकी मेरे दोनों बेटियों के साथ न्याय किया गया।

सीता सोरेन ने पारिवारिक उपेक्षा और झामुमो के अंदर के अंतर्कलह को बनाया मुद्दा


चुकी दुमका सीट दिशोम गुरु शिबू सोरेन की सीट रही है। इस लिए सोरेन परिवार से इस सीट के लोगों का खासा जुड़ाव रहा है। सीता सोरेन उन लोगों के बीच जाकर लगातार ये कह रही हैं कि उन्हें पार्टी और परिवार में जो हक मिलना चाहिए था वह नहीं मिला।वह अपने पति की मौत को भी संदेहास्पद बता रही हैं और उसकी जांच की मांग कर रही हैं।सीता सोरेन को यह भी उम्मीद है कि सोरेन परिवार ने उसके साथ जो व्यवहार किया, जनता उसे हृदय से महसूस करेगी और लोकसभा चुनाव में इसे एक बड़ा मुद्दा बनाते हुए जीत दिलाने का काम करेगी।

सीता सोरेन को भाजपा के साथ झामुमो का साथ मिलने का उम्मीद


सीता सोरेन का मजबूत पक्ष है कि वह दुमका लोकसभा क्षेत्र के जामा विधानसभा क्षेत्र से लगातार वह तीन बार से विधायक बन रही हैं। सोरेन परिवार की पुत्रवधू होने की वजह से जनता में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।सीता यह भी कहती हैं कि उन्हें अपने ससुर शिबू सोरेन का भी आशीर्वाद प्राप्त है। वह कहती हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा में अब गुरु जी की नहीं चलती है। अगर वे वहां प्रभावी होते तो उन्हें झामुमो छोड़ना ही नहीं पड़ता। सीता सोरेन ये तक कह रही हैं कि उन्हें भाजपा कार्यकर्ताओं का तो साथ मिलेगा ही, साथ ही साथ झामुमो कार्यकर्ता जो सब कुछ समझ रहे हैं, वे भी उनके साथ होंगे।

नलिन सोरेन का मज़बूत पक्ष,उनका राजनितिक अनुभव और मृदुल स्वभाव


इधर, झामुमो प्रत्याशी नलिन सोरेन का मजबूत पक्ष यह है कि वे लगातार सात टर्म से शिकारीपाड़ा विधानसभा से चुनाव जीत रहे हैं।नलिन सर्वसुलभ, मिलनसार और मृदु भाषी व्यवहार की वजह से क्षेत्र में वे काफी लोकप्रिय हैं। सिर्फ झामुमो में ही नहीं बल्कि दूसरे राजनीतिक दल के भी लोगों में उनका काफी सम्मान करते हैं। कहा जाता है कि उनके यहां जो भी किसी काम को लेकर चले जाएं चाहे वह व्यक्ति दूसरे दल से भी क्यों न तालुकात रखता हो, नलिन उनका काम जरूर कर देते हैं.जहां तक दुमका लोकसभा सीट पर जीत हासिल करने की बात है नलिन सोरेन को अपने चार दशक के राजनीतिक कैरियर पर काफी भरोसा वे। वे बिना हारे सात बार से विधायक बन रहे हैं, तो लोगों में अच्छी पकड़ मानी जाती है. इसके साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उन पर जो विश्वास जताया वे। गुरुजी और हेमंत सोरेन ने टिकट पर मुहर लगाई है तो नलिन सोरेन को यह उम्मीद है कि झामुमो का जो बड़ा वोट बैंक है वे सभी इस बार भी साथ निभाएंगे और चुनावी वैतरणी पार लगाने का काम करेंगे। सीता सोरेन के संबंध में नलिन सोरेन का कहना है कि वह अपने घर में बीमार ससुर शिबू सोरेन और अस्वस्थ सास रूपी सोरेन को छोड़कर दूसरे घर में गई है तो जनता उसे कभी माफ नहीं करेगी।

क्या है चुनावी विश्लेषकों का मत..?


इस दिलचस्प चुनावी मुकाबले को लेकर जानकर लोगों का मानना है कि पिछले चुनाव में भाजपा बाहरी भीतरी के मुद्दे ( शिबू सोरेन बाहरी जबकि सुनील सोरेन लोकल ) को उछाल कर अपनी जीत दर्ज करने में सफल हुई थी। वहीं इस बार झामुमो ने नलिन सोरेन जैसे स्थानीय नेता को मैदान में उतार कर भाजपा के पुराने मुद्दे को छीन कर असमंजस में डाल दिया है।अगर थोड़ी सी इतिहास पर नजर डालें तो 1990 के बाद से भाजपा ने अपना जनाधार बढ़ाने का प्रयास शुरू किया। 1991 में भाजपा ने पहली बार बाबूलाल मरांडी को इस क्षेत्र से मैदान में उतारा पर वे शिबू सोरेन से चुनाव हार गये।हार के बाद भी भाजपा ने इस क्षेत्र को नहीं छोड़ा और कमल खिलाने को लेकर लगातार प्रयासरत करती रही।तीसरे प्रयास यानि 1998 भी बाबूलाल मरांडी भाजपा के टिकट पर झामुमो के शिबू सोरेन को परास्त करने में सफल हो गए।

 2019 में बीजेपी ने बाहरी भीतरी मुद्दा उठाकर की थी जीत दर्ज़


अगर हम बात करे चुनावी मुद्दा की तो हाल के वर्षों में यानी 2009 में झामुमो के शिबू सोरेन के खिलाफ भाजपा ने सुनील सोरेन को अपना उम्मीदवार बनाया।तब से इस क्षेत्र में बाहरी भीतरी का मुद्दा गरमाने लगा। अंततः 2019 में दुमका से भाजपा के सुनील सोरेन ने अपने ही गुरु को पटखनी दे दी। इस बार भाजपा के निवर्तमान सांसद सुनील सोरेन का टिकट काट कर सीता सोरेन और झामुमो ने उनके खिलाफ सात बार के विधायक स्थानीय प्रत्याशी नलिन सोरेन को मैदान में उतार कर राजनीतिक पंडितों के गुणा भाग को गड्ड-मड्ड कर दिया है। इस बार झामुमो ने बाहरी-भीतरी के पुराने मुद्दे को भाजपा से छीन कर उसे सकते में डाल दिया है। अब आने वाले समय बताएगा कि भाजपा कैसे झामुमो के बाहरी भीतरी के चक्रव्यूह से बाहर निकलती है।

 सीता सोरेन को जानता की संवेदना और मोदी लहर पर है भरोसा


झामुमो के सर्वोच्च नेता शिबू सोरेन के 2019 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन से हार के बाद से ही यह कयास लगाया जाने लगा था कि मोदी लहर में परिस्थितियां बदलने लगी हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में सुनील सोरेन को जोर का झटका तब लगा जब उनकी टिकट की घोषणा हो गई पर सोरेन परिवार की बहू और झामुमो के टिकट पर तीन बार जामा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुकीं सीता सोरेन को भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। हेमंत सोरेन के जेल चले जाने के बाद अचानक बदल चुकी राजनीतिक परिस्थिति में पार्टी की ओर से उम्मीदवार के रूप में नलिन सोरेन को चुनावी जंग में उतारना दुमका की वर्तमान राजनीतिक फिजा में एक नये हस्तक्षेप की तरह देखा जा रहा है। राजनीतिक महत्वाकांक्षा में पार्टी और परिवार से खुला विद्रोह कर भाजपा की शरण में जाने वाली सीता सोरेन को जहां एक ओर मोदी लहर पर अटूट विश्वास दिखता है, वहीं दूसरी ओर पार्टी और परिवार से अलग होने के पीछे के कारणों, पार्टी में महत्व नहीं मिलना, दुर्गा सोरेन की मौत पर जांच के लगातार फेंके जाने वाले पासो से मतदाताओं की संवेदनाएं उनके साथ होंगी, ऐसा सीता सोरेन को लगता है। 

जबकि दूसरी ओर झामुमो प्रत्याशी नलिन सोरेन को लगभग 40-42 वर्षों का राजनीतिक अनुभव है, पार्टी में रहते हुए क्षेत्र में व्यक्तिगत प्रभाव, सरल स्वभाव व सहृदयी व्यवहार से उन्होंने अपनी जो छवि बना रखी है, लोगों को वह आकर्षित करता है।

दोनो के हैं मजबूत पक्ष,संघर्ष कड़ा होने की उम्मीद


इस तरह हम देख रहे हैं कि सीता सोरेन और नलिन सोरेन दोनों के अपने-अपने मजबूत पक्ष हैं।किसी को कम आंकना किसी भी राजनीतिक विशेषज्ञ के लिए मुश्किल कार्य है। ऐसे में अगर दोनों पक्ष अपनी पूरी ताकत से चुनाव लड़ते हैं तो मुकाबला जोरदार होने की उम्मीद है और अभी से यह अंदाजा लगाना मुश्किल होगा कि ऊंट किस ओर करवट लेगा।

धनबाद लोक सभा सीट पर कांटे का संघर्ष,किसकी जीत किसकी हार इसका फैसला 25 मई को


झारखंड डेस्क

धनबाद लोकसभा चुनाव का प्रचार अभियान अब धीरे-धीरे परवान चढ़ रहा है। चुनाव चिन्ह का आवंटन भी हो गया है मतदान 25 मई को होगा चुनावी समर में उतरे पच्चीस उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला,इस चुनाव में कोई कैंची तो कोई ब्रेड ,कोई कमल तो कई हाथ पर वोट मांग रहे हैँ।

चुनाव इस बार रोचक मोड़ पर है। घात प्रतिघात की संभावनाओं के बीच प्रत्याशी अधिक से अधिक संगठनों , स्वयंसेवी संस्थाओं को अपनी ओर करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं।

यह अलग बात है कि किसी भी संगठन या किसी भी जमात का कितना वोट ट्रांसफर होगा ,इसका पता तो 4 जून को ही चलेगा लेकिन।प्रत्याशी अपनी पूरी ताकत झोंक दिया है।

धनबाद में भाजपा के प्रत्याशी बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी बेरमो विधायक अनूप सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह हैं । अनुपमा सिंह के पक्ष में पति अनूप सिंह ताकत झोंक दिये हैं तो ढुल्लू महतो की पत्नी सावित्री देवी भी चुनाव प्रचार में कूद गई है। पत्नी को चुनाव जिताने के लिए अनूप सिंह सुबह से लेकर देर रात तक पसीना बहा रहे हैं तो सावित्री देवी भी सुबह से देर रात तक दौरा कर रही है। जिनके भाग्य की पेटी 4 जून को खुलेगी । तब पता चलेगा कि जनता जनार्दन ने अपना मत किसे दिया है और किस पर  भरोसा किया है।

उम्मीदवार हर तरह से मतदाता को कर रहे हैं रिझाने की कोशिश

इस् बींच 3 उमीदवार चुनाव मैदान में अपनी जोर आजमाइस कर रहे हैं।कांग्रेस से अनुपमा सिंह,भाजपा के ढुल्लू महतो और मासस के जगदीश रवानी। ये तीन उम्मीदवार हैं जो चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं।

यूँ तो टककर कोंग्रेस और भाजपा के बीच है।लेकिन जगदीश रवानी एक ऐसा कारक बन कर इस मैदान आये हैं भाजपा को जिताने में मदद कर सकते हैं।

 क्योंकि जगदीश रवानी मासस के नाम पर कुर्मी,,रवानी का वोट काट कर अनुपमा सिंह के जीत के राह में बाधा बन सकते हैं।वैसे वोटों का धुर्वीकरण मतदान से

एक दिन पहले भी हो जाता है।और लोग यह निर्णय ले लेते हैं कि किसे वोट देना है।इस लिए यह कहना भी सही नही होगा कि कांग्रेस या भाजपा कोई कमजोर है।

 इधर अनुपमा सिंह कि लगातार दौरा चल रहा है और कोशिश हो रही है कि अधिक से अधिक मतदाताओं को अपने पक्ष में करें।वहीं ढुल्लू महतो के कार्यकर्ता में भी काफी उत्साह देखा जा रहा है।

इस बींच अनुपमा सिंह ने गुरुवार को झरिया में कहा है कि आपकी बेटी बनकर आई हूं और बेटी बनकर ही सेवा करूंगी। झरिया की सभा में विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह भी शामिल कि। वहीं झरिया में ही शुक्रवार को विधानसभा स्तरीय प्रबुद्ध जन सम्मेलन में भाजपा के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री नागेंद्र नाथ त्रिपाठी ने कहा कि आज भाजपा को केवल अपने विरोधी दलों से ही नहीं बल्कि विदेशी ,पश्चिमी राष्ट्रों ,विदेशी संस्थाओं व विदेशी मीडिया से भी लड़ना पड़ रहा है।झरिया विधानसभा में भाजपा महिला विंग घर-घर जाकर वोट मांगेगी, इसका निर्णय लिया गया।

दूसरी ओर इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एसोसिएशन सभागार में भाजपा ओबीसी मोर्चा के सम्मेलन में भाजपा उम्मीदवार ढुल्लू महतो को लोकसभा चुनाव में जिताने का संकल्प लिया गया। दोनों उम्मीदवार प्रत्यक्ष अथवा प्रत्यक्ष रूप से कोयला मजदूर संगठनों से जुड़े हुए हैं। ढुल्लू महतो भी कोयला मजदूरों की राजनीति करते हैं तो बेरमो विधायक अनूप सिंह भी कोयला मजदूरों की राजनीति करते हैं। धनबाद कोयलांचल में कोयला मजदूरों की तादाद भी अच्छी खासी है। सब अपने-अपने ढंग से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं।

कई सामाजिक संगठनों की बैठक चल रही है। निर्णय लेने का प्रयास किया जा रहा है कि किस प्रत्याशी के पक्ष में समर्थन का ऐलान किया जाए. कुछ संगठन तो बचना भी चाहते हैं।भीतर से भले ही किसी को समर्थन दे दें लेकिन बाहरी तौर पर उजागर नहीं होना चाहते हैं।जबकि प्रत्याशियों का दबाव रहता है कि वह घोषणा करें कि किस उम्मीदवार को उनका संगठन समर्थन करेगा।

 25 मई को होगा मतदान 

धनबाद में 25 मई को मतदान है।मतदान के 48 घंटे पहले अर्थात 23 मई को चुनाव प्रचार थम जाएगा। 25 मई को सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक, मतदान होगा।

निष्कर्ष:-

चुकी धनबाद लोकसभा में संघर्ष कांटे का है।इस लिए यह कहना मुशिकिल होगा कि जीत किसकी होगी। भाजपा के अंदर भी अंतर्कलह है,जिसके कारण इस बात से इंकार नही किया जा सकता है कि भाजपा के अंदर भी वोट का बंदरवांट नही हो सकता है। वैसे कुछ भी हो सकता है।अनुपमा सिंह के प्रति भी लोगो में भरोसा बनता जा रहा है। और कुछ खास वर्गों में उनके प्रति सिम्पैथी भी देखी जा रही है।लोगों के बीच यह भी चर्चा है कि भाजपा को लगातार धनबाद की जनता ने वोट दिया है।जीता कर संसद भेजा।यहां डबल इंजन की सरकार भी रही इसके वावजूद धनबाद की जनता को जो अपेक्षा थी वह पूरा नही हो सका। इस लिए जनता में निगेटिविटी भाजपा के प्रति भी है।

दुमका में सिंथेटिक कलर से तैयार 4 टन नकली मिलावटी मसाला बरामद,खाद्य सुरक्षा विभाग ने किया मामले का खुलासा


झारखंड डेस्क

 शहरी चकाचौंघ के बाबजूद आज भी दुमका सहित संथाल परगना प्रमंडल के ग्रामीण क्षेत्रों में हटिया या ग्रामीण हाट का खास महत्व है. हर गांव में साप्ताहिक हाट लगता है,जहां लोग अपने दैनिक उपयोग की वस्तु खरीदते हैं. ग्रामीणों के लिए हटिया किसी मॉल से कम नहीं है. यहां जरूरत की हर समान कम कीमत पर उपलब्ध रहता है,लेकिन लोगों को पता नहीं है कि कम कीमत के चक्कर मे लोग मिलावटी सामान खरीद रहे हैं, जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.इसका खुलासा फूड सेफ्टी टीम की छापेमारी में हुआ है. 

हंसडीहा में नकली मसाला तैयार कर खपाया जा रहा था

दरअसल खाद्य सुरक्षा विभाग को गुप्त सूचना मिली थी कि हंसडीहा में नकली मसाला तैयार किया जाता है. सिंथेटिक कलर मिलाकर हल्दी और धनिया पाउडर तैयार किया जाता है और इसे छोटे छोटे व्यवसायियों के माध्यम से ग्रामीण हाट बाजार में खपाया जाता है. हंसडीहा निवासी व्यवसायी कमलेश वैद्य द्वारा अपने आवासीय परिसर पर नकली मसाला तैयार किया जाता है. 

गोदाम से करीब 4 हजार किलोग्राम नकली हल्दी और धनिया पाउडर बरामद

इस सूचना पर खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी अमित कुमार राम के नेतृत्व में फूड सेफ्टी टीम ने गुरुवार को कमलेश वैध के घर पर दबिश दी.आवासीय परिसर स्थित गोदाम से करीब 4 हजार किलोग्राम नकली हल्दी और धनिया पाउडर को बरामद किया गया.

 स्थल पर जांच की गई जिसमें सिंथेटिक कलर की पुष्टि हुई.छापेमारी के बाद फूड सेफ्टी की टीम ने गोदाम को सील कर दिया.साथ ही चार अलग अलग डब्बे में मसाला पाउडर का सैम्पल कलेक्ट किया गया जिसे राज्य खाद्य जांच प्रयोगशाला रांची भेजने की तैयारी चल रही है. 

पढ़ें मामले पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी अमित कुमार राम ने क्या कहा

 इस संदर्भ में खाद्य सुरक्षा अधिकारी अमित कुमार राम ने बताया कि गुप्त सूचना मिली थी व्यसायी कमलेश वैध बहुत दिनों से नकली मसाला को हाट बाजार में अवैध रूप से बेच रहा है. सूचना के पश्चात व्यसायी के घर छापेमारी की गई,जहां से 4 हजार किलोग्राम हल्दी और धनिया का नकली पाउडर बरामद किया गया, उन्होंने बताया कि सिंथेटिक कलर मिलाकर मसाले को बनाया गया है. ये मसाला स्वास्थ के लिए हानिकारक है.उन्होंने कहा कि छापेमारी के दौरान कमलेश घर पर नहीं था. संभावना है कि लंबे समय से यह कारोबार फल फूल रहा था. नेटवर्क को खंगाला जा रहा है. 

उन्होंने आम लोगों से अपील की है कि वैसे व्यवसायी से सामान खरीदें, जिनके पास FSSAI और झारखंड सरकार द्वारा दिया गया फ़ूड लाइसेंस हो. छापेमारी दल में फूड सेफ्टी इंस्पेक्टर अमित कुमार हंसडीहा थाना के एसआई शिवजी सिंह सहित अन्य कर्मी मौजूद थे.

कल्पना सोरेन की इंट्री उड़ीसा में,उन्होंने एक सभा को संवोधित करते हुए कहा-आदिवासी,दलित्,कई अल्पसंख्यंक से सरकार को यहाँ कोई मतलब नही है


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झारखंड डेस्क

पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की धर्म पत्नी  कल्पना सोरेन ने झारखंड के बाद अब ओडिशा में एंट्री ली है। उन्होंने वहां की राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि यहाँ की आदिवासी की हमेशा उपेक्षा हुई।उनकी सुविधाओं का ख्याल नही रखा गया ना उनके विकास पर ध्यान दिया गया।

 दरअसल, गुरुवार को झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन की बड़ी बेटी अंजनी सोरेन ने ओडिशा की मयूरभंज लोकसभा सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।

 इनके नामांकन में पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन, मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और कांग्रेस के मंत्री बन्ना गुप्ता आदि शामिल हुए और नामांकन के बाद चुनावी सभा को संबोधित किया।

कल्पना सोरेन ने कहा कि ओडिशा की राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार और उसकी अलग-अलग एजेंसियां, इन्हें केवल खनिज संपदा से मतलब है, आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यकों और पिछड़ों से कोई मतलब नहीं है, न ही इनके हालात से मतलब है।

उन्होंने कहा कि मयूरभंज वृहद झारखंड का हिस्सा रहा है। झारखंड के साथ-साथ ओडिशा भी खनिज संपदा से परिपूर्ण राज्य है। यहां पर बहुत मेहनती लोग हैं, किसान हैं, मगर पीने का पानी और सिंचाई के लिए पानी की घोर किल्लत है।

सिंचाई की असुविधा होती है। इसके कारण साल में एक ही बार फसल मिल पाती है। ओडिशा में बीजेडी की सरकार चल रही है, जिसे भाजपा का भी समर्थन है, लेकिन इन्हें अदिवासियों से कोई लेना-देना नहीं है। आदिवासियों को केवल ठगा गया है।

कल्पना ने कहा कि चुने सांसदों और विधायक को इतना भी समय नहीं है कि आपकी समस्या को संसद या विधानसभा में उठा सकें। लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। इसमें हमारे बीच के भी कुछ लोग शामिल हैं।

झारखंड में भाजपा के खिलाफ आंदोलन का शंखनाद किया जा रहा है। अब ओडिशा के आदिवासियों को भी कमर कस लेना हेागा। आदिवासियों को खैरात में कभी कुछ नहीं मिलता है। जब देश में आजादी के सपने भी नहीं देखे गए, तब हमारे तिलका मांझी, सिदो-कान्हू, फूलो-झानो ने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका था।

इन वीरों की राह पर चलते हुए दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा को खत्म करने और अलग झारखंड राज्य की निर्णायक लड़ाई लड़ी। अब उनके बेटे हेमंत सोरेन के नेतृत्व में 2019 में दलित, पिछड़े, किसान, आदिवासी, मूलवासी झारखंडियों और अपने लोगों की सरकार बनी। चुनाव का समय है, झूठ बोलकर लोगों को भटकाया जाएगा। खनिज-खजाना का हक यहां रहने वाले लोगों को मिलना चाहिए।

भाजपा के नेताओं को आदिवासी शब्द से नफरत है, ये आदिवासी को वनवासी कहते हैं। दूसरी ओर हमारी सरकार गर्व से झारखंड में आदिवासी दिवस मनाते हैं। उन्होंने हिंदी और उड़िया भाषा में अंजनी सोरेन के लिए वोट अपील की।

मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों व निर्दलीय उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न आवंटित



झारखंड डेस्क धनबाद : जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त सुश्री माधवी मिश्रा ने लोकसभा चुनाव के लिए आज मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों व निर्दलीय उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न आवंटित किया। इसको लेकर आयोजित प्रेस वार्ता में जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने बताया कि लोकसभा चुनाव के लिए 28 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था।

स्क्रूटनी के बाद 3 उम्मीदवार का नामांकन रद्द किया गया। वहीं 9 मई को दोपहर 3 बजे तक नाम वापस लेने की अंतिम तिथि थी। परंतु आज किसी उम्मीदवार ने अपना नाम वापस नहीं लिया है। सभी 25 उम्मीदवारों के बीच सामान्य प्रेक्षक श्री अनूप खिंची की उपस्थिति में चुनाव चिह्न आवंटित किया गया। जिसमें मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को उनके रिजर्व सिंबल दिए गए।

जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की उम्मीदवार श्रीमती अनुपमा सिंह को हाथ, भारतीय जनता पार्टी के श्री ढुल्लू महतो को कमल, बहुजन समाज पार्टी के श्री मोहन सिंह को हाथी का सिंबल दिया गया। वहीं श्री अकबर अली को केटली, डॉ परवेज नैय्यर को एयर कंडीशनर, श्री कृष्ण चन्द्र राज सिंह को बक्सा, श्री दीपक कुमार दास को ब्लैक बोर्ड, श्री राजीव तिवारी को बैटरी टॉर्च, श्री रिजाउल हक को सेब, श्री संजय कुमार गिरी को आलमारी, श्रीमती अनिन्दिता दास को माइक, श्री एकलाक अंसारी को हेलमेट, श्री उमेश पासवान को नारियल फार्म, श्री कामेश्वर प्रसाद वर्मा को टाइप मशीन, मो जहीरूद्दीन खान को पानी की टंकी, श्री जगदीश रवानी को कैंची, श्री जनक शाह गोंड को बेबी वॉल्कर, श्री तुलसी महतो को गुब्बारा, श्री त्रिदेव कुमार महतो को ऑटो रिक्शा, श्री निताई दत्ता को गैस सिलेंडर, श्री प्रेम प्रकाश पासवान को बल्ला, मोहम्मद तफाजुल हुसैन को चुड़ियां, मोहम्मद फैसल खान को कलम की नीब 7 किरणों के साथ, श्रीमती लक्ष्मी देवी को फलों से युक्त टोकरी तथा सुनैना किन्नर को ब्रेड का सिंबल दिया गया।
मंत्री के निजी सचिव संजीव लाल के सामने बैठा कर उनकी पत्नी रीता लाल सेंकर रही है ईडी पूछ-ताछ

झारखंड डेस्क
रांची। झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास और संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल की पत्नी रीता लाल ईडी कार्यालय पहुंची हुई हैं और उनसे पूछताछ जारी है।

बताया जा रहा है कि पति संजीव कुमार लाल के सामने बिठाकर ईडी उनसे पूछताछ कर रही है। गौरतलब है कि संजीव लाल व उनका नौकर जहांगीर आलम पिछले दो दिनों से ईडी की रिमांड पर हैं। पिछले तीन दिनों में इनसे व इनके करीबियों के ठिकानों से हो करीब 35 करोड़ की बरामदगी हो चुकी है। ईडी की छानबीन जारी है।

*रीता लाल बिल्डर कंपनी में हैँ डायरेक्टर , के रूप में फाइनेंशियल कार्य था इनके जिम्मे*

मंत्री आलमगीर आलम के ओएसडी संजीव लाल से जुड़े कई ठिकानों पर सोमवार और मंगलवार को ईडी के द्वारा रेड की गई थी. रेड में 35 करोड़ रुपये मिलने के बाद संजीव लाल और उसके नौकर को गिरफ्तार किया गया था. ईडी सूत्रों के अनुसार कागजातों की जांच के दौरान संजीव लाल की पत्नी रीता लाल से जुड़े कई फाइनेंशियल डिटेल एजेंसी को मिले थे.


बताया जा रहा है कि बिल्डर मुन्ना सिंह की कंपनी में रीता लाल डायरेक्टर थी. कई फाइनेंशियल कार्य रीता लाल की देखरेख में हुआ करता था. मिले साक्ष्यों के आधार पर ही रीता लाल को समन जारी कर गुरुवार को एजेंसी के दफ्तर पूछताछ के लिए बुलाया गया था. गुरुवार को दिन के लगभग 11:45 पर रीता लाल दुपट्टा से अपने मुंह को ढके हुए वकील के साथ ईडी दफ्तर पहुंची, जहां आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद रीता लाल से पूछताछ शुरू कर दी गई.
गुड न्यूज़ : धनबाद से इस्पात नगर तक तीसरी रेल लाइन बिछायी जायेगी, जल्द दौडे़गी ट्रेनें

झारखंड डेस्क
धनबाद :धनबाद से इस्पात नगर (बोकारो) तक तीसरी रेलवे लाइन बिछायी जायेगी. लाइन बिछाने से पहले लाइन पर रोड ओवरब्रिज का निर्माण किया जाएगा। वाहनों का आवागमन प्रभावित न हो, इसके लिए पहले दो आरओबी का निर्माण कराया जायेगा.

इसके बाद पहले से निर्मित आरोबी को तोड़ा जायेगा. इसके साथ ही लाइन बिछाने का काम भी जारी रहेगा। इसके लिए रेलवे की ओर से तैयारी कर ली गई है. रेलवे की ओर से मतारी स्टेशन के पास रोड ओवरब्रिज के पास नया ब्रिज बनाया जायेगा और तेलो स्टेशन से डेढ़ किलोमीटर पहले रोड ओवरब्रिज बनाया जायेगा.


पुल की चौड़ाई बढ़ाई जाएगी ताकि तीन लाइनें इससे गुजर सकें। तेलो में एक आर्च ब्रिज है, जिसे बो स्ट्रिंग गर्डर आरओबी में बदल दिया जाएगा.

*अनुमान तैयार:*

आरओबी का निर्माण धनबाद और गोमो स्टेशन के बीच, मतारी और गोमो-तेलो के बीच होना है. दोनों आरओबी को तोड़कर नया आरओबी बनाने का एस्टीमेट बनाया गया है.

जिसकी प्राक्कलित राशि 44 करोड़ 34 लाख 32 हजार 966 रुपये निर्धारित की गयी है. टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक साल के अंदर यह काम पूरा किया जाना है. मई के अंत तक टेंडर प्रक्रिया पूरी करनी है. इसके बाद काम शुरू हो जायेगा.
मुख्यमंत्री चंपाइ सोरेन ने झारखंड प्रशासनिक सेवा (झाप्रसे) के सात अफसरों पर विभागीय कार्रवाई फल दिया जारी

*इन सभी अधिकारियों पर उनके पदस्थापन काल में अलग-अलग मामलों पर गड़बड़ी करने का है आरोप*

झारखंड डेस्क
मुख्यमंत्री चंपाइ सोरेन  ने झारखंड प्रशासनिक सेवा (झाप्रसे) के सात अफसरों पर विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इनमें तीन अधिकारी सेवानिवृत्त हो गये हैं।

सभी अधिकारियों पर उनके पदस्थापन काल में अलग-अलग मामलों पर गड़बड़ी करने के आरोप में कार्रवाई करने की अनुशंसा की गयी है।

इन जिलों के लिए उपायुक्तों ने प्रपत्र क गठित कर सरकार को रिपोर्ट भेजा था, जिसकी प्रथम दृष्टया जांच में आरोप प्रमाणित पाये गये। सारा मामला मुख्यमंत्री के समक्ष भेजा गया, जिसके बाद रिटायर IAS अधिकारी कमल जॉन लकड़ा को आरोपों की जांच के लिए जांच संचालन पदाधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया।

सभी अधिकारियों से आरोपों के मामले में जवाब-तलब भी किया जायेगा। इस संबंध में बुधवार को कार्मिक विभाग  ने आदेश जारी कर दिया है।

इन अधिकारियों पर होगी विभागीय कार्रवाई


-रविन्द्र कुमार सिंह, सेवानिवृत, झाप्रसे, तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी, चतरा।

-जयदीप तिग्गा, झाप्रसे, तत्कालीन जिला प्रबंधक, राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम, पश्चिम सिंहभूम, चाईबासा।

-रविशंकर, सेवानिवृत, झाप्रसे, तत्कालीन संयुक्त सचिव सह आंतरिक वित्तीय सलाहकार, जलसंसाधन विभाग झारखंड।

-लखी राम बास्के, झाप्रसे, तत्कालीन विशेष भू-अर्जन पदाधिकारी-03, मानगो शिविर, Adityapur, सम्प्रति उप सचिव योजना एवं विकास विभाग।

-जितेंद्र कुमार देव, झाप्रसे, तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी, पाकुड़।

-मुकुंद दास, सेवानिवृत, झाप्रसे, BDO, गुमला।

-संदीप बक्शी, झाप्रसे
*मधुकोड़ा ने दोषसिद्धि के खिलाफ किया दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर, 13 अगस्त को होगी सुनवाई

झारखंड डेस्क झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा दोषसिद्धि के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जानकारी के अनुसार उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि झारखंड में नवंबर 2024 में विधानसभा का चुनाव हो सकता है. वह इसके पहले मुख्यमंत्री, सांसद और कई बार विधायक रह चुके हैं. यदि उनकी दोष सिद्धि पर रोक नहीं लगाई जाती है तो वह विधानसभा चुनाव लड़ने से वंचित हो जाएंगे. विदित हो यह मधु कोड़ा निर्दलीय विधायक होकर भी झारखंड का मुख्यमंत्री बनने का इतिहास रचा था।अब वे भाजपा में शामिल हो गये हैँ। *13 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट करेगी सुनवाई* पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की ओर से दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान मधु कोड़ा ने दोष सिद्धि पर रोक लगाने का आग्रह किया. वहीं सीबीआई ने मधु कोड़ा की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पूर्व में हाईकोर्ट इसी तरह की याचिका को खारिज कर चुका है. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले में नोटिस जारी किया है. साथ ही मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को करने की तिथि निर्धारित की है. कोयला घोटाला मामले में मधु कोड़ा को अदालत ने 2017 में दोषी करार दिया था. उन्हें 3 साल की सजा सुनाई गई थी. मधु कोड़ा की राजनीतिक गतिविधियां थम सी गई थी. लेकिन एक बार फिर वह राजनीति में सक्रिय हो गए हैं. 2019 में उनकी पत्नी गीता कोड़ा कांग्रेस की टिकट पर सिंहभूम से सांसद चुनी गई, लेकिन 2024 के चुनाव के पहले वह भाजपा में शामिल हो गई. और फिलहाल सिंहभूम से भाजपा की लोकसभा उम्मीदवार हैं. पत्नी भाजपा से सांसद का चुनाव लड़ रही है और इधर मधु कोड़ा को भी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जागृत हुई है. इसी इच्छा की वजह से वह हाई कोर्ट पहुंचे हैं और दोष सिद्धि पर रोक लगाने की मांग की है. जिससे कि वह चुनाव लड़ सकें. कोर्ट का क्या फैसला आता है, इसका तो पता आगे चलेगा. *कोयला घोटाले मामले में कोर्ट ने 2017 में उन्हें दोषी करार दिया था.* मधु कोड़ा निर्दलीय विधायक होते हुए भी मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है. 2006 में जब झारखंड में अर्जुन मुंडा की सरकार गिरी तो अन्य दलों के समर्थन से मधु कोड़ा झारखंड के मुख्यमंत्री बन गए. लगभग ढाई साल तक वह मुख्यमंत्री रहे. झारखंड के मधु कोड़ा पांचवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. 18 सितंबर 2006 को मधु कोड़ा झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन कोयला घोटाले के मामले में कोर्ट ने 2017 में उन्हें दोषी करार दिया था. उन्हें 3 साल की सजा सुनाई गई थी. तथा ₹500000 का जुर्माना भी लगाया गया था . 2018 में मधु कोड़ा को जमानत मिल गई और जुर्माने पर भी रोक लगा दी गई थी .अब देखना है कि कोर्ट दोष सिद्धि पर राहत देती है अथवा नहीं . यह बात भी सच है कि लोकसभा का चुनाव चल रहा है लेकिन झारखंड में विधानसभा के चुनाव की तैयारी भी राजनीतिक पार्टियों कर रही है. अभी से ही गोटी बैठाई जा रही है. फिलहाल झारखंड में गठबंधन की सरकार चल रही है. झारखंड में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बड़े भाई की भूमिका में रहती है तो झारखंड मुक्ति मोर्चा छोटे भाई की तरह राह पकड़ता है. ठीक इसके विपरीत विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा बड़े भाई की भूमिका में आ जाता है और कांग्रेस छोटे भाई की तरह काम करती है.2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और आजसू का गठबंधन टूट गया था.इसका खामियाजा भी भाजपा को भुगतना पड़ा था.लेकिन लगता है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन इनटैक्ट रहेगा.