जैसे उड़ि जहाज को पंछी पुनि जहाज पर आवै संदर्भ : अब इधर-उधर नहीं : नीतीश
भक्त शिरोमणि सूरदास जी का एक पद है, मेरा मन अनत कहां सुख पावै, जैसे उड़ि जहाज को पंछी फिरि जहाज पर आवै। पद की उपरोक्त लाइन लगातार नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले नीतीश कुमार पर सटीक बैठती है, क्योंकि इंडिया गठबंधन रूपी नये जहाज का कप्तान ही जब बीच मझधार में उसे छोड़कर पुराने जहाज ( एनडीए ) पर बैठ जाये तो नया जहाज तो डूबेगा ही।
वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि " अब बस हुआ, इधर-उधर अब नहीं होगा, अब यहीं रहेंगे"। पीएम, गृह मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से नीतीश की मुलाकात में क्या रणनीति बनी, यह आने वाले समय में उनकी कार्यशैली में परिलक्षित होगी।
दूसरी ओर बिहार की सत्ता पर काबिज होने के लिए लालू प्रसाद एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। उन्हें अब भी खेला होने की उम्मीद है। वहीं कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की यात्रा गठबंधन के लिए शुभ साबित नहीं हुई। उनकी मोहब्बत की दुकान का प्रचार करने के लिए निकाली गयी यात्रा नंबर दो जिन जिन राज्यों से गुजरी वहां की पार्टियां गठबंधन से अलग हो गयी। तृणमूल कांग्रेस, जदयू, आप और अब यूपी में जयंत चौधरी भी सीटों के बंटवारे पर अखिलेश यादव से नाराज दिखे रहे हैं। हो सकता है कि वे इंडिया गठबंधन को अलविदा कह दें।
लालू प्रसाद भी जानते हैं कि उनके दोनों युवराजों से बिहार संभलने वाला नहीं है। अकेले राजद भी चुनाव में नहीं उतरना चाहता है। उसे किसी नये चेहरे की जरूरत है। इसलिए राजद सुप्रीमो बड़े पुत्र तेजस्वी यादव की पत्नी राजश्री को बिहार में लांच करना चाहते हैं। इसलिए राजश्री से इस तरह का पोस्ट डलवाया गया है ताकि खेला होने का माहौल बना रहे।
वहीं दूसरी ओर भाजपा,राजद और कांग्रेस सभी अपने - अपने विधायकों पर नजरें गड़ाये हुए हैं। सभी जानते हैं कि लालच क्या नहीं करवाता है। सत्ता धारी दल में टूट की संभावना नहीं रहती है। इसलिए एनडीए को बहुमत साबित करने में कोई परेशानी होती नहीं दिख रही है।

भक्त शिरोमणि सूरदास जी का एक पद है, मेरा मन अनत कहां सुख पावै, जैसे उड़ि जहाज को पंछी फिरि जहाज पर आवै। पद की उपरोक्त लाइन लगातार नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले नीतीश कुमार पर सटीक बैठती है, क्योंकि इंडिया गठबंधन रूपी नये जहाज का कप्तान ही जब बीच मझधार में उसे छोड़कर पुराने जहाज ( एनडीए ) पर बैठ जाये तो नया जहाज तो डूबेगा ही।

मोदी, शाह और नड्डा की तिकड़ी के आगे विपक्ष धीरे-धीरे नतमस्तक होता जा रहा है। किसी भी पार्टी की समझ में नहीं आ रहा है कि एनडीए के विजय रथ को कैसे रोका जाये ।
22 जनवरी, 2024 एक ऐसी तिथि साबित हो रही है जिससे भारत की सनातनी इकोनामी तेजी से आगे बढ़ेगी। आज अयोध्या राम लला के आशीर्वाद से समृद्धि की नयी राह पर चल पड़ी है। राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के ग्यारहवें दिन तक करीब 25 लाख श्रद्धालु राम लला के दर्शन कर चुके थे। इस दौरान श्रद्धालुओं ने करीब 11 करोड़ रुपये दान किये। स्वर्णाभूषण और आन लाइन व चेक से भी श्रद्धालु चढ़ावा चढ़ा रहे हैं।
खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। कांग्रेस की हालत बिल्ली की तरह ही हो गयी है। राम लला प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण पत्र सोनिया गांधी द्वारा ठुकराना कांग्रेस को भारी पड़ सकता है। वहीं उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे नरेंद्र मोदी की तुलना पुतिन से करते हुए जनता को समझा रहे हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद देश में फिर चुनाव नहीं होने वाला। कोई दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति किम से कर रहा है। इसका मतलब यही निकलता है कि कांग्रेस जान चुकी है कि एनडीए 400 प्लस सीटों पर विजय प्राप्त कर सकता है। ये सब कांग्रेस की हताशा का परिणाम लग रहा है।
अब कोई गिरगिट से तुलना करे या पलटू कुमार कहे बिहार में एक बार फिर एनडीए की सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में बन ही गयी। इससे जहां नीतीश अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे , वहीं एनडीए की सरकार बिहार में काबिज हो गयी। लेकिन इस बार नीतीश को फ्री हैंड नहीं मिलेगा। भारतीय जनता पार्टी एक सोची-समझी रणनीति के तहत काम कर रही है। मंत्रिमंडल का गठन भी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर जातीय समीकरण के तहत किया गया है।
Feb 11 2024, 09:27
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