आज की रात बड़ी भारी है
संदर्भ : संयोजक नहीं बनना नीतीश के लिए रहा फायदेमंद
बिहार में चल रही सियासी हलचल का पटाक्षेप कुछ घंटों में हो जायेगा। इसका फायदा केवल और केवल दो पार्टियों को होगा। पहला भाजपा को, वह बिहार को साधना चाहती थी, जो हो गया। दूसरा जदयू, नीतीश कुमार अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब हो गये। लेकिन भाजपा इस बार फूंक - फूंक कर और सोच-समझकर ही कदम उठा रही है।
दूसरी ओर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की बेचैनी उनके पुत्र मोह को उजागर कर रही है। वे अब दबाव की राजनीति पर उतर आये हैं। लेकिन लगता है अब बाजी उनके हाथों से निकल चुकी है।
वहीं कांग्रेस को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि वह बिहार के इस हालात पर क्या करे। कांग्रेस के बड़े नेता और लालू प्रसाद फोन पर एक बार बात करने को लालायित हैं लेकिन नीतीश कोई भाव नहीं दे रहे। इससे सारा मामला साफ है कि नीतीश कुमार भाजपा के साथ सरकार बनायेंगे और नौवीं बार बिहार के सीएम बनेंगे।
भाजपा एक सोची-समझी रणनीति पर काम कर रही है। जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है वहां एनडीए की सरकार बनाना चाहती है। उदाहरण महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान है। अब इसमें बिहार का नाम और जुड़ गया है।
बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में एनडीए की सरकार चाहती थी। भानुमती के कुनबे को एकजुट करने वाले नीतीश जब गठबंधन में पीएम का चेहरा नहीं बन पाने से नाराज दिखे, तभी बीजेपी ने उनके लिए अपने दरवाजे खोल दिये।
और अंत में 2024 की शुरुआत बीजेपी के लिए बहुत ही शुभ साबित हो रही है। पहले 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य और अलौकिक मंदिर में राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा, 24 जनवरी को जन नायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा और अब 28 जनवरी को बिहार में एनडीए की सरकार ( संभावित) ।
Feb 06 2024, 17:27