गाज़ा-इज़रायल युद्ध क्या तीसरे विश्वयुद्ध की आहट है..? दुनिया को एक दूसरे के समर्थन में गुटबंदी के बजाय इसे रोकने के लिए आगे आने की जरूरत है..!
- (विनोद आनंद)
युद्ध का परिणाम कभी भी अच्छा नही होता।दो शक्तियां लड़ती जरूर लेकिन मारे जाते हैं निरीह लोग जिनका युद्ध से कोई वास्ता नही होता।
भूख, प्यास और अपनों के बिछड़ने का गम क्या होता है ?यह जाकर यूक्रेन,इज़राइल और गाज़ा के लोगों से पूछिये।दुर्भाग्य तो यह है कि इस युद्ध को रोकने के बजाय दुनिया के सभी देश एक दूसरे के समर्थन में जुटकर गोलबंद हो जाते हैं । इसे रोकने या तटस्थ होकर बीच वचाव के वजाय इस युद्ध को अपने लिए अवसर के रूप में देखते हैं। और उसे सह देकर बढ़ाते हैं।
आज युद्ध में किया हो रहा है ..? लोग मरे...! तबाही हो...! कोई देश खंडर बन जाये..! इस से वास्ता नही , लेकिन आज इस युद्ध में भी हर देश अपनी अपेक्षाएं ढूंढते हैं।उनके हथियार बिके, उनके लिए व्यवसाय का मौका बढ़े।यही उनकी अपेक्षा होती है । उस शक्ति के बिरुद्ध कई देशों को एकजूट होकर उसे नीचे दिखाया जा सके जो देश उनका दुश्मन है या उनके लिए चुनौती बना हुआ है।
अपने इस हित को साधने के लिए किसी देश के कंधे पर बंदूक रख कर चलाना शुरु कर देते हैं । लेकिन बर्बादी होती है उस देश की जिनके कंधे पर बंदूक रखकर चलाया जाता है। बर्बाद होने वाले देश से उनकी कोई सहानुभूति नही होती। बल्कि उनके हित और आकांक्षाओं की पूर्ति हो रही कि नही उसे सिर्फ इस बात से मतलब होता है। यूक्रेन के साथ भी यही हुआ, और आज गाजा इज़राइल के साथ भी यही हो रहा है।
दुर्भाग्य तो ये रहा कि द्वतीय विश्वयुद्ध के बाद जो सयुंक्त राष्ट्रसंघ बना जिसकी जिम्मेबारी थी की दुनिया में जब कोई ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जिससे पूरा विश्व अशांत हो जाये, किसी निरीह देश पर किसी ताकतबर देश हमला कर दे तो वह अंतराष्ट्रीय कानून का पालन करते हुए अमन शांति स्थापित करे,दोषी को अंतराष्ट्रीय कानून के तहत दंडित करे।लेकिन दुर्भाग्य ...! ऐसा नही हो पा रहा है। इसका बजह है इन अंतरष्ट्रीय संघठन में बने कुछ त्रुटिपूर्ण नीतियां,
आज इन संस्था के कुछ गिने चुने देशों के पास वीटो पावर है।अगर वीटो पावर वाले देश कुछ गलतियां भी करे तो उसे अपने विरोध में लगे किसी आरोप या किसी भी कारबाई को रोकने का हथियार उनके लिए ये वीटो पॉवर बन जाता है।
आरोप या हर कारबाई को इस पावर का उपयोग कर वह रोक सकते हैं ।आश्चर्य तो यह है कि अगर 5 देश के पास वीटो पावर है , चार किसी भी गलती के विरोध में है तो वीटो वाला अकेला देश भी अपने वीटो का इस्तेमाल कर अपने को निर्दोष सावित कर किसी कारबाई को रोक सकता है।
पता नही इस तरह नियम बनाने वाले नीति निर्धारकों का उधेश्य क्या रहा होगा लेकिन इस से इस संस्था के उधेश्य और कार्य पद्धति से आज विश्व में जो परिस्थिति पैदा हो रही है उस पर अंकुश लगाना संभव नही है।इसमें भी सुधार होनी चाहिए।
अब रही वर्तमान संकट इजराइल और हमास युद्ध तो यह युद्ध आज लगभग 20 दिन हो गए।
अब तक गाज़ा के अंदर 4137 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 12,500 लोग घायल हैं। वहीं, इजराइल ने बीती रात गाजा में 100 जगहों पर बम गिराए, इन हमलों में हमास के एक नेवी कमांडर की भी मौत हो गई। जो 7 अक्टूबर को इजराइल में नरसंहार का दोषी था।
इस युद्ध में मैं नाम तो नही लूंगा लेकिन जिस तरह दुनिया के कई देश एक दूसरे के समर्थन में ताल ठोंक रहे है। वह दुनिया के सामने एक संकट बनता जा रहा है।आज इज़राइल और फिलिस्तीन के युद्ध में यही हुआ।चरमपंथी हमास के समर्थन में कई और देश आ गए और इजराइल से भी सहानुभूति रखने वाले देश भी गोलबंद हो रहे हैं। आज हालात यह है कि दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध के ओर बढ़ रहा है।इस युद्ध से कितना तबाही होगा इसकी कल्पना करके ही रूह कांप जाता है।
जबकि आज जरूरी था कि पहले सम्मलित शक्ति का प्रयोग कर इस युद्ध को रोके और जो इस युद्ध के लिए दोषी है उसे सम्मिलित रूप से दंडित किया जाय।
यहूदी फिलस्तीन विवाद कोई नया नही है पिछले सात दशक से यह विवाद जारी है लेकिन किसी विवाद के निपटारे के लिये आतंक या खून खराबा का सहारा लेना आज के सभ्य समाज के लिए उचित नही है। आज हमास या कोई भी आतंकी संघटन किसी न किसी देश द्वारा सम्पोषित संस्था है और इन गतिविधि के लिए वह देश जिम्मेवार है। उस देश के विरुद्ध ईमानदारी के साथ दुनिया के सभी देश सर्वसम्मत से एक कानूनी दायरा में कदम उठाए और जो भी देश इस तरह के गतिविधि को बढ़ावा दे रहा है उसके विरुद्ध भी कार्रवाई करे तो इसे रोका जा सकता है।
साथ हीं साथ पीड़ित देश, समुदाय या अन्य कोई कारक जिसके कारण इस तरह की परिस्थिति उत्पन्न हो रही है उसे भी न्याय दिलाने का निरपेक्ष भाव से कदम उठाए तो सारे समस्याओं का हल निकाला जा सकता है।
आज दुनियां कई आसन्न संकटों से गुजर रही है, हाल में वैश्विक महामारी कोरोना ने दुनिया के करोड़ो लोगों को निगल लिया, कई देश भुखमरी और अभाव से गुजर रहा है। मानव के सामने कई संकट है जिसका हल हमें ढूंढना है।इस लिए अमन जरूरी है। हमें सभी देश को मिलकर सिर्फ अमन के लिए काम करना है।हिंसा करने वाले आतंकी मुख्य धारा से जुड़े,अपने हित साधने के सोच रखने वाले देश पूरी दुनिया का हित को सोचे,अहंकार त्याग कर उदार सोच को विकसित करें और पूरी दुनिया एक दूसरे के परस्पर सहयोग से आगे बढ़े । बस यही कामना के साथ... पूरी दुनिया से अपील करना चाहूंगा कि आप अपने देश या किसी भी देश में उस आतंकी संघटन या आतंकी गतिविधि में संलग्न व्यक्ति या संस्था को कभी भी बढ़ावा या सम्पोषित नही करें।और इसके लिए एकजूट होकर पूरी दुनिया पहल करे।
मौजूदा हालात में इज़राइल का गुस्सा अपने जगह सही है।जिस तरह हमास ने 7 अक्टूबर को इजराइल में कत्ले आम मचाया, लोगों को बंधक बनाया, छोटे छोटे निरीह बच्चों की हत्या की, महिलाओं के साथ जो कुछ किया इसे कतई माफ नही किया जा सकता लेकिन इसके लिए धैर्य की जरूरत है और अंतराष्ट्रीय संघटन को उस ढांचा को मजबूत करने की जरूरत है जो ऐसे कुकृत्य करने वाले को दंडित कर सके, ना कि एक दूसरे के समर्थन में ताल ठोंक कर आगे आये।
धैर्य इस लिए भी जरूरी है कि आज गाजा में भी इस कारबाई से दोषी के अलावे निर्दोष लोग भी मारे जा रहे है ।
गुटबंदी इस लिए जरूरी नही है कि इस से विश्व युद्ध की पुनरावृत्ति ना हो।क्योंकि युद्ध से सिर्फ विनाश होता है।हमने पिछले दो विश्वयुद्ध और जापान के नागासाकी और हिरोशिमा पर विनाशकारी परमाणु अटैक को देखा है। इसका हश्र क्या हुआ , तबाही, मौत,हाहाकार.बस हम यह नौबत नही आने दें। नही तो अब जो स्थिति होगी वह कल्पना से परे होगा। क्योंकि अब कई देश परमाणु अस्त्रों से सम्पन्न है।
इसीलिए हमें सतर्क, सजग,और धैर्य से काम लेने की जरूरत है।और गाजा हो या यूक्रेन या अन्य कोइ देश वहां युद्ध को रोकना है ताकि एक अमन और शांतिपूर्ण विश्व की परिकल्पना हम कर सकें।
Feb 06 2024, 07:31