पद्मश्री से नवाजी जाएगी झारखंड की पूर्णिमा महतो*
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जमशेदपुर: पद्मश्री से नवाजी जाएगी झारखंड की पूर्णिमा महतो इस से पहले उन्हें दोर्णाचार्या पुरुस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है कहा गृह मंत्रालय से कॉल आया तो भर आई आंखे.
जमशेदपुर की रहने वाली पूर्णिमा महतो को पद्मश्री से नवाजा जाएगा इस से पहले उन्हें दोर्णाचार्या पुरुस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है ।
आर्चरी कोच पूर्णिमा महतो को एक और बड़ा सम्मान मिलने जा रहा हैं । झारखंड की इस महिला कोच को पद्मश्री से नवाजा जाएगा भारत सरकार ने इसकी घोषणा कर दी हैं बता दें की इससे पहले उन्हें दोर्णाचार्या से भी सम्मानित किया जा चुका है वहा स्टार तीरंदाज दीपिका सहित कई खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे चुकी हैं ।
भारत सरकार की ओर से पूर्णिमा महतो को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा के बाद पूर्णिमा महतो ने बताया कि उसके लिए यह काफी गौरवपूर्ण क्षण हैं । भारत सरकार, परिवार के साथियों टाटा स्टील और शुभचिंतकों का शुक्रिया किया ।
जिनकी वजह से वह इस मुकाम तक पहुंची हैं । उन्होंने बताया की चार बार उनके मोबाइल फोन पर गृह मंत्रालय से कॉल आया पहले तो यकीन नहीं हुआ रात होते होते यकीन हुआ की मुझे पद्म श्री मिल रहा हैं । भारतीय आर्चरी में बारीडीह की रहने वाली पूर्णिमा महतो एक अलग मुकाम रखती हैं । अस्सी नब्बे के दशक में एक शानदार खिलाड़ी रही पूर्णिमा महतो एक सफल कोच हैं कोचिंग के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पूर्णिमा महतो द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित हो चुकी है 1987 में पूर्णिमा महतो ने आर्चरी शुरू की लेडी इंदर सिंह स्कूल दसवीं तक की पढ़ाई करने वाली पूर्णिमा महतो जब अपने घर उस वक्त बिरसानगर जोन नंबर एक में रहती थी से स्कूल आना जाना करती थी ।
इसके घर के पास एक मैदान था उसी में कोच लॉरेंस क्रिस्पोटा खिलाडियों को आर्चरी के ट्रेनिंग देते थे यह देख कर पूर्णिमा महतो का भी मन इस खेल को सीखने का हुआ जब उसने यह बात घर पर कही आम माता पिता की तरह पहले ना कहा लेकिन फिर तैयार हो गए
जब पूर्णिमा महतो के पिता आरआर महतो कोच लारेंस क्रिस्पोटा के पास पहुंचे तो कोच ने पूर्णिमा महतो को देखा इस समय वह पतली दुबली थी इसके हाथ के मांसपेशी को छूकर कहा की वह धनुष की प्रतांचा डोरी को खींच पाएगी या नहीं कोच ने पूर्णिमा का उत्साह देख कर ट्रेनिंग शुरू की ।
पूर्णिमा महतो ने मात्र सात महीने में ही ट्रेनिंग में बर्मामाइंस में आयोजित स्टेट चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया इसके घर के नजदीक के पास स्थित ट्रेनिंग सेंटर बंद हो गया है इस के बाद पूर्णिमा महतो ने बर्मामाइंस में ट्रेनिंग शुरू की कोच जे जी बनर्जी और पी एन दास ट्रेनिंग शुरू की पूर्णिमा महतो 1994 में पुनः हुए नेशनल गेम्स में मेडल की झड़ी लगा दी । इस पूर्णिमा महतो ने सारे गोल्ड मेडल जीत कर तहलका मचा दिया ।
उसने 70 मीटर , 60 मीटर, 50 मीटर , 30 मीटर और ओवर ऑल प्रदर्शन के आधार पर छह पदक अपने नाम किया
साथ ही इस टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भी चुनी गई इसी वर्ष पूर्णिमा महतो को टाटा स्टील ने नौकरी दी इसके बाद पूर्णिमा महतो दो हज़ार तक नेशनल और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लिया और पदक जीती पूर्णिमा महतो ने कोचिंग के क्षेत्र में पहली बार कदम रखा इसको टाटा आर्चरी एकेडमी नियुक्त किया गया तब से लेकर अब तक पूर्णिमा महतो भारतीय टीम और स्टेट टीम को कोचिंग दे रही हैं पूर्व विश्व नंबर वन तीरंदाज दीपिका कुमारी चकेर वोली राहुल बनर्जी जयंत तालुकदार प्राची सिंह और अंगीता भक्त और , सुष्मिता बिरोली और बिनोद स्वाति जैसे खिलाड़ी पूर्णिमा महतो के ही शागिर्द हैं ।
पूर्णिमा महतो भारतीय ओलंपिक टीम की भी कोच रही हैं ।पूर्णिमा महतो को भारत सरकार 2013 में कोचिंग के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दोर्णाचार्या पुरुस्कार से सम्मानित किया गया वहीं इससे पहले उनको 2011 में टिक्की ने बेस्ट कोच के अवार्ड से सम्मानित किया था 1991 में पूर्णिमा के जीवन में आया सबसे बड़ा बदलाव जे आर डी के मैन ग्राउंड में सीनियर नेशनल आर्चरी चैंपियनशिप का आयोजन किया था इसमें झारखंड महिला टीम ने गोल्ड मेडल हासिल किया था और पूर्णिमा व्यक्तिगत स्पर्धा में बारहवें स्थान पर थी , इस टूर्नामेंट के आधार पर सोलह खिलाडियों का चयन राष्ट्रीय कैंप के लिए किया गया था इसमें पूर्णिमा महतो का नाम शामिल था । पूर्णिमा महतो ने बताया की बहुत कुछ सीखा इसके बाद पूर्णिमा महतो का चयन 1993 में भारतीय टीम में हुआ इसके बाद पूर्णिमा महतो , एशियन गेम्स , वर्ल्ड चैंपियनशिप में शिरकत की इस टूर्नामेंट में अच्छे प्रदर्शन के आधार पर पूर्णिमा को सरकार के तरफ से कार्बन एरो वा बो दिया गया जिससे उनके प्रदर्शन में और निखार आया ।
Jan 27 2024, 21:25