इंडी गठबंधन को न माया मिली न ममता
संदर्भ : पं बंगाल में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी तृणमूल कांग्रेस
यूपीए का नया अवतार इंडिया गठबंधन जब से अस्तित्व में आया है, तभी से कुछ न कुछ होता आ रहा है। कांग्रेस और राजद को गठबंधन में सीटों की शेयरिंग में हो रही देरी की कोई चिंता नहीं है। लगता है गठबंधन में शामिल घटक दल एक - दूसरे से धीरे-धीरे छिटक रहे हैं। इंडिया गठबंधन खंड-खंड होता दिख रहा है।
यूपी में मायावती की एकला चलो के बाद आज पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने इंडी गठबंधन को तगड़ा झटका देते हुए अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। वहीं पंजाब में आप कांग्रेस के साथ समझौता न कर अकेले चुनाव लड़ेगा।
ममता ने यह फैसला कांग्रेस द्वारा पश्चिम बंगाल में 10 से ज्यादा सीटों की मांग को देखते हुए किया है, जबकि ममता केवल दो सीटें ही कांग्रेस को देने को तैयार हैं। हाल के दिनों में जो घटनाक्रम घट रहे हैं, उससे तो लगता है कि ममता पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश बनाना चाहती हैं। क्योंकि बांग्लादेश से बड़ी संख्या में बांग्लादेशी मुसलमान पं बंगाल में शरणार्थी के रूप में आ कर बस रहे हैं। और तृणमूल कांग्रेस के ये स्थायी वोटर बन गये हैं। ममता ने बाकायदा उन्हें आधार कार्ड, वोटर कार्ड आदि सब कुछ उपलब्ध करा दिया है। ये ममता के इशारे पर कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।
तृणमूल कांग्रेस का स्वरूप धीरे-धीरे राजद वाला ही बनता जा रहा है। लालू प्रसाद के 15 साल के शासन में बिहार में जंगल राज कायम हो गया था, उसी प्रकार पं बंगाल में भी एक तरह से जंगल राज ही कायम होता जा रहा है। इडी के अधिकारियों पर टीएमसी समर्थकों का हमला इसका ताजा उदाहरण है।
इंडिया गठबंधन में जितनी भी पर्टियां शामिल हैं उनके प्रमुखों के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई ना कोई केस जरूर चल रहा है। आप के केजरीवाल हों या राजद के लालू प्रसाद, तृणमूल की ममता हों या यूपी के अखिलेश यादव सभी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं। इंडिया गठबंधन में शामिल दल अपने - अपने स्वार्थ के कारण ही इकट्ठे दिख रहे हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी ने ऐसे ही अवसरवादी लोगों के लिए श्री रामचरितमानस में लिखा है-
स्वारथ लागि करहिं सब प्रीति । सुर,नर , मुनि सबकी यहि रीति।।
इंडी गठबंधन जो कुछ भी हो रहा है, उससे भाजपा को ही फायदा होता दिख रहा है। गठबंधन में हो रही उठा - पटक का ठिकरा कांग्रेस पर ही फूटेगा। क्योंकि कांग्रेस के युवा नेता राहुल बाबा को सीटों की शेयरिंग पर चिंता ही नहीं है। ममता के गठबंधन से हटने का असर बिहार और यूपी पर भी पड़ सकता है। इंडी गठबंधन से धीरे-धीरे पार्टियां छिटकना शुरू कर रही हैं। सबसे पहले नीतीश कुमार गठबंधन का चेहरा नहीं बन पाने के कारण संयोजक नहीं बने। उनका मन डोल रहा है। और अब ममता का भी मोह भंग हो गया, क्योंकि उनके मन में भी इंडी गठबंधन का चेहरा बनने की ललक थी, मगर जब उनके नाम का प्रस्ताव किसी ने नहीं किया तो उन्होंने एकला चलने का फैसला ले लिया। इसके बाद नीतीश क्या करवट लेंगे यह तो समय ही बतायेगा। कर्पूरी ठाकुर शताब्दी समारोह के अवसर पर नीतीश कुमार की परिवार वाद पर की गयी टिप्पणी के माध्यम से राजद पर कटाक्ष किया है। जदयू और राजद दोनों पसोपेश में हैं । उन्हें अपने विधायकों को एकजुट रखना होगा क्योंकि सत्ता का नशा सिर पर चढ़कर बोलता है।
और अंत में ममता के अकेले चुनाव लड़ने का फायदा भाजपा को मिल सकता है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ तृणमूल कांग्रेस का संबंध नहीं रहेगा यानी सभी पार्टियां अकेले चुनाव लड़ेंगी।
Jan 26 2024, 17:36