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गिरिडीह:स्थायीकरण की मांग पर दी अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी


गिरिडीह:गिरिडीह नगर निगम के सफाई कर्मियों ने बुधवार को सेवा स्थायीकरण की मांग को लेकर शहर में रैली निकाला। झारखंड लोकल बॉडीज इंप्लाइज फेडरेशन के बैनर तले रैली स्थानीय नगर निगम कार्यालय से निकलकर मुस्लिम बाजार, कालीबाड़ी चौक,मकतपुर, टावर चौक होते हुए वापस निगम कार्यालय पहुंची।

जहां रैली को संबोधित करते हुए फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने कहा कि राज्य सरकार शुरू से ही वादाखिलाफी करते आई है, पिता शिबू सोरेन और पुत्र हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री काल में सरकार ने वादा किया कि झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले सफाई कर्मियों के साथ इंसाफ होगा।लेकिन झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद राज्य सरकार टालमटोल की नीति अपना रही है। विभागीय सचिव विनय कुमार चौबे फाइल पर कुंडली मारकर बैठे हैं।सिटी मैनेजर और अर्बन प्लानर की बहाली की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इन बहालियों में 20 से 25 लाख की मोटी रकम वसूली जा रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चाहें, तो कर्मियों का स्थाईकरण एक दिन में हो जाएगा,लेकिन वह भी अधिकारियों के इशारे पर नाच रहे हैं।उन्होंने सरकार को आगाह कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले स्थाईकरण नहीं किया गया।तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।

मांग के समर्थन में गुरुवार को शहर में मशाल जुलूस निकाला म

जाएगा।मौके पर संघ के जिला अध्यक्ष अजीत चंद्र, शब्बीर अंसारी,लखन शर्मा,लखन हरिजन, रामकुमार सिन्हा सहित बड़ी संख्या में कर्मी मौजूद थे।

भारत से राजनयिक विवाद के बीच मालदीव ने फिर चली उल्टी चाल, चीन के जासूसी जहाज को घुसने की दी इजाजत


 भारत से राजनयिक विवाद के बीच मालदीव ने एक बार फिर उल्टी चाल चली है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपना मित्र बताने वाले मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के खिलाफ नई साजिश रची है। उन्होंने चीन के जासूसी जहाज को अपने क्षेत्र में घुसने की इजाजत दे दी। भारत से तनावपूर्ण संबंधों के बीच मालदीव ने चीनी जहाज के माले आने की पुष्टि करते हुए कहा कि मित्र राष्ट्रों के जहाजों का स्वागत है। चीनी जहाज के कुछ हफ्तों में मालदीव पहुंचने की संभावना है। इसने भारत की चिंता बढ़ा दी है भारत की चिंता इसलिए भी गंभीर है क्योंकि पिछले साल चीन ने अपने जासूसी जहाज को श्रीलंकाई धरती पर उतारा था, तब भी काफी बवाल हुआ था।

मालदीव का राष्ट्रपति बनने के बाद से मोहम्मद मुइज़ू के उठाए कदम भारत के खिलाफ ही रहे हैं। मालदीव का सर्वेसर्वा बनने से पहले उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय सेना की आलोचना की थी और जीतने पर भारतीय सेना को देश से बाहर करने का वादा भी किया था। राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने किया भी ऐसा ही। मुइज्जू सरकार ने भारत को सेना के वापस चले जाने के लिए 15 फरवरी तक का वक्त दिया है। इतना ही नहीं मालदीव की परंपरा को तोड़ते हुए मालदीव के राष्ट्रपति भारत न जाकर चीन दौरे पर गए। इसी महीने मुइज्जू ने शी जिनपिंग से मुलाकात की थी, यह उनकी पहली राजकीय यात्रा भी थी। 

एक स्वतंत्र खुफिया शोधकर्ता और ओपन सोर्स डेटा के अनुसार, एक चीनी जासूसी जहाज के जल्द ही मालदीव पहुंचने की संभावना है। बता दें कि चीनी जासूसी जहाज पिछले साल श्रीलंकाई धरती पर उतरा था, जिसके बाद चीनी जहाज पर भारत की जासूसी करने के आरोप भी लगे थे। चीन ने इस बार मालदीव के सहारे भारत पर निशाना साधने की कोशिश की है।

चीन के पास रिसर्च और जासूसी क्षेत्रों में जहाजों का सबसे बड़ा बेड़ा है, जिसके बारे में विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह वैज्ञानिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों की पूर्ति करने में सक्षम है। रिपोर्ट के अनुसार, चीनी पोत जियांग यांग होंग 03 "हिंद महासागर क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है और माले की ओर कदम बढ़ा चुका है। उधर, मालदीव ने भी पुष्टि कर दी है कि चीनी जहाज को उसने अपने क्षेत्र में आने की इजाजत दे दी है। मालदीव ने आधिकारिक बयान में कहा कि मित्र राष्ट्र चीन का उसके क्षेत्र में स्वागत है। उधर, हिन्द महासागर में चीन की उपस्थिति ने भारत की चिंता बढ़ा दी है।

चीनी जहाज कब निकला और कब पहुंचेगा मालदीव

शिपस्पॉटिंग पोर्टल Marinetraffic.com के आंकड़ों के अनुसार , जियांग यांग होंग 03 पोत 16 जनवरी को चीनी बंदरगाह से माले के लिए रवाना हुआ था। वर्तमान में जावा सागर में मंडराते हुए जहाज के 8 फरवरी के आसपास मालदीव पहुंचने की उम्मीद है, हालांकि उम्मीद यह भी है कि जहाज 30 जनवरी तक भी पहुंच सकता है। 

हालांकि इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है कि भारत ने चीन के जासूसी जहाज की यात्रा पर मालदीव के साथ आपत्ति व्यक्त की है या नहीं, लेकिन नई दिल्ली सरकार ने पहले भी ठोस कदम उठाए थे, जब चीनी जहाज ने पड़ोसी देश श्रीलंका का दौरा किया था। रक्षा सूत्रों का कहना है कि भारतीय नौसेना जहाज की गतिविधि पर नजर रख रही है।

गिरिडीह:सड़क सुरक्षा माह2024 को लेकर रोड सेफ्टी प्रभात फेरी निकाली गई*


गिरिडीह:जिला परिवहन पदाधिकारी,गिरिडीह शैलेश कुमार प्रियदर्शी के निर्देशानुसार सड़क सुरक्षा माह 2024 के अवसर पर गिरिडीह में रोड सेफ्टी प्रभात फेरी आमजनों के बीच निकाल कर सड़क सुरक्षा की जानकारी दी गई और साथ में हिट एंड रन एवं गुड सेमिरिथन योजना के बारे में भी जागरूक किया।

साथ ही बताया गया कि सड़क पर वाहन चलाते समय ट्रैफिक नियमों का पालन करें। सभी लोगो के बीच रोड़ सेफ्टी हैण्डबुक और रोड़ सेफ्टी पम्पलेट कि भी वितरण कि गई।

कार्यक्रम के दौरान सड़क सुरक्षा प्रबंधक मोहम्द वाज़िद हसन ने सड़क सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों से अवगत कराया।

गिरिडीह:दो समुदायों में हुए पथराव के मामले में पुलिस ने 5 आरोपियों को भेजा जेल


गिरिडीह:जिले में मुफ्फसिल थाना क्षेत्र अंतर्गत पूरना नगर में दो समुदायों के बीच 22 जनवरी की देर शाम हुए पथराव की घटना में तीन लोग घायल बताए गए हैं। इसमें एक युवक ओमप्रकाश मरीक की स्थिति गंभीर थी।जिसे सदर अस्पताल से बाहर रेफर कर दिया गया था। जबकि अन्य घायलों का इलाज चल रहा है। 

इधर घटना के दूसरे दिन मंगलवार को पूरना नगर में सन्नाटा पसरा रहा। हालात को देखते हुए एसपी दीपक कुमार शर्मा के निर्देश पर आज पुलिस बल घटनास्थल पर ही तैनात है। इस दौरान एसपी भी घटनास्थल पहुंचे थे। 

घटना के दूसरे दिन दोनों पक्ष की ओर से एक दूसरे के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराए गए। जिसमें से पांच आरोपियों को जेल भेज दिया गया।जेल भेजे गये आरोपियों में पूरना नगर निवासी सोनू मरीक,संजय मरीक,मो शाहबाज,मो शाबिर और मो अवशेर शेख शामिल हैं।

गिरिडीह:18 फरवरी को मोराबादी में कुविमो के हुंकार महारैली को लेकर हुई बैठक

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गिरिडीह:कुड़मी हुंकार महारैली को सफल बनाने के लिये आज मंगलवार को जिले में डुमरी के यूएमएस नगलो के परिसर में टोटेमिक कुड़मी/कुरमी (महतो) समाज से जुड़े सदस्यों की एक

बैठक आयोजित की गई। 

जिसमें कुवियुमो के केन्द्रीय अध्यक्ष थानेश्वर महतो बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए।

बैठक में 18 फरवरी को मोरहाबादी मैदान रांची में आयोजित हुंकार महारैली में अधिक से अधिक संख्या

में शामिल होने की अपील की गई। साथ ही सभी लोगों से उस दिन अपने पारम्पारिक वेशभूषा,हरवे हथियार एवं ढोलक मांदर आदि लेकर चलने का निर्णय लिया गया।

इस बैठक में नोखलाल महतो,सत्यनारायण महतो,दशरथ महतो,भेखलाल महतो,अर्जुन महतो,डीलो,शिवकुमार महतो,मुनीचन्द महतो,जयनारायण,मोहन महतो,मोती महतो,मित्रजीत महतो,मुनीचन्द महतो,सचिन महतो,उमेश महतो,अनिता देवी,नुनिया देवी,कौशल्या देवी , उषा देवी,बसंती देवी,पिंकी देवी आदि दर्जनो लोग मौजूद थे।

गिरिडीह:बीजेपी नेताओं ने नेताजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित की


गिरिडीह:भाजपा नेता सुरेश साव एवं भाजपा जिलाध्यक्ष पार्टी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने अमर शहीद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नेता जी सुभाषचंद्र बोस जी की जयंती के अवसर पर गिरिडीह के सुभाष चौक स्थित नेताजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित कर नमन किया।

इस दौरान बीजेपी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुरेश साव ने कहा कि नेता जी सुभाषचन्द्र बोस ने कहा था तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा उन्होंने आजाद हिंद फौज बनाकर देश की आजादी के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया।

श्री साव ने कहा कि भारत देश के प्रेरणा स्रोत नेता जी सुभाष चन्द्र बोस हर हिन्दुस्तानी के दिलों में बसते हैं,नेता जी सुभाषचंद्र बोस सबसे प्रभावी नेता थे जिन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की। इस फ़ौज ने अंग्रेजों के दाँत खट्टे कर दिए।नेता जी सदा युवाओं के लिए प्रेरणा दायक रहेंगे।

इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष महादेव दुबे, सुभाषचंद्र सिन्हा,अमर सिन्हा, अनिल वर्मा,सिंकु सिन्हा श्याबल घोष,साठु ठाकुर, ज्योतिष शर्मा, दयाल कुमार आदि मौजूद थे।

गिरिडीह शांति का शहर है,इसे अशांत करने की कोशिश ना करे:सुरेश साव,बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति सदस्य


गिरिडीह:22 जनवरी 2023 को पूरे देश में नहीं बल्कि पूरे विश्व में श्रीरामलला के विराजमान होने की खुशी में पूरा देश राममय हो गया था।लोग उत्साह मना रहे थे और उसी बीच मे जिस प्रकार गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र के मुफ्फसिल थाना क्षेत्र अंतर्गत पुरनानगर,आजाद नगर एवं मोहनपुर में असामाजिक तत्वो के द्वारा विध्न डालने की जो कोशिश की गई और जो रामभक्त घायल हो गए हैं, ये बहुत ही निंदनीय घटना है और इसी को लेकर आज भाजपा नेता सुरेश साव, भाजपा जिलाध्यक्ष महादेव दुबे सहित भारतीय जनता पार्टी गिरिडीह की टीम सदर अस्पताल जाकर घायल रामभक्त दशरथ मल्लाह एवं संघ परिवार के नगर विस्तारक रोहित कुमार से मिले।

साथ ही इस क्रम में बीजेपी नेताओं ने गिरिडीह पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार शर्मा से वार्ता भी हुई। एसपी साहब ने आश्वस्त किया कि कोई भी दोषी नहीं बचेंगे और दोषियों पर कानूनी कार्रवाई होगी।उन्होंने कहा कि इस दौरान हमलोग मुफस्सिल थाना जाकर पुरनानगर के दो रामभक्त सोनू मरीक एवं संजय तांती दोनों के परिवारजनों और पुरनानगर के ग्रामीण से भेंट की। उनसे मिलने के बाद थाना प्रभारी से मिले और थाना प्रभारी ने भी भरोसा दिया कि निश्चित रूप से दोषियों पर कार्यवाही होगी। भारतीय जनता पार्टी इस घटना पर पैनी नजर बनाए हुई है और प्रशासन से आग्रह करती है कि जल्द ही जो दोषी हों, अभी भी गिरफ्त से फ़रार हैं,उन्हें गिरफ्तार कर उनपर कानूनी कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में ऐसी घटना नहीं हो।

 इस दौरान सुरेश साव ने गिरिडीह की जनता से अपील करते हुए कहा कि है गिरिडीह में शांति का संदेश दे, किसी भी तरह के अफवाह में ना रहे,लेकिन इस तरह के असामाजिक तत्वों से निपटने के लिए हमारी पार्टी भी पीछे नहीं रहेगी,गिरिडीह को अशांत करने वालों को माकूल ज़वाब दिया जाएगा, गिरिडीह शांति का शहर है, इसे अशांत करने की कोशिश ना करे। 

इस दौरान बीजेपी के जिला अध्यक्ष महादेव दुबे,दिलीप वर्मा, संदीप डंगेच,अमर सिन्हा, हरमिंदर सिंह बग्गा,सिंकु सिन्हा,श्याबल घोष, साठु ठाकुर, सुभाषचंद्र सिन्हा, अनिल वर्मा, राजेश गुप्ता, प्रदीप राय, प्रवीन सिन्हा, नागेश्वर दास,उज्जवल तिवारी,सुनील साव,दिलीप साव,बरमदेव तिवारी, जीतू तांती,ज्योतिष शर्मा,दयाल शाह उपस्थित थे।

पिता,चाचा और दादा ने मिलकर कर दी युवती की हत्या, मामले का खुलासा के बाद पुलिस ने 3 को भेजा जेल


गिरीडीह:जिले में संदेहास्पद रूप से ऑनर किलिंग का एक मामला सामने आया है।जिसमें पिता,चाचा और दादा ने मिलकर एक युवती की निर्मम तरीके से हत्या कर दी।इतना ही नहीं मृत युवती के शव को इन्होंने जमीन में गाड़ दिया।जिसे 25 दिनों के पुलिस ने खोज निकाला।

गिरिडीह में बिरनी थाना के भरकट्टा ओपी क्षेत्र के चारगी जंगल मे कंकाल मिलने की सूचना पर भरकट्टा ओपी प्रभारी सुमन्त कुशवाहा ने आगे छानबीन की।तो मामला चौंकाने वाला निकला।

घटना की सूचना पाकर उन्होंने पुलिस दलबल के साथ पहुँचकर जाँच पड़ताल शुरू कर दिया।।जिसमें गड्ढे में शव को दफनाया गया था।बिरनी सीओ की माजूदगी में खोदा गया।जिसके बाद घटनास्थल से कंकाल,स्त्री के बाल, हड्डियां,

कपड़ा,ट्राउजर,टीशर्ट समेत अन्य वस्तुएं पुलिस को मिली। जिसके बाद सभी सामग्रियों को जब्त करके ओपी ले जाया गया।

इस संबंध में बताया जाता है कि गुप्त सूचना मिली थी कि दिलीप राय की बेटी का कंकाल है।ओपी प्रभारी ने तुरंत दिलीप राय के घर पहुँचकर तीन व्यक्तियों को पूछताछ में लेकर ओपी ले गए। जिसके बाद पूछताछ में दिलीप राय ने स्वयं स्वीकार कर लिया कि घटना को उन्होंने ही अंजाम दिया था।जिसके बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों को कानूनी प्रक्रिया के बाद गिरीडीह जेल भेज दिया।गिरफ्तारी की पुष्टि भरकट्टा ओपी प्रभारी सुमन्त कुशवाहा ने की। बीए के छात्रा की हत्या की उसके ही पिता,चाचा और दादा ने मिलकर कर दी। पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया और तीनों दिलीप राय उर्फ पिंटू,चाचा सियाराम राय व दादा परमानंद राय ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया। लड़की की लगभग 25 दिन पहले हत्‍या की गई थी।पुलिस द्वारा बाकी आरोपियों की तलाश के साथ ही साथ मामले की जांच पड़ताल की जा रही है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में उमड़ा सैलाब, दर्शन के लिए मंदिर के बाहर जुटी श्रद्धालुओं की भारी भीड़


प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद पहली सुबह अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। आज वो पहली सुबह है, जब रामभक्त मंदिर में जाकर अपने आराध्य का दर्शन-पूजन कर सकेंगे। रामलला की पूजा करने और दर्शन करने के लिए श्री राम मंदिर के मुख्य द्वार पर भक्त सुबह तीन बजे से ही बड़ी संख्या में जुटने शुरू हो गए थे। रामलला आज से आम श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं। सभी भक्तों के लिए नव्य राम मंदिर के द्वार खुल गए हैं।

सोमवार, 22 जनवरी को शुभ मुहूर्त में पूरे विधि विधान से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होते ही रामभक्तों का बरसों का इंतजार खत्म हो गया और आज से हर आम श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर सकेगा। रामलला के दर्शन सुबह 8 से रात 10 बजे तक होंगे। नए मंदिर में सुबह 3:30 से 4:00 बजे पुजारी मंत्र से रामलला को जगाएंगे, फिर मंगला आरती होगी। 5:30 बजे शृंगार आरती व 6 बजे से दर्शन शुरू होंगे। दोपहर में मध्याह्न भोग आरती होगी। फिर उत्थापन, संध्या आरती व भगवान को सुलाते वक्त शयन आरती होगी। पहला मौका होगा जब रामलला की भोग-सेवा सभी मानक पद्धतियों से होगी। 40 दिन तक रोज रामलला का शेष अभिषेक होगा। 60 दिन तक कलाकार स्वरांजलि देंगे।

बता दें कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को संपन्न हुआ। प्राण प्रतिष्ठा में 7000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। राम मंदिर करोड़ों रामभक्तों की आस्था का प्रतीक है। मंदिर में भगवान राम की 51 इंच की मूर्ति स्थापित की गई है, जिसे मैसूर के शिल्पकार अरुण योगीराज में तैयार किया है। मूर्ति में भगवान विष्णु के सभी दस अवतारों, भगवान हनुमान जैसे हिंदू देवताओं और अन्य प्रमुख हिंदू धार्मिक प्रतीकों की नक्काशी भी शामिल है।

सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर विशेषःआज भी बरकरार है नेताजी की मौत का रहस्य, क्या गुमनामी बाबा ही थे नेताजी?


क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा एक ही शख्स थे? क्या नेताजी ने ही गुमनामी बाबा बनकर अपनी ज़िंदगी के आखिरी वक्त फैजाबाद में गुमनाम ज़िंदगी के तौर पर गुज़ारी थी? ऐसे कई सवाल है जिनपर अभी भी पर्दा पड़ा है, जिनके जवाब आज दशकों बाद भी तलाशे जा रहे हैं।नेताजी की मौत का रहस्य अब भी बरकरार है।

नेताजी को लेकर दावे

क्या नेताजी की मौत 1945 में प्लेन क्रैश में ही हुई थी? इसको लेकर देश विदेश में लगातार खोज चल रही है। कई लोगों का मानना था कि नेताजी जी की मौत प्लेन क्रैश में नहीं हुई। नेताजी गुमनामी बाबा के नाम से यूपी में 1985 तक रह रहे थे। नेताजी पर रिसर्च करने वाले बड़े-बड़े विद्वानों का मानना है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे।

ना तो मृत्यु का प्रमाण, ना ही कोई तस्वीर

दरअसल गुमनामी बाबा की मौत से पहले उनकी ज़िंदगी एक तरह से गुमनाम सी ही थी। गुमनामी बाबा बेहद रहस्यमयी तरीके से रहा करते थे।आम लोग उनका चेहरा तक नहीं देख पाते थे। थोड़े-थोड़े वक्त पर किराए का घर बदलते रहते थे।यहां तक कि उनके निजी सेवक भी हर कुछ महीने में बदल जाते थे। यहां तक तो तब भी ठीक था,लेकिन शक और सवाल उठने लगे गुमनामी बाबा की मौत के दो दिन बाद।

गुमनामी बाबा आखिरकार 1983 में फैजाबाद में राम भवन के एक आउट-हाउस में बस गए, जहां कथित तौर पर 16 सितंबर, 1985 को उनका निधन हो गया और 18 सितंबर को दो दिन बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।अजीब बात है, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि वास्तव में उनका निधन हुआ है। शव यात्रा के दौरान कोई मृत्यु प्रमाण पत्र, शव की तस्वीर या उपस्थित लोगों की कोई तस्वीर नहीं है। कोई श्मशान प्रमाण पत्र भी नहीं है।वास्तव में, गुमनामी बाबा के निधन के बारे में लोगों को पता नहीं था, उनके निधन के 42 दिन बाद लोगों को ये पता चला। उनका जीवन और मृत्यु, दोनों रहस्य में डूबा रहा पर कोई नहीं जानता कि क्यों।

विष्णु सहाय आयोग गुमनामी बाब की पहचान नहीं कर सकी

गुमनामी बाबा के विश्वासियों ने 2010 में अदालत का रुख किया था और उच्च न्यायालय ने उनका पक्ष लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को गुमनामी बाबा की पहचान स्थापित करने का निर्देश दिया गया था। तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुमनामी बाबा की जांच रिपोर्ट के लिए जस्टिस विष्णु सहाय आयोग का गठन 2016 में किया। तीन साल बाद जस्टिस विष्णु सहाय आयोग ने अपनी रिपोर्ट यूपी विधानसभा में पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘गुमनामी बाबा’ नेताजी के अनुयायी थे, लेकिन नेताजी नहीं थे। इस रिपोर्ट को यूपी सरकार ने स्वीकार कर लिया है। 

इस रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए लिखा है, 'आयोग द्वारा गुमनामी बाबा उर्फ भगवान जी की पहचान नहीं की जा सकी। गुमनामी बाबा के बारे में आयोग ने कुछ अनुमान लगाए हैं। जैसे गुमनामी बाबा बंगाली थे, गुमनामी बाबा बंगाली, अंग्रेजी और हिंदी भाषा के जानकार थे। गुमनामी बाबा के राम भवन से बंगाली, अंग्रेजी और हिन्दी में अनेक विषयों की पुस्तकें प्राप्त हुई हैं। गुमनामी बाबा के स्वर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के स्वर जैसा प्राधिकार का भाव था। गुमनामी बाबा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अनुयायी थे। 

गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बात फैली

कहते हैं जब गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बातें फैलने लगीं तो नेताजी की भतीजी ललिता बोस कोलकाता से फैजाबाद आईं। फरवरी 1986 में, नेताजी की भतीजी ललिता बोस गुमनामी बाबा के कमरे में मिली वस्तुओं की पहचान करने के लिए फैजाबाद आई। पहली नजर में, वह अभिभूत हो गईं और यहां तक कि उन्होंने नेताजी के परिवार की कुछ वस्तुओं की पहचान की।

जो सामान गुमनामी बाबा के पास से मिला था।उसमें कोलकाता में हर साल 23 जनवरी को मनाए जाने वाले नेताजी के जन्मोत्सव की तस्वीरें थी।लीला रॉय की मौत पर हुई शोक सभाओं की तस्वीरें थी। नेताजी की तरह के दर्जनों गोल चश्मे थे। 555 सिगरेट और विदेशी शराब थी। सुभाष चंद्र बोस के माता-पिता और परिवार की निजी तस्वीरें भी थी। एक रोलेक्स की जेब घड़ी थी और आज़ाद हिंद फ़ौज की एक यूनिफॉर्म थी।सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की जांच के लिए बने शाहनवाज़ और खोसला आयोग की रिपोर्टें,सैकड़ों टेलीग्राम और पत्र आदि जिन्हें भगवनजी के नाम पर संबोधित किया गया था।

मुखर्जी आयोग भी रहा नाकाम

यही नहीं हाथ से बने हुए उस जगह के नक़्शे भी बरामद हुए थे, जहां नेताजी का विमान क्रैश हुआ था। गुमनामी बाबा की मौत के बाद सामान के साथ कुछ ऐसी बातें भी बाहर आईं जिनको लेकर लोगों को यकीन सा होने लगा था कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे। इसके बाद गुमनामी बाबा के ही नेताजी होने की जांच के लिए कई जगह प्रदर्शन हुए।इस मामले की जांच के लिए मुखर्जी आयोग का गठन किया गया। हालांकि ये साबित नहीं हो पाया कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे।