भारत के साथ दुश्मनी मालदीव को पड़ेगा “महंगा”, जानें बायकॉट से अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे पर मालदीव सरकार की मंत्री मरियम शिउना और दूसरे नेताओं की आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर सरहद के आर पार पारा चढ़ा हुआ है।
मोहम्मद मुइज़्ज़ू के राष्ट्रपति बनने के बाद से लगातार पटरी से उतरते दिख रहे दोनों देशों के रिश्तों के लिए इन बयानों को बड़ा झटका बताया जा रहा है।पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया पर BoycottMaldives ट्रेंड कर रहा है।सोशल मीडिया पर भारत के कई नामी लोग अब लक्षद्वीप के समर्थन में उतर आए हैं। अब सबसे बड़ा सवाल मालदीव को भारत की नाराजगी का कितना नुकसान होगा? भारतीयों के बायकॉट से इस द्वीप की अर्थव्यवस्ता पर कितना असर पड़ेगा?
मालदीव को भारत की नाराजगी पड़ेगी महंगी
दरअसल, मालदीव के लिए भारत की नाराजगी काफी महंगी पड़ सकती है। मालदीव भारत से कई हजार करोड़ रुपए का सामान इंपोर्ट करता है। भारत से नजदीक होने के कारण मालदीव के लिए भारत से सामान लेना सस्ता भी है और सुगम भी। जबकि भारत मालदीव को कुछ करोड़ का ही सामान इंपोर्ट करता है। दोनों देशों के बीच के ट्रेड को देखा जाए तो यह आंकड़ा 500 मिलियन डॉलर है, जो भारतीय रुपए में करीब 4200 करोड़ है। अगर भारत मालदीव को सामान एक्सपोर्ट करना बंद कर दें, तो मालदीव का क्या होगा?
मालदीव कैसे झेलेगा दूसरे सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर की नाराजी
भारत 2022 में मालदीव के दूसरे सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर के रूप उभरा था। मालदीव से भारतीय इंपोर्ट में मुख्य रूप से स्क्रैप मेटल्स शामिल हैं, जबकि मालदीव को भारतीय एक्सपोर्ट में कई प्रकार के इंजीनियरिंग और इंडस्ट्रीयल प्रोडक्ट्स जैसे ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स, रडार कंपोनेंट, रॉक बोल्डर, सीमेंट और कृषि उत्पाद जैसे चावल, मसाले, फल, सब्जियां और पोल्ट्री उत्पाद आदि शामिल हैं। खास बात तो ये है कि दोनों देशों के बीच 2013 से 2022 तक यानी दस साल में ट्रेड करीब 3 गुना तक बढ़ा है। मालदीव कस्टम सर्विस की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2013 में मालदीव और भारत के बीच ट्रेड 156.30 मिलियन डॉलर का था जो साल 2022 में बढ़कर 501.82 मिलियन डॉलर का हो गया। सितंबर 2023 तक यही ट्रेड दोनों देशों के बीच 416.06 मिलियन डॉलर का हो चुका है।
मालदीव के कई इंफ्रा प्रोजेक्ट्स में लगा है भारत का पैसा
भारत ने मालदीव के कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में पैसा दिया हुआ है। मालदीव में भारत का अब तक का सबसे बड़ा ग्रांट प्रोजेक्ट नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एनफोर्समेंट है। यह प्रोजेक्ट 222.98 करोड़ रुपये का है। इसका उद्घाटन विदेश मंत्री डॉ जयशंकर के दौरे के दौरान हुआ था। भारत सरकार 8.95 करोड़ रुपये की भारतीय ग्रांट के तहत माले में हुकुरु मिस्की की बहाली का भी समर्थन कर रही है। इसकी घोषणा प्रधानमंत्री ने जून 2019 में की थी।
भारत से टूरिस्ट नहीं गए तो हो जाएगा बर्बाद
मालदीव की इकॉनमी टूरिज्म पर निर्भर है। इस देश की इकॉनमी में टूरिज्म का योगदान 28 फीसदी है। वहीं, फॉरेन एक्सचेंज में 60 फीसदी योगदान टूरिज्म सेक्टर का होता है। मालदीव टूरिज्म डिपार्टमेंट के अनुसार, 2023 में यहां आए टूरिट्स में सबसे ज्यादा भारतीय थे। इसके बाद रूस और चीनी टूरिस्ट्स का स्थान है। साल 2023 में सबसे ज्यादा 2,09,198 भारतीय पर्यटक मालदीव गए थे। ताजा विवाद के बाद सोशल मीडिया पर बायकॉट मालदीव और चलो लक्षद्वीप ट्रेंड कर रहा है। हजारों भारतीयों ने मालदीव के लिए अपने फ्लाइट टिकट्स और होटल बुकिंग्स कैंसिल करा दी हैं। मालदीव के लोगों के लिए रोजगार का सबसे बड़ा आधार भी टूरिज्म ही है। यहां रोजगार में टूरिज्म का योगदान एक तिहाई से ज्यादा है। वहीं, पर्यटन से जुड़े सेक्टर्स को भी शामिल कर लें तो कुल रोजगार (डायरेक्ट और इनडायरेक्ट) में टूरिज्म की हिस्सेदारी लगभग 70 फीसदी है। अब आप समझ लीजिए कि भारतीयों ने मालदीव जाना छोड़ दिया तो इस देश की टूरिज्म इंडस्ट्री तबाह हो जाएगी। इसलिए अब मालदीव सरकार बैकफुट पर आ गई है।
Jan 08 2024, 20:03