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पढ़िए, सोशल मीडिया पर #BoycottMaldives के ट्रैंड के बाद ट्रैवल एजेंसी ने कह डाली ये बात, 20-25 दिन में स्पष्ट होगी स्थिति

लक्षद्वीप और मालदीव इन दिनों भारत में चर्चा का मुख्य विषय बन चुके है। पीएम नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे के उपरांत से देश में मालदीव का बहिष्कार भी किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने मालदीव में नियोजित अपनी छुट्टियां भी रद्द कर दी गई है। वहीं, टूर ऑपरेटर्स ने भी बड़ी संख्या में छुट्टियां रद्द करने की तैयारी भी शुरू की जा चुकी है। बता दें, छुट्टियां मनाने के लिए मालदीव भारतीयों की पसंदीदा स्थानों में से एक है।

20-25 दिन बाद साफ होगा असर

इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स का अनुमान है कि सोशल मीडिया पर मालदीव के विरुद्ध बढ़ रहे विरोध का नतीजा अगले 20-25 दिनों के भीतर स्पष्ट हो सकता है। उनका बोलना है कि अगर कोई व्यक्ति पहले से ही हवाई जहाज और होटल बुक कर चुका है तो वह इसे रद्द नहीं करने वाला है। हालांकि, उनका इस बारें में बोलना है कि बीते कुछ दिनों से मालदीव के लिए कोई नई पूछताछ नहीं हुई है। टूर कंपनी मेक माई ट्रिप के संस्थापक दीप कालरा ने जानकारी दी है कि भारतीयों ने फिलहाल मालदीव में पूर्व नियोजित छुट्टियों को रद्द नहीं किया है। सोशल मीडिया पर चले रहे ट्रेंड का असर आने वाले कुछ दिनों में ही साफ होगा। वहीं, एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव मेहरा का कहना है कि उम्मीद है कि लोग जिन्होंने हवाई जहाज और होटलों का भुगतान कर दिया है, वह इन यात्राओं को रद्द नहीं करने वाले है। हालांकि, नई बुकिंग की उम्मीद कम है।

लक्षद्वीप में यात्रा को बढ़ावा देने के लिए लाएंगे ऑफर

खबरों का कहना है कि ऑनलाइन टूर कंपनी ईज माई ट्रिप ने प्रधानमंत्री मोदी की लक्षद्वीप यात्रा और मालदीव के मंत्रियों की टिप्पणियों के कारण मालदीव की सभी उड़ानों को निलंबित भी किया जा चुका है। कंपनी के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) निशांत पिट्टी ने एक्स पर पोस्ट कर बोला है कि हम देश के साथ खड़े हैं। हमने लक्षद्वीप की यात्रा के लिए अभियान शुरू किया है। उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि लक्षद्वीप का पानी और समुद्री तट मालदीव जितने ही अच्छे हैं। हम लक्षद्वीप में यात्रा को बढ़ावा देने के लिए विशेष ऑफर लेकर आने वाले है।

भारतीयों की पहली पसंद है मालदीव

दिल्ली के एक टूर ऑपरेटर इस बोला है कि मालदीव भारतीयों के बीच बहुत लोकप्रिय है। लेकिन सोशल मीडिया पर जारी वाद-विवाद के कारण यात्राओं पर फर्क पड़ता हुआ नजर आ रहा है। आंकड़ों की माने तो, वर्ष 2023 में मालदीव आए 17.57 लाख पर्यटकों में से सबसे ज्यादा 2.09 लाख भारतीय ही थे। इसके उपरांत रूस और चीन हैं। हिंद महासागर में एशिया की मुख्य भूमि से तकरीबन 750 किमी दक्षिण में मौजूद मालदीव की आबादी 5.15 लाख है। यहां 1,190 द्वीप हैं, इनमें 190 ही रहने लायक हैं। सरकार को 90% आय आयातित चीजों और पर्यटन उद्योग से हो रही है।

राजस्थान के करणपुर में बीजेपी का दांव पड़ा उल्टा, मंत्री बनने के 10 दिन बाद ही चुनाव हार गए सुरेंद्र टीटी

#sri_ganganagar_srikaranpur_assembly_election

आज से ठीक 10 दिन पहले बीजेपी ने राजस्थान सरकार में सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्री बनाया। तब बीजेपी के इस फैसले ने सभी को इसलिए चौंका दिया था, क्योंकि सुरेंद्र पाल बिना चुनाव लड़े ही मंत्री बन गए थे। हालांकि, उन्हें मंत्रालय आवंटित नहीं किया गया था।बीजेपी ने करणपुर सीट पर जीत का परचम फहराने के लिए सुरेंद्र सिंह को विधायक बनने से पहले मंत्री बनाकर भजनलाल शर्मा कैबिनेट में शामिल कर लिया था।हालांकि यहां बीजेपी का दांव उल्टा पड़ गया।राजस्थान में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत पाने वाली बीजेपी श्रीगंगानगर जिले की श्रीकरणपुर विधानसभा चुनाव में मात खा गई।

पूर्व में कांग्रेस के कब्जे वाली श्रीकरणपुर विधानसभा सीट पर कब्जा करने के लिए बीजेपी ने यहां से चुनाव लड़ रहे पार्टी के उम्मीदवार सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को चुनाव जीतने से पहले ही मंत्री बना दिया था। मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी ने यह बड़ा दांव खेला था। लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी रूपेन्द्र सिंह कुन्नर चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को करीब 11 हजार से अधिक मतों से चुनाव हरा दिया है।कांग्रेस प्रत्याशी रूपेन्द्र सिंह को अपने पिता के निधन की सहानुभूति का लाभ मिला, जो बीजेपी के मंत्री दांव पर भारी पड़ गई।

श्रीगंगानगर की करणपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार रहे गुरमीत कुन्नर की मृत्यु के बाद इस सीट पर चुनाव रद्द कर दिया गया था। चुनाव आयोग ने बाद में घोषणा की थी कि 5 जनवरी को करणपुर सीट मतदान होगा। कांग्रेस ने गुरमीत कुन्नर के बेटे रूपिंदर सिंह कुन्नर को प्रत्याशी बनाया, तो बीजेपी ने अपने पहले वाले कैंडिडेट सुरेंद्र सिंह टीटी पर ही भरोसा जताया। भजनलाल शर्मा के अगुवाई में बीजेपी की सरकार बनी और कैबिनेट का गठन हुआ तो पार्टी कैंडिडेट सुरेंद्र सिंह टीटी को मंत्री बनाने का दांव चला ताकि चुनाव में सियासी लाभ पार्टी को मिल सके। लेकिन बीजेपी का दावं उल्टा पड़ गया है।

दरअसल इस सीट पर पूर्व में कांग्रेस ने अपने तत्कालीन विधायक गुरमीत सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था। लेकिन 25 नवंबर 2024 को होने वाले मतदान से पहले गुरमित सिंह कुन्नर का लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया था। लिहाजा चुनाव आयोग ने वहां मतदान टाल दिया था। 25 नवंबर को राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से 199 सीटों पर ही मतदान हुआ था। उनमें से 115 सीटें बीजेपी और 69 सीटें कांग्रेस ने जीती थी। शेष पर सीटों पर अन्य पार्टियों के प्रत्याशी और निर्दलीय विजयी हुए थे।

बिलकिस बानो केसःओवैसी ने दोषियों की मदद के लिए पीएम मोदी से की माफी मांगने की मांग, जानें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर किसने क्या कहा

#supreme_court_verdict_on_bilkis_bano_case_political_reactions 

बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिए अपने फैसले में गुजरात सरकार के फैसले को पलटते हुए 11 दोषियों की रिहाई रद्द कर दी। जिसके बाद दोषियों को फिर से जेल जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ;(एआईएमआईएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बीजेपी सरकार को बिलकिस बानो से माफी मांगनी चाहिए। सीपीआई(एम) नेता बृंदा करात ने फैसले पर राहत जताते हुए कहा कि कम से कम, अभी कुछ न्याय की उम्मीद बची हुई है। वहीं प्रियंका गांधी ने भाजपा पर निशाना साधा। 

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उम्मीद करता हूं कि आने वाले दिनों में कोई भी सरकार किसी बलात्कारी को ऐसे नहीं छोड़ेगी। बिलकिस के रेप, उनकी बेटी-मां और दूसरी महिलाओं की हत्या में उस वक्त की बीजेपी सरकार ने अपराधियों का साथ दिया था। बिलकिस का रेप हुआ, मासूम बच्ची का कत्ल हुआ। बिलकिस ने ये लड़ाई खुद लड़ी। उस समय जब सीएम मोदी थे, बड़ा ही खराब माहौल था। नरेंद्र मोदी सरकार को बिलकिस बानो से माफी मांगनी चाहिए। बीजेपी ने दोषियों को छोड़ा था। बिलकिस बानो को इंसाफ मिलेगा।

वहीं, प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया पर साझा किए एक पोस्ट में लिखा कि 'अंततः न्याय की जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप की शिकार बिलकिस बानो के आरोपियों की रिहाई रद्द कर दी है। इस आदेश से भारतीय जनता पार्टी की महिला विरोधी नीतियों पर पड़ा पर्दा हट गया है। इस आदेश के बाद जनता का न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास मजबूत होगा। बहादुरी के साथ अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए बिलकिस बानो को बधाई।'

इधर, सीपीआई (एम) की वरिष्ठ नेता बृंदा करात ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 'हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। कम से कम यह फैसला न्याय की कुछ उम्मीद जगाता है। खासकर, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और गुजरात सरकार की क्षमताओं पर जो टिप्पणी की। यह गुजरात सरकार ही थी, जिसने दस्तावेज स्वीकार किए थे। कोर्ट ने इसे फर्जी माना है।

बिलकिस बानो के दोषी फिर जाएंगे जेल, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा गुजरात सरकार का फैसला, सजा में मिली छूट के फैसले को किया रद्द

#bilkis_bano_case_supreme_court_nullifies_its_2022_order

बिलकिस बानो के दोषियों को फिर से सलाखों के पीछे जाना होगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और उनके परिवार के 7 लोगों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा से मिली छूट के फैसले को रद्द कर दिया है।सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि एक महिला सम्मान की पात्र है। चाहे उसे समाज में कितना भी नीचा क्यों न समझा जाए या वह किसी भी धर्म को मानती हो।सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह इस अदालत का कर्तव्य है कि वह मनमाने आदेशों को जल्द से जल्द सही करे और जनता के विश्वास की नींव को बरकरार रखे। इतना ही नहीं सर्वोच्च अदालत ने सभी 11 दोषियों को दो हफ्ते के भीतर सरेंडर करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने 11 दोषियों को दी गई छूट को इस आधार पर खारिज कर दिया कि गुजरात सरकार के पास सजा में छूट देने का कोई अधिकार नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जिस कोर्ट में मुकदमा चला था, रिहाई पर फैसले से पहले गुजरात सरकार को उसकी राय लेनी चाहिए थी। साथ ही जिस राज्य में आरोपियों को सजा मिली, उसे ही रिहाई पर फैसला लेना चाहिए था। दोषियों को महाराष्ट्र में सजा मिली थी। इस आधार पर रिहाई का आदेश निरस्त हो जाता है। 

इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्न और जस्टिस उज्ज्वल भूइयां की दो सदस्यीय बेंच ने सजा में छूट को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य करार देते हुए कहा कि गुजरात सरकार सजा में छ्रट का आदेश देने के लिए उचित सरकार नहीं है। कोर्ट ने इसके साथ ही कहा, ‘क़ानून का शासन कायम रहना चाहिए। अदालत ने कहा, 13 मई 2022 के जिस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को रिहाई पर विचार के लिए कहा था, वह दोषियों ने भौतिक तथ्यों को दबाकर और भ्रामक तथ्य बनाकर हासिल किया था।

कोर्ट ने ये भी कहा कि दोषियों को रिहा करने का गुजरात सरकार का फैसला शक्ति का दुरुपयोग था। बिलकिस बानो गैंगरेप के 11 दोषियों की सजा गुजरात सरकार ने माफ कर दी थी। गुजरात सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाया। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने मामले की सुनवाई की और 12 अक्तूबर 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत साल 2022 में बिलकिस बानो से गैंगरेप और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के दोषियों की सजा माफ कर दी थी और उन्हें जेल से रिहा कर दिया था। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोषियों को फिर से जेल जाना होगा। इन दोषियों को सीबीआई की विशेष अदालत ने साल 2008 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी अपनी मुहर लगाई थी। उम्रकैद की सजा पाए दोषी को 14 साल जेल में ही बिताने होते हैं। उसके बाद अपराध की प्रकृति, जेल में व्यवहार और अन्य चीजों को ध्यान में रखते हुए सजा घटाने या रिहाई पर विचार किया जा सकता है। बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषी जेल में 15 साल बिता चुके हैं। जिसके बाद दोषियों ने सजा में रियायत की गुहार लगाई थी। जिस पर गुजरात सरकार ने अपनी माफी नीति के तहत इन 11 दोषियों को जेल से रिहा कर दिया। 

गुजरात सरकार के इस फैसले के खिलाफ 30 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गईं। पहली याचिका में दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें वापस जेल भेजने की मांग की गई थी। वहीं दूसरी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के मई में दिए गए आदेश पर पुनर्विचार की मांग की गई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई का फैसला गुजरात सरकार करेगी। 

याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र और गुजरात सरकार ने दोषियों की रिहाई के फैसले का बचाव किया था और कहा कि दोषियों ने दुर्लभतम अपराध नहीं किया है और उन्हें सुधार का एक मौका दिया जाना चाहिए। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि रिहाई में छूट का फायदा सिर्फ बिलकिस बानो के दोषियों को क्यों दिया गया? बाकी कैदियों को ऐसी छूट क्यों नहीं दी गई?

बांग्लादेश में फिर शेख हसीना की सरकार, 5वीं बार बनने जा रही प्रधानमंत्री

#sheikhhasinasettobecome_pm

बांग्लादेश में एक बार फिर शेख हसीना प्रधानमंत्री बनने जा रहीं हैं।रविवार को हुए आम चुनाव में उनकी पार्टी आवामी लीग ने 300 में से दो-तिहाई से अधिक सीटें जीत ली हैं।शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने जहां 222 सीटें जीतीं वहीं निर्दलीय उम्मीदवारों को 63 सीट पर कामयाबी हासिल हुई।शेख हसीना पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनेंगी। वह 2009 से ही प्रधानमंत्री हैं।इससे पहले 1991 से 1996 तक भी शेख हसीना प्रधानमंत्री रह चुकीं हैं।

रविवार 7 जनवरी को हुए आम चुनाव में हसीना की पार्टी अवामी लीग ने संसद की 300 में से 204 सीटें जीत लीं। इस बार 299 सीटों पर वोटिंग हुई थी।गोपालगंज-3 सीट से उन्होंने बांग्लादेश सुप्रीम पार्टी के कैंडिडेट एम निजामुद्दीन लश्कर को 2.49 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया। हसीना को 2 लाख 49 हजार 965 तो निजामुद्दीन को महज 469 वोट मिले। 

बांग्लादेश चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार चुनाव में 40% वोट पड़े। यह आंकड़ा बदल सकता है। 2018 के चुनाव में 80% मतदान हुआ था। देश में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) समेत विपक्षी पार्टियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था।

हसीना का आदेश- जीत का जश्न न मनाएं कार्यकर्ता

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी पार्टी अवामी लीग के नेता और कार्यकर्ताओं को आदेश दिया है कि वो जीत का जश्न न मनाएं और न ही कोई रैली या जुलूस निकालें। हसीना के सेक्रेटरी सायम खान ने रविवार रात इस बारे में प्रधानमंत्री के हवाले से बयान जारी किया। उन्होंने कहा- नतीजे आने के बाद किसी तरह की हिंस नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे देश को नुकसान होता है।

प्रधानमंत्री रहते हुई आलोचनाओं की शिकार

1996 वह साल था जब उन्होंने पहली बार जीत का स्वाद चखा। वह देश की प्रधानमंत्री बनीं। हसीना का पहला कार्यकाल आर्थिक तरक्की और इंफ्रास्ट्रकचर के विकास के नाम रहा। बांग्लादेश में उनके प्रधानमंत्री रहते हुए आर्थिक उदारीकरण हुआ। साथ ही बड़े पैमाने पर बांग्लादेश में विदेशी निवेश आया। हालांकि शेख हसीना की इस बात पर आलोचना भी हुई की उन्होंने देश की न्यायिक स्वतंत्रता को समाप्त करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। साथ ही जमात ए इस्लामी पार्टी पर शेख हसीना ने जो नकेल कसा, उसका कुछ धड़ों ने स्वागत किया तो कुछ ने मानवाधिकार उल्लंघन का हवाला देकर विरोध किया। बीच में एक अंतराल के बाद 2009 में शेख हसीना बांग्लादेश की सत्ता में लौटीं। इसके बाद से लगातार वह शासन में बनी हुई हैं। इसके बाद जो तीन चुनाव वह अब तक जीती हैं, इन सभी चुनावों पर धांधली का आरोप है। आलोचकों का कहना है कि देश में लोकतांत्रिक मूल्य लगातार ढ़लान पर हैं। बोलने की आजादी समय के साथ सीमित होती चली गई है।

पीएम मोदी पर विवादित टिप्पणी के बाद भारत का सख्त रुख, मालदीव के उच्चायुक्त को किया तलब

#maldives_india_controversy_india_summons_maldives_high_commissioner

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अपमानजनक बयान को लेकर जारी विवाद के बीच भारत ने सख्त रूख अख्तियार कर लिया है। विदेश मंत्रालय ने भारत में मालदीव के उच्चायुक्त इब्राहिम शाहीब को तलब किया है।मालदीव के उच्चायुक्त इब्राहिम शाहीब दिल्ली के साउथ ब्लॉक में विदेश मंत्रालय पहुंचे। भारत ने पीएम मोदी के खिलाफ बयानों पर मंत्रियों की टिप्पणियों को लेकर सख्त नाराजगी जताई है।इस संबंध में विदेश मंत्रालय स्टेटमेंट जारी करेगा।

दरअसल, पीएम मोदी ने पिछले दिनों लक्षद्वीप की यात्रा की थी। इस दौरान पीएम मोदी ने लक्षद्वीप की खूबसूरत तस्वीरें शेयर की थीं और भारतीयों से इस केंद्रशासित राज्य को अपने टूरिस्ट डेस्टिनेशन लिस्ट में शामिल करने की अपील की थी। इसके बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने दावा किया था कि यह मालदीव के लिए झटका होगा। सोशल मीडिया पर भारतीयों द्वारा इस दावे से भड़के मालदीव के कई नेताओं ने सोशल मीडिया पर पीएम मोदी की यात्रा का मजाक उड़ाया था और उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद भारत के लोगों का गुस्सा इतना बढ़ गया कि देश में अभियान शुरू हो गया।

लक्षद्वीप यात्रा को लेकर पीएम मोदी पर टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए मालदीव सरकार ने रविवार को अपने तीन मंत्रियों मालशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला महजूम माजिद को निलंबित कर दिया। इतना ही नहीं सरकार ने इस बयान से खुद को अलग कर लिया है। मालदीव सरकार ने मंत्रियों के बयान को निजी बताया।मंत्री की टिप्पणी मालदीव सरकार के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है।

इस बीच EaseMyTrip ने बड़ा फैसला लिया है। कंपनी के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी निशांत पिट्टी ने बताया मालदीव के लिए सभी फ्लाइट बुकिंग को बंद कर दिया गया है।

पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी मालदीव को भारी पड़ा, EaseMyTrip ने सभी फ्लाइट की बुकिंग रद्द की

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भारत और मालदीव के बीच विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है।मालदीव के नेताओं की तरफ से भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद मालदीव पर भारत का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच EaseMyTrip ने बड़ा फैसला लिया है। कंपनी के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी निशांत पिट्टी ने बताया मालदीव के लिए सभी फ्लाइट बुकिंग को बंद कर दिया गया है। बता दें कि पीएम मोदी की लक्षद्वीप की यात्रा को लेकर मालदीव के कुछ मंत्रियों की ओर से अपमानजनक टिप्पणी की गई थी। जिसके बाद भारतीयों में गुस्सा देका जा रहा है।

भारतीय ऑनलाइन ट्रैवल कंपनी EaseMyTrip के को-फाउंडर और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) निशांत पिट्टी ने भारत के समर्थन में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर फ्लाइट्स बुकिंग सस्पेंड करने का ऐलान किया। उन्होंने लिखा, अपने देश के साथ एकजुटता दिखाते हुए EaseMyTrip ने मालदीव के लिए सभी फ्लाइट्स बुकिंग को सस्पेंड कर दिया है। 

एक्स पर अपने पोस्ट में उन्होंने आगे लिखा लक्षद्वीप का पानी और समुद्र तट मालदीव जितने अच्छे हैं। हम EaseMyTrip पर इस प्राचीन डेस्टिनेशन को बढ़ावा देने के लिए विशेष ऑफर लेकर आएंगे, जहां हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में दौरा किया है! EaseMyTrip ने लक्षद्वीप घूमने जाने के लिए भी ऑनलाइन अभियान की शुरुआत कर दी है।

बता दें कि पीए मोदी पर मालदीव के नेताओं द्वारा विवादित बयानों के बाद भारत में सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। अब तक हजारों लोगों ने मालदीव जाने का अपना प्लान बंद कर दिया है। भारत से बड़ी संख्या में लोग मालदीव घूमने जाते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि मालदीव टूरिज्म को बड़ा झटका लग सकता है।

इधर, भारत में विरोध होने के बाद मालदीव सरकार ने पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी को लेकर तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया। दरअसल, भारत ने इस मसले को मालदीव सरकार के सामने जोरदार तरीके से उठाया था। वहीं, द्वीप राष्ट्र के टॉप विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे पर सरकार की जमकर आलोचना की थी। मालदीव की मीडिया का कहना है कि युवा मंत्रालय में मंत्री मालशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला महजूम माजिद को उनके पदों से निलंबित कर दिया गया है।

मिजोरम के सीएम लालदुहोमा का ऐलान- म्यांमा के शरणार्थियों को सरकार देती रहेगी सहायता

डेस्क: मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने कहा कि उनकी सरकार केंद्र के सहयोग से म्यांमा के शरणार्थियों और मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को सहायता प्रदान करना जारी रखेगी। लालदुहोमा ने दिल्ली से लौटने के बाद शनिवार को आइजोल में मीडिया से कहा, "भले ही केंद्र सरकार म्यांमा के नागरिकों को शरणार्थी का दर्जा नहीं दे सकती, लेकिन वह उन्हें राहत प्रदान करने में हमारे साथ सहयोग करने के लिए तैयार है।" लालदुहोमा ने कहा कि जातीय हिंसा के कारण अपने घर छोड़कर भागे मणिपुर के लोगों की भी मदद की जाएगी। 

म्यांमा के 31 हजार और मणिपुर के 9 हजार शरणार्थी

अधिकारियों के अनुसार, म्यांमा में सेना द्वारा तख्तापलट किए जाने के बाद फरवरी 2021 से चिन समुदाय के 31 हजार से अधिक लोग मिजोरम में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं। मणिपुर के 9 हजार से अधिक आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों ने भी मिजोरम में शरण ली हुई है। म्यांमा का चिन समुदाय और मणिपुर का कुकी-जो समुदाय मिजोरम के लोगों के साथ जातीय संबंध साझा करते हैं।

भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़बंदी का फैसला रद्द कर सकती है सरकार

मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार भारत-म्यांमा सीमा के एक हिस्से पर बाड़ लगाने के अपने फैसले को रद्द कर देगी। केंद्र सरकार ने हाल में कहा था कि वह म्यांमा के साथ 300 किलोमीटर लंबी बिना बाड़ वाली सीमा पर बाड़ लगाने और मुक्त आवाजाही व्यवस्था को समाप्त करने की योजना बना रही है। इस अंतरराष्ट्रीय सीमा के जरिए दोनों ओर रहने वाले लोग बिना वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर भीतर तक यात्रा कर सकते हैं। 

गृहमंत्री शाह ने नागरिकों को वापस ना भेजने की कही बात

गौरतलब है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा को सूचित किया था कि जबतक म्यांमा में सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो जाती, तबतक फरवरी 2021 के बाद शरण की आस में आए नागरिकों को वापस नहीं भेजा जाएगा। बयान के मुताबिक दिल्ली में हुई बैठक में शाह ने लालदुहोमा से विदेशियों के बायोमेट्रिक आंकड़े एकत्र करने के महत्व पर चर्चा की। मिजोरम की पूर्ववर्ती सरकार ने विदेशियों का बायोमेट्रिक आंकड़े एकत्र करने से इनकार कर दिया था।

गगनयान मिशन: 2025 में ISRO अंतरिक्ष में भेजेगा इंसान, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया पूरा प्लान

डेस्क: आदित्य एल1 मिशन की सफलता के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने अगले बड़े मिशन की तैयारी में जुट गया है। इसरो के लिए अब बड़ा मिशन अंतरिक्ष में इंसान भेजने का है। इस मिशन को साल 2025 में लॉन्च किया जाएगा और इसे गगनयान नाम दिया गया है। लेकिन इसके लिए अभ्यास अभी से शुरू हो गया है। इस साल मिशन गगनयान से जुड़े कई बड़े काम होने हैं।

मिशन गगनयान के के लिए यह साल बेहद ही महत्वपूर्ण रहने वाला

इसके बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि मिशन गगनयान के के लिए यह साल बेहद ही महत्वपूर्ण रहने वाला है। इस साल इस मिशन से जुड़ी परीक्षण उड़ानें की जाएंगी। किसी इंसान को अंतरिक्ष में भेजना महत्वपूर्ण और रोमांचक है। उन्होंने कहा कि इंसान को सुरक्षित और स्वस्थ वापस लाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। हमारे पास एक क्रू मॉड्यूल और एक ऑपरेशन मॉड्यूल है और परीक्षण उड़ानें यह सुनिश्चित करेंगी कि ये सभी कार्य वैसे ही होंगे जैसे हमने कल्पना की है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि गगनयान की उड़ान से पहले इसरो एक महिला रोबो वॉयो मित्राको अंतरिक्ष भेजेगा। यह रोबोट अंतरिक्ष में वह सभी काम करेगा, जो किसी इंसान के द्वारा बाद में किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारी तैयारी तेज गति से चल रही है और चंद्रयान-3 तथा आदित्य एल1 के बाद हमारे वैज्ञानिकों के इस मिशन में भी सफलता मिलने वाली है।

5 सालों तक सौरमंडल की स्टडी करेगा आदित्य एल1

बता दें कि आदित्य एल1 अगले 5 सालों तक सौरमंडल की स्टडी करेगा। यह भारत की पहली अंतरिक्ष ऑब्जर्वेटरी है और इसको सफलतापूर्वक ऑर्बिट में पहुंचाने के लिए इसरो के वैज्ञानिक लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। 2023 में चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग से पूरी दुनिया में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा चुका ISRO 2024 की शुरुआत में अपने सूर्य मिशन आदित्य L1 को उसकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए तैयार है। 2 सितंबर 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से भारत का यह पहला सूर्य मिशन लॉन्च किया गया था।

PM मोदी के लक्षद्वीप दौरे पर 'अपमानजनक' टिप्पणी पर मालद्वीव का बड़ा एक्शन, शिउना समेत 3 मंत्रियों को किया निलंबित

डेस्क: मालद्वीव की सरकार ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 'अपमानजनक' टिप्पणी करने वाली अपनी मंत्री मरियम शिउना समेत 3 को निलंबित कर दिया है। मालद्वीव की स्थानीय मीडिया एटोल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मुइज्जू सरकार ने मरियम शिउना, मालशा और हसन जिहान समेत अपने तीन मंत्रियों- को भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद उन पर अभद्र टिप्पणी करने के लिए यह सख्त कार्रवाई की है। 

इससे पहले मालदीव सरकार ने एक बयान जारी कर पीएम नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा पर मंत्री मरियम शिउना की टिप्पणी पर अपना रुख स्पष्ट किया था। मालदीव ने पीएम मोदी पर अपनी मंत्री की ओर से की गई टिप्पणी के बाद देश में अचानक भारत से पर्यटकों की संख्या रद्द होने में बड़ी वृद्धि देखने के बाद कहा कि वे ऐसी "अपमानजनक टिप्पणी" करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेंगे। रविवार को एक बयान में, मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वे "विदेशी नेताओं और उच्च पदस्थ व्यक्तियों के खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अपमानजनक टिप्पणियों" से अवगत थे। पिछले हफ्ते सोशल मीडिया पर तब विवाद खड़ा हो गया, जब मालदीव के एक मंत्री मरियम शिउना और कुछ अन्य नेताओं ने लक्षद्वीप के एक प्राचीन समुद्र तट पर प्रधानमंत्री मोदी का एक वीडियो पोस्ट करने के बाद उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की।

भारत-मालद्वीव के संबंध तनावपूर्ण

मालद्वीव में मो. मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। मुइज्जू चीन के समर्थक माने जाते हैं। करीब 2 माह पहले मालद्वीव के राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने भारतीय सेना को अपने देश से हटाने का पहला फैसला किया। उन्हें अक्सर भारत विरोधी बयान देने के लिए जाना जाता है। मुइज्जू ने मालद्वीव सरकार की परंपरा तोड़ते हुए दो मुस्लिम देशों की यात्रा का निश्चय कर भारत के साथ अपने संबंधों को और खराब कर लिया। मुइज्जू ने पहले मुश्लिम देश तुर्की की यात्रा करने के बाद भारत को दरकिनार करते हुए अब 8 जनवरी से चीन की यात्रा को प्राथमिकता दी है।