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चोर की दाढ़ी में तिनका की कहावत चरितार्थ कर रही कांग्रेस - देवलाल ठाकुर

रायपुर- छत्तीसगढ़ भाजपा प्रदेश प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने भ्रष्टाचार के मामलों में जांच एजेंसियों के अधिकृत बयान जारी होने पर कांग्रेस की प्रतिक्रियाओं को चोर की दाढ़ी में तिनका करार देते हुए कहा जाता आखिर क्या कारण है कि कांग्रेस इतनी घबरा जाती है। जांच एजेंसियों के हर बयान पर कांग्रेस की हड़बड़ाहट, छंटपटाहत, बौखलाहट बता रही है कि जो आपा खो रहे हैं, उनकी दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है। यदि इन्होंने कुछ गलत नहीं किया होता तो हर तरह की जांच का डटकर मुकाबला करने की हिम्मत दिखाते। रोज ईडी, आईटी को पानी पी पीकर नहीं कोस रहे होते। कांग्रेस के नेता जिस तरह से हर रोज भला बुरा कहते हैं, उससे जाहिर होता है कि इन्हें किस बात का डर सता रहा है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने कांग्रेस को आड़े आ लेते हुए कहा कि क्या कभी किसी चोर ने कहा है कि उसने चोरी की है। अपराध की जांच कर अपराधी को सामने लाना जांच एजेंसियों का काम है और वे अपना काम सक्रियता और ईमानदारी से कर रही हैं तो गलत करने वालों की सांसें ऊपर नीचे हो रही हैं। कांग्रेस की सरकार का 5 साल का इतिहास रहा है कि भ्रष्टाचार को न केवल संरक्षण दिया गया बल्कि संगठित अपराध सिंडिकेट की तरह भ्रष्टाचार के नरवा में डुबकी लगाई गई है। भ्रष्टाचार की कालिख जिनके जिस्म में सिर से पैर तक चिपकी हुई है, वे दूध के धुले होने का कितना भी स्वांग रच लें, वे दागदार ही साबित होंगे। छत्तीसगढ़ की जनता के हक का पैसा जिसने भी लूटा है, वह बच नहीं पाएगा। ऐसे भ्रष्टाचारियों को बचना भी नहीं चाहिए

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने कहा कि पहले जो ईमानदारी की खाल ओढ़कर बड़े बड़े आदर्श बघारा करते थे, कि कुछ तो गड़बड़ है जब भी किसी कांग्रेस नेता की असलियत उजागर होती है तो सारे कांग्रेसी भ्रष्टाचार के बचाव में तांडव करने लगते हैं। चाहे वह राहुल गांधी, सोनिया गांधी का नेशनल हेराल्ड मामला हो, कांग्रेस के दामाद का जमीन घोटाला हो, छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला हो, कोल परिवहन घोटाला हो, पीएससी घोटाला हो या महादेव एप्प घोटाला हो, सभी में कांग्रेसियों की संलिप्तता सामने आ रही है। अब पीएससी घोटाले में कलई खुलने वाली है तो होश के साथ साथ कांग्रेस की नींद उड़ गई है।

बस्तर के कार्यकर्ता सिर पर कफन बांधकर करते हैं काम : मुख्यमंत्री साय

जगदलपुर- चिंतन शिविर और परिवर्तन यात्रा के बाद अब बीजेपी ने बस्तर से ही कार्यकर्ता सम्मान समारोह की शुरुआत की है। शनिवार को जगदलपुर में संभाग स्तरीय आयोजन किया गया। यहां मुख्यमंत्री साय ने कहा कि, बूथ से लेकर जिला स्तर के कार्यकर्ताओं को सैल्यूट करने हम आए हैं। नक्सल क्षेत्र में सिर पर कफन बांध कर बीजेपी के लिए आप काम करते हैं।

वहीं प्रभारी ओम माथुर ने कहा कि, लोकसभा की सभी 11 सीट पर भी अगर मुझे काम के लिए भेजना होगा तो मैं बस्तर के कार्यकर्ताओं को भेजूंगा। आप सभी बधाई के पात्र हैं। पहली बार छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने आदिवासी सीएम बनाया है। लोकसभा में भी इंडिया हो या घमंडिया किसी गठबंधन की नहीं चलेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि, कांग्रेस ने 5 साल में एक भी मकान नहीं बनने दिया। हम मकान बनवा रहे हैं। सरकार के शपथ लेते ही 18 लाख आवास की स्वीकृति ले ली। 12 लाख से ज्यादा किसानों के खाते में करोड़ों की बोनस राशि डाली गई।PSC घोटाले की जांच भी CBI को सौंप दी गई है।

महिलाओं को साल में 12 हजार रुपए देने का वादा है, इसे भी पूरा करेंगे। तेंदूपत्ता का बोनस देंगे। भूमिहीन किसान मजदूरों को सरकार साल में 10 हजार रुपए देने का काम करेगी। मोदी की गारंटी में जो वादा था सभी को पूरा किया जाएगा।

छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रभारी ओम माथुर ने कहा कि बस्तर के कार्यकर्ताओं पर मुझे पूरा भरोसा है। लोकसभा की तैयारी के लिए भी बस्तर के कार्यकर्ताओं को पूरी 11 सीट पर भी भेजना पड़ा तो भेजेंगे। अब इंडिया हो, फिंडिया हो या कोई घमंडिया हो, किसी की नहीं चलेगी। पहले की सरकार सोचती थी, यदि हम रशिया जाएंगे तो चाइना क्या सोचेगा, चाइना जाएंगे तो जापान क्या सोचेगा, लेकिन मोदी जी सब जगह गए।

माथुर ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्र्पति ने कहा था कि यदि यूक्रेन रूस युद्ध को कोई शांत करवा सकता है तो वो सिर्फ मोदी है। रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे, विरोधी कहते थे, तारीख बताओ हमने कह दिया 22 तारीख। मोदी जी कहते हैं न खाता हूं न खाने दूंगा, मैं कहता हू न बैठता हूं न बैठने दूंगा।

कार्यकर्ता सम्मेलन के जरिए इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों का शंखनाद किया गया। पार्टी सूत्रों की मानें तो यह सम्मेलन पहले रायपुर संभाग से शुरू होना था, लेकिन CM विष्णुदेव साय और प्रदेश अध्यक्ष किरणदेव ने कार्यक्रम में बदलाव किया और इसे बस्तर से शुरू करने की योजना बनाई।

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बस्तर संभाग में भाजपा को करारी हार मिली थी। यहां की सभी 12 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया था। वहीं इस हार की वजह और साल 2023 विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए स्ट्रैटजी बनाने के लिए भाजपा ने बस्तर से ही चिंतन शिविर की शुरुआत की थी। जिसका फायदा मिला और 8 सीटों पर BJP ने वापसी की।

इसके अलावा विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने परिवर्तन यात्रा की शुरुआत भी बस्तर से ही की थी। मां दंतेश्वरी की नगरी दंतेवाड़ा से परिवर्तन रथ को रवाना किया गया था। भाजपा का यह परिवर्तन रथ प्रदेशभर से गुजरा था। बस्तर से शुरू हुई भाजपा की इस परिवर्तन यात्रा का फायदा पार्टी को मिला और प्रदेश में सरकार बदल गई।

बस्तर संभाग की दंतेवाड़ा, चित्रकोट, जगदलपुर, नारायणपुर, कोंडागांव, कांकेर, केशकाल और अंतागढ़ इन 8 सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया है, जबकि भानुप्रतापपुर, बस्तर, बीजापुर और कोंटा सीट पर कांग्रेस ने अपना वर्चस्व जमाया है। कार्यकर्ता सम्मेलन में सभी जगह के कार्यकर्ता शामिल हुए।

महादेव सट्टा ऐप मामले में पूर्व डिप्टी सीएम टी.एस. सिंह देव का बयान बोले – हवा हवा में लगाए आरोप में कार्रवाई नहीं करना चाहिए

रायपुर-   प्रदेश में एक बार फिर महादेव सट्टा ऐप का मामला गरमाने लगा है. बीजेपी ने महादेव सट्टा ऐप मामले में ईडी को अहम दस्तावेज देकर जांच की मांग की है. जिस पर में ईडी की चार्जशीट‌ पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम के जिक्र के बाद छत्तीसगढ़ के पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएम सिंहदेव का बयान सामने आया‌ है. सिंहदेव ने इस मामले में कहा कि, पहले ये तो साबित करें कि, पैसा भूपेश बघेल को मिला है.

नगद पैसा तो असीम दास के यहां मिला. मैं तो यह मानता हूं कि, अपने आप को बचाने के लिए उसने ऐसा बयान दिया होगा या फिर दबाव डलवाया गया होगा. ऐसा होगा कि, इसका-इसका नाम लो फिर तुमको बचाएंगे.

इस प्रकार की कार्रवाई में नगद तो दिखे पैसा, पैसा कहां से कहां गया? किसको मिला, किसने किसको दिया? वो रास्ता और पैसा तो दिखे. उन पैसों का क्या इस्तेमाल किया गया. हवा-हवा में आरोप लगाकर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए.

क्रास फायरिंग में 6 माह की बच्ची की हुई मौत, कांग्रेस ने बनाई 5 सदस्यीय जांच समिति

रायपुर-  बीजापुर में क्रास फायरिंग में 6 माह की बच्ची की मौत मामले की जांच के लिए कांग्रेस ने जांच समिति का गठन किया है. कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने क्षेत्रीय विधायक विकम मंडावी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है. यह समिति जल्द प्रभावित गांव का दौरा कर पीड़ित परिवार सहित स्थानीय ग्रामवासियों से मुलाकात कर घटना की वस्तुस्थिति से अवगत होकर अपनी रिपेार्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी को देगी.

ED चार्जशीट में नाम होने पर बोले भूपेश बघेल, उनका कोई आधार नहीं…

रायपुर-   ED चार्जशीट में नाम होने पर भूपेश बघेल ने कहा, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में जिस तरह से मेरा नाम लिखा है, वह पूरी तरह से राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है। ईडी अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर कूटरचना कर लोगों को गिरफ़्तार कर रही है और उनसे दबावपूर्वक मेरे और मेरे सहयोगियों के ख़िलाफ़ बयान दिलवा रही है। इन बयानों में जो पैसों के लेनदेन के आरोप लगाए गए हैं उनका कोई आधार नहीं है।

महादेव ऐप के पूरे मामले को जिस तरह से राजनीतिक रंग दिया गया है उससे साफ है कि इसका उद्देश्य अब असली अपराधियों को बचाने और राजनीतिक दुष्प्रचार कर भाजपा को फायदा पहुँचाने का ही रह गया है।

बता दें कि महादेव एप घोटला मामले में पूर्व सीएम भूपेश बघेल की मुसीबतें बढ़ती हुई नजर आ रही है। एक ओर जहां ईडी ने अपनी चार्जशीट में भूपेश बघेल के नाम का जिक्र किया है तो दूसरी ओर अब ये कहा जा रहा है कि ईडी जल्द ही भूपेश बघेल को समन जारी कर पूछताछ के लिए तलब कर सकती है।

मुख्यधारा से जुड़े नक्सली नहीं तो दिया जाएगा करारा जवाब : गृह मंत्री विजय शर्मा

दंतेवाड़ा-  बस्तर में आज भाजपा संभाग स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया है. जहां मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, बीजेपी प्रभारी ओम माथुर, डिप्टी सीएम अरुण साव और विजय शर्मा, कैबिनेट मंत्री समेत कई नेता सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे. जहां कार्यकर्ताओं गर्मजोशी के साथ सभी का स्वागत किया. वहीं नेताओं ने मां दंतेश्वरी के दर्शन किए. इस दौरान उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों पर दो टूक जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि नक्सली मुख्यधारा में आए वरना करारा जवाब दिया जाएगा.

मां दंतेश्वरी के दर्शन करने पहुंचे गृह मंत्री विजय शर्मा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए नक्सलियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का फैसला किया है. उन्होंने कहा वार्ता के लिए मननाही नहीं है. बहके युवाओं को मुख्य धारा में आना पड़ेगा. नक्सलियों दिए दर्द से नौजवान, सीविलियन और जानवर तक कराह रहे है. आईडी ब्लास्ट में दर्जनों लोग घायल होते हैं. रायपुर हॉस्पिटल में 6 जवान भर्ती हैं. जिनमें 3 जवान के पैर जा चुके है, ये सामाजिक पीड़ा है. नक्सली मुख्यधारा में आए अन्यथा इस दर्द का हिसाब लिया जाएगा.

खाद्य अधिकारी की छुट्टी: सीनियर अधिकारी के बदले,जूनियर को चार्ज देने के मामले में एक्शन,समीक्षा बैठक में मिली रिपोर्ट मंत्री ने जताई थी नाराजगी

रायपुर-   खाद्य मंत्री की समीक्षा बैठक के बाद राजधानी रायपुर के खाद्य अधिकारी की छुटटी कर दी गयी। समीक्षा बैठक में मंत्री दयालदास बघेल ने खाद्य विभाग में वरिष्ठ सहा.खाद्य अधिकारी के होते हुए भी कनिष्ठ सहा.खाद्य अधिकारियों को प्रभारी बनाये जाने पर गहरी आपत्ति जतायी थी। खाद्य मंत्री के आपत्ति के बाद खाद्य विभाक के संचालक जितेंद्र शुक्ला ने तत्काल एक्शन लिया है। जिसके तहर रायपुर के खाद्य अधिकारी की छुट्टी कर वरिष्ठ सहा.खाद्य अधिकारी को प्रभारी खाद्य नियंत्रक की जवाबदारी दी है।

गौरतलब है कि 4 जनवरी को खाद्य मंत्री दयालदास विभाग ने अपने विभाग की समीक्षा बैठक ली थी। बैठक के दौरान उन्होने प्रदेश के कई जिलों में वरिष्ठ सहा.खाद्य अधिकारी की पदस्थापना के बाद भी विभाग का प्रभार कनिष्ठ सहा.खाद्य अधिकारियों के पास होने की बात पर गहरी नाराजगी जतायी थी। बैठक के दौरान मंत्री ने तत्काल ऐसे जिला में वरिष्ठ सहा.खाद्य अधिकारियों को खाद्य नियंत्रक की जवाबारी सौंपने का आदेश दिया गया था। मंत्री के इस निर्देश के तुरंत बाद ही खाद्य विभाक के संचालक जितेंद्र शुक्ला ने एक्शन लिया। इसी कड़ी में राजधानी रायपुर में खाद्य नियंत्रक के पद पर पदस्थ कनिष्ठ सहा.खाद्य अधिकारी कैलाशचंद थारवानी को पद से हटाकर वरष्ठि सहा.खाद्य अधिकारी अरविंद कुमार दुबे का प्रभारी खाद्य नियंत्रक के पद पर नियुक्त किया गया है।

भाजपा सरकार को आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को कुचलने नहीं दिया जाएगा: किसान सभा

07 जनवरी को हसदेव में नागरिक प्रतिरोध मार्च

रायपुर। संविधान की रक्षा की शपथ लेकर शासन करने वाली किसी भी सरकार को आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को कुचलने तथा उनके हित में बनाए गए कानूनों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। लेकिन हसदेव अरण्य के मामले में भाजपा सरकार ठीक ऐसा ही कर रही है और इसीलिए उसके खिलाफ नागरिक प्रतिरोध संगठित किया जा रहा है। हसदेव के मुद्दों के प्रति चिंतित प्रदेश के सभी संवेदनशील नागरिक और संगठन 7 जनवरी को हसदेव में भाजपा सरकार के आदिवासी विरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त रुख के खिलाफ नागरिक प्रतिरोध मार्च में शामिल होंगे।

उक्त बातें छत्तीसगढ़ किसान सभा के संयोजक संजय पराते ने कल यहां आयोजित एक संयुक्त पत्रकार वार्ता में कही। इस पत्रकार वार्ता को छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला के साथ भारतीय किसान यूनियन के प्रवीण श्योकंद, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्ता समिति) के कलादास डहरिया तथा अमित बघेल आदि ने भी संबोधित किया।

पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पराते ने कहा कि जल, जंगल, जमीन और खनिज राज्य का विषय है और इसलिए हसदेव के जंगल की कटाई राज्य सरकार की सहमति के बिना नहीं हो सकती। भाजपा पर कॉर्पोरेटपरस्त रुख अपनाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि वह पेसा कानून तथा आदिवासी अधिकार कानून का उल्लंघन कर रही है, जिसे मौजूदा सभी कानूनों पर सर्वोच्चता प्राप्त है। किसान सभा नेता ने ग्राम सभाओं का फर्जी प्रस्ताव तैयार करने वाले अधिकारियों और अडानी पर कार्यवाही करने, आदिवासियों को व्यक्तिगत और सामुदायिक वनाधिकार पत्रक देने, जिन आदिवासियों के वनाधिकार पत्रक छीने गए हैं, उन्हें वापस करने तथा विधानसभा संकल्प के अनुसार सभी कोयला खदानों का आबंटन निरस्त करने की मांग की।

आलोक शुक्ला ने पिछले माह दिसम्बर में हसदेव के जंगल काटे जाने के लिए वहां के ग्रामों को बंधक बनाने और उस क्षेत्र के आंदोलनकारी आदिवासियों को गैर-कानूनी ढंग से हिरासत में लेने के विस्तृत विवरण रखा। उन्होंने कहा कि कोयला खनन के लिए अडानी द्वारा जो अनुमतियां हासिल की गई हैं, वे ग्राम सभाओं के फर्जी प्रस्तावों पर आधारित है, इसलिए उसकी कोई वैधानिकता नहीं है। इन फर्जीवाड़े की जांच के लिए राज्यपाल द्वारा निर्देश दिए जाने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। उन्होंने पूछा कि यह कैसा कानून का शासन है, जो सार्वजनिक संपत्ति हड़पने वालों के साथ खड़ा है और इसका विरोध करने वाली आम जनता पर डंडे बरसा रहा है?

पत्रकार वार्ता में जारी वक्तव्य इस प्रकार है :

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (CBA)

प्रेस विज्ञप्ति : 05.01.2024

हसदेव में पेड़ों की कटाई और आदिवासियों के दमन के खिलाफ 7 को “नागरिक प्रतिरोध मार्च”, फर्जी ग्रामसभा प्रस्तावों के आधार पर कोल ब्लॉक को दी गईं सभी स्वीकृतियां निरस्त करे भाजपा सरकार

रायपुर। संविधान की पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों के आदिवासियों और उनकी ग्रामसभाओं के सतत विरोध को दरकिनार करके एक पूंजीपति की लूट और भ्रष्टाचार के लिए हसदेव अरण्य के समृद्ध जंगल, जमीन, जल स्रोत और पर्यावरण का विनाश किया जा रहा हैl राज्य में नव गठित भाजपा सरकार के निर्देश पर भारी पुलिस बल तैनात कर निर्दयता के साथ सैकड़ों वर्ष पुराने हजारों पेड़ों को काट दिया गया। 21 से 23 दिसंबर तीन दिनों तक खनन प्रभावित सभी गांवों को नजरबंद किया गया, नेतृत्वकारी युवा साथियों और सरपंचों को अमानवीय तरीके से गिरफ्तार कर गैरकानूनी हिरासत में रखा गया l  

हसदेव अरण्य में अडानी समूह के लिए भाजपा सरकार द्वारा की गई यह कार्यवाही न सिर्फ कार्पोरेट परस्ती का उदाहरण है, बल्कि आदिवासियों के उस विश्वास पर कुठाराघात है, जिसे चुनाव के वक्त भाजपा पर जताया गया था l छत्तीसगढ़ के हम समस्त जनवादी संगठन, जन पक्षीय राजनैतिक दल और पर्यावरण और आदिवासियों के प्रति संवेदनशील नागरिक राज्य सरकार की हसदेव अरण्य में की गई बर्बर कार्यवाही का पुरजोर तरीके से भत्सर्ना करते हैं l हम सब 7 जनवरी को नागरिक प्रतिरोध मार्च निकालकर हसदेव के संघर्षरत साथियों के आन्दोलन में एकजुटता प्रदर्शित करेंगे l 

महत्वपूर्ण है कि इस सम्पूर्ण हसदेव अरण्य को बचाने के लिए पांचवी अनुसचित क्षेत्र के आदिवासियों और उनकी ग्रामसभाओं ने पिछले एक दशक में कई बार कोयला उत्खनन परियोजना का विरोध किया है, परन्तु अडानी कम्पनी के द्वारा ग्रामसभाओं के कूटरचित तरीके से फर्जी दस्तावेज तैयार करके विभिन्न स्वीकृतियां हासिल की गईं है। पूर्व राज्यपाल ने परसा कोल ब्लॉक प्रभावित गांव फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव की जाँच के आदेश दिनांक 23 अक्टूबर 2023 को मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ शासन को दिया था, परन्तु आज तक जाँच नही की गई l वर्तमान में जिस परसा ईस्ट केते बासेन कोयला खनन परियोजना के दूसरे चरण के लिए पेड़ो की कटाई की गई है, वह वन क्षेत्र ग्राम घाटबर्रा के सामुदायिक निस्तार का जंगल था l इस गाँव को प्राप्त सामुदायिक व अधिकार पत्र को गैरकानूनी रूप से जिला स्तरीय समिति सरगुजा ने निरस्त किया था, जिसके खिला उच्च न्यायालय बिलासपुर में मामला लंबित है l 

ज्ञात हो कि हसदेव अरण्य मध्य भारत का समृद्ध वन क्षेत्र है जो जैव विविधता से परिपूर्ण कई विलुप्तप्राय वनस्पति और जीव-जन्तुओं का रहवास है l यह जंगल हसदेव नदी और उस पर बने मिनीमाता बांगो बांध का केचमेंट है जिससे जांजगीर, रायगढ़, कोरबा और बिलासपुर जिले की 4 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है l 

भारतीय वन्य जीव संस्थान (WII) ने हाल ही हसदेव अरण्य क्षेत्र पर विस्तृत अध्ययन किया है, जिसकी रिपोर्ट छत्तीसगढ़ शासन को सोंपी गई है l रिपोर्ट में सम्पूर्ण हसदेव अरण्य क्षे को खनन गतिविधियों से मुक्त रखने की सिफारिश की गई है l रिपोर्ट में WII ने चेतवानी देते हुए लिखा ह यदि हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन की अनुमति दी गई, तो न सिर्फ हसदेव नदी और पर्यावरण का विनाश होगा बल्कि मानव-हाथी संघर्ष इतना विकराल हो जायेगा कि उसे कभी सम्हाला नही जा सकता l 

छत्तीसगढ़ विधानसभा ने दिनांक 26 जुलाई 2022 को सदन ने सर्वानुमति से संकल्प पारित किया था – “हसदेव अरण्य क्षेत्र में आवंटित सभी कोल ब्लॉक रद्द किए जाएँ” l छत्तीसगढ़ शासन ने दिनांक 1 मई 2023 को माननीय उच्चतम न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत किया है, जिसमे लिखा है कि हसदेव अरण्य में कोयला उत्खनन राज्य के हित में नही है l हसदेव क्षेत्र में किसी भी नए कोल ब्लॉक का आवंटन या खनन की जरुरत नही है l 

हम सब संगठन इस बात पर कायम है कि हसदेव अरण्य में केंद्र और राज्य सरकार की सहमति के बिना एक पेड़ की भी कटाई नहीं हो सकती। इस समय जो पेड़ काटे जा रहे हैं, उसमें भाजपा राज्य सरकार की पूर्ण सहमति शामिल है और कांग्रेस पर दोषारोपण करके वह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। भाजपा सरकार को राज्य की आम जनता की भावना के अनुरूप आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करते हुए हसदेव में खनन के लिए दी गई सभी अनुमतियों को रद्द करना चाहिए और विधानसभा के प्रस्ताव पर अमल करना चाहिए।

*(

अयोध्या तो बहाना है, देश की लंका लगाना है!

(आलेख : बादल सरोज)

अयोध्या में और उसे लेकर पूरे देश में - उनका दावा है कि दुनिया भर के भारतवासियों के बीच भी - जो किया जा रहा है, उसके रूप और सार दोनों को समझने की शुरुआत शुरू से ही करने से समझने में आसानी होगी। इसलिए नवनिर्मित राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा के नाम पर, उसके बहाने जो कुछ हो रहा है, उसको समझने की शुरुआत 6 दिसम्बर '92 को बाबरी मस्जिद को ढहाये जाने को, आजाद भारत में लगे गांधी हत्या के बाद के, सबसे बड़े ज़ख्म से की जानी चाहिए। इस काण्ड के बाद तब के भाजपा के सबसे बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने एनडीटीवी के साथ खास बातचीत में कहा था कि "अयोध्या में 6 दिसम्बर को जो हुआ, वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था। ये नहीं होना चाहिए था। हमने इसे बचाने की कोशिश की थी, लेकिन हम कामयाब नहीं हुए। हम उसके लिए माफी मांगते हैं कारसेवकों का एक हिस्सा बेकाबू हो गया था और फिर उन्होंने वो किया, जो नहीं होना चाहिए था।' एक स्पष्ट वादा किया गया था कि विवादित ढांचे को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा, उस वायदे का पालन नहीं किया गया। इसलिए हम माफ़ी मांगते हैं।" विध्वंस के एक दिन बाद उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि ''यह मेरी पार्टी द्वारा किया गया सबसे खराब और गलत आकलन है।'' ऐसा कहने वाले वे अकेले नहीं थे। इस ध्वंसलीला के सूत्रधार और मौका-ए-वारदात पर हाजिर और नाजिर लालकृष्ण आडवाणी, जिन्हें अब इस समारोह, जिसमें सोनिया गांधी और सीताराम येचुरी तक को आमंत्रित किया गया है, उसमें न आने की हिदायत दी गयी है, उन आडवाणी ने भी काण्ड के बाद इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अपने लेखों में 6 दिसम्बर को अपने "जीवन का सबसे दुखद दिन - सैडेस्ट डे" - बताया था। वे यहीं तक नहीं रुके, इससे भी आगे जाकर उन्होंने कहा कि इमारत को गिराया जाना एक "भयानक गलती थी" और यह भी कि अपनी आँखों के सामने ऐसा होने देना नेतृत्व की विफलता थी। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि बचपन से मेरी परवरिश जिस संगठन - आर एस एस - में हुयी है, वह जिस अनुशासन के लिए जाना जाता है, यह घटना उसके अनुरूप नहीं थी। पूरा कुनबा ही बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद इसी तरह के भाव व्यक्त कर रहा था। दो साल बाद संघ के सरसंघचालक बने, तत्कालीन सह-सरकार्यवाह राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया ने तो 7 दिसम्बर को बाकायदा बयान जारी किया। इस बयान में उन्होंने मस्जिद (विवादित ढांचा) गिराए जाने की भर्त्सना की, इसे संघ की प्रकृति और आचरण के विरुद्ध बताया और कहा कि ऐसा करने (मस्जिद गिराने) से संघ के मकसद को नुकसान पहुंचा है।

इस अटल स्वीकारोक्ति और सार्वजनिक माफी, आडवाणी प्रायश्चित भाव और रज्जू भैया अहसास के 31 साल बाद पहिया पूरी तरह घूम चुका है। जिसे वे अपनी पार्टी का सबसे खराब, गलत आकलन, दुखद दिन, निंदनीय काम, संघ की प्रकृति और आचरण के विपरीत कृत्य बता रहे थे, आज उनकी पार्टी और उनका संघ उसी काम को अपनी सबसे चमकदार उपलब्धि और कामयाबी मान कर चल रहा है। यह इसलिए हुआ कि कारसेवकों का वह हिस्सा जो, बकौल वाजपेयी, बेकाबू होकर वह कर गया था, जिसे नहीं करना चाहिए था, वह बेकाबू हिस्सा आज सरकार को अपने काबू में किये बैठा है और 7 दिसम्बर '92 के टाइम्स ऑफ़ इंडिया के सम्पादकीय के शीर्षक "गणतंत्र को कलंकित" करने का सिलसिला नयी और खतरनाक ऊंचाई तक ले जाने में पूरी बदहवासी के साथ भिड़ा हुआ है। इससे एक बार फिर इस कुनबे की एक साथ, एक ही समय में दो जुबानों से बोलने की महारत और जो किया है, स्वीकारने के साहस का अभाव साबित हो जाता है। मतलब यह कि तब जो बोला जा रहा था, वह सच नहीं था। दिनदहाड़े की गयी इस बर्बरता से स्तब्ध देश और दुनिया की इंसानियत के क्षोभ और रोष को भटकाने के लिए इस तरह की बयानबाजी की जा रही थी। यह याद दिलाना इसलिए आवश्यक है, ताकि आज जो बताया जा रहा है, उसे ठीक-ठाक तरीके से पढ़ा और समझा जाए।

अयोध्या में ठीक उसी जगह बने राम मंदिर का निर्माण पूरा होने पहले ही उसकी प्राण प्रतिष्ठा के समारोह की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या जंक्शन, 8 रेलगाड़ियों, वन्दे और नमो भारत की कड़ी में अमृत भारत नाम की नयी रेलगाड़ी को हरी झण्डी दिखाने, अयोध्या के हवाई अड्डे का नाम बदलने, पुष्पवर्षा के बीच 8 किलोमीटर लंबा रोड शो करने, 15700 करोड़ की 46 विकास योजनाओं का एलान करने, धनीराम मांझी के घर ज्यादा मीठी चाय पीने के अलावा यही कर रहे थे। इस के बाद, इसके साथ ही वे 22 जनवरी के मन्दिर उदघाटन के बहाने सीधे एजेंडे पर आ गए ; इसे प्रगति का उत्साह और परम्परा का उत्सव करार दिया और इस दिन पूरे देश में राम ज्योति जलाने का आव्हान भी कर दिया। देश के 4 करोड़ बेघरों को आवास देने से जोड़ते हुए 550 वर्षों के इंतज़ार के बाद राम को भी घर देने का दावा करते हुए कण-कण में राम की तर्ज पर खुद को भारत के कण-कण और जन-जन का पुजारी भी बता दिया। 

जिस तरह बाबरी मस्जिद के साथ बाबर का कोई ताल्लुक नहीं था, उसी तरह न नब्बे के दशक में चले राम मंदिर आन्दोलन का और ना ही अब बने इस राम मंदिर के निर्माण का राम के साथ कोई रिश्ता है। उस राम के साथ तो कतई नहीं है, जिस राम को इस देश की जनता का बड़ा हिस्सा मानता है। यह शुरू से लेकर आज तक भारत को एक खास तरह से ढालने के इरादे से की जा रही राजनीतिक कार्यवाही है। जिन्हें भगवान् माना जाता है, उन राम के बालक रूप को प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी की अंगुली पकड़ कर ले जाते हुए दिखाने वाला पोस्टर बिम्ब दरअसल राम का हाथ थाम उन्हें इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मतदान केन्द्रों पर ले जाने की 'चतुराई' का प्रतिबिम्ब है। 30 दिसम्बर के अयोध्या भाषण में भी यह साफ़ दिख रहा था, जब प्रधानमंत्री मोदी बेरोजगारी, अंतर्राष्ट्रीय कर्जों के लगातार बढ़ते बोझ के तले दबे देश के युवाओं के लिए मंदिर को एक गर्व का विषय बता रहे थे। अपने बाकी सारे वादों और घोषणाओं से ठीक उलटा होने की स्थिति और जाहिर-उजागर असफलताओं पर धारा 370 के खात्मे और मन्दिर निर्माण का पर्दा डाल रहे थे। इसे छुपाया भी नहीं जा रहा है। पांच विधानसभा चुनावों के बाद दिए अपने भाषण में वे पहले ही दावा कर चुके हैं कि इस लोकसभा चुनाव में भाजपा इन्ही कामों के आधार पर 50 प्रतिशत वोट हासिल करने वाली है। यह उस देश में धर्म का निर्लज्जता के साथ राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा इस्तेमाल है , जिस देश का संविधान और सुप्रीम कोर्ट राजनीति में धर्म का उपयोग, दुरुपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित करता है, स्पष्ट रूप से कहता है कि भारत की सरकार को किसी भी धर्म को नहीं मानना चाहिए, किसी भी धर्म के साथ उसे स्वयं को संबद्ध नहीं करना चाहिए। इसके बावजूद पूरे धड़ल्ले के साथ राजनीति और धर्म की मिलावट कर लोगो की धार्मिक आस्थाओं की छीछालेदर की जा रही है ; इसके शिलान्यास समारोह में भी प्रधानमंत्री के रूप में मोदी की हिस्सेदारी थी - इसके उदघाटन में भी गर्भगृह तक पहुँचने वाले 5 लोगों में एक वे होने वाले हैं ।

मामला सिर्फ वोटों के लिए राम को पोलिंग एजेंट बनाने भर का नहीं है। इस बहाने पूरे देश में एक ख़ास तरह का माहौल बनाने की भी चार चरणों में फैली विस्तृत योजना बनाई गयी है। इन चार चरणों में से पहला चरण 19 नवम्बर से 20 दिसम्बर तक किया जा चुका है। दूसरा चरण पहली जनवरी से शुरू हुआ है और 15 तक चलने वाला है। इस चरण में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का न्यौता देने वाले अक्षत - पीले चावल -  घर-घर तक पहुंचाए जाएंगे। कहते हैं कि इस काम में कोई 3 हजार टन चावल खर्च किये जाने वाले हैं। कहने को यह अभियान राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के नाम पर शुरू किया गया है और इसका घोषित उद्देश्य हर घर में भगवान राम का आशीर्वाद पहुंचाना है। मगर वास्तविकता में इस सहित चारों चरण आरएसएस के घोषित अभियान का हिस्सा है और उसी के द्वारा चलाये जा रहे हैं। तीसरे चरण में 22 जनवरी को राम ज्योति जलाने का आव्हान तो खुद मोदी कर रहे हैं, मंदिर वालों के ट्रस्ट के नाम से इस दिन देश के सारे मंदिरों को सजाकर वहां भी इसी तरह के आयोजनों का आव्हान कराया गया है। चौथा चरण 26 जनवरी से शुरू करके 22 फरवरी तक चलाया जाएगा - इसमें देश भर से लोगों को इकट्ठा करके अयोध्या ले जाया जाएगा। इस बात की पक्की आशंका है कि इस चरण के पूरा होते ही केन्द्रीय चुनाव आयोग - केंचुआ - लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी कर देगा और हुक्मरानों को उम्मीद है कि रामनामी ओढ़कर जिन्हें तुलसी ने वंचक भगत बताया था, वे फिर राज में आ जायेंगे। कहीं कोई कसर न रह जाये, इसलिये भाजपा ने इस मंदिर दर्शन कराओ योजना को 22 मार्च तक बढ़ा दिया है ; अभी से रेलगाड़ियों, बसों और वाहनों की बुकिंग्स शुरू कर दी है। उनकी मंशा देश भर के करीब 12 लाख पोलिंग बूथ्स में से हर मतदान केंद्र से कम-से-कम दो लोगों को अयोध्या घुमाकर वापस लाने की है। इसमें भी उन 73000 बूथ्स से ले जाने पर विशेष जोर होगा, जहाँ भाजपा खुद को कमजोर मानती है।

बहरहाल यह सिर्फ एक चुनाव तक सीमित क्रोनोलोजी नहीं है, इसकी एक धुरी भी है, केमिस्ट्री भी है। राम और उनका मंदिर तो सिर्फ बहाना है, असल मकसद शनैः-शनैः धीमे-धीमे धर्मोन्माद को तेज से तेजतर करते हुए कलुष वातावरण बनाना है। अयोध्या की बात करके देश की शान्ति, सौहार्द्र और एकता की लंका लगाना है। एक ऐसा कुहासा बनाना है, जिसकी आड़ में हिन्दुत्व - जिसका हिन्दू धर्म या उसकी परम्पराओं से दूर दूर तक का भी संबंध नहीं है - पर आधारित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की ओर एक बड़ी छलांग लगाई जा सके। लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और सभी नागरिकों की समानता की धारणा पर टिके भारतीय गणराज्य की बुनियाद उखाड़ी जा सके।

दोहराने की जरूरत नहीं कि यह जैसा कि दिखाया जा रहा है वैसा ; किसी मंदिर, मस्जिद, गिरजा, गुरुद्वारे, चैत्य सभा मंडपम, देरासर, दायरे मेहर, अगियारी, सिनेगॉग, बड़ा देव आदि-आदि नामों वाले पूजा स्थलों के बीच का मामला नहीं है। यह भारतीय समाज की सारी गतिशीलता रोककर उसका सारा उजाला सोख कर उसे पूरी तरह उस जड़ और अन्धकार की अवस्था में पहुंचाने की विराट परियोजना है, जिस अँधेरे में रहने की कीमत इस देश ने हजार-डेढ़ हजार वर्षों के ठहराव और पिछड़ेपन के रूप में चुकाई है। जिससे उबरने की छटपटाहट में कई पीढियां खर्च हो गयीं, तब कहीं जाकर थोड़ी बहुत रोशनी हुयी - अन्धेरा खत्म होने की उम्मीदें आगे बढ़ी। यह गा-बजाकर उसी दिशा - हिन्दू राष्ट्र की दिशा - में बढ़ाया गया अभियान है, जो कहाँ तक ले जाएगा, इसका संकेत "शूद्रों का जन्म ही ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य की सेवा के लिए हुआ है" कहकर असम के भाजपाई मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने दे दिया है। हालांकि बाद में गीता के 18 वें अध्याय के 44 वे श्लोक का गलत अनुवाद होने का बहाना बनाकर उन्होंने अपना ट्वीट - जिसे आजकल X कहा जाता है - मिटा दिया और असम को जाति मुक्त प्रदेश भी बता दिया। साफ़ है कि मंदिर तो दिखावे के लिए है, अगर उनकी चली तो अयोध्या के बहाने शुरू किये जा रहे हिन्दुत्व के अश्वमेध यज्ञ की पूर्णाहुति यहीं जाकर होनी है।

इतिहास अश्वमेध यज्ञ से राज्य विस्तार का सपना देखने वाले राजा-महाराजाओं ने नहीं, उनके घोड़े को रोकने का साहस और सामर्थ्य रखने वाले नागरिकों ने रचे हैं। एक सभ्य, समावेशी नागरिक समाज बनाना और बचाना है, तो भारत के नागरिकों को इस धूल के बगूले को बवंडर में बदलने के इरादों को समझना और उन्हें बेअसर करना होगा। फासिस्टों की घुड़साल से कदमताल सीखकर आये इस घोड़े को रोककर उसे पीछे लौटाना ही होगा।

लेखक लोकजतन के सम्पादक और अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव हैं।

19 जनवरी से गुढिय़ारी के हनुमान मंदिर मैदान में होगी अनिरुधाचार्य जी महाराज की श्रीमद् भागवत कथा

रायपुर-   स्व. सत्यनारायण बाजारी (मन्नू भाई) की स्मृति में 19 से 25 जनवरी तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन गुढिय़ारी स्थित हनुमान मंदिर मैदान, श्रीनगर रोड में होने जा रहा है। भारत हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए संकल्पित व विश्वविख्यात कथा वाचक परम पूज्य श्री अनिरुधाचार्य महाराज जी कथा वाचन करने पहली बार राजधानी रायपुर आ रहे है। 18 जनवरी को भारत माता चौक से भव्य शोभायात्रा शाम को 5 बजे निकलेगी जिसमें श्री अनिरुधाचार्य महाराज विराजमान होंगे। कथा रोजाना दोपहर को 1 बजे से शाम 4 बजे तक होगी जिसका लाइव प्रसारण संस्कार टीवी के साथ महाराज जी के फेसबुक और यूट्यूब चैनल पर होगा। उक्त जानकारी रायपुर प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकारवार्ता के दौरान श्रीमद् भागवत कथा आयोजन समिति के गौतम बाजारी,कान्हा बाज़ारी, विकास सेठिया, अभिषेक अग्रवाल, ओमप्रकाश मिश्रा ने दी।

उन्होंने बताया कि बांके बिहारी चरण सेविका सुनीता सत्यनारायण बाजारी व गुढिय़ारी हनुमान मंदिर ट्रस्ट के सहयोग से राजधानी रायपुर के वासियों को पहली बार विश्वविख्यात कथा वाचक परम पूज्य श्री अनिरुधाचार्य महाराज के श्रीमुख से 19 से 25 जनवरी तक धर्म प्रेमियों को गुढिय़ारी स्थित हनुमान मंदिर में कथा श्रवण करने का लाभ प्राप्त होगा। श्री अनिरुधाचार्य महाराज जी ने संकल्प लिया है कि जब तक भारत हिन्दू राष्ट्र नहीं बन जाता तब तक वे लोगों को जागरुक करते रहेंगे। श्री अनिरुधाचार्य जी महाराज की श्रीमद भागवत कथा की तैयारियों को लेकर समिति का भी गठन किया है जो अपने-अपने कार्य में जुटे हुए है। कथा श्रवण करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए समिति ने काफी व्यापक व्यवस्था कर रखी है ताकि श्रद्धालु श्री अनिरुधाचार्य जी महाराज की कथा बिना कोई परेशानी के सातों दिन श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त हो सकें।

गौतम बाजारी ने बताया कि कथा के मुख्य आयोजक ओमप्रकाश बाजारी (कल्लू), सुनील बाजारी (बिल्लू) तथा कृष्णा बाजारी (कान्हा) है। इसके अलावा आयोजक परिवार में मोहनलाल.प्रहलाद,हरिश्चंद्र,मनोहर, रमाशंकर, सुनील, प्रमोद, संजय, गौतम, सुनील (राजा), सुमित, जसमीत, सोनू, उमेश, किशन, निश्चय, वैभव, मयंक, संचय, रजत, केशव, शिवराज (लल्ला), कुँवर एकांश, राघव, कुँवर रुद्राक्ष एवं समस्त बाजारी परिवार एवं श्रीमद् भागवत कथा आयोजन समिति गुढिय़ारी के लोग शामिल है।

कान्हा बाजारी व ओमप्रकाश मिश्रा ने बताया कि श्रीमद भागवत कथा करने के लिए परम पूज्य श्री अनिरुधाचार्य जी महाराज 18 जनवरी, गुरुवार की दोपहर को राजधानी रायपुर पहुंच रहे है जहां आयोजन समिति के सदस्य उनका भव्य स्वागत करेंगे। शाम को 5 बजे भारत माता चौक से भव्य शोभायात्रा निकलेगी जिसमें परम पूज्य श्री अनिरुधाचार्य महाराज शामिल होंगे। शोभायात्रा विभिन्न मार्गों से होते हुए गुढिय़ारी स्थित हनुमान मंदिर पहुंचेगी, इस दौरान जगह-जगह पर अनिरुधाचार्य महाराज का स्वागत किया जाएगा। कथा रोजाना दोपहर को 1 बजे से शाम को 4 बजे तक होगी जिसका लाइव प्रसारण संस्कार टीवी, फेसबुक व यूट्यूब चैनल कृष्णा कान्हा बाजारी, इस्ट्राग्राम के पेज कृष्णा शर्मा 4 बीजेपी पर किया जाएगा।

विकास सेठिया व अभिषेक अग्रवाल दीपक अग्रवाल प्रभात अग्रवाल गोलू शर्मा संजू मितल ने बताया कि 19 जनवरी, शुक्रवार को देव प्रतिष्ठा, भागवत महात्म्य एवं शुकदेव आगमन, 20 जनवरी, शनिवार को विराट स्वरूप वर्णन एवं श्री ध्रुव चरित्र, 21 जनवरी, रविवार प्रहलाद चरित्र एवं गजेन्द्र मोक्ष, 22 जनवरी, सोमवार वामनावतार, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव एवं नन्दोत्सव, 23 जनवरी, मंगलवार बाललीला, माखनचोरी, गोवर्धनपूजा एवं छप्पन भोग, 24 जनवरी, बुधवार रुक्मिणी विवाह महोत्सव एवं सुदामा चरित्र तथा 25 जनवरी, गुरुवार को नवयोगेश्वर संवाद, अवधूतोपाख्यान, द्वादश स्कंध पर परम पूज्य श्री अनिरुधाचार्य महाराज श्रद्धालुजनों को कथा श्रवण कराएंगे। 25 जनवरी को ही कथा की विश्रांति होगी और रोजाना कथा समाप्ति के बाद श्रद्धालुजनों को प्रसादी का वितरण किया जाएगा।