गिरिडीह:ग्रामीण श्रमिक की मुंबई में हुई मौत,गांव वालों एवं झारखंडी एकता संघ के सहयोग से आज गांव भेजा गया शव
गिरिडीह: रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य जाने वाले झारखंड प्रदेश के प्रवासी मजदूरों की मौत होने का सिलसिला नहीं थम रहा हैं।साल के पहली तारीख को बोकारो जिले के नावाडीह थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत पोटसो निवासी स्व खेमन साव के 38 वर्षीय पुत्र सुरेश साव की हार्ट अटैक से बोरीवली मुंबई में उनकी मौत हो गई। मौत की सूचना मिलते ही गांव में मातम छा गया एवं परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। जानकारी के अनुसार सुरेश साव कुछ ही दिन पहले रोजगार की तलाश में बोरीवली मुंबई गए थे। बोरीवली मुंबई में मृतक ऑटो रिक्शा चलाता था और अपने परिवार का भरण पोषण करता था। वह घर का अकेला कमाऊ सदस्य था। मृतक अपने पीछे पत्नी नागेश्वरी देवी, पुत्र संजय साव 12 वर्ष, विवेक साव 8 वर्ष और भुवनेश्वर साव 6 वर्ष को पीछे छोड़ गए।
वहीं इस घटना की सूचना मृतक के परिजनों ने 18 वर्षों से प्रवासी मजदूरों के हितार्थ में कार्य करने वाली संस्था झारखंडी एकता संघ, मुंबई के राष्ट्रीय अध्यक्ष असलम अंसारी, बोरीवली इकाई अध्यक्ष भीम कुमार गुप्ता, निज़ाम इराकी, मोहम्मद इलियास, शमीम अंसारी, मुमताज अंसारी, राष्ट्रवादी कांग्रेस रिक्शा चालक मालक संगठन के सचिव इसाक मुल्ला जी और संघ के केंद्रीय सदस्य गिरिडीह निवासी तौफीक अंसारी को दिया और शव को गांव ले जाने में मदद की अपील की। संघ के पदाधिकारियों ने मृतक के परिवार वालों को ढांढस बंधाया और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। संघ के पदाधिकारियों एवं सक्रिय सदस्यों ने पार्थिव शरीर को 03/01/2024 को गांव भेजने में आर्थिक सहयोग के साथ काफी मदद किया।
मौत को लेकर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष असलम अंसारी, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष फिरोज आलम, उपाध्यक्ष सलीम अंसारी, सदरुल शेख़, विनोद प्रसाद, ताज हसन अंसारी, संतोष कुमार, असगर खान, तौफीक अंसारी, प्रकाश यादव, राजेंद्र शर्मा, रवि कुमार, मुस्तकीम अंसारी और मुन्ना प्रसाद ने दुःख प्रकट करते हुए कहा कि प्रवासी मजदूरों के साथ किसी तरह का हादसा एवं किसी तरह का समस्या आ जाती है तो झारखंड प्रदेश के विधायक, सांसद व मंत्री प्रवासी मजदूरों को किसी तरह की कोई मदद नहीं करते हैं।बताया कि क्षेत्र के विधायक और सांसद को फोन किया गया लेकिन उनसे किसी भी तरह की मदद नहीं मिली।कहा कि मदद के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता है और सरकार प्रवासी मजदूरों के हित में कुछ पहल नहीं कर पा रही है। झारखंड प्रदेश खनिज संपदा से मालामाल होने के बावजूद आज झारखंड प्रदेश के मजदूरों का पलायन लगातार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।आगे कहा कि संस्था झारखंडी एकता संघ अब तक लगभग 260 प्रवासी मजदूरों का शव गांव झारखंड भेज चुकी है।
Jan 03 2024, 16:40