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जम्मू-कश्मीर के पुंछ में सेना की गाड़ियों पर हमला, 5 जवान शहीद, पीएएफएफ ने ली जिम्मेदारी

#jammuterroristattackonarmyvehiclesinpoonchfivesoldiersmartyred

जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में गुरुवार को हथियारों से लैस आतंकवादियों द्वारा सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर किए गए। हमले में पांच सैनिक शहीद हो गए और दो अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि शहीद हुए दो सैनिकों के शव क्षत-विक्षत थे।पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की शाखा पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने घात लगाकर किए गए इस हमले की जिम्मेदारी ली है।

जम्मू में रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्तवाल ने बताया कि आतंकवादियों की पुख्ता खुफिया जानकारी के आधार पर पुंछ जिले के ढेरा की गली इलाके में बुधवार रात एक संयुक्त तलाशी अभियान चलाया गया था। अधिकारियों ने बताया कि ये जवान घटनास्थल की ओर बढ़ रहे थे, तभी आतंकवादियों ने दो वाहनों (एक ट्रक और एक जिप्सी) पर गोलीबारी कर दी।

दहशतगर्दों ने ग्रेनेड दागे, फिर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। दो जवानों के शव क्षत-विक्षत भी कर दिए गए हैं। कुछ जवानों के हथियार भी ले भागने की आशंका है। हमले के तत्काल बाद जवानों ने मोर्चा संभालते हुए मुंहतोड़ जवाब दिया। मुठभेड़ देर रात तक जारी रही। रात होने के बाद भी पूरे इलाके में घेराबंदी है ताकि दहशतगर्द मौके से भाग न निकलें।

जानकारी के अनुसार बफलियाज की ओर से 48 राष्ट्रीय राइफल्स के दो वाहन डेरा गली आ रहे थे। इनमें एक जिप्सी तथा दूसरा ट्रक था। राजोरी-थन्नामंडी-सुरनकोट रोड पर सावनी में घात लगाए आतंकियों ने पहले ग्रेनेड दागा। दोनों वाहनों के रुकते ही चारों ओर से घेरकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। आतंकियों की संख्या चार से छह बताई जा रही है। 

सेना को लगातार निशाना बना रहे आतंकी

घात लगाकर किया गया यह हमला पास के राजौरी जिले के बाजीमल वन क्षेत्र के धर्मसाल बेल्ट में एक बड़ी गोलीबारी के कुछ हफ्ते बाद हुआ। पिछले महीने दो कैप्टन समेत सेना के पांच जवानों शहीद हो गए थे। नवंबर में दो दिन चली मुठभेड़ में लश्कर का एक शीर्ष कमांडर क्वारी और उसका एक सहयोगी मारा गया था। क्वारी 10 नागरिकों और पांच सेना कर्मियों की हत्या समेत कई हमलों का मास्टरमाइंड था। इस साल 20 अप्रैल को सेना के एक वाहन पर घात लगाकर किए गए हमले में पांच जवान शहीद हो गए थे। मई में आतंकियों के खिलाफ अभियान के दौरान चमरेर जंगल में सेना के पांच और जवान शहीद हो गए थे और एक प्रमुख रैंक के अधिकारी घायल हो गए थे। अभियान में एक विदेशी आतंकी भी मारा गया था।

इस साल अब तक 19 सुरक्षाकर्मी शहीद

राजौरी, पुंछ और रियासी जिलों में इस साल मुठभेड़ों में अब तक 19 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं और 28 आतंकवादी मारे गए हैं। इन मुठभेड़ों में कुल 54 लोग मारे गए हैं। इससे पहले अक्टूबर 2021 में वन क्षेत्र में आतंकवादियों के दो अलग-अलग हमलों में नौ सैनिक शहीद हो गए थे।

जम्मू-कश्मीर के पुंछ में सेना की गाड़ियों पर हमला, 5 जवान शहीद, पीएएफएफ ने ली जिम्मेदारी

#jammu_terrorist_attack_on_army_vehicles_in_poonch_five_soldiers_martyred

जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में गुरुवार को हथियारों से लैस आतंकवादियों द्वारा सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर किए गए। हमले में पांच सैनिक शहीद हो गए और दो अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि शहीद हुए दो सैनिकों के शव क्षत-विक्षत थे।पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की शाखा पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने घात लगाकर किए गए इस हमले की जिम्मेदारी ली है।

जम्मू में रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्तवाल ने बताया कि आतंकवादियों की पुख्ता खुफिया जानकारी के आधार पर पुंछ जिले के ढेरा की गली इलाके में बुधवार रात एक संयुक्त तलाशी अभियान चलाया गया था। अधिकारियों ने बताया कि ये जवान घटनास्थल की ओर बढ़ रहे थे, तभी आतंकवादियों ने दो वाहनों (एक ट्रक और एक जिप्सी) पर गोलीबारी कर दी।

दहशतगर्दों ने ग्रेनेड दागे, फिर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। दो जवानों के शव क्षत-विक्षत भी कर दिए गए हैं। कुछ जवानों के हथियार भी ले भागने की आशंका है। हमले के तत्काल बाद जवानों ने मोर्चा संभालते हुए मुंहतोड़ जवाब दिया। मुठभेड़ देर रात तक जारी रही। रात होने के बाद भी पूरे इलाके में घेराबंदी है ताकि दहशतगर्द मौके से भाग न निकलें।

जानकारी के अनुसार बफलियाज की ओर से 48 राष्ट्रीय राइफल्स के दो वाहन डेरा गली आ रहे थे। इनमें एक जिप्सी तथा दूसरा ट्रक था। राजोरी-थन्नामंडी-सुरनकोट रोड पर सावनी में घात लगाए आतंकियों ने पहले ग्रेनेड दागा। दोनों वाहनों के रुकते ही चारों ओर से घेरकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। आतंकियों की संख्या चार से छह बताई जा रही है। 

सेना को लगातार निशाना बना रहे आतंकी

घात लगाकर किया गया यह हमला पास के राजौरी जिले के बाजीमल वन क्षेत्र के धर्मसाल बेल्ट में एक बड़ी गोलीबारी के कुछ हफ्ते बाद हुआ। पिछले महीने दो कैप्टन समेत सेना के पांच जवानों शहीद हो गए थे। नवंबर में दो दिन चली मुठभेड़ में लश्कर का एक शीर्ष कमांडर क्वारी और उसका एक सहयोगी मारा गया था। क्वारी 10 नागरिकों और पांच सेना कर्मियों की हत्या समेत कई हमलों का मास्टरमाइंड था। इस साल 20 अप्रैल को सेना के एक वाहन पर घात लगाकर किए गए हमले में पांच जवान शहीद हो गए थे। मई में आतंकियों के खिलाफ अभियान के दौरान चमरेर जंगल में सेना के पांच और जवान शहीद हो गए थे और एक प्रमुख रैंक के अधिकारी घायल हो गए थे। अभियान में एक विदेशी आतंकी भी मारा गया था।

इस साल अब तक 19 सुरक्षाकर्मी शहीद

राजौरी, पुंछ और रियासी जिलों में इस साल मुठभेड़ों में अब तक 19 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं और 28 आतंकवादी मारे गए हैं। इन मुठभेड़ों में कुल 54 लोग मारे गए हैं। इससे पहले अक्टूबर 2021 में वन क्षेत्र में आतंकवादियों के दो अलग-अलग हमलों में नौ सैनिक शहीद हो गए थे।

JN.1: वैरिएंट ऑफ कंसर्न नहीं बना है कोविड का यह बदला स्वरूप, अगले सात दिन बेहद महत्वपूर्ण

रिपोर्ट-नितेश श्रीवास्तव

कोविड के नए बदले वैरिएंट से जिस तरीके से मामले बढ़ने शुरू हुए हैं, उसे लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अलर्ट हो गया है। कोविड मामलों पर नजर रखने वाली कमेटी के पास पहुंची जिनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट से पुष्टि हुई है कि वायरस का यह बदला स्वरूप अभी वैरिएंट ऑफ कंसर्न नहीं बना है। यानी वायरस का यह बदला स्वरूप अभी खतरनाक श्रेणी में नहीं है। वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट यानी बदले हुए स्वरूप पर नजर रखी जानी बेहद जरूरी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार शाम को एक महत्वपूर्ण बैठक कर सभी राज्यों से इस पूरे मामले में रोजाना रिपोर्ट शेयरिंग के साथ स्क्रीनिंग बढ़ाने के लिए निर्देश दिए हैं। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी वायरस के बदले स्वरूप पर चिंता न करने की बात कही है। केरल में कोविड के बदले हुए स्वरूप के बाद लगातार बढ़ रहे मामलों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को दो महत्वपूर्ण बैठकें कीं। पहली बैठक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने वायरस के उभरते हुए सब वैरिएंट को लेकर अलर्ट रहने के निर्देश दिए। दरअसल केरल में आए कोविड के मामलों के बाद जिनोम सीक्वेंसिंग की दूसरी रिपोर्ट भी बुधवार को आई। इस रिपोर्ट के मुताबिक जिस वायरस में म्यूटेशन हुई है, वह ओमिक्रान फैमिली का तो पाया गया है। इसलिए यह वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट तो है। देशभर में कोविड के मामलों पर नजर रखने वाली कमेटी के विशेषज्ञों कहना है कि अगर यह म्यूटेशन वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट तो वेरिएंट का कंसर्न पर भी नजर जरूर रखनी चाहिए। इसी आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के सभी राज्यों खास तौर से दक्षिण के राज्यों में ज्यादा सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।देश के पूर्व मुख्य महामारी विशेषज्ञ रहे डॉक्टर समीरण पांडा कहते हैं कि अभी तक की मिली जानकारी के मुताबिक यह वैरिएंट उतना खतरनाक नहीं बताया जा रहा है। लेकिन जितने भी कोविड के बदले हुए स्वरूप आए हैं, वह शुरुआत में खतरनाक नहीं साबित हुए। हालांकि उनका कहना है कि अभी भी इस वैरिएंट पर बेहद नजर रखने की जरूरत है। खासतौर से उन राज्यों में जहां पर सबसे ज्यादा कोविड के मामले सामने आए हैं। डॉ. समीरन पांडा कहते हैं कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सब-वैरिएंट JN.1 का पता लगने के बीच राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सतर्कता बरतने को कहा है। उनका कहना है कि अगले सात दिनों के भीतर इस वायरस के बदले स्वरूप की गंभीरता का अंदाजा और हो सकेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने JN.1 के तेजी से बढ़ते प्रसार को देखते हुए इसे एक अलग वैरिएंट के रूप में वर्गीकृत किया है। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य निकाय ने कहा है कि यह वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए 'कम' खतरा पैदा करता है। विश्व स्वास्थ्य निकाय ने मंगलवार को कहा कि JN.1 वैरिएंट को पहले BA.2.86 सब-वैरिएंट के हिस्से के रूप में एक प्रकार (वीओआई) के रूप में वर्गीकृत किया गया था। हालांकि, हाल के हफ्तों में कई देशों में JN.1 के मामले सामने आए हैं। वैश्विक स्तर पर इसका प्रसार तेजी से बढ़ा है।

जम्मू-कश्मीर के पुंछ में सेना की गाड़ी पर बड़ा आतंकी हमला, 3 जवान शहीद

#jammu_kashmir_terrorist_attack_on_army_vehicle_in_poonch

आतंकियों ने एक बार फिर सेना के जवानों को निशाना बनाया। आतंकियों ने सेना के ट्रक पर हमला कर दिया। यह घटना गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में हुई। इसमें सेना के तीन जवानों के शहीद होने और तीन के घायल होने की खबर है।इस घटना के बाद सेना व जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों और आतंकियों के बीच एनकाउंटर जारी है।

अब तक मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय सेना को कल देर रात सीमा क्षेत्र के पास और इलाके के डेरा की गली के करीब आतंकवादी उपस्थिति के बारे में विशेष इनपुट मिला था। भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों ने आतंकियों की तलाश में कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन शुरू किया। आखिरकार आज शाम 4 बजे आतंकियों से सामना हो गया और गोलीबारी शुरू हो गई। आतंकियों ने सेना के ट्रक पर अंधाधुंध फायरिंग की।

जवानों ने तुरंत स्थिति को भांपते हुए मोर्चा संभाल लिया। हमले की सूचना पुलिस और सेना के अधिकारियों को भी दी गई। घटनास्थल पर अतिरिक्त बल पहुंच गया है। आसपास के इलाके को घेर लिया गया है।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अधिकारियों ने सेना के जवानों को ले जा रहे गाड़ियों पर आतंकियों की गई गोलीबारी की पुष्टि की है। अधिकारियों ने बताया कि राजौरी-थानामंडी-सूरनकोट रोड पर सावनी इलाके में सेना के वाहन पर हमला हुआ। यह वाहन बुफलियाज से जवानों को ले जा रहा था। बुफलियाज में आतंकवादियों के खिलाफ घेराबंदी और तलाश अभियान बुधवार की रात से जारी है। अभियान को लेकर ही सैनिक जा रहे थे और इस दौरान ही हमला कर दिया गया।

विपक्ष के 3 और सांसद निलंबित, अब तक कुल 146 सांसदों पर एक्शन

#3_more_mps_suspended_number_mps_increased_146 

लोकसभा से 3 और सांसद निलंबित कर दिए गए हैं। लोकसभा स्पीकर ने सदन की अवमानना को लेकर कांग्रेस के सांसद नकुलनाथ, डीके सुरेश और दीपक बैज को शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया। इससे पहले सदन में तख्तियां लहराने और नारे लगाने के आरोप में 143 सांसदों को लोकसभा और राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था। इस तरह संसद के दोनो सदनों से निलंबित किए गए सांसदों की संख्या 146 हो गई है। इनमें लोकसभा के 100 और राज्यसभा के 46 सांसद हैं।  

दरअसल, विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के सांसद 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में हुई चूक की घटना को लेकर गृह मंत्री अमित शाह से बयान की मांग कर रहे हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज प्रश्नकाल समाप्त होते ही तीनों सांसदों का नाम लेते हुए कहा कि आप बार-बार सदन की कार्रवाई बाधित कर रहे हैं, तख्तियां दिखा रहे हैं, नारेबाजी कर रहे हैं और कागज फाड़कर लोकसभा कर्मियों पर फेंक रहे हैं, यह सदन की मर्यादा के विरुद्ध है।

बता दें कि डीके सुरेश डीके शिवकुमार के भाई हैं, नकुलनाथ कमलनाथ के बेटे हैं। दरअसल संसद की सुरक्षा में हुई चूक के बाद से लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी दलों द्वारा खूब हंगामा किया जा रहा है। विपक्ष की मांग है इस मामले पर अमित शाह सदन में बयान दें और इसपर चर्चा की जाए। इस बाबत विपक्षी सांसद लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी मामले पर बीते दिनों लोकसभा और राज्यसभा से भी कई सांसदों को निलंबित किया गया है।सबसे पहले शुक्रवार को दोनों सदनों से कुल 14 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है।इसके बाद सोमवार को स्पीकर ओम बिरला ने विपक्ष के 33 सांसदों को पूरे सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया। वहीं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने 45 सांसदों को निलंबित कर दिया। इस तरह राज्यसभा और लोकसभा में सोमवार को कुल 78 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया। मंगलवार को लोकसभा से 49 सांसदों को सस्पेंड किया गया।इसके बाद बुधवार को 2 और सांसदों पर एक्शन लिया गया और आज तीन और पर गाज गिरी। इस तरह इस सत्र में अब तक 146 सांसद निलंबित हो चुके हैं।

विपक्षी गठबंधन इंडिया के सांसदों ने इस बाबत संसद भवन से विजय चौक तक मार्च निकाला। इस मार्च के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती कि सदन सही तरीके से चले। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, सरकार ये नहीं चाहती कि सदन चले। लेकिन मैं माफी चाहता हूं कि चेयरमैन साहब ने एक मुद्दा उठाकर हम सारे सांसद को जातिवाद पर लाया है। लोकतंत्र में बात करना हमारा हक है। हम चुने हुए सदस्य हैं और लोगों की भावना को सदन में बताना पार्लियामेंट के मेंबर का कर्तव्य है। संसद में जो घटना घटी उसी मुद्दे को हम लोकसभा और राज्यसभा में उठाना चाहते थे। हम ये सवाल उठा रहे था कि क्यों संसद की सुरक्षा में ऐसी सेंध लगी? इसके लिए जिम्मेदार कौन लोग हैं? लेकिन न तो गृह मंत्री ने बताया और न ही प्रधानमंत्री ने सदन में कुछ कहा।

बृजभूषण सिंह के करीबी संजय सिंह के WFI का अध्यक्ष बनाए जाने पर विवाद, नाराज साक्षी मलिक ने किया कुश्ती से संन्यास का ऐलान

#sakshi_malik_announced_her_retirement_upset_with_sanjay_singh_becoming_wfi_president 

बृजभूषण सिंह के करीबी माने जाने वाले संजय सिंह के भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के नए अध्यक्ष बनाए जाने के बाद विवाद शुरू हो गया है। इस बात से नाराज पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है। साक्षी ने कहा कि अगर फेडरेशन में बृजभूषण जैसे ही लोगों को जगह दी जाएगी तो आज मैं अपनी कुश्ती को छोड़ती हूं।भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव गुरुवार को संपन्न हुआ।संजय सिंह नए अध्यक्ष बने हैं। वह पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी हैं। पहलावनों ने इस साल बृजभूषण शरण के खिलाफ ही मोर्चा खोला था और दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया था। अब उनके ही करीबी के अध्यक्ष बनने पर साक्षी ने संन्यास का फैसला कर लिया।

साक्षी मलिक समेत कई पहलवानों ने गुरुवार को चुनाव के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। साक्षी मलिक इस दौरान रो पड़ीं। साक्षी मलिक ने कहा, मैं एक बात कहना चाहती हूं। लड़ाई लड़ी और पूरे दिल से लड़ी। लेकिन अगर प्रेसिडेंट बृजभूषण सिंह जैसा आदमी ही रहता है, जो उसका सहयोगी है, उसका बिजनेस पार्टनर है, वो अगर इस फेडरेशन में रहेगा तो मैं अपनी कुश्ती को त्यागती हूं। मैं आज के बाद कभी भी वहां नहीं दिखूंगी। सभी देशवासियों का धन्यवाद, जिन्होंने आज तक मुझे सपोर्ट किया और मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया।

बता दें कि इसी साल की शुरुआत में पहलवान साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट सहित तमाम खिलाड़ियों ने डब्ल्यूएफआई के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाते हुए आंदोलन छेड़ दिया था। देश के दिग्गज पहलवानों ने आरोप लगाया था कि भूषण ने महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण किया है। हालांकि इस मामले में अभी तक बृजभूषण ने अपने ऊपर लगे सभी ओरापों का खंडन करते हुए उन्हें बेबुनियाद बताया था। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गुरुवार को रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का चुनाव हुआ था। चुनाव में पहलवानों को बड़ा झटका लगा और बृजभूषण के करीबी माने जाने वाले संजय सिंह के पैनल की धूम रही. चुनाव में अधिकतर पदों पर उनके ही पैनल के लोगों को जीत हासिल हुई। चुनाव में संजय सिंह को 40 वोट मिले जबकि अनीता को सात वोट हासिल हुए। बता दें कि विरोध प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने सात जून को इसी शर्त पर अपना विरोध प्रदर्शन खत्म किया था कि डब्ल्यूएफआई के चुनाव में भूषण के परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव नहीं लड़ेगा। इसके बाद खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने उन्हें इस बात का आश्वासन दिया था।

संजय सिंह बने भारतीय कुश्ती महासंघ के नए अध्यक्ष, बृजभूषण सिंह के हैं करीबी

#sanjay_singh_close_of_brij_bhushan_singh_becomes_president_of_wfi 

संजय सिंह को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का अध्यक्ष चुना गया है। यह पद भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के इस्तीफे के बाद खाली हुआ था, जो कई महीनों से यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे थे। चुनावों में पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के करीबी उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष संजय सिंह ने एकतरफा जीत हुई है। अध्यक्ष पद के चुनाव में राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण से मुकाबला था। संजय सिंह को 47 में से 40 वोट मिले। इस तरह एक तरह से देखा जाए तो बृज भूषण शरण सिंह की जीत हुई है। 

संजय सिंह ने राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण को मात दी है। श्योराण को पहलवानों का सपोर्ट था, क्योंकि वे छह बार के बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर पहले सड़कों पर उतरे थे।

अध्यक्ष के पद के अलावा एक वरिष्ठ उपाध्यक्ष, चार उपाध्यक्ष, एक महासचिव, एक कोषाध्यक्ष, दो संयुक्त सचिव और कार्यकारी परिषद के पांच सदस्यों के लिए भी चुनाव हुए। जुलाई में शुरू हुई चुनाव प्रक्रिया में अदालत में चलने वाले मामलों के कारण लगातार विलंब हुआ। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय महासंघ यूनाईटेड वर्ल्ड रेस्लिंग ने भी निर्धारित समय में चुनाव नहीं कराने के कारण डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया। उच्चमतम न्यायालय ने हाल में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा चुनावों पर लगाई रोक को खारिज कर दिया जिससे चुनाव कराने का रास्ता साफ हुआ। उच्चतम न्यायालय के चुनाव का रास्ता साफ करने के बाद निर्वाचन अधिकारी न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एमएम कुमार ने चुनाव की तारीख घोषित की।

इसी साल की शुरुआत में बृजभूषण सिंह के खिलाफ देश के दिग्गज पहलवानों ने आंदोलन छेड़ दिया था और उन्हें पद से हटाने की मांग की थी। इन पहलवानों में बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक शामिल थीं। इन सभी के आरोप थे कि भूषण ने महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण किया है। भूषण ने हालांकि अपने ऊपर लगे सारे आरोपों को गलत बताया था। लेकिन बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अपना पद छोड़ना पड़ा था।

क्या राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे खरगे-सोनिया गांधी? जानें किन नेताओं को भेजा गया न्योता

#mallikarjun_kharge_sonia_gandhi_get_invitations_for_ram_temple_consecration_ceremony 

अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भव्य बनाने का पूरा इंतजाम कर लिया गया है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लकेर देश के विभिन्न क्षेत्रों को दिग्गजों को निमंत्रण भेजा जा चुका है। इस समारोह में लगभग 8,000 लोगों के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है। अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में आयोजित होनेवाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को निमंत्रण भेजा गया है। इन नेताओं को 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए आमंत्रित किया गया है। 

दरअसल, प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को होना है। इसके लिए नृपेंद्र मिश्रा और अन्य प्रमुख हस्तियों के नेतृत्व में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एच डी देवेगौड़ा और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी निमंत्रण दिया। वहीं, सीताराम येचुरी, डी राजा, मायावती और अरविंद केजरीवाल सहित अन्य नेताओं को निमंत्रण मिला है। सूत्रों ने कहा कि खरगे, सोनिया गांधी और चौधरी को व्यक्तिगत रूप से निमंत्रण भेजा गया है। आने वाले दिनों में अन्य विपक्षी नेताओं को भी निमंत्रण भेजे जाने की संभावना है। ट्रस्ट का कहना है कि तमाम परंपराओं के पूज्य संतों के साथ-साथ हर क्षेत्र में देश के सम्मान में योगदान देने वाले सभी प्रमुख व्यक्तियों को निमंत्रण दिया गया है।

राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल होने पर कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से अभी फैसला न लिए जाने की भी बात कही जा रही है। सूत्रों का कहना है कि समारोह में शामिल होने पर फैसला कार्यक्रम के पास आने पर लिया जा सकता है। माना जा रहा है कि कांग्रेस से किसी नेता के इस कार्यक्रम में जाने की उम्मीद है, लेकिन अभी तक इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है।

ट्रस्ट का कहना है कि राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए पूज्य संतों के साथ-साथ हर क्षेत्र में देश के सम्मान में योगदान देने वाले सभी प्रमुख व्यक्तियों को निमंत्रण दिया गया है। ट्रस्ट के मुताबिक, प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में विभिन्न संप्रदायों के लगभग 4,000 संत भाग ले सकते हैं। प्राण प्रतिष्ठा में अयोध्या के हर घर को आमंत्रित किया जाएगा। संघ के स्वयंसेवक, विहिप के कार्यकर्ता प्रत्येक घर में संपर्क करके पूजित अक्षत, रामलला के विग्रह का चित्र वितरित करेंगे। 500 टोलियां गठित की जा रही हैं।

बॉक्सर विजेंद्र सिंह का सियासत से भर गया मन, ट्वीट कर बोले- राजनीति को राम-राम भाई

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अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज एवं कांग्रेस नेता बॉक्सर विजेंद्र सिंह ने राजनीति को अलविदा कह दिया है? ये सवाल बॉक्सर विजेंद्र सिंह के एक ट्विट के बाद उठ रहे हैं।बॉक्सर के एक्स अकाउंट पर डली एक पोस्ट से गुरुवार सुबह राजनीति गलियारों में हलचल बढ़ गई। विजेंद्र ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि राजनीति को राम-राम भाई। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि विजेंद्र ने अब राजनीति को अलविदा कह दिया है। 

राजनीति में आने के बाद विजेंद्र सिंह ने कहा था कि उन्होंने 20 साल के बॉक्सिंग करियर में रिंग के अंदर देश का सिर हमेशा ऊंचा रखा। अब वह देशवासियों के लिए कुछ करना चाहते हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद उन्होंने तब राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को धन्यवाद भी किया था। हालांकि, चुनाव में हार मिलने के बाद मुखर रूप से विजेंद्र सिंह एक्टिव नहीं रह पाए और अब फाइनली उन्होंने राजनीति से हटने का फैसला कर लिया है।

कांग्रेस के टिकट पर लड़ चुके हैं लोकसभा चुनाव

बता दें कि विजेंद्र सिंह कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में विजेंद्र सिंह साउथ दिल्ली से कांग्रेस के उम्मीदवार थे। विजेंद्र सिंह, बीजेपी उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी और आप कैंडिडेट राघव चड्ढा के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे थे। हालांकि, विजेंद्र सिंह को इस मुकाबले में शिकस्त मिली थी और रमेश सिंह बिधूड़ी जीत गए थे।रमेश बिधूड़ी को 6 लाख 87 हजार 14 वोट मिले थे। वहीं, दूसरे नंबर पर रहे आप प्रत्याशी राघव चड्ढा को 3 लाख 19 हजार 971 वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार विजेंदर सिंह को 1 लाख 64 हजार 613 वोटों से संतोष करना पड़ा था।

2008 बीजिंग ओलंपिक में जीता था कांस्य

विजेंद्र को साल 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा गया था। उन्होंने 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा था। वे इन खेलों में पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज थे। विजेंद्र बीजिंग ओलिंपिक्स में पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय एथलीट थे।

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़ा विवादित विधेयक संसद के दोनों सदनों में हुआ पारित, विपक्षी दलों ने किया था वॉकआउट

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 आज गुरुवार को लोकसभा में पारित हो गया। इस महीने की शुरुआत में, इसे राज्यसभा ने मंजूरी दे दी थी, भले ही विपक्ष ने वॉकआउट किया था। इस तरह ये बिल दोनों सदनों से पास हो चुका है। 

विधेयक का उद्देश्य भारत के चुनाव आयोग (ECI) के तीन सदस्यों की नियुक्ति के लिए प्रक्रियाएं स्थापित करना है। यह सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के विपरीत है कि चुनाव आयोग का चयन प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) वाले पैनल द्वारा किया जाना चाहिए। इस साल मार्च में, न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने फैसला सुनाया था कि चुनाव आयुक्तों का चयन प्रधान मंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश की एक समिति द्वारा किया जाएगा, जब तक कि संसद इस चयन प्रक्रिया को निर्धारित करने वाला एक कानून नहीं बना लेती। 

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए यह निर्देश पारित किया था। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट को चयन प्रक्रिया से दूर रखने के प्रयास में, नए विधेयक में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को चयन समिति से हटा दिया गया है। सबसे महत्वपूर्ण संशोधनों में से एक वह खंड है, जो मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्त (EC) को उनके कार्यकाल के दौरान की गई कार्रवाइयों से संबंधित कानूनी कार्यवाही से बचाता है, बशर्ते कि ऐसी कार्रवाइयां आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में की गई हों। नए विधेयक के अनुसार, अदालतों को आधिकारिक कर्तव्य या कार्य के निर्वहन में किए गए कार्यों या बोले गए शब्दों के लिए वर्तमान या पूर्व-CEC या EC के खिलाफ नागरिक या आपराधिक कार्यवाही पर विचार करने से प्रतिबंधित किया गया है।