आरक्षण के क़ानून को 9th सिडूल में डालने को लेकर सुशील मोदी का बड़ा बयान. सुप्रीम कोर्ट ने जजमेंट दिया है
9 th सिडूल में अगर कोई भी क़ानून डाला जाता है तो उसको भी कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. ये प्रावधान है..सरकार के अधिकारी S सिद्धार्थ ने गलत जानकारी दी. 1991 के बाद किसी भी राज्य में आरक्षण के मामले को 9th सेडुल में नहीं डाला गया है.
फैसला केंद्र सरकार को करना है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर अपना फैसला दिया है.लैंड रिफार्म को 9th सिडूल में डाला गया. केवल तमिलनाडु का मामला अलग है.
विशेष दर्जे पर डेढ़ करोड़ लोगो का हस्ताक्षर तत्कालीन pm मनमोहन सिंह को सौंपा. लालू प्रसाद भी उस वक़्त मंत्री थे. नीतीश कुमार ने उस वक़्त pc की थी. नीतीश ने कहा था कांग्रेस अपने सहयोगियों को खुश करने के लिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दें रही. तेजस्वी यादव को कुछ पता नहीं अपने पिता से पूछें.
14 वे वित्त आयोग ने विशेष दर्जा का प्रावधान खत्म किया. रघुराम राजन कमिटी और इंटर मिनिस्टरियल ग्रुप upa सरकार के समय बनी. उसी समय इन दोनों समितियों ने विशेष दर्जा के प्रावधान खत्म कर दिया..
2002 के बाद किसी राज्य को विशेष दर्जा नहीं मिला. सोनिया गाँधी ने आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने की बात कही लेकिन नहीं दिया.
मोदी ji ने 2015 में डेढ़ लाख करोड़ को स्पेशल पैकेज मिला. जितनी मदद विशेष राज्य के दर्जा से मदद मिलती उससे ज्यादा मदद मिली. केंद्र के बुते ही विकास हो रहा.
सरकार के पास वेतन देने के लिए पैसा नहीं. छठ में शिक्षकों को तीन महीने का पैसा नहीं दिया. अब धरना होगा.
राज्यों को केन्द्रान्स 42 प्रतिशत बढ़ाकर कर दिया गया. बिहार को एक लाख करोड़ दिया जा रहा राज्योंश. Up के बाद सबसे ज्यादा पैसा मिल रहा.
नीतीश कुमार चुनाव के वक़्त विशेष दर्जा की मांग लेकर खडे हो जाते.
नीतीश कुमार की ख़बर सबसे ज्यादा छपती है लेकिन फिर भी बोलते हैं की मेरी ख़बर छापती नहीं . हक़ीक़त ये है की मेरी ख़बर नहीं छपती.
नीतीश 18 साल से cm हैं और तुलना कर रहे उत्तर पूर्व के छोटे राज्यों से.
80-20 का रेस्यो देश के सभी राज्यों के लिए है. जब यह नियम आया ये सात सालो है उस वक़्त नीतीश ji हमारे साथ थे तब कोई परेशानी नहीं थी. अब महागठबंधन के साथ है तो परशानी आ गई.
Nov 24 2023, 09:50