हर स्थित में इजराइल के साथ खड़ा होता है अमेरिका, दोनों देशों के बीच दोस्ती की क्या है वजह?
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हमास के हमले के बाद इजराइल को अमेरिका का पूरा समर्थन मिल रहा है। अमेरिका की तरफ से इजरायल के लिए हरह संभव सैन्य सहायता मुहैया कराई जा रही है। इजरायल की ओर से गाजा पर किए गए हमलों के बाद भी अमेरिका ने इजरायल का साथ दिया। गाजा पर इजरायली हमले में अमेरिका ने किसी भी तरह की दखलअंदाजी से इनकार कर दिया और इसे इजरायल की रक्षा का अधिकार बताया। यही नहीं, हमास के हमले के चंद दिन बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने तेल अवीव पहुंच कर इजराइल के प्रति अमेरिका की एकजुटता जाहिर की। इतना ही नहीं अमेरिका ने इजरायल के लिए खाड़ी देशों से दुश्मनी मोल ली है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अमेरिका क्यों हर बार इजरायल के साथ खड़ा रहता है?
सबसे पहले अमेरिका ने दी थी इजराइल को मान्यता
इजराइल और अमेरिका के बेहतरीन रिश्तों का इतिहास क्या है और आखिर वो कौन से राजनीतिक, कूटनीतिक और आर्थिक समीकरण हैं, जिनकी वजह से अमेरिका हमेशा इजराइल के हर कदम को सही करार देता है। जानते हैं इसके पीछे की वजह। अमेरिकी राष्ट्रपति हेनरी ट्रुमैन दुनिया के पहले ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने सबसे पहले इजराइल को मान्यता दी थी।1948 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हेनरी ट्रूमैन यहूदी राज्य के निर्माण के कुछ ही क्षण बाद इसे मान्यता देने वाले पहले विश्व नेता बने थे।इजराइल के अस्तित्व के ऐलान के महज 11 मिनटों के भीतर उसे अमेरिकी मान्यता मिल गई थी।
इजराइल को मान्यता देने के पीछे की वजह
दरअसल ये द्वितीय विश्वयुद्ध के ठीक बाद का दौर था जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध ने आकार लेना शुरू कर दिया था। उस दौरान अरब देश अपने तेल भंडारों और समुद्री रास्तों (स्वेज नहर का मार्ग ऐसा व्यापारिक रास्ता था, जिसके जरिये बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता था) की वजह से इलाक में दो वैश्विक शक्तियों के शक्ति परीक्षण का अखाड़ा बन गया था।यूरोपीय ताकतें कमजोर हो रही थीं और अमेरिका अरब जगत में सत्ता संघर्ष का बड़ा बिचौलिया बन कर उभर रहा था।तेल रिजर्व को लेकर अरब जगत में अमेरिका के हित बढ़ गए थे। लिहाजा उसे अरब देशों को नियंत्रित करने के लिए इजराइल की जरूरत थी। यही वजह थी कि अमेरिका ने इजराइल को मान्यता देने और एक सैन्य ताकत में उसे बढ़ावा देने में कोई देर नहीं की।
इजरायल को सुपरपावर बनाने में अमेरिका के बड़ा हाथ
आज इजराइल की गिनती दुनिया के ताकतवर देशों में होती हैं। इजरायल को सुपरपावर बनाने में अमेरिका के बड़ा हाथ है।इजराइल को अमेरिका मध्य पूर्व में एक महत्वपूर्ण सहयोगी की तरह देखता है।इसके लिए यूएस की ओर से इजरायल को हर तरह से मदद दी जाती है।एक रिपोर्ट बताती है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से इजरायल अमेरिकी सहायता प्राप्त करने वाले देशों में सबसे ऊपर है।रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका 1948 से अब तक इजरायल को 158 अरब डॉलर की मदद दे चुका है।रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने साल 2022 में इजरायल को 4.8 अरब डॉलर की मदद दी थी और साल 2023 में अब तक ही 3.8 अरब डॉलर की आर्थिक मदद दे चुका है।ये एक लंबे समय के लिए की जाने वाली सालाना मदद का हिस्सा है, जिसका वादा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की सरकार ने किया था।वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने बीते कुछ सालों में इजरायल को दुनिया की सबसे उन्नत मिलिट्री में से एक बनाने में भी पूरी मदद की है।अमेरिकी फंड की मदद से इजरायल अमेरिका से सैन्य साजो-सामान की खरीद-फरोख्त करता है।
आज भले ही इजराइल-अमेरिका के दोस्ती का बात कही जाती है, लेकिन अतीत में दोनों के रिश्तों में खटास भी दिखी है। स्वेज नहर को लेकर जब इजराइल ने फ्रांस और ब्रिटेन के साथ मिलकर लड़ाई छेड़ दी थी तो अमेरिका का आइजनहावर प्रशासन उससे बेहद नाराज हो गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजराइल को धमकी दी कि अगर उसने इस लड़ाई के दौरान कब्जा किए गए इलाकों को खाली नहीं किया तो उसकी मदद रोक दी जाएगी।दबाव में इजराइल को इन इलाकों से पीछे हटना पड़ा था।इसी तरह 1960 के दशक में अमेरिका और इजराइल के रिश्तों में तनातनी दिखी। उस वक्त अमेरिका का कैनेडी प्रशासन इसराइल के गुप्त परमाणु कार्यक्रमों को लेकर चिंतित था। हालांकि 1967 में जब मात्र छह दिनों की लड़ाई में इजराइल ने जॉर्डन, सीरिया और मिस्त्र को हरा कर अरब जगत के एक बड़े भू-भाग पर कब्जा कर लिया तो इस यहूदी देश को देखने का अमेरिकी नज़रिया पूरी तरह बदल गया।इजराइल की इसी जीत के बाद अमेरिका ने उसे अरब जगत में सोवियत संघ के ख़िलाफ़ एक स्थायी पार्टनर के तौर पर देखना शुरू किया था।
Nov 08 2023, 14:02