ध्वनि प्रदूषण से मानव व्यवहार में आ रहा परिवर्तन संदर्भ : दुर्गा पूजा में अत्यधिक रहा ध्वनि प्रदूषण
साधारणतया एक मनुष्य की क्षमता 30 से 40 डेसिबल ध्वनि सहन करने की होती है। इससे अधिक तीव्रता वाली ध्वनि मनुष्य पर हानिकारक प्रभाव डालती है। आधुनिक युग ने हमें उच्च शक्ति वाली मशीनों से परिचित करवाया। ये हमारे चारों तरफ हैं और इनसे उच्च ध्वनि निकलती है। हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन और कारखानों के आसपास रहने वाले लोग ध्वनि प्रदूषण के अधिक शिकार होते हैं। दुनिया भर में ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्रोत बड़ी- बड़ी मशीनें, परिवहन प्रणाली और प्रसार प्रणालियां हैं।
क्या होता है असर : ध्वनि प्रदूषण का वायुमंडल पर भी व्यापक असर पड़ता है। लोगों की श्रवण शक्ति कम होने लगती है। अनिद्रा की बीमारी हो सकती है। साथ ही हृदय रोग तथा रक्तचाप की समस्याएं बढ़ जाती हैं। ध्वनि प्रदूषण केवल मनुष्यों पर ही बुरा प्रभाव नहीं डालता पशु- पक्षी भी इससे प्रभावित होते हैं। ध्वनि प्रदूषण का असर समुद्रीय जीवन फर भी पड़ता है।
कैसे करें कम : ध्वनि प्रदूषण के नकारात्मक प्रभावों को लेकर सरकार ने भी इसे कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाये हैं। साथ ही सरकार जागरूकता अभियान भी चला रही है। पौधारोपण से भी ध्वनि प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। दूसरी तरफ ऐसी तकनीक का उपयोग करना होगा जिससे कम ध्वनि प्रदूषण हो। साथ ही ध्वनि अवशोषक का प्रयोग करना होगा। वहीं अनावश्यक ध्वनि पैदा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी होगी।
Oct 28 2023, 13:16