सर्विलांस यूनिट (आईएचआईपी) द्वारा दिए गए विषयक प्रशिक्षण
जिले के सभी आशा फैसिलिटेटर को समेकित स्वास्थ्य सूचना पोर्टल पर कार्य करने के लिए समझ विकसित करने हेतु सदर अस्पताल स्थित क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र में जिला सर्विलांस यूनिट (आईडीएसपी) द्वारा एक प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
गुरुवार को प्रारंभ प्रशिक्षण का यह कार्यक्रम शनिवार को समाप्त होगा जिसके अंतर्गत बैचवार जिले के सभी प्रखंडों में कार्यरत आशा फैसिलिटेटर को प्रशिक्षण देने का कार्य पूरा किया जाएगा.
प्रशिक्षण के पहले दिन उद्घाटन सत्र के दौरान सिविल सर्जन डॉक्टर रवि भूषण श्रीवास्तव द्वारा प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए बताया गया कि सन 2004 में रोगों के नियंत्रण के उद्देश्य से एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) की शुरुआत हुई थी. जिसके अंतर्गत दिल्ली में एक केंद्रीय निगरानी इकाई (सीएसयू), सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश मुख्यालयों पर राज्य निगरानी इकाइयां (एसएसयू) और देश के सभी जिलों में जिला निगरानी इकाइयां (डीएसयू) स्थापित की गई हैं. इन इकाइयों के द्वारा आबादी में रोगों के प्रसार एवं आउटब्रेक की पहचान के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म की स्थापना की गई है. इस डिजिटल प्लेटफॉर्म को नाम दिया गया है आईएचआईपी अर्थात इंटीग्रेटेड हेल्थ इनफॉरमेशन प्लेटफार्म. यह एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम की अगली पीढ़ी का उच्च एवं परिष्कृत संस्करण है. इसके अंतर्गत डेटा विश्लेषण का कार्य किया जाता है. डेटा विश्लेषण के आधार पर आबादी में आउटब्रेक पहचान कर ली जाती है तथा रोकथाम के लिए तुरंत निरोधात्मक एवं उपचारात्मक कार्रवाई किए जाते हैं.
विश्व व्यापी कोरोना महामारी का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि आबादी के जिस हिस्से में संक्रमण की सूचना मिल रही थी उसी के आधार पर तत्काल प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्य योजना बनाकर कार्य किया जा रहा था. इसके अनुप्रयोग से न सिर्फ विश्व व्यापी महामारियों से बल्कि डायरिया, निमोनिया, संचारी- गैर संचारी रोगों पर भी नियंत्रण संभव है. यह बहुत ही उपयोगी विषय है.
इस आशय की जानकारी देते हुए जिला कार्यक्रम प्रबंधक मो. अनवर आलम द्वारा बताया गया कि रोगों के निगरानी के लिए जिले में जिला सर्वेलेंस यूनिट कार्यरत है. अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी इसके नोडल पदाधिकारी हैं तथा एक एपिडेमियोलॉजिस्ट राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत पदस्थापित हैं. आबादी में रोगों के आउटब्रेक की ससमय पहचान एक महत्वपूर्ण विषय है. इसके लिए आवश्यक है कि स्वास्थ्य उपकेंद्र स्तर आबादी में बढ़ रहे किसी रोग की तत्काल पहचान कर ली जाए और जिस आबादी या भौगोलिक क्षेत्र में रोग फैल रही हो वहां स्वास्थ्य विभाग के द्वारा निरोधात्मक कार्रवाई किया जा सके. आशा फैसिलिटेटरों के साथ-साथ चरणबद्ध तरीके से चिकित्सकों, स्टाफ नर्स/ एएनएम एवं को भी प्रशिक्षण देने का कार्य किया जाएगा.
प्रशिक्षक के रूप में स्वयं कार्य कर रहे जिला एपिडेमियोलॉजी उपेंद्र कुमार चौबे द्वारा बताया गया कि पहले दिन सदर प्रखंड, गोह, देव एवं रफीगंज के आशा फैसिलिटेटर इस प्रशिक्षण के प्रतिभागी रहे. तीन दिनों में जिले के सभी आशा फैसिलिटेटरों को प्रशिक्षण देने का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा. साथ ही यह बताया गया कि प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र में सिविल सर्जन, डीपीएम सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्यान्य वरीय पदाधिकारी एवं कर्मी उपस्थित रहे.
Oct 27 2023, 17:43