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*देवघर: मैट्रिक व इंटरमीडिएट साइंस, आर्ट्स व कॉमर्स की परीक्षा में जिले में टॉप थ्री रैंक हासिल करने वाले छात्र-छात्राओं को किया जाएगा सम्मानित*

देवघर: झारखंड अधिविद्य परिषद द्वारा आयोजित मैट्रिक व इंटरमीडिएट साइंस, आर्ट्स व कॉमर्स की परीक्षा में जिले में टॉप थ्री रैंक हासिल करने वाले छात्र-छात्राओं को गुरुवार को डायट जसीडीह में आयोजित टीएलएम मेला में सम्मानित किया जायेगा.

 सम्मानित होने वालों में मैट्रिक की परीक्षा में अव्वल खुशी साह कसेरा, हिमांशु शेखर कुमार व स्नेहा दास हैं. इंटरमीडिएट साइंस संकाय में ऋतुराज, आयुष कुमार व कुंदन कुमार, ऑर्ट्स संकाय में खुशी कुमारी, रीना मंडल व बबलू यादव, कॉमर्स संकाय में रिशु कुमार, खुशी कुमारी व रजनी भारती शामिल हैं. डायट जसीडीह के प्राचार्य सह एजुकेशन एसडीओ के द्वारा इस संबंध में पत्र जारी कर संबंधित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों, प्रभारी प्रधानाध्यापकों व प्राचार्यों को आवश्यक निर्देश दिया गया है.

धरोहर : देवघर पत्थर माफियाओं के कारण मधुपुर के बकुलिया झरना का अस्तित्व खतरे में,इसे बचाने के लिए दर्जनों गांव के लोगों ने किया था आंदोलन

देवघर, (झा.डेस्क )मधुपुर में स्थित बकुलिया झरना पहले लोगों के आकर्षण का केंद्र था। यहां फिल्मों की शूटिंग भी होती थी। बाद में पत्थर माफियाओं की वजह से इसका अस्तित्व खतरे में पड़ गया।

इसकी दुर्दशा देख आसपास के गांवों के लोगों ने एक बड़ा आंदोलन चला कर इस झरने का अस्तित्व बचाया।

झरना को बचाने के लिए संकल्प को दुहराया

माफियाओं द्वारा बकुलिया झरना के आसपास लगातार डायनामाइट लगाकर पत्थर तोड़े जा रहे थे। ट्रैक्टर और ट्रालियों में भरकर उन पत्थरों को अन्यत्र ले जाया जा रहा था। आसपास के जंगल गायब हो चुके थे। सारे पेड़ काट डाले गए। इस झरना की यह स्थिति यहां के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. उत्तम पीयूष से देखी नहीं गई। उन्होंने इसे बचाने की ठान ली। उन्होंने नवंबर 2008 में बकुलिया झरना को बचाने के लिए लोगों को जागरूक करने का प्रयास शुरू किया। उनका यह प्रयास सफल हो गया। लगभग एक दर्जन गांवों के लोगों ने एकत्रित होकर बड़ी मानव श्रृंखला निकाली।

 इसमें बुजुर्ग, महिलाएं, युवा और बच्चों समेत सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए। यहां के बुद्धिजीवी, पर्यावरणविद्, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा पत्रकारों ने भी इनका साथ दिया। आखिरकार आंदोलन ने रंग लाया। मधुपुर में हर खास और आम लोगों में चर्चा हुई। लोगों ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया। जो बकुलिया झरना लुट रहा था, तबाह और बर्बाद हो रहा था वहां पत्थर कटना बंद हो गया और वहां लगातार जन सक्रियता बढ़ने लगी। 

12 जनवरी 2010 को बकुलिया झरना के पास ‘बकुलिया उत्सव’ मनाया गया। जल पुरुष राजेन्द्र सिंह द्वारा प्रेषित जल संकल्प को सबों के द्वारा पढ़ा गया। सबों ने बकुलिया झरना को बचाने के संकल्प को दुहराया। ग्रामीणों का उत्साह और बढ़ गया। स्थानीय युवाओं की आंखों में नई उम्मीदें जग गईं।

आखिरकार मदद के लिए सरकार आई आगे

प्रख्यात लेखिका महाश्वेता देवी, साहित्यकार बासवी, महुआ माजी सहित कई लेखकों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं पर्यावरणविदों के प्रोत्साहन से बकुलिया झरना को बचाने और संवारने का आंदोलन डॉ. उत्तम पीयूष के नेतृत्व में लगभग एक दशक तक चलता रहा। सेमिनार, संगोष्ठी, मोटरसाइकिल रैली के जरिए जनजागरण किया जाता रहा। आखिरकार झारखंड सरकार ने बकुलिया झरना के विकास के लिए एक करोड़ रुपए आवंटित किए जिससे यहां एक पक्की सड़क, एक यात्री विश्राम गृह, बैठने के लिए शेड, चापाकल, महिला तथा पुरुष टॉयलेट आदि का निर्माण कराया जा सका।

मधुपुर-गिरिडीह मुख्य पथ के पास है बकुलिया झरना

देवघर जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूरी पर अब बकुलिया झरना पिकनिक स्पॉट के रूप में चर्चित है। मधुपुर-गिरिडीह मुख्य मार्ग पर बड़ा नारायणपुर से बुढ़ई की ओर एक सड़क सलैया जाती है। इसी सड़क के किनारे बकुलिया झरना है।

देवघर मनाया अपना चौथा वार्षिक उत्सव,कार्यक्रम का उद्घाटन झारखंड के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने कियाl

देवघर के देवीपुर स्थित देवघर एम्स ने अपना चौथा वार्षिक उत्सव मनाया इस कार्यक्रम का उद्घाटन झारखंड के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने कियाl 

मौके पर एम्स के डायरेक्टर सौरव वार्ष्णेय सहित कई गण्य मान्य अतिथि मौजूद रहे थे।इस अवसर पर दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का राज्यपाल ने उद्घाटन किया।

 मौके पर देवघर एम्स को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि देवघर के बनने में लंबा समय जरूर लगा लेकिन संथाल परगना जैसे पिछड़े क्षेत्र में देवघर एम्स किसी वरदान से कम नहीं है 4 सालों से देवघर एम्स लगातार अपनी नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है सामूहिक प्रयास के बाद देवघर एम्स की शुरुआत हो पाई है अब इस नई ऊंचाइयों तक ले जाना प्रबंधन की जिम्मेदारी है हर गरीब तक एम्स की सुविधा मिले और मरीज को स्वास्थ्य सुविधा के लिए बाहर के प्रदेशों में न जाना पड़े देवघर एम्स की या प्राथमिकता होनी चाहिए।

 राज्यपाल ने एम्स प्रबंधन को चौथे वर्ष में प्रवेश करने के लिए बधाई दिए वहीं धनबाद के सांसद पशुपतिनाथ सिंह ने कहा कि एम्स की परिकल्पना बीजेपी की थी कई सांसद चाहते थे कि देवघर में एम्स ना बने लेकिन सांसद निशिकांत दुबे का प्रयास रंग लाया और बीजेपी के सांसद और विधायकों ने प्रधानमंत्री को अपना विजन बताया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एम्स की सौगात देवघर को दी है।

 सांसद ने खेद जताया हैं कि राज्य सरकार देवघर एम्स को अपना पूर्ण सहयोग नहीं दे पा रही है देवघर एम्स में ओपीडी और कुछ अन्य चिकित्सा सुविधा बहाल कर दी गई है और यहां आने वाले मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है देवघर एम्स ने अपना चौथा वार्षिक उत्सव मनाया और अपनी उपलब्धियां बताई।

देवघर में फिर पांव पसार रहा लंपी वायरस, जिले में वैक्सीन नहीं

देवघर में एक बार फिर लंपी वायरस तैजी से फैल रहा है। मोहनपुर और देवघर प्रखंड क्षेत्र में गाय के शरीर पर चेचक टाइप के लक्षण देखने को मिले। जिसके बाद मवेशियों का इलाज किया जा रहा है। 

पशु विभाग को चिंता इस बात की है कि जिले में वैक्सीन नहीं है। जिसके कारण इस बीमारी को फैलने का डर है।विदित हो यह बीमारी एक दूसरे गाय या पशु के सम्पर्क में आने से फैलती है।

 चिंता तो इस बात की है कि अगर इस बीमारी से ग्रस्त जानवर के दूध पीने से मनुष्य पर इसका प्रभाव भी पड़ सकता है और इस वायरस का मनुष्य पर क्या असर होगा इस पर अभी अध्ययन चल रहा है।

देवघर: आज लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी ने की बाबा बैद्यनाथ की मंदिर में पूजा,भारी सुरक्षा के बीच उसे के जाया गया मंदिर के गर्भ गृह में

देवघर: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और बिहार सरकार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी आज देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर पहुंची, जहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उन्हें बैद्यनाथ मंदिर के गर्भगृह में ले जाया गया. 

दोनों ने पूरे विधि विधान से बाबा बैद्यनाथ की पूजा अर्चना की, उसके बाद बाबा पर दुग्धाभिषेक भी किया.

 बैद्यनाथ धाम में पूजा अर्चना करने के बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपनी पत्नी सह पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के साथ बासुकीनाथ के लिए प्रस्थान कर गए.

देवघर एम्स में जल्द शुरू होगी कॉर्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा,एम्स निदेशक डॉ वार्ष्णेय ने एक कार्यक्रम में यह बताया

देवघर: (डेस्क )वर्ल्ड रिस्पॉन्सिबल सिटीजन ऑर्गेनाइजेशन व झारखंड ऑप्थेल्मोलॉजिकल सोसाइटी की ओर से नेत्रदान पखवाड़ा मनाया गया तथा शहर के वैद्यनाथ शंकर नेत्रालय में नेत्रदान जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसका उद्घाटन एम्स निदेशक डॉ सौरभ वार्ष्णेय, वैद्यनाथ शंकर नेत्रालय के एमडी डॉ एनडी मिश्रा, झारखंड आइएमए के उपाध्यक्ष डॉ आरएन प्रसाद, सीएस डॉ रंजन सिन्हा, आइएमए देवघर के अध्यक्ष डॉ डी तिवारी, डॉ सतीश ठाकुर व हनुमान कथावाचक प्रदीप भैया ने किया.

 एम्स निदेशक डॉ वार्ष्णेय ने कहा कि देवघर के लोगों में सामाजिक जागरुकता अधिक है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोगों को एम्स से उम्मीद है. उन्होंने कहा कि बहुत जल्द एम्स में कॉर्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध होगी. वहीं डॉ एनडी मिश्रा ने नेत्रदान के बारे में समाज में फैले भ्रम को दूर किया तथा लोगों से नेत्रदान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया. 

सीएस डॉ रंजन सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार भी नेत्रदान के लिए जरूरी प्रबंध करने जा रही है. डॉ डी तिवारी ने कहा कि मरने के बाद भी दुनिया की खूबसूरती को देखते रहना चाहते हैं, तो नेत्रदान कीजिए. मंच संचालन रामसेवक सिंह गुंजन व धन्यवाद ज्ञापन पवन टमकोरिया ने की. मौके पर एसडी मिश्रा, सुबोध झा, आलोक मल्लिक, विपिन मिश्रा, राकेश राय, कुमार रंजन आदि थे.

गिरिडीह:निजी स्कूल वैन को अज्ञात ट्रक ने मारी टक्कर;कई बच्चे हुए घायल,एक शिक्षिका की हालत गंभीर,हुई रेफर


गिरिडीह: बगोदर थाना क्षेत्र अंतर्गत संतरूपी में हुई सड़क दुघर्टना में 9 बच्चे घायल हो गए।यहां की ग्रीन लैंड पब्लिक स्कूल की स्कूल वैन में बच्चे सवार थे। 

बताया जाता है कि बच्चों से भरे स्कूल वैन के स्कूल जाने के क्रम में माहुरी सोनतुरपी ओमा लाइन होटल के पास एक ट्रक ने जोरदार टक्कर मार दिया। जिससे स्कूल वैन में सवार छात्र छात्राएं घायल हो गए। ग्रामीणों को इसकी सूचना मिलते ही बगोदर हॉस्पिटल पहुंचकर अपनी देख-रेख में सभी घायलों का इलाज कराया। 

हालांकि इस दुर्घटना में सभी बच्चे खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं।जबकि गंभीर रूप से घायल एक शिक्षिका फतिमा खातून को धनबाद रेफर कर दिया गया। 

इधर घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर जिला परिषद सदस्य दुर्गेश कुमार, पंसस समिति प्रतिनिधि प्रवीण महतो, वार्ड सदस्य राजू पाण्डेय, पवन पासवान, सुरेश माली, सोनू रजक, हसमत अंसारी,इरसाद अंसारी,सिराज अंसारी आदि अस्पताल पहुंचे और घायलों को की जा रही इलाज का जायजा लिया।

देवघर: दो माह तक चले श्रावणी मेले की आज अंतिम सोमवारी, प्रशासन ने की तैयारी

देवघर : दो माह तक चले श्रावणी मेले की आज अंतिम सोमवारी है. बाबा मंदिर के सभी अधिकारियों को डीसी विशाल सागर ने पूरी तरह से अलर्ट मोड पर रहने का निर्देश दिया है. 

डीसी के निर्देश पर मंदिर प्रभारी दीपांकर चौधरी ने सोमवारी को लेकर मंदिर की तैयारियों का जायजा लिया है. मंदिर प्रभारी ने सभी कर्मियों को निर्देश दिया है कि बीते सोमवारी की तरह अलर्ट रहना है. रविवार की रात को ही बिजली, पानी सहित अन्य तैयारियों को लेकर पूरी तरह से चेक करने के बाद सोमवार को जलार्पण बंद होने तक सभी लोग अपने-अपने जगहों पर तैनात रहेंगे. 

फोन व वाॅकी टॉकी पर एक-दूसरे के संपर्क में रहेंगे. किसी तरह की कोताही नहीं हो, इसका ध्यान रखना है. वहीं बाबा मंदिर ड्यूटी स्थल पर तैनात अधिकारियों व पुलिस बल के अलावा भक्तों के लिए पेयजल की पूरी व्यवस्था हो, इसका ख्याल रखना है. 

पानी समाप्त होने के पहले ही पानी का स्टॉक उपलब्ध हो यह सुनिश्चित कर लें. वहीं बाबा मंदिर परिसर में चोर-पॉकेटमार पर नजर रखने के लिए सिविल ड्रेस में पुलिस के साथ दंडाधिकारियों को भी नजर बनाये रखना है. खासकर पार्वती मंदिर व बाह्य अरघा के आसपास नजर रखने के लिए कहा गया है. वहीं मंदिर परिसर में अधिक भीड़ जमा नहीं हो, इसके लिए प्रचार-प्रसार करते रहने का भी निर्देश दिया गया है.

देवघर: डोरंडा कोषागार से जुड़े चारा घोटाला (कांड संख्या-आरसी 48ए/96) मामले में आरोपियों में अधिकारी, पशु चिकित्सक व सप्लायर भी शामिल


देवघर: सीबीआई के विशेष न्यायाधीश विशाल श्रीवास्तव की अदालत में आज, 28 अगस्त को डोरंडा कोषागार से जुड़े चारा घोटाला (कांड संख्या-आरसी 48ए/96) मामले में फैसला सुनाया जायेगा.

 29 साल पुराना यह मामला 36 करोड़ 59 लाख रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है. झारखंड में दर्ज चारा घोटाले का यह अंतिम मामला है. इसमें सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक रवि शंकर पैरवी कर रहे हैं. 

इस मामले के 124 आरोपियों में पशुपालन के तत्कालीन बजट व लेखा पदाधिकारी, कोषागार पदाधिकारी, पशु चिकित्सक और आपूर्तिकर्ता शामिल हैं. मामले में पूर्व विधायक गुलशन लाल आजमानी के अलावा कोई राजनेता नहीं है. 

वह भी मामले के समय आपूर्तिकर्ता थे़ सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने 24 जुलाई को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसले की तिथि तय की थी.

आस्था: आईए जानते है झारखंड के कुछ ऐसे धार्मिक स्थल जहां होती है हर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी...


झारखंड:-भारत 64 करोड़ देवी-देवताओं की भूमि है ,जो अपने प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। भारत में कई राज्यों में कुछ ऐसे धार्मिक स्थल हैं जो आज भी रहस्मयी है। आज हम आपको झारखंड के कुछ रहसमयी मंदिरों के बारे में बताएंगे जहा भक्तों की होती हर मनोकामनाएं पूरी।

झारखंड तो ऐसे पर्यटन स्थल और मंदिरों के लिए चर्चा में रहा है।झारखंड में कई ऐसे रहस्यमय मंदिर जहा लोग पूजा कर मन्नत मांगते और उनकी मनोकामनाएं भी पूरी होती है| 

झारखंड के इन्हीं धार्मिक स्थल और इन्हीं मंदिरों में से कई ऐसे रहस्य में मंदिर है, जिनका इतिहास काफी पुराना है।

आज हम ऐसे ही झारखंड के कई रहस्यमयी और अदभूत मंदिरों के बारे में जानेंगे जिसकी चर्चा झारखंड में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में होती है।

धर्म और रहस्य में दृष्टि से देखा जाए तो भारत में कई ऐसे मंदिर है, जिनमें कई राज छुपे है। ऐसे ही कुछ मंदिर झारखंड में भी स्थित है| जिनका पुराना इतिहास रहा है। जिसे जानकर आपको हैरानी होगी. तो चलिए जानते है, झारखंड के इन मंदिरों के बारे में..!

झारखण्ड का प्रसिद्ध मंदिर बैद्यनाथ मंदिर

झारखण्ड के 5 सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिर में से एक बैद्यनाथ मंदिर है. भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक पवित्र शिवलिंग झारखंड के देवघर में स्थित है| ऐसा माना जाता है, कि यहाँ आने वाले हर भक्तों की मनोकामना भोलेनाथ पूरी करते है, यही कारन है की भक्तगण यहां के शिवलिंग को कामना-शिवलिंग भी कहते है| यह भारत के 12 शिव ज्योतिर्लिंग में से एक है।

आमतौर पर भारत के सभी मंदिरों पर मंदिरों के शीर्ष पर देखेंगे तो आपको त्रिशूल लगा दिखता है| लेकिन यहां के बैजनाथ परिसर के सभी मंदिरों पर त्रिशूल के बदले पंचशील लगे है|

हिंदू धर्म में पंचशील को सुरक्षा कवच भी कहा जाता है| ऐसा माना जाता है, कि इसी पंचशील के कारण आज तक मंदिर पर किसी भी प्रकार के प्राकृतिक आपदा का प्रभाव नहीं पड़ा है।

यहां के मंदिर में 72 फीट ऊंचे शिव मंदिर के अलावा 22 मंदिरों की स्थापन भी की गई है| हिंदू धर्म और पुराणों के अनुसार ऐसा कहा जाता है, कि माता सती का ह्रदय इसी स्थान पर गिरा था. यह भारत का एकमात्र ऐसा स्थान है। जहां ज्योतिर्लिंग के साथ शक्तिपीठ भी है| यही कारण है, कि इस स्थान की महिमा और भी ज्यादा बढ़ जाती है| यहाँ हर वर्ष श्रद्धालु अपनी श्रद्धा दिखाने के लिए उमड़ पड़ते है। शायद इन्ही कारणों से इसे भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में एक भी कह सकते है.

श्रद्धा का केंद्र झारखण्ड का प्रसिद्ध माँ छिन्नमस्तिका मंदिर

रामगढ़ स्थित छिन्नमस्तिका मंदिर झारखंड की राजधानी रांची से 80 किलोमीटर दूर है| यह मंदिर अपने आप में कई संस्कृति और श्रद्धा को समेटे हुए है|  

मां छिन्नमस्तिका मंदिर को कामनाओं का मंदिर माना जाता है| ऐसा कहा जाता है, कि इस मंदिर का इतिहास 600 वर्ष पुराना है| यह मंदिर जितना अद्भुत है, उतना ही विस्मयकारी भी है| यहां बिना सिर वाली मां की पूजा होती है| इनके अगल बगल में डाकिनी और शकिणी खड़ी है। जिन्हें वे अपना रक्त पान करा रही है। और स्वयं भी रक्तदान कर रही है| उनकी प्रतिमा में देखें तो इनके कटे हुए सर से तीन रक्त की धाराएं निकल रही है।

इतना ही नहीं इनके मंदिर के सामने बली स्थान भी है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यहां हर दिन 150-200 बकरों की बलि चढ़ती है| सबसे अद्भुत बात यह है की, बलि चढ़ने के स्थान पर एक भी मक्खी देखने को नहीं मिलती है| यह एक ऐसा चमत्कार है जिसे जानकर लोग हैरान हो जाते है।

ऐसा कहा जाता है, मां छिन्नमस्तिका मंदिर महाभारत के काल से भी ज्यादा पुरानी है।और यह मंदिर भी झारखंड पांच प्रमुख मंदिरों में शामिल है।

झारखंड के प्रमुख मंदिर देवड़ी मंदिर के बारे में जानकारी

झारखंड के धार्मिक स्थल में से प्रमुख देवड़ी मंदिर भी है, यह मंदिर झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की आस्था इस मंदिर पर काफी हद तक है| वे जब भी अपने पिछले समय में क्रिकेट खेलने जाते थे, या क्रिकेट खेल कर आते थे, तब वह इस मंदिर में दर्शन करने अवश्य ही आते थे. धोनी के इस मंदिर में बार बार दर्शन करने आने के कारण इस मंदिर को काफी प्रसिद्धि मिली है। वर्ष 2011 में संपन्न हुए वर्ल्ड कप जीतने के बाद महेंद्र सिंह धोनी सबसे पहले देवड़ी मंदिर के दर्शन करने आए थे

इस मंदिर के निर्माण को लेकर यह कहा जाता है, कि मंदिर का निर्माण युद्ध से हार कर लौटते समय केरा नाम के एक मुंडा राजा ने करवाई थी ऐसा कहा जाता है| कि केरा नाम के उस मुंडा राजा ने जब इस मंदिर का निर्माण करवाया तब उसे अपना खोया हुआ राज्य वापस मिल गया था. भारत के अन्य दूसरे मंदिरों की तुलना में देवड़ी मंदिर की अलग ही विशेषता और खासियत है। 

इस मंदिर की पूजा आदिवासी पुजारियों के द्वारा किया जाता है| इस मंदिर की प्रतिमा की सबसे विचित्र बात यह है| कि अन्य मंदिरों में मां दुर्गा के 8 भुजा वाले मूर्ति देखने को मिलती है।लेकिन इस मंदिर में 16 भुजाओं वाली माता का मूर्ति है| इस मूर्ति की ऊंचाई साढ़े तीन फीट की है।

राष्ट्रीय ध्वज फ़हराया जाने वाला रांची का प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर

रांची का प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर भगवान शिव को समर्पित है यह मंदिर समुंद्र तल से 2140 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. पहाड़ी मंदिर को पहले फांसी टोंगरी के नाम से जाना जाता था, भारत के स्वतंत्रता के पहले इस मंदिर के क्षेत्र पर अंग्रेजों का अधिकार था. अंग्रेज इस स्थान पर स्वतंत्रता सेनानी को फांसी दिया करते थे, इसलिए इस पहाड़ी को फांसी टोंगरी के नाम से जाना जाता था, आपको यह बात जानकर हैरानी होगी की, यह भारत का पहला ऐसा मंदिर है, जहां भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए आपको 468 सीढ़ियां चढ़ने पड़ती है| और जब आप इस मंदिर के ऊपर जाएंगे तो रांची का पूरा नजारा देख सकते है|

हजारो वर्ष पुराना मां उग्रतारा नगर मंदिर झारखण्ड

मां उग्रतारा नगर मंदिर झारखंड के लातेहार जिले में स्थित है. इस मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है| शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध इस मंदिर में देवियों की मूर्तियां है| ऐसा कहा जाता है, कि जब कोई भक्त इस मंदिर में आकर अपनी मन्नत मांगता है| और उसकी मन्नत पूरी हो जाती है| तो वह भक्त इस मंदिर के परिसर में पांच झंडे गाड़ता है| यह मंदिर हजारों और लाखों श्रद्धालुओं की श्रद्धा और आस्था का केंद्र है| लेकिन इसकी मान्यता सभी मंदिरों से अलग है।यह देश का पहला ऐसा मंदिर है, जहां नवरात्र की पूजा 16 दिनों तक होती है।मां उग्रतारा के इस मंदिर की पूजा पद्धति कालिका मार्कण्डेय पुराण से ली गई है।

इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना भी है, इतिहास के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 18 वीं शताब्दी में टोरी राज्य के तत्कालीन शासक पीतांबर नाथ शाही ने अपने महल के परिसर में कराया था।

झारखण्ड के प्रसिद्ध मंदिरों में हर वर्ष लाखो श्रद्धालु आते है, इन मंदिरों में इतनी आस्था है की बाहरी राज्य के लोग भी अपनी मनोकामनाए लेकर आते है।