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अधिकारियो के मुंह पर थूको नही लगेगी दफा, कुर्सियों पर बैठने वाले लोग है नक्सली : सुधाकर सिंह

कैमूर : अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले बिहार के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह आए दिन अपने विवादित बयानों से राजनीतिक गलियारों में खलबली मचाते रहते हैं। वही सुधाकर सिंह ने किसान सभा को सम्बोधित करते हुए एक बार फिर से विवादित बयान दे दिया है।  

बता दे कि भारतमाला परियोजना के तहत बनारस कोलकाता एक्सप्रेसवे बनाने को लेकर भारत सरकार द्वारा कैमूर के किसानों की जमीन ली जा रही है। जिसमें किसानों का आरोप है कि सरकार जमीन का उचित मूल्य नहीं दे रही है। जिसे लेकर आज दूसरी बार किसान यूनियन के नेता राकेश टिकट कैमूर पहुंचे हुए है। 

 

वही भगवा के लिच्छवी भवन पर किसान सभा को संबोधित करते हुए सुधाकर सिंह ने सरकार और अधिकारियों पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि अगर आप लोग आंदोलन के दौरान अधिकारियों पर लाठी बरसते हैं और उसका सर फट जाएगा तो आप पर 302 और 307 लग जाएगा लेकिन 100 लोग मिलकर कलेक्टर के मुंह पर थूक देंगे तो कलेक्टर 100 लोगों पर क्या दफा लगाएगा। 

कहा कि फूलों की माला की जगह अधिकारियों को फटे हुए जूते और चप्पलों की माला पहनाइए अगर कोई अधिकारी बाजार में सब्जी देने आता है तो उसे अंगूठा दिखाइए इन सब चीजों से आप लोग के ऊपर किसी भी तरह का कोई धारा नहीं लगेगा।

वही आगे उन्होंने कहा कि गांव में गांव में नक्सली नहीं है जंगलों में भाग नहीं है नक्सली और बागी वह लोग हैं जो कुर्सियों पर बैठकर आम लोगों और किसने की बात नहीं सुनते हैं।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सह राज्य सभा सांसद अखिलेश सिंह का बड़ा दावा : बिहार में एनडीए गठबंधन को नहीं मिलेगी एक भी सीट

रोहतास : परिवर्तन संकल्प रैली सह कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान गुरुवार को सासाराम पहुंचे बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सह राज्य सभा सांसद अखिलेश सिंह ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है। 

उन्होंने कहा कि महंगाई, बेरोजगारी सहित तमाम मुद्दों से त्रस्त होकर देश की जनता अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब एक पल के लिए भी देश का प्रधानमंत्री नहीं देखना चाहती। इस बार राहुल गांधी के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की हीं सरकार बनेगी तथा बिहार में एनडीए गठबंधन एक भी सीट नहीं जीत पाएगा। आगामी चुनाव को लेकर महागठबंधन के नेताओं द्वारा अलग-अलग कमेटी का गठन किया गया है। जिसके तहत कोई सीट बंटवारे का कार्य देख रहा है तो कोई रैली का कार्य देख रहा है।

वहीं राज्यसभा सांसद मनोज झा के बयान को लेकर उन्होंने कहा कि उनके द्वारा कुछ भी अनुचित नहीं कहा गया है। ठाकुर शब्द उन्होंने मोदी के अहंकार के लिए इस्तेमाल किया है। ठाकुर किसी एक बिरादरी के लिए नहीं बोला गया है। कई बिरादरी के लोग ठाकुर लिखते हैं। इसलिए जो लोग नहीं समझ पा रहे वही लोग इसका विरोध कर रहे हैं।

बता दें कि परिवर्तन संकल्प रैली सह कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल होने आए अखिलेश प्रसाद सिंह का सासाराम पहुंचते हीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने फूल माला से भव्य स्वागत किया। इस दौरान शहर की सड़कों पर एक भव्य रैली निकाली गई। जिसमें हजारों की संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हुए तथा महागठबंधन के समर्थन में नारे लगाए गए।

रोहतास से दिवाकर तिवारी

जन संवाद कार्यक्रम मे बीडीओ द्वारा नही बुलाये जाने से जन प्रतिनिधियों में आक्रोश

कैमूर - जिले के दुर्गावती के सावठ गांव में विगत 27 तारीख को डीएम सावन कुमार के द्वारा जनसंवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वही जन संवाद कार्यक्रम में प्रखंड बिडियो के द्वारा जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं किया गया था। जिससे नाराज जनप्रतिनिधियों ने मीडिया के समक्ष प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दिया। 

बता दें कि डीएम के द्वारा दुर्गावती बीडीओ ऋचा मिश्रा को सभी जनप्रतिनिधियों को जन संवाद कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए आमंत्रित करने को कहा गया था। लेकिन बीडीओ के द्वारा सावठ पंचायत के दो बीडीसी एवं दुर्गावती भाग 2 के जिला परिषद सदस्य दीपक यादव सहित अन्य जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं किया गया। 

इस संबंध में जिला पार्षद दीपक यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया को बताया कि प्रखंड में जन संवाद का कार्यक्रम किया गया था जिसमें प्रखंड बिडियो के द्वारा हम लोगों को जन संवाद कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया था। 

प्रखंड बीडीयो रिचा मिश्रा के द्वारा हम लोगों के साथ घोर अपमान किया गया है। इस शिकायत को लेकर हम लोग जिलाधिकारी कैमूर व बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री मुरारी गौतम को ज्ञापन सौंपेंगे। 

इस मौके पर प्रखंड प्रमुख सुशील गुप्ता, बीडीसी सदस्य कविता पासवान, वीरेंद्र यादव, राजेश यादव, विक्रांत कुमार गुड्डू, अनिल यादव, बसीर अहमद, श्याम प्रसाद, जयप्रकाश सुधांशु सहित सुनील यादव उपस्थित रहे।

पूर्व सीएम राबड़ी देवी के बयान तेली समाज पानी में तेल मिलाने पर वैश्य समाज में आक्रोश, फूंका राबड़ी देवी पुतला

कैमूर - जिले के मोहनिया के चांदनी चौक पर नाराज वैश्य समाज द्वारा दर्जनों की संख्या में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का पुतला दहन किया गया।

गौरतलब हो की बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी द्वारा बनिया समाज को लेकर दिए गए बयान तेल और पानी के मिलान पर वैश्य समाज द्वारा राबड़ी देवी व तेजस्वी यादव के खिलाफ मुर्दाबाद के नारेबाजी करते हुए पुतला दहन किया गया।

वैश्य समाज के जिला अध्यक्ष रिटायर्ड कैप्टन त्रिवेणी साह ने बताया की जिनका खुद दूध और पानी मिलाने का काम हो वो दूसरों पर आरोप लगा रहे हैं जिसका नतीजा आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इनको सबक सिखाएंगे खुले मंच से माफी मांगे नहीं तो बुरा होगा।

पूर्व सीएम राबड़ी देवी के बयान तेली समाज पानी में तेल मिलाने पर वैश्य समाज में आक्रोश, फूंका राबड़ी देवी पुतला

कैमूर - जिले के मोहनिया के चांदनी चौक पर नाराज वैश्य समाज द्वारा दर्जनों की संख्या में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का पुतला दहन किया गया।

गौरतलब हो की बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी द्वारा बनिया समाज को लेकर दिए गए बयान तेल और पानी के मिलान पर वैश्य समाज द्वारा राबड़ी देवी व तेजस्वी यादव के खिलाफ मुर्दाबाद के नारेबाजी करते हुए पुतला दहन किया गया।

वैश्य समाज के जिला अध्यक्ष रिटायर्ड कैप्टन त्रिवेणी साह ने बताया की जिनका खुद दूध और पानी मिलाने का काम हो वो दूसरों पर आरोप लगा रहे हैं जिसका नतीजा आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इनको सबक सिखाएंगे खुले मंच से माफी मांगे नहीं तो बुरा होगा।

सरसो की खली के नीचे छुपाकर लाया जा रहा था 40 लाख का कप सिरप जप्त, पुलिस ने किया जप्त

कैमूर - बिहार में पूर्ण रूप से शराबबंदी है लेकिन तस्कर आए दिन नए-नए हथकंडे अपना कर शराब एवं कफ सिरप की तस्करी करते रहते हैं। वही ताजा मामला कैमूर में देखने को मिला है। सरसों के खली के नीचे छुपा कर 40 लख रुपए के कफ सिरप के साथ डीसीएम ट्रक को जप्त किया गया है। डीसीएम ट्रक चालक को भी गिरफ्तार किया गया है। जिसकी पहचान दिलिप कुमार पिता श्री सुखदेव यादव गांव सरदारपुर पिंडारी थाना फतेहपुर जिला गया के रूप में हुई है। 

बता दे कि बनारस से डीसीएम ट्रक में सरसों के खरी के नीचे छुपा कर कफ सिरप फेन्सीडिल कैमूर के रास्ते होकर किशनगंज ले जाया जा रहा था। तभी कैमूर पुलिस और एंटी लिकर टास्क फोर्स को गुप्त सूचना मिली कि बनारस से कैमूर के रास्ते होते हुए किशनगंज में तस्कर भारी मात्रा में कफ सिरप ले जाने की तैयारी में लगे हुए है। इसके बाद कैमूर पुलिस और एंटीलिया का टास्क फोर्स के द्वारा मोहनिया चेक पोस्ट पर गुप्त सूचना के आधार पर जांच अभियान चलाया गया। 

उसी दौरान यूपी की तरफ से आ रहे एक डीसीएम ट्रक को रुकवाया गया और जब उसकी तलाशी ली गई तो सरसों के खली के नीचे कफ सिरप की 199 पेटी बरामद की गई। जिसकी कीमत मार्केट में 40 लाख 80 हजार रुपए बताई जा रही है। 

 पुलिस द्वारा ट्रक एवं ट्रक चालक को थाने ले आया गया जहां गिरफ्तार ट्रक चालक से पूछताछ की जा रही है ।

युवक ने खुद को गोली मारकर किया था आत्महत्या,पुलिस ने महज 24 घंटे के अंदर मामले का किया खुलास

कैमूर :- पुलिस ने भभुआ वार्ड नंबर 23 में युवक हत्याकांड का 24 घंटे के अंदर खुलसा किया है। युवक की हत्या नहीं हुई थी। वह बहन के फरार होने के तनाव में आकर युवक ने खुद को कट्टा से गोली मारकर आत्महत्या किया था। पुलिस ने घर के चार दिवारी से घटना में उपयोग किया हुआ कट्टा को बरामद किया है। वहीं मृतक का मोबाइल भी जप्त किया है। 

मामले का खुलासा करने के बाद भभुआ एसडीपीओ शिव शंकर कुमार ने प्रेस वार्ता करते हुए बताया कि कल 5 तितंबर को पुलिस को सूचना मिली थी कि वार्ड नं 23 में एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दिया गया है। मृतक उत्तर प्रदेश के प्रयाग राज निवासी अयूस कुमार उर्फ गोलू कुमार बताया जाता है। जिसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। और मामले की जांच में जुट गई थी।

वहीं जांच के क्रम में यह पता चला कि मृतक की मौसेरी बहन जिसका नाम काजल अग्रवाल है वो दो दिन पहले ही भभुआ के वार्ड 25 के वार्ड पार्षद महेश खरवार के साथ शादी के नियत से चली गई है। वहीं मृतक युवक अपनी मौसेरी बहन से मिलने के लिए भभुआ आया हुआ था। जोकि मृतक के यहां रहकर लडकी पढ़ाई करती थी जिससे वह अपनी बहन से ज्यादा ही स्नेह करता था। और उसकी पढ़ाई का खर्च भी उठता था।

वहीं जब मृतक अपनी मौसेरी बहन से मिलने के लिए आया हुआ था। लेकीन काफी प्रयास के बाद भी उसका संपर्क मौसेरी बहन से नहीं हुआ तो मृतक युवक ने बंद कमरे में जाकर अपने आप को कट्टा से गोली मारकर आत्म हत्या कर लिया था। जिसका पुलिस ने 24 घंटे के अंदर ही मामले का खुलासा करते घटना में उपयोग किया हुआ कट्टा को बरामद कर जप्त कर लिया है और सारा मामला युवक के मोबाईल के माध्यम से स्पष्ट हो पाया है कि बहन से बार बार संपर्क करने के बाद भी उससे संपर्क नहीं हुआ तो स्नेह के करण तनाव में आकर युवक ने गोली मारकर आत्म हत्या कर लिया था।

अब पुलिस आगे की कार्रवाई में यह पता लगाने की कोशिश में जुटी है कि युवक खुद गोली लेकर आया था। या फिर किसी के द्वारा उसे उपलब्ध कराया गया था। इसको लेकर पुलिस आगे की कार्रवाई में जुट गई है। इसके साथ ही जो मृतक के परिजन द्वारा आवेदन दिया गया है उसपर भी आगे की कार्रवाई किया जा रहा है।

12 दिन की शांति के बाद मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, गोलीबारी में तीन कुकी नागरिकों की मौत

#manipurviolencethreevillagevolunteers_killed

मणिपुर पिछले तीन महीने से ज्यादा समय से जल रहा है। राज्य में रूक रूककर हिंसा भड़क जा रही है। पिछले 12 दिनों से घाटी में शांति थी, लेकिन आज शुक्रवार की सुबह एक बार फिर हिंसा की खबर सामने आई है। मणिपुर के उखरुल जिले में शुक्रवार सुबह भड़की ताजा हिंसा के दौरान तीन कुकी लोगों की मौत हो गई।बताया जा रहा है कि सुबह करीब 4.30 गांव में उपद्रवियों ने गोलीबारी की जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई है। इस हमले के पीछे मैतेई समुदाय का हाथ बताया जा रह है। फिलहाल पुलिस गोलीबारी करने वालों की पहचान करने में जुटी है।

मणिपुर पुलिस ने बताया कि यह घटना उखरूल जिले से लगभग 47 किलोमीटर दूर स्थित थोवई गांव में सुबह करीब 4.30 बजे हुई, यह कुकी बहुल गांव है। उखरुल के पुलिस अधीक्षक एन वाशुम के मुताबिक, हथियारबंद उपद्रवियों का एक समूह गांव के पूर्व में स्थित पहाड़ियों से गांव के पास आया और ग्राम रक्षकों पर गोलीबारी शुरू कर दी। घटना में गांव के 3 लोगों की मौत हो गई है। किसी के घायल होने की खबर नहीं है।

बताया जा रहा है कि मैतेई उपद्रवियों ने सबसे पहले गांव के ड्यूटी पोस्ट पर हमला किया, जहां स्वयंसेवक गांव की सुरक्षा के लिए ड्यूटी कर रहे थे। इस गोलीबारी में कुकी स्वयंसेवकों के तीन लोगों के मारे जाने की खबर है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अधिकारियों ने बचाया है कि जब पुलिस ने सर्च अभियान चलाया तब यहां जंगल के इलाके से 3 शव बरामद हुए हैं। मारे गए लोगों की पहचान जामखोगिन हाओकिप (26), थांगखोकाई हाओकिप (35) और होलेनसोन बाइते (24) के रूप में हुई है।चाकू से इनके शरीर पर निशान बनाए गए हैं, जबकि अंगों को भी काटा गया है।

राज्य में अब तक 190 लोगों की मौत

मैतइ और कुकी समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर शुरू हुई जातीय हिंसा ने धीरे-धीरे पूरे राज्य में हिंसा का स्वरूप ले लिया था, जिसके बाद कई जान चली गई। हिंसा की ताजा घटना के साथ, मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष में कम से कम 190 लोग मारे गए हैं। राज्य में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच व्यापक हिंसा देखी गई है। हिंसा भड़कने के बाद से लगभग 60,000 लोग अपने घरों से भागने को मजबूर हो गए हैं। राज्य में बलात्कार और हत्या के मामले सामने आए हैं और केंद्रीय सुरक्षा बलों की भारी उपस्थिति के बावजूद भीड़ ने पुलिस शस्त्रागार लूट लिया और कई घरों में आग लगा दी।

हिंसा की वजह

बता दें कि मणिपुर में बहुसंख्यक मैतई समुदाय जनजातीय आरक्षण देने की मांग कर रहा है। इसकी वजह ये है कि मैतई समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है लेकिन ये लोग राज्य के सिर्फ 10 प्रतिशत मैदानी इलाके में रहते हैं। वहीं कुकी और नगा समुदाय राज्य के पहाड़ी इलाकों में रहते हैं जो की राज्य का करीब 90 फीसदी है। जमीन सुधार कानून के तहत मैतई समुदाय के लोग पहाड़ों पर जमीन नहीं खरीद सकते, जबकि कुकी और नगा समुदाय पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। यही वजह है, जिसकी वजह से हिंसा शुरू हुई और अब तक इस हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

शोएब अख्तर का बड़ा बयान, कहा-भारत के पैसे से पलते हैं पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ी

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पाकिस्तानी के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर रिटायरमेंट के बाद भी अपने बयानों के कारण सुर्खियों में बने रहते हैं। एक बार फिर पूर्व क्रिकेटर ने ऐसा बयान दिया है, जिससे विवाद गहरा सकता है। उन्होंने भारतीय खेल पत्रकार को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान क्रिकेट को लेकर बड़ी बात कही है। शोएब अख्तर ने कहा कि भारत के पैसों से पाकिस्तान के क्रिकेटर पलते हैं।अख्तर के इस बयान पर पाकिस्तान में काफी बवाल हो सकता है।

शोएब अख्तर ने वरिष्ठ खेल पत्रकार बोरिया मजूमदार से खास बातचीत में बताया कि बीसीसीआई वर्ल्ड क्रिकेट में कितनी पावरफुल एसोसिएशन है।एशिया कप में भारत-पाकिस्तान के मुकाबले को लेकर बोरिया मजूमदार से बातचीत के दौरान शोएब अख्तर ने इस बात को माना कि बीसीसीआई के जरिए जो पैसा आईसीसी के पास आता है और फिर इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल रेवेन्यू शेयरिंग के तहत वो पैसा पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को भेजती है। उसी पैसे के दम पर ही पाकिस्तान में घरेलू क्रिकेटर्स को मैच फीस मिल पाती है।

शोएब अख्तर ने ये भी कहा कि वर्ल्ड कप 2023 सुपरहिट होने वाला है। अख्तर ने भविष्यवाणी करते हुए कहा कि बीसीसीआई इस वर्ल्ड कप से काफी पैसा कमाएगी। इससे बीसीसीआई की आर्थिक स्थिति और ज्यादा मजबूत हो जाएगी।साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मैं चाहता हूं कि भारत इस विश्व कप से खूब पैसे बनाए।कई लोग इस बात को कहने से हिचकेंगे।लेकिन मैं साफ कहता हूं कि भारत से जो रेवेन्यू आईसीसी को जाता है। उसका हिस्सा पाकिस्तान में भी आता है और इससे हमारे घरेलू क्रिकेटरों को मैच फीस मिलती है। यानी भारत से जो पैसा आ रहा है, उससे हमारे युवा क्रिकेटर पल रहे हैं।

शोएब अख्तर ने आईगे कहा कि भारत-पाकिस्तान मैच में एक बार फिर टीम इंडिया पर ही दबाव होगा। अख्तर ने कहा कि ये दबाव मीडिया की वजह से बनता है। लगातार टीम इंडिया की जीत के ही दावे किए जाते हैं। स्टेडियम भी बिल्कुल ब्लू कर दिए जाते हैं। इससे पाकिस्तान को मदद ही मिलती है क्योंकि वो अपने आप ही डार्कहॉर्स बन जाती है और इससे उसके खिलाड़ियों को खुलकर खेलने में मदद मिलती है।

साल दर साल तबाह हो रहा हिमाचल प्रदेश, केवल कुदरत का कहर या मानवीय चूक भी इसके लिए जिम्मेदार?

#himachal_cause_of_disaster

पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश से हिमाचल प्रदेश में भारी तबाही हो रही है।पिछले दो महीने से राज्य के किसी न किसी क्षेत्र में बादल फट जाने की घटना हो जाती है।बारिश के साथ-साथ बादल फटने की घटनाएं भयानक तबाही मचा रही हैं। इसके अलावा भूस्खलन से पहाड़ टूट रहे हैं, जिसके कारण मंडी, शिमला, कुल्लू और अन्य क्षेत्रों में हालात काफी बिगड़े हुए हैं।हिमाचल प्रदेश में इस हफ्ते हुई तबाही में अब तक कम से कम 70 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 7500 करोड़ का अभी तक नुकसान हुआ है। यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।

दस साल पहले 2013 में केदार नाथ हादसा हुआ था, जिससे पूरा गढ़वाल क्षेत्र चौपट हो गया था। उस समय चूंकि चार धाम यात्रा भी चल रही थी, इसलिए कोई दस हजार के करीब तीर्थ यात्री मारे गये थे।यही अब हिमाचल में हो रहा है। जुलाई में मंडी के आसपास का इलाका नष्ट हुआ था और अगस्त की बारिश ने राजधानी शिमला को ध्वस्त कर दिया।

इन हालात में तबाही के लिए पूरी तरह कुदरत को दोष देना सही नहीं है। कहीं न कही मानवीय चूक भी इसके लिए जिम्मेदार है।हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य में इस हफ्ते हुई तबाही के लिए अंधाधुंध निर्माण कार्य को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि बिना नक्शे के गलत तरीके से बन रहे मकान और प्रवासी वास्तुकारों के कारण प्रदेश को आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोग बिना नक्शे का उपयोग किए घर बना रहे हैं। हाल ही में बनी इमारतों में जल निकासी की व्यवस्था बहुत खराब है। वो बिना यह जाने पानी बहा रहे हैं कि पानी कहीं और नहीं बल्कि पहाड़ियों में जा रहा है, जिससे यहां की स्थिति नाजुक हो रही है।राजधानी शिमला पर टिप्णणी करते हुए सीएम ने कहा, शिमला डेढ़ सदी से भी अधिक पुराना शहर है और इसकी जल निकासी व्यवस्था उत्कृष्ट थी। लेकिन अब नालों पर इमारतें बन गई हैं।आजकल जो मकान गिर रहे हैं, वो स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के मानकों से नहीं गुजरे हैं।

शिमला तो ब्रिटिश कालीन भारत की समर कैपिटल हुआ करती थी। गर्मियां शुरू होते ही वायसरॉय कलकत्ता से शिमला आ जाया करते। कालका एक्सप्रेस ट्रेन चलाई ही इसीलिए गई थी। हावड़ा से वाया दिल्ली कालका और फिर टॉय ट्रेन से शिमला।इतना करने के बाद भी ब्रिटिशर्स ने किसी भी पहाड़ी शहर का प्राकृतिक दोहन नहीं किया। क्योंकि उन्हें पता था, कि हिमालय के पहाड़ कच्चे हैं। उनका व्यावसायिक इस्तेमाल किया तो वे ढह जाएंगे। यही कारण है कि जब तक अंग्रेज रहे न यहां कभी बादल फटा न आफत की बारिश आई।

आजादी के बाद से भारत की हर चीजों को लूटने का सिलसिला शुरू हुआ। तो वहीं विकास के नाम पर प्रकृति के साथ खिलवाड़ का भी सिलसिला शुरू हो गया। आज हिमाचल की स्थिति बहुत ख़राब हो चली है। कालका-शिमला रोड को चौड़ा करने के पहले भी कई बार आगाह किया गया था, कि यहां पहाड़ों का खनन ठीक नहीं है। पर तब सरकार नहीं चेती। कालका से शिमला जाते हुए धर्मपुर को इतना व्यावसायिक स्वरूप दे दिया गया है, कि पूरा क्षेत्र बर्बादी के कगार पर है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के एक 2017 में हुए एक शोध से पता चला था कि हिमाचल प्रदेश में कुल 118 हाइड्रो प्रोजेक्ट हैं जिनमें से 67 पहाड़ खिसकने वाले ज़ोन में हैं। राज्य के आदिवासी बहुल ज़िले किन्नौर, कुल्ली और कई अलग हिस्सों में जब हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाये जा रहे थे तब पर्यावरणविदों और प्रभावित स्थानीय नागरिकों ने उनका विरोध भी किया था और कई जन अभियान भी चले थे। हिमालय के पहाड़ अभी छोटे बच्चे की तरह हैं, जो निरंतर बढ़ रहे हैं। माउंट एवरेस्ट की हाइट भी हर साल एक सेंटीमीटर से ज्यादा बढ़ रही है। ऐसे हिमालय में अवैज्ञानिक व अंधाधुंध कटिंग तबाही का बड़ा कारण है।