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बीजेपी नेता के बिगड़े बोल, कहा– 'इंडिया' का नाम बदलकर 'भारत' किया जाएगा, जिन्हें पसंद नहीं वे देश छोड़कर चले जाएं*

डेस्क: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद दिलीप घोष ने रविवार को विवादित बयान दिया है, जिससे बवाल मचना तय है। उन्होंने कहा 'गुलामी की निशानी' को मिटाने के लिए 'इंडिया' का नाम बदलकर 'भारत' किया जाएगा और जिन्हें नाम बदलना पसंद नहीं है, वे 'देश छोड़ सकते हैंं।" 

अपनी बातचीत में, दिलीप घोष ने देश का नाम बदलने का विरोध करने के लिए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) पर भी हमला किया और कहा, "टीएमसी के मेरे दोस्तों को शायद पता नहीं होगा कि वे 'भारत' क्यों कह रहे हैं और इसके पीछे का इतिहास क्या है। यह सीपीएम के लोगों के लिए भी बहुत मुश्किल है, जो हमेशा विदेशों पर ध्यान देते रहे हैं।''

कोलकाता की सड़कों से हटेंगी अंग्रेजों की मूर्तियां

उन्होंने कहा, "विदेशी अलग-अलग शहरों के नाम नहीं बोल सकते थे, इसलिए उन्होंने अपने नाम बदल दिए। अब, सभी नाम वापस बदले जा रहे हैं और इसी तरह से इंडिया अब भारत बन जाएगा। जिन्हें यह पसंद नहीं है वे बाहर चले जाएंगे।" बीजेपी सांसद ने कोलकाता से विदेशियों की सभी मूर्तियां हटाने का भी वादा किया। घोष ने कहा, कोलकाता की कई सड़कों पर अंग्रेजों की कई मूर्तियां थीं। अब वे कहां हैं? जब बीजेपी सत्ता में आएगी तो हम उन सभी को उखाड़कर विक्टोरिया मेमोरियल हाउस में रख देंगे।"

दिलीप घोष ने कहा, "संग्रहालय की वस्तुएं संग्रहालय में ही रहेंगी, सड़कों पर नहीं। हमारे बच्चे सुबह उठेंगे और देखेंगे कि विदेशियों के चेहरों का पीछा नहीं किया जाएगा।" वरिष्ठ भाजपा नेता दिलीपी घोष ने पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ "चाय पर चर्चा" के दौरान यह विवादास्पद टिप्पणी की और कहा “इंडिया का नाम बदलकर भारत रखा जाएगा। जो लोग इसे पसंद नहीं कर रहे हैं वे देश छोड़ने के लिए स्वतंत्र हैं।''

जनवरी 2024 में आएंगे बाइडेन, 'क्वाड' की बैठक हुई तो एक बार फिर सजेगा भारत का वैश्विक मंच

डेस्क: जी-20 में शामिल होकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन बेशक वियतनाम के लिए रवाना हो गए हों, लेकिन अब भारत को उनके अगले साल दनवरी में आने का इंतजार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बाइडेन को जनवरी 2024 में भारत आने का न्यौता दिया है। जो बाइडन ने सहृदयता के साथ इसे कुबूल कर लिया है। भारत की कोशिश है कि जनवरी 2024 में क्वाड के दो अन्य सदस्य देश जापान और आस्ट्रेलिया भी भारत आएं, जो बाइडन गणतंत्र दिवस के मेहमान बनें और भारत में गणतंत्र दिवस के आस-पास क्वॉड की बैठक हो। यह नई दिल्ली की एक बड़ी कूटनीतिक कोशिश है। चीन इस फोरम से को नापसंद करता आया है। वह इसे अपने विरुद्ध इन देशों की गोलबंदी मानता है।  

कूटनीतिक गलियारे में माना जाता है कि भारत और अमेरिका के रिश्ते पर चीन की नजर रहती है। चीन इसे अमेरिका के साथ जारी ट्रेड वार की प्रतिद्वंदिता के रूप में देखता है। एशिया में चीन के बाद भारत के पास ही हर मोर्चे पर दूसरे नंबर की क्षमता है। हालांकि अमेरिका, चीन और भारत के रिश्ते में आपसी विश्वास का संकट भी है। विदेश मंत्रालय के कई पूर्व राजनयिक इस विश्वास के संकट की संभावना से इनकार नहीं करते। 

एक पूर्व विदेश सचिव कहते हैं कि इस समय अमेरिका और चीन का लक्ष्य अलग-अलग है। इसका असर दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। दोनों बड़े देश अपनी-अपनी गोलबंदी में जुटे हैं। चीन की सऊदी अरब समेत कई देशों से करीबी बढ़ रही है। यह अमेरिका को पसंद नहीं आ रहा है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था की तरह ही चीन के भी बाजार और अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव है। वहां बेरोजगारी और घरेलू समस्या बढ़ रही है। और इन सभी का एक बड़ा कारण अमेरिका और चीन की आपसी दूरी है। लेकिन यदि दोनों देशों में पहले की तरह आपसी रिश्ते फिर पटरी पर आ गए तो फिर भू-राजनैतिक परिस्थिति बदल जाएगी।

झमाझम बारिश के लिए रहें तैयार, अगले तीन-चार दिनों में जमकर होगी बारिश, जानें कहां-कहां

डेस्क: राजधानी दिल्ली में शनिवार से मौसम का बदला-बदला अंदाज दिख रहा है और रुक-रुककर हो रही बारिश से मौसम सुहावना हो गया है। पिछले दिनों गर्मी और उमस से लोगों को काफी परेशानी हो रही थी, ऐसे में बारिश ने काफी राहत पहुंचाई है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश और मध्य भारत के कई हिस्सों में भारी बारिश की भविष्यवाणी की है। देश में भव्य जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में रात भर और रविवार तड़के भारी बारिश हुई। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को भी दिल्ली में हल्की बारिश की भविष्यवाणी की है।

इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल

मौसम विभाग ने सोमवार तक पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भारी बारिश की भी भविष्यवाणी की है। आईएमडी ने कहा कि मानसून ट्रफ वर्तमान में अपनी सामान्य स्थिति के दक्षिण में है और जैसलमेर, कोटा, सीधी, जमशेदपुर, दीघा और फिर पूर्व-दक्षिणपूर्व की ओर बंगाल की पूर्वोत्तर खाड़ी से गुजर रही है। अगले 3-4 दिनों में पूरे पूर्वोत्तर भारत में भारी बारिश की संभावना है। आईएमडी के सात दिवसीय साप्ताहिक पूर्वानुमान के अनुसार, हल्की बारिश के साथ, सोमवार को अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमशः 34 डिग्री सेल्सियस और 24 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की उम्मीद है। 

इसके अलावा, 12 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम और इससे सटे पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक ताजा चक्रवाती परिसंचरण बनने की संभावना है, जो अधिक वर्षा लाएगा। परिणामस्वरूप, 12 सितंबर से ओडिशा और छत्तीसगढ़ में वर्षा गतिविधि बढ़ने की उम्मीद है। आईएमडी ने अगले कुछ दिनों में केरल, माहे, तटीय आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए इसी तरह की बारिश की भविष्यवाणी जारी की है।

*PM मोदी ने वैश्विक निकायों में की सुधार की मांग, बोले- UNSC में विस्तार जरूरी; ब्राजील को सौंपी 2024 की अध्यक्षता

डेस्क: नई दिल्ली में G20 समिट के तीसरे सेशन का समापन हो गया है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ब्राजील को जी-20 की अध्यक्षता सौंपी। समापन भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'नयी वैश्विक संरचना' में दुनिया की 'नयी हकीकत' को प्रतिबिंबित करने का आह्वान किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक निकायों में सुधार की मांग की। 

पीएम मोदी ने कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई थी तब 51 देशों को शामिल किया गया था, लेकिन तब दुनिया अलग थी। अब इस वैश्विक निकाय में सदस्य देशों की संख्या बढ़कर 200 हो गई है। बावजूद इसके UNSC में स्थाई सदस्य आज भी उतने ही हैं। उन्होंने कहा कि तब से आज तक दुनिया हर लिहाज से बहुत बदल चुकी है। हर सेक्टर का कायाकल्प हो चुका है। ये सच हमारे न्यू ग्लोबल स्ट्रक्चर में रिफ्लेक्ट होनी चाहिए।

"जो वक्त के साथ नहीं बदलते..."

निकायों में सुधार की मांग करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह प्रकृति का नियम है कि जो वक्त के साथ नहीं बदलते, वे अप्रासंगिक हो जाते हैं। हमें खुले मन से विचार करना होगा कि आखिर क्या कारण है कि बीते सालों में अनेक रीजनल फोरम्स अस्तित्व में आए और वो प्रभावी भी सिद्ध हो रहे हैं। आज हर वैश्विक संस्था को अपनी प्रासंगिकता बढ़ाने के लिए सुधार करना आवश्यक है। 

इसी सोच के साथ हमने कल ही अफ्रीकन यूनियन को G20 का स्थाई सदस्य बनाने की ऐतिहासिक पहल की है। इसी तरह हमें Multilateral Development Banks (बहुपक्षीय विकास बैंक) के मैंडेट का विस्तार भी करना होगा। इस दिशा में हमारे फैसले तुरंत और असरदार होने चाहिए।

जी21 की अध्यक्षता करेगा ब्राजील

समापन भाषण में पीएम मोदी ने कहा, तेजी से बदलते विश्व में हमें परिवर्तन के साथ-साथ स्थिरता की भी उतनी ही जरूरत है। हम प्रण लें कि ग्रीन डेवल्पमेंट पैक्स, Action Plan on SDGs, भ्रष्टाचार के विरोध पर उच्च स्तरीय सिद्धांत, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और एमडीबी रिफॉर्म्स के अपने संकल्पों को सिद्धि तक लेकर जाएंगे। 

पीएम मोदी ने समापन भाषण देने के बाद ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा को G20 की अध्यक्षता सौंप दी। अब अगले जी20 जिसे नए नाम जी21 दिया गया है, की मेजबानी ब्राजील करेगा। पीएम मोदी ने कहा कि ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा को मैं हार्दिक शुभकामानएं देता हूं और उन्हें G-20 की अध्यक्षता सौंपता हूं।

*सरकारी जेनरल इंश्योरेंस कंपनियों की हिस्सेदारी पहली बार 33% से घटी, जानें कितना रहा प्रीमियम*

डेस्क: देश में सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों (general Insurance companies) का परफॉर्मेंस गिरा है। इसके चलते ऐसा पहली बार हुआ है जब इन सरकार कंपनियों की मार्केट हिस्सेदारी घटकर 32.5 प्रतिशत से कम रह गई है। जबकि इसके उलट, प्राइवेट सेक्टर की बड़ी नॉन लाइफ इंश्योरस कंपनियों ने पहले पांच महीने में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। जेनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। लेटेस्ट आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष के पहले पांच महीने में सरकारी जेनरल इंश्योरेंस कंपनियों की प्रीमियम से होने वाली इनकम में एक प्रतिशत की गिरावट आई है और यह घटकर 34,203 करोड़ रुपये रह गई है।

प्रीमियम इनकम में गिरावट

खबर के मुताबिक, प्रीमियम से इनकम में गिरावट से सरकारी जेनरल इंश्योरेंस कंपनियों की मार्केट हिस्सेदारी नीचे खिसक गई। पहले इनकी हिस्सेदारी 33.4 प्रतिशत थी। पिछले साल की समान अवधि में उनकी प्रीमियम इनकम 37,100 करोड़ रुपये थी। इसी तरह, हेल्थ सेगमेंट में सिंगल स्वास्थ्य बीमा कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी भी दहाई के अंक में आते हुए 10.4 प्रतिशत हो गई है, जो पिछले वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में 9.2 प्रतिशत थी।

सिंगल हेल्थ इंश्योरंस कंपनियों का परफॉर्मेंस बेहतर

वैसे कंपनियों के आंकड़े अभी सेगमेंट वाइज अभी जारी नहीं हुआ है लेकिन सिंगल हेल्थ इंश्योरंस कंपनियों का परफॉर्मेंस बेहतर हुआ है। जेनरल इंश्योरेंस काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक, नॉन-लाइफ इंश्योरेंस सेगमेंट वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में 11.7 प्रतिशत वृद्धि के साथ 1.14 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष के समान समय में 1.02 लाख करोड़ रुपये था। 

भारत में हैं 26 जेनरल इंश्योरेंस कंपनियां 

भारत में मौजूदा समय में 26 जेनरल इंश्योरेंस कंपनियां हैं, जिनमें से छह का स्वामित्व केंद्र सरकार के पास है। सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों (public sector insurance companies) में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, न्यू इंडिया एश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के साथ-साथ एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया और ईसीजीसी (एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन) जैसी स्पेशल कंपनियां हैं। इनके अलावा इंश्योरेंस इंडस्ट्री में पांच सिंगल हेल्थ इंश्योरंस कंपनियां- आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस, केयर हेल्थ इंश्योरेंस (पूर्व में रेलिगेयर हेल्थ इंश्योरेंस), मणिपाल सिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी, निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस और स्टार हेल्थ एंड अलायड इंश्योरेंस हैं।

राजघाट होने के बाद वियतनाम रवाना हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, G20 के मंच से दे गए चीन को बड़ा सदमा

डेस्क: भारत में जी-20 के सफल आयोजन के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आज रविवार को राजघाट पर महात्मा गांधी के स्मारक पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद वह वियतनाम की यात्रा के लिए रवाना हो गए। 

अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में भारत की अपनी पहली यात्रा के तहत बाइडेन दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे थे और उन्होंने उसी दिन उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी। अपनी 50 मिनट से अधिक की बातचीत में मोदी और बाइडन ने द्विपक्षीय प्रमुख रक्षा साझेदारी को ‘‘और गहरा एवं विविध’’ बनाने का संकल्प लिया।

बाइडेन ने भारत द्वारा 31 ड्रोन की खरीद और जेट इंजन को मिलकर विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ने का स्वागत किया। बाइडेन ने शनिवार को जी20 शिखर सम्मेलन के प्रमुख सत्रों में भी भाग लिया। इसके बाद वह वियतनाम के लिए रवाना हो गए।

 इससे पहले शनिवार को जो बाइडेन ने जी-20 के मंच से "इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कोरिडोर" का ऐलान करके चीन के वन रोड वन बेल्ट परियोजना (बीआरआइ) की हवा निकाल दी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कोरिडोर को दुनिया के 8 देश मिलकर बनाएंगे। यह भारत से इजरायल और यूरोप तक जाएगा। पीएम मोदी और जो बाइडेन के इस दांव से चीन के बाजार में भूचाल आ सकता है।

भारत के व्यापार को लगेंगे पंख

अमेरिकी राष्ट्रपति और पीएम मोदी की इस परियोजना के साकार होने के बाद मध्य एशिया से यूरोप तक भारत को व्यापार करना आसान हो जाएगा। साथ ही भारत-अमेरिका की साझेदारी नए मुकाम तक पहुंचेगी। बता दें कि इस ऐतिहासिक इकोनॉमिक कोरिडोर में भारत के अलावा अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, सऊदी अरब, यूएई और यूरोपीय यूनियन शामिल होंगे। यह कोरिडोर भारत से जोर्डन और इजरायल तक जाएगा। 

उल्लेखनीय है कि चीन ने इससे पहले बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) की शुरुआत की थी। जिसका मकसद मिडिल ईस्ट के बाजार पर दबदबा कायम करना था। हालांकि चीन की यह परियोजना पूरी तरह परवान नहीं चढ़ सकी। इस बीच भारत से यूरोप तक जाने वाले इन नए कोरिडोर के ऐलान से चीन को बड़ा सदमा लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस इकोनॉमिक कोरिडोर का ऐलान करते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ियां इसे याद रखेंगी।

ब्रिटेन के बर्मिंघम शहर ने खुद को किया दिवालिया घोषित, 114 नोटिस जारी, सभी जरूरी खर्चों पर रोक

डेस्क: विकसित देश की कैटेगरी वाले ब्रिटेन से एक हैरान करने वाली खबर आई है। वहां के दूसरे सबसे बड़े शहर बर्मिंघम ने खुद को दिवालिया घोषित कर लिया है. इस खबर से पूरे शहर में हड़कंप मच गया है। प्रशासन ने ऐसे हालात में 114 नोटिस जारी किए हैं और सभी जरूरी खर्चों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। ऐसा क्यों हुआ, इस पर लगातार चर्चा हो रही है। खबर के मुताबिक, एक समान वेतन का दावा इसके पीछे एक बड़ी वजह है. गार्डियन के हवाले से एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, नगर परिषद के पास वैसी महिला सरकारी कर्मचारियों के समान वेतन दावों के लिए 760 मिलियन पाउंड ($955 मिलियन) का पेमेंट करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है, जिन्हें पहले पुरुषों के मुकाबले कम वेतन दिया जाता था।

87 मिलियन पाउंड का हो सकता है घाटा

खबर के मुताबिक,बीते जून में, नगर परिषद ने यह बताया कि उसने महिला श्रमिकों को 1.1 बिलियन पाउंड का पेमेंट किया था, लेकिन अभी भी 650-750 मिलियन पाउंड की मौजूदा देनदारी थी, जो हर महीने 5 मिलियन पाउंड से 14 मिलियन पाउंड की दर से जमा हो रही थी। लेटेस्ट आंकड़े बताते हैं कि बर्मिंघम को अब वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 87 मिलियन पाउंड का घाटा हो सकता है। समान वेतन के भार को कम या खत्म करने के लिए फिलहाल कोई साधन नहीं आ रहा है। प्रशासन की तरफ से जारी नोटिस का मतलब है कि कमजोर लोगों और वैधानिक सेवाओं की सुरक्षा के अलावा सभी नए खर्च तुरंत बंद होने चाहिए।

पुरुषों के समान लाभ और पेमेंट करने में विफल रहा प्रशासन 

बर्मिंघम के दिवालियेपन के पीछे कई साल लग गए थे। बीबीसी का कहना है कि, ये दावे 2012 के हैं, जब 170 महिलाओं के एक ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में परिषद के खिलाफ समान वेतन के दावे के साथ आगे बढ़ने का अधिकार जीता था। दावा किया कि परिषद उन्हें समान कार्य करने वाले पुरुषों के समान लाभ और पेमेंट करने में विफल रही। महिलाओं के इस ग्रुप में टीचिंग असिस्टेंट, सफाईकर्मी और खानपान कर्मचारी शामिल थे। बताया जा रहा है कि परिषद ने अपनी वित्तीय परेशानियों के लिए ओरेकल द्वारा नए क्लाउड-आधारित आईटी सिस्टम के खर्च और सरकारों द्वारा सालों की फंडिंग में कटौती भी बड़ी वजह है।

आईटी सिस्टम की लागत लगातार बढ़ना भी कारण

रिपोर्ट के मुताबिक, आईटी सिस्टम की लागत 19 मिलियन पाउंड होनी थी, लेकिन इसे सेट अप करने में तीन साल और लग गए. स्थापित होने के बाद समस्याओं के चलते अब इसकी लागत बढ़कर 100 मिलियन पाउंड होने की उम्मीद है। अन्य कारणों में महंगाई, सामाजिक देखभाल की बढ़ती मांग, इसके अलावा, मुद्रास्फीति, वयस्क सामाजिक देखभाल की बढ़ती मांग और बिजनेस टैक्स इनकम में भारी कटौती भी प्रमुख हैं.

भयंकर तूफान का सामना कर रही स्थानीय सरकार

 

Birmingham काउंसिल के उपनेता शेरोन थॉम्पसन का कहना है कि स्थानीय सरकार भयंकर तूफान का सामना कर रही है। सरकार ने मुद्रास्फीति को देखते हुए पहले ही परिषद के लिए उसके बजट का लगभग 10 प्रतिशत अतिरिक्त धन मुहैया करा दिया था, लेकिन, यह स्थानीय रूप से निर्वाचित परिषदों के लिए है कि वे अपने स्वयं के बजट का प्रबंधन करें। बर्मिंघम सिटी काउंसिल के एक पूर्व सलाहकार ने बताया कि राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी बर्मिंघम के दिवालियापन के कारणों में से एक थी।

कोई अफसर गलत करता दिखता है तो कोर्ट का दायित्व है कि वो ऐसे मामले में दखल दे, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, उसे चुनावी प्रक्रिया में दखल देने का भी हक

जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा कि अगर कोई अफसर गलत करता दिखता है तो कोर्ट का दायित्व है कि वो ऐसे मामले में दखल दे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे चुनावी प्रक्रिया में दखल देने का पूरा हक है। एक मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आम तौर पर माना जाता है कि शीर्ष कोर्ट चुनाव या उससे जुड़ी प्रक्रिया में दखल नहीं देती। लेकिन ये अंतिम सत्य नहीं है। कोर्ट ने बताया कि दखल कब हो सकता है।

जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा कि अगर कोई अफसर गलत करता दिखता है तो कोर्ट का दायित्व है कि वो ऐसे मामले में दखल दे। बेंच ने कहा कि लोकतंत्र को बहाल रखने के लिए सबसे जरूरी प्रक्रिया चुनाव होती है। चुनाव के जरिये ही जन प्रतिनिधि चुने जाते हैं। उनके जरिये एक सरकार बनती है जो देश या किसी सूबे को चलाती है। इस सारे मसले में सबसे अहम चीज चुनाव है। चुनाव अगर निष्पक्ष तरीके से होते हैं तो जनता के जरिये चुना हुआ प्रतिनिधि संसद या विधानसभा में पहुंचता है। लेकिन अगर चुनावी प्रक्रिया को आधिकारिक स्तर पर प्रभावित करने की कोशिश की जाती है तो कोर्ट मूक दर्शक बनकर नहीं रह सकती। ऐसे में उसे चुनावी प्रक्रिया में दखल देना ही होगा।

नेशनल कांफ्रेंस के चुनाव चिन्ह से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान कही ये बात

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कांफ्रेंस के चुनाव चिन्ह से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बात कही। डबल बेंच ने नेकां को हल निशान के लिए हकदार बताया था। कोर्ट ने नेकां को यह निशान आवंटित करने का विरोध कर रहे लद्दाख प्रशासन की याचिका बुधवार को खारिज कर दी थी। उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। 51 पन्नों के आदेश में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि वो चुनावी प्रक्रिया में दखल दे सकता है।

टॉप कोर्ट की टिप्पणी के बाद लद्दाख चुनाव विभाग ने करगिल में स्थानीय निकाय चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस को हल निशान देते हुए नई अधिसूचना जारी की। नए आदेश के मुताबिक कारगिल में स्थानीय निकाय चुनाव अक्टूबर में कराया जाएगा। शीर्ष अदालत की नाखुशी के बाद ही ये फैसला आया

राजद्रोह कानून के प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 12 सितंबर से सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, आरपार के मूड में सीजेआई

सुप्रीम कोर्ट औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून के प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 12 सितंबर से सुनवाई करेगा। ये याचिकाएं सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक मई को आई थीं। अदालत ने केंद्र के यह कहने पर सुनवाई टाल दी थी कि दंडात्मक प्रावधान की समीक्षा पर सरकार परामर्श लेने के अंतिम चरण में है।

केन्द्र सरकार ने 11 अगस्त को एक बड़ा कदम उठाते हुए ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए लोकसभा में तीन नये विधेयक पेश किये थे तथा कहा कि अब राजद्रोह कानून को पूरी तरह समाप्त किया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर 12 सितंबर के लिए अपलोड की गई वाद सूची के अनुसार आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आएंगी। अदालत ने एक मई को इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की इन दलीलों पर गौर किया था कि सरकार ने आईपीसी की धारा 124ए की पुन: पड़ताल की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।

पिछले साल 11 मई को एक ऐतिहासिक आदेश में शीर्ष न्यायालय ने राजद्रोह संबंधी औपनिवेशिक काल के दंडात्मक कानून पर तब तक के लिए रोक लगा दी थी, जब तक कि "उपयुक्त" सरकारी मंच इसकी समीक्षा नहीं करता। इसने केंद्र और राज्यों को इस कानून के तहत कोई नयी प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का निर्देश दिया था।

अदालत ने व्यवस्था दी थी कि देशभर में राजद्रोह कानून के तहत जारी जांच, लंबित मुकदमों और सभी कार्यवाही पर भी रोक रहेगी। राजद्रोह कानून के तहत अधिकतम आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। इसे देश की आजादी से 57 साल पहले और आईपीसी के अस्तित्व में आने के लगभग 30 साल बाद 1890 में लाया गया था।

जी 20 की दिल्ली में बैठक में पाकिस्तान को नहीं बुलाने पर शर्मिंदा महसूस कर रहे पाकिस्तान के लोग, पढ़िए, कैसी कैसी अा रही प्रतिक्रिया

जी 20 समूह में कुल 20 देश शामिल है। इन सभी देशों के प्रमुख भारत पहुंचे हुए हैं। इसके अलावा भारत ने अन्य 9 देश को अतिथि के तौर पर आने के लिए न्योता भेजा था। इस वक्त सारी दुनिया की नजरें देश में होने वाले जी 20 शिखर सम्मेलन पर टिकी हुई है, जहां दुनिया के सबसे ताकतवर देश के नेता का एक जगह पर शामिल हुए है। जी 20 शिखर सम्मेलन 9 से 10 सितंबर के बीच आयोजित किए जाएगा।

इस सम्मेलन में उपस्थित सारे देश आर्थिक मुद्दों से लेकर सामाजिक और पर्यावरण से संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श करने वाले हैं। हालांकि, इसी बीच पाकिस्तान के लोगों को इस बात का अफसोस हो रहा है कि भारत ने उन्हें जी 20 शिखर सम्मेलन में बतौर अतिथि भी शामिल होने का न्योता नहीं दिया।

बता दें कि जी 20 समूह में कुल 20 देश शामिल है। इन सभी देशों के प्रमुख भारत पहुंचे हुए हैं। इसके अलावा भारत ने अन्य 9 देश को अतिथि के तौर पर आने के लिए न्योता भेजा था। बांग्लादेश भी शामिल है, जो पाकिस्तान से अलग होकर एक नया देश बना था। इन्हीं बातों को लेकर पाकिस्तानी लोगों को बहुत शर्म आ रही है कि बांग्लादेश एक न्यूक्लियर देश न होकर भी जी 20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने जा रहा है और वहीं पाकिस्तान को न्यूक्लियर देश होने के बावजूद नहीं बुलाया गया।

पाकिस्तानियों को महसूस हो रही शर्मिंदगी

पाकिस्तानी यूट्यूबर शोएब चौधरी ने आवाम के बीच जाकर भारत में होने वाले जी 20 शिखर सम्मेलन को लेकर राय जाननी चाही। इस पर पाकिस्तानियों ने कहा कि हमे बहुत ज्यादा शर्मिंदगी महसूस हो रही है। भारत ने हमे शिखर सम्मेलन में न्योता नहीं दिया है।

जी 20 समूह में शामिल देशों के अलावा और भी 9 देशों को विशेष आमंत्रण पर शामिल होने के न्योता दिया गया है। इन देशों में बांग्लादेश, ईजिप्ट, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात शामिल है।

पाकिस्तान को न्योता न भेजने की वजह

भारत का पाकिस्तान को न्योता न भेजने की वजह ये है कि भारत के रिश्ते पाकिस्तान के साथ सही नहीं है। पाकिस्तान हमेशा से भारत के खिलाफ जहर उगलता रहा है। इसके अलावा पड़ोसी मुल्क आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश भी करता है और कई बार अपने नापाक मसूंबों में सफल भी हुआ है, जिसमें साल 2008 में हुआ मुंबई हमला एक उदाहरण है। इसके अलावा देश के जवानों को अपना निशाना बनाता रहता है। पुलवामा अटैक और उरी हमला इसका उदाहरण है।