चुनाव आयोग में नियुक्तियों को लेकर राज्यसभा में पेश बिल पर विवाद शुरू, विपक्ष ने तीन सदस्यीय पैनल में सीजेआई के ना होने पर जताई आपत्ति
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राज्यसभा में गुरुवार को सरकार ने चुनाव आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य दूसरे निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यकाल के रेगुलेशन के लिए एक बिल पेश किया।हालांकि इस बिल को लेकर विवाद भी शुरू हो गया है। विपक्ष ने तीन सदस्यीय पैनल को लेकर आपत्ति जताई है।
दरअसल, बिल में चुनाव आयोग में शीर्ष पदों के लिए चयन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति की ओर से करने का प्रावधान है। जिसमें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक नोमिनेटेड कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे।नए विधेयक में सीजेआई को शामिल नहीं किया गया है।प्रस्तावित बिल तब आया है, जब पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चुनाव आयोग में शीर्ष नियुक्ति के लिए बनी कमिटी में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस शामिल होंगे। अब बिल पास होने के बाद पता चला है कि इसमें चीफ जस्टिस शामिल नहीं होंगे। विपक्ष ने अचानक पेश हुए इस बिल को संविधान विरोधी बताया है। कांग्रेस ने कहा कि इस बिल के माध्यम से पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह निर्वाचन आयोग को नियंत्रित करना चाहते हैं
आडवाणी के 2012 में लिखे पत्र को कांग्रेस ने साझा किया
इस बीच, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शुक्रवार को तत्कालीन भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे गए 2012 के एक पत्र को साझा किया, जिसमें ऐसी नियुक्तियों के लिए व्यापक आधार वाले कॉलेजियम का सुझाव दिया गया था।पत्र में आडवाणी ने मांग की थी कि सीईसी और अन्य सदस्यों की नियुक्ति पांच सदस्यीय पैनल या कॉलेजियम द्वारा की जानी चाहिए, जिसमें प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता और कानून मंत्री शामिल हों। आडवाणी ने ये पत्र दो जून, 2012 को पत्र में लिखा था।
मौजूदा प्रणाली को लेकर क्या थी आडवाणी की राय
आडवाणी के पत्र के मुताबिक मौजूदा प्रणाली, जिसमें चुनाव आयोग के सदस्यों को केवल प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है, लोगों में विश्वास पैदा नहीं करता है। इस पर उस समय सरकार सभी राजनीतिक दलों की राय लेने के लिए तैयार थी। मनमोहन सिंह ने कहा था कि वह चुनाव सुधारों के तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में बदलाव के लिए तैयार हैं।
बीजेपी पर जयराम रमेश का आरोप
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लाया गया विधेयक न केवल आडवाणी द्वारा प्रस्तावित प्रस्ताव के खिलाफ है, बल्कि इस साल दो मार्च को पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ के फैसले के विपरीत है। उन्होंने कहा कि चुनावी वर्ष में मोदी सरकार की ओर से उठाया गया यह कदम इस बात की पुष्टि करता है कि मोदी चुनाव आयोग पर नियंत्रण सुनिश्चित करना चाहते हैं।
हमलावर हुआ विपक्ष
वहीं, सरकार द्वारा पेश विधेयक पर आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी भारतीय लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं और नियुक्त होने वाले चुनाव आयुक्त बीजेपी के प्रति वफादार होंगे। वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह 2024 के चुनाव में धांधली की दिशा में एक स्पष्ट कदम है। कांग्रेस नेताओं ने सभी लोकतांत्रिक ताकतों से प्रस्तावित कानून का विरोध करने की अपील करते हुए सवाल किया कि क्या बीजू जनता दल (बीजेडी) और वाईएसआर कांग्रेस भी विधेयक का विरोध करने के लिए हाथ मिलाएंगे।
Aug 11 2023, 15:20