खुदीराम बोस शहादत दिवस आज, डीएम, आईजी और उनके गांव से आए जत्था उनके फांसी स्थल माल्यार्पण कर किया नमन
मुजफ्फरपुर : आज देश के लिए महज 18 साल की उम्र में हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर चढ़ने वाले अमर शहीद खुदीराम बोस की शहादत दिवस है। इस मौके पर अमर शहीद खुदी राम बोस के फांसी स्थल पर जिले के आईजी पंकज सिन्हा, जिलाधिकारी प्रणव कुमार , खुदीराम बोस के गाँव से आये जथ्था और मुज़फ़्फ़रपुर के जनप्रतिनिधियों के साथ अन्य लोगों ने खुदीराम बोस जेल के अंदर उनके फांसी स्थल पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी।
बता दें आज ही के दिन 11 अगस्त 1908 की सुबह खुदीराम बोस को फांसी दी जानी थी। उस काली भोर से चंद घंटे पहले की रात मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल में बंद 18 वर्षीय क्रांतिकारी खुदीराम ने कागज-कलम की मांग की, मगर जेल वालों ने इनकार कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने वहां रखे कोयले का टुकड़ा उठाया और जेल की दीवारों पर लिखा- एक बार विदाई देऊ मां घूरे आसी; हंसी-हंसी पोरबेन फांसी मा देखबेन जोगोत वासी... लिखा था।
जब उन्हें 11 अगस्त 1908 की सुबह सेल से निकालकर फांसी के तख्त की ओर ले जाया जा रहा था, तब उनके होठों पर भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे के साथ-साथ उनका स्वरचित यह गीत- एक बार विदाई देऊ मां घरे असी अर्थात हे भारत माता मुझे एक बार विदा दो मैं फिर से तुम्हारी गोद में जन्म लूंगा। मैं मुस्कुराते हुए फांसी के क्रांतिकारी अमर शहीद खुदीराम बोस, जिन्होंने सजा सुना रहे जज की आंखों में आंखें डालकर कहा था, मैं आपको भी बम बनाना सिखा सकता हूं।
खुदीराम को जब फांसी के फंदे से लटकाने के लिए तख्त पर खड़ा किया गया, तब सरकारी महकमा के पदाधिकारी के साथ-साथ खुदीराम बोस के वकील कालिका रंजन घोष वहां मौजूद थे। आज उनके फांसी स्थल पर मुज़फ़्फ़रपुर के आईजी पंकज सिन्हा , जिलाधिकारी प्रणव कुमार , खुदीराम बोस के गाँव से आये जथ्था और मुज़फ़्फ़रपुर के जनप्रतिनिधियों के साथ अन्य लोगों ने जेल के अंदर उनके फांसी स्थल पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गयी।
मुजफ्फरपुर से संतोष तिवारी
Aug 11 2023, 09:44