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आपको ASI सर्वे से दिक्कत क्या ? ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए कई अहम टिप्पणी की, डिटेल में पढ़िए

सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी शुक्रवार (4 अगस्त) को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मुस्लिम पक्ष ने इलाहबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। दरअसल, इलाहाबाद HC द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को विवादित ज्ञानवापी परिसर (वज़ुखाना को छोड़कर) का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी। वाराणसी अदालत द्वारा 21 जुलाई को फैसला सुनाए जाने के बाद उच्च न्यायालय द्वारा गुरुवार को ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण का रास्ता साफ करने के बाद याचिका दायर की गई थी। ASI की एक टीम शुक्रवार सुबह विवादित परिसर में पहुंची और परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया। वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी मस्जिद समिति की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। 

मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, "यह एक अंतरिम आदेश है। हमें इस स्तर पर हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए? हम आयुक्त की रिपोर्ट पर आपकी अन्य सभी आपत्तियों को खुला रखेंगे। हम यह नहीं कह रहे हैं कि यह स्वीकार्य है या इस पर भरोसा किया जाना चाहिए। इस पर...इस पर बहस की जा सकती है।" अदालत ने पूछा कि, "यह सर्वेक्षण एक रिपोर्ट के रूप में होगा। कल, यदि आप रखरखाव पर सफल होते हैं, तो यह सिर्फ कागज का टुकड़ा होगा। क्या हम ऐसे चरण में हैं जहां अपूरणीय क्षति होगी।"

अदालत ने सर्वेक्षण के लिए अपनी सहमति तब दी जब "वहां कुछ संकेत और प्रतीक स्पष्ट रूप से देखे गए थे। इसे वैज्ञानिक अध्ययन के माध्यम से निष्कर्ष तक पहुंचाना तर्कसंगत है। अदालत ने मुस्लिम पक्ष से यह भी पुछा कि, आपको सर्वे से दिक्कत क्या है। सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्ष की याचिका ख़ारिज होने के बाद अब विवादित ज्ञानवापी परिसर का ASI सर्वे जारी रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट से भी मुस्लिम पक्ष को झटका, ज्ञानवापी में जारी रहेगा एएसआई का सर्वे

#supremecourtgyanvapimasjidcase 

ज्ञानवापी केस में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी सर्वे को हरी झंडी दे दी गई है। अंजुमन इस्लामिया मसाजिद कमेटी ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। इस प्रकार ज्ञानवापी का सर्वे जारी रहेगा।

सु्प्रीम कोर्ट में इस मामले मेंदोनों पक्षों के बीच जोरदार बहस हुई।सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की दलीलों पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अयोध्या मामले में भी एएसआई सर्वे हुआ था और हम सबूत के सारे ऑप्शन खुले रखेंगे।सीजेआई ने कहा, 'हम इस बात का ख्याल रखेंगे कि ढांचे को कोई नुकसान न हो।' सॉलिसिटर जनरल ने इस पर कहा कि एएसआई ने हाई कोर्ट में एफिडेविट फाइल किया है जिसमें इस बाद का आश्वासन दिया गया है कि ढांचे को कोई नुकसान नहीं होगा। एसजी ने इस पर कहा, 'हम उसका पालन करेंगे। अगर कभी भविष्य में खुदाई की जरूरत पड़ती है तो कोर्ट से परमिशन ली जाएगी। 

कोर्ट ने कहा कि खुदाई न हो, यह सुनिश्चित किया जाए। रिपोर्ट को सीलबंद रखा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सर्वे से किसी के अधिकार का हनन नहीं हो रहा है। हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सर्वे की लाइव स्ट्रीमिंग का प्रस्ताव दिया गया। सुप्रीम कोर्ट की ओर से साफ कहा गया कि सुनिश्चित करेंगे कि मस्जिद को छुआ नहीं जाए। परिसर में खुदाई का कार्य नहीं हो, यह भी सुनिश्चित करेंगे। सर्वे से इमारत को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा।

कोर्ट में सीएम योगी के बयान का जिक्र

वहीं, मुस्लिम पक्ष के वकील ने अपनी दलील देते हुए इस मसले पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा, '3 दिन पहले बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। मामला कोर्ट में लंबित है लेकिन यूपी के मुख्यमंत्री ने इस पर बयान दे दिया। यह इस मामले में स्टेट हैं और किसी एक का पक्ष नहीं ले सकते।'

कोर्ट में उठा प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का मुद्दा

सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का भी मुद्दा उठा है। मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील अहमदी ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम की धारा 2(बी) के तहत इसकी स्थिति में बदलाव नहीं किया जा सकता है। यह सेक्शन कन्वर्जन को परिभाषित करता है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि आप सही हैं, एक्ट के 2(बी) रूपांतरण शब्द का उपयोग बहुत व्यापक अर्थ में है। एक्ट के तहत साफ है कि पूजा स्थल का धार्मिक चरित्र नहीं बदलना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि सवाल यह है कि 15 अगस्त 1947 को उस स्थान का धार्मिक चरित्र क्या था?

ज्ञानवापी का सर्वे शुरू

बता दें कि 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाते हुए मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट में अर्जी लगाई थी। जब हाईकोर्ट ने दोबारा शर्तों के साथ सर्वे करने का आदेश दिया, तब मुस्लिम पक्ष ने शुक्रवार को सर्वे पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया गया । इस बीच एएसआई की 40 सदस्यीय टीम ने ज्ञानवापी का सर्वे शुरू कर दिया। टीम ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की मैपिंग की। टीम परिसर के अंदर सर्वे के दायरे में आने वाली हर चीज की फोटोग्राफी की गई। इसके अलावा पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई जा रही है।

आपको ASI सर्वे से दिक्कत क्या ? ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए कई अहम टिप्पणी की, डिटेल में पढ़िए


सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी शुक्रवार (4 अगस्त) को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मुस्लिम पक्ष ने इलाहबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। दरअसल, इलाहाबाद HC द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को विवादित ज्ञानवापी परिसर (वज़ुखाना को छोड़कर) का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी। वाराणसी अदालत द्वारा 21 जुलाई को फैसला सुनाए जाने के बाद उच्च न्यायालय द्वारा गुरुवार को ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण का रास्ता साफ करने के बाद याचिका दायर की गई थी। ASI की एक टीम शुक्रवार सुबह विवादित परिसर में पहुंची और परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया। वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी मस्जिद समिति की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। 

मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, "यह एक अंतरिम आदेश है। हमें इस स्तर पर हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए? हम आयुक्त की रिपोर्ट पर आपकी अन्य सभी आपत्तियों को खुला रखेंगे। हम यह नहीं कह रहे हैं कि यह स्वीकार्य है या इस पर भरोसा किया जाना चाहिए। इस पर...इस पर बहस की जा सकती है।" अदालत ने पूछा कि, "यह सर्वेक्षण एक रिपोर्ट के रूप में होगा। कल, यदि आप रखरखाव पर सफल होते हैं, तो यह सिर्फ कागज का टुकड़ा होगा। क्या हम ऐसे चरण में हैं जहां अपूरणीय क्षति होगी।"

अदालत ने सर्वेक्षण के लिए अपनी सहमति तब दी जब "वहां कुछ संकेत और प्रतीक स्पष्ट रूप से देखे गए थे। इसे वैज्ञानिक अध्ययन के माध्यम से निष्कर्ष तक पहुंचाना तर्कसंगत है। अदालत ने मुस्लिम पक्ष से यह भी पुछा कि, आपको सर्वे से दिक्कत क्या है। सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्ष की याचिका ख़ारिज होने के बाद अब विवादित ज्ञानवापी परिसर का ASI सर्वे जारी रहेगा।

वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में सर्वे शुरू, मुस्लिम पक्ष ने किया बहिष्कार, जुम्मे को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था सख्त, अब तक चल रहा सर्वेक्षण का क

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक टीम शुक्रवार सुबह उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पहुंची, जहां कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह लगभग 7 बजे परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण शुरू हुआ। सर्वेक्षण दोपहर 12 बजे तक चलेगा, फिर जुम्मे की नमाज़ के लिए परिसर खली किया जाएगा और इसके बाद दोपहर 3 से 5 बजे तक फिर से सर्वे किया जाएगा।

यह घटनाक्रम तब सामने आया है जब एक दिन पहले गुरुवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ASI को सर्वेक्षण करने की अनुमति दी थी, जिसका उद्देश्य यह निर्धारित करना था कि क्या 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना के ऊपर किया गया था। ASI सर्वेक्षण शुरू होने पर सिर्फ जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त लोग ही परिसर में मौजूद थे। इस बीच अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के सदस्यों ने सर्वे का बहिष्कार कर दिया। हिंदू पक्ष के सोहनलाल आर्य ने कहा कि पिछले सर्वेक्षण के दौरान, परिसर के अंदर शिव और पार्वती की मूर्तियां, वराह (भगवान विष्णु का वराह अवतार), घंटियां, त्रिशूल और कई अन्य साक्ष्य सहित कई कलाकृतियां मिलीं थीं। उन्होंने कहा कि, यह दर्शाता है कि यह स्थान एक मंदिर है। बता दें कि, गुरुवार को, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी जिला अदालत के आदेश को बरकरार रखा और फैसला सुनाया कि प्रस्तावित कदम "न्याय के हित में आवश्यक" है और इससे दोनों पक्षों को लाभ होगा।

यह आदेश तब आया जब कानूनी विवाद में मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने वाराणसी जिला अदालत के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। भाजपा नेताओं ने उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उस स्थान पर मंदिर के बारे में "सच्चाई" अब सामने आएगी। भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा, "यह एक अच्छा फैसला है। हम भारतीयों के लिए यह उम्मीद जगाने वाला फैसला है। सच हमेशा सामने आता है, इसमें समय लगता है लेकिन सच सामने आता है।

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*सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद क्या बहाल होगी राहुल गांधी की संसद सदस्यता, क्या कहता है नियम?*

#relieftorahulfromscindefamationcasewillhisparliamentmembershiprestored 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए आज का शुकिरवार काफी शुभ रहा।मोदी सरनेम मामले में लोकसभा की सदस्यता खो चुके कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली।सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी है। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के तुरंत बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल हो जाएगी?

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही राहुल गांधी के लिए संसद के दरवाजे कानूनन खुल गए हैं। वकीलों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ ही राहुल की अयोग्यता समाप्त हो गई है और लोकसभा सचिवालय से सदस्यता बहाली का आदेश जारी होना औपचारिकता मात्र है। राहुल को संसद की सदस्यता के अयोग्य करार दिए जाने के बाद अगर वायनाड सीट पर उपचुनाव हो गए होते तब उनकी सदस्यता बहाल नहीं हो पाती. वायनाड में अभी तक उपचुनाव नहीं हुए हैं।इसलिए राहुल गांधी दोबारा उस सीट से सांसद बहाल हो जाएंगे। 

कोर्ट का आदेश लोकसभा सचिवालय पहुंचने के बाद जोरी होगा नोटिफिकेशन

संविधान विशेषज्ञ पीडीटी आचार्य ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि कोर्ट के दोषसिद्धि पर रोक लगाने के साथ ही राहुल गांधी की संसद सदस्यता से अयोग्यता तत्काल प्रभाव से सस्पेंड हो गई है। इसका मतलब है कि वे फिर से संसद के सदस्य हैं। किसी को इसके लिए अप्रोच करने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश लोकसभा सचिवालय पहुंचेगा और इसके बाद अयोग्यता के संबंध में एक नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। लोकसभा सचिवालय की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर कहा जाएगा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में राहुल गांधी की संसद सदस्यता से अयोग्यता सस्पेंड कर दी गई।हालांकि, इसके लिए किसी तरह की समय सीमा निर्धारित नहीं है।

मानसून सत्र में हो सकेंगे शामिल

जानकारों का कहना है कि जिस तरह से मोदी सरनेम मामले में दोषी साबित होने और सजा मिलने के बाद राहुल गांधी की सदस्यता तुरंत ही चली गई थी ठीक उसी तरह से उनकी सदस्यता भी बहाल हो जाएगी। लोकसभा स्पीकर के पास कोर्ट के आदेश की प्रति पहुंचने के बाद यह स्पीकर पर निर्भर करता है कि वे कब तक राहुल की सदस्यता बहाल करने का फैसला लेते हैं। लेकिन माना जा रहा है कि कोर्ट के फैसले की प्रति मिलते ही स्पीकर इस तुरंत फैसला लेंगे और ऐसी संभावना जताई जा रही है कि सोमवार से राहुल गांधी संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकेंगे।

लक्ष्यद्वीप के एनसीपी सांसद के साथ भी हुआ था ऐसा

बता दें कि लक्ष्यद्वीप के एनसीपी सांसद मोहम्मद फैजल की भी सदस्यता जनवरी में चली गई थी, लेकिन उनके सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद मार्च में उनकी सदस्यता को फिर से बहाल कर दिया गया था। फैजल की सीट पर तो चुनाव आयोग ने उपचुनाव का भी ऐलान कर दिया था, जिसे बाद में रद्द किया गया। लक्षद्वीप सांसद मोहम्मद फैजल को भी कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है। जिसके बाद उनकी सदस्यता चली गई थी। चुनाव आयोग ने लक्षद्वीप लोकसभा पर उपचुनाव कराने के लिए अधिसूचना भी जारी कर दी थी। हालांकि, बाद में केरल हाईकोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी है। अभी ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। फैजल पर कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पीएम सईद और मोहम्मद सालिया पर हमला करने का आरोप था। इस मामले में 32 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिसमें से चार को कोर्ट ने दोषी ठहराया था। इनमें मोहम्मद फैजल भी शामिल थे।

*राहुल को मिली राहत को कांग्रेस ने बताया- नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत, ट्वीट कर कहा-आ रहा हूं और सवाल जारी रहेंगे

#surnamecasescdecisioninfavourofrahulgandhi 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में 'मोदी सरनेम' टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी। इस आदेश के बाद से कांग्रेस पार्टी में खुशी का माहौल है। कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा ट्वीट किया। 

कोर्ट का फैसला आने के बाद कांग्रेस ने लगातार दो ट्वीट करके सरकार पर निशाना साधा। पहले ट्वीट में कांग्रेस ने लिखा, “यह नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत है”। वहीं दूसरे ट्वीट में कांग्रेस ने राहुल गांधी की संसद की एक पुरानी तस्वीर साझा की, जिसमें वह अडानी और मोदी की साथ वाली फोटो पकड़े हुए हैं। कांग्रेस ने राहुल के इस फोटो के साथ लिखा है कि आ रहा हूं और सवाल जारी रहेंगे।

राहुल गांधी के खिलाफ साजिश आज नाकाम हो गई-अधीर रंजन

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 'यह खुशी का दिन है... 'मैं आज ही लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखूंगा और बात करूंगा।" कांग्रेस नेता ने कहा, "संसद परिसर में हर जगह आपको 'सत्यमेव जयते' दिखेगा। राहुल गांधी के खिलाफ साजिश आज नाकाम हो गई है। राहुल गांधी की जीत मोदी जी पर भारी पड़ेगी।"

प्रियंका गांधी ने बुद्ध की इस लाइन को किया ट्वीट

भाई राहुल गांधी पर आए फैसले के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय को न्यायपूर्ण फैसला देने के लिए धन्यवाद। सत्यमेव जयते। गौतम बुद्ध की कही बातों को लिखते हुए प्रियंका ने कहा कि तीन चीजें कभी लंबे समय तक नहीं छिपतीं- सूर्य, चंद्रमा और सच।

लोगों में ये मैसेज गया कि कोर्ट में इंसाफ मिल सकता है-पायलट

राहुल गांधी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सचिन पायलट ने स्वागत किया है। जिस तरह जिला अदालत और हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला किया है, उससे पूरी पार्टी और लोगों के अंदर यह मैसेज गया है कि कोर्ट में इंसाफ मिल सकता है। विपक्षी एकता को मजबूती मिलेगी। पद का मोह राहुल गांधी को नहीं है। नो कॉन्फिडेंस मोशन में भाजपा को राहुल गांधी की सदस्यता का मुद्दा भारी पड़ जाएगा।

*नूंह हिंसा के बाद प्रशासन का बड़ा एक्शन, अवैध झुग्गियों पर चला बुलडोजर, रोहिंग्याओं की 200 झुग्गियां जमींदोज*

#nuhviolencebulldozersrunonhutsofillegalinfiltrators

हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा के बाद मनोहर लाल खट्टर सरकार एक्शन मोड में आ गई है। पुलिस ने दंगों की शुरुआती जांच के बाद नूंह में रोहिंग्याओं और अवैध घुसपैठियों पर बड़ा एक्शन लिया है। नूंह के तावड़ू इलाके में अवैध झुग्गियों पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाया है।

नूंह के तावडू के मोहम्मदपुर मार्ग के साथ वार्ड नंबर एक में हरियाणा शहरी प्राधिकरण की भूमि बनी झुग्गी झोपड़ियों में बृहस्पतिवार को बुलडोजर चलाकर तहस-नहस कर दिया गया। बताया जा रहा है कि जिन झुग्गियों पर बुलडोजर चला है, उसमें असम से आए घुसपैठिए रहते थे। सूत्रों के मुताबिक नूंह हिंसा में रोहिंग्या कनेक्शन की भी बात सामने आ रही हैं। जानकारी के मुताबिक, प्रदेश के मुख्यमंत्री के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है। 

हरियाणा सरकार की जमीन पर रोहिंग्या का अवैध कब्जा

पुलिस ने बुलडोजर से 200 से अधिक झुग्गियां को गिरा दिया। बुलडोजर का एक्शन करीब 4 घंटे तक चला।बता दें कि असम से आए घुसपैठियों ने हरियाणा सरकार की जमीन पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर वहां झुग्गियां बसा दी थी। पुलिस को शुरूआती जांच में पता चला कि हिंसा में इनका भी हाथ है। अब इस अवैध कब्जे को बुलडोजर चलवाकर हटाया जा रहा है।

प्लानिंग के तहत की गई हिंसा

पुलिस को अभी तक की जांच में पता चला है कि हिंसा प्लानिंग के तहत की गई थी। ज्यादातर गिरफ्तार आरोपियों की उम्र 19 से 25 साल बताई जा रही। इस मामले में अब तक पांच जिलों में 93 एफआईआर दर्ज की जा चुकी है, जबकि 176 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इस बीच पुलिस ने सोशल मीडिया पर करीब 2300 वीडियो को चिन्हित किया है, जिनके द्वारा अफवाह फैला कर हिंसा भड़काई गई। अब पुलिस इन वीडियोज के आधार पर भी कार्रवाई करने में जुटी हुई है।

मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर लगाई रोक*

#modi_surname_case_rahul_gandhi_gets_relief_from_sc 

सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम वाले मामले में कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी को राहत दे दी है। इसी के साथ राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा पर भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने शुक्रवार को एक अंतरिम आदेश में कांग्रेस नेता की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी। इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने 'मोदी उपनाम' टिप्पणी पर मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। आज इसी मामले में सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान राहुल गांधी की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। इस दौरान उन्होंने कोर्ट में कहा कि उनके क्लाइंट के खिलाफ जितने भी मामले दर्ज हुए हैं वो सब बीजेपी कार्यकर्ताओं ने करवाए हैं। सिंघवी ने दलील देते हुए कहा कि शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का असली सरनेम मोदी था ही नहीं। उन्होंने अपना सरनेम बदल कर मोदी किया है और यह बात पूर्णेश मोदी ख़ुद कह चुके हैं। निचली अदालत के जज ने इसे एक गंभीर अपराध बताया। रेप, मर्डर या किडनेपिंग का केस तो नहीं है जो अधिकतम 2 साल की सज़ा दे दी गई।

हालांकि राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी है लेकिन अभी मोदी सरनेम मामले में उन्हें निर्दोष साबित नहीं किया गया है। राहुल गांधी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में सजा के रोक को लेकर याचिका दाखिल की गई थी। इसी पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि जबतक राहुल की दोषसिद्धि वाली याचिका लंबित है तबतक उनकी सजा पर रोक रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद माना जा रहा है कि इसकी कॉपी लोकसभा स्पीकर सचिवालय जाएगा। इसके बाद लोकसभा स्पीकर राहुल गांधी की सदस्यता पर फैसला ले सकते हैं। माना जा रहा है कि राहुल संसद के मॉनसून सत्र से ही भाग ले सकते हैं।

*जब संसद में बोलीं मीनाक्षी लेखी-'एक मिनट शांत रहो, कहीं तुम्हारे घर ईडी ना आ जाए, भड़का विपक्ष*

#whenbjpmpmeenakshilekhi_threatened

दिल्ली सेवा विधेयक लोकसभा में पास हो चुका है। बिल पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने विपक्ष पर हमला बोला तो विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।हंगामे के बीच में केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कुछ कैसा कह दिया कि विपक्षी सांसद भड़क गए। बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी विपक्षी सांसदों के विरोध पर उन्हें बोले गईं शांत बैठो वरना तुम्हारे घर भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम आ जाएगी।

बीजेपी सांसद मीनाक्षी दिल्ली बिल के सपोर्ट में बोल रही थी। लोकसभा में वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर अटैक कर रही थीं। उन्होंने कहा कि इस बिल के विरोध में असली कहानी शीशमहल की कहानी है। असली कहानी विजिलेंस और नॉन विजिलेंस मैटर की कहानी है। कांग्रेस का नाम लिए बगैर मीनाक्षी ने कहा कि जब ये लोग मोरालिटी (नैतिकता) की बात करते हैं तो मैं याद दिलाना चाहती हूं कि 90 बार 356 का इस्तेमाल कर जिन लोगों चुनी हुई राज्य सरकारों को डिशमिश (बर्खास्त) किया, वे संवैधानिक नैतिकता की बात ना करें तो बेहतर है। मीनाक्षी लेखी के इस बयान पर विपक्ष खेमे में बैठे कांग्रेस के सांसद विरोध जताने लगे। इसपर मीनाक्षी लेखी ने कहा- 'एक मिनट शांत रहो, कहीं तुम्हारे घर ना ईडी आ जाए।' इतना कहकर मीनाक्षी लेखी मुस्कुराने लगीं।

एनसीपी ने कहा-आरोपों सही साबित कर दिया

सदन में लेखी की टिप्पणी पर विपक्ष ने नाराजगी जताई।नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रवक्ता क्लाइड क्रास्टो ने कहा कि उनके इस इशारे ने विपक्षी नेताओं के उन आरोपों सही साबित कर दिया कि सरकार केंद्रीय एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है। 

कांग्रेस ने पूछा- ये धमकी थी या चेतावनी?

इंडियन यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने भी सवाल उठाते हुए कहा कि क्या लेखी का ये बयान चेतावनी या धमकी था। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'ये धमकी थी या चेतावनी?

टीएमसी बोली- 'खुलेआम धमकी'

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रवक्ता साकेत गोखले ने संसद में लेखी की ईडी की टिप्पणी को 'चौंकाने वाला' बतायाI उन्होंने कहा कि मंत्री अब विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी का इस्तेमाल करने की 'खुलेआम धमकी' दे रहे हैं।

मणिपुर में फिर क्यों भड़क गई हिंसाःभीड़ का सुरक्षा चौकियों पर हमला, लूटे गए हथियार और गोला-बारूद

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मई महीने की शुरूआत से हिंसा की चपेट में मणिपुर में हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं। पिछले 3 महीने रुक-रुककर कई घटनाएं हो रही हैं। हिंसा की वजह से अब तक 160 से भी ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। हजारों लोग घायल हैं। तमाम लोग अपने घर छोड़कर शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं। इस बीच मणिपुर में एक बार फिर माहौल तनावपूर्ण हो गया। गुरुवार को चुराचांदपुर में 35 लोगों के शव को सामूहिक रूप से दफनाने की कोशिश के बीच हिंसा भड़क गई। चुराचांदपुर और विष्णुपुर के बॉर्डर पर बीते दिन सुरक्षाबलों और लोगों के बीच हिंसा हुई, इस दौरान पत्थरबाजी हुई और आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए।

मणिपुर की जातीय हिंसा में मारे गए कुकी-जोमी लोगों को सामूहिक रूप से दफनाने की योजना थी।कुकी-जोमी संगठन ने बृहस्पतिवार को राज्य में जातीय दंगों में मारे गए 35 लोगों को चुराचांदपुर जिले के हाओलाई खोपी गांव में एक स्थल पर दफनाने की योजना बनाई थी।पुलिस की ओर से ऐसा ना करने की अपील की गई थी। जिसके परिणामस्वरूप मणिपुर के कई जिलों में तनाव पैदा हो गया।गुरुवार सुबह से लोगों का इस मैदान में जाने का सिलसिला शुरू हुआ और हालात बिगड़ना भी शुरू हो गए।

फोर्स ने लोगों को इस इलाके की ओर आने से रोका था, जिसके बाद भीड़ ने बड़ी संख्या में विरोध किया और पत्थरबाजी की। बाद में सुरक्षाबलों ने हवाई फायरिंग की और आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए।पुलिस ने गुरुवार को एक बयान जारी करते हुए राज्य में स्थिति को तनावपूर्ण बताया है। राज्य में पिछले 24 घंटों में गोलीबारी और अनियंत्रित भीड़ की छिटपुट घटनाएं सामने आई हैं। बयान में कहा गया है कि राज्य के कौट्रुक, हारोथेल और सेनजम चिरांग इलाकों में क्रॉस-फायरिंग की घटनाओं के दौरान एक सुरक्षाकर्मी की मौत हो गई, जबकि एक अन्य व्यक्ति गोली लगने से घायल हो गया।

मणिपुर पुलिस के अनुसार भीड़ ने कई इलाकों में पुलिस स्टेशनों पर भी हमला किया और हथियार और गोला-बारूद छीन लिए। पुरुषों और महिलाओं दोनों की भीड़ ने बिष्णुपुर जिले में मणिपुर सशस्त्र पुलिस की दूसरी बटालियन के कीरेनफाबी पुलिस चौकी और थंगलवई पुलिस चौकी में तोड़फोड़ की और हथियार लूट लिए। भीड़ ने हेनगांग और सिंगजामेई पुलिस स्टेशनों से भी हथियार और गोला-बारूद जब्त करने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने उनके हमले को विफल कर दिया। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सशस्त्र हमलावरों और सुरक्षा बलों के बीच कौतरुक, हरोथेल और सेंजम चिरांग इलाकों में गोलीबारी हुई। दोनों ओर से हुई गोलीबारी में एक सुरक्षाकर्मी सहित दो लोग घायल हो गए।

इंफाल पश्चिम के सेनजम चिरांग में स्नाइपर के सिर में गोली लगने से मणिपुर पुलिस के एक जवान की मौत हो गई। पास की पहाड़ी शृंखलाओं से कौत्रुक और सेंजाम चिरांग में संदिग्ध आतंकवादियों की आरे से की गई गोलीबारी में एक गांव का स्वयंसेवक भी घायल हो गया। बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों के बीच सीमा पर स्थित फुगाकचाओ इखाई में 500-600 लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई। सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और इस दौरान करीब 25 लोगों को मामूली चोटें आईं।