संसद में हंगामे से नाराज लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को मनाने की कोशिश, सत्ता पक्ष और विपक्ष के बड़े नेताओं ने की मुलाकात
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संसद के मानसून सत्र को शुरू हुए 12 दिन का समय बीत चुका है लेकिन मणिपुर मुद्दे पर हंगामे के चलेत सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है। सांसदों के हंगामे से सभापति ओम बिरला भी नाराज हैं और लोकसभा की कार्यवाही का संचालन नहीं कर रहे हैं।लोकसभा में सांसदों द्वारा किए जाने वाले हंगामे से आहत होकर स्पीकर ओम बिरला में कार्रवाई में भाग लेने से इनकार कर दिया था। अब इसके बाद कई सांसद उन्हें मनाने की कवायद में जुट गए हैं। इस क्रम तमाम दलों के सांसद उन्हें मनाने के लिए पहुंचे।
सांसदों ने की सभापति से मुलाकात
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले, एनके प्रेमचंद्रन, बसपा के रितेश पांडे, भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल, टीएमसी सांसद सौगत राय, एनसीपी सांसद फारुख अब्दुल्ला और डीएमके सांसद कनिमोझी ने आज लोकसभा सभापति ओम बिरला से मुलाकात की। इस मुलाकात में सांसदों ने लोकसभा स्पीकर से सदन की कार्यवाही का संचालने करने की अपील की गई।इस दौरान सभी ने आश्वासन दिया कि वे सदन की गरिमा बनाए रखेंगे।
लगातार हंगामे के कारण सभापति नाराज
इससे पहले हंगामे से नाराज होकर ओम बिरला ने कहा था कि जब तक दोनों पक्ष संसद सुचारू रूप से चलाने में पहल नहीं करते हैं, तब तक वे सदन की अध्यक्षता नहीं करेंगे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पक्ष-विपक्ष के सदस्यों को अपनी नाराजगी जाहिर की थी और कहा उनके लिए सदन की गरिमा सर्वोच्च, है, सदन में मर्यादा कायम करना सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है, लेकिन कुछ सदस्यों का व्यवहार सदन की उच्च परपराओं के विपरीत है।
दरअसल, 1 अगस्त को लोकसभा में विपक्ष के नेता नारेबाजी करते हुए न सिर्फ वेल में आ गए गए थे बल्कि चेयर की तरफ पर्चे भी फेंके। ओम बिरला ने कहा कि दिल्ली सेवा बिल पेश करने के दौरान जिस तरह का हंगामा किया गया, एक भी बात नहीं सुनने दी, ऐसे सदन का कामकाज नहीं हो सकता।इसके बाद अगले दिन ओम बिरला लोकसभा में नहीं गए।
बता दें, संसद का मौजूदा सत्र 20 जुलाई से शुरू हुआ था, लेकिन विपक्ष लगातार हंगामा कर रहा है और कोई कामकाज नहीं करने दे रहा है। विपक्ष ने पहले मणिपुर हिंसा पर चर्चा की बात की। सरकार भी राजी हो गई तो किस नियम के तहत चर्चा हो, इस पर विवाद शुरू कर दिया। विपक्ष इस बात पर अड़ा है कि प्रधानमंत्री को सदन में आना चाहिए और जवाब देना चाहिए। जबकि कानून व्यवस्था का मामला होने के कारण यह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जिम्मेदारी और वे सदन में बयान देने के लिए तैयार है।
Aug 03 2023, 15:09