स्मार्ट सिटी मुजफ्फरपुर में अंग्रेजी नाम पटल लगाने के विरोध में कई संगठनों ने खुदीराम बोस स्मारक स्थल पर किया धरना प्रदर्शन
मुजफ्फरपुर: स्मार्ट सिटी मुजफ्फरपुर के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और मुख्य मार्ग की फेशियल एकरूपता के नाम पर अंग्रेजी नाम पटल लगाने के विरोध में साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक कई संगठनों ने खुदीराम बोस स्मारक स्थल पर धरना प्रदर्शन किया।
विरोध करते हुए स्मार्ट सिटी और नगर निगम की कार्यप्रणाली तथा भ्रष्टाचार को लेकर भी कई सवाल खड़े किए गए। सुविधा के नाम पर न तो पार्किंग है, न जलजमाव से मुक्ति है, न कहीं शौचालय और महिलाओं के लिए भी कोई व्यवस्था है। हर दिन भीषण जाम के शिकार होते हुए नगरवासी जैसे तैसे अपनी जीवन चर्या संपन्न करते हैं।
काले रंग की पृष्ठभूमि पर उजले अंग्रेजी अक्षरों में नाम पटल दुकान पर लगा देना कहीं न कहीं से अंग्रेजियत की गुलाम मानसिकता का प्रतीक है। यह हिंदी की उपेक्षा तथा अपमान है जिसकी पुरजोर भर्त्सना और निंदा करते हुए तमाम संगठन के प्रतिनिधियों ने एक स्वर में कहा कि अगर हमारी आवाज नगर निगम प्रशासन द्वारा नहीं सुनी जाती है तो हम सरकार के विरोध में भी मोर्चा खोलेंगे और आंदोलन को तेज करेंगे।
इस क्रम में वक्ताओं ने कहा कि जिस हिंदी भाषा के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई हुई थी और आज वह हमारी मातृ भाषा, राजभाषा तथा जन मान्यता में राष्ट्रभाषा है और अब तो यह विश्व भाषा के रूप में पूरे संसार में सम्मानित है, फिर भी हिंदी के गढ़ मुजफ्फरपुर में हिंदी की उपेक्षा बहुत ही दुखद है और इसके लिए हर स्तर पर विरोध करने के लिए नगरवासी संकल्पित हैं।
मुजफ्फरपुर एक जनपदीय शहर है जिसके आसपास काफी ग्रामीण क्षेत्र हैं और वहां के लोग आज भी अंग्रेजी नहीं जानते हैं। हिंदी लगभग सब जानते हैं ।अंग्रेजी नाम पटल होने के कारण उनकी परेशानियों का तनिक भी ध्यान नहीं रखा गया ,यह एक तरह से चाहे जिसके द्वारा यह कार्य संपन्न कराया जा रहा है यह रवैया उचित नहीं है। स्मार्ट सिटी का यह कृत्य घोर निंदनीय है।
अपने अध्यक्षीय उद्गार में डॉ संजय पंकज ने कहा कि मुजफ्फरपुर खड़ी बोली हिंदी का प्रवर्तक शहर है। यहां के साहित्यकार, संस्कृति कर्मी और स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वाले महान स्वतंत्रता सेनानियों ने हिंदी को ही संघर्ष का और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ का साधन बनाया था। देश को एक सूत्र में बांधने का काम हिंदी ने किया।
उसी हिंदी को बिहार की अघोषित सांस्कृतिक राजधानी में उपेक्षित कर देना आखिर किस मानसिकता का परिचायक है। हमारी आवाज जब तक नहीं सुनी जाती है हम आंदोलन को तेज करेंगे और चरण बद्ध धरना प्रदर्शन जारी रहेगा।
धरना प्रदर्शन को अपना समर्थन देने के लिए उपस्थित होने वालों में बिहार सरकार के पूर्व नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा, अविनाश तिरंगा उर्फ ऑक्सीजन बाबा, मधुमंगल ठाकुर,समाज सेवी संजीव साहु, रघुनंदन प्रसाद सिंह उर्फ अमर बाबू, डॉ कुमार विरल, अन्नू सिंह, अजय सिंह, रामप्रवेश सिंह, प्रेम कुमार वर्मा, महेश सिंह, मनोज सिंह,सुमन वृक्ष, प्रमोद आजाद, यशवंत पाराशर, मुकेश त्रिपाठी, डॉ उषा किरण, डॉ पुष्पा गुप्ता, सोनू सिंह, आलोक कुमार अभिषेक, डॉ राकेश कुमार मिश्र, दीनबंधु, सोनू पांडेय आदि प्रमुख थे।
संस्थाओं के अंतर्गत जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन, नवसंचेतन, मिशन भारती, बिहार गुरु, मुजफ्फरपुर सांस्कृतिक मंच, संस्कृति संगम, रंग लोक, बज्जिका विकास मंच जैसी निरंतर सक्रिय महत्वपूर्ण संस्थाएं सहभागी रहीं और सब ने एक स्वर में चरणबद्ध आंदोलन का संकल्प लिया। इस धरना प्रदर्शन का जोरदार तथा धारदार संचालन संस्कृति कर्मी सोनू सिंह ने किया।
Jul 08 2023, 21:21