*400 से अधिक संकड़ों पर नहीं लगा साइनेज*
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। ग्रामीणों क्षेत्रों में जिस सड़क पर आप चलते हैं उसका निर्माण किस एजेंसी ने कराई हैं, इसका पता आसानी से नहीं लगाया जा सकता है। हकीकत तो यह है कि इसके लिए विभाग के अधिकारी प्रत्येक वर्ष लाखों का व्यारा - न्यारा करते हैं लेकिन साइनेज नहीं लगाते है।
जिलाधिकारी गौरांग राठी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित निर्माण एजेंसियों से रिपोर्ट तलब की है। साथ ही जहा पर बोर्ड नहीं लगाए गए हैं वहां पर लगाने का निर्देश दिया है। लोक निर्माण विभाग जिला पंचायत और ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अलावा विधायक निधि से संकड़ों का निर्माण कराया जाता है।
विधायक निधि से बने सड़को पर उनके निर्माण एजेंसियों साइनेज नहीं लगाती है। इसके कारण सड़क निर्माण कराने वाली एजेंसी का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। गाइडलाइन में स्पष्ट रुप से कहा गया है कि परियोजना का नाम लागत एवं एजेंसी के नाम का उल्लेख करते हुए साइनेज लगाया जाए लेकिन निर्माण एजेंसियों की ओर से कंटीजेंसी से बजट निकालकर हजम कर लिया जा रहा है। एक- दो नहीं बल्कि 400 से अधिक ग्रामीण सड़कों पर साइनेज नहीं लगाए गए हैं।
मौसम को देखते हुए निर्माण कार्य हुआ तेज
मौसम को देखते हुए इन दिनों संकड़ों पर बहुत तेजी से काम कराया जा रहा है। घटिया निर्माण होने से ग्रामीणों सड़कें बनते ही उखड़ जा रही है। लेकिन इसका पता नहीं चल पा रहा है कि सड़क का निर्माण विभाग करवा रहा है। गांव के लोग चाहकर भी ठेकेदारों द्वारा की जा रही धांधली की शिकायत नहीं कर पा रहे हैं। अधिसंख्य लोग लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता से ही शिकायत करते हैं। जानकारों का कहना है कि घटिया तारकोल लगाए जाने से सड़कें उखड़ जा रही है। अभी तक लोक निर्माण विभाग की ओर से ही ठेकेदारों को तारकोल उपलब्ध कराया जाता है। शासन ने इस व्यवस्था को बंद कर दिया।
परियोजना का नाम और निर्माण एजेंसी आदि बोर्ड लगाया जाना चाहिए। यदि विभाग के लोग इस तरह का काम नहीं करते हैं तो यह गंभीर मामला है। इस संबंध में कार्यदायी संस्थाओं के आलाधिकारियों को पत्र निर्देशित किया जाएगा। साथ ही रिपोर्ट भी मांगी जाएगी।
गौरांग राठी डीएम भदोही
क्या है साइनेज
लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग एवं जिला पंचायत से कराएं गए निर्माण कार्यों की लागत,लंबाई आदि का विवरण एवं संबंधित विभाग का नाम लिखा बोर्ड लगाया जाता है। इसे विभागीय भाषा में साइनेज कहा जाता है। बड़ी संकड़ों पर तो ओवरहेड साइनेज लगा दिए गए हैं लेकिन ग्रामीण सड़कों में कहीं पर भी साइनेज नहीं लगाया गया है।
Jun 24 2023, 20:34