गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत बुरूडीह पंचायत के धीवर टोला आज भी है मूलभूत सुविधाओं से वंचित
ना यहां सड़क और ना है कोई अन्य सुविधाएं,कोई अपनी बेटी भी इस गांव में देने से कतराते हैं
सरायकेला : देश की आज़ादी के बाद झारखंड राज्य अलग होने के प्रश्चात् सरायकेला खरसावां जिला के गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत बुरूडीह पंचायत के धीवर टोला के लोग आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहे हैं ।
आज जो भी जन प्रतिनिधि इनके मतदान से जीतते आये हैं। पंचायत से प्रखण्ड और जिला स्तर के पद से जीत कर जाते रहे हैं किसी ने इनके हक और इनके समस्याओं को लेकर कोई आवाज नही उठाया।
जब भी चुनाव नजदीक आता है नेता मंत्री और पंचायत में मुखिया ,पंचायत समिति ,जिला परिषद आदि उम्मीदवारों द्वारा इन लोगो से बड़े बड़े बायदे किये जाते रहे हैं।लेकिन जीत जाने के बाद सभी इनकी समस्या और अपने वायदे भूल जाते हैं।
मुख्यालय से 10 किलो मीटर की दूरी पर यह गांव बसा हुआ है।और सरकारी योजना अंतिम गांव तक नही पहुंच पाता है।
आज भी यहां लोग सरकारी योजना से वंचित रहे। ग्रामीणों द्वारा कोई बार लिखित रूप से सभी पदाधिकारी को अपनी समस्या लिख कर दिया गया विभिन्न समस्याओं को लेकर ,आज तक एक भी योजना का कार्य नही पहुंचा । जो दुःखद है। इस पंचायत में अधिकतर धीवर परिवार के लोग बेस हैं जिनके पास समस्या हैं समस्या है।
सरायकेला जिला के गम्हरिया प्रखंड मुख्यालय से करीब 10 से 15 किमी की दूरी पर स्थित उक्त गांव तक जाने के लिए आज भी लोगों को पगडंडी ही उसका मुख्यमार्ग है। आवागमन के लिए सड़क की व्यवस्था नहीं होने की वजह से बरसात के समय उक्त गांव से लोगों का निकलना मुश्किल हो जाता है ।
सरकार से फरियाद के बाद भी उनकी समस्या को जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा नजर अंदाज किये जाने से ग्रामीणों में आक्रोश देखा गया है । इसको लेकर ग्रामीणों ने गांव में प्रदर्शन कर आक्रोश प्रकट किया ।
गांव की स्थापना आजादी से पूर्व हुई थी
देश के आजादी के पूर्व से सड़क की समस्या यहां जस की तस बनी हुई है । प्रत्येक। चुनाव में नेता मंत्री गांव पहुंचते है ।
सड़क ,बिजली ,शिक्षा, स्वास्थ्य केंद्र बनाने का आश्वासन भी देते है ।चुनाव के परिणाम के बाद बाद दोबारा लौटकर कोई शुद्धि लेने नहीं पहुंचते है।
कांदरबेड़ा एन एच 33 मुख्य राज्य मार्ग से पुडिशिल्ली सड़क को बुरूडीह सुवर्णरेखा नदी घाट को न्यू पुल का निर्माण हो जाने से उक्त गांव के लोगो को प्रतिदिन 30 किलो मीटर सपड़ा होते हुए घूमना नही पड़ेगा । बरसात में नदी में बाड़ आजाने से लोगो लंबी रास्ता तय करके गांव पहुंचते है। 8 महीना लोगो ने बुरूडीह नदी घाट से नाव द्वारा मोटर साइकिल घरेलू सामग्री लेकर नदी पार करते है। इस घाट में दो नाव चलता है। जिसे सेकडो ग्रामीणों चांडिल ,रांची जाने के लिए सुविधा होता है। कभी कभी ग्रामीणों ने मरीज का इलाज कराने के लिए नाव द्वारा चांडिल मुख्यालय स्वास्थ्य केंद्र या फिर एमजीएम हॉस्पिटल ले जाते है।ग्रामीणों का मांगे है।इस घाट पर सरकार।द्वारा पुल का निर्माण करने से कोई परिवारों को आवागमन के लिए सुविधा होगा ।
कई बार देखा गया कि मरीजों को खटिया में ढोकर ले जाना पड़ता है बाहर । गांव के 80 वर्षीय बुजुर्ग मधु धोरा ने कहा कि गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं होने से सबसे बड़ी परेशानी बीमार पड़ने वाले मरीज व छात्रों को होती है । मधु धोरा ने कहा कि गांव तक जाने को सरल साधन नहीं होने की वजह से बीमार पड़ने वाले मरीजों को खटिया में ढोकर गांव से बाहर लाया जाता है । उसके बाद वहां से वाहन के माध्यम से अस्पताल तक ले जाया जाता है ।इस दौरान गांव से निकालने में देर होने की वजह से कई ग्रामीणों की असामयिक मृत्यु भी हो चुकी है.
बेटी ,बहन की शादी के लिए रिश्ता जोड़ने को कतराते है रिश्तेदार।
बुजुर्ग महिला मंजूड़ा धीवर ने कहा कि गांव तक सड़क की व्यवस्था नहीं होने से यहां के युवक-युवतियों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही । सड़क के अभाव में रिश्तेदार उक्त गांव में नया रिश्ता जोड़ने में कतराते है। किसी प्रकार रिश्ता तय होने पर बाराती गाड़ी को डेढ़ किमी दूर बुरूडीह में खड़ा कर दुल्हा व बारात को पैदल गांव आना पड़ता है । इससे ग्रामीणों को शर्मिंदगी महसूस होती है।
फरियाद के बाद भी नहीं पड़ रहा असर
बुरूडीह के पंचायत के वार्ड सदस्य कवि लाल मंडल ने कहा कि ग्रामीणों की समस्या का समाधान को लेकर जनप्रतिनिधियों समेत प्रशासनिक पदाधिकारियों तक फरियाद की गयी. इसके बाद भी समस्या को लेकर वे गंभीर नहीं है । इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है. बरसात का मौसम आते ही उक्त टोला के लोगों का आक्रोश हमें झेलना पड़ता है।कोई बार ग्रामीणों स्वास्थ केंद्र गर्भवती माता को लेजाने के लिए प्रश्चात्प करना पड़ता क्युकी गाड़ी घुसने का कोई सुविधा नहीं सड़क नही होने कारण धीवर परिवार को परेशानी सामना करना पड़ता।इस गांव में कोई स्वास्थ्य केंद्र आंगनबाड़ी नही हे। सरकार की योजना इस गांव में नही पहुंचा क्युकी यह मछुआ समुदाय के परिवार से जुड़े है।इनकी बाते उच्च समुदाय के लोग नही सुनते हे।इसे मजबूरी माने या फिर ईश्वर की मर्जी ।आज भी लोगो ने ईश्वर पर भोरोसे में जीते है।
May 31 2023, 13:56