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मणिपुर के जिरीबाम में दो बच्चों समेत तीन लोगों के शव मिले, इंफाल में तनाव बढ़ा

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मणिपुर में हिंसा की आग और धधक सकती है। दरअसल, मणिपुर-असम बॉर्डर के पास शुक्रवार को एक शिशु समेत दो बच्चों और एक महिला के क्षत-विक्षत शव बरामद किया गया है। कुछ दिन पहले ही जिरीबाम में उग्रवादियों ने एक परिवार के छह सदस्यों का अपहरण किया था। ऐसे में चर्चा है कि ये शव उन्हीं का हो सकता है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि हिंसा की लपटें और तेज हो सकती हैं।

जिरीबाम जिले के अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि जिरीबाम जिले के बोरोबकरा से करीब 16 किलोमीटर दूर एक महिला और दो बच्चों के शव शुक्रवार रात बरामद किए गए। जिरीबाम से सोमवार को छह लोग लापता हो गए थे। हालांकि उन्होंने बताया कि अभी शवों की पहचान नहीं हो पाई है, लेकिन संदेह है कि ये तीन शव उन छह लोगों में से ही हैं जो लापता हुए थे। असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसएमसीएच) में शुक्रवार रात को इन अज्ञात शवों को लाया गया है और पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल में रखा गया।

मुख्यमंत्री ने हालात पर की चर्चा

अधिकारियों ने बताया कि शवों के बरामद होने की खबर मिलने के बाद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने शुक्रवार रात वरिष्ठ मंत्रियों के साथ स्थिति पर चर्चा की। इस बीच तीन शव बरामद होने की खबर इंफाल घाटी में फैलने पर सभी पांच जिलों में तनाव बढ़ गया। राज्य प्राधिकारियों ने शनिवार को विद्यालयों तथा कॉलेजों के लिए अवकाश घोषित कर दिया।

अलग-अलग इलाकों में विरोध प्रदर्शन

इस बीच शनिवार को इंफाल घाटी के अलग-अलग इलाकों में सैकड़ों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर महिलाएं थीं। उन्होंने इंफाल पश्चिम जिले के क्वाकेथेल इलाके और इंफाल पश्चिम जिले के सागोलबंद तेरा में मुख्य सड़कों को टायर जलाए और मार्ग अवरुद्ध कर दिया, जिससे वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई। पुलिस ने बताया कि मणिपुर के मुख्य बाजार ख्वाइरामबंद में महिला विक्रेताओं ने हत्या के खिलाफ विरोध रैली निकाली। बिष्णुपुर जिले के निंगथौखोंग और इंफाल पूर्वी जिले के लामलोंग में स्थानीय लोग भी हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतर आए।

क्या है पूरा मामला?

सोमवार को संदिग्ध कुकी उग्रवादियों द्वारा तीन महिलाओं और तीन बच्चों को बंधक बनाया गया था, जिसके बाद जिरीबाम जिले में तनाव बढ़ गया। बंधक बनाए गए तीन बच्चों में एक नवजात और ढाई साल का बच्चा शामिल था। वहीं, तीन महिलाओं में से दो छोटे बच्चों की मां थीं। सभी महिलाएं मणिपुर के मैतेई समुदाय से हैं। जिरीबाम के बोकोबेरा इलाके से संदिग्ध कुकी आतंकवादियों के एक समूह ने इन महिलाओं और बच्चों का अपहरण किया था, जबकि एक अन्य आतंकवादी समूह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के साथ मुठभेड़ में लगा हुआ था। इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ ने 10 संदिग्ध कुकी उग्रवादियों को मार गिराया था।

मणिपुर में फिर से भड़की हिंसा के बाद केन्द्र सरकार का बड़ा फैसला, इन 6 इलाकों में AFSPA फिर से लागू*
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मणिपुर में एक बार हिंसा भड़क गई है। जिरीबाम में 11 नवंबर को सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में 10 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए थे। जिसके बाद से इलाके में तनाव बढ़ गया है। यहां 7 नवंबर से शुरू हुई हिंसा में 14 लोग मारे गए हैं। स्थिति बेहद तनावपूर्ण होते देख केंद्र सरकार ने मणिपुर के हिंसा प्रभावित जिरीबाम समेत पांच जिलों के छह पुलिस थाना इलाकों को 'अशांत क्षेत्र' घोषित कर दिया। यहां शांति बनाए रखने के लिए तत्काल प्रभाव से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट (अफस्पा) लागू कर दिया है।यह 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगा। गृह मंत्रालय ने गुरुवार को इसका आदेश जारी किया। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 14 नवंबर को जारी अधिसूचना में बताया गया है कि इंफाल वेस्ट, ईस्ट, जिरीबाम, कांगपोकपी और बिश्नुपुर जिलों के सेकमाई, लामसांग, लामलाई, जिरीबाम, लीमाखोंग और मोइरांग पुलिस थाना इलाकों में अफस्पा लगाया गया है। गृह मंत्रालय मामले पर पल-पल का अपडेट ले रहा है। अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि अफस्पा को हटाने के मामले में अगर इस बीच इसे नहीं हटाया गया तो यह इन इलाकों में 31 मार्च 2025 तक लागू रहेगा। *क्यों लागू किया गया अफस्पा ?* सरकार ने बताया कि मणिपुर राज्य में सिक्योरिटी रिव्यू करने के बाद यह पाया गया कि मणिपुर में जारी जातीय हिंसा की वजह से यहां स्थिति अस्थिर बनी हुई है। इन इलाकों में रूक-रूक कर गोलाबारी हो रही है। ऐसे में सामान्य जनजीवन और जिंदगियों को देखते हुए यह जरूरी समझा जाता है कि इन इलाकों में अफस्पा लागू कर दिया जाए। *अब राज्य के 13 इलाकों में अफस्पा लागू नहीं* इससे पहले मणिपुर के 19 थाना इलाकों को छोड़कर 26 सितंबर को एक अधिसूचना जारी करके संपूर्ण मणिपुर राज्य को 1 अक्टूबर, 2024 से छह महीने के लिए अशांत क्षेत्र घोषित किया गया था। केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद अब राज्य के 13 इलाके ही अफस्पा से बाहर हैं। इससे पहले 1 अक्टूबर को मणिपुर सरकार ने इम्फाल, लाम्फल, सिटी, सिंगजमई, सेकमई, लमसांग, पटसोई, वांगोई, पोरोमपाट, हेइंगांग, लाम्लाई, इरिलबंग, लेइमाखोंग, थौबाल, बिश्नुपुर, नंबोल, मोइरंग, काकचिंग, और जिरिबाम को अफस्पा से बाहर रखा था। *क्या है अफस्पा?* 'अफस्पा' अधिनियम 'अशांत क्षेत्रों' को 'शांत' करने के तहत सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्रीय सशस्त्र बलों को असीमित ताकत देता है। इसे जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार लागू कर सकती है। इसके तहत सुरक्षाबलों को अशांत क्षेत्र घोषित एरिया में यह अधिकार मिल जाता है कि वह कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ बिना किसी वारंट और बाधा के कार्रवाई कर सकती है। अफस्पा को सबसे पहले असम क्षेत्र में नगा विद्रोह से निपटने के लिए लागू किया गया था। इसे आप आसानी से इन पॉइंट में भी समझ सकते हैं। • अफस्पा सेना, राज्य और केंद्रीय पुलिस बलों को बिना किसी वारंट घरों की तलाशी लेने और किसी भी संपत्ति को नष्ट करने वालों को गोली मारने की शक्तियां देता है. • अफस्पा को सरकार तब लागू करती है जब आतंकवाद या विद्रोह का मामला होता है और भारत की क्षेत्रीय अखंडता खतरे में होती है। • जिस एरिया में अफस्पा लागू है, वहां सुरक्षा बल किसी भी व्यक्ति को संदेह के आधार पर बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है। यही नहीं, अगर किसी ने संज्ञेय अपराध किया है या वह करने वाला है तो सुरक्षाबल उसे भी बिना वारंट के अरेस्ट कर सकती है। *एक बार फिर भड़की हिंसा* बता दें कि सोमवार को मणिपुर के जिरिबाम जिले में सुरक्षा बलों के साथ एनकाउंटर में 10 संदिग्ध उग्रवादी मार गिराए गए थे। सैनिकों की वर्दी पहनकर आए उग्रवादियों ने एक पुलिस थाने और निकटवर्ती सीआरपीएफ शिविर पर अंधाधुंध फायरिंग की थी। सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में 11 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए थे। इस एनकाउंटर के अगले दिन यानी 12 नवंबर को सशस्त्र आतंकवादियों ने जिले से महिलाओं और बच्चों सहित छह नागरिकों को अगवा कर लिया। इस घटना के बाद से इलाके में तनाव और बढ़ गया है। 7 नवंबर से शुरू हुई हिंसा में कम से कम 14 लोग मारे गए हैं, जिनमें तीन पुरुष और महिलाएं शामिल हैं।
मणिपुरः सीमा पर से घुसपैठ और हिंसा, क्यों बार-बार भड़क उठती है “आग”, लंबा है संघर्ष का इतिहास
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* पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर को जातीय हिंसा की आग में जलते हुए डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। समाधान अभी तक कुछ निकला नहीं है। शांति बहाली की कोशिशें हो रही है, लेकिन बात नहीं बन पा रही। कुछ दिनों की शांति के बाद राज्य फिर जल उठता है। सीमा पार से कथित घुसपैठ, हथियारों के इस्तेमाल, ड्रग्स की भूमिका, हिंसा के तमाम कारण बताए जा रहे हैं, लेकिन अब तक समाधान नहीं निकाले जा सकें हैं। मणिपुर में भाजपा शासन कर रही है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की मानें तो आने वाले 4 से 6 महीने में हिंसा पर पूरी तरफ से काबू पाया जा सकेगा। हालांकि, इस बीच एक रिपोर्ट के खुलासे से हडकंप मचा हुआ है। खुफिया जानकारी के अनुसार, 900 से अधिक कुकी उग्रवादी जो ड्रोन-आधारित बम, प्रोजेक्टाइल, मिसाइल और जंगल में युद्ध लड़ने में ट्रेंड हैं उन्होंने म्यांमार के रास्ते मणिपुर में एंट्री कर ली है। रिपोर्ट के अनुसार, ये उग्रवादी 30 सदस्यों के समूहों में बंटे हुए हैं और राज्य के चारों ओर फैले हुए हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का दावा कितना सही होगा, ये तो भविष्य ही बताएगा। अब भविष्य देखने से राज्य में हिंसा के इतिहास पर एन नजर डालते हैं। मणिपुर एक ऐसा राज्य रहा है जहां हिंसा का एक लंबा इतिहास रहा है।भारत में विलय के पहले से ये इलाक़ा हिंसक वारदातों का गवाह रहा है और द्वितीय विश्व युद्ध में तो यहाँ जापानी फौजों ने लगातार दो सालों तक बमबारी भी की।60 के दशक में मैतेई समुदाय ने यहां एक बड़ा विद्रोह किया था और दावा किया था कि 1949 में मणिपुर को भारत में धोखे से शामिल किया गया था। इतिहासकारों ने लिखा है कि मणिपुर साम्राज्य की स्थापना ‘निंगथोउजा’ कुनबे के दस क़बीलों के एक साथ आने के बाद हुई। इतिहासकार बताते हैं कि ये इलाक़ा बर्मा और चीन के साथ व्यापार का मुख्य केंद्र हुआ करता था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान की सेना और ‘मित्र देशों’ की सेना के बीच चल रहे युद्ध का एक बड़ा केंद्र भी रहा। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व वाली ‘आज़ाद हिन्द फ़ौज’ का साथ जापान की सेना ने दिया था क्योंकि बोस जापान की सेना की मदद से ब्रितानी हुकूमत को शिकस्त देना चाहते थे। लेकिन इस मोर्चे पर जापान की सेना और ‘आज़ाद हिन्द फ़ौज’ को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। मणिपुर दो सालों तक बमबारी झेलता रहा जिसने पूरे प्रांत में भारी तबाही मचाई थी. इस दौरान इंफ़ाल स्थित राजा का महल भी क्षतिग्रस्त हो गया था। इस तबाही के बाद मणिपुर के लोग ब्रितानी हुकूमत के ख़िलाफ़ गोलबंद होने लगे। आखिरकार ब्रितानी हुकूमत ने 1947 में प्रान्त की बागडोर महाराजा बुधाचंद्र को सौंप दी। *केंद्र शासित घोषित होने के बाद शुरू हुआ संघर्ष* मणिपुर के महाराजा ने शिलॉन्ग में, 21 सितम्बर 1949 को, भारत के साथ विलय के दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किये और उसी साल 15 अक्टूबर को मणिपुर भारत का अभिन्न अंग बन गया। इसकी औपचारिक घोषणा भारतीय सेना के मेजर जनरल अमर रावल ने की थी। महाराजा बुधाचंद्र की मृत्यु वर्ष 1955 में हो गयी। मणिपुर स्वतंत्र भारत का हिस्सा बन गया था और एक निर्वाचित विधायिका के माध्यम से सरकार का गठन भी हो गया। फिर 1956 से लेकर 1972 तक मणिपुर केंद्र शासित राज्य बना रहा। जानकार मानते हैं कि 1956 में केंद्र शासित राज्य घोषित किये जाने के बाद से ही मणिपुर में संघर्ष शुरू हो गया और बाद में ये संघर्ष हिंसक होने लगा। *अलग राज्य की मांग को लेकर शुरू हुआ उग्र आन्दोलन* इस बीच अलग राज्य की मांग को लेकर राजनीतिक और छात्र संगठनों का उग्र आन्दोलन भी चलता रहा। इस दौरान ‘यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट’ नाम का संगठन खड़ा किया जो आज़ादी की मांग करने लगा और समाजवादी विचारधारा की वकालत करने लगा। 1971 की जंग के बाद मणिपुर के तत्कालीन मुख्यमंत्री आर के दोरेंद्रो सिंह ने कई अलगाववादी नेताओं से आत्मसमर्पण करवा लिया, जबकि कुछ बाग़ी मैतेई अलगाववादी नेताओं को गिरफ़्तार भी किया गया। इनमें अलगाववादी नेता एन बिशेश्वर सिंह भी शामिल थे जिन्हें त्रिपुरा की जेल में बंद किया गया था जहां उनकी मुलाक़ात पहले से बंद माओवादी नेताओं से हुई। जून 1975 में जेल से छूटने के बाद 16 अन्य मेतेई अलगावादी नेताओं के साथ बिशेश्वर सिंह ने तिब्बत के ल्हासा में शरण ले ली। हथियार चलाने और छापामार युद्ध का प्रशिक्षण लेने के बाद वो अपने सहयोगियों के साथ मणिपुर लौटे। मणिपुर आने के बाद बिशेश्वर ने ‘जनमुक्ति छापामार सेना’ का गठन कर लिया और ‘अलगाववादी संघर्ष ने फिर ज़ोर पकड़ लिया। *सत्तर-अस्सी के दशक में चरम पर थी हिंसा* सत्तर के दशक के अंत में और अस्सी के दशक की शुरुआत में कई और अलगाववादी संगठन पनप उठे जिनमें ‘पीपल्स रेवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ़ कांगलेइपाक’, ‘कांगलेइपाक कम्युनिस्ट पार्टी’ (केसीपी), ‘पोइरेई लिबरेशन फ्रंट’, ‘मेतेई स्टेट कमिटी’ और ‘यूनाइटेड पीपल्स रेवोल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी’ शामिल थे। इसी दौरान नागा चरमपंथियों ने भी सक्रिय होना शुरू कर दिया। मणिपुर ने नगा बहुल चंदेल, उखरुल, तामेंगलांग और सेनापति ज़िलों में आइज़ैक मुईवाह के नेतृत्व वाले संगठन ‘नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ़ नागालैंड’ ने एक के बाद एक हिंसक वारदातों को अंजाम देना शुरू किया। 1993 में मई और सितम्बर महीनों के बीच ‘नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ़ नागालैंड’ के हथियारबंद चरमपंथियों के हमलों में सुरक्षा बलों के 120 के आसपास जवान और अधिकारी मारे गए थे। *अलगावादी गतिविधियों और हिंसा के लिए बना विशेष कानून* आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल पॉवर्स एक्ट यानी सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम, 1958 का ही क़ानून है जो पूर्वोत्तर राज्यों में अलगावादी गतिविधियों और हिंसा को रोकने के लिए बनाया गया था। ये क़ानून तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिष्णु राम मेढ़ी की पहल पर 1958 में ही लाया गया था। शुरू में तो ये क़ानून मणिपुर के नगा बहुल उखरुल ज़िले में ही प्रभावी था, मगर 18 सितंबर 1981 को इसे पूरे मणिपुर में लागू कर दिया गया। हालंकि मार्च 2023 में इसे मणिपुर, असम और नागालैंड के कई इलाकों से हटा लिया गया था। *हालिया हिंसा का कारण* मणिपुर में हाल में भड़की हिंसा का प्रमुख कारण मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग रहा है। मैतेई समुदाय की यह मांग नई नहीं है, बल्कि 10 साल से अधिक समय से वह ये मांग कर रहे हैं। इस बार हिंसा तब भड़की जब मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए चार हफ्ते के अंदर सिफारिश केंद्रीय आदिवासी मंत्रालय को भेजे। इस संबंध में याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि मैतेई समुदाय को 1949 में मणिपुर के भारत में शामिल होने से पहले अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल था। उनका कहना है कि अपनी रिति-रिवाज, संस्कृति, जमीन और बोली को बचाए रखने के लिए उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा वापस मिलना चाहिए। मणिपुल हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राज्यभर में प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया। राज्य के सभी 10 जिलों में छात्र संगठनों के आह्वान पर हजारों लोग ‘ट्राइबल सॉलिडेरिटी मार्च’ के नाम पर सड़कों पर उतर आए। इन प्रदर्शनों के जरिए मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने का विरोध किया गया।
मणिपुर में म्यांमार से रची जा रही साजिश? 900 कुकी उग्रवादियों ने की घुसपैठ, ड्रोन चलाने में हैं माहिर*
#kuki_militants_infiltration_into_manipur_from_myanmar
मणिपुर में एक साल से ज्यादा समय से हिंसा जारी है। हालांकि, हाल के दिनों में आई खबरों से साफ हो गया है कि राज्य में हिसां ने एक अलग ही रूप ले लिया है। हाल ही में राज्य में ड्रोन और हाई-टेक मिसाइल हमले हुए है। जिसके बाद कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय संघर्ष में साजिश की बू आने लगी है। इस बीच एक रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है।मणिपुर में म्यांमार से 900 कुकी उग्रवादियों की घुसपैठ की बात सामने आई है। ये आतंकी राज्य में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की साजिश रच रहे हैं।खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। घुसपैठी ड्रोन, प्रोजेक्टाइल, मिसाइल और गोरिल्ला युद्ध में ट्रेंड राज्य के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने शुक्रवार, 20 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले तीन-चार दिनों से उग्रवादियों की आवाजाही की खबरें मिल रही हैं। सुरक्षा सलाहकार के मुताबिक, खुफिया एजेंसियों ने बताया है कि घुसपैठी उग्रवादी ड्रोन बम, प्रोजेक्टाइल, मिसाइल और गोरिल्ला युद्ध में ट्रेंड हैं। ये 30-30 लोगों के ग्रुप में हैं और अलग-अलग क्षेत्रों में छिपे हुए हैं। 28 सितंबर के आसपास मैतेई गांवों पर हमले की आशंका कुलदीप सिंह ने कहा, उग्रवादी 28 सितंबर के आसपास मैतेई गांवों पर हमले कर सकते हैं। हमले की आशंका के बीच चुराचांदपुर, तेंगनौपाल, उखरुल, कामजोंग और फेरजॉल समेत कई जिलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। सितंबर में बढ़ी हिंसक घटनाएं बता दें कि 1 सितंबर के बाद से मणिपुर में एक बार फिर हिंसक घटनाओं में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। -पहला ड्रोन हमलाःएक सितंबर को राज्य में पहली बार ड्रोन हमला देखने को मिला। इंफाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी इलाके से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले इलाकों में फायरिंग की और ड्रोन से हमला किया। इसमें 2 लोगों की मौत और 9 घायल हुए। -दूसरा ड्रोन अटैकः 3 सितंबर को इंफाल जिले के सेजम चिरांग गांव में उग्रवादियों ने ड्रोन अटैक किए। इसमें एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए। उग्रवादियों ने रिहायशी इलाके में ड्रोन से 3 विस्फोटक गिराए, जो छत को तोड़ते हुए घरों के अंदर फटे। उग्रवादियों ने पहाड़ी की चोटी से गोलीबारी भी की। -तीसरा रॉकेट अटैकः 6 सितंबर को पूर्व सीएम के घर रॉकेट से हमला किया गया। बिष्णुपुर जिला स्थित मोइरांग में पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के घर पर हमला हुआ था। कुकी उग्रवादियों ने रॉकेट बम फेंका। इस हमले में 1 एक बुजुर्ग की मौत हो गई, जबकि 5 लोग घायल हो गए। मैरेम्बम कोइरेंग राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे। -चौथा हमला-7 सितंबर को जिरिबाम में दो हमले हुए। पहली घटना जिला हेडक्वार्टर से करीब 7 किमी दूर हुई। यहां संदिग्ध पहाड़ी उग्रवादियों ने एक घर में घुसकर बुजुर्ग को सोते समय गोली मार दी। वे घर में अकेले रहते थे। दूसरी घटना में कुकी और मैतेई लोगों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 4 लोगों की मौत हुई। मणिपुर में 3 मई, 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हिंसा में अब तक 237 लोगों की मौत हो चुकी है। 1500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 60 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।
मणिपुर हिंसा में 4 उग्रवादी और 1 नागरिक की मौत, बिगड़ रहा है माहौल

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REUTERS : people mourning death due to violence

जिला प्रशासन के अनुसार, शनिवार सुबह मणिपुर के जिरीबाम जिले में हिंसा की ताजा लहर में चार उग्रवादी और एक नागरिक की मौत हो गई। पुलिस ने जिला प्रशासन को सूचित किया है कि नागरिक की उसके घर के अंदर हत्या कर दी गई और इसके बाद गोलीबारी हुई, जिसमें चार उग्रवादी मारे गए।

मणिपुर में तैनात एक सुरक्षा बल के अधिकारी ने कहा, "सुबह उग्रवादियों द्वारा एक गांव में घुसकर एक व्यक्ति की हत्या करने के बाद गोलीबारी शुरू हुई। यह हत्या जातीय संघर्ष का हिस्सा थी। गोलीबारी जारी है। हमें रिपोर्ट मिली है कि मरने वाले लोग कुकी और मैतेई दोनों समुदायों से हैं। जबकि पिछले डेढ़ साल से मणिपुर में जातीय संघर्ष चल रहा है, हिंसा की एक और लहर के बाद पिछले 5 दिनों में स्थिति बेहद तनावपूर्ण है।

शुक्रवार की रात, बिष्णुपुर में बुजुर्ग व्यक्ति की हत्या के कुछ घंटों बाद, इंफाल में भीड़ ने 2 मणिपुर राइफल्स और 7 मणिपुर राइफल्स के मुख्यालयों से हथियार लूटने का प्रयास किया। सुरक्षा बलों ने उनके प्रयासों को विफल कर दिया।

मणिपुर में रॉकेट हमला

अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार का हमला राज्य में रॉकेट के इस्तेमाल का पहला ज्ञात मामला है, जब 17 महीने पहले संघर्ष छिड़ा था। ड्रोन को पहली बार हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने के छह दिन बाद ही यह हमला हुआ। मणिपुर पुलिस ने देर रात जारी बयान में कहा कि कुकी उग्रवादियों ने "लंबी दूरी के रॉकेट" का इस्तेमाल किया। बढ़ती हिंसा के कारण मणिपुर प्रशासन ने राज्य भर के सभी शैक्षणिक संस्थानों को शनिवार को बंद रखने का आदेश दिया।

पिछले साल 3 मई से कुकी और मैतेई के बीच जातीय संघर्ष से घिरे राज्य में संघर्ष रविवार से और बढ़ गया है। उग्रवादियों ने ड्रोन और रॉकेट जैसी नई तकनीकों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है और हिंसा की एक नई परत जोड़ दी है, जबकि राइफल और ग्रेनेड का इस्तेमाल बेरोकटोक जारी है।

वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को दागे गए रॉकेट कम से कम चार फीट लंबे थे। "ऐसा लगता है कि विस्फोटक गैल्वनाइज्ड आयरन (जीआई) पाइप में भरे गए थे। अधिकारी ने बताया कि विस्फोटकों से भरे जीआई पाइप को फिर एक देशी रॉकेट लांचर में फिट किया गया और एक साथ फायर किया गया।

दूसरे अधिकारी ने बताया, "प्रोजेक्टाइल को लंबी दूरी तक ले जाने के लिए, आतंकवादियों को विस्फोटकों की मात्रा बदलनी पड़ती है। ऐसा लगता है कि वे शांति के महीनों के दौरान इसका अभ्यास कर रहे हैं।"  

मणिपुर की स्तिथि में कोई सुधार की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। देश में ऐसी परिस्थितिओं से लड़ने के लिए सरकार से गुहार लगाई जा रही है की वे कुछ कड़े कदम उठाए जिससे स्तिथि पर नियंत्रण किया जा सके। 

मणिपुर में अब रॉकेट से हमला, आसमान में फिर दिखे ड्रोन, दहशत में लाइट बंद कर घरों में छिपे लोग

#rocket_attack_in_manipur_people_hide_in_their_homes_after_seeing_drones

मणिपुर में पिछले कुछ दिन में हुए ‘हाई-टेक’ हमलों के बाद इंफाल घाटी क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है। अब उग्रवादियों ने रॉकेट और ड्रोन्स से हमले शुरू कर दिए हैं। बिष्णुपुर जिले में शुक्रवार को संदिग्ध उग्रवादियों ने दो रॉकेट दागे, जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हो गए। वहीं, बिष्णुपुर और इंफाल ईस्ट जिलों में शुक्रवार रात को कई ड्रोन उड़ते देखे गए। इससे लोगों में इतनी दहशत फैल गई कि लोगों ने अपने-अपने घरों की लाइटें बंद कर दीं। इससे पहले इस सप्ताह की शुरुआत में इंफाल पश्चिम जिले में दो स्थानों पर ड्रोन का इस्तेमाल कर लोगों पर बम गिराए गए थे।

मणिपुर में उग्रवादियों ने शुक्रवार को राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के बिष्णुपुर जिले स्थित आवास समेत दो स्थानों पर रॉकेट दागे। इस हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हो गए। हमले को लेकर मणिपुर पुलिस ने एक बयान जारी किया है। आज कुकी उग्रवादियों ने बिष्णुपुर जिले के दो स्थानों पर नागरिक आबादी के बीच लंबी दूरी के रॉकेट दागे।

पुलिस के मुताबिक हमले में मोइरांग फिवांगबाम लेइकाई के एक वरिष्ठ नागरिक आरके रबेई (78) की मृत्यु हो गई और बिष्णुपुर जिले के मोइरांग खोइरू लेइकाई में छह अन्य नागरिक घायल हो गए। पुलिस दल और अतिरिक्त सुरक्षा बलों को इलाके से सटे पहाड़ी इलाकों में तलाशी अभियान चलाने के लिए भेजा गया है। मुआलसांग गांव में दो बंकर और चूड़ाचांदपुर के लाइका मुआलसौ गांव में एक बंकर (कुल तीन बंकर) नष्ट कर दिए गए।

पुलिस ने अपने बयान में आगे बताया कि इसके अलावा, एसपी सहित बिष्णुपुर जिले की पुलिस टीमें उस इलाके में पहुंचीं, जहां संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने उन पर गोलीबारी की। लेकिन पुलिस दल ने मजबूती से जवाबी कार्रवाई की और हमले को विफल कर दिया। हवाई गश्त करने के लिए सैन्य हेलिकॉप्टर तैनात किए गए हैं।

वहीं बिष्णुपुर और इंफाल पूर्वी जिले के इलाकों में कई ड्रोन देखे जाने के बाद लोगों ने शुक्रवार रात अपने घरों की लाइटें बंद कर दीं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इस सप्ताह की शुरुआत में इंफाल पश्चिम जिले में दो स्थानों पर लोगों पर बम गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार रात बिष्णुपुर जिले के नारायणसेना, नाम्बोल कामोंग और इंफाल पूर्वी जिले के पुखाओ, दोलाईथाबी, शांतिपुर में कई ड्रोन देखे गए, जिससे लोगों में दहशत फैल गई। घबराए ग्रामीणों ने घरों की लाइटें बंद कर दीं। एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बल बड़े समूहों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए आसपास के क्षेत्रों में ‘हाई अलर्ट’ पर हैं।

मणिपुर में टेंशन बढ़ाने वाली घटना, पहली बार ड्रोन से अटैक, कुकी उग्रवादियों के पास कहां से आ रहे आधुनिक हथियार?

#manipur_imphal_drone_attacks 

देश का उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर पिछले एक साल से सुलग रहा है। कुकी और मैतेई समुदाय के बीच शुरू हुई हिंसा को एक साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है, लेकिन अभी तक हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। अभी दो दिन पहले ही राज्य की मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने भरोसा जाताया ता कि आने वाले 6 महीने के भीरत हालात पूरी तरह से सामान्य हो जाएंगे। हालांकि इसे बीच से खबर आ रही जो चिंता बढ़ाने वाली है। मणिपुर में जातीय हिंसा के बीच ड्रोन और आरपीजी के इस्तेमाल किया गया है। बीते 1 सितंबर को राज्य में शुरू हुई हिंसा फिर से बढ़ती दिख रही है और सोमवार 2 सितंबर को लगातार दूसरे दिन भी इंफाल में ड्रोन से हमला हुआ है। जातीय हिंसा के बीच ड्रोन बम के प्रयोग ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने मंगलवार को कुकी आतंकियों द्वारा ड्रोन के जरिए आम लोगों और सुरक्षा कर्मियों पर बम गिराने की घटना की निंदा की है। उन्होंने इसे आतंकी घटना बताते हुए कहा है कि इस कायराना हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘आम लोगों और सुरक्षा कर्मियों के ऊपर ड्रोन से बम गिराने की घटना आतंकी घटना है। मैं इस कायरतापूर्ण घटना की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। मणिपुर की सरकार इस अकारण हमले को गंभीरता से लेती है और सरकार स्थानीय लोगों पर इस अकारण हमले के लिए कड़ी कार्रवाई करने को प्रतिबद्ध है।‘

अब तक पुलिस से छीने गए हथियारों का होता था इस्तेमाल

मुख्यमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि हम हर तरह की हिंसा की निंदा करते हैं और मणिपुर के लोग नफरत, विभाजन और अलगाववाद के खिलाफ एकजुट हैं।मणिपुर के कोत्रुक गांव में जिस तरह से कुकी उग्रवादियों ने ड्रोन से आरपीजी यानी रॉकेट प्रोपैल्ड गन अटैक किया, वह वाकई चौंकाने वाला है। अभी तक कुकी उग्रवादी मणिपुर पुलिस से छीने गए हथियारों का इस्तेमाल हमलों के लिए कर रहे थे, जिनमें इंसास राइफलें, कार्बाइन, हैंड ग्रेनेड, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चर जैसे हथियार शामिल थे, लेकिन अब ड्रोन अटैक यह वाकई चिंताजनक है। 

जंग में इस्तेमाल होने वाले हथियार कहां से मिल रहे?

पुलिस से छीने गए हथियारों के बल पर हमले करनमे वाले राज्य में कुकी उग्रवादियों ने अब अपनी रणनीति बदल दी है। मणिपुर में जो हुआ उसकी वाकई किसी ने कल्पना नहीं की थी। कुकी उग्रवादियों ने एक सितंबर को मणिपुर के इंफाल वेस्ट जिले में कोत्रुक गांव पर आश्चर्यजनक तरीके से ड्रोन के जरिए आरपीजी यानी रॉकेट प्रोपैल्ड गन अटैक किया। आमतौर पर ये हथियार जंग में इस्तेमाल होते हैं। मैतई बहुल इस गांव में पहले उग्रवादियों ने हैवी फायरिंग के बाद ड्रोन से बम गिराए। हमले में एक महिला समेत दो लोगों की मौत हो गई और कई जख्मी हो गए।

पुलिस के लिए हैरानी वाली वारदात

इस तरह के आरपीजी ड्रोन अटैक से मणिपुर पुलिस भी हैरान है। मणिपुर पुलिस ने अपने बयान में कहा है, ड्रोन बमों का इस्तेमाल आम तौर पर सामान्य युद्धों में किया जाता रहा है। सुरक्षा बलों और आम नागरिकों के खिलाफ विस्फोटक हमले करने के लिए आरपीजी अटैक के लिए हाई-टेक ड्रोन का इस्तेमाल वाकई चौंकाने वाला है। इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि इसके लिए उच्च प्रशिक्षित पेशेवरों, तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ली गई होगी। 

खुफिया सूत्रों का कहना है कि चीन इन ड्रोनों को म्यांमार के रास्ते भारत भेज रहा है और ये ड्रोन मणिपुर की इंटरनल सिक्योरिटी के लिए बड़ा खतरा हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों ने भी इन एडवांस ड्रोन हमलों पर चिंता जताई है। 

हाई लेवल कमेटी का गठन

इस बीच, मणिपुर पुलिस ने उग्रवादियों के ड्रोन के इस्तेमाल की जांच के लिए 5 सदस्यों की एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया है। पुलिस विभाग की ओर से सोमवार को जारी की गई एक अधिसूचना में कहा गया है कि 1 सितंबर को कोत्रुक में एक बड़े हमले में कुकी उग्रवादियों ने हाई-टेक ड्रोन का इस्तेमाल करके कई आरपीजी तैनात किए थे, जिसमें एक महिला की मौत हो गई थी और तीन पुलिस कर्मियों समेत कई और लोग भी घायल हो गए थे। इस कमेटी की अध्यक्षता जीडीपी आशुतोष कुमार सिन्हा करेंगे और इसमें भारतीय सेना, असम राइफल्स, सीआरपीएफ और बीएसएफ अधिकारी भी शामिल होंगे।

मणिपुर हिंसा पर सीएम बीरेन सिंह का बड़ा बड़ान, बोले-6 महीने के भीतर होगी शांति, क्यों दूं इस्तीफा?

#manipur_cm_n_biren_singh_says_no_question_of_resign 

मणिपुर जातीय हिंसा की आग में जल रहा है। हालांकि, धीरे-धीरे राज्य हिंसा से उबर रहा है। इस बीच मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बड़ा बयान दिया है।मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पद छोड़ने से इनकार करते हुए दावा किया कि राज्य की ‘रक्षा’ के उनके प्रयासों में लोग उनके साथ हैं, इसलिए उनके इस्तीफा देने का कोई सवाल ही नहीं है। साथ ही उन्होंने ये बी दावा किया है कि आने वाले 6 महीने के भीरत राज्य में पूरी तरह से शांति बहाल हो जाएगी। 

बीरेन सिंह ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई वीडियो’ के साथ साक्षात्कार में सवाल किया, “मैं इस्तीफा क्यों दूं? क्या मैंने कुछ चुराया है? क्या मेरे खिलाफ किसी घोटाले का आरोप है? क्या मैंने राष्ट्र या राज्य के खिलाफ काम किया है?”

इंटरव्यू में एन बीरेन सिंह ने खुलासा किया कि उन्होंने कुकी-जो और मैतेई नेताओं से बातचीत करने के लिए एक दूत नियुक्त किया है। एन बीरेन सिंह ने कहा कि बातचीत से विवाद का हल हो सकता है। बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। वहीं बातचीत के लिए सीएम एन बीरेन सिंह ने जिस दूत की नियुक्ति की है, वो नगा विधायक और हिल एरिया कमेटी के अध्यक्ष डिंगंगलुंग गंगमेई हैं।

यह पूछे जाने पर कि शांति बहाल करने के वास्ते उन्होंने स्वयं के लिए क्या समय-सीमा तय की है? इस पर सीएम ने संकेत दिया कि शांति लाने में बातचीत के साथ-साथ केंद्र सरकार की भागीदारी अहम होगी, चाहे वह गृह मंत्रालय के माध्यम से हो या अन्य एजेंसी के माध्यम से। सीएम ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह (हिंसा) लंबे समय तक जारी रहेगी। शांति पांच-छह महीने में बहाल हो जानी चाहिए। यह हमारी उम्मीद है और मुझे पूरा भरोसा भी है।

नशाखोरी पर कार्रवाई को बताई हिंसा की वजह

सीएम ने इस पूरी हिंसा के बारे में बात करते हुए कहा कि इस संघर्ष की शुरुआत 2017-2022 में मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले कार्यकाल से जुड़ी है, जब उन्होंने पड़ोसी म्यांमार से आने वाले प्रवासियों एवं नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार पर नकेल कसी थी। म्यांमार की सीमा इंफाल से केवल 100 किलोमीटर दूर है। उन्होंने कहा कि उनकी इस कार्रवाई से प्रभावित हुए लोगों ने कुकी-मेइती संघर्षों को भड़काकर उनकी सरकार और राज्य को अस्थिर करने की साजिश रची।

प्रधानमंत्री के मणिपुर न आने पर दी सफाई

पीएम मोदी के मणिपुर ना जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री के आने या नहीं आने को लोगों ने मुद्दा बना लिया है। प्रधानमंत्री भले ही न आए हों, लेकिन उन्होंने अपने गृह मंत्री को भेजा है और प्रधानमंत्री ने मणिपुर के बारे में कई बार बात की है, स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से भी (उन्होंने मणिपुर पर बात की) और यहां सुरक्षा, वित्तीय मदद आदि के मामले में जो कुछ भी किया जा रहा है, वह उनके नेतृत्व में ही हो रहा है। जटिल परिस्थिति में प्रधानमंत्री का आना जरूरी नहीं था।

मई 2023 से जारी है हिंसा

बता दें कि मई 2023 से मणिपुर में जातीय हिंसा चल रही है। कुकी-जो और मैतेई जातीय समूहों के बीच संघर्ष में अब तक 226 लोग मारे जा चुके हैं। कुकी मुख्य रूप से पहाड़ी इलाकों में रहने वाली ईसाई जनजातियां हैं, जबकि मेइती मैदानी इलाकों और घाटियों में रहने वाले हिंदू हैं। मणिपुर में मैतई बहुल इंफाल में हालात सामान्य हैं और सड़कों पर अच्छी खासी चहल-पहल है। वहीं पहाड़ी इलाकों में, जो कुकी बहुल हैं, वहां तनाव बरकरार है और कुकी लोगों को छोड़कर वहां अन्य सभी को वर्जित कर दिया गया है।

IMD's orange flash flood warnings for Himachal Pradesh other states

The India Meteorological Department (IMD) has issued an ‘orange’ alert for Himachal Pradesh and other states as heavy rain continued northern India through the first two weeks of August. Earlier this week, the IMD predicted that heavy to extremely heavy rainfall would continue in parts of Himachal Pradesh till August 12

The weather agency issued the orange alert owing to heavy downpour in Himachal Pradesh, Uttarakhand, East Uttar Pradesh, East Madhya Pradesh, Meghalaya, Manipur, Mizoram, Nagaland and Tripura.

In its forecast, the IMD said heavy isolated rainfall will continue to lash Himachal Pradesh, Uttarakhand, and parts of Rajasthan till August 12, while moderate rainfall is expected to lash Jammu and Kashmir, Haryana, Punjab and Chandigarh on August 10The weather agency said heavy to extremely heavy rain will continue in Himachal Pradesh till Saturday, along with lightening and thunderstorms. An orange alert will remain in place in the state till August 12, and a yellow warning has been issued till August 15

The IMD also alerted of a low to moderate risk of flash floods in isolated areas of Mandi, Bilaspur, Solan, Sirmaur, Shimla, and Kullu districts through Saturday, news agency PTI reported.

The agency further sounded a warning of potential landslides in some regions, along with possible damage to plantations, crops, vulnerable structures, and kutcha houses due to waterlogging and strong winds in low lying areas in the state.

Earlier, on August 7, the IMD reported significant rainfall across the state, with Joginder Nagar in Mandi district experiencing the highest at 110 MM in 24 hours. The incessant downpour has affected daily life, making it challenging for residents and visitors alike. The cloudburst and flash floods that occurred on August 1 have affected the districts of Kullu, Mandi and Shimla.

Meanwhile, a yellow alert has been issued in Delhi for the next two days, with a forecast of moderate to heavy rainfall in the national capital till August 11. The weather office forecasted cloudy skies and moderate rains in Delhi NCR for Saturday, reported PTI

Heavy rainfall lashed parts of Delhi and NCR on Friday, leading to heavy waterlogging and traffic congestion in the evening. The Met office issued an 'orange' warning to "be prepared" after earlier putting the city in the 'green' zone for no warning or alert.

असम में बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात के बाद मणिपुर पहुंचे राहुल गांधी, रिलीफ कैंप में पहुंचा बांटा लोगों का दर्द
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कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सोमवार को असम और मणिपुर के दौरे पर हैं। राहुल गांधी ने पहले असम के कछार जिले में बाढ़ प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उसके बाद हिंसा प्रभावित मणिपुर पहुंचे। लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद कांग्रेस नेता का यह दोनों पूर्वोत्तर राज्यों का पहला है।

बता दें कि असम इन दिनों बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रविवार को जारी रिपोर्ट के राज्य में 28 जिलों के 27.74 लाख से अधिक लोग अभी भी बाढ़ से प्रभावित हैं। अब तक बाढ़, भूस्खलन और तूफान के कारण राज्य में कुल 78 मौतें हो चुकी हैं।राज्य में मौजूद काजीरंगा नेशनल पार्क का बड़ा हिस्सा बाढ़ में डूब गया है। इस बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज असम के सिलचर पहुंचे। यहां उन्होंने बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की। यूथ केयर सेंटर थलाई में राहत शिविरों का दौरा किया। असम दौरे पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेन बोरा ने राहुल गांधी को एक ज्ञापन सौंपा और उनसे संसद में असम में आने वाली बारहमासी बाढ़ का मुद्दा उठाने का आग्रह किया।

राहुल ने असम में कछार जिले के फुलेर्तल में एक बाढ़ राहत शिविर का दौरा करने के बाद ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, 'मैं असम के लोगों के साथ हूं, मैं संसद में उनका सिपाही हूं और मैं केंद्र सरकार से राज्य को तुरंत हरसंभव मदद मुहैया कराने का अनुरोध करता हूं।' उन्होंने कहा कि असम को 'अल्पावधि में व्यापक और दयालु दृष्टि वाली राहत, पुनर्वास और मुआवजे की आवश्यकता है तथा दीर्घावधि में बाढ़ पर नियंत्रण पाने के लिए पूरे पूर्वोत्तर का एक जल प्रबंधन प्राधिकरण चाहिए।'

असम बाढ़ प्रभावितों से मिलने के बाद राहुल गांधी मणिपुर पहुंचे। यहां उन्होंने जिरीबाम हायर सेकेंडरी स्कूल में सेटअप राहत शिविर का दौरा किया। इसके बाद वह इंफाल पहुंचे। राहुल गांधी का ये मणिपुर का तीसरा और पूर्वोत्तर में नेता प्रतिपक्ष के रूप में पहला दौरा है। मणिपुर पहुंचने से पहले सुबह साढ़े तीन बजे जिरीबाम में जबरदस्त गोलीबारी हुई है। यह गोलीबारी करीब 3.30 घंटे तक चलती रही। जिरीबाम के गुलारथल इलाके में कुछ अज्ञात हमलावरों ने 3.30 बजे फायरिंग करनी शुरू की वो करीब 7 बजे तक चली। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने भी फायरिंग की। इस घटना के बाद आसपास के इलाकों में भारी संख्या सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया।

मणिपुर करीब एक साल से छिटपुट हिंसा की चपेट में है। छह जून को हिंसा की हालिया घटना हुई थी। मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मार्च 2023 में मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जाति (ST) में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को सिफारिशें भेजने के लिए कहा था। इसके बाद कुकी समुदाय ने राज्य के पहाड़ी जिलों में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था जो अभी भी जारी है।
मणिपुर के जिरीबाम में दो बच्चों समेत तीन लोगों के शव मिले, इंफाल में तनाव बढ़ा

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मणिपुर में हिंसा की आग और धधक सकती है। दरअसल, मणिपुर-असम बॉर्डर के पास शुक्रवार को एक शिशु समेत दो बच्चों और एक महिला के क्षत-विक्षत शव बरामद किया गया है। कुछ दिन पहले ही जिरीबाम में उग्रवादियों ने एक परिवार के छह सदस्यों का अपहरण किया था। ऐसे में चर्चा है कि ये शव उन्हीं का हो सकता है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि हिंसा की लपटें और तेज हो सकती हैं।

जिरीबाम जिले के अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि जिरीबाम जिले के बोरोबकरा से करीब 16 किलोमीटर दूर एक महिला और दो बच्चों के शव शुक्रवार रात बरामद किए गए। जिरीबाम से सोमवार को छह लोग लापता हो गए थे। हालांकि उन्होंने बताया कि अभी शवों की पहचान नहीं हो पाई है, लेकिन संदेह है कि ये तीन शव उन छह लोगों में से ही हैं जो लापता हुए थे। असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसएमसीएच) में शुक्रवार रात को इन अज्ञात शवों को लाया गया है और पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल में रखा गया।

मुख्यमंत्री ने हालात पर की चर्चा

अधिकारियों ने बताया कि शवों के बरामद होने की खबर मिलने के बाद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने शुक्रवार रात वरिष्ठ मंत्रियों के साथ स्थिति पर चर्चा की। इस बीच तीन शव बरामद होने की खबर इंफाल घाटी में फैलने पर सभी पांच जिलों में तनाव बढ़ गया। राज्य प्राधिकारियों ने शनिवार को विद्यालयों तथा कॉलेजों के लिए अवकाश घोषित कर दिया।

अलग-अलग इलाकों में विरोध प्रदर्शन

इस बीच शनिवार को इंफाल घाटी के अलग-अलग इलाकों में सैकड़ों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर महिलाएं थीं। उन्होंने इंफाल पश्चिम जिले के क्वाकेथेल इलाके और इंफाल पश्चिम जिले के सागोलबंद तेरा में मुख्य सड़कों को टायर जलाए और मार्ग अवरुद्ध कर दिया, जिससे वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई। पुलिस ने बताया कि मणिपुर के मुख्य बाजार ख्वाइरामबंद में महिला विक्रेताओं ने हत्या के खिलाफ विरोध रैली निकाली। बिष्णुपुर जिले के निंगथौखोंग और इंफाल पूर्वी जिले के लामलोंग में स्थानीय लोग भी हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतर आए।

क्या है पूरा मामला?

सोमवार को संदिग्ध कुकी उग्रवादियों द्वारा तीन महिलाओं और तीन बच्चों को बंधक बनाया गया था, जिसके बाद जिरीबाम जिले में तनाव बढ़ गया। बंधक बनाए गए तीन बच्चों में एक नवजात और ढाई साल का बच्चा शामिल था। वहीं, तीन महिलाओं में से दो छोटे बच्चों की मां थीं। सभी महिलाएं मणिपुर के मैतेई समुदाय से हैं। जिरीबाम के बोकोबेरा इलाके से संदिग्ध कुकी आतंकवादियों के एक समूह ने इन महिलाओं और बच्चों का अपहरण किया था, जबकि एक अन्य आतंकवादी समूह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के साथ मुठभेड़ में लगा हुआ था। इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ ने 10 संदिग्ध कुकी उग्रवादियों को मार गिराया था।

मणिपुर में फिर से भड़की हिंसा के बाद केन्द्र सरकार का बड़ा फैसला, इन 6 इलाकों में AFSPA फिर से लागू*
#center_imposed_afspa_manipur_5_districts
मणिपुर में एक बार हिंसा भड़क गई है। जिरीबाम में 11 नवंबर को सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में 10 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए थे। जिसके बाद से इलाके में तनाव बढ़ गया है। यहां 7 नवंबर से शुरू हुई हिंसा में 14 लोग मारे गए हैं। स्थिति बेहद तनावपूर्ण होते देख केंद्र सरकार ने मणिपुर के हिंसा प्रभावित जिरीबाम समेत पांच जिलों के छह पुलिस थाना इलाकों को 'अशांत क्षेत्र' घोषित कर दिया। यहां शांति बनाए रखने के लिए तत्काल प्रभाव से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट (अफस्पा) लागू कर दिया है।यह 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगा। गृह मंत्रालय ने गुरुवार को इसका आदेश जारी किया। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 14 नवंबर को जारी अधिसूचना में बताया गया है कि इंफाल वेस्ट, ईस्ट, जिरीबाम, कांगपोकपी और बिश्नुपुर जिलों के सेकमाई, लामसांग, लामलाई, जिरीबाम, लीमाखोंग और मोइरांग पुलिस थाना इलाकों में अफस्पा लगाया गया है। गृह मंत्रालय मामले पर पल-पल का अपडेट ले रहा है। अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि अफस्पा को हटाने के मामले में अगर इस बीच इसे नहीं हटाया गया तो यह इन इलाकों में 31 मार्च 2025 तक लागू रहेगा। *क्यों लागू किया गया अफस्पा ?* सरकार ने बताया कि मणिपुर राज्य में सिक्योरिटी रिव्यू करने के बाद यह पाया गया कि मणिपुर में जारी जातीय हिंसा की वजह से यहां स्थिति अस्थिर बनी हुई है। इन इलाकों में रूक-रूक कर गोलाबारी हो रही है। ऐसे में सामान्य जनजीवन और जिंदगियों को देखते हुए यह जरूरी समझा जाता है कि इन इलाकों में अफस्पा लागू कर दिया जाए। *अब राज्य के 13 इलाकों में अफस्पा लागू नहीं* इससे पहले मणिपुर के 19 थाना इलाकों को छोड़कर 26 सितंबर को एक अधिसूचना जारी करके संपूर्ण मणिपुर राज्य को 1 अक्टूबर, 2024 से छह महीने के लिए अशांत क्षेत्र घोषित किया गया था। केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद अब राज्य के 13 इलाके ही अफस्पा से बाहर हैं। इससे पहले 1 अक्टूबर को मणिपुर सरकार ने इम्फाल, लाम्फल, सिटी, सिंगजमई, सेकमई, लमसांग, पटसोई, वांगोई, पोरोमपाट, हेइंगांग, लाम्लाई, इरिलबंग, लेइमाखोंग, थौबाल, बिश्नुपुर, नंबोल, मोइरंग, काकचिंग, और जिरिबाम को अफस्पा से बाहर रखा था। *क्या है अफस्पा?* 'अफस्पा' अधिनियम 'अशांत क्षेत्रों' को 'शांत' करने के तहत सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्रीय सशस्त्र बलों को असीमित ताकत देता है। इसे जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार लागू कर सकती है। इसके तहत सुरक्षाबलों को अशांत क्षेत्र घोषित एरिया में यह अधिकार मिल जाता है कि वह कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ बिना किसी वारंट और बाधा के कार्रवाई कर सकती है। अफस्पा को सबसे पहले असम क्षेत्र में नगा विद्रोह से निपटने के लिए लागू किया गया था। इसे आप आसानी से इन पॉइंट में भी समझ सकते हैं। • अफस्पा सेना, राज्य और केंद्रीय पुलिस बलों को बिना किसी वारंट घरों की तलाशी लेने और किसी भी संपत्ति को नष्ट करने वालों को गोली मारने की शक्तियां देता है. • अफस्पा को सरकार तब लागू करती है जब आतंकवाद या विद्रोह का मामला होता है और भारत की क्षेत्रीय अखंडता खतरे में होती है। • जिस एरिया में अफस्पा लागू है, वहां सुरक्षा बल किसी भी व्यक्ति को संदेह के आधार पर बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है। यही नहीं, अगर किसी ने संज्ञेय अपराध किया है या वह करने वाला है तो सुरक्षाबल उसे भी बिना वारंट के अरेस्ट कर सकती है। *एक बार फिर भड़की हिंसा* बता दें कि सोमवार को मणिपुर के जिरिबाम जिले में सुरक्षा बलों के साथ एनकाउंटर में 10 संदिग्ध उग्रवादी मार गिराए गए थे। सैनिकों की वर्दी पहनकर आए उग्रवादियों ने एक पुलिस थाने और निकटवर्ती सीआरपीएफ शिविर पर अंधाधुंध फायरिंग की थी। सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में 11 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए थे। इस एनकाउंटर के अगले दिन यानी 12 नवंबर को सशस्त्र आतंकवादियों ने जिले से महिलाओं और बच्चों सहित छह नागरिकों को अगवा कर लिया। इस घटना के बाद से इलाके में तनाव और बढ़ गया है। 7 नवंबर से शुरू हुई हिंसा में कम से कम 14 लोग मारे गए हैं, जिनमें तीन पुरुष और महिलाएं शामिल हैं।
मणिपुरः सीमा पर से घुसपैठ और हिंसा, क्यों बार-बार भड़क उठती है “आग”, लंबा है संघर्ष का इतिहास
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* पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर को जातीय हिंसा की आग में जलते हुए डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। समाधान अभी तक कुछ निकला नहीं है। शांति बहाली की कोशिशें हो रही है, लेकिन बात नहीं बन पा रही। कुछ दिनों की शांति के बाद राज्य फिर जल उठता है। सीमा पार से कथित घुसपैठ, हथियारों के इस्तेमाल, ड्रग्स की भूमिका, हिंसा के तमाम कारण बताए जा रहे हैं, लेकिन अब तक समाधान नहीं निकाले जा सकें हैं। मणिपुर में भाजपा शासन कर रही है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की मानें तो आने वाले 4 से 6 महीने में हिंसा पर पूरी तरफ से काबू पाया जा सकेगा। हालांकि, इस बीच एक रिपोर्ट के खुलासे से हडकंप मचा हुआ है। खुफिया जानकारी के अनुसार, 900 से अधिक कुकी उग्रवादी जो ड्रोन-आधारित बम, प्रोजेक्टाइल, मिसाइल और जंगल में युद्ध लड़ने में ट्रेंड हैं उन्होंने म्यांमार के रास्ते मणिपुर में एंट्री कर ली है। रिपोर्ट के अनुसार, ये उग्रवादी 30 सदस्यों के समूहों में बंटे हुए हैं और राज्य के चारों ओर फैले हुए हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का दावा कितना सही होगा, ये तो भविष्य ही बताएगा। अब भविष्य देखने से राज्य में हिंसा के इतिहास पर एन नजर डालते हैं। मणिपुर एक ऐसा राज्य रहा है जहां हिंसा का एक लंबा इतिहास रहा है।भारत में विलय के पहले से ये इलाक़ा हिंसक वारदातों का गवाह रहा है और द्वितीय विश्व युद्ध में तो यहाँ जापानी फौजों ने लगातार दो सालों तक बमबारी भी की।60 के दशक में मैतेई समुदाय ने यहां एक बड़ा विद्रोह किया था और दावा किया था कि 1949 में मणिपुर को भारत में धोखे से शामिल किया गया था। इतिहासकारों ने लिखा है कि मणिपुर साम्राज्य की स्थापना ‘निंगथोउजा’ कुनबे के दस क़बीलों के एक साथ आने के बाद हुई। इतिहासकार बताते हैं कि ये इलाक़ा बर्मा और चीन के साथ व्यापार का मुख्य केंद्र हुआ करता था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान की सेना और ‘मित्र देशों’ की सेना के बीच चल रहे युद्ध का एक बड़ा केंद्र भी रहा। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व वाली ‘आज़ाद हिन्द फ़ौज’ का साथ जापान की सेना ने दिया था क्योंकि बोस जापान की सेना की मदद से ब्रितानी हुकूमत को शिकस्त देना चाहते थे। लेकिन इस मोर्चे पर जापान की सेना और ‘आज़ाद हिन्द फ़ौज’ को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। मणिपुर दो सालों तक बमबारी झेलता रहा जिसने पूरे प्रांत में भारी तबाही मचाई थी. इस दौरान इंफ़ाल स्थित राजा का महल भी क्षतिग्रस्त हो गया था। इस तबाही के बाद मणिपुर के लोग ब्रितानी हुकूमत के ख़िलाफ़ गोलबंद होने लगे। आखिरकार ब्रितानी हुकूमत ने 1947 में प्रान्त की बागडोर महाराजा बुधाचंद्र को सौंप दी। *केंद्र शासित घोषित होने के बाद शुरू हुआ संघर्ष* मणिपुर के महाराजा ने शिलॉन्ग में, 21 सितम्बर 1949 को, भारत के साथ विलय के दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किये और उसी साल 15 अक्टूबर को मणिपुर भारत का अभिन्न अंग बन गया। इसकी औपचारिक घोषणा भारतीय सेना के मेजर जनरल अमर रावल ने की थी। महाराजा बुधाचंद्र की मृत्यु वर्ष 1955 में हो गयी। मणिपुर स्वतंत्र भारत का हिस्सा बन गया था और एक निर्वाचित विधायिका के माध्यम से सरकार का गठन भी हो गया। फिर 1956 से लेकर 1972 तक मणिपुर केंद्र शासित राज्य बना रहा। जानकार मानते हैं कि 1956 में केंद्र शासित राज्य घोषित किये जाने के बाद से ही मणिपुर में संघर्ष शुरू हो गया और बाद में ये संघर्ष हिंसक होने लगा। *अलग राज्य की मांग को लेकर शुरू हुआ उग्र आन्दोलन* इस बीच अलग राज्य की मांग को लेकर राजनीतिक और छात्र संगठनों का उग्र आन्दोलन भी चलता रहा। इस दौरान ‘यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट’ नाम का संगठन खड़ा किया जो आज़ादी की मांग करने लगा और समाजवादी विचारधारा की वकालत करने लगा। 1971 की जंग के बाद मणिपुर के तत्कालीन मुख्यमंत्री आर के दोरेंद्रो सिंह ने कई अलगाववादी नेताओं से आत्मसमर्पण करवा लिया, जबकि कुछ बाग़ी मैतेई अलगाववादी नेताओं को गिरफ़्तार भी किया गया। इनमें अलगाववादी नेता एन बिशेश्वर सिंह भी शामिल थे जिन्हें त्रिपुरा की जेल में बंद किया गया था जहां उनकी मुलाक़ात पहले से बंद माओवादी नेताओं से हुई। जून 1975 में जेल से छूटने के बाद 16 अन्य मेतेई अलगावादी नेताओं के साथ बिशेश्वर सिंह ने तिब्बत के ल्हासा में शरण ले ली। हथियार चलाने और छापामार युद्ध का प्रशिक्षण लेने के बाद वो अपने सहयोगियों के साथ मणिपुर लौटे। मणिपुर आने के बाद बिशेश्वर ने ‘जनमुक्ति छापामार सेना’ का गठन कर लिया और ‘अलगाववादी संघर्ष ने फिर ज़ोर पकड़ लिया। *सत्तर-अस्सी के दशक में चरम पर थी हिंसा* सत्तर के दशक के अंत में और अस्सी के दशक की शुरुआत में कई और अलगाववादी संगठन पनप उठे जिनमें ‘पीपल्स रेवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ़ कांगलेइपाक’, ‘कांगलेइपाक कम्युनिस्ट पार्टी’ (केसीपी), ‘पोइरेई लिबरेशन फ्रंट’, ‘मेतेई स्टेट कमिटी’ और ‘यूनाइटेड पीपल्स रेवोल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी’ शामिल थे। इसी दौरान नागा चरमपंथियों ने भी सक्रिय होना शुरू कर दिया। मणिपुर ने नगा बहुल चंदेल, उखरुल, तामेंगलांग और सेनापति ज़िलों में आइज़ैक मुईवाह के नेतृत्व वाले संगठन ‘नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ़ नागालैंड’ ने एक के बाद एक हिंसक वारदातों को अंजाम देना शुरू किया। 1993 में मई और सितम्बर महीनों के बीच ‘नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ़ नागालैंड’ के हथियारबंद चरमपंथियों के हमलों में सुरक्षा बलों के 120 के आसपास जवान और अधिकारी मारे गए थे। *अलगावादी गतिविधियों और हिंसा के लिए बना विशेष कानून* आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल पॉवर्स एक्ट यानी सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम, 1958 का ही क़ानून है जो पूर्वोत्तर राज्यों में अलगावादी गतिविधियों और हिंसा को रोकने के लिए बनाया गया था। ये क़ानून तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिष्णु राम मेढ़ी की पहल पर 1958 में ही लाया गया था। शुरू में तो ये क़ानून मणिपुर के नगा बहुल उखरुल ज़िले में ही प्रभावी था, मगर 18 सितंबर 1981 को इसे पूरे मणिपुर में लागू कर दिया गया। हालंकि मार्च 2023 में इसे मणिपुर, असम और नागालैंड के कई इलाकों से हटा लिया गया था। *हालिया हिंसा का कारण* मणिपुर में हाल में भड़की हिंसा का प्रमुख कारण मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग रहा है। मैतेई समुदाय की यह मांग नई नहीं है, बल्कि 10 साल से अधिक समय से वह ये मांग कर रहे हैं। इस बार हिंसा तब भड़की जब मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए चार हफ्ते के अंदर सिफारिश केंद्रीय आदिवासी मंत्रालय को भेजे। इस संबंध में याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि मैतेई समुदाय को 1949 में मणिपुर के भारत में शामिल होने से पहले अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल था। उनका कहना है कि अपनी रिति-रिवाज, संस्कृति, जमीन और बोली को बचाए रखने के लिए उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा वापस मिलना चाहिए। मणिपुल हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राज्यभर में प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया। राज्य के सभी 10 जिलों में छात्र संगठनों के आह्वान पर हजारों लोग ‘ट्राइबल सॉलिडेरिटी मार्च’ के नाम पर सड़कों पर उतर आए। इन प्रदर्शनों के जरिए मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने का विरोध किया गया।
मणिपुर में म्यांमार से रची जा रही साजिश? 900 कुकी उग्रवादियों ने की घुसपैठ, ड्रोन चलाने में हैं माहिर*
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मणिपुर में एक साल से ज्यादा समय से हिंसा जारी है। हालांकि, हाल के दिनों में आई खबरों से साफ हो गया है कि राज्य में हिसां ने एक अलग ही रूप ले लिया है। हाल ही में राज्य में ड्रोन और हाई-टेक मिसाइल हमले हुए है। जिसके बाद कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय संघर्ष में साजिश की बू आने लगी है। इस बीच एक रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है।मणिपुर में म्यांमार से 900 कुकी उग्रवादियों की घुसपैठ की बात सामने आई है। ये आतंकी राज्य में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की साजिश रच रहे हैं।खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। घुसपैठी ड्रोन, प्रोजेक्टाइल, मिसाइल और गोरिल्ला युद्ध में ट्रेंड राज्य के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने शुक्रवार, 20 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले तीन-चार दिनों से उग्रवादियों की आवाजाही की खबरें मिल रही हैं। सुरक्षा सलाहकार के मुताबिक, खुफिया एजेंसियों ने बताया है कि घुसपैठी उग्रवादी ड्रोन बम, प्रोजेक्टाइल, मिसाइल और गोरिल्ला युद्ध में ट्रेंड हैं। ये 30-30 लोगों के ग्रुप में हैं और अलग-अलग क्षेत्रों में छिपे हुए हैं। 28 सितंबर के आसपास मैतेई गांवों पर हमले की आशंका कुलदीप सिंह ने कहा, उग्रवादी 28 सितंबर के आसपास मैतेई गांवों पर हमले कर सकते हैं। हमले की आशंका के बीच चुराचांदपुर, तेंगनौपाल, उखरुल, कामजोंग और फेरजॉल समेत कई जिलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। सितंबर में बढ़ी हिंसक घटनाएं बता दें कि 1 सितंबर के बाद से मणिपुर में एक बार फिर हिंसक घटनाओं में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। -पहला ड्रोन हमलाःएक सितंबर को राज्य में पहली बार ड्रोन हमला देखने को मिला। इंफाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी इलाके से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले इलाकों में फायरिंग की और ड्रोन से हमला किया। इसमें 2 लोगों की मौत और 9 घायल हुए। -दूसरा ड्रोन अटैकः 3 सितंबर को इंफाल जिले के सेजम चिरांग गांव में उग्रवादियों ने ड्रोन अटैक किए। इसमें एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए। उग्रवादियों ने रिहायशी इलाके में ड्रोन से 3 विस्फोटक गिराए, जो छत को तोड़ते हुए घरों के अंदर फटे। उग्रवादियों ने पहाड़ी की चोटी से गोलीबारी भी की। -तीसरा रॉकेट अटैकः 6 सितंबर को पूर्व सीएम के घर रॉकेट से हमला किया गया। बिष्णुपुर जिला स्थित मोइरांग में पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के घर पर हमला हुआ था। कुकी उग्रवादियों ने रॉकेट बम फेंका। इस हमले में 1 एक बुजुर्ग की मौत हो गई, जबकि 5 लोग घायल हो गए। मैरेम्बम कोइरेंग राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे। -चौथा हमला-7 सितंबर को जिरिबाम में दो हमले हुए। पहली घटना जिला हेडक्वार्टर से करीब 7 किमी दूर हुई। यहां संदिग्ध पहाड़ी उग्रवादियों ने एक घर में घुसकर बुजुर्ग को सोते समय गोली मार दी। वे घर में अकेले रहते थे। दूसरी घटना में कुकी और मैतेई लोगों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 4 लोगों की मौत हुई। मणिपुर में 3 मई, 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हिंसा में अब तक 237 लोगों की मौत हो चुकी है। 1500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 60 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।
मणिपुर हिंसा में 4 उग्रवादी और 1 नागरिक की मौत, बिगड़ रहा है माहौल

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REUTERS : people mourning death due to violence

जिला प्रशासन के अनुसार, शनिवार सुबह मणिपुर के जिरीबाम जिले में हिंसा की ताजा लहर में चार उग्रवादी और एक नागरिक की मौत हो गई। पुलिस ने जिला प्रशासन को सूचित किया है कि नागरिक की उसके घर के अंदर हत्या कर दी गई और इसके बाद गोलीबारी हुई, जिसमें चार उग्रवादी मारे गए।

मणिपुर में तैनात एक सुरक्षा बल के अधिकारी ने कहा, "सुबह उग्रवादियों द्वारा एक गांव में घुसकर एक व्यक्ति की हत्या करने के बाद गोलीबारी शुरू हुई। यह हत्या जातीय संघर्ष का हिस्सा थी। गोलीबारी जारी है। हमें रिपोर्ट मिली है कि मरने वाले लोग कुकी और मैतेई दोनों समुदायों से हैं। जबकि पिछले डेढ़ साल से मणिपुर में जातीय संघर्ष चल रहा है, हिंसा की एक और लहर के बाद पिछले 5 दिनों में स्थिति बेहद तनावपूर्ण है।

शुक्रवार की रात, बिष्णुपुर में बुजुर्ग व्यक्ति की हत्या के कुछ घंटों बाद, इंफाल में भीड़ ने 2 मणिपुर राइफल्स और 7 मणिपुर राइफल्स के मुख्यालयों से हथियार लूटने का प्रयास किया। सुरक्षा बलों ने उनके प्रयासों को विफल कर दिया।

मणिपुर में रॉकेट हमला

अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार का हमला राज्य में रॉकेट के इस्तेमाल का पहला ज्ञात मामला है, जब 17 महीने पहले संघर्ष छिड़ा था। ड्रोन को पहली बार हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने के छह दिन बाद ही यह हमला हुआ। मणिपुर पुलिस ने देर रात जारी बयान में कहा कि कुकी उग्रवादियों ने "लंबी दूरी के रॉकेट" का इस्तेमाल किया। बढ़ती हिंसा के कारण मणिपुर प्रशासन ने राज्य भर के सभी शैक्षणिक संस्थानों को शनिवार को बंद रखने का आदेश दिया।

पिछले साल 3 मई से कुकी और मैतेई के बीच जातीय संघर्ष से घिरे राज्य में संघर्ष रविवार से और बढ़ गया है। उग्रवादियों ने ड्रोन और रॉकेट जैसी नई तकनीकों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है और हिंसा की एक नई परत जोड़ दी है, जबकि राइफल और ग्रेनेड का इस्तेमाल बेरोकटोक जारी है।

वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को दागे गए रॉकेट कम से कम चार फीट लंबे थे। "ऐसा लगता है कि विस्फोटक गैल्वनाइज्ड आयरन (जीआई) पाइप में भरे गए थे। अधिकारी ने बताया कि विस्फोटकों से भरे जीआई पाइप को फिर एक देशी रॉकेट लांचर में फिट किया गया और एक साथ फायर किया गया।

दूसरे अधिकारी ने बताया, "प्रोजेक्टाइल को लंबी दूरी तक ले जाने के लिए, आतंकवादियों को विस्फोटकों की मात्रा बदलनी पड़ती है। ऐसा लगता है कि वे शांति के महीनों के दौरान इसका अभ्यास कर रहे हैं।"  

मणिपुर की स्तिथि में कोई सुधार की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। देश में ऐसी परिस्थितिओं से लड़ने के लिए सरकार से गुहार लगाई जा रही है की वे कुछ कड़े कदम उठाए जिससे स्तिथि पर नियंत्रण किया जा सके। 

मणिपुर में अब रॉकेट से हमला, आसमान में फिर दिखे ड्रोन, दहशत में लाइट बंद कर घरों में छिपे लोग

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मणिपुर में पिछले कुछ दिन में हुए ‘हाई-टेक’ हमलों के बाद इंफाल घाटी क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है। अब उग्रवादियों ने रॉकेट और ड्रोन्स से हमले शुरू कर दिए हैं। बिष्णुपुर जिले में शुक्रवार को संदिग्ध उग्रवादियों ने दो रॉकेट दागे, जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हो गए। वहीं, बिष्णुपुर और इंफाल ईस्ट जिलों में शुक्रवार रात को कई ड्रोन उड़ते देखे गए। इससे लोगों में इतनी दहशत फैल गई कि लोगों ने अपने-अपने घरों की लाइटें बंद कर दीं। इससे पहले इस सप्ताह की शुरुआत में इंफाल पश्चिम जिले में दो स्थानों पर ड्रोन का इस्तेमाल कर लोगों पर बम गिराए गए थे।

मणिपुर में उग्रवादियों ने शुक्रवार को राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के बिष्णुपुर जिले स्थित आवास समेत दो स्थानों पर रॉकेट दागे। इस हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हो गए। हमले को लेकर मणिपुर पुलिस ने एक बयान जारी किया है। आज कुकी उग्रवादियों ने बिष्णुपुर जिले के दो स्थानों पर नागरिक आबादी के बीच लंबी दूरी के रॉकेट दागे।

पुलिस के मुताबिक हमले में मोइरांग फिवांगबाम लेइकाई के एक वरिष्ठ नागरिक आरके रबेई (78) की मृत्यु हो गई और बिष्णुपुर जिले के मोइरांग खोइरू लेइकाई में छह अन्य नागरिक घायल हो गए। पुलिस दल और अतिरिक्त सुरक्षा बलों को इलाके से सटे पहाड़ी इलाकों में तलाशी अभियान चलाने के लिए भेजा गया है। मुआलसांग गांव में दो बंकर और चूड़ाचांदपुर के लाइका मुआलसौ गांव में एक बंकर (कुल तीन बंकर) नष्ट कर दिए गए।

पुलिस ने अपने बयान में आगे बताया कि इसके अलावा, एसपी सहित बिष्णुपुर जिले की पुलिस टीमें उस इलाके में पहुंचीं, जहां संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने उन पर गोलीबारी की। लेकिन पुलिस दल ने मजबूती से जवाबी कार्रवाई की और हमले को विफल कर दिया। हवाई गश्त करने के लिए सैन्य हेलिकॉप्टर तैनात किए गए हैं।

वहीं बिष्णुपुर और इंफाल पूर्वी जिले के इलाकों में कई ड्रोन देखे जाने के बाद लोगों ने शुक्रवार रात अपने घरों की लाइटें बंद कर दीं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इस सप्ताह की शुरुआत में इंफाल पश्चिम जिले में दो स्थानों पर लोगों पर बम गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार रात बिष्णुपुर जिले के नारायणसेना, नाम्बोल कामोंग और इंफाल पूर्वी जिले के पुखाओ, दोलाईथाबी, शांतिपुर में कई ड्रोन देखे गए, जिससे लोगों में दहशत फैल गई। घबराए ग्रामीणों ने घरों की लाइटें बंद कर दीं। एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बल बड़े समूहों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए आसपास के क्षेत्रों में ‘हाई अलर्ट’ पर हैं।

मणिपुर में टेंशन बढ़ाने वाली घटना, पहली बार ड्रोन से अटैक, कुकी उग्रवादियों के पास कहां से आ रहे आधुनिक हथियार?

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देश का उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर पिछले एक साल से सुलग रहा है। कुकी और मैतेई समुदाय के बीच शुरू हुई हिंसा को एक साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है, लेकिन अभी तक हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। अभी दो दिन पहले ही राज्य की मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने भरोसा जाताया ता कि आने वाले 6 महीने के भीरत हालात पूरी तरह से सामान्य हो जाएंगे। हालांकि इसे बीच से खबर आ रही जो चिंता बढ़ाने वाली है। मणिपुर में जातीय हिंसा के बीच ड्रोन और आरपीजी के इस्तेमाल किया गया है। बीते 1 सितंबर को राज्य में शुरू हुई हिंसा फिर से बढ़ती दिख रही है और सोमवार 2 सितंबर को लगातार दूसरे दिन भी इंफाल में ड्रोन से हमला हुआ है। जातीय हिंसा के बीच ड्रोन बम के प्रयोग ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने मंगलवार को कुकी आतंकियों द्वारा ड्रोन के जरिए आम लोगों और सुरक्षा कर्मियों पर बम गिराने की घटना की निंदा की है। उन्होंने इसे आतंकी घटना बताते हुए कहा है कि इस कायराना हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘आम लोगों और सुरक्षा कर्मियों के ऊपर ड्रोन से बम गिराने की घटना आतंकी घटना है। मैं इस कायरतापूर्ण घटना की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। मणिपुर की सरकार इस अकारण हमले को गंभीरता से लेती है और सरकार स्थानीय लोगों पर इस अकारण हमले के लिए कड़ी कार्रवाई करने को प्रतिबद्ध है।‘

अब तक पुलिस से छीने गए हथियारों का होता था इस्तेमाल

मुख्यमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि हम हर तरह की हिंसा की निंदा करते हैं और मणिपुर के लोग नफरत, विभाजन और अलगाववाद के खिलाफ एकजुट हैं।मणिपुर के कोत्रुक गांव में जिस तरह से कुकी उग्रवादियों ने ड्रोन से आरपीजी यानी रॉकेट प्रोपैल्ड गन अटैक किया, वह वाकई चौंकाने वाला है। अभी तक कुकी उग्रवादी मणिपुर पुलिस से छीने गए हथियारों का इस्तेमाल हमलों के लिए कर रहे थे, जिनमें इंसास राइफलें, कार्बाइन, हैंड ग्रेनेड, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चर जैसे हथियार शामिल थे, लेकिन अब ड्रोन अटैक यह वाकई चिंताजनक है। 

जंग में इस्तेमाल होने वाले हथियार कहां से मिल रहे?

पुलिस से छीने गए हथियारों के बल पर हमले करनमे वाले राज्य में कुकी उग्रवादियों ने अब अपनी रणनीति बदल दी है। मणिपुर में जो हुआ उसकी वाकई किसी ने कल्पना नहीं की थी। कुकी उग्रवादियों ने एक सितंबर को मणिपुर के इंफाल वेस्ट जिले में कोत्रुक गांव पर आश्चर्यजनक तरीके से ड्रोन के जरिए आरपीजी यानी रॉकेट प्रोपैल्ड गन अटैक किया। आमतौर पर ये हथियार जंग में इस्तेमाल होते हैं। मैतई बहुल इस गांव में पहले उग्रवादियों ने हैवी फायरिंग के बाद ड्रोन से बम गिराए। हमले में एक महिला समेत दो लोगों की मौत हो गई और कई जख्मी हो गए।

पुलिस के लिए हैरानी वाली वारदात

इस तरह के आरपीजी ड्रोन अटैक से मणिपुर पुलिस भी हैरान है। मणिपुर पुलिस ने अपने बयान में कहा है, ड्रोन बमों का इस्तेमाल आम तौर पर सामान्य युद्धों में किया जाता रहा है। सुरक्षा बलों और आम नागरिकों के खिलाफ विस्फोटक हमले करने के लिए आरपीजी अटैक के लिए हाई-टेक ड्रोन का इस्तेमाल वाकई चौंकाने वाला है। इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि इसके लिए उच्च प्रशिक्षित पेशेवरों, तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ली गई होगी। 

खुफिया सूत्रों का कहना है कि चीन इन ड्रोनों को म्यांमार के रास्ते भारत भेज रहा है और ये ड्रोन मणिपुर की इंटरनल सिक्योरिटी के लिए बड़ा खतरा हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों ने भी इन एडवांस ड्रोन हमलों पर चिंता जताई है। 

हाई लेवल कमेटी का गठन

इस बीच, मणिपुर पुलिस ने उग्रवादियों के ड्रोन के इस्तेमाल की जांच के लिए 5 सदस्यों की एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया है। पुलिस विभाग की ओर से सोमवार को जारी की गई एक अधिसूचना में कहा गया है कि 1 सितंबर को कोत्रुक में एक बड़े हमले में कुकी उग्रवादियों ने हाई-टेक ड्रोन का इस्तेमाल करके कई आरपीजी तैनात किए थे, जिसमें एक महिला की मौत हो गई थी और तीन पुलिस कर्मियों समेत कई और लोग भी घायल हो गए थे। इस कमेटी की अध्यक्षता जीडीपी आशुतोष कुमार सिन्हा करेंगे और इसमें भारतीय सेना, असम राइफल्स, सीआरपीएफ और बीएसएफ अधिकारी भी शामिल होंगे।

मणिपुर हिंसा पर सीएम बीरेन सिंह का बड़ा बड़ान, बोले-6 महीने के भीतर होगी शांति, क्यों दूं इस्तीफा?

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मणिपुर जातीय हिंसा की आग में जल रहा है। हालांकि, धीरे-धीरे राज्य हिंसा से उबर रहा है। इस बीच मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बड़ा बयान दिया है।मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पद छोड़ने से इनकार करते हुए दावा किया कि राज्य की ‘रक्षा’ के उनके प्रयासों में लोग उनके साथ हैं, इसलिए उनके इस्तीफा देने का कोई सवाल ही नहीं है। साथ ही उन्होंने ये बी दावा किया है कि आने वाले 6 महीने के भीरत राज्य में पूरी तरह से शांति बहाल हो जाएगी। 

बीरेन सिंह ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई वीडियो’ के साथ साक्षात्कार में सवाल किया, “मैं इस्तीफा क्यों दूं? क्या मैंने कुछ चुराया है? क्या मेरे खिलाफ किसी घोटाले का आरोप है? क्या मैंने राष्ट्र या राज्य के खिलाफ काम किया है?”

इंटरव्यू में एन बीरेन सिंह ने खुलासा किया कि उन्होंने कुकी-जो और मैतेई नेताओं से बातचीत करने के लिए एक दूत नियुक्त किया है। एन बीरेन सिंह ने कहा कि बातचीत से विवाद का हल हो सकता है। बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। वहीं बातचीत के लिए सीएम एन बीरेन सिंह ने जिस दूत की नियुक्ति की है, वो नगा विधायक और हिल एरिया कमेटी के अध्यक्ष डिंगंगलुंग गंगमेई हैं।

यह पूछे जाने पर कि शांति बहाल करने के वास्ते उन्होंने स्वयं के लिए क्या समय-सीमा तय की है? इस पर सीएम ने संकेत दिया कि शांति लाने में बातचीत के साथ-साथ केंद्र सरकार की भागीदारी अहम होगी, चाहे वह गृह मंत्रालय के माध्यम से हो या अन्य एजेंसी के माध्यम से। सीएम ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह (हिंसा) लंबे समय तक जारी रहेगी। शांति पांच-छह महीने में बहाल हो जानी चाहिए। यह हमारी उम्मीद है और मुझे पूरा भरोसा भी है।

नशाखोरी पर कार्रवाई को बताई हिंसा की वजह

सीएम ने इस पूरी हिंसा के बारे में बात करते हुए कहा कि इस संघर्ष की शुरुआत 2017-2022 में मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले कार्यकाल से जुड़ी है, जब उन्होंने पड़ोसी म्यांमार से आने वाले प्रवासियों एवं नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार पर नकेल कसी थी। म्यांमार की सीमा इंफाल से केवल 100 किलोमीटर दूर है। उन्होंने कहा कि उनकी इस कार्रवाई से प्रभावित हुए लोगों ने कुकी-मेइती संघर्षों को भड़काकर उनकी सरकार और राज्य को अस्थिर करने की साजिश रची।

प्रधानमंत्री के मणिपुर न आने पर दी सफाई

पीएम मोदी के मणिपुर ना जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री के आने या नहीं आने को लोगों ने मुद्दा बना लिया है। प्रधानमंत्री भले ही न आए हों, लेकिन उन्होंने अपने गृह मंत्री को भेजा है और प्रधानमंत्री ने मणिपुर के बारे में कई बार बात की है, स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से भी (उन्होंने मणिपुर पर बात की) और यहां सुरक्षा, वित्तीय मदद आदि के मामले में जो कुछ भी किया जा रहा है, वह उनके नेतृत्व में ही हो रहा है। जटिल परिस्थिति में प्रधानमंत्री का आना जरूरी नहीं था।

मई 2023 से जारी है हिंसा

बता दें कि मई 2023 से मणिपुर में जातीय हिंसा चल रही है। कुकी-जो और मैतेई जातीय समूहों के बीच संघर्ष में अब तक 226 लोग मारे जा चुके हैं। कुकी मुख्य रूप से पहाड़ी इलाकों में रहने वाली ईसाई जनजातियां हैं, जबकि मेइती मैदानी इलाकों और घाटियों में रहने वाले हिंदू हैं। मणिपुर में मैतई बहुल इंफाल में हालात सामान्य हैं और सड़कों पर अच्छी खासी चहल-पहल है। वहीं पहाड़ी इलाकों में, जो कुकी बहुल हैं, वहां तनाव बरकरार है और कुकी लोगों को छोड़कर वहां अन्य सभी को वर्जित कर दिया गया है।

IMD's orange flash flood warnings for Himachal Pradesh other states

The India Meteorological Department (IMD) has issued an ‘orange’ alert for Himachal Pradesh and other states as heavy rain continued northern India through the first two weeks of August. Earlier this week, the IMD predicted that heavy to extremely heavy rainfall would continue in parts of Himachal Pradesh till August 12

The weather agency issued the orange alert owing to heavy downpour in Himachal Pradesh, Uttarakhand, East Uttar Pradesh, East Madhya Pradesh, Meghalaya, Manipur, Mizoram, Nagaland and Tripura.

In its forecast, the IMD said heavy isolated rainfall will continue to lash Himachal Pradesh, Uttarakhand, and parts of Rajasthan till August 12, while moderate rainfall is expected to lash Jammu and Kashmir, Haryana, Punjab and Chandigarh on August 10The weather agency said heavy to extremely heavy rain will continue in Himachal Pradesh till Saturday, along with lightening and thunderstorms. An orange alert will remain in place in the state till August 12, and a yellow warning has been issued till August 15

The IMD also alerted of a low to moderate risk of flash floods in isolated areas of Mandi, Bilaspur, Solan, Sirmaur, Shimla, and Kullu districts through Saturday, news agency PTI reported.

The agency further sounded a warning of potential landslides in some regions, along with possible damage to plantations, crops, vulnerable structures, and kutcha houses due to waterlogging and strong winds in low lying areas in the state.

Earlier, on August 7, the IMD reported significant rainfall across the state, with Joginder Nagar in Mandi district experiencing the highest at 110 MM in 24 hours. The incessant downpour has affected daily life, making it challenging for residents and visitors alike. The cloudburst and flash floods that occurred on August 1 have affected the districts of Kullu, Mandi and Shimla.

Meanwhile, a yellow alert has been issued in Delhi for the next two days, with a forecast of moderate to heavy rainfall in the national capital till August 11. The weather office forecasted cloudy skies and moderate rains in Delhi NCR for Saturday, reported PTI

Heavy rainfall lashed parts of Delhi and NCR on Friday, leading to heavy waterlogging and traffic congestion in the evening. The Met office issued an 'orange' warning to "be prepared" after earlier putting the city in the 'green' zone for no warning or alert.

असम में बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात के बाद मणिपुर पहुंचे राहुल गांधी, रिलीफ कैंप में पहुंचा बांटा लोगों का दर्द
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कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सोमवार को असम और मणिपुर के दौरे पर हैं। राहुल गांधी ने पहले असम के कछार जिले में बाढ़ प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उसके बाद हिंसा प्रभावित मणिपुर पहुंचे। लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद कांग्रेस नेता का यह दोनों पूर्वोत्तर राज्यों का पहला है।

बता दें कि असम इन दिनों बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रविवार को जारी रिपोर्ट के राज्य में 28 जिलों के 27.74 लाख से अधिक लोग अभी भी बाढ़ से प्रभावित हैं। अब तक बाढ़, भूस्खलन और तूफान के कारण राज्य में कुल 78 मौतें हो चुकी हैं।राज्य में मौजूद काजीरंगा नेशनल पार्क का बड़ा हिस्सा बाढ़ में डूब गया है। इस बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज असम के सिलचर पहुंचे। यहां उन्होंने बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की। यूथ केयर सेंटर थलाई में राहत शिविरों का दौरा किया। असम दौरे पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेन बोरा ने राहुल गांधी को एक ज्ञापन सौंपा और उनसे संसद में असम में आने वाली बारहमासी बाढ़ का मुद्दा उठाने का आग्रह किया।

राहुल ने असम में कछार जिले के फुलेर्तल में एक बाढ़ राहत शिविर का दौरा करने के बाद ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, 'मैं असम के लोगों के साथ हूं, मैं संसद में उनका सिपाही हूं और मैं केंद्र सरकार से राज्य को तुरंत हरसंभव मदद मुहैया कराने का अनुरोध करता हूं।' उन्होंने कहा कि असम को 'अल्पावधि में व्यापक और दयालु दृष्टि वाली राहत, पुनर्वास और मुआवजे की आवश्यकता है तथा दीर्घावधि में बाढ़ पर नियंत्रण पाने के लिए पूरे पूर्वोत्तर का एक जल प्रबंधन प्राधिकरण चाहिए।'

असम बाढ़ प्रभावितों से मिलने के बाद राहुल गांधी मणिपुर पहुंचे। यहां उन्होंने जिरीबाम हायर सेकेंडरी स्कूल में सेटअप राहत शिविर का दौरा किया। इसके बाद वह इंफाल पहुंचे। राहुल गांधी का ये मणिपुर का तीसरा और पूर्वोत्तर में नेता प्रतिपक्ष के रूप में पहला दौरा है। मणिपुर पहुंचने से पहले सुबह साढ़े तीन बजे जिरीबाम में जबरदस्त गोलीबारी हुई है। यह गोलीबारी करीब 3.30 घंटे तक चलती रही। जिरीबाम के गुलारथल इलाके में कुछ अज्ञात हमलावरों ने 3.30 बजे फायरिंग करनी शुरू की वो करीब 7 बजे तक चली। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने भी फायरिंग की। इस घटना के बाद आसपास के इलाकों में भारी संख्या सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया।

मणिपुर करीब एक साल से छिटपुट हिंसा की चपेट में है। छह जून को हिंसा की हालिया घटना हुई थी। मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मार्च 2023 में मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जाति (ST) में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को सिफारिशें भेजने के लिए कहा था। इसके बाद कुकी समुदाय ने राज्य के पहाड़ी जिलों में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था जो अभी भी जारी है।