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झामुमो विधायक पर फर्जी पहचान पत्र इस्तेमाल का आरोप, दशरथ गगराई के खिलाफ जांच के आदेश

#allegationsofjmmmlausingfakeidentity_card

झारखंड के झामुमो विधायक दशरथ गगराई पर चुनाव में फर्जी पहचान पत्र इस्तेमाल करने का आरोप लगा है। झारखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के. रविकुमार ने औपचारिक शिकायत के बाद सरायकेला-खरसवान के पुलिस उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह को आरोपों की जांच के आदेश दे दिए हैं। लालजी राम तियु नाम के व्यक्ति ने तीन बार खरसावां से विधायक रहे गगराई की पहचान पर सवाल उठाते हुए एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद जांच के आदेश दिए गए हैं।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि लालजी राम तियु नामक व्यक्ति ने तीन बार खरसावां से विधायक रहे गगराई की पहचान पर सवाल उठाते हुए एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा, मैंने शिकायतकर्ता के हलफनामे के साथ शिकायत को सरायकेला-खरसावां के उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह को जांच के लिए भेज दिया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि चुनाव समाप्त होने और परिणाम घोषित होने के बाद विधायकों से जुड़े विवादों का निपटारा राज्य के राज्यपाल को करना होता है और सांसदों से जुड़े विवादों का निपटारा राष्ट्रपति करते हैं।

विधायक ने आरोप को किया खारिज

वहीं विधायक ने आरोप को खारिज करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता को सत्ता में बैठे लोगों पर ऐसे आरोप लगाने की आदत है। दशरथ गगराई का कहना है कि, मैंने जो हलफनामे और दस्तावेज जमा किए उनकी विधानसभा चुनावों में तीन बार जांच की गई। आरोप निराधार हैं। दरअसल, नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी शिकायतकर्ता अब जमानत पर बाहर हैं और सत्ता में बैठे लोगों पर ऐसे आरोप लगाने की उनकी आदत है।

इलेक्शन कमीशन की वोट चोरी मामले पर राहुल गांधी को दो टूक, कहा- वोट ऑनलाइन डिलीट नहीं हो सकता

#electioncommissionofindiasaidrahulgandhiallegationsincorrect

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ आज चुनाव आयोग पर वोट डिलीट करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों पर अब चुनाव आयोग की तरफ से बयान सामने आया है। चुनाव आयोग ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया है। चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए राहुल के सभी आरोपों को गलत ठहराया है। हालांकि, चुनाव आयोग ने स्वीकार किया कि कर्नाटक के अलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के नाम हटाने के कुछ असफल प्रयास किए गए थे और मामले की जांच के लिए चुनाव आयोग ने खुद एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

चुनाव आयोग के अनुसार, कोई भी आम नागरिक ऑनलाइन तरीके से किसी का भी नाम वोटर लिस्ट से नहीं हटा सकता। आयोग ने यह भी कहा कि किसी का नाम हटाने से पहले उसे अपनी बात रखने का मौका दिया जाता है। हालांकि, चुनाव आयोग ने ये माना कि 2023 में आलंद विधानसभा क्षेत्र में कुछ लोगों ने वोटर लिस्ट से नाम हटाने की कोशिश की थी। इस मामले में खुद आयोग ने एफआईआर दर्ज कराई थी।

प्रोसेस को हाईजैक कर वोटरों का नाम डिलीट करने का आरोप

इससे पहले राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मैं मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ 100 फीसदी सबूत रखने जा रहा हूं। उन्होंने कहा कि सोच-समझकर कांग्रेस के वोट काटे गए। प्रोसेस को हाईजैक कर वोटरों के नाम डिलीट किए गए। उन्होंने कहा कि 14 मिनट में 12 वोट डिलीट किए गए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के वोटरों को निशाना बनाया जा रहा है।

चुनाव आयोग पर राहुल के आरोप

कांग्रेस सांसद ने कहा, कर्नाटक में अलंद एक निर्वाचन क्षेत्र है। किसी ने 6018 वोटों को हटाने की कोशिश की। हमें नहीं पता कि 2023 के चुनाव में अलंद में कुल कितने वोट हटाए गए। ये संख्या 6018 से कहीं ज्यादा है, लेकिन कोई उन वोटों को हटाते हुए पकड़ा गया, और यह संयोग से हुआ। वहां के बूथ लेवल अधिकारी ने देखा कि उसके चाचा का वोट हटा दिया गया है। उन्होंने कहा, 'जब उसने जांच की कि उसके चाचा का वोट किसने हटाया। उसे पता चला कि वोट हटाने वाला एक पड़ोसी था। उसने अपने पड़ोसी से पूछा, लेकिन उन्होंने कहा कि मैंने कोई वोट नहीं हटाया। न तो वोट हटाने वाले व्यक्ति को और न ही जिसका वोट हटाया गया था, उसे इस बारे में पता था। किसी और ताकत ने इस प्रक्रिया को हाईजैक कर लिया और वोट हटा दिया।

ज्ञानेश कुमार वोट चोरों को बचा रहे-राहुल गांधी

कांग्रेस नेता ने कहा कि हर चुनाव में वोटरों के नाम काटे गए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग जानता है कि इसके पीछे कौन है। राहुल ने कहा कि महाराष्ट्र के राजुरा में 6850 वोट काटे गए। उन्होंने कहा कि ज्ञानेश कुमार नहीं बता रहे हैं कि इसके पीछे कौन है। राहुल गांधी ने कहा कि ज्ञानेश कुमार उन लोगों को बचा रहे हैं, जो वोट काट रहे हैं।

राजीव प्रताप रूडी ने अपनी ही पार्टी के सांसद को घेरा, निशिकांत दूबे को लेकर कह दी बड़ी बात

#bjpmprajivprataprudymakesseriousallegationsagainstnishikantdubey

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद राजीव प्रताप रूडी ने अपनी ही पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे पर हमला बोला। राजीव प्रताप रूडी ने झारखंड के गोड्डा से अपनी ही पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रूडी ने दुबे को अहंकारी बताया और कहा कि वे संसद में अपनी अलग ही 'सरकार' चलाते हैं। रूडी ने एक इंटरव्यू के दौरान दुबे को लेकर गंभीर बातें कहीं।

न्यूजलॉण्ड्री के साथ एक इंटरव्यू के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री रूडी ने साथी सांसद पर उस वक्त निशाना साधा, जब उनसे कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया के लिए हाल ही में संपन्न चुनाव और पार्टी की अंदरूनी राजनीति को लेकर सवाल पूछे गए। रूडी से एक इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या कांस्टीट्यूशन क्लब के चुनाव में उन्हें सोनिया गांधी और राहुल गांधी का समर्थन मिला था। उनसे यह भी पूछा गया कि क्या गृह मंत्री अमित शाह पूर्व सांसद संजीव बालियान का समर्थन कर रहे थे।

दुबे पर गलत खबरें फैलाने का लगाया आरोप

रूडी ने इन खबरों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति संसद में अपनी सरकार चलाता है और वही गलत खबरें फैला रहा है। राजीव प्रताप रूडी ने निशिकांत दुबे पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे संसद में खुद को सरकार से अलग अपनी ही 'सरकार' चलाने का दिखावा करते हैं, जिसमें उनका (रूडी का) कोई हिस्सा नहीं है।

दुबे सोचते हैं कि वे संसद को नियंत्रित करते हैं-रूडी

रूडी ने सीधे तौर पर निशिकांत दुबे का नाम लिया। उन्होंने कहा कि दुबे सोचते हैं कि वे संसद को नियंत्रित करते हैं और वहां अपना शो चलाते हैं। रूडी ने यह भी कहा कि दुबे ने गृह मंत्री अमित शाह का नाम इस मामले में उछाला।

निशिकांत दुबे पर गंभीर आरोप

राजीव प्रताप रूडी ने आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान उनके खिलाफ प्रचार की अगुवाई पार्टी सांसद निशिकांत दुबे ने की। रूडी ने दावा किया कि चुनाव के दौरान उन्हें अमित शाह से लेकर जेपी नड्डा तक सभी का समर्थन हासिल था। लेकिन निशिकांत दुबे ने उनके खिलाफ उम्मीदवार खड़ा करके गलत तरीके से विवाद पैदा करने की कोशिश की। रूडी का कहना है कि दुबे ने हरसंभव कोशिश की कि वे चुनाव न जीत सकें। यह बयान न केवल चुनावी प्रतिस्पर्धा की कटुता को दिखाता है, बल्कि इस ओर भी संकेत करता है कि पार्टी की राजनीति अब व्यक्तिगत हमलों और भीतरघात तक पहुंच चुकी है।

“Keetanu – The Germ”: A Film or a Harsh Social Reality Under Fire?

Mumbai – Even before its official screening, the short film “Keetanu – The Germ” has already stirred waves of controversy in film and social circles. Shot entirely in black and white and featuring no dialogues, the film by Neelu Chopra and co-director Ranju Cycloney has been hailed as bold by some — but deeply problematic by others.

The Core of the Controversy: Art or Exploitation?

While many are applauding the film as a "new wave of cinematic expression", several critics and social organizations are questioning its intent. The story revolves around drug-addicted ragpickers and society’s marginalized, portrayed in an intensely raw and bleak light.

Some activists argue that the film romanticizes or exploits the pain of the underprivileged, turning real-life suffering into a dramatic spectacle for awards and acclaim, rather than driving actual awareness or change.

No Dialogue, Yet Too Much To Say?

The filmmakers claim the absence of dialogue is meant to amplify the emotional weight of the visuals. But critics argue that silence in a socially charged subject like addiction may confuse audiences, or worse, strip the characters of their voice — literally and symbolically.

“This isn’t silence for artistic effect — this is silence that mutes an entire community,” one reviewer noted.

 Shooting Locations Spark Backlash

The film was shot in Versova and Madh Jetty in Mumbai — areas close to slum dwellings and underprivileged populations. Allegations have surfaced that local residents were not properly consulted or compensated, leading to discontent within those communities. Some claim the film used these real-life locations without contextual sensitivity.

 Filmmakers Respond: “We’re Just Holding Up a Mirror”

In her defense, Neelu Chopra stated in an interview:

> “Our goal was never to offend — we’re simply showing the harsh truth. If it’s uncomfortable, maybe it’s because it needs to be seen.”

Still, questions persist: Does cinema have a responsibility to protect the dignity of its subjects, even in fiction?

 Critics Divided, Debate Intensifies

Some cinephiles call the film a raw masterpiece, a “silent scream” of those whose stories are never told. Others see it as a calculated move to win critical attention by portraying poverty and addiction through a stylized lens.

The absence of spoken words hasn’t silenced the noise — if anything, it’s made the conversation louder, sharper, and far more polarized.

 Conclusion: The Film is Silent, But the Controversy is Not

“Keetanu – The Germ” might be a short film, but the storm it has created is anything but small. Whether it’s art, exploitation, or activism in disguise — one thing is certain:

कर्नाटक उपमुख्यमंत्री को कौन कर रहा ब्लैकमेल? जानें डीके शिवकुमार के इस बड़े आरोप की पूरी वजह

#dkshivakumarmlablackmailallegations

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने बड़ा आरोप लगाया है। शिवकुमार ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि विभिन्न राजनीतिक दलों के विधायक बेंगलुरू के कचरा संकट को लेकर सरकार को ब्लैकमेल कर रहे हैं। शिवकुमार ने विधान परिषद में उन्हें ‘ब्लैकमेलर' बताते हुए उन्होंने दावा किया कि ये विधायक विकास निधि में 800 करोड़ रुपये की मांग कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि शहर के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को एक बड़ा माफिया नियंत्रित कर रहा है।

उपमुख्यमंत्री शहर में कूड़े के मुद्दे पर विधान पार्षद एम. नागराजू के सवाल का जवाब दे रहे थे। नागराजू ने बताया कि कचरा निस्तारण सुविधाओं की कमी के कारण कई कचरा परिवहन वाहन सड़कों पर फंसे हुए हैं। उन्होंने शहर से कचरा साफ न होने पर भी चिंता जताई। इस पर बेंगलुरु विकास मंत्री शिवकुमार ने विधान परिषद में कहा, मैंने मीडिया में कचरे की समस्या के बारे में खबरें देखी हैं। यहाँ एक बड़ा माफिया है। कचरा निस्तारण ठेकेदारों ने एक गिरोह बना लिया है और मानक दरों से 85 प्रतिशत अधिक कीमत लगाई है। अब, उन्होंने हमें कार्रवाई करने से रोकने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

कचरे के प्रबंधन में कहां है पेंच?

शिवकुमार ने आगे दावा किया कि कानूनी बाधाओं के कारण ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को कारगर बनाने के सरकारी प्रयासों में देरी हो रही है। उपमुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि सरकार ने शहर के कचरा निपटान कार्य को चार पैकेजों में विभाजित करने और कचरे को 50 किलोमीटर दूर ले जाने की योजना बनाई थी, लेकिन यह पहल रुकी हुई है।

'बंगलूरू के विधायक हमें ब्लैकमेल कर रहे हैं'

उन्होंने कहा, 'हमारे बंगलूरू के विधायक हमें ब्लैकमेल कर रहे हैं। मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता। मैं आपको सच्चाई बता रहा हूं। वे सभी पार्टियों से हैं। वे विकास निधि के रूप में 800 करोड़ रुपये चाहते हैं। मैं यहां उनका नाम नहीं ले सकता।' उन्होंने परिषद को बताया कि पिछले तीन दिनों से शहर के महादेवपुरा में वाहन फंसे हुए हैं।

बांग्लादेशी राजदूत ने अपनी ही सरकार को घेरा, मोहम्मद यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

#bangladeshambassadorharunalrashidallegationsagainstmuhammadyunus 

शेख हसीने के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। मोहम्मद यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरता अपने चरम पर है। मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं। अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और कट्टरपंथियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने से दुनिया भर में यूनुस सरकार की निंदा हुई है। भारत ने भी हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर कई बार बांग्लादेश सरकार को कड़े कदम उठाने को लेकर बोल चुका है। लेकिन यूनुस सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इस बीच मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा है।

राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाया है। रशीद का कहना है कि यूनुस बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष संरचना को तोड़ने और शेख हसीना की सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं।

हारुन अल रशीद ने फेसबुक पर पोस्ट कर मोहम्मद यूनुस पर जमकर निशाना साधा। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

कौन हैं हारुन अल रशीद?

बांग्लादेश सरकार ने अक्टूबर, 2023 में मोहम्मद हारुन अल रशीद को मोरक्को में बांग्लादेश का राजदूत नियुक्त किया था। मोहम्मद हारुन अल रशीद बांग्लादेश सिविल सेवा (विदेश मामले) कैडर के 20वें बैच से आते हैं। उन्होंने 2001 में सेवा में शामिल होने के बाद कनाडा में बांग्लादेश उच्चायोग में मंत्री और उप उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया है। वह रोम, काहिरा, मैक्सिको सिटी और मैड्रिड में बांग्लादेश मिशनों में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।

ट्रेन हाईजैक के आरोपों पर पाक को भारत का जवाब, कहा-दुनिया जानती है ग्लोबल आतंकवाद का केंद्र कहां

#pakistantrainhijackindiamearejectspaki_allegations

पाकिस्तान ने बलूचिस्तान प्रांत में ट्रेन हाईजैक की घटना के पीछे भारत का हाथ बताया है। शहबाज सरकार की ओर से लगाए गए इस आरोप पर भारत ने करारा जवाब दिया है। भारत ने पाकिस्तान के विदेश कार्यालय द्वारा लगाए गए उन आरोपों का जोरदार खंडन किया है। भारत ने कहा है कि पूरी दुनिया को पता है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है? दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से आरोप लगाए गए थे कि जाफर एक्सप्रेस हमले मामले में भारत का हाथ हो सकता है।

“अपने अंदर झांकना चाहिए”

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम पाकिस्तान के निराधार आरोपों को दृढ़ता से खंडन करते हैं। पूरी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है? पाकिस्तान को अपनी अंदरूनी समस्याओं और विफलताओं के लिए दूसरों पर उंगली उठाने और दोष मढ़ने के बजाय अपने अंदर झांकना चाहिए।

पाक ने क्या कहा था?

इससे पहले गुरुवार को पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने दावा किया था कि जाफर एक्सप्रेस पर हमले में शामिल विद्रोही अफगानिस्तान में मौजूद सरगनाओं के संपर्क में थे।शफकत अली खान ने अपने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, भारत पाकिस्तान में आतंकवाद में शामिल रहा है। जाफर एक्सप्रेस पर विशेष हमले में आतंकवादी अफगानिस्तान में मौजूद अपने आकाओं और सरगनाओं के संपर्क में थे। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंध सीमा पर लगातार झड़पों और इस्लामाबाद के दावों के कारण तनावपूर्ण हो गए हैं।

पाकिस्तान में 11 मार्च को जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का हाईजैक हुआ। जाफ़र एक्सप्रेस की घटना में 450 से अधिक यात्री शामिल थे, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 21 यात्री, चार सैनिक और अलगाववादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के 33 आतंकवादी शामिल थे। पाकिस्तान लगातार भारत पर बलूचिस्तान में अशांति पैदा करने के लिए बीएलए जैसे समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाता है, इन आरोपों का भारत ने खंडन किया है।

भारत में कोई घर और जमीन नहीं, कभी सैलरी नहीं ली, क्यों पड़ी सैम पित्रोदा को ऐसा बोलने की जरूरत?

#sampitrodadismissesbjpleader_allegations

भारतीय ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा पर 150 करोड़ की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे का आप लगा है। सैम पित्रोदा पर कर्नाटक के भारतीय जनता पार्टी के एक नेता ने 150 करोड़ रुपए की सरकारी जमीन पर कब्जे का आरोप लगाया है। इस पर पित्रोदा ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा- भारत में मेरे पास कोई जमीन, घर या शेयर नहीं है।

भाजपा नेता एनआर रमेश ने आरोप लगाया है कि वन विभाग के अधिकारियों समेत पांच सीनियर सरकारी अधिकारियों की मदद से सैम पित्रोदा ने बेंगलुरु के येलहंका में 150 करोड़ रुपये की 12.35 एकड़ क सरकारी जमीन अवैध रूप से हासिल की है। उन्होंने लीज की अवधि खत्म होने के बाद भी जमीन वापस नहीं की। जमीन की वैल्यू 150 करोड़ रुपए है। बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के पूर्व पार्षद रमेश ने ईडी और कर्नाटक लोकायुक्त से इस मामले में शिकायत की है।

भारतीय ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने भाजपा नेता एन आर रमेश के आरोप का जवाब दिया है। पित्रोदा ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर एक बयान में कहा, हाल ही में भारतीय मीडिया में टेलीविजन और प्रिंट दोनों पर आई खबरों के मद्देनजर, मैं साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि मेरे पास भारत में कोई जमीन, घर या शेयर नहीं है।

कभी भी कोई रिश्वत नहीं दी या स्वीकारी-पित्रोदा

अमेरिका में रह रहे कांग्रेस नेता ने कहा, इसके अलावा भारत सरकार के साथ काम करने के दौरान- चाहे 1980 के दशक में प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ या 2004 से 2014 तक डॉ मनमोहन सिंह के साथ- मैंने कभी कोई सैलरी नहीं ली। पित्रोदा ने कहा, मैं साफ तौर पर यह बात रिकॉर्ड में रखना चाहता हूं कि मैंने अपने पूरे जीवन में - 83 साल में - भारत में या किसी अन्य देश में कभी भी कोई रिश्वत नहीं दी या स्वीकार नहीं की। यह पूर्ण सत्य है।

भाजपा नेता का आरोप

बीजेपी नेता रमेश ने अपनी शिकायत में कहा कि पित्रोदा ने 23 अक्टूबर 1993 को मुंबई महाराष्ट्र के को-ऑपरेटिव सोसाइटी के रजिस्ट्रार ऑफिस में फाउंडेशन फॉर रिवाइटलाइजेशन ऑफ लोकल हेल्थ ट्रेडिशन (एफआरएलएचटी) नाम से एक ऑर्गनाइजेशन रजिस्टर किया था। पित्रोदा ने कर्नाटक राज्य वन विभाग से औषधीय जड़ी-बूटियों के संरक्षण और रिसर्च के लिए एक रिजर्व वन क्षेत्र को लीज पर देने का अनुरोध किया।

पित्रोदा के अनुरोध पर विभाग ने 1996 में बेंगलुरु के येलहंका के पास जरकबांडे कवल में बी ब्लॉक में 12.35 एकड़ आरक्षित वन भूमि को पांच साल की लीज पर दे दिया। एफआरएलएचटी को दी गई शुरुआती पांच साल की लीज 2001 में खत्म हो गई थी, जिसके बाद कर्नाटक वन विभाग ने इसे अगले 10 सालों के लिए बढ़ा दिया।

पित्रोदा के मुंबई में एफआरएलएचटी को दी गई लीज 2 दिसंबर 2011 को खत्म हो गई थी और इसे आगे नहीं बढ़ाया गया। जब लीज समाप्त हो गई, तो राज्य वन विभाग को इस 12.35 एकड़ की बहुमूल्य सरकारी जमीन को वापस लेना था, जिसकी अब कीमत 150 करोड़ रुपए से ज्यादा है। रमेश ने आरोप लगाया कि वन विभाग के अधिकारियों ने पिछले 14 सालों में इस जमीन को वापस लेने का कोई प्रयास नहीं किया।

खरीद-फरोख्त पर आप के आरोप की होगी जांच, एलजी ने दिए आदेश

#delhi_elections_investigation_into_horse_trading_allegations

शनिवार को दिल्ली चुनाव नतीजे आ वाले हैं। इस बीच एग्जिट पोल की भविष्यवाणियां आ गई हैं। लगभग सभी एग्जिट पोल में भाजपा की जीत के दावे किए गए हैं। एग्जिट पोल के दावों ने आम आदमी पार्टी की बेचैनी बढ़ा दी है। आप के मुखिया और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मतगणना से पहले बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया था कि उनके 16 कैंडिडेट्स से बीजेपी संपर्क कर रही है। उन्हें खरीदने की कोशिश कर रही है। इन आरोपों को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने उपराज्यपाल से शिकायत की थी। जिसके बाद एलजी विनय कुमार सक्सेना ने बीजेपी की शिकायत की जांच के आदेश दिए हैं।

बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में शिकायत दर्ज करवाई है। विधायकों की खरीद के आरोप लगाने पर बीजेपी ने ये शिकायत दर्ज करवाई है। ऑनलाइन कंप्लेन भेजकर ये शिकायत करवाई कराई गई है। एसीबी ने कंप्लेन मिलने के बाद शिकायत दर्ज कर ली है। अपनी शिकायत में बीजेपी ने आप के उन तमाम ट्विटर हैंडल का भी हवाला दिया है जिससे बीजेपी पर आरोप लगाए गए थे। अब एलजी ने आप के इन आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं। एसीबी इस मामले में जांच करेगी। एलजी के आदेश के बाद एसीबी की टीम संजय सिंह और मुकेश अलावत से पूछताछ करेगी।

इससे पहले केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि अब तक उनके 16 उम्मीदवारों को भाजपा की तरफ से फोन किया जा चुका है। उन्हें लालच देकर भाजपा में शामिल करवाने की कोशिश की जा रही है। उम्मीदवारों से कहा जा रहा है कि आप छोड़ कर भाजपा में आ जाओ। मंत्री बना देंगे और 15-15 करोड़ देंगे। सोशल मीडिया पर केजरीवाल ने लिखा कि कुछ एजेंसी दिखा रही हैं कि भाजपा की 55 से ज्यादा सीटें आ रही हैं। अगर ज्यादा सीटें आ रहीं हैं तो आप उम्मीदवारों को फोन करने की क्या जरूरत है। सभी सर्वे फर्जी हैं। इसके माध्यम से दिल्ली में माहौल बनाकर आप के उम्मीदवारों को साधने की कोशिश की जा रही है।

आप सांसद संजय सिंह ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता में कहा कि इस बार भी भाजपा की सरकार नहीं बनेगी। ऐसे में आप को तोड़कर भाजपा सरकार बनाने का प्रयास कर रही है। आप के सात उम्मीदवारों से भाजपा संपर्क कर 15-15 करोड़ रुपये लेकर पार्टी में शामिल करना चाह रही है। उन्होंने सभी उम्मीदवारों को सचेत रहने की सलाह देते हुए कहा कि भाजपा से जितनी भी कॉल आएं, उनकी रिकॉर्डिंग कर लें। अगर कोई मुलाकात कर पैसे का ऑफर देता है, तो हिडन कैमरे से वीडियो बना लें।

अखिलेश ने क्यों कही अपने इस्तीफे की बात? लोकसभा में महाकुंभ हादसे को लेकर सपा अध्यक्ष का बड़ा दावा

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समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव ने संसद में महाकुंभ भगदड़ को लेकर योगी सरकार पर जमकर निशाने साधे। उन्होंने सीएम योगी पर भगदड़ की पूरी हकीकत छिपाने का आरोप लगाया। उन्होंने इस हादसे को लेकर कुछ दावे भी किए और कहा कि अगर उनके दावे गलत निकले तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।

संसद भवन में राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के कन्‍नौज सांसद अखिलेश यादव ने महाकुंभ में हुए भगदड़ हादसे को लेकर सवाल उठाए। पहले तो अखिलेश यादव ने अपने भाषण की शुरुआत में स्‍पीकर ओम बिड़ला से आग्रह किया कि जब चर्चा खत्‍म हो रही होगी तब महाकुंभ हादसे के पीड़‍ितों के प्रति 2 मिनट मौन रखने की इजाजत दी जाए। उन्‍होंने कहा कि हमारा अनुरोध है कि जहां सरकार बजट के आंकड़े दे रही है, उससे पहले महाकुंभ में मरने वालों के आंकड़े भी दिए जाएं। इस बारे में सर्वदलीय बैठक बुलाया जाए। उन्‍होंने मांग की कि ‘महाकुंभ आपदा प्रबंधन व खोया पाया केंद्र की ज‍िम्‍मेदारी सेना को दी जाए। घायलों का इलाज, दवाइयां, डॉक्‍टर, भोजन-पानी का आंकड़ा सदन में रखा जाए। इस हादसे के लिए जिम्‍मेदार लोगों पर घोर दंडात्‍मक एक्‍शन लिया जाए।

अखिलेश ने कहा, लोग पुण्य कमाने आए थे और अपनों के शव लेकर गए। उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि एक धार्मिक समागम में राजनीतिक प्रचार अशोभनीय, निंदनीय है। जहां उचित व्यवस्था होनी चाहिए थी, वहां राजनीतिक प्रचार किया जा रहा है। धार्मिक आयोजन में राजनीतिक प्रचार करना, खासकर डबल इंजन वाली सरकार में, शर्मनाक और निंदनीय है। अखिलेश ने सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार ने महाकुंभ का इतना प्रचार किया और मैंने कई टीवी इंटरव्यू और समाचार चैनलों पर ये बात सुनने में आई कि सरकार ने 100 करोड़ लोगों के आने का इंतजाम किया है। अगर ये बात गलत है तो मैं इस्तीफा आपको देना चाहता हूं।

सपा प्रमुख ने कहा कि हम डबल इंजन सरकार से पूछते हैं कि अगर अपराध बोध नहीं था तो आंकड़े दबाए, छिपाए और मिटाए क्‍यों गए? सच छिपाना, मिटाना भी तो अपराध है? डबल इंजन सरकार का प्रचार करते अब तो वो होर्डिंग हटा देने चाहिए। महाकुंभ के डिजिटल होने का दावा किया गया, वो लोग अब मृतकों की डिजिट तक नहीं दे पा रहे हैं। खोया पाया केंद्र को भी लोग नहीं ढूंढ पा रहे।

सपा सांसद ने कहा कि कुंभ का आयोजन सदियों से होता आया है। 144 साल बाद महाकुंभ होने जा रहा है, उसका इतना प्रचार किया गया कि सरकार ने 100 करोड़ लोगों के आने का इंतजाम किया गया है। जहां तक मेरी समझ और जानकारी कहती है कि जो ज्‍योतिष संबंधी चीजों को की समझते होंगे कि वो ये स्‍वीकार करते होंगे कि जो भी कुंभ होता होगा 144 साल बाद ही होता होगा। लेकिन ये कहा गया कि नक्षत्र ऐसे हैं। मैं सरकार से ये कहना चाहता हूं कि सतयुग से कलियुग तक ये सनातन परंपरा रही है कि संत, महात्‍मा मुहूर्त के हिसाब से शाही स्‍नान करते हैं। लेकिन भाजपा के राज में ये परंपरा टूट गई और हादसे को छिपाकर ये आदेश दिया गया कि अखाड़े शाही स्‍नान करने जाएं। ये सनातन परंपरा तोड़कर अच्‍छा नहीं किया गया।

झामुमो विधायक पर फर्जी पहचान पत्र इस्तेमाल का आरोप, दशरथ गगराई के खिलाफ जांच के आदेश

#allegationsofjmmmlausingfakeidentity_card

झारखंड के झामुमो विधायक दशरथ गगराई पर चुनाव में फर्जी पहचान पत्र इस्तेमाल करने का आरोप लगा है। झारखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के. रविकुमार ने औपचारिक शिकायत के बाद सरायकेला-खरसवान के पुलिस उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह को आरोपों की जांच के आदेश दे दिए हैं। लालजी राम तियु नाम के व्यक्ति ने तीन बार खरसावां से विधायक रहे गगराई की पहचान पर सवाल उठाते हुए एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद जांच के आदेश दिए गए हैं।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि लालजी राम तियु नामक व्यक्ति ने तीन बार खरसावां से विधायक रहे गगराई की पहचान पर सवाल उठाते हुए एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा, मैंने शिकायतकर्ता के हलफनामे के साथ शिकायत को सरायकेला-खरसावां के उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह को जांच के लिए भेज दिया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि चुनाव समाप्त होने और परिणाम घोषित होने के बाद विधायकों से जुड़े विवादों का निपटारा राज्य के राज्यपाल को करना होता है और सांसदों से जुड़े विवादों का निपटारा राष्ट्रपति करते हैं।

विधायक ने आरोप को किया खारिज

वहीं विधायक ने आरोप को खारिज करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता को सत्ता में बैठे लोगों पर ऐसे आरोप लगाने की आदत है। दशरथ गगराई का कहना है कि, मैंने जो हलफनामे और दस्तावेज जमा किए उनकी विधानसभा चुनावों में तीन बार जांच की गई। आरोप निराधार हैं। दरअसल, नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी शिकायतकर्ता अब जमानत पर बाहर हैं और सत्ता में बैठे लोगों पर ऐसे आरोप लगाने की उनकी आदत है।

इलेक्शन कमीशन की वोट चोरी मामले पर राहुल गांधी को दो टूक, कहा- वोट ऑनलाइन डिलीट नहीं हो सकता

#electioncommissionofindiasaidrahulgandhiallegationsincorrect

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ आज चुनाव आयोग पर वोट डिलीट करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों पर अब चुनाव आयोग की तरफ से बयान सामने आया है। चुनाव आयोग ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया है। चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए राहुल के सभी आरोपों को गलत ठहराया है। हालांकि, चुनाव आयोग ने स्वीकार किया कि कर्नाटक के अलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के नाम हटाने के कुछ असफल प्रयास किए गए थे और मामले की जांच के लिए चुनाव आयोग ने खुद एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

चुनाव आयोग के अनुसार, कोई भी आम नागरिक ऑनलाइन तरीके से किसी का भी नाम वोटर लिस्ट से नहीं हटा सकता। आयोग ने यह भी कहा कि किसी का नाम हटाने से पहले उसे अपनी बात रखने का मौका दिया जाता है। हालांकि, चुनाव आयोग ने ये माना कि 2023 में आलंद विधानसभा क्षेत्र में कुछ लोगों ने वोटर लिस्ट से नाम हटाने की कोशिश की थी। इस मामले में खुद आयोग ने एफआईआर दर्ज कराई थी।

प्रोसेस को हाईजैक कर वोटरों का नाम डिलीट करने का आरोप

इससे पहले राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मैं मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ 100 फीसदी सबूत रखने जा रहा हूं। उन्होंने कहा कि सोच-समझकर कांग्रेस के वोट काटे गए। प्रोसेस को हाईजैक कर वोटरों के नाम डिलीट किए गए। उन्होंने कहा कि 14 मिनट में 12 वोट डिलीट किए गए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के वोटरों को निशाना बनाया जा रहा है।

चुनाव आयोग पर राहुल के आरोप

कांग्रेस सांसद ने कहा, कर्नाटक में अलंद एक निर्वाचन क्षेत्र है। किसी ने 6018 वोटों को हटाने की कोशिश की। हमें नहीं पता कि 2023 के चुनाव में अलंद में कुल कितने वोट हटाए गए। ये संख्या 6018 से कहीं ज्यादा है, लेकिन कोई उन वोटों को हटाते हुए पकड़ा गया, और यह संयोग से हुआ। वहां के बूथ लेवल अधिकारी ने देखा कि उसके चाचा का वोट हटा दिया गया है। उन्होंने कहा, 'जब उसने जांच की कि उसके चाचा का वोट किसने हटाया। उसे पता चला कि वोट हटाने वाला एक पड़ोसी था। उसने अपने पड़ोसी से पूछा, लेकिन उन्होंने कहा कि मैंने कोई वोट नहीं हटाया। न तो वोट हटाने वाले व्यक्ति को और न ही जिसका वोट हटाया गया था, उसे इस बारे में पता था। किसी और ताकत ने इस प्रक्रिया को हाईजैक कर लिया और वोट हटा दिया।

ज्ञानेश कुमार वोट चोरों को बचा रहे-राहुल गांधी

कांग्रेस नेता ने कहा कि हर चुनाव में वोटरों के नाम काटे गए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग जानता है कि इसके पीछे कौन है। राहुल ने कहा कि महाराष्ट्र के राजुरा में 6850 वोट काटे गए। उन्होंने कहा कि ज्ञानेश कुमार नहीं बता रहे हैं कि इसके पीछे कौन है। राहुल गांधी ने कहा कि ज्ञानेश कुमार उन लोगों को बचा रहे हैं, जो वोट काट रहे हैं।

राजीव प्रताप रूडी ने अपनी ही पार्टी के सांसद को घेरा, निशिकांत दूबे को लेकर कह दी बड़ी बात

#bjpmprajivprataprudymakesseriousallegationsagainstnishikantdubey

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद राजीव प्रताप रूडी ने अपनी ही पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे पर हमला बोला। राजीव प्रताप रूडी ने झारखंड के गोड्डा से अपनी ही पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रूडी ने दुबे को अहंकारी बताया और कहा कि वे संसद में अपनी अलग ही 'सरकार' चलाते हैं। रूडी ने एक इंटरव्यू के दौरान दुबे को लेकर गंभीर बातें कहीं।

न्यूजलॉण्ड्री के साथ एक इंटरव्यू के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री रूडी ने साथी सांसद पर उस वक्त निशाना साधा, जब उनसे कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया के लिए हाल ही में संपन्न चुनाव और पार्टी की अंदरूनी राजनीति को लेकर सवाल पूछे गए। रूडी से एक इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या कांस्टीट्यूशन क्लब के चुनाव में उन्हें सोनिया गांधी और राहुल गांधी का समर्थन मिला था। उनसे यह भी पूछा गया कि क्या गृह मंत्री अमित शाह पूर्व सांसद संजीव बालियान का समर्थन कर रहे थे।

दुबे पर गलत खबरें फैलाने का लगाया आरोप

रूडी ने इन खबरों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति संसद में अपनी सरकार चलाता है और वही गलत खबरें फैला रहा है। राजीव प्रताप रूडी ने निशिकांत दुबे पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे संसद में खुद को सरकार से अलग अपनी ही 'सरकार' चलाने का दिखावा करते हैं, जिसमें उनका (रूडी का) कोई हिस्सा नहीं है।

दुबे सोचते हैं कि वे संसद को नियंत्रित करते हैं-रूडी

रूडी ने सीधे तौर पर निशिकांत दुबे का नाम लिया। उन्होंने कहा कि दुबे सोचते हैं कि वे संसद को नियंत्रित करते हैं और वहां अपना शो चलाते हैं। रूडी ने यह भी कहा कि दुबे ने गृह मंत्री अमित शाह का नाम इस मामले में उछाला।

निशिकांत दुबे पर गंभीर आरोप

राजीव प्रताप रूडी ने आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान उनके खिलाफ प्रचार की अगुवाई पार्टी सांसद निशिकांत दुबे ने की। रूडी ने दावा किया कि चुनाव के दौरान उन्हें अमित शाह से लेकर जेपी नड्डा तक सभी का समर्थन हासिल था। लेकिन निशिकांत दुबे ने उनके खिलाफ उम्मीदवार खड़ा करके गलत तरीके से विवाद पैदा करने की कोशिश की। रूडी का कहना है कि दुबे ने हरसंभव कोशिश की कि वे चुनाव न जीत सकें। यह बयान न केवल चुनावी प्रतिस्पर्धा की कटुता को दिखाता है, बल्कि इस ओर भी संकेत करता है कि पार्टी की राजनीति अब व्यक्तिगत हमलों और भीतरघात तक पहुंच चुकी है।

“Keetanu – The Germ”: A Film or a Harsh Social Reality Under Fire?

Mumbai – Even before its official screening, the short film “Keetanu – The Germ” has already stirred waves of controversy in film and social circles. Shot entirely in black and white and featuring no dialogues, the film by Neelu Chopra and co-director Ranju Cycloney has been hailed as bold by some — but deeply problematic by others.

The Core of the Controversy: Art or Exploitation?

While many are applauding the film as a "new wave of cinematic expression", several critics and social organizations are questioning its intent. The story revolves around drug-addicted ragpickers and society’s marginalized, portrayed in an intensely raw and bleak light.

Some activists argue that the film romanticizes or exploits the pain of the underprivileged, turning real-life suffering into a dramatic spectacle for awards and acclaim, rather than driving actual awareness or change.

No Dialogue, Yet Too Much To Say?

The filmmakers claim the absence of dialogue is meant to amplify the emotional weight of the visuals. But critics argue that silence in a socially charged subject like addiction may confuse audiences, or worse, strip the characters of their voice — literally and symbolically.

“This isn’t silence for artistic effect — this is silence that mutes an entire community,” one reviewer noted.

 Shooting Locations Spark Backlash

The film was shot in Versova and Madh Jetty in Mumbai — areas close to slum dwellings and underprivileged populations. Allegations have surfaced that local residents were not properly consulted or compensated, leading to discontent within those communities. Some claim the film used these real-life locations without contextual sensitivity.

 Filmmakers Respond: “We’re Just Holding Up a Mirror”

In her defense, Neelu Chopra stated in an interview:

> “Our goal was never to offend — we’re simply showing the harsh truth. If it’s uncomfortable, maybe it’s because it needs to be seen.”

Still, questions persist: Does cinema have a responsibility to protect the dignity of its subjects, even in fiction?

 Critics Divided, Debate Intensifies

Some cinephiles call the film a raw masterpiece, a “silent scream” of those whose stories are never told. Others see it as a calculated move to win critical attention by portraying poverty and addiction through a stylized lens.

The absence of spoken words hasn’t silenced the noise — if anything, it’s made the conversation louder, sharper, and far more polarized.

 Conclusion: The Film is Silent, But the Controversy is Not

“Keetanu – The Germ” might be a short film, but the storm it has created is anything but small. Whether it’s art, exploitation, or activism in disguise — one thing is certain:

कर्नाटक उपमुख्यमंत्री को कौन कर रहा ब्लैकमेल? जानें डीके शिवकुमार के इस बड़े आरोप की पूरी वजह

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कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने बड़ा आरोप लगाया है। शिवकुमार ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि विभिन्न राजनीतिक दलों के विधायक बेंगलुरू के कचरा संकट को लेकर सरकार को ब्लैकमेल कर रहे हैं। शिवकुमार ने विधान परिषद में उन्हें ‘ब्लैकमेलर' बताते हुए उन्होंने दावा किया कि ये विधायक विकास निधि में 800 करोड़ रुपये की मांग कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि शहर के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को एक बड़ा माफिया नियंत्रित कर रहा है।

उपमुख्यमंत्री शहर में कूड़े के मुद्दे पर विधान पार्षद एम. नागराजू के सवाल का जवाब दे रहे थे। नागराजू ने बताया कि कचरा निस्तारण सुविधाओं की कमी के कारण कई कचरा परिवहन वाहन सड़कों पर फंसे हुए हैं। उन्होंने शहर से कचरा साफ न होने पर भी चिंता जताई। इस पर बेंगलुरु विकास मंत्री शिवकुमार ने विधान परिषद में कहा, मैंने मीडिया में कचरे की समस्या के बारे में खबरें देखी हैं। यहाँ एक बड़ा माफिया है। कचरा निस्तारण ठेकेदारों ने एक गिरोह बना लिया है और मानक दरों से 85 प्रतिशत अधिक कीमत लगाई है। अब, उन्होंने हमें कार्रवाई करने से रोकने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

कचरे के प्रबंधन में कहां है पेंच?

शिवकुमार ने आगे दावा किया कि कानूनी बाधाओं के कारण ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को कारगर बनाने के सरकारी प्रयासों में देरी हो रही है। उपमुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि सरकार ने शहर के कचरा निपटान कार्य को चार पैकेजों में विभाजित करने और कचरे को 50 किलोमीटर दूर ले जाने की योजना बनाई थी, लेकिन यह पहल रुकी हुई है।

'बंगलूरू के विधायक हमें ब्लैकमेल कर रहे हैं'

उन्होंने कहा, 'हमारे बंगलूरू के विधायक हमें ब्लैकमेल कर रहे हैं। मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता। मैं आपको सच्चाई बता रहा हूं। वे सभी पार्टियों से हैं। वे विकास निधि के रूप में 800 करोड़ रुपये चाहते हैं। मैं यहां उनका नाम नहीं ले सकता।' उन्होंने परिषद को बताया कि पिछले तीन दिनों से शहर के महादेवपुरा में वाहन फंसे हुए हैं।

बांग्लादेशी राजदूत ने अपनी ही सरकार को घेरा, मोहम्मद यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

#bangladeshambassadorharunalrashidallegationsagainstmuhammadyunus 

शेख हसीने के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। मोहम्मद यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरता अपने चरम पर है। मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं। अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और कट्टरपंथियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने से दुनिया भर में यूनुस सरकार की निंदा हुई है। भारत ने भी हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर कई बार बांग्लादेश सरकार को कड़े कदम उठाने को लेकर बोल चुका है। लेकिन यूनुस सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इस बीच मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा है।

राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाया है। रशीद का कहना है कि यूनुस बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष संरचना को तोड़ने और शेख हसीना की सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं।

हारुन अल रशीद ने फेसबुक पर पोस्ट कर मोहम्मद यूनुस पर जमकर निशाना साधा। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

कौन हैं हारुन अल रशीद?

बांग्लादेश सरकार ने अक्टूबर, 2023 में मोहम्मद हारुन अल रशीद को मोरक्को में बांग्लादेश का राजदूत नियुक्त किया था। मोहम्मद हारुन अल रशीद बांग्लादेश सिविल सेवा (विदेश मामले) कैडर के 20वें बैच से आते हैं। उन्होंने 2001 में सेवा में शामिल होने के बाद कनाडा में बांग्लादेश उच्चायोग में मंत्री और उप उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया है। वह रोम, काहिरा, मैक्सिको सिटी और मैड्रिड में बांग्लादेश मिशनों में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।

ट्रेन हाईजैक के आरोपों पर पाक को भारत का जवाब, कहा-दुनिया जानती है ग्लोबल आतंकवाद का केंद्र कहां

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पाकिस्तान ने बलूचिस्तान प्रांत में ट्रेन हाईजैक की घटना के पीछे भारत का हाथ बताया है। शहबाज सरकार की ओर से लगाए गए इस आरोप पर भारत ने करारा जवाब दिया है। भारत ने पाकिस्तान के विदेश कार्यालय द्वारा लगाए गए उन आरोपों का जोरदार खंडन किया है। भारत ने कहा है कि पूरी दुनिया को पता है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है? दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से आरोप लगाए गए थे कि जाफर एक्सप्रेस हमले मामले में भारत का हाथ हो सकता है।

“अपने अंदर झांकना चाहिए”

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम पाकिस्तान के निराधार आरोपों को दृढ़ता से खंडन करते हैं। पूरी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है? पाकिस्तान को अपनी अंदरूनी समस्याओं और विफलताओं के लिए दूसरों पर उंगली उठाने और दोष मढ़ने के बजाय अपने अंदर झांकना चाहिए।

पाक ने क्या कहा था?

इससे पहले गुरुवार को पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने दावा किया था कि जाफर एक्सप्रेस पर हमले में शामिल विद्रोही अफगानिस्तान में मौजूद सरगनाओं के संपर्क में थे।शफकत अली खान ने अपने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, भारत पाकिस्तान में आतंकवाद में शामिल रहा है। जाफर एक्सप्रेस पर विशेष हमले में आतंकवादी अफगानिस्तान में मौजूद अपने आकाओं और सरगनाओं के संपर्क में थे। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंध सीमा पर लगातार झड़पों और इस्लामाबाद के दावों के कारण तनावपूर्ण हो गए हैं।

पाकिस्तान में 11 मार्च को जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का हाईजैक हुआ। जाफ़र एक्सप्रेस की घटना में 450 से अधिक यात्री शामिल थे, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 21 यात्री, चार सैनिक और अलगाववादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के 33 आतंकवादी शामिल थे। पाकिस्तान लगातार भारत पर बलूचिस्तान में अशांति पैदा करने के लिए बीएलए जैसे समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाता है, इन आरोपों का भारत ने खंडन किया है।

भारत में कोई घर और जमीन नहीं, कभी सैलरी नहीं ली, क्यों पड़ी सैम पित्रोदा को ऐसा बोलने की जरूरत?

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भारतीय ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा पर 150 करोड़ की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे का आप लगा है। सैम पित्रोदा पर कर्नाटक के भारतीय जनता पार्टी के एक नेता ने 150 करोड़ रुपए की सरकारी जमीन पर कब्जे का आरोप लगाया है। इस पर पित्रोदा ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा- भारत में मेरे पास कोई जमीन, घर या शेयर नहीं है।

भाजपा नेता एनआर रमेश ने आरोप लगाया है कि वन विभाग के अधिकारियों समेत पांच सीनियर सरकारी अधिकारियों की मदद से सैम पित्रोदा ने बेंगलुरु के येलहंका में 150 करोड़ रुपये की 12.35 एकड़ क सरकारी जमीन अवैध रूप से हासिल की है। उन्होंने लीज की अवधि खत्म होने के बाद भी जमीन वापस नहीं की। जमीन की वैल्यू 150 करोड़ रुपए है। बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के पूर्व पार्षद रमेश ने ईडी और कर्नाटक लोकायुक्त से इस मामले में शिकायत की है।

भारतीय ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने भाजपा नेता एन आर रमेश के आरोप का जवाब दिया है। पित्रोदा ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर एक बयान में कहा, हाल ही में भारतीय मीडिया में टेलीविजन और प्रिंट दोनों पर आई खबरों के मद्देनजर, मैं साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि मेरे पास भारत में कोई जमीन, घर या शेयर नहीं है।

कभी भी कोई रिश्वत नहीं दी या स्वीकारी-पित्रोदा

अमेरिका में रह रहे कांग्रेस नेता ने कहा, इसके अलावा भारत सरकार के साथ काम करने के दौरान- चाहे 1980 के दशक में प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ या 2004 से 2014 तक डॉ मनमोहन सिंह के साथ- मैंने कभी कोई सैलरी नहीं ली। पित्रोदा ने कहा, मैं साफ तौर पर यह बात रिकॉर्ड में रखना चाहता हूं कि मैंने अपने पूरे जीवन में - 83 साल में - भारत में या किसी अन्य देश में कभी भी कोई रिश्वत नहीं दी या स्वीकार नहीं की। यह पूर्ण सत्य है।

भाजपा नेता का आरोप

बीजेपी नेता रमेश ने अपनी शिकायत में कहा कि पित्रोदा ने 23 अक्टूबर 1993 को मुंबई महाराष्ट्र के को-ऑपरेटिव सोसाइटी के रजिस्ट्रार ऑफिस में फाउंडेशन फॉर रिवाइटलाइजेशन ऑफ लोकल हेल्थ ट्रेडिशन (एफआरएलएचटी) नाम से एक ऑर्गनाइजेशन रजिस्टर किया था। पित्रोदा ने कर्नाटक राज्य वन विभाग से औषधीय जड़ी-बूटियों के संरक्षण और रिसर्च के लिए एक रिजर्व वन क्षेत्र को लीज पर देने का अनुरोध किया।

पित्रोदा के अनुरोध पर विभाग ने 1996 में बेंगलुरु के येलहंका के पास जरकबांडे कवल में बी ब्लॉक में 12.35 एकड़ आरक्षित वन भूमि को पांच साल की लीज पर दे दिया। एफआरएलएचटी को दी गई शुरुआती पांच साल की लीज 2001 में खत्म हो गई थी, जिसके बाद कर्नाटक वन विभाग ने इसे अगले 10 सालों के लिए बढ़ा दिया।

पित्रोदा के मुंबई में एफआरएलएचटी को दी गई लीज 2 दिसंबर 2011 को खत्म हो गई थी और इसे आगे नहीं बढ़ाया गया। जब लीज समाप्त हो गई, तो राज्य वन विभाग को इस 12.35 एकड़ की बहुमूल्य सरकारी जमीन को वापस लेना था, जिसकी अब कीमत 150 करोड़ रुपए से ज्यादा है। रमेश ने आरोप लगाया कि वन विभाग के अधिकारियों ने पिछले 14 सालों में इस जमीन को वापस लेने का कोई प्रयास नहीं किया।

खरीद-फरोख्त पर आप के आरोप की होगी जांच, एलजी ने दिए आदेश

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शनिवार को दिल्ली चुनाव नतीजे आ वाले हैं। इस बीच एग्जिट पोल की भविष्यवाणियां आ गई हैं। लगभग सभी एग्जिट पोल में भाजपा की जीत के दावे किए गए हैं। एग्जिट पोल के दावों ने आम आदमी पार्टी की बेचैनी बढ़ा दी है। आप के मुखिया और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मतगणना से पहले बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया था कि उनके 16 कैंडिडेट्स से बीजेपी संपर्क कर रही है। उन्हें खरीदने की कोशिश कर रही है। इन आरोपों को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने उपराज्यपाल से शिकायत की थी। जिसके बाद एलजी विनय कुमार सक्सेना ने बीजेपी की शिकायत की जांच के आदेश दिए हैं।

बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में शिकायत दर्ज करवाई है। विधायकों की खरीद के आरोप लगाने पर बीजेपी ने ये शिकायत दर्ज करवाई है। ऑनलाइन कंप्लेन भेजकर ये शिकायत करवाई कराई गई है। एसीबी ने कंप्लेन मिलने के बाद शिकायत दर्ज कर ली है। अपनी शिकायत में बीजेपी ने आप के उन तमाम ट्विटर हैंडल का भी हवाला दिया है जिससे बीजेपी पर आरोप लगाए गए थे। अब एलजी ने आप के इन आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं। एसीबी इस मामले में जांच करेगी। एलजी के आदेश के बाद एसीबी की टीम संजय सिंह और मुकेश अलावत से पूछताछ करेगी।

इससे पहले केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि अब तक उनके 16 उम्मीदवारों को भाजपा की तरफ से फोन किया जा चुका है। उन्हें लालच देकर भाजपा में शामिल करवाने की कोशिश की जा रही है। उम्मीदवारों से कहा जा रहा है कि आप छोड़ कर भाजपा में आ जाओ। मंत्री बना देंगे और 15-15 करोड़ देंगे। सोशल मीडिया पर केजरीवाल ने लिखा कि कुछ एजेंसी दिखा रही हैं कि भाजपा की 55 से ज्यादा सीटें आ रही हैं। अगर ज्यादा सीटें आ रहीं हैं तो आप उम्मीदवारों को फोन करने की क्या जरूरत है। सभी सर्वे फर्जी हैं। इसके माध्यम से दिल्ली में माहौल बनाकर आप के उम्मीदवारों को साधने की कोशिश की जा रही है।

आप सांसद संजय सिंह ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता में कहा कि इस बार भी भाजपा की सरकार नहीं बनेगी। ऐसे में आप को तोड़कर भाजपा सरकार बनाने का प्रयास कर रही है। आप के सात उम्मीदवारों से भाजपा संपर्क कर 15-15 करोड़ रुपये लेकर पार्टी में शामिल करना चाह रही है। उन्होंने सभी उम्मीदवारों को सचेत रहने की सलाह देते हुए कहा कि भाजपा से जितनी भी कॉल आएं, उनकी रिकॉर्डिंग कर लें। अगर कोई मुलाकात कर पैसे का ऑफर देता है, तो हिडन कैमरे से वीडियो बना लें।

अखिलेश ने क्यों कही अपने इस्तीफे की बात? लोकसभा में महाकुंभ हादसे को लेकर सपा अध्यक्ष का बड़ा दावा

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समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव ने संसद में महाकुंभ भगदड़ को लेकर योगी सरकार पर जमकर निशाने साधे। उन्होंने सीएम योगी पर भगदड़ की पूरी हकीकत छिपाने का आरोप लगाया। उन्होंने इस हादसे को लेकर कुछ दावे भी किए और कहा कि अगर उनके दावे गलत निकले तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।

संसद भवन में राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के कन्‍नौज सांसद अखिलेश यादव ने महाकुंभ में हुए भगदड़ हादसे को लेकर सवाल उठाए। पहले तो अखिलेश यादव ने अपने भाषण की शुरुआत में स्‍पीकर ओम बिड़ला से आग्रह किया कि जब चर्चा खत्‍म हो रही होगी तब महाकुंभ हादसे के पीड़‍ितों के प्रति 2 मिनट मौन रखने की इजाजत दी जाए। उन्‍होंने कहा कि हमारा अनुरोध है कि जहां सरकार बजट के आंकड़े दे रही है, उससे पहले महाकुंभ में मरने वालों के आंकड़े भी दिए जाएं। इस बारे में सर्वदलीय बैठक बुलाया जाए। उन्‍होंने मांग की कि ‘महाकुंभ आपदा प्रबंधन व खोया पाया केंद्र की ज‍िम्‍मेदारी सेना को दी जाए। घायलों का इलाज, दवाइयां, डॉक्‍टर, भोजन-पानी का आंकड़ा सदन में रखा जाए। इस हादसे के लिए जिम्‍मेदार लोगों पर घोर दंडात्‍मक एक्‍शन लिया जाए।

अखिलेश ने कहा, लोग पुण्य कमाने आए थे और अपनों के शव लेकर गए। उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि एक धार्मिक समागम में राजनीतिक प्रचार अशोभनीय, निंदनीय है। जहां उचित व्यवस्था होनी चाहिए थी, वहां राजनीतिक प्रचार किया जा रहा है। धार्मिक आयोजन में राजनीतिक प्रचार करना, खासकर डबल इंजन वाली सरकार में, शर्मनाक और निंदनीय है। अखिलेश ने सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार ने महाकुंभ का इतना प्रचार किया और मैंने कई टीवी इंटरव्यू और समाचार चैनलों पर ये बात सुनने में आई कि सरकार ने 100 करोड़ लोगों के आने का इंतजाम किया है। अगर ये बात गलत है तो मैं इस्तीफा आपको देना चाहता हूं।

सपा प्रमुख ने कहा कि हम डबल इंजन सरकार से पूछते हैं कि अगर अपराध बोध नहीं था तो आंकड़े दबाए, छिपाए और मिटाए क्‍यों गए? सच छिपाना, मिटाना भी तो अपराध है? डबल इंजन सरकार का प्रचार करते अब तो वो होर्डिंग हटा देने चाहिए। महाकुंभ के डिजिटल होने का दावा किया गया, वो लोग अब मृतकों की डिजिट तक नहीं दे पा रहे हैं। खोया पाया केंद्र को भी लोग नहीं ढूंढ पा रहे।

सपा सांसद ने कहा कि कुंभ का आयोजन सदियों से होता आया है। 144 साल बाद महाकुंभ होने जा रहा है, उसका इतना प्रचार किया गया कि सरकार ने 100 करोड़ लोगों के आने का इंतजाम किया गया है। जहां तक मेरी समझ और जानकारी कहती है कि जो ज्‍योतिष संबंधी चीजों को की समझते होंगे कि वो ये स्‍वीकार करते होंगे कि जो भी कुंभ होता होगा 144 साल बाद ही होता होगा। लेकिन ये कहा गया कि नक्षत्र ऐसे हैं। मैं सरकार से ये कहना चाहता हूं कि सतयुग से कलियुग तक ये सनातन परंपरा रही है कि संत, महात्‍मा मुहूर्त के हिसाब से शाही स्‍नान करते हैं। लेकिन भाजपा के राज में ये परंपरा टूट गई और हादसे को छिपाकर ये आदेश दिया गया कि अखाड़े शाही स्‍नान करने जाएं। ये सनातन परंपरा तोड़कर अच्‍छा नहीं किया गया।