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सोनम वांगचुक को जोधपुर जेल में किया गया शिफ्ट, जानें NSA के तहत गिरफ्तारी क्यों हुई गिरफ्तारी?

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लेह में हुई हिंसा के तीन दिन बाद प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया गया है। वांगचुक पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई की गई है। उन पर हिंसा भड़काने के आरोप लगाए गए हैं। लद्दाख हिंसा मामले में एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को लेह से गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उन्हें राजस्थान के जोधपुर शिफ्ट कर दिया है।

सोनम वांगचुक को लद्दाख पुलिस ने शुक्रवार की दोपहर लेह से गिरफ्तार किया था। लद्दाख पुलिस प्रमुख एस.डी. सिंह जामवाल के नेतृत्व में पुलिस टीम ने गुरुवार दोपहर करीब ढाई बजे सोनम वांगचुक को हिरासत में लिया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें सख्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया। इस दौरान जोधपुर पुलिस कमिश्नर भी उनके साथ मौजूद रहे। एयरफोर्स स्टेशन से विशेष सुरक्षा घेराबंदी के बीच उन्हें सीधे जेल पहुंचाया गया।

सोनम वांगचुक को लेह से जोधपुर जेल क्यों लाया गया?

यह सवाल अब उठ रहा है कि पुलिस ने सोनम वांगचुक को लद्दाख या आसपास की किसी जेल में रखने की बजाय करीब 1500 किलोमीटर दूर जोधपुर क्यों भेजा? सूत्रों के अनुसार इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। दरअसल, जोधपुर सेंट्रल जेल हाई सिक्योरिटी जेल है, जहां सुरक्षा व्यवस्था अत्याधुनिक है। वांगचुक को लद्दाख से दूर रखने का उद्देश्य क्षेत्र में आगे किसी संभावित अशांति या विरोध प्रदर्शन को रोकना है। इसके साथ ही जोधपुर जेल में सुरक्षा और निगरानी का स्तर काफी मजबूत है, जिससे किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से बचा जा सके।

वांगचुक पर युवाओं को उकसाने का आरोप

सोनम वांगचुक पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लद्दाख में प्रदर्शन कर रहे युवाओं को उकसाने का आरोप लगाया था। लेह पुलिस के मुताबिक 24 सितंबर को प्रदर्शनकारियों को हिंसा के लिए उकसाने के आरोप में पुलिस ने सोनम वांगचुक के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की थीं, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई

हिंसक प्रदर्शन में चार की मौत

लद्दाख में छठवीं अनुसूची और राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच सोनम वांगचुक चर्चा में आ गए हैं। सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर को लेह शहर में अनशन शुरू किया था। उनकी मांग थी कि लद्दाख क्षेत्र को छठी अनुसूची में शामिल किया जाए, राज्य का दर्जा दिया जाए और क्षेत्र के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। हालांकि 24 सितंबर को उनका अनशन उस समय खत्म हुआ जब शहर में हिंसा फैल गई। भीड़ ने सुरक्षाबलों पर पथराव किया। सीआरपीएफ के एक वाहन को आग लगा दी गई। भाजपा कार्यालय और लेह की प्रमुख संस्था के कार्यालय में भी आग लगी। डीजीपी के वाहन को प्रदर्शनकारियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। स्थिति बेकाबू होने पर सुरक्षा बलों ने फायरिंग की। इसमें चार प्रदर्शनकारी मारे गए और करीब 70 लोग घायल हुए। कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए लेह शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया। गुरुवार शाम को कारगिल में भी कर्फ्यू लगाया गया। कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया।

सोनम वांगचुक के एनजीओ पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप

इस बीच वांगचुक के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लग रहे हैं। सोनम वांगचुक पर आरोप है कि उनके एनजीओ हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख ने अपने एफसीआरए अकाउंट में स्थानीय दान प्राप्त किया, जो विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) 2010 के सेक्शन 17 का स्पष्ट उल्लंघन है। इसके अलावा, एचआईएएल ने एफसीआरए रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने से पहले ही विदेशी फंड प्राप्त कर लिया था, जो इसी कानून के सेक्शन 11 का उल्लंघन है।

सेना ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो में शिवाजी की प्रतिमा, चीन से सुधरते रिश्तों के बीच कितना अहम है फैसला?

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भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में 14,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित पैंगोंग झील के किनारे मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी की एक भव्य मूर्ति स्थापित की है। ये जगह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट है जहां चीन के साथ लंबे समय से तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई थी।शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण भारत और चीन की ओर से टकराव वाले दो अंतिम जगहों डेमचोक और देपसांग पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी करने के कुछ सप्ताह बाद किया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि चीन के साथ कम होते तनाव के बीच भारत का ये कदम कितना अहम होगा?

पैंगोंग वह झील है जिसके पानी से होते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) गुजरती है, जो भारत और चीन की सीमा है। झील का पश्चिमी सिरा भारत के क्षेत्र में हैं और पूर्वी छोर चीन के नियंत्रण वाले तिब्बत में। यह वह इलाका है जिसने 1962 के भारत-चीन युद्ध से लेकर कई बार संघर्ष देखा है। अगस्त 2017 में इसी झील के किनारे पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। मई 2020 में भी करीब 250 सैनिक आमने-सामने आ गए थे। अगस्त 2020 में भारतीय सेना ने झील के दक्षिणी किनारे की अहम ऊंचाइयों पर कब्जा कर दिया था। इनमें रेजांग ला, रेक्विन ला, ब्लैक टॉप, गुरुंग हिल, गोरखा हिल आदि शामिल थे। हालांकि बाद में डिसइंगेजमेंट के तहत भारत ने ये इलाके खाली कर दिया।

दोनों पक्षों ने 21 अक्टूबर को बनी सहमति के बाद टकराव वाले बाकी दो स्थानों पर सैनिकों की वापसी पूरी कर ली। सैन्य और कूटनीतिक स्तर की कई वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने 2021 में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी। अब वहां शिवाजी की प्रतिमा स्थापित किया जाना चीन को एक संदेश की तरह देखा जा रहा है

वहीं, भारतीय सेना ने लद्दाख में भारत-चीन सीमा के निकट पैंगांग लेक में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगाई है उस पर तारीफ के साथ विरोध के स्‍वर उठ रहे हैं। इस क्षेत्र में प्रतिमा की उपस्थिति जहां भारत की सामरिक और सांस्‍कृतिक उपस्थिति को दर्शाती है वहीं लद्दाख की विरासत और पारिस्थितिक तंत्र की उपेक्षा का भी आरोप लगाया जा रहा है। चुसुल के काउंसलर कोनचो स्‍टानजिन ने कहा है कि इस काम को करने से पहले स्‍थानीय समुदाय से कोई परामर्श नहीं लिया गया। उन्‍होंने एक्‍स पर लिखा कि हमारी विशिष्‍ट पर्यावरण और वाइल्‍डलाइफ को देखते हुए बिना लोकल परामर्श के इस प्रतिमा का निर्माण किया गया है। यहां पर इसके औचित्‍य पर सवाल खड़ा होता है। हमें ऐसे प्रोजेक्‍टों को प्राथमिकता देनी चाहिए जो हमारे समुदाय और नेचर के प्रति सम्‍मान प्रकट करते हुए उसको प्रतिबिंबित करे।

इस प्रतिमा का अनावरण गुरुवार को 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया, जिसे ‘फायर एंड फ्यूरी कोर’ के नाम से भी जाना जाता है। कोर ने ‘एक्स’ पर बताया कि वीरता, दूरदर्शिता और अटल न्याय की इस विशाल प्रतिमा का अनावरण लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया। 30 फीट से ज्यादा ऊंची यह प्रतिमा मराठा योद्धा की विरासत को सम्मान देने के लिए बनाई गई। जिन्हें उनकी सैन्य शक्ति, प्रशासनिक कौशल और न्यायपूर्ण और समतावादी समाज को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों के लिए सम्मानित किया जाता है। पैंगोंग झील के लुभावने और रणनीतिक परिदृश्य में स्थित, यह प्रतिमा देश के दूरदराज और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का जश्न मनाने के एक बड़े प्रयास के हिस्से के रूप में स्थापित की गई है

भारतीय सेना ने डेमचोक सेक्टर में शुरू की गश्त, चार साल बाद बने पहले वाले हालात

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दिवाली के मौके पर भारत-चीन बॉर्डर पर दोनों देशों की सैनिकों ने मिठाइयों का आदान प्रदान किया। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर डेमचोक और डेपसांग से भारत और चीन की सेनाओं के पीछे हटने के बाद दोनों ओर से अब पेट्रोलिंग शुरू हो गई है। सुधरते रिश्तों के बीच पूर्वी लद्दाख में डेपसांग में गश्त फिर से शुरू हो गई है।हाल ही में भारत और चीन के बीच 2020 से पूर्व वाली स्थिति पर लौटने पर सहमति बनी। इसके बाद चीन ने अपने सैनिकों को पीछे किया।कई चरणों की बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच यह गतिरोध खत्म हुआ।

रक्षा सूत्रों ने बताया कि भारतीय सैनिकों ने अपनी गश्त फिर से शुरू कर दी है। दीपावली के पावन अवसर पर दोनों पक्षों ने दिवाली के मौके पर चुशुल-मोल्दो सीमा बैठक बिंदु पर एक दूसरे को मिठाइयां भी बांटी। हालांकि, पहले आयोजित किए जाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थगित रहेंगे।

सैन्य सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले पॉइंट्स (डेमचोक और डेपसांग) से भारतीय और चीनी सैनिकों के पीछे हटने के कुछ दिनों बाद भारतीय सेना ने शुक्रवार को डेमचोक में गश्त शुरू की। जल्द ही देपसांग में भी फिर से गश्त शुरू होने की उम्मीद है।

इससे पहले भारतीय और चीनी सैनिकों ने दिवाली के अवसर पर एलएसी पर कई बॉर्डर पॉइंट्स पर मिठाइयों का आदान-प्रदान किया। टकराव वाले दो बिंदुओं पर दोनों देशों द्वारा सैनिकों की वापसी पूरी करने के एक दिन बाद पारंपरिक प्रथा मनाई गई। सैन्य सूत्रों ने जानकारी दी थी कि हालिया समझौते के बाद गश्त की स्थिति को अप्रैल 2020 से पहले के स्तर पर वापस ले जाने की उम्मीद है।

2020 के गतिरोध के बाद, चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों की गश्त को रोक दिया था और इसके जवाब में, भारत ने उनके आवागमन को रोक दिया था। व्यापक राजनयिक और सैन्य प्रयासों के बाद, दोनों देश विघटन और गश्त के लिए एक समझौते पर पहुंचे। एक सप्ताह की प्रक्रिया के बाद बुधवार (30 अक्टूबर) को अंतिम वेरिफिकेशन हुआ। एक रक्षा अधिकारी ने कहा कि दोनों पक्ष किसी भी टकराव को रोकने के लिए गश्त करने से पहले एक-दूसरे को सूचित करने पर सहमत हुए हैं।

मिठाई के साथ भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी से सैनिकों की वापसी पूरी करी, सत्यापन जारी

#india_china_calls_troops_back_from_lac

Indian- Chinese troops at LAC Ladakh

भारत और चीन ने बुधवार को पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक से अपनी सेनाओं की वापसी पूरी कर ली है, जिसके बाद दोनों पक्ष अब आमने-सामने की जगहों से एक निर्दिष्ट और परस्पर सहमत दूरी पर सैनिकों और उपकरणों की वापसी का संयुक्त सत्यापन कर रहे हैं, इस घटनाक्रम से अवगत लोगों ने बताया।

सीमा पर तनाव कम करने के लिए 21 अक्टूबर को भारत और चीन के बीच हुए समझौते के अनुरूप अंतिम सत्यापन किया जा रहा है।

देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है और सत्यापन जारी है। स्थानीय कमांडरों के स्तर पर बातचीत जारी रहेगी। उम्मीद है कि दोनों सेनाएं जल्द ही इलाकों में गश्त शुरू कर देंगी। विघटन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ दो फ्लैशपॉइंट से अपने अग्रिम तैनात सैनिकों और उपकरणों को वापस बुला लिया है, और मई 2020 में सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद वहां बनाए गए अस्थायी ढांचों को ध्वस्त कर दिया है। ⁠गश्ती के तौर-तरीके ग्राउंड कमांडरों के बीच तय किए जाएंगे। उन्होंने कहा, "गुरुवार (दिवाली) को मिठाइयों के आदान-प्रदान की योजना बनाई गई है।"

इस विकास से भारतीय सेना और पीएलए को वार्ता में दो साल के गतिरोध को दूर करने में मदद मिलेगी - गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट-15 से विघटन का चौथा और अंतिम दौर सितंबर 2022 में हुआ था, जिसके बाद वार्ता गतिरोध पर पहुंच गई थी। चीन ने बुधवार को कहा कि दोनों सेनाएं पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सैनिकों की वापसी से संबंधित "संकल्पों" को "व्यवस्थित" तरीके से लागू कर रही हैं, पीटीआई ने बीजिंग से रिपोर्ट की।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देश सीमा से संबंधित मुद्दों पर समाधान पर पहुंच गए हैं। चीनी अधिकारी ने सैनिकों की वापसी से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, "फिलहाल, चीनी और भारतीय सीमा सैनिक व्यवस्थित तरीके से प्रस्तावों को लागू कर रहे हैं।"

पूर्व सैन्य संचालन महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (सेवानिवृत्त) ने पहले कहा था कि देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी से दोनों पक्षों को समन्वित तरीके से और सहमत आवृत्ति और ताकत (गश्ती दलों की) के साथ गश्त करने में सुविधा होगी, उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष अब एलएसी पर शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए रास्ता बना सकते हैं।

23 अक्टूबर को सैनिकों की वापसी शुरू हुई और इसके पूरा होने से दोनों अग्रिम क्षेत्रों में जमीनी स्थिति अप्रैल 2020 से पहले जैसी हो गई है। भारतीय सेना उन क्षेत्रों में अपनी गश्त गतिविधि फिर से शुरू करेगी, जो पीएलए की अग्रिम मौजूदगी के कारण कटे हुए थे। 21 अक्टूबर को भारत और चीन द्वारा देपसांग और डेमचोक में गतिरोध को हल करने के लिए वार्ता में सफलता की घोषणा के बाद सैनिकों की वापसी शुरू हुई, लद्दाख में ये दो अंतिम बिंदु हैं, जहां प्रतिद्वंद्वी सैनिक लगभग साढ़े चार साल से आमने-सामने हैं।

विस्थापन समझौते में केवल देपसांग और डेमचोक शामिल हैं, और दोनों देश अन्य क्षेत्रों पर विभिन्न स्तरों पर अपनी बातचीत जारी रखेंगे, जहां पहले सैनिकों की वापसी के बाद तथाकथित बफर जोन बनाए गए थे। देपसांग और डेमचोक से प्रतिद्वंद्वी सैनिकों की वापसी में बफर जोन का निर्माण शामिल नहीं है, जैसा कि सैनिकों की वापसी के पिछले दौर के बाद हुआ था।

भारत और चीन ने पहले गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, गोगरा (पीपी-17ए) और हॉट स्प्रिंग्स (पीपी-15) क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुला लिया था, जहां क्षेत्र में दोनों सेनाओं की गश्त गतिविधियों को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित करने के लिए बफर जोन बनाए गए थे। अलगाव के क्षेत्रों का उद्देश्य हिंसक टकराव की संभावना को खत्म करना था। दोनों पक्षों द्वारा इन क्षेत्रों में गश्त पर रोक हटाना आगे की बातचीत के परिणाम पर निर्भर करेगा।

टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुलाना सीमा तनाव को कम करने की दिशा में पहला कदम है। क्षेत्र में शांति और सौहार्द बहाल करने के लिए लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को कम करना और प्रतिद्वंद्वी सैनिकों को अंततः वापस बुलाना जरूरी है। दोनों सेनाओं के पास अभी भी लद्दाख थिएटर में दसियों हज़ार सैनिक और उन्नत हथियार तैनात हैं।

चीन ने लद्दाख में दिल्ली जितनी जमीन पर कब्जा किया, यूएस में राहुल गांधी का दावा

#rahulgandhiamericavisistchinaindialadakhoccupyland

कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी अमेरिका दौरे पर है। पिछले तीन दिनों से राहुल गांधी अमेरिका में अलग-अलग जगहों पर लोगों को संबोधित कर रहे हैं। इस दौरान उनके बयानों ने भारत में सियासी पारा हाई कर रखा है। यहां देश में उनके बयानों पर बहस छिड़ी हुई है। मंगलवार को आरक्षण खत्म करने को लेकर दिए गे बयान के बाद राहुल गांधी ने चीन को लेकर ऐसा दावा किया है, जिससे एक बार फिर सियासी भूचाल आना तय है। राहुल गांधा का दावा है कि चीनी सैनिकों ने लद्दाख में दिल्ली के आकार की जमीन पर कब्जा जमाया हुआ है।

4,000 वर्ग किलोमीटर में चीनी सैनिकों कब्जा-राहुल गांधी

अमेरिकी राजधानी वाशिंगटन डीसी में नेशनल प्रेस क्लब में बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा, अगर आप कहते हैं कि हमारे क्षेत्र के 4,000 वर्ग किलोमीटर में चीनी सैनिकों का होना किसी चीज़ से ठीक से निपटना है, तो शायद हमने लद्दाख में दिल्ली के आकार की ज़मीन पर चीनी सैनिकों का कब्ज़ा कर रखा है। मुझे लगता है कि यह एक आपदा है।

पीएम मोदी ने चीन से ठीक से नहीं निपटा-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने इसके साथ ही कहा, अगर कोई पड़ोसी देश आपकी 4000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्ज़ा करले तो अमेरिका की क्या प्रतिक्रिया होगी? क्या कोई राष्ट्रपति यह कहकर बच निकल पाएगा कि उसने इसे ठीक से संभाला है? इसलिए मुझे नहीं लगता कि पीएम मोदी ने चीन से ठीक से निपटा है। मुझे लगता है कि कोई कारण नहीं है कि चीनी सैनिक हमारे क्षेत्र में बैठे रहें।

ये पहली बार नहीं है जब कांग्रेस नेता ने चीन को लेकर ऐसा दावा किया हो। पिछले साल भी राहुल गांधी ने इसी तरह का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर लद्दाख में भारत-चीन सीमा की स्थिति पर विपक्ष से झूठ बोलने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि चीन ने भारतीय जमीन छीन ली है। हालांकि, केन्द्र की बीजेपी सरकार कांग्रेस के इस दावे को बार-बार खारिज करती आ रही है।

लद्दाख को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार का बड़ा फैसला, पांच नए जिलों का एलान

#5_new_districts_in_ladakh_announced_amit_shah_said 

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पांच नए जिले बनाने का फैसला किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी जानकारी दी।इनके नाम जांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग होंगे। जांस्कार और द्रास कारगिल रीजन में हैं, जबकि शाम, नुब्रा और चांगथांग लेह रीजन में हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया, 'एक विकसित और समृद्ध लद्दाख के निर्माण के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने केंद्र शासित प्रदेश में पांच नए जिले बनाने का फैसला किया है। नए जिले जांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग होंगे। हम हर नुक्कड़ और गली में शासन को मजबूत करके लोगों के लिए लाभ को उनके दरवाजे तक ले जाएंगे। मोदी सरकार लद्दाख के लोगों के लिए हरसंभव अवसर पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने फैसले के बाद लद्दाख के लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इन जिलों पर अब अधिक ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिससे सेवाओं और अवसरों को लोगों के और करीब लाया जा सकेगा।

दरअसल, मौजूदा समय में लद्दाख रीजन में दो जिले हैं- लेह और कारगिल. गृह मंत्रालय के फैसले के बाद अब लद्दाख में कुल 7 हो गए. लद्दाख रीजन में अतिरिक्त जिलों की मांग काफी समय से हो रही थी. लेह, लद्दाख और कारगिल डिवीजन के सामाजिक और राजनीतिक संगठन बार-बार जिलों की मांग कर रहे थे. इसी के मद्देनजर आज भारत सरकार गृह मंत्रालय का यह अहम फैसला आया है. आजादी के बाद पहली बार लद्दाख रीजन में जिलों की संख्या बढ़ाई गई है. शासकीय व्यवस्था बेहतर हो इसके मद्देनजर यह बड़ा फैसला लिया गया है

पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर में विकास की सराहना की, कहा आर्टिकल 370 हटे पुरे होने वाले है 5 साल

#kargil

pm modi's ladakh visit

कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कारगिल में हैं। पीएम मोदी ने कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ पर लद्दाख की अपनी यात्रा के दौरान कर्तव्य की पंक्ति में सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुरों को श्रद्धांजलि दी।प्रधानमंत्री के दौरे से पहले द्रास स्थित कारगिल युद्ध स्मारक पर सुरक्षा उद्देश्यों के अनुसार व्यवस्थाएं पूरी तरह से चाक-चौबंद हैं।

पीएम मोदी ने कहा, "कुछ ही दिनों में, 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को समाप्त हुए 5 साल हो जाएंगे। जम्मू-कश्मीर एक नए भविष्य की बात कर रहा है, बड़े सपनों की बात कर रहा है... बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में पर्यटन क्षेत्र भी तेजी से बढ़ रहा है।"आर्टिकल 370 के हटने के बाद भारत ने एक नया जम्मू और कश्मीर देखा है ,बीते दिनों में वहां आईआईटी का उद्धघाटन हुआ, साथ ही प्रधानमंत्री द्वारा ऐएमस की भी सौगात मिली है। पर्यटन को बढ़ावा मिला है जिसके कारण यहाँ की स्तिथि में काफी सुधार हुआ है। लोगों को रोज़गार भी मिला है।  

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि शिंकुन ला सुरंग परियोजना में 4.1 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब सुरंग शामिल है, जिसका निर्माण निमू-पदुम-दारचा रोड पर लगभग 15,800 फीट की ऊंचाई पर किया जाएगा, ताकि लेह को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान की जा सके। पूरा होने के बाद, यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी। शिंकुन ला सुरंग न केवल देश के सशस्त्र बलों और उपकरणों की तीव्र और कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी, बल्कि लद्दाख में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देगी।

 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे नेताओं ने 25वें विजय दिवस के अवसर पर कारगिल युद्ध के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति मुर्मू ने एक्स पर पोस्ट किया, "कारगिल विजय दिवस एक कृतज्ञ राष्ट्र के लिए हमारे सशस्त्र बलों के अदम्य साहस और असाधारण वीरता को श्रद्धांजलि देने का अवसर है। मैं वर्ष 1999 में कारगिल की चोटियों पर भारत माता की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान देने वाले प्रत्येक सैनिक को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनकी पवित्र स्मृति को नमन करता हूं।"

कारगिल युद्ध स्मारक के अपने दौरे के बाद, पीएम मोदी ने लद्दाख में शिंकुन ला सुरंग परियोजना में पहला विस्फोट वर्चुअली किया। 

जम्मू कश्मीर अब भारत का बराबर का हिस्सा है और केंद्र इसे और बढ़वा दे रही है। 

पीएम मोदी ने शिंकुन ला सुरंग परियोजना का पहला विस्फोट किया, जानें चीन-पाक के खिलाफ टनल का सामरिक महत्व?

#highestshinkunlatunnelprojectinladakhhowchina_affected 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25वें कारगिल विजय दिसव के अवसर पर द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक पर कारगिल युद्ध के नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी वर्चुअल माध्यम से शिंकुन ला सुरंग परियोजना का पहला विस्फोट किया। यह सुंरग लद्दाख को हर मौसम में संपर्क प्रदान करेगी। इस सुरंग परियोजना में 4.1 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब टनल भी शामिल है, जिसका निर्माण निमू-पदुम-दारचा रोड पर लगभग 15,800 फुट की ऊंचाई पर किया जाएगा। इससे लेह को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान की जा सकेगी। यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी।शिंकुन ला सुरंग न केवल हमारे सशस्त्र बलों और उपकरणों की तेज व कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी, बल्कि लद्दाख में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देगी।

सेना को हर मौसम में एलएसी पर देगा एक्सेस

शिंकुन ला टनल सेना के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है। यह सेना को हर मौसम में एलएसी पर एक्सेस देगा। साथ ही चीन के किसी भी नापाक हरकत को मुंहतोड़ जवाव देने में भारतीय सेना की मदद करेगा। अगर इस टनल का निर्माण होता है तो लद्दाख में सालों भर सुचारु रूप से आवाजाही हो सकेगी और सेना को हथियार गोला बरूद और उनके गाड़ियां आराम से आ जा सकेगी। 

सुरंग पर तोप और मिसाइल का भी असर नहीं होगा

शिंकुन ला टनल रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। इस टनल के निर्माण से लद्दाख जाने के लिए सेना को करीब 100 की दूरी कम तय करनी पड़ेगी।निर्माण के बाद शिंकुन ला चीन की 15590 फीट की ऊंचाई पर बनी सुरंग को पीछे छोड़ देगी और दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग बन जाएगी। बड़ी बात यह है कि इस सुरंग पर तोप और मिसाइल का भी असर नहीं होगा।

लद्दाख में व्यापार, पर्यटन और विकास को मिलेगा बढ़ावा

शिंकुन ला सुरंग न केवल हमारे सशस्त्र बलों और उपकरणों की तेज और कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी बल्कि लद्दाख में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देगी। यह सुरंग हिमाचल प्रदेश में लाहौल घाटी को लद्दाख में ज़ांस्कर घाटी से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करेगी। यह लद्दाख में व्यापार, पर्यटन और विकास को बढ़ावा देगा, नए अवसर लाएगा और लोगों की आजीविका में भी सुधार करेगा।

Kargil Vijay Diwas: నేడు కార్గిల్ విజయ్ దివస్ 25వ వార్షికోత్సవం .. ప్రధాని మోదీ ద్రాస్ లో పర్యటన..

నేడు కార్గిల్ విజయ్ దివస్(Kargil Vijay Diwas) 25వ వార్షికోత్సవం. ఈ సందర్భంగా ప్రధాని నరేంద్ర మోదీ(Prime Minister Narendra Modi) లడఖ్‌(Ladakh)లోని కార్గిల్‌లో పర్యటించనున్నారు..

ద్రాస్‌లోని కార్గిల్ వార్ మెమోరియల్ వద్ద ఏర్పాటు చేసిన రజతోత్సవ కార్యక్రమానికి ఆయన హాజరుకానున్నారు. ఇక్కడ ప్రధాని మోదీ 1999 యుద్ధ వీరులకు నివాళులర్పిస్తారు. వారి కుటుంబ సభ్యులను కూడా కలవనున్నారు. కార్గిల్ విజయ్ దివస్ రజతోత్సవం సందర్భంగా జులై 24 నుంచి 26 వరకు ద్రాస్‌లో ప్రత్యేక కార్యక్రమాలు నిర్వహిస్తున్నారు. అంతకుముందు ప్రధాని మోదీ 2022లో కార్గిల్‌లో సైనికులతో కలిసి దీపావళి వేడుకలు జరుపుకున్నారు..

ప్రపంచంలోనే ఎత్తైన

కార్గిల్ యుద్ధంలో(kargil war) అమరవీరుల జ్ఞాపకార్థం ఉదయం 9:20 గంటలకు ద్రాస్‌లోని కార్గిల్ వార్ మెమోరియల్ వద్ద జరిగే కార్యక్రమానికి ప్రధాని మోదీ హాజరవుతారని పీఎంఓ కార్యాలయం తెలిపింది.

ఆ తర్వాత షింకున్ లా టన్నెల్ ప్రాజెక్ట్‌ను ప్రారంభిస్తారు. ఈ సొరంగం లేహ్‌కు అన్ని రకాల కనెక్టివిటీలను అందిస్తుంది. పూర్తయిన తర్వాత ఇది ప్రపంచంలోనే ఎత్తైన సొరంగం కావడం విశేషం. అమరవీరుల చిత్రపటానికి పూలమాలలు వేసి నివాళులర్పించే కార్యక్రమానికి ప్రధాని హాజరవుతారు.

ఆ తర్వాత 'షహీద్ మార్గ్' (వాల్ ఆఫ్ ఫేమ్)ను సందర్శిస్తారని మేజర్ జనరల్ మాలిక్ తెలిపారు. సందర్శకుల పుస్తకంపై సంతకం చేసి కార్గిల్ యుద్ధ కళాఖండాల మ్యూజియాన్ని పరిశీలిస్తానని చెప్పారు. ప్రధాని మోదీ 'వీర్ నారీస్' (యుద్ధంలో అమరులైన సైనికుల భార్యలు)తో కూడా సంభాషించనున్నారు. వీర్ భూమిని కూడా సందర్శిస్తారు..

लद्दाख में सैन्य अभ्यास के दौरान बड़ा हादसा, नदी पार करते समय 5 जवान शहीद

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लद्दाख में टैंक अभ्यास के दौरान हादसे की खबर सामने आ रही है। नदी में टैंक फंसने के कारण 5 जवान शहीद हो गए। शुक्रवार को लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी इलाके में सेना के जवानों का टैंक अभ्यास चल रहा था। इस दौरान सेना का टैंक टी-72 श्योक नदी को पार करने का अभ्यास कर रहा था, तभी जल स्तर बढ़ने के कारण टैंक नदी के बीचों-बीच फंसा गया। टैंक के अंदर पानी भर गया। इस हादसे में सेना के 5 जवान शहीद हो गए।घटनास्थल से सेना के जवानों का शव बरामद कर लिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि यह घटना लेह से 148 किलोमीटर दूर हुई है। यह घटना शुक्रवार रात 1 करीब एक बजे के आसपास हुई है। सेना के सभी जवान टी-72 टैंक पर सवार थे।

सेना के अधिकारियों ने बताया कि एलएसी के पास नदी पार करते समय सुबह तीन बजे यह हादसा हुआ है। उन्होंने बताया कि नदी पार करने के दौरान अचानक से जलस्तर बढ़ गया, जिसमें ये पांचों जवान बह गए।डिफेंस ऑफिशियल ने बताया कि घटना के वक्त टैंक में जेसीओ समेत पांच जवान थे। एक जवान का पता लगा लिया गया है जबकि अन्य की तलाश अभी भी जारी है। जवानों की तलाश में रेस्क्यू ऑपरेशन लगाता जारी है। टैंक अभ्यास के दौरान एक टी-72 टैंक भी हादसे का शिकार हुआ है।

बता दें कि पिछले साल लेह जिले के कियारी के पास एक सेना का ट्रक सड़क से उतरकर गहरी खाई में गिर गया था। इस हादसे में एक जेसीओ सहित नौ जवान शहीद हो गए थे।

सोनम वांगचुक को जोधपुर जेल में किया गया शिफ्ट, जानें NSA के तहत गिरफ्तारी क्यों हुई गिरफ्तारी?

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लेह में हुई हिंसा के तीन दिन बाद प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया गया है। वांगचुक पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई की गई है। उन पर हिंसा भड़काने के आरोप लगाए गए हैं। लद्दाख हिंसा मामले में एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को लेह से गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उन्हें राजस्थान के जोधपुर शिफ्ट कर दिया है।

सोनम वांगचुक को लद्दाख पुलिस ने शुक्रवार की दोपहर लेह से गिरफ्तार किया था। लद्दाख पुलिस प्रमुख एस.डी. सिंह जामवाल के नेतृत्व में पुलिस टीम ने गुरुवार दोपहर करीब ढाई बजे सोनम वांगचुक को हिरासत में लिया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें सख्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया। इस दौरान जोधपुर पुलिस कमिश्नर भी उनके साथ मौजूद रहे। एयरफोर्स स्टेशन से विशेष सुरक्षा घेराबंदी के बीच उन्हें सीधे जेल पहुंचाया गया।

सोनम वांगचुक को लेह से जोधपुर जेल क्यों लाया गया?

यह सवाल अब उठ रहा है कि पुलिस ने सोनम वांगचुक को लद्दाख या आसपास की किसी जेल में रखने की बजाय करीब 1500 किलोमीटर दूर जोधपुर क्यों भेजा? सूत्रों के अनुसार इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। दरअसल, जोधपुर सेंट्रल जेल हाई सिक्योरिटी जेल है, जहां सुरक्षा व्यवस्था अत्याधुनिक है। वांगचुक को लद्दाख से दूर रखने का उद्देश्य क्षेत्र में आगे किसी संभावित अशांति या विरोध प्रदर्शन को रोकना है। इसके साथ ही जोधपुर जेल में सुरक्षा और निगरानी का स्तर काफी मजबूत है, जिससे किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से बचा जा सके।

वांगचुक पर युवाओं को उकसाने का आरोप

सोनम वांगचुक पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लद्दाख में प्रदर्शन कर रहे युवाओं को उकसाने का आरोप लगाया था। लेह पुलिस के मुताबिक 24 सितंबर को प्रदर्शनकारियों को हिंसा के लिए उकसाने के आरोप में पुलिस ने सोनम वांगचुक के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की थीं, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई

हिंसक प्रदर्शन में चार की मौत

लद्दाख में छठवीं अनुसूची और राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच सोनम वांगचुक चर्चा में आ गए हैं। सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर को लेह शहर में अनशन शुरू किया था। उनकी मांग थी कि लद्दाख क्षेत्र को छठी अनुसूची में शामिल किया जाए, राज्य का दर्जा दिया जाए और क्षेत्र के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। हालांकि 24 सितंबर को उनका अनशन उस समय खत्म हुआ जब शहर में हिंसा फैल गई। भीड़ ने सुरक्षाबलों पर पथराव किया। सीआरपीएफ के एक वाहन को आग लगा दी गई। भाजपा कार्यालय और लेह की प्रमुख संस्था के कार्यालय में भी आग लगी। डीजीपी के वाहन को प्रदर्शनकारियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। स्थिति बेकाबू होने पर सुरक्षा बलों ने फायरिंग की। इसमें चार प्रदर्शनकारी मारे गए और करीब 70 लोग घायल हुए। कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए लेह शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया। गुरुवार शाम को कारगिल में भी कर्फ्यू लगाया गया। कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया।

सोनम वांगचुक के एनजीओ पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप

इस बीच वांगचुक के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लग रहे हैं। सोनम वांगचुक पर आरोप है कि उनके एनजीओ हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख ने अपने एफसीआरए अकाउंट में स्थानीय दान प्राप्त किया, जो विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) 2010 के सेक्शन 17 का स्पष्ट उल्लंघन है। इसके अलावा, एचआईएएल ने एफसीआरए रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने से पहले ही विदेशी फंड प्राप्त कर लिया था, जो इसी कानून के सेक्शन 11 का उल्लंघन है।

सेना ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो में शिवाजी की प्रतिमा, चीन से सुधरते रिश्तों के बीच कितना अहम है फैसला?

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भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में 14,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित पैंगोंग झील के किनारे मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी की एक भव्य मूर्ति स्थापित की है। ये जगह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट है जहां चीन के साथ लंबे समय से तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई थी।शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण भारत और चीन की ओर से टकराव वाले दो अंतिम जगहों डेमचोक और देपसांग पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी करने के कुछ सप्ताह बाद किया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि चीन के साथ कम होते तनाव के बीच भारत का ये कदम कितना अहम होगा?

पैंगोंग वह झील है जिसके पानी से होते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) गुजरती है, जो भारत और चीन की सीमा है। झील का पश्चिमी सिरा भारत के क्षेत्र में हैं और पूर्वी छोर चीन के नियंत्रण वाले तिब्बत में। यह वह इलाका है जिसने 1962 के भारत-चीन युद्ध से लेकर कई बार संघर्ष देखा है। अगस्त 2017 में इसी झील के किनारे पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। मई 2020 में भी करीब 250 सैनिक आमने-सामने आ गए थे। अगस्त 2020 में भारतीय सेना ने झील के दक्षिणी किनारे की अहम ऊंचाइयों पर कब्जा कर दिया था। इनमें रेजांग ला, रेक्विन ला, ब्लैक टॉप, गुरुंग हिल, गोरखा हिल आदि शामिल थे। हालांकि बाद में डिसइंगेजमेंट के तहत भारत ने ये इलाके खाली कर दिया।

दोनों पक्षों ने 21 अक्टूबर को बनी सहमति के बाद टकराव वाले बाकी दो स्थानों पर सैनिकों की वापसी पूरी कर ली। सैन्य और कूटनीतिक स्तर की कई वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने 2021 में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी। अब वहां शिवाजी की प्रतिमा स्थापित किया जाना चीन को एक संदेश की तरह देखा जा रहा है

वहीं, भारतीय सेना ने लद्दाख में भारत-चीन सीमा के निकट पैंगांग लेक में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगाई है उस पर तारीफ के साथ विरोध के स्‍वर उठ रहे हैं। इस क्षेत्र में प्रतिमा की उपस्थिति जहां भारत की सामरिक और सांस्‍कृतिक उपस्थिति को दर्शाती है वहीं लद्दाख की विरासत और पारिस्थितिक तंत्र की उपेक्षा का भी आरोप लगाया जा रहा है। चुसुल के काउंसलर कोनचो स्‍टानजिन ने कहा है कि इस काम को करने से पहले स्‍थानीय समुदाय से कोई परामर्श नहीं लिया गया। उन्‍होंने एक्‍स पर लिखा कि हमारी विशिष्‍ट पर्यावरण और वाइल्‍डलाइफ को देखते हुए बिना लोकल परामर्श के इस प्रतिमा का निर्माण किया गया है। यहां पर इसके औचित्‍य पर सवाल खड़ा होता है। हमें ऐसे प्रोजेक्‍टों को प्राथमिकता देनी चाहिए जो हमारे समुदाय और नेचर के प्रति सम्‍मान प्रकट करते हुए उसको प्रतिबिंबित करे।

इस प्रतिमा का अनावरण गुरुवार को 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया, जिसे ‘फायर एंड फ्यूरी कोर’ के नाम से भी जाना जाता है। कोर ने ‘एक्स’ पर बताया कि वीरता, दूरदर्शिता और अटल न्याय की इस विशाल प्रतिमा का अनावरण लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया। 30 फीट से ज्यादा ऊंची यह प्रतिमा मराठा योद्धा की विरासत को सम्मान देने के लिए बनाई गई। जिन्हें उनकी सैन्य शक्ति, प्रशासनिक कौशल और न्यायपूर्ण और समतावादी समाज को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों के लिए सम्मानित किया जाता है। पैंगोंग झील के लुभावने और रणनीतिक परिदृश्य में स्थित, यह प्रतिमा देश के दूरदराज और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का जश्न मनाने के एक बड़े प्रयास के हिस्से के रूप में स्थापित की गई है

भारतीय सेना ने डेमचोक सेक्टर में शुरू की गश्त, चार साल बाद बने पहले वाले हालात

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दिवाली के मौके पर भारत-चीन बॉर्डर पर दोनों देशों की सैनिकों ने मिठाइयों का आदान प्रदान किया। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर डेमचोक और डेपसांग से भारत और चीन की सेनाओं के पीछे हटने के बाद दोनों ओर से अब पेट्रोलिंग शुरू हो गई है। सुधरते रिश्तों के बीच पूर्वी लद्दाख में डेपसांग में गश्त फिर से शुरू हो गई है।हाल ही में भारत और चीन के बीच 2020 से पूर्व वाली स्थिति पर लौटने पर सहमति बनी। इसके बाद चीन ने अपने सैनिकों को पीछे किया।कई चरणों की बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच यह गतिरोध खत्म हुआ।

रक्षा सूत्रों ने बताया कि भारतीय सैनिकों ने अपनी गश्त फिर से शुरू कर दी है। दीपावली के पावन अवसर पर दोनों पक्षों ने दिवाली के मौके पर चुशुल-मोल्दो सीमा बैठक बिंदु पर एक दूसरे को मिठाइयां भी बांटी। हालांकि, पहले आयोजित किए जाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थगित रहेंगे।

सैन्य सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले पॉइंट्स (डेमचोक और डेपसांग) से भारतीय और चीनी सैनिकों के पीछे हटने के कुछ दिनों बाद भारतीय सेना ने शुक्रवार को डेमचोक में गश्त शुरू की। जल्द ही देपसांग में भी फिर से गश्त शुरू होने की उम्मीद है।

इससे पहले भारतीय और चीनी सैनिकों ने दिवाली के अवसर पर एलएसी पर कई बॉर्डर पॉइंट्स पर मिठाइयों का आदान-प्रदान किया। टकराव वाले दो बिंदुओं पर दोनों देशों द्वारा सैनिकों की वापसी पूरी करने के एक दिन बाद पारंपरिक प्रथा मनाई गई। सैन्य सूत्रों ने जानकारी दी थी कि हालिया समझौते के बाद गश्त की स्थिति को अप्रैल 2020 से पहले के स्तर पर वापस ले जाने की उम्मीद है।

2020 के गतिरोध के बाद, चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों की गश्त को रोक दिया था और इसके जवाब में, भारत ने उनके आवागमन को रोक दिया था। व्यापक राजनयिक और सैन्य प्रयासों के बाद, दोनों देश विघटन और गश्त के लिए एक समझौते पर पहुंचे। एक सप्ताह की प्रक्रिया के बाद बुधवार (30 अक्टूबर) को अंतिम वेरिफिकेशन हुआ। एक रक्षा अधिकारी ने कहा कि दोनों पक्ष किसी भी टकराव को रोकने के लिए गश्त करने से पहले एक-दूसरे को सूचित करने पर सहमत हुए हैं।

मिठाई के साथ भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी से सैनिकों की वापसी पूरी करी, सत्यापन जारी

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Indian- Chinese troops at LAC Ladakh

भारत और चीन ने बुधवार को पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक से अपनी सेनाओं की वापसी पूरी कर ली है, जिसके बाद दोनों पक्ष अब आमने-सामने की जगहों से एक निर्दिष्ट और परस्पर सहमत दूरी पर सैनिकों और उपकरणों की वापसी का संयुक्त सत्यापन कर रहे हैं, इस घटनाक्रम से अवगत लोगों ने बताया।

सीमा पर तनाव कम करने के लिए 21 अक्टूबर को भारत और चीन के बीच हुए समझौते के अनुरूप अंतिम सत्यापन किया जा रहा है।

देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है और सत्यापन जारी है। स्थानीय कमांडरों के स्तर पर बातचीत जारी रहेगी। उम्मीद है कि दोनों सेनाएं जल्द ही इलाकों में गश्त शुरू कर देंगी। विघटन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ दो फ्लैशपॉइंट से अपने अग्रिम तैनात सैनिकों और उपकरणों को वापस बुला लिया है, और मई 2020 में सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद वहां बनाए गए अस्थायी ढांचों को ध्वस्त कर दिया है। ⁠गश्ती के तौर-तरीके ग्राउंड कमांडरों के बीच तय किए जाएंगे। उन्होंने कहा, "गुरुवार (दिवाली) को मिठाइयों के आदान-प्रदान की योजना बनाई गई है।"

इस विकास से भारतीय सेना और पीएलए को वार्ता में दो साल के गतिरोध को दूर करने में मदद मिलेगी - गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट-15 से विघटन का चौथा और अंतिम दौर सितंबर 2022 में हुआ था, जिसके बाद वार्ता गतिरोध पर पहुंच गई थी। चीन ने बुधवार को कहा कि दोनों सेनाएं पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सैनिकों की वापसी से संबंधित "संकल्पों" को "व्यवस्थित" तरीके से लागू कर रही हैं, पीटीआई ने बीजिंग से रिपोर्ट की।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देश सीमा से संबंधित मुद्दों पर समाधान पर पहुंच गए हैं। चीनी अधिकारी ने सैनिकों की वापसी से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, "फिलहाल, चीनी और भारतीय सीमा सैनिक व्यवस्थित तरीके से प्रस्तावों को लागू कर रहे हैं।"

पूर्व सैन्य संचालन महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (सेवानिवृत्त) ने पहले कहा था कि देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी से दोनों पक्षों को समन्वित तरीके से और सहमत आवृत्ति और ताकत (गश्ती दलों की) के साथ गश्त करने में सुविधा होगी, उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष अब एलएसी पर शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए रास्ता बना सकते हैं।

23 अक्टूबर को सैनिकों की वापसी शुरू हुई और इसके पूरा होने से दोनों अग्रिम क्षेत्रों में जमीनी स्थिति अप्रैल 2020 से पहले जैसी हो गई है। भारतीय सेना उन क्षेत्रों में अपनी गश्त गतिविधि फिर से शुरू करेगी, जो पीएलए की अग्रिम मौजूदगी के कारण कटे हुए थे। 21 अक्टूबर को भारत और चीन द्वारा देपसांग और डेमचोक में गतिरोध को हल करने के लिए वार्ता में सफलता की घोषणा के बाद सैनिकों की वापसी शुरू हुई, लद्दाख में ये दो अंतिम बिंदु हैं, जहां प्रतिद्वंद्वी सैनिक लगभग साढ़े चार साल से आमने-सामने हैं।

विस्थापन समझौते में केवल देपसांग और डेमचोक शामिल हैं, और दोनों देश अन्य क्षेत्रों पर विभिन्न स्तरों पर अपनी बातचीत जारी रखेंगे, जहां पहले सैनिकों की वापसी के बाद तथाकथित बफर जोन बनाए गए थे। देपसांग और डेमचोक से प्रतिद्वंद्वी सैनिकों की वापसी में बफर जोन का निर्माण शामिल नहीं है, जैसा कि सैनिकों की वापसी के पिछले दौर के बाद हुआ था।

भारत और चीन ने पहले गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, गोगरा (पीपी-17ए) और हॉट स्प्रिंग्स (पीपी-15) क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुला लिया था, जहां क्षेत्र में दोनों सेनाओं की गश्त गतिविधियों को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित करने के लिए बफर जोन बनाए गए थे। अलगाव के क्षेत्रों का उद्देश्य हिंसक टकराव की संभावना को खत्म करना था। दोनों पक्षों द्वारा इन क्षेत्रों में गश्त पर रोक हटाना आगे की बातचीत के परिणाम पर निर्भर करेगा।

टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुलाना सीमा तनाव को कम करने की दिशा में पहला कदम है। क्षेत्र में शांति और सौहार्द बहाल करने के लिए लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को कम करना और प्रतिद्वंद्वी सैनिकों को अंततः वापस बुलाना जरूरी है। दोनों सेनाओं के पास अभी भी लद्दाख थिएटर में दसियों हज़ार सैनिक और उन्नत हथियार तैनात हैं।

चीन ने लद्दाख में दिल्ली जितनी जमीन पर कब्जा किया, यूएस में राहुल गांधी का दावा

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कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी अमेरिका दौरे पर है। पिछले तीन दिनों से राहुल गांधी अमेरिका में अलग-अलग जगहों पर लोगों को संबोधित कर रहे हैं। इस दौरान उनके बयानों ने भारत में सियासी पारा हाई कर रखा है। यहां देश में उनके बयानों पर बहस छिड़ी हुई है। मंगलवार को आरक्षण खत्म करने को लेकर दिए गे बयान के बाद राहुल गांधी ने चीन को लेकर ऐसा दावा किया है, जिससे एक बार फिर सियासी भूचाल आना तय है। राहुल गांधा का दावा है कि चीनी सैनिकों ने लद्दाख में दिल्ली के आकार की जमीन पर कब्जा जमाया हुआ है।

4,000 वर्ग किलोमीटर में चीनी सैनिकों कब्जा-राहुल गांधी

अमेरिकी राजधानी वाशिंगटन डीसी में नेशनल प्रेस क्लब में बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा, अगर आप कहते हैं कि हमारे क्षेत्र के 4,000 वर्ग किलोमीटर में चीनी सैनिकों का होना किसी चीज़ से ठीक से निपटना है, तो शायद हमने लद्दाख में दिल्ली के आकार की ज़मीन पर चीनी सैनिकों का कब्ज़ा कर रखा है। मुझे लगता है कि यह एक आपदा है।

पीएम मोदी ने चीन से ठीक से नहीं निपटा-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने इसके साथ ही कहा, अगर कोई पड़ोसी देश आपकी 4000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्ज़ा करले तो अमेरिका की क्या प्रतिक्रिया होगी? क्या कोई राष्ट्रपति यह कहकर बच निकल पाएगा कि उसने इसे ठीक से संभाला है? इसलिए मुझे नहीं लगता कि पीएम मोदी ने चीन से ठीक से निपटा है। मुझे लगता है कि कोई कारण नहीं है कि चीनी सैनिक हमारे क्षेत्र में बैठे रहें।

ये पहली बार नहीं है जब कांग्रेस नेता ने चीन को लेकर ऐसा दावा किया हो। पिछले साल भी राहुल गांधी ने इसी तरह का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर लद्दाख में भारत-चीन सीमा की स्थिति पर विपक्ष से झूठ बोलने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि चीन ने भारतीय जमीन छीन ली है। हालांकि, केन्द्र की बीजेपी सरकार कांग्रेस के इस दावे को बार-बार खारिज करती आ रही है।

लद्दाख को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार का बड़ा फैसला, पांच नए जिलों का एलान

#5_new_districts_in_ladakh_announced_amit_shah_said 

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पांच नए जिले बनाने का फैसला किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी जानकारी दी।इनके नाम जांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग होंगे। जांस्कार और द्रास कारगिल रीजन में हैं, जबकि शाम, नुब्रा और चांगथांग लेह रीजन में हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया, 'एक विकसित और समृद्ध लद्दाख के निर्माण के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने केंद्र शासित प्रदेश में पांच नए जिले बनाने का फैसला किया है। नए जिले जांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग होंगे। हम हर नुक्कड़ और गली में शासन को मजबूत करके लोगों के लिए लाभ को उनके दरवाजे तक ले जाएंगे। मोदी सरकार लद्दाख के लोगों के लिए हरसंभव अवसर पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने फैसले के बाद लद्दाख के लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इन जिलों पर अब अधिक ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिससे सेवाओं और अवसरों को लोगों के और करीब लाया जा सकेगा।

दरअसल, मौजूदा समय में लद्दाख रीजन में दो जिले हैं- लेह और कारगिल. गृह मंत्रालय के फैसले के बाद अब लद्दाख में कुल 7 हो गए. लद्दाख रीजन में अतिरिक्त जिलों की मांग काफी समय से हो रही थी. लेह, लद्दाख और कारगिल डिवीजन के सामाजिक और राजनीतिक संगठन बार-बार जिलों की मांग कर रहे थे. इसी के मद्देनजर आज भारत सरकार गृह मंत्रालय का यह अहम फैसला आया है. आजादी के बाद पहली बार लद्दाख रीजन में जिलों की संख्या बढ़ाई गई है. शासकीय व्यवस्था बेहतर हो इसके मद्देनजर यह बड़ा फैसला लिया गया है

पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर में विकास की सराहना की, कहा आर्टिकल 370 हटे पुरे होने वाले है 5 साल

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pm modi's ladakh visit

कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कारगिल में हैं। पीएम मोदी ने कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ पर लद्दाख की अपनी यात्रा के दौरान कर्तव्य की पंक्ति में सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुरों को श्रद्धांजलि दी।प्रधानमंत्री के दौरे से पहले द्रास स्थित कारगिल युद्ध स्मारक पर सुरक्षा उद्देश्यों के अनुसार व्यवस्थाएं पूरी तरह से चाक-चौबंद हैं।

पीएम मोदी ने कहा, "कुछ ही दिनों में, 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को समाप्त हुए 5 साल हो जाएंगे। जम्मू-कश्मीर एक नए भविष्य की बात कर रहा है, बड़े सपनों की बात कर रहा है... बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में पर्यटन क्षेत्र भी तेजी से बढ़ रहा है।"आर्टिकल 370 के हटने के बाद भारत ने एक नया जम्मू और कश्मीर देखा है ,बीते दिनों में वहां आईआईटी का उद्धघाटन हुआ, साथ ही प्रधानमंत्री द्वारा ऐएमस की भी सौगात मिली है। पर्यटन को बढ़ावा मिला है जिसके कारण यहाँ की स्तिथि में काफी सुधार हुआ है। लोगों को रोज़गार भी मिला है।  

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि शिंकुन ला सुरंग परियोजना में 4.1 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब सुरंग शामिल है, जिसका निर्माण निमू-पदुम-दारचा रोड पर लगभग 15,800 फीट की ऊंचाई पर किया जाएगा, ताकि लेह को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान की जा सके। पूरा होने के बाद, यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी। शिंकुन ला सुरंग न केवल देश के सशस्त्र बलों और उपकरणों की तीव्र और कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी, बल्कि लद्दाख में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देगी।

 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे नेताओं ने 25वें विजय दिवस के अवसर पर कारगिल युद्ध के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति मुर्मू ने एक्स पर पोस्ट किया, "कारगिल विजय दिवस एक कृतज्ञ राष्ट्र के लिए हमारे सशस्त्र बलों के अदम्य साहस और असाधारण वीरता को श्रद्धांजलि देने का अवसर है। मैं वर्ष 1999 में कारगिल की चोटियों पर भारत माता की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान देने वाले प्रत्येक सैनिक को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनकी पवित्र स्मृति को नमन करता हूं।"

कारगिल युद्ध स्मारक के अपने दौरे के बाद, पीएम मोदी ने लद्दाख में शिंकुन ला सुरंग परियोजना में पहला विस्फोट वर्चुअली किया। 

जम्मू कश्मीर अब भारत का बराबर का हिस्सा है और केंद्र इसे और बढ़वा दे रही है। 

पीएम मोदी ने शिंकुन ला सुरंग परियोजना का पहला विस्फोट किया, जानें चीन-पाक के खिलाफ टनल का सामरिक महत्व?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25वें कारगिल विजय दिसव के अवसर पर द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक पर कारगिल युद्ध के नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी वर्चुअल माध्यम से शिंकुन ला सुरंग परियोजना का पहला विस्फोट किया। यह सुंरग लद्दाख को हर मौसम में संपर्क प्रदान करेगी। इस सुरंग परियोजना में 4.1 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब टनल भी शामिल है, जिसका निर्माण निमू-पदुम-दारचा रोड पर लगभग 15,800 फुट की ऊंचाई पर किया जाएगा। इससे लेह को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान की जा सकेगी। यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी।शिंकुन ला सुरंग न केवल हमारे सशस्त्र बलों और उपकरणों की तेज व कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी, बल्कि लद्दाख में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देगी।

सेना को हर मौसम में एलएसी पर देगा एक्सेस

शिंकुन ला टनल सेना के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है। यह सेना को हर मौसम में एलएसी पर एक्सेस देगा। साथ ही चीन के किसी भी नापाक हरकत को मुंहतोड़ जवाव देने में भारतीय सेना की मदद करेगा। अगर इस टनल का निर्माण होता है तो लद्दाख में सालों भर सुचारु रूप से आवाजाही हो सकेगी और सेना को हथियार गोला बरूद और उनके गाड़ियां आराम से आ जा सकेगी। 

सुरंग पर तोप और मिसाइल का भी असर नहीं होगा

शिंकुन ला टनल रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। इस टनल के निर्माण से लद्दाख जाने के लिए सेना को करीब 100 की दूरी कम तय करनी पड़ेगी।निर्माण के बाद शिंकुन ला चीन की 15590 फीट की ऊंचाई पर बनी सुरंग को पीछे छोड़ देगी और दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग बन जाएगी। बड़ी बात यह है कि इस सुरंग पर तोप और मिसाइल का भी असर नहीं होगा।

लद्दाख में व्यापार, पर्यटन और विकास को मिलेगा बढ़ावा

शिंकुन ला सुरंग न केवल हमारे सशस्त्र बलों और उपकरणों की तेज और कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी बल्कि लद्दाख में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देगी। यह सुरंग हिमाचल प्रदेश में लाहौल घाटी को लद्दाख में ज़ांस्कर घाटी से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करेगी। यह लद्दाख में व्यापार, पर्यटन और विकास को बढ़ावा देगा, नए अवसर लाएगा और लोगों की आजीविका में भी सुधार करेगा।

Kargil Vijay Diwas: నేడు కార్గిల్ విజయ్ దివస్ 25వ వార్షికోత్సవం .. ప్రధాని మోదీ ద్రాస్ లో పర్యటన..

నేడు కార్గిల్ విజయ్ దివస్(Kargil Vijay Diwas) 25వ వార్షికోత్సవం. ఈ సందర్భంగా ప్రధాని నరేంద్ర మోదీ(Prime Minister Narendra Modi) లడఖ్‌(Ladakh)లోని కార్గిల్‌లో పర్యటించనున్నారు..

ద్రాస్‌లోని కార్గిల్ వార్ మెమోరియల్ వద్ద ఏర్పాటు చేసిన రజతోత్సవ కార్యక్రమానికి ఆయన హాజరుకానున్నారు. ఇక్కడ ప్రధాని మోదీ 1999 యుద్ధ వీరులకు నివాళులర్పిస్తారు. వారి కుటుంబ సభ్యులను కూడా కలవనున్నారు. కార్గిల్ విజయ్ దివస్ రజతోత్సవం సందర్భంగా జులై 24 నుంచి 26 వరకు ద్రాస్‌లో ప్రత్యేక కార్యక్రమాలు నిర్వహిస్తున్నారు. అంతకుముందు ప్రధాని మోదీ 2022లో కార్గిల్‌లో సైనికులతో కలిసి దీపావళి వేడుకలు జరుపుకున్నారు..

ప్రపంచంలోనే ఎత్తైన

కార్గిల్ యుద్ధంలో(kargil war) అమరవీరుల జ్ఞాపకార్థం ఉదయం 9:20 గంటలకు ద్రాస్‌లోని కార్గిల్ వార్ మెమోరియల్ వద్ద జరిగే కార్యక్రమానికి ప్రధాని మోదీ హాజరవుతారని పీఎంఓ కార్యాలయం తెలిపింది.

ఆ తర్వాత షింకున్ లా టన్నెల్ ప్రాజెక్ట్‌ను ప్రారంభిస్తారు. ఈ సొరంగం లేహ్‌కు అన్ని రకాల కనెక్టివిటీలను అందిస్తుంది. పూర్తయిన తర్వాత ఇది ప్రపంచంలోనే ఎత్తైన సొరంగం కావడం విశేషం. అమరవీరుల చిత్రపటానికి పూలమాలలు వేసి నివాళులర్పించే కార్యక్రమానికి ప్రధాని హాజరవుతారు.

ఆ తర్వాత 'షహీద్ మార్గ్' (వాల్ ఆఫ్ ఫేమ్)ను సందర్శిస్తారని మేజర్ జనరల్ మాలిక్ తెలిపారు. సందర్శకుల పుస్తకంపై సంతకం చేసి కార్గిల్ యుద్ధ కళాఖండాల మ్యూజియాన్ని పరిశీలిస్తానని చెప్పారు. ప్రధాని మోదీ 'వీర్ నారీస్' (యుద్ధంలో అమరులైన సైనికుల భార్యలు)తో కూడా సంభాషించనున్నారు. వీర్ భూమిని కూడా సందర్శిస్తారు..

लद्दाख में सैन्य अभ्यास के दौरान बड़ा हादसा, नदी पार करते समय 5 जवान शहीद

#ladakh_accident_during_tank_exercise

लद्दाख में टैंक अभ्यास के दौरान हादसे की खबर सामने आ रही है। नदी में टैंक फंसने के कारण 5 जवान शहीद हो गए। शुक्रवार को लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी इलाके में सेना के जवानों का टैंक अभ्यास चल रहा था। इस दौरान सेना का टैंक टी-72 श्योक नदी को पार करने का अभ्यास कर रहा था, तभी जल स्तर बढ़ने के कारण टैंक नदी के बीचों-बीच फंसा गया। टैंक के अंदर पानी भर गया। इस हादसे में सेना के 5 जवान शहीद हो गए।घटनास्थल से सेना के जवानों का शव बरामद कर लिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि यह घटना लेह से 148 किलोमीटर दूर हुई है। यह घटना शुक्रवार रात 1 करीब एक बजे के आसपास हुई है। सेना के सभी जवान टी-72 टैंक पर सवार थे।

सेना के अधिकारियों ने बताया कि एलएसी के पास नदी पार करते समय सुबह तीन बजे यह हादसा हुआ है। उन्होंने बताया कि नदी पार करने के दौरान अचानक से जलस्तर बढ़ गया, जिसमें ये पांचों जवान बह गए।डिफेंस ऑफिशियल ने बताया कि घटना के वक्त टैंक में जेसीओ समेत पांच जवान थे। एक जवान का पता लगा लिया गया है जबकि अन्य की तलाश अभी भी जारी है। जवानों की तलाश में रेस्क्यू ऑपरेशन लगाता जारी है। टैंक अभ्यास के दौरान एक टी-72 टैंक भी हादसे का शिकार हुआ है।

बता दें कि पिछले साल लेह जिले के कियारी के पास एक सेना का ट्रक सड़क से उतरकर गहरी खाई में गिर गया था। इस हादसे में एक जेसीओ सहित नौ जवान शहीद हो गए थे।