भारत की रक्षा व्यवस्था भू-स्थानिक इंटेलिजेंस और एआई के एकीकरण से तकनीकी उत्कृष्टता की ओर अग्रसर
* जियोस्मार्ट इंडिया 2025 ने भारत की रक्षा और आंतरिक सुरक्षा में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया
दिल्ली ब्यूरो
नई दिल्ली। जियोस्पेशल वर्ल्ड द्वारा आयोजित जियोस्मार्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस एंड एक्सपो 2025 भारत मंडपम, नई दिल्ली में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में “डिफेंस एंड इंटरनल सिक्योरिटी: जियोस्पेशल इंटेलिजेंस फॉर स्ट्रैटेजिक प्रिपेयर्डनेस” विषय पर वरिष्ठ रक्षा अधिकारी, नीति निर्माता और उद्योग विशेषज्ञों ने चर्चा की। उन्होंने भू-स्थानिक इंटेलिजेंस, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और उन्नत डिजिटल तकनीकों के माध्यम से भारत की रक्षा संरचना में आ रहे परिवर्तन और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रधानमंत्री के रोडमैप पर बात की।
लेफ्टिनेंट जनरल विकास रोहेला, एसएम, इंजीनियर-इन-चीफ ने कहा कि भू-स्थानिक इंटेलिजेंस और एआई के एकीकरण से भारत की रक्षा व्यवस्था तकनीकी उत्कृष्टता की ओर अग्रसर है। उन्होंने बताया कि स्वदेशी स्टार्टअप उपग्रह निर्माण में सक्रिय हैं और सशस्त्र बल जीआईएस (GIS) आधारित सिस्टम, डिजिटल ट्विन्स तथा एआई (AI) संचालित युद्धक्षेत्र विश्लेषण अपना रहे हैं, जिससे भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी संचालन की अनिवार्य कड़ी बन चुकी है। यह परिवर्तन राष्ट्रीय लचीलापन, सीमांत प्रबंधन एवं आपदा प्रतिक्रिया को मजबूत कर रहा है।
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) अरुण सहगल, पीएचडी ने वैश्विक सामरिक परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दुनिया अब अमेरिका की एकध्रुवीय नीति, अमेरिका-चीन द्विध्रुवीय प्रतिद्वंद्विता और रूस की त्रिध्रुवीय भूमिका में विभाजित है। इस परिप्रेक्ष्य में भारत एक स्वतंत्र रणनीतिक पहचान बना रहा है और उसे ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र को सामरिक केंद्र बिंदु बनाना चाहिए, जहां समुद्री सुरक्षा और मुक्त नौवहन मार्ग सुनिश्चित करते हुए स्वायत्त विदेश नीति बनाए रखना जरूरी है।
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डॉ. विजय कुमार सिंह, मिजोरम के राज्यपाल ने कहा कि “भू-स्थानिक इंटेलिजेंस वह अदृश्य शक्ति है जो भविष्य के युद्धों में सफलता तय करेगी”। उन्होंने जियोइंट (GeoINT), जो इमेजरी, भू-आकृति विश्लेषण, स्थानिक डेटा, एआई और बहु-स्रोत खुफिया जानकारी का संयोजन है, को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने बताया कि यह प्रणाली कमांडरों को अच्छी और तेज निर्णय क्षमता प्रदान करती है। भू-स्थानिक जागरूकता भूमि, वायु, समुद्र, साइबर और अंतरिक्ष क्षेत्रों की सफलता के लिए अनिवार्य है।
सत्र में यह निष्कर्ष निकला कि भू-स्थानिक इंटेलिजेंस आधुनिक रक्षा प्रणाली की मुख्य रीढ़ बन चुकी है जो वास्तविक समय में स्थिति की समझ, सहयोग और निर्णय क्षमता को मजबूत करती है। जियोस्मार्ट इंडिया 2025 ने सरकार, रक्षा क्षेत्र, शिक्षा व उद्योग के बीच सहयोग को बढ़ावा देने और एक सुरक्षित, तकनीकी रूप से सशक्त रक्षा व्यवस्था के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।









3 hours ago
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