दिल्ली-एनसीआर में ई-वेस्ट मैनेजमेंट के लिए स्कूल बने "ई-वेस्ट हब"
नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में इलेक्ट्रॉनिक कचरा (ई-वेस्ट) प्रबंधन के लिए एक अनूठी पहल की जा रही है, जिसमें स्कूल और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWAs) मिलकर काम कर रहे हैं। इस पहल के तहत, स्कूलों को "ई-वेस्ट हब" के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां छात्र अपने परिवारों को पुराने गैजेट्स और इलेक्ट्रॉनिक सामान को रीसाइकिल करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। ग्रामीण विकास ट्रस्ट (GVT) और सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (SMBC) के सहयोग से चल रहा यह अभियान शहर में एक नई मिसाल कायम कर रहा है।
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अभियान का तीसरा चरण और विस्तार
2022 में शुरू हुई यह पहल अब अपने तीसरे चरण में है, जिसका विस्तार दिल्ली-एनसीआर के 18 प्रमुख इलाकों—जैसे मालवीय नगर, नेहरू प्लेस, महरौली और वसंत कुंज—तक हो गया है। इस चरण का मुख्य उद्देश्य स्कूलों और आरडब्ल्यूए को सामुदायिक केंद्रों के रूप में विकसित करना है, जो लोगों को ई-वेस्ट प्रबंधन के लिए जागरूक कर सकें।
पिछले चरणों की सफलता
पहला चरण (2022): संगम विहार में 'रिड्यूस, रीयूज, रीसाइकिल' (RRR) केंद्रों को मजबूत किया गया और कचरा बीनने वालों को ई-वेस्ट की सुरक्षित हैंडलिंग का प्रशिक्षण दिया गया।
दूसरा चरण (2023-24): एक जीपीएस-सक्षम ई-वेस्ट कलेक्शन वैन शुरू की गई, जो घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा करती थी। इस चरण में लगभग 395 किलो ई-वेस्ट जमा किया गया, जिसमें से 370 किलो को सफलतापूर्वक रीसाइकिल किया गया।
बच्चों की भागीदारी और जागरूकता
इस अभियान में बच्चों की भूमिका महत्वपूर्ण है। स्कूलों में इंटरैक्टिव वर्कशॉप, क्विज़ और 'शपथ अभियान' चलाए जा रहे हैं। कई स्कूलों ने तो "ई-वेस्ट कॉर्नर" भी बनाए हैं, जहां छात्र अपने घरों से पुराने चार्जर, बैटरी, कैलकुलेटर और हेडफोन जैसे गैजेट्स लाकर जमा कर रहे हैं। इसका मकसद बच्चों में ई-वेस्ट के खतरनाक प्रभावों के प्रति जागरूकता पैदा करना और सुरक्षित निस्तारण की आदत डालना है।
8 hours ago