40 साल से ज्यादा ऑपोजिशन में रहा हूं, विपक्ष को मुझसे ट्यूशन लेने की जरूरत लो, राज्यसभा में नड्डा ने क्यों कही ये बात
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संसद का मानसून सत्र इस बार काफी हंगामेदार रहा है। मंगलवार को भी संसद में जमकर हंगामा देखा गया। राज्यसभा में भी आज खूब हंगामा हुआ। सदन में सीआईएसएफ कर्मियों की मौजूदगी के मुद्दे पर आज राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। दरअसल सभापति ने इस बात पर आपत्ति जताई कि जब खरगे ने उन्हें सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती को लेकर पत्र लिखा था तो उसे मीडिया में क्यों जारी किया गया। सभापति ने इसे सदन के नियमों का उल्लंघन करार दिया।
दरअसल राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने खरगे के पत्र के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पत्र को मीडिया में जारी करके संसद के जनता को जानकारी देने के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। इसके बाद उपसभापति ने कई घटनाओं का जिक्र किया, जब सत्ता पक्ष के लोग सदन में बोल रहे थे और विपक्षी सांसदों ने उनकी सीटों के पास आकर उनके संबोधन बाधित करने का प्रयास किया। सभापति ने कहा कि 'क्या यह लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन नहीं है? उन्होंने कहा कि सदस्यों द्वारा वेल में प्रदर्शन गलत है और यह सदन की परंपरा के खिलाफ है क्योंकि वेल की एक पवित्रता होती है।
खरगे ने पूछा- क्या हम आतंकवादी हैं
सभापति के बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि जब सदन के नेता महत्वपूर्ण मुद्दे उठा रहे होते हैं तो उस समय सदन में सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती गलत है। उन्होंने उदाहरण दिया कि 'जब अरुण जेटली राज्यसभा में और सुषमा स्वराज लोकसभा में विपक्ष के नेता थे, तो उन्होंने कहा था कि व्यवधान डालना भी लोकतंत्र को मजबूत करने का तरीका है। हम इसी तरह लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करते रहेंगे और ये हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है।' खरगे ने कहा कि ऐसे में अगर मैंने आपको पत्र लिखा और उस बारे में मीडिया में जानकारी दी गई तो उस पर आपको इतनी आपत्ति क्यों है? मैं सभी सदस्यों को सूचित नहीं कर सकता, इसलिए एक प्रेस नोट जारी किया। मुझे बताइए सीआईएसएफ को वेल में तैनात क्यों किया गया? क्या हम आतंकवादी हैं?
अभी 30-40 साल और विपक्ष में ही रहना-नड्डा
खरगे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी सांसद जेपी नड्डा ने सदन की कार्यवाही में बाधा डालने को लेकर विपक्ष की आलोचना की। जेपी नड्डा ने कहा कि विपक्ष का हंगामा नियमों के खिलाफ है। नड्डा ने सदन की कार्यवाही को लेकर राज्यसभा के उपसभापति के बयान का जिक्र किया। उन्होंने सदन की कार्यवाही में बाधा डालने वाले सांसदों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यहां जब मैं भाषण दे रहा हूं और बगल में कोई आकर नारेबाजी करेगा तो यह लोकतांत्रिक नहीं है। यह सदन में काम करने का तरीका नहीं होता। मैं 40 साल से ज्यादा विपक्ष में रहा हूं, मुझसे ट्यूशन ले लीजिए। अभी आपको 10 ही साल हुए हैं, अभी 30-40 साल और विपक्ष में ही रहना है। नड्डा ने सदन में गतिरोध को लेकर विपक्ष की तरफ से अरुण जेटली की बात का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इसके बहुत से तरीके हैं। मुझसे ट्यूशन लोगे तो मैं बताऊंगा।
मार्शल के तौर पर सुरक्षाकर्मी आते हैं-नड्डा
जेपी नड्डा ने कहा कि लोकतंत्र में यदि आप लाठी भांज रहे हैं और आपकी लाठी मेरी नाक को लग जाती है तब आपका लोकतंत्र खत्म हो जाता है। नड्डा ने कहा कि जो भी व्यक्ति सदन में सभापति के आदेश पर सदन को संचालित करने में मदद करता है तो वह मार्शल है, न कि किसी पैरामिलिट्री फोर्स के सदस्य।
सिर्फ मार्शल ही यहां थे-रिजिजु
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में कहा, मैं एक बात साफ करना चाहूंगा। विपक्ष के नेता बहुत वरिष्ठ नेता हैं। मल्लिकार्जुन खरगे ने सवाल उठाया था, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि सदन में सेना के लोग लाए गए, सीआईएसएफ के जवान लाए गए और दिल्ली पुलिस को लाया गया। यह रिकॉर्ड में साफ है कि सिर्फ मार्शल ही सदन में प्रवेश कर सकते हैं। उस दिन सिर्फ मार्शल ही यहां थे। इसलिए, विपक्ष के नेता ने गुमराह किया और यहां झूठे तथ्य पेश किए। उन्होंने आपको भी लिखा है। जब विपक्ष के नेता सभापति को झूठा पत्र लिखते हैं और झूठे तथ्य पेश करते हैं, तो क्या कार्रवाई होनी चाहिए?
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