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कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ

रायपुर- कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर में शैक्षणिक सत्र 2025-26 हेतु जनसंचार विभाग के स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है।

जनसंचार के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र मोहंती ने बताया है कि मीडिया एवं जनसंचार के क्षेत्र में कैरियर की अपार संभावना है जिसके लिए विभाग द्वारा 12वी पास विद्यार्थियों के लिए बैचलर ऑफ आर्ट्स इन मास कम्युनिकेशन (BAMC) में स्नातक कोर्स और स्नातक विद्यार्थियों के लिए मास्टर ऑफ आर्ट्स इन मास कम्युनिकेशन (MAMC) में स्नातकोत्तर स्तर पाठ्यक्रम संचालित है।

इन दोनों पाठ्यक्रमों में अध्ययन हेतु इच्छुक अभ्यर्थी विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट www.ktujm.ac.in के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।प्रवेश से संबंधित विस्तृत जानकारी, पात्रता मानदंड, आवेदन की अंतिम तिथि एवं अन्य दिशा-निर्देश वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। अभ्यर्थियों से अनुरोध है कि वे समय पर आवेदन प्रक्रिया पूर्ण करें। विद्यार्थी मार्गदर्शन हेतु विभाग से भी संपर्क कर सकते है।

STF की बड़ी कार्रवाई, दुर्ग में पकड़ाई बांग्लादेशी महिला : फर्जी आधार कार्ड बनाकर 8 साल से भारत में रह रही

दुर्ग- अवैध घुसपैठियों के विरुद्ध एसटीएफ गठन के पहले दिन ही दुर्ग पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. टीम ने सुपेला से बांग्लादेशी महिला को गिरफ्तार किया है. यह महिला पहले दिल्ली में रह रही थी. अभी 2 साल से भिलाई के सुपेला में नाम बदलकर रह रही थी. एसएसपी विजय अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मामले का खुलासा किया.

एसएसपी अग्रवाल ने बताया, पकड़ाई महिला 8 साल से अवैध रूप से भारत में रह रही है. अंजली सिंह उर्फ काकोली घोष के नाम से फर्जी आधारकार्ड और फर्जी दस्तावेज भी बनाकर रखे थे. दुर्ग पुलिस की एसआईटी टीम ने भिलाई सुपेला क्षेत्र से नाम बदलकर व फर्जी आधार कार्ड बनाकर किराए से रह रही महिला को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने उस मकान मालिक सूरज साव को भी गिरफ्तार किया है, जिसने बिना पुलिस वेरीफिकेशन उसे किराए से मकान दिया था.

एसएसपी ने बताया, महिला का असली नाम पन्ना बीवी है और वह ग्राम दौलतपुर पोस्ट बड़ामतला जिला खुलना की रहने वाली है. महिला बांग्लादेश के पेट्रोपोल पोस्ट से भारत आई थी. पासपोर्ट अधिनियम, और विदेशी नागरिक अधिनियम और बीएएनएस के प्रतिरोपण की धाराओं के तहत उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.

बता दें कि छत्तीसगढ़ में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी / रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान कर उनके विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही करने एवं उन्हें वापस भेजे जाने की कार्यवाही के लिए दुर्ग जिले में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) का गठन किया गया है. यह टीम लगातार दुर्ग में अवैध रूप रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कर आगे की कार्रवाई कर रही. बुधवार को सुपेला नेहरू रोड में सूरज साव के मकानसे एक बांग्लादेश की महिला को गिरफ्तार किया गया।


5 साल तक सोनागाछी और एक साल दिल्ली में रही

जांच के दौरान पाया गया कि पन्ना वीवी लगभग 08 वर्ष पूर्व बिना वैध पासपोर्ट एवं वीजा के अवैध रूप से बाग्लादेश से बोन्गांव पेट्रोपोल, जिला उत्तर 24 परगना, पश्चिम बंगाल स्थित भारत बांग्लादेश अंर्तराष्ट्रीय बॉर्डर से अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया. कोलकाता आकर अपना नाम काकोली घोष बताकर सोनागाछी में लगभग 5 वर्ष अवैध रूप से रही. वहां से दिल्ली में लगभग 1 वर्ष रही. दिल्ली में रहने के दौरान भिलाई निवासी पूजा नामक लड़की के साथ परिचय होने पर उसके साथ भिलाई आकर लगभग 02 वर्षों से सुपेला नेहरू रोड स्थित सूरज साव के मकान में स्वयं को काकोली घोष उर्फ अंजली सिंह निवासी दिल्ली का होना बताकर किराए से रह रही थी.

महिला ने भिलाई से कई बार आना-जाना की है बांग्लादेश

भिलाई में रहने के दौरान भी बांग्लादेशी नागरिक पन्ना बीवी ने जसौर बोन्गांव पेट्रोपोल जिला- उत्तर 24 परगना स्थित भारत बांग्लादेश अंर्तराष्ट्रीय बॉर्डर से कई बार बांग्लादेश स्थित अपने मूल निवास आना-जाना की है. पन्ना बीबी के मोबाइल फोन की जांच किए जाने पर इसके द्वारा अपने मोबाइल फोन से बांग्लादेश के लगभग एक दर्जन से अधिक मोबाइल नम्बरों से (पिता, भाई, बहन एवं अन्य रिश्तेदारों) से लगातार बात करना एवं सम्पर्क में रहना पाया गया. पासपोर्ट अधिनियम, और विदेशी नागरिक अधिनियम और बीएएनएस के प्रतिरोपण की धाराओं के तहत बांग्लादेशी महिला के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. इस कार्रवाई में एसटीएफ प्रभारी नगर पुलिस अधीक्षक सत्य प्रकाश तिवारी, निरीक्षक विजय यादव थाना प्रभारी सुपेला एवं उनकी टीम व एसटीएफ के सउनि रमेश सिन्हा, पंकज चतुर्वेदी एवं संतोष गुप्ता की उल्लेखनीय भूमिका रही.

अफसरों की लापरवाही से PAT परीक्षा देने से वंचित हुए परीक्षार्थी : एग्जाम सेंटर में नहीं थी मेडिकल किट, चोटिल छात्र को भेजा अस्पताल

कोंडागांव-  पीएटी परीक्षा में इस बार जवाबदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते चार छात्र परीक्षा देने से वंचित हो गए. अगर समय रहते इनको सही मार्गदर्शन प्रवेश द्वार से ही मिल गया होता तो ये छात्र भी परीक्षा दे पाते मगर जिन्हें परीक्षा संचालन का जिम्मा प्रशासन ने दिया था उनकी एक चूक से इनका साल बर्बाद हो गया.

दरअसल कोंडागांव जिले के मालगांव के युवक खेमलाल मौर्य बाइक से परीक्षा देने कोंडागांव आ रहा था, इस दौरान उसकी बाइक दुर्घटनाग्रस्त हो गई और वह घायल हो गया. उन्हें हल्की छोटे भी आई फिर भी वह समय से पहले परीक्षा केंद्र पहुंच चुका था, जहां उसे किसी भी तरह का इलाज नहीं मिला. उन्हें इलाज करवाने अस्पताल भेज दिया गया.

परीक्षा हाल में बैठाने के आधे घंटे बाद निकाल दिया : परीक्षार्थी दीपिका

पीएटी की परीक्षा देने आई दीपिका मरकाम ने बताया कि मुझे पूरी उम्मीद थी कि मैं यह परीक्षा पास कर लूंगी. मुझे सारे कागज चेक कर गेट से अंदर जाने दिया. परीक्षा हाल में बैठा भी दिया. 8:30 बजे मैं पेपर हाल में बैठ गई थी फिर एक अधिकारी अचानक से आया और ओरिजिनल आधार कार्ड लाओ कहकर मुझे निकाल दिया. मुझे उसी वक्त मेन गेट पर अगर बता दिया होता तो मैं ओरिजिनल आधार कार्ड लेकर समय पर पहुंच जाती. यह स्थिति निर्मित नहीं होती. मुझे आधे घंटे तक अंदर बैठाकर रखा गया.

परीक्षा केंद्र के पास घंटों बैठा रहा चोटिल छात्र

इस परीक्षा में जिम्मेदार अफसरों की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है, जहां हजारों छात्र-छात्राएं परीक्षा दे रहे हैं वहां मेडिकल की टीम तक मौजूद नहीं है, ना ही किसी तरह की उपचार किट रखा गया है, जबकि परीक्षा केंद्रों पर स्वास्थ्य विभाग की टीम व प्राथमिक उपचार के लिए उपचार किट रखने के सख्त निर्देश हैं. मेडिकल किट रेडक्रास से खरीदी की जानी होती है. यही नहीं स्टॉफ को इसका प्रशिक्षण भी दिया जाता है, मगर यहां ऐसा कुछ नहीं मिला. चोटिल हुआ छात्र ऐसे ही घंटों बैठा रहा और उसे अस्पताल भेज दिया गया, जिससे वह परीक्षा से वंचित हो गया.

ओरिजिनल आधार नहीं लाने, समय पर नहीं पहुंचने पर वंचित हुए छात्र : प्रिंसिपल

इस मामले में हायर सेकेंडरी स्कूल कोंडागांव की प्रिंसिपल चंद्रकुमारी कोर्राम ने बताया, कई राउंड में परीक्षार्थियों के दस्तावेज चेक किए जाते हैं, क्योंकि छात्र-छात्राओं की संख्या अधिक है, इसलिए अकेले देख पाना संभव नहीं है. अलग-अलग कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी. इन छात्रों ने ओरिजिनल आधार कार्ड नहीं लाए थे और समय पर नहीं पहुंचने की वजह से इन्हें अंदर प्रवेश नहीं दिया गया. घायल छात्र को उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया था, क्योंकि यहां पर व्यवस्था नहीं थी.

रेत माफियाओं के हौसले बुलंद: आरक्षक की हत्या के बाद अब पटवारी और पत्रकार पर जानलेवा हमला, 8 गिरफ्तार…

बालोद- छत्तीसगढ़ में रेत माफिया की दबंगई थमने का नाम नहीं ले रही है. बलरामपुर में आरक्षक की हत्या के बाद अब बालोद जिले में रेत माफियाओं ने पटवारी और पत्रकार पर हमला कर अपनी दहशत का नया चेहरा दिखाया है. यह हमला उस वक्त हुआ जब पटवारी अवैध रेत भंडारण की सूचना पर जांच के लिए पहुंचे थे और स्थानीय पत्रकार इसकी कवरेज कर रहे थे.

जानकारी के मुताबिक, यह पूरा मामला पुरुर थाना क्षेत्र के ग्राम मरकाटोला का है, जहां अवैध रेत भंडारण की शिकायत पर पटवारी मौके पर जांच के लिए पहुंचे थे. उनके साथ स्थानीय पत्रकार भी कवरेज के लिए वहां मौजूद थे. इसी दौरान रेत माफिया और उनके गुर्गों ने मिलकर दोनों पर जानलेवा हमला कर दिया.

8 आरोपी गिरफ्तार, मुख्य सरगना अब भी फरार

पत्रकार की शिकायत के आधार पर पुरुर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि इस हमले का मुख्य आरोपी अभी फरार है. पुलिस की टीमें उसकी तलाश में जुटी हुई हैं.

प्रशासन पर उठ रहे सवाल

यह घटना ऐसे समय पर सामने आई है जब बलरामपुर में अवैध रेत खनन रोकने गए एक आरक्षक की ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में बीती रात 4 आरोपी को गिरफ्तार किया गया. अब बालोद में सामने आए इस हमले ने प्रशासन की गंभीरता और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

विभागीय कार्रवाई सिर्फ खानापूर्ति?

जिले के कई रेत घाटों में बिना अनुमति रेत का उत्खनन धड़ल्ले से जारी है. यह भी आरोप लगे हैं कि संबंधित विभागों की कार्रवाई केवल खानापूर्ति तक सीमित है, जिससे रेत माफियाओं के हौसले दिन-ब-दिन बुलंद होते जा रहे हैं. घटना के बाद इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है. पुलिस का कहना है कि फरार मुख्य आरोपी को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा और मामले में सख्त धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी. 

अब देखना होगा कि क्या प्रशासन इन घटनाओं के बाद रेत माफिया पर लगाम कस पाएगा या फिर यह सिलसिला और गंभीर रूप लेता जाएगा.

देह व्यापार के शक में ग्रामीणों ने घर को घेरा, मौके पर पहुंची पुलिस, 2 महिला समेत 4 पकड़ाए…

दुर्ग- नंदिनी थाना क्षेत्र स्थित अहेरी गांव स्थित कल्याण कॉलेज के पास आज एक सेक्स रैकेट का पर्दाफाश हुआ है. गांव के लोगों ने लंबे समय से एक किराए के मकान में हो रही संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी और संदेहास्पद मकान को घेर कर पुलिस को सूचना दी. इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. साथ ही मौके से कई आपत्तिजनक सामग्री और साक्ष्य भी जब्त किए गए हैं.

गिरफ्तार आरोपियों के नाम:

  • बलीराम वर्मा
  • ओमप्रकाश पटेल
  • हेमलता चेलक
  • धनेश्वरी सेन.

इन सभी पर आरोप है कि वे अहेरी स्थित कल्याण कॉलेज के पास एक किराए के मकान में पिछले कई महीनों से सेक्स रैकेट चला रहे थे.

ग्रामीणों को था कई महीनों से शक

बता दें, कल्याण कॉलेज के पास स्थित एक मकान में बीते कुछ महीनों से लगातार अनजान लोगों का आना-जाना लगा हुआ था. इससे ग्रामीणों को शक हुआ कि वहां कोई अवैध गतिविधि चल रही है. जब स्थिति असहज लगने लगी तो ग्रामीणों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी और कार्रवाई की मांग की.

न्यायालय में किया पेश

पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ BNS की धारा 170/126, 135(3) के तहत मामला दर्ज किया है. आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय भिलाई-03 में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

ग्रामीणों ने की कड़ी सजा की मांग

घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखने को मिला. उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे अवैध कृत्य गांव के माहौल को खराब कर रहे हैं. ग्रामीणों ने आरोपियों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.

फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस गिरोह में और कौन-कौन लोग शामिल हो सकते हैं.

न्यायिक जीत के बाद भी भटक रहे सहायक शिक्षक, डिप्टी सीएम साव से लगाई गुहार, कहा – जल्द बहाल की जाए नियुक्ति

रायपुर-  छत्तीसगढ़ में न्यायालय के आदेश की अवहेलना करना या कहे न्यायालय के आदेश को नजरअंदाज करना अब आम बात हो चुकी है. SI भर्ती परीक्षा, D.ed -B.ed भर्ती विवाद में पहले भी देखा गया है कि किस प्रकार कोर्ट के निर्देश का समय सीमा पर राज्य सरकार पालन करने से पीछे हटती आई है. ऐसा ही एक मामला है नगरीय प्रशासन द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति का, जिसमें सहायक शिक्षकों को अकारण नौकरी से निकाल दिया गया. अब न्यायिक जीत हासिल करने के बाद भी शिक्षक अपनी बहाली के लिए दर-दर भटक रहे हैं, क्योंकि सरकार कोर्ट का आदेश मानने में कोताही कर रही है.

दरअसल उपमुख्यमंत्री एवं नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव से मुलाकात करने प्रदेशभर के विभिन्न जिलों से सहायक शिक्षक पहुंचे थे. ये शिक्षक पूरे प्रक्रिया के तहत 2014 में निगम स्कूलों में नियुक्त किए गए थे, जिन्हें महज 50 दिन के अंदर बिना कारण निकाल दिया गया. हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से अपने पक्ष में फैसला होने के बाद भी ये आज बेरोजगार हैं. साव से मुलाकात कर सभी ने 15 अप्रैल 2025 में जो फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दिया है उसके अनुसार उनकी नियुक्ति करने की मांग की है.

सिलसिलेवार समझिए कब क्या हुआ

  • 2 जून 2013 में नगरीय प्रशासन विभाग ने नगर निगम स्कूलों में सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 98 पदों पर विज्ञापन जारी किया.
  • 43-46 चयनित लोगों का 15 अक्टूबर 2014 को नियुक्ति आदेश जारी किया गया.
  • 45 दिन बाद 29/11/2014 को विभाग ने सभी 45 लोगों के सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया.
  • याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई, जिसमें सिंगल बेच आदेश ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं के पक्ष में 16/04/2019 को नियुक्ति का आदेश जारी किया.
  • राज्य सरकार ने फिर हाइकोर्ट की डबल बेंच में याचिका दायर की. 2/03/2022 को सुनवाई में फिर से नियुक्ति का कोर्ट ने निर्देश दिया.
  • हाई कोर्ट के फैसले से असंतुष्ट राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई, जिसमें 15/04/2025 को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी नियुक्त शिक्षकों को नौकरी में बहाल किया जाना चाहिए.

रमन सिंह, भूपेश बघेल के बाद साय सरकार में भी नहीं मिल रहा न्याय

दरअसल जब विज्ञापन जारी किया गया था तब नगर निगम, पालिका और पंचायतों के स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति नगरीय प्रशासन विभाग के अंतर्गत होती थी, लेकिन साल 2019 में नियमों में बदलाव हुए. सभी स्कूल शिक्षा विभाग को हैंडओवर हो गए. कोर्ट में लगी याचिका निगम प्रशासन द्वारा निकाले गये विज्ञापन के तहत चयनित शिक्षकों की नौकरी से हटाने के ख़िलाफ़ था. अब इन दो विभागों के बीच 45 शिक्षक कुछ इस तरह फंसे हुए हैं, जो कोर्ट का आदेश भी निकालने में असमर्थ नजर आता है. बीजेपी की रमन सरकार, भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार के बाद अब बीजेपी की साय सरकार में भी इन शिक्षकों को न्याय मिलता नजर नहीं आ रहा है. एक उम्मीद के साथ प्रदेश के धमतरी, बलौदाबाज़ार और गरियाबंद सहित कई ज़िलों से उपमुख्यमंत्री अरुण साव के पास ये सहायक शिक्षक ज्ञापन लेकर पहुंचे, जहां उन्होंने अनुरोध किया कि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार उनकी नियुक्ति बहाल की जाए.

न्यायिक लड़ाई लड़ने के बाद भी हमारे अधिकार से वंचित किया

उपमुख्यमंत्री अरुण साव से मिलने पहुंचे गवेन्द्र कुमार साहू ने बताया, 2013 में 98 पोस्ट निकले गए थे, जिसमें 43-45 लोंगों का चयन हुआ, लेकिन बिना कारण और नोटिस दिए हमें निकाल दिया गया. इतने लंबे समय से न्यायिक लड़ाई लड़ने के बाद भी हमें हमारे अधिकार से वंचित किया जा रहा है इसलिए कोर्ट के आदेशानुसार हमें जल्दी से जल्दी नियुक्ति देने की मांग लेकर सरकार से कर रहे हैं.

9 महीने पहले गायब हुई नाबालिग बालिग होकर लौटी घर, तलाश में पुलिस ने खोद डाली थी कब्र भी…

गरियाबंद- 9 महीने पहले रहस्यमयी ढंग से गायब हुई एक नाबालिग युवती अचानक घर लौट आई है. यह वही मामला है जिसमें पुलिस ने अपहरण और हत्या की आशंका में जांच के दौरान एक कब्र तक खोद डाली थी. अब युवती बालिग हो चुकी है और उसने पुलिस को बताया है कि वह बालोद जिले में अपने एक रिश्तेदार के घर रह रही थी.

अपहरण के संदेह में 40 वर्षीय पड़ोसी को किया गया था गिरफ्तार

अगस्त 2024 में ग्राम चलना पदर में अपनी बुआ के घर रह रही नाबालिग अचानक लापता हो गई थी. परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज किया और जांच शुरू की. कॉल डिटेल खंगालने पर पुलिस को गांव के ही एक 40 वर्षीय पड़ोसी से बातचीत का सुराग मिला, जिसे 31 जनवरी 2025 को हिरासत में लिया गया.

फोटो: लालधर (संदही).

कब्र खुदी, लेकिन निकला पुराना कंकाल

संदेही युवक से पूछताछ में गोलमोल जवाब मिलने पर पुलिस ने हत्या की आशंका जताई. संदेही की निशानदेही पर गांव के श्मशान में एक कब्र खुदवाई गई. कार्यपालिक दंडाधिकारी की मौजूदगी में जब कब्र खोदी गई, तो उसमें से एक कंकाल बरामद हुआ जो करीब 10 साल पुराना निकला. इसके बाद पुलिस ने जांच की दिशा बदल दी थी.

अचानक लौट आई युवती

मंगलवार की रात लापता युवती अपने माता-पिता के पास पुरनापानी स्थित कुरलापारा पहुंच गई. परिजनों ने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी. देवभोग थाना प्रभारी फैजुल होदा शाह ने बताया कि युवती अब बालिग हो चुकी है, और उसका बयान न्यायालय में दर्ज कराया जाएगा.

न्यायालय के निर्देश के बाद होगी आगे की कार्रवाई

पुलिस ने बताया कि युवती के बयान बीएनएस धारा 183 के तहत न्यायालय के समक्ष दर्ज कराए जाएंगे. अगर कथन के अनुसार कोई अपराध सामने आता है, तो उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन में आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

आदिवासी समाज ने किया था थाने का घेराव

इस मामले में संदेही युवक लालधर गौड़ को लेकर आदिवासी विकास परिषद ने नाराजगी जताई थी. 27 मार्च को समाज के नेताओं लोकेश्वरी नेताम और संजय नेताम के नेतृत्व में देवभोग थाने का घेराव किया गया था. आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने लालधर को शारीरिक और मानसिक यातनाएं दीं, जिससे उसका एक पैर भी टूट गया.

फोटो: निष्पक्ष जांच के लिए SP को ज्ञापन देने पहुंचे थे प्रतिनिधि.

अब जबकि युवती खुद घर लौट आई है, पूरे मामले ने नया मोड़ ले लिया है. पुलिस अब तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की बात कह रही है.

प्रदेश के कई स्कूलों में 60% से ज्यादा बच्चे फेल, अब प्राचार्यों एवं शिक्षकों पर कार्रवाई की तैयारी

रायपुर-  छत्तीसगढ़ बोर्ड के नतीजे पिछले सालों से भले ही ज्यादा है लेकिन कई जिलों में परिणाम काफी कमजओर हैं. 10वीं एवं 12वीं दोनों कक्षाओं के परिणामों की समीक्षा होगी. रायपुर संभाग में 19 मई से जिलेवार परिणामों की समीक्षा की जाएगी. रायपुर संभाग में रायपुर जिले का परिणाम सबसे कमजोर है. खराब परिणामों और लचर प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री के कड़े तेवर और महासमुंद के जिला शिक्षा अधिकारी को हटाने की कार्रवाई के बाद कुछ और जिले के शिक्षा अधिकार भी निशाने पर हैं.

बोर्ड परीक्षा के परिणामों की राज्य स्तर पर समीक्षा तो होगी ही, संभाग स्तर पर भी न केवल जिलेवार, बल्कि स्कूलवार समीक्षा की जाएगी. रायपुर संभाग में परीक्षा परिणाम की समीक्षा अगले सप्ताह से शुरू होगी. रायपुर संभाग के अंतर्गत आने वाले 5 जिलों में सबसे खराब परिणाम रायपुर जिले का है. जहां न केवल संसाधन, बल्कि ज्यादातर स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक हैं. कुछ स्कूलों में तो अतिशेष शिक्षक हैं. अन्य सालों की तुलना में मेरिट सूची में अन्य जिलों से ज्यादा विद्यार्थी आए हैं किन्तु ओवरऑल परिणाम ने निराश किया है.

रायपुर जिला 10वीं के परिणाम में 33 जिले में 32वें क्रम पर है. यहां 66.24 फीसदी बच्चे ही उत्तीर्ण हुए हैं. जबकि पिछले साल का परिणाम 71.64 फीसदी था. इसी तरह 12वीं में 79.94 प्रश विद्यार्थी सफल हुए हैं. पिछले साल 83.19 फीसदी बच्चे उत्तीर्ण हुए थे. इसी तरह धमतरी जिले में 10वीं में 72.01 % एवं 12वीं में 81.56 %, गरियाबंद में 10वीं में 80.70 %, 12वीं में 90.17 प्रतिशत, बलौदाबाजार जिले में 10वीं 81.69 प्रश एवं 12वीं में 86.51 प्रश तथा महासमुंद जिले में 10वीं 78.33 प्रश एवं 12वीं का परिणाम 84.08 प्रश रहा. रायपुर के संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा राकेश कुमार पांडेय जिलेवार परीक्षा परिणामों की समीक्षा करेंगे. वे 19 मई को रायपुर, 21 को धमतरी, 23 को गरियाबंद, 28 को बलौदाबाजार एवं 30 मई को महासमुंद जिले के परीक्षा परिणाम की समीक्षा करेंगे. समीक्षा बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी के अलावा प्राचार्य भी उपस्थित रहेंगे.

खराब परिणाम वाले प्राचार्यों व शिक्षकों पर होगी कार्रवाई

जेडी संभागीय संयुक्त संचालक राकेश पांडेय ने कहा कि न केवल 10वीं एवं 12वीं के परिणाम, बल्कि प्रत्येक स्कूल के विषयवार परिणाम की समीक्षा की जाएगी. इसके लिए सभी स्कूलों से विषयवार परिणाम की जानकारी मंगाई है. उन्होंने कहा कि समीक्षा के बाद खराब परिणाम वाले प्राचार्यों एवं शिक्षकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा.

माओवादियों की पांचवीं शांति वार्ता की अपील पर गृहमंत्री विजय शर्मा का तीखा जवाब

रायपुर- माओवादी संगठन की ओर से शांति वार्ता की पांचवीं अपील पर छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने दो टूक जवाब देते हुए कहा है कि वार्ता तभी संभव है जब माओवादी खुद सामने आकर बातचीत की पहल करें. उन्होंने स्पष्ट किया कि जो लोग बस्तर के दर्द में कभी शामिल नहीं हुए, न ही चिंगावरम, घोड़ा गांव, एर्राबोर, दरभा गुड़ा, ताड़मेटला और झीरम जैसे नरसंहारों पर कुछ बोले, वे अब वार्ता की बात कर रहे हैं, तो यह स्वीकार्य नहीं हो सकता.

नक्सलियों की शांति वार्ता की अपील पर गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि कुछ व्यक्तिगत और कुछ संस्थागत लोगों के माध्यम से वार्ता की बात सामने आती है, लेकिन ये वही लोग हैं जो कभी भी बस्तर के दर्द में सामने नहीं आए. जिन्होंने चिंगावरम और घोड़ा गांव में मारे गए आदिवासियों की चिंता नहीं की, एर्राबोर में जिन आदिवासियों को जिंदा जलाया गया, उनकी चिंता नहीं की, दरभा गुड़ा में आदिवासियों को मारा गया, झीरम घाटी में छत्तीसगढ़ के नेतृत्व को समाप्त करने की कोशिश की गई, उनकी कोई चिंता नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि मणिकोंटा, रानीबोली, ताड़मेटला जैसे स्थानों पर कभी कोई चिंता व्यक्त नहीं की गई. आज अचानक आकर खड़े हो गए और कहने लगे कि राज्य सरकार ऐसा-ऐसा करे और केंद्र सरकार ऐसा करे. अगर कोई लोग आकर किसी संस्था की ओर से ऐसा कहेंगे तो यह कैसे स्वीकार्य होगा? चर्चा ऐसे नहीं हो सकती. माओवादी बात करना चाहें, चर्चा करना चाहें, जरूर बात होगी. ना केंद्र सरकार गोली चलाना चाहती है, ना राज्य सरकार गोली चलाना चाहती है.

विजय शर्मा ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने माओवादियों कहा “मैं हाथ जोड़कर आग्रह करता हूं कि आप मुख्यधारा में आएं. तो कहना यह है कि इसमें एक चिट्ठी की ऑथेंटिसिटी को भी हमें चेक करना है और साथ ही साथ इस मामले में सरकार का रुख बड़ा स्पष्ट है.

वो भारत के ही लोग हैं, उनको मुख्यधारा में आना चाहिए

गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि मैं इस पर बहुत स्पष्टता से कहना चाहता हूं. मतलब कोई वो दबे हैं, वो हार रहे हैं. ऐसी कोई बात हम नहीं कहते हैं. वो भारत के ही लोग हैं और भटके हुए लोग हैं. उनको मुख्यधारा में आना चाहिए. उनको पुनर्वास करना चाहिए. छत्तीसगढ़ में तो हम लोगों ने आत्मसमर्पण कहना छोड़ दिया है और कहते हैं कि आप मुख्यधारा में आएं, आप पुनर्वास करें. ऐसा ही कहते हैं क्योंकि अगर मान-सम्मान को ठेस वाला विषय हो तो यह भी तैयार है. लेकिन विषय ये है कि मुख्यधारा में आना चाहिए. लोकतंत्र का सम्मान होना चाहिए. इतना ही हमारा कहना है.

गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि कुछ लोग कुछ दिनों पहले हैदराबाद में बैठकें कर रहे थे. उसमें कुछ व्यक्तिगत लोग थे, कुछ संस्था थी और अब वे कहते हैं कि राज्य सरकारों को ऐसा करना चाहिए. विजय शर्मा ने कहा कि मैं कह रहा हूं, ये लोग कौन हैं जो बस्तर के दुख में कभी खड़े नहीं हुए? आज अचानक बोलने खड़े हो गए हैं. इनसे कोई बात नहीं हो सकती. हां, माओवादी बात करना चाहें तो बात हो सकती है. उन्हें प्रत्यक्ष रूप से इस विषय पर चर्चा करनी चाहिए, और अपनी बात रखकर आगे बढ़ना चाहिए.

गृह मंत्री विजय शर्मा ने आगे कहा कि बस्तर के कोने-कोने तक भारत के संविधान को पहुंचाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. बस्तर के कोने-कोने तक, पूरे छत्तीसगढ़ के कोने-कोने तक विकास की गंगा बहाने के लिए छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय की सरकार प्रतिबद्ध है. गृह मंत्री अमित शाह ने मार्गदर्शन किया है. उन्होंने संकल्प लिया है, उस पर हम सब मिलकर काम करेंगे.

जब ट्रैफिक जाम में फंसे वित्त मंत्री OP चौधरी, तब कार्यकर्ता की एक्टिवा पर बैठकर पहुंचे अपने बंगले

रायपुर- राजधानी रायपुर में आज भाजपा की ओर से आयोजित तिरंगा यात्रा के दौरान एक दिलचस्प नजारा देखने को मिला. तेलीबांधा (मरीन ड्राइव) से जयस्तंभ चौक तक निकाली गई इस भव्य यात्रा में शामिल सभी मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों के काफिले ट्रैफिक जाम में फंस गए. इसी दौरान वित्त मंत्री ओपी चौधरी का काफिला भी नगर घड़ी चौक के पास रुक गया. जिसके बाद वे BJYM उपाध्यक्ष अश्वनी विश्वकर्मा की एक्टिवा पर बैठकर घड़ी चौक से शंकर नगर बंगले तक पहुंचे।

इस संबंध में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) रायपुर के उपाध्यक्ष अश्वनी विश्वकर्मा ने फेसबुक पर एक पोस्ट में बताया कि तिरंगा यात्रा के समापन पर सभी मंत्रियों की गाड़ी जाम में फंस गई थी, जिसमें हमारे यूथ आइकॉन एवं छत्तीसगढ़ सरकार के वित्त मंत्री ओपी चौधरी का काफिला भी शामिल था. इस दौरान अश्वनी विश्वकर्मा ने मंत्री ओपी चौधरी से कहा कि मैं आपको बंगले तक छोड़ देता हूं. जिसके बाद वित्त मंत्री चौधरी एक सामान्य इंसान की तरह एक्टिवा (मोपेड) पर बैठे और नगर घड़ी चौक से शंकर नगर बंगले पहुंचे।

BJYM नेता अश्वनी ने बताया कि इस बीच मंत्री ओपी चौधरी का मार्गदर्शन मिला. उन्होंने करियर से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें साझा कीं. छत्तीसगढ़ की माटी से जुड़े हुए सरल, सहज और मिलनसार मंत्री ओपी चौधरी का यह रूप वास्तव में प्रेरणादायक है.

बता दें कि यह तिरंगा यात्रा हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए सफल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सम्मान में निकाली गई थी. इस यात्रा में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, डिप्टी सीएम अरुण साव, कैबिनेट मंत्री, सांसद, विधायक, बड़ी संख्या में पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता समेत सर्व समाज, साधु-संत और सैनिक परिवार शामिल हुए.