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यूपी : बहराइच में सैयद सालार मसूद गाज़ी दरगाह पर इस बार नहीं लगेगा जेठ मेला, प्रशासन ने नहीं दी अनुमति

लखनऊ/ बहराइच। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में सैयद सालार मसूद गाजी दरगाह पर इस वर्ष जेठ मेला आयोजित नहीं होगा। जिला प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए दरगाह प्रबंध समिति को अनुमति देने से इंकार कर दिया है। प्रशासनिक फैसले के बाद जायरीनों और स्थानीय लोगों में निराशा है, वहीं सोशल मीडिया पर भी इस निर्णय को लेकर चर्चाएं तेज हैं।

गोपनीय सूचना इकाई (LIU) की एक रिपोर्ट वायरल होने के बाद प्रशासन हरकत में आया और मेले को स्थगित करने का निर्णय लिया गया। यह रिपोर्ट कमिश्नर और अन्य उच्च अधिकारियों को भेजी गई थी, जिसमें 15 मई से शुरू होने वाले मेले और 18 मई से बारातों के आगमन को लेकर सुरक्षा चिंताओं का जिक्र था। प्रशासन को भारी संख्या में जायरीनों के आगमन, उनके ठहराव, स्थानीय व्यवस्थाएं और सुरक्षा प्रबंधन को लेकर संभावित अव्यवस्थाओं की आशंका थी। इसी के चलते दरगाह प्रबंध समिति को मेले की इजाजत नहीं दी गई।

सिटी मजिस्ट्रेट शालिनी प्रभाकर ने जानकारी दी कि दरगाह प्रबंध समिति की ओर से मेले के आयोजन के लिए पत्र प्राप्त हुआ था। इस पर रिपोर्ट तलब की गई, लेकिन किसी भी संबंधित अधिकारी ने आयोजन की संस्तुति नहीं दी। क्षेत्राधिकारी ने बताया कि हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को देखते हुए प्रशासन सतर्क है। चूंकि जेठ मेले में हर वर्ष पांच लाख से अधिक जायरीन आते हैं, ऐसे में कानून-व्यवस्था को संभालना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसी कारण से आयोजन को अनुमति नहीं दी गई। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जनसुरक्षा और कानून व्यवस्था सर्वोच्च प्राथमिकता है, और वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

विकास प्राधिकरणों में भवन मानचित्रों के लंबित मामलों का एकमुश्त समाधान हो: योगी

-- मुख्यमंत्री ने कानपुर, आगरा और लखनऊ मेट्रो परियोजनाओं को निर्धारित समय सीमा में पूर्ण करने के दिए निर्देश 

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को आवास एवं शहरी नियोजन विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक में शहरी विकास से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं और योजनाओं की प्रगति का आकलन करते हुए उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि विकास प्राधिकरणों में लंबित भवन मानचित्रों के मामलों का त्वरित निस्तारण किया जाए। उन्होंने दो टूक कहा कि बार-बार आपत्तियां लगाने की प्रवृत्ति अनुचित है और एक ही बार में मामलों का निष्पक्ष समाधान किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि नगरों की जीआईएस आधारित मास्टर प्लान को मई माह के अंत तक अनिवार्य रूप से अनुमोदित करा लिया जाए। अब तक 59 नगरों में से 42 की महायोजनाएं अनुमोदित हो चुकी हैं, जबकि शेष 4 नगरों- झांसी, मैनपुरी, फर्रुखाबाद-फतेहगढ़ एवं बहराइच- की प्रक्रिया को भी इसी माह में पूरा करने के निर्देश दिए गए।

बैठक में मेट्रो परियोजनाओं की स्थिति पर जानकारी दी गई कि कानपुर मेट्रो के मोतीझील से सेंट्रल स्टेशन तक 6.7 किमी अंडरग्राउंड सेक्शन का कार्य पूर्ण हो गया है। दोनों कॉरीडोर 2025 के अंत तक पूर्ण हो जाएंगे। इसी प्रकार आगरा मेट्रो का पहला कॉरिडोर दिसंबर 2025 और दूसरा 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। लखनऊ मेट्रो के चारबाग से बसंतकुंज तक का कार्य (11.165 किमी) भी तेजी से जारी है। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने लखनऊ विकास प्राधिकरण की सीमा विस्तार की आवश्यकता पर बल दिया और जेपीएनआईएसी को शीघ्र एलडीए को हस्तांतरित करने का निर्देश भी दिया।

बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि मुख्यमंत्री शहरी विस्तार योजना के तहत झांसी, बरेली, अलीगढ़, सहारनपुर, आगरा, कानपुर, मथुरा, मुरादाबाद, बुलंदशहर, गाज़ियाबाद, मेरठ और लखनऊ में जून से दिसंबर 2025 के बीच चरणबद्ध रूप से योजनाएं लॉन्च की जाएंगी।

900 करोड़ की लागत से विकसित हो रहे 32.50 एकड़ में फैले इंटरनेशनल एक्जीबिशन-कम-कन्वेंशन सेंटर की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने इसे अधिकतम दो वर्षों में पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, यह केंद्र “नए लखनऊ की वैश्विक पहचान” बनेगा।

-- नीतिगत बदलाव और पारदर्शी शहरी प्रशासन पर बल

मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि: भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 पर जनसामान्य से सुझाव लेकर अंतिम रूप दिया जाए। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग अधिनियम-2025, लैंड पूलिंग पॉलिसी-2025 और इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति को शीघ्र लागू किया जाए। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल, प्रवासी श्रमिकों के लिए विशेष आवासीय योजनाएं, ग्रीन बिल्डिंग प्रमाणीकरण, सोलर रूफटॉप, रेनवॉटर हार्वेस्टिंग और अपशिष्ट प्रबंधन को अनिवार्य शहरी मानक बनाया जाए। यूपी आवास ऐप और रेरा पोर्टल को और अधिक सुगम व पारदर्शी बनाया जाए।

"राजस्व सुधार को मिली रफ्तार: सीएम ने दिया लैंड रिकॉर्ड डिजिटलीकरण में तेजी लाने का निर्देश"

- मुख्यमंत्री योगी ने की राजस्व विभाग की समीक्षा, कहा, तय समयसीमा में ही हो जनहित के मामलों का निस्तारण

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को राजस्व विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की और विभागीय कार्यप्रणाली में पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के स्पष्ट निर्देश दिए। उन्होंने दो प्रमुख विषयों—राजस्व वादों का समयबद्ध निस्तारण और भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण—को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखते हुए कहा कि ये राज्य के विकास, जनविश्वास और निवेश के लिए अनिवार्य हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भूमि संबंधी विवादों का शीघ्र समाधान पारदर्शी और भ्रष्टाचार-मुक्त शासन की नींव रखता है। उन्होंने निर्देश दिया कि शहरी लैंड रिकॉर्ड को प्राथमिकता के आधार पर पोर्टल पर सार्वजनिक किया जाए और शेष भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण जल्द से जल्द पूर्ण किया जाए।

मुख्यमंत्री ने राजस्व परिषद के पोर्टल को अधिक उपयोगकर्ता अनुकूल बनाने और आयुक्त से लेकर लेखपाल स्तर तक एकीकृत डैशबोर्ड विकसित करने के निर्देश दिए, जिससे विभागीय निगरानी को और सरल बनाया जा सके। साथ ही, लैंडयूज डेटा को खतौनी पर प्रदर्शित करने और धारा 80 के अंतर्गत भूमि उपयोग परिवर्तन प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने का भी आदेश दिया।

उन्होंने नामांतरण वादों की पूर्णतः ऑटोमेशन पर बल दिया, जिससे नागरिकों को त्वरित और सुगम न्याय मिल सके। चकबंदी प्रक्रिया में तकनीकी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के साथ, मुख्यमंत्री ने सावधान किया कि इसकी जटिलता से सामाजिक तनाव उत्पन्न हो सकते हैं, अतः संवेदनशीलता के साथ निपटान किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अविवादित वरासत मामलों का निस्तारण अधिकतम 15 कार्यदिवसों में किया जाए और रियल टाइम खतौनी, आधार सीडिंग, किसान रजिस्ट्री और पैमाइश जैसे कार्यों को तय समय सीमा में पूर्ण किया जाए। इसके लिए अतिरिक्त मानव संसाधन की व्यवस्था सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया।

बैठक में जानकारी दी गई कि पिछले वर्ष 36 लाख से अधिक प्रमाण पत्र जारी किए गए, जिनमें से 85% आवेदन सात दिन के भीतर ऑनलाइन निस्तारित हुए। मुख्यमंत्री ने इस प्रगति की सराहना करते हुए सेवा वितरण को और अधिक प्रभावी बनाने पर बल दिया।

प्राकृतिक आपदा राहत की बात करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि 2023-24 में 3.5 लाख से अधिक प्रभावित परिवारों को DBT के माध्यम से सहायता दी गई। साथ ही, मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के सभी लंबित मामलों को 10 कार्यदिवसों में निस्तारित करने के निर्देश भी दिए।

युवाओं को सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने हेतु प्रदेश में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का होगा आयोजन, इच्छुक संस्थाएं करें पंजीकरण

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की संस्कृति विभाग ने प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को आम जनता, विशेष रूप से युवाओं और विद्यार्थियों तक पहुंचाने के उद्देश्य से बड़े स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बनाई है। इस पहल के अंतर्गत प्रदेशभर में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रायोजित किए जाएंगे, जिसमें विभाग में पंजीकृत कलाकारों की प्रस्तुति कराई जाएगी और उन्हें मानदेय, प्रवास व आवास जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि ऐसे सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी, गैर-सरकारी संगठन, सार्वजनिक उपक्रम, नगर निकाय, पंचायतीराज संस्थाएं, शैक्षणिक संस्थान एवं विश्वविद्यालय जो 'नो प्रॉफिट-नो लॉस' आधार पर भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु कार्यरत हैं, वे इन आयोजनों के लिए आवेदन कर सकते हैं। ये आयोजन जैसे मेले, पर्व, त्योहार, वार्षिक उत्सव, सम्मेलन, सेमिनार आदि कॉमर्शियल प्रकृति के नहीं होने चाहिए तथा इनमें देश-विदेश से सहभागिता होनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि गैर-सरकारी संस्थानों/संगठनों को संस्कृति विभाग की वेबसाइट [https://upculture.up.nic.in/hi/registration-2025] (https://upculture.up.nic.in/hi/registration-2025) पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है, जबकि सरकारी संस्थाएं निदेशक, संस्कृति को पत्र के माध्यम से अनुरोध भेजकर कार्यक्रम हेतु आवेदन कर सकती हैं।

प्रायोजित कार्यक्रमों में किसी भी गैर-सरकारी संस्था को सीधे कोई धनराशि नहीं दी जाएगी, बल्कि पंजीकृत कलाकारों को सीधे उनके बैंक खातों में भुगतान किया जाएगा। कार्यक्रमों से संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देश विभाग की वेबसाइट https://upculture.up.nic.in/hi पर उपलब्ध हैं।

"ट्रेज इंडिया-2025 में यूपी के इको-टूरिज्म की धूम, अमेरिका-जर्मनी समेत कई देशों के टूर ऑपरेटर हुए प्रभावित"

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पर्यटन को वैश्विक मानचित्र पर सशक्त पहचान दिलाने की दिशा में एक और कदम तब जुड़ा, जब नई दिल्ली में आयोजित 'ट्रेज इंडिया-2025' में यूपी की इको-टूरिज्म संभावनाओं ने विदेशी टूर ऑपरेटरों को प्रभावित किया।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने जानकारी दी कि इस आयोजन में 'यूएसए, जर्मनी, फ्रांस, यूके, ऑस्ट्रेलिया' जैसे देशों के टूर ऑपरेटरों के साथ-साथ देश के शीर्ष ट्रैवल एजेंट्स और डेस्टिनेशन मैनेजमेंट कंपनियों ने भाग लिया। इसमें बुंदेलखंड क्षेत्र को विशेष रुचि मिली, जिससे इस क्षेत्र में पर्यटन को नया आयाम मिलने की संभावना है।

-- उत्तर प्रदेश बना घरेलू पर्यटन का अग्रणी राज्य

श्री सिंह ने बताया कि यूपी देश का नंबर-1 घरेलू पर्यटन गंतव्य है, और अब विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के प्रयास तेज किए जा रहे हैं। ट्रेज इंडिया-2025 इस दिशा में एक प्रभावशाली मंच साबित हो रहा है। इस दो दिवसीय आयोजन में 50 अंतरराष्ट्रीय टूर ऑपरेटर, 80 डेस्टिनेशन मैनेजमेंट कंपनियाँ, 40 लक्ज़री घरेलू ट्रैवल एजेंट्स, और प्रभावशाली सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शामिल हुए।

-- स्थानीय उद्यमियों और अधिकारियों की सहभागिता

इस आयोजन में राज्य के पर्यटन उद्यमियों जैसे अमरेश प्रताप सिंह (प्लांटर्स बंगला), शैलेंद्र सिंह (माय मॉम्स विलेज), दिव्योदित सिंह (तिरवा कोठी), दीपक गुप्ता (गुलमोहर रिसॉर्ट)और अली खान (महमूदाबाद एस्टेट) सहित विभागीय अधिकारी भी मौजूद रहे।

-- पर्यटन मंत्री ने की आयोजन की सराहना

मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि ट्रेज इंडिया-2025 यूपी की सांस्कृतिक विरासत, आध्यात्मिक स्थलों और अनुभवात्मक पर्यटन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने का सशक्त अवसर है। उन्होंने इसे हरित और प्लास्टिक-मुक्त आयोजन बताते हुए कहा कि यह पहल स्थानीय समुदायों और परंपराओं को भी सशक्त बनाने में मददगार है।

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"सिर्फ डिग्री नहीं, हुनर भी जरूरी": योगी आदित्यनाथ

* मुख्यमंत्री ने कहा- एनबीए, एआईआरएफ एवं नैक मूल्यांकन के लिए संस्थान स्वप्रेरणा से आगे बढ़ें, पूर्ण तैयारी के साथ आवेदन करें

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार, गुणवत्तापरक प्रशिक्षण और उद्योग से जुड़ाव को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने शुक्रवार को संबंधित विभागों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए स्पष्ट किया कि शिक्षा को केवल प्रमाण-पत्र तक सीमित न रखते हुए इसे व्यवहारिक, कौशल-आधारित और रोजगारोन्मुखी बनाया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत आठ वर्षों में राज्य सरकार ने तकनीकी शिक्षा को अधिक सुलभ, नवाचारपरक और परिणामोन्मुखी बनाने के लिए अनेक ठोस प्रयास किए हैं, जिनके सकारात्मक परिणाम अब सामने आ रहे हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी प्राविधिक संस्थान नैक, एनबीए तथा एनआईआरएफ जैसे मूल्यांकन ढाँचों में भाग लें, लेकिन इससे पहले व्यापक तैयारी सुनिश्चित की जाए।

बैठक में उन्होंने राज्य संस्थागत रैंकिंग रूपरेखा के अंतर्गत राजकीय एवं अनुदानित पॉलिटेक्निक की रैंकिंग की सराहना की तथा निजी संस्थानों को भी इसमें शामिल करने के निर्देश दिए, जिससे गुणवत्ता के एक समान मानक विकसित हो सकें।

-- औद्योगिक इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप पर विशेष जोर

मुख्यमंत्री ने प्रत्येक छात्र के लिए औद्योगिक इंटर्नशिप को अनिवार्य बनाने के निर्देश दिए, ताकि छात्रों को व्यावसायिक अनुभव मिल सके। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024-25 में 1.25 लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को अप्रेंटिसशिप और रोजगार मिला है। प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना में 30,000 से अधिक छात्रों ने आवेदन किया है।

सीएसआर फंड के माध्यम से 37 जिलों में औद्योगिक इकाइयों द्वारा आधुनिक कौशल प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। एनपीएस और सीएमएपीएस योजनाओं के तहत पिछले पांच वर्षों में 2.67 लाख अप्रेंटिस नियुक्त किए गए हैं।

-- आत्मनिर्भर भारत" की दिशा में ठोस कदम

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की युवा शक्ति को तकनीकी रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने अधिकारियों से सभी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश दिए, ताकि हर युवा को उसके कौशल के अनुसार अवसर मिल सके और 'आत्मनिर्भर भारत' का सपना साकार किया जा सके।

--- नई पहलें और डिजिटल शिक्षा का समावेश

बैठक में बताया गया कि प्रदेश में कुल 2139 पॉलीटेक्निक संस्थान कार्यरत हैं, जिनमें डिजिटल कक्षाएं, बायोमैट्रिक उपस्थिति और फ्रंटियर टेक्नोलॉजी जैसे ड्रोन टेक्नोलॉजी, डेटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी और मशीन लर्निंग जैसे विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। 2017 के बाद से 39 नए राजकीय पॉलीटेक्निक स्थापित किए गए हैं और 13,000 से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है। राज्य में वर्तमान में 324 राजकीय और 2982 निजी आईटीआई संचालित हैं, जिनमें से 212 को टाटा टेक्नोलॉजी लिमिटेड के सहयोग से उन्नत किया गया है।

जातीय जनगणना पर बसपा सुप्रीमो मायावती का हमला: " ओबीसी हितैषी बनने की भाजपा-कांग्रेस की होड़, पर नीयत में खोट"

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक तीखा बयान जारी करते हुए जातीय जनगणना को लेकर केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाए और भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस दोनों को आड़े हाथों लिया।

मायावती ने लिखा कि “काफी लंबे समय तक ना-नुकुर करने के बाद अब केंद्र द्वारा राष्ट्रीय जनगणना के साथ जातीय जनगणना कराने के फैसले पर भाजपा और कांग्रेस श्रेय लेने की होड़ में हैं। दोनों ही पार्टियाँ खुद को ओबीसी हितैषी साबित करने की कोशिश कर रही हैं, जबकि इनका बहुजन-विरोधी चरित्र जगजाहिर है। इसी कारण आज भी ओबीसी समाज शोषित, वंचित और पिछड़ा हुआ है।”

उन्होंने आगे कहा कि अगर भाजपा और कांग्रेस की नीयत व नीति वास्तव में बहुजन समाज के प्रति ईमानदार होती, तो आज ओबीसी समाज देश के विकास में उचित भागीदारी निभा रहा होता और बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर का आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का मिशन सफल हो चुका होता।

बसपा प्रमुख ने यह भी जोड़ा कि “बाबा साहब और बीएसपी के अनवरत संघर्ष के कारण आज ओबीसी समाज पहले से अधिक जागरूक है। इसलिए दलितों की तरह अब ओबीसी वोटों को लेकर भी भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियाँ ललायित हैं। यह इनकी स्वार्थवश ओबीसी हितैषी दिखने की मजबूरी है। जबकि सच्चा हित केवल बसपा में ही निहित है।”

अंत में उन्होंने बहुजन समाज से आह्वान करते हुए कहा: “अब समय आ गया है कि 'वोट हमारा, राज तुम्हारा–नहीं चलेगा' के संघर्ष को सार्थक बनाते हुए बहुजन समाज अपने पैरों पर खड़ा हो। इसके लिए किसी भी प्रकार की कोताही और लापरवाही घातक हो सकती है।”

"महाकुंभ की भीड़ से लेकर ददुआ के खात्मे तक: पूर्व DGP ए.के. जैन ने पॉडकास्ट में सुनाए जमीनी अनुभव"

लखनऊ । उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा शुरू की गई पॉडकास्ट श्रृंखला “Beyond the Badge” का तेरहवां एपिसोड बेहद खास रहा, जिसमें प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक अरविंद कुमार जैन ने अपनी सेवा यात्रा, चुनौतियों, उपलब्धियों और अनुभवों को साझा किया। यह साक्षात्कार उत्तर प्रदेश पुलिस की एसपी, महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन, वृंदा शुक्ला द्वारा लिया गया।

अब तक कई अधिकारियों के प्रेरणादायक अनुभव साझा किए जा चुके

यह पॉडकास्ट प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस निर्देश के अनुपालन में शुरू किया गया है, जिसमें उन्होंने पुलिस विभाग की उपलब्धियों, विशेषताओं और सराहनीय कार्यों को जनता के बीच वीडियो और अन्य डिजिटल माध्यमों से प्रचारित करने पर बल दिया था। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार द्वारा “Beyond the Badge” नामक इस पॉडकास्ट श्रृंखला की शुरुआत की गई, जिसमें अब तक कई वरिष्ठ अधिकारियों के प्रेरणादायक अनुभव साझा किए जा चुके हैं।

बचपन से ही थी पुलिस सेवा की प्रेरणा

पूर्व डीजीपी ए.के. जैन ने बताया कि उनके घर में बचपन से ही प्रतिष्ठित पुलिस अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता था। इसी वातावरण ने उन्हें प्रारंभ से ही भारतीय पुलिस सेवा में आने की प्रेरणा दी। उन्होंने यह भी बताया कि बचपन से ही उन्होंने आईपीएस बनने का मन बना लिया था और उसी दिशा में मेहनत की।

फतेहपुर में अपराधियों पर चला सख्त एक्शन

एके जैन ने अपने सेवा काल के आरंभिक वर्षों का उल्लेख करते हुए बताया कि जब वे पुलिस अधीक्षक के रूप में फतेहपुर में तैनात थे, तब वह इलाका अपराध की दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील था। उस समय वहां गैंगवार, डकैती और संगठित अपराधों की भरमार थी। उन्होंने अपराध पर नियंत्रण के लिए प्रिवेंटिव एक्शन की नीति अपनाई, कुख्यात अपराधियों के विरुद्ध अभियान चलाया और कई एनकाउंटर भी किए गए। परिणामस्वरूप, जिले में कानून व्यवस्था में सुधार देखने को मिला।

ददुआ एनकाउंटर: एसटीएफ का ऐतिहासिक ऑपरेशन

ए.के. जैन ने आईजी एसटीएफ के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान बुंदेलखंड के कुख्यात डकैत ददुआ के खिलाफ किए गए ऑपरेशन की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उस समय एसएसपी एसटीएफ के पद पर वर्तमान एडीजी कानून व्यवस्था अमिताभ यश नियुक्त थे। उनकी टीम के एडिशनल एसपी और अन्य अधिकारियों ने लंबे समय तक जंगलों में काम किया। लगातार की जा रही कांबिंग, खुफिया जानकारी और रणनीति के तहत अंततः ददुआ की घेराबंदी कर रात के समय मुठभेड़ में उसका अंत किया गया। यह ऑपरेशन उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यकुशलता और जमीनी कार्रवाई का अद्वितीय उदाहरण था।

महाकुंभ में 65 करोड़ श्रद्धालुओं के लिए ऐतिहासिक पुलिस प्रबंधन

महाकुंभ 2025 के अपने दौरे का अनुभव साझा करते हुए जैन ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में इतने बड़े और व्यवस्थित पुलिस प्रबंध को पहले कभी नहीं देखा। उन्होंने बताया कि प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में 65 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आए और पुलिस की सतर्कता के चलते न कोई बड़ा अपराध हुआ और न ही कोई डूबने की घटना हुई, यह उत्तर प्रदेश पुलिस की एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ की व्यवस्था आज पूरे देश ही नहीं, दुनिया भर की पुलिस एजेंसियों के लिए क्राउड मैनेजमेंट का मॉडल बन चुकी है।

आरक्षी भर्ती में पारदर्शिता: पूरे देश के लिए मिसाल

एके जैन ने हाल ही में हुई 60,000 आरक्षियों की भर्ती को उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस भर्ती बोर्ड की एक उल्लेखनीय उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा, “इस भर्ती प्रक्रिया ने पारदर्शिता और निष्पक्षता की नई मिसाल पेश की है। ईमानदारी से चयन हुए ये युवा पुलिसकर्मी आने वाले 30–32 वर्षों तक उत्तर प्रदेश पुलिस की रीढ़ बनेंगे और विभाग के लिए अमूल्य संपत्ति सिद्ध होंगे।”

अलकायदा आतंकी की गिरफ्तारी से लेकर ATS की नींव तक

पूर्व डीजीपी ने गाजियाबाद में अपनी तैनाती के दौरान अलकायदा के आतंकी उमर सैय्यद शेख की गिरफ्तारी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह एक बेहद संवेदनशील ऑपरेशन था, जिसे पूरी सावधानी और खुफिया सूझबूझ के साथ अंजाम दिया गया। इसके अलावा उन्होंने एंटी टेररिज्म स्क्वाड (ATS) की स्थापना में अपनी भूमिका का भी उल्लेख किया।पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) के रूप में उनके द्वारा पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण के क्षेत्र में किए गए सुधारात्मक कार्यों पर भी उन्होंने विस्तार से बात की।

सेवानिवृत्ति के बाद भी सक्रिय योगदान

सेवानिवृत्ति के उपरांत भी ए.के. जैन तकनीकी सुरक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे मोबाइल टावरों की सुरक्षा से संबंधित एक नई प्रणाली पर काम कर रहे हैं, जिससे दूरसंचार संरचनाओं की सुरक्षा को आधुनिक रूप दिया जा सके।

सुशांत गोल्फ सिटी पुलिस ने शांति व्यवस्था भंग करने वाले सात अभियुक्तों को किया गिरफ्तार

लखनऊ । शहर में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगातार गश्त और चेकिंग में जुटी सुशांत गोल्फ सिटी पुलिस ने गुरुवार को सात अलग-अलग उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है। ये सभी व्यक्ति अलग-अलग स्थानों पर पुलिस कार्य में बाधा डालने, फर्जी विवाद खड़ा करने और आमजन में भय उत्पन्न करने की नीयत से माहौल खराब कर रहे थे। पुलिस ने इन सभी को बीएनएसएस की धारा 170/126/135 के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजने की कार्रवाई की है।

तीन युवक बिना हेलमेट के पकड़े गए, पुलिस से उलझे

1 मई को उपनिरीक्षक संदीप कुमार शर्मा अपनी टीम के साथ जलसा तिराहे पर संदिग्ध वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। इसी दौरान यूपी-41 एवी-2322 नंबर की बाइक पर तीन युवक बिना हेलमेट के सवार होकर गोसाईगंज की तरफ से लखनऊ की ओर आते दिखे। पुलिस ने रोका तो वे चेकिंग का विरोध करने लगे। पुलिस ने इन्हे गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार युवकों का नाम रंजीत, संदीप और रोहित है। सभी निवासी ग्राम ठाकुरपुर, थाना लोनीकटरा, बाराबंकी के हैं। इन्होंने मौके पर पुलिस से बहस की और उग्र होकर झगड़े की स्थिति बना दी। शांति व्यवस्था भंग करने की आशंका को देखते हुए पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया।

सब्जी मंडी में खड़ा होकर कर रहा था अभद्रता, गिरफ्तार

उपनिरीक्षक सूरज सिंह अपनी टीम के साथ एचसीएल चौकी क्षेत्र में गश्त पर थे कि सूचना मिली – खुर्दही बाजार सब्जी मंडी के पास एक व्यक्ति राहगीरों से झगड़ा कर रहा है। मौके पर पहुंची पुलिस ने पाया कि व्यक्ति काफी उग्र है और बात नहीं मान रहा। आरोपी कंधईलाल (45 वर्ष) पुत्र स्व. श्रीराम, निवासी ग्राम माढरमऊ कला, थाना सुशांत गोल्फ सिटी, को कई बार समझाने की कोशिश की गई परंतु वह और उग्र हो गया। शांति व्यवस्था बनाये रखने हेतु उसे गिरफ्तार किया गया।

सत्यापन के दौरान उग्र हुआ युवक, पुलिस ने किया गिरफ्तार

पूर्व अपराधियों के सत्यापन के क्रम में उपनिरीक्षक संदीप कुमार शर्मा ग्राम माढरमऊ पहुँचे, जहां सुमित रावत (22 वर्ष) पुत्र स्व. बुद्धराज, निवासी माढरमऊ का पुरवा, सत्यापन के दौरान उग्र हो गया। वह पुलिस से बहस करने लगा और माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया। मौके की नजाकत को देखते हुए पुलिस ने उसे तत्काल गिरफ्तार कर आवश्यक कार्रवाई की।

दो युवकों ने की मारपीट की कोशिश, दोनों गिरफ्तार

महिला उपनिरीक्षक नेहा सिंह अपनी टीम के साथ प्लासियो चौराहे के पास गश्त कर रही थीं, तभी सूचना मिली कि स्काई ग्लास बार में झगड़ा हो रहा है। मौके पर पहुंचने पर दो युवक आपस में झगड़ा कर रहे थे। पूछताछ में दोनों ने उग्र रवैया दिखाया और पुलिस से भी झगड़ने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस ने संतोष तिवारी (32) पुत्र सत्येन्द्र तिवारी, निवासी दुर्गापुरी कॉलोनी, नीलमथा, मु. सलमान (25) पुत्र मु. याकूब, निवासी डी/248, कुर्मांचल नगर, कल्याणपुर को गिरफ्तार कर लिया गया है।

IAS अमित कुमार घोष की यूपी कैडर में वापसी, लखनऊ के पूर्व डीएम रहे चुके हैं अधिकारी

लखनऊ। भारत सरकार ने IAS अमित कुमार घोष, 1994 बैच के वरिष्ठ अधिकारी, को उत्तर प्रदेश कैडर में वापस भेजने का निर्णय लिया है। वह वर्तमान में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, भारत सरकार में अतिरिक्त सचिव के पद पर कार्यरत थे।

आईएएस अमित कुमार घोष उत्तर प्रदेश में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। वह मायावती सरकार के कार्यकाल में लखनऊ के जिलाधिकारी रह चुके हैं, जहां उन्होंने प्रशासनिक दक्षता और सख्त कार्यशैली के लिए पहचान बनाई थी।

उनकी यूपी कैडर में वापसी को शासन-प्रशासन के लिए एक अहम घटनाक्रम माना जा रहा है, विशेषकर ऐसे समय में जब राज्य में प्रशासनिक पुनर्संरचना और चुनाव पूर्व तैयारियों का दौर चल रहा है।