ताइवान ने भारत को दिया ऑफर, चीन के साथ व्यापार घाटा कम करने में मदद का भरोसा
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ताइवान के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) सु चिन शू भारत दौरे पर हैं। सु चिन शू भारत के प्रमुख सम्मेलन, रायसीना डायलॉग में भाग लेने के लिए दिल्ली में हैं। उन्होंने इस दौरान दोनों पक्षा के बीच व्यापार पर बड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि भारत और ताइवान के बीच आर्थिक सहयोग को और मजबूत करने के लिए एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने की जरूरत है। इससे न केवल भारत को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए चीन पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों में ताइवानी कंपनियों के निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।
सू चिन शू ने भारत में अपने दौरे के बीच प्रतिष्ठित रायसीना डायलॉग में भाग लिया और वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों से भी वार्ता की। इस दौरान गुरुवार को पीटीआई को दिए एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि भारत की विशाल युवा आबादी और ताइवान की तकनीकी विशेषज्ञता मिलकर एक मजबूत आर्थिक साझेदारी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को अब चीन से आयात करने के बजाय इलेक्ट्रॉनिक और इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी उत्पादों का उत्पादन खुद करना चाहिए और इसमें ताइवान उसकी मदद कर सकता है। इससे भारत को मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देने का मौका मिलेगा।
सू चिन शू ने कहा कि ताइवान की प्रौद्योगिकी और भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश के बीच तालमेल बिठाकर भारत में उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकी वाले घटकों का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे नई दिल्ली को चीन से आयात कम करने में मदद मिलेगी।
ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने भारत-ताइवान संबंधों को बेहतर बनाने के तरीकों पर अपने भारतीय वार्ताकारों के साथ बंद कमरे में बैठक भी की।सु ने कहा, मुझे लगता है कि संबंधों के विस्तार की काफी संभावनाएं हैं, विशेषकर आर्थिक सहयोग के मामले में।
भारत-चीन व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा
भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा काफी बड़ा है। आंकड़ों के अनुसार, भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2023-24 में भारत ने चीन से लगभग 101.75 अरब अमेरिकी डॉलर के उत्पाद आयात किए, जबकि निर्यात मात्र 16.65 अरब डॉलर का ही रहा। भारत चीन से मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कंप्यूटर हार्डवेयर, दूरसंचार उपकरण, रसायन और दवा उद्योग के कच्चे माल का आयात करता है। ताइवान इस क्षेत्र में भारत की मदद कर सकता है, क्योंकि यह विश्व के कुल सेमीकंडक्टर उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत और उच्चतम तकनीक वाले चिप्स का 90 प्रतिशत से अधिक उत्पादन करता है। ये चिप्स स्मार्टफोन, ऑटोमोबाइल, डेटा सेंटर, रक्षा उपकरण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी कई अहम तकनीकों में इस्तेमाल किए जाते हैं।
व्यापार समझौता भी चाहता है ताइवान
ताइवान भारत के साथ एक व्यापार समझौता करने को उत्सुक है, जिसकी पहल लगभग 12 वर्ष पहले हुई थी। शू ने बताया कि ताइवान की कंपनियां भारत में निवेश करने की इच्छुक हैं, लेकिन उच्च आयात शुल्क एक बड़ी बाधा है। अगर एक व्यापार समझौता किया जाता है, तो यह दोनों देशों के लिए लाभकारी साबित होगा।
ताइवान की कई प्रमुख कंपनियां अपने उत्पादन संयंत्रों को चीन से हटाकर यूरोप, अमेरिका और भारत में ट्रांसफर करने पर विचार कर रही हैं। इसका एक कारण अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव और दूसरा ताइवान के प्रति चीन के आक्रामक रुख को लेकर चिंताएं हैं। सू चिन शू का मानना है कि ताइवान की उन्नत तकनीक और भारत की विशाल श्रमशक्ति मिलकर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका को और मजबूत कर सकती है।
Mar 20 2025, 20:09