मोहम्मद शमी के रोजा छोड़ने पर विवाद, मुस्लिम धर्मगुरु ने दी सफाई
भारत और आस्ट्रेलिया के बीच हुए सेमी फाइनल मैच के दौरान मोहम्मद शमी की वायरल हुई एक तस्वीर से सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है. इस तस्वीर में भारतीय तेज गेंदबाज शमी एनर्जी ड्रिंक पीते दिख रहे हैं. इसपर कुछ लोग भड़क गए और गलत कमेंट्स करने लगे. उनका कहना है कि रमजान के पवित्र महीने में शमी को रोजा रखना चाहिए था. इन सबके बीच मुस्लिम धर्मगुरु उनके बचाव में उतर आए हैं. उन्होंने न सिर्फ ट्रोलर्स को लताड़ा है बल्कि मोहम्मद शमी को भी कुछ हिदायत दी है.
देश में एक मार्च रमजान का पवित्र महिना शुरू हो गया है. 2 मार्च से मुसलमान रोजा रख रहे हैं. इस बीच चैंपियंस ट्रॉफी के सेमी फाइनल मैच में भारत और आस्ट्रेलिया के बीच मुकाबला हुआ. इसी मैच में भारत की ओर से सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. इस फोटो में वह एनर्जी ड्रिंक पीते दिखे, जिसपर लोग उनसे रोजा रखने की नसीहत देने लगे.
ईद के बड़ा रख सकते हैं रोजा
सेमी फाइनल मैच के दौरान मोहम्मद शमी के रोजा छोड़ने पर मुरादाबाद के मुस्लिम धर्मगुरु इंतेसाब कादरी का कहना है कि मोहम्मद शमी को वो लोग ट्रोल कर रहे हैं, जो इस्लाम के बारे में जरा भी जानकारी नहीं रखते.इंतेसाब कादरी का कहते हैं कि अगर रमजान के महीने में किसी का रोजा छूट जाता है, तो वह ईद के बाद छूटे हुए रोजे पूरे कर सकता है. वह कहते हैं कि इसमें बहुत ही महत्वपूर्ण बात यह है कि जो रमजान के रोजो का सवाब होता है, वह रमजान के बाद रखे गए रोजा से ज्यादा होता है.
हर बालिग मुसलमान पर रोजा रखना फर्ज
वह कहते हैं कि रमजान में रोजा रखना हर बालिग मुसलमान पर फर्ज है. बहुत ही मुश्किल हालात में रोजा छोड़ा जाता है. अगर कोई ज्यादा बीमार हो जाता है तो वह रोजा छोड़ सकता है. लेकिन वह ईद के बाद अपने छूटे हुए रोजे पूरे कर सकता है. वह कहते हैं कि अगर ईद के बाद भी कोई रोजा नहीं रख सकता तो उसे फिदया अदा करने का हुक्म है. फिदया में जो रकम फितरे में दी जाती है उसी के हिसाब से प्रति रोजा वह रकम किसी गरीब को देनी पड़ेगी.
मोहम्मद शमी को दी हिदायत
धर्मगुरु इंतेसाब कादरी कहते हैं कि मोहम्मद शमी को वही लोग ट्रोल कर रहे हैं, जो सोशल मीडिया पर मुफ्ती बनते हैं और जमीनी हकीकत में वह इस्लाम के बारे कोई जानकारी नहीं रखते. वह कहते हैं कि मोहम्मद शमी दुनिया में अकेले नहीं हैं, जिन्होंने खेल के दौरान रोजा नहीं रखा. आज भी लाखों मुसलमान रोजा नहीं रखते. रमजान के महीने में मुस्लिम इलाकों के होटलों में पर्दा डल जाते हैं, जिनके पीछे बहुत से मुसलमान खाना खाते हैं. उन्होंने इस मामले में मोहम्मद शमी को भी हिदायत देते हुए कहा कि अगर उन्हें कोई भी चीज खानी-पीनी है तो वह खुले में कैमरों के बीच इसके इस्तेमाल से बचे.
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