बेहद प्रगतिशील कानून, इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं”, यूसीसी के समर्थन में बोले पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई
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भारत में समान नागरिक संहिता सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का मुख्य एजेंडा रहा है। हालांकि केन्द्र की मोदी सरकार इसे अब तक लागू नहीं करा सकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों एक रैली में अपने भाषण में यूसीसी का मुद्दा उठाकर इसे ताजा हवा दे दी थी। उन्होंने कहा था कि हमारे देश में अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग कानून कैसे हो सकते हैं। वहीं, विभिन्न मुस्लिम संगठनोंने इसे अल्पसंख्यक अधिकारों का उल्लंघन माना है। इस बीच भारत के पूर्व चीफ जस्टिस और वर्तमान राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) की वकालत की है।
भारत के पू्र्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी को 'बेहद प्रगतिशील कानून' बताया। उन्होंने यूसीसी को राष्ट्रीय एकता और सामाजिक न्याय के लिए जरूरी बताते हुए इसे लागू करने के लिए आम सहमति पर जोर दिया।
पूर्व सीजेआई सूरत में सूरत लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंचे थे। यूसीसी का समर्थन करते हुए गोगोई ने कहा कि यह कई पुरानी रीतियों को बदलेगा जो अब कानून बन गई हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यूसीसी संवैधानिक है इसका जिक्र अनुच्छेद 44 में है। उन्होंने कहा कि यूसीसी लागू होने पर सभी नागरिकों के लिए, चाहे उनका धर्म कोई भी हो, एक ही कानून होगा। यह शादी, तलाक, गोद लेना, विरासत और गुजारा भत्ता जैसे मामलों पर लागू होगा।
गोवा में यूसीसी का दिया उदाहरण
गोगोई ने कहा कि गोवा में यूसीसी शानदार तरीके से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि आम सहमति बनाने और गलत सूचनाओं को रोकने की जरूरत है। पूर्व प्रधान न्यायाधीश के अनुसार यूसीसी का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी शाहबानो मामले से लेकर मुस्लिम महिलाओं के गुजारा भत्ता मांगने के अधिकार से संबंधित पांच मामलों में कहा कि सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता देश को एकजुट करने तथा सामाजिक न्याय को प्रभावित करने वाले नागरिक और व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले विभिन्न कानूनों के कारण लंबित मामलों से निपटने का एक तरीका है।
सरकार जल्दबाजी न करें, आम सहमति बनाएं
पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा, इस मामले में आम सहमति बनाने की जरूरत है और इसे लेकर फैलाई जा रही गलत खबरों की जांच भी करने की आवश्यता है। आज हमारे देश में अलग-अलग रीति-रिवाज हैं, परंपराएं हैं। इतनी विभन्नता से सामाजिक न्याय के मामलों पर असर होता है। कोई भी देश इतने ज्यादा कानून नहीं रख सकता। यूसीसी हमारे देश को एकजुट कर सकता है।
11 hours ago