लखनऊ में मिलावटी चायपत्ती बनाने के कारखाने का भण्डाफोड़, 11 कुन्तल नकली चायपत्ती बरामद
लखनऊ । एसटीएफ यूपी को अवैध मिलावटी चायत्ती बनाने के कारखाने का भण्डाफोड़ करते हुए लगभग 11 कुन्तल से अधिक नकली चायपत्ती बरामद करते हुए गिरोह के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अभियुक्त का नाम मोहम्मद आरिफ पुत्र मोहम्मद असलम निवासी मोहल्ला काजी टोला कस्बा व थाना बिसवां जनपद सीतापुर हालपता प्लाट नं-58 कृष्णलोक कालोनी फैजुल्लागंज थाना मड़ियांव है।
तीस लाख की कीमत की मिलावटी चायपत्ती किया जब्त
एसटीएफ ने इसके कब्जे से तीस लाख की कीमत की मिलावटी चायपत्ती, तीस किलो ग्राम चाय को रंगने में प्रयुक्त कलर, छह पैकेट गेरू, इलेक्ट्रानिक तराजू , चार पैकिंग मशीन, एक गैस चूल्हा, एक गैस सिलेंडर, चाय पैक करने वाली पन्नी, एक आधार कार्ड, एक मोबाइल फोन व 12,500 रुपये बरामद किया है। विगत कुछ दिनों से लखनऊ एवं आस पास के जनपदों में अवैध मिलावटी नकली चाय की बिक्री होने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थी। इस सम्बन्ध में एसटीएफ की विभिन्न इकाईयों व टीमों को अभिसूचना संकलन एवं कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया था।
फैजुल्लागंज में अवैध रूप से नकली चायपत्ती बनाने का चल रहा था कारोबार
इसी क्रम में अवनीश्वर चन्द्र श्रीवास्तव, पुलिस उपाधीक्षक, एसटीएफ यूपी के पर्यवेक्षण में अभिसूचना संकलन की कार्रवाई प्रारम्भ की गयी तथा अभिसूचना तन्त्र को सक्रिय किया गया। अभिसूचना संकलन के दौरान मुखबिर एवं विश्वसनीय सूत्रों के माध्यम से एसटीएफ टीम को सूचना प्राप्त हुई कि थाना कोतवाली-मडियावां, जनपद लखनऊ क्षेत्र अर्न्तगत कृष्णलोक कालोनी फैजुल्लागंज में कुछ लोगों द्वारा अवैध रूप से नकली मिलावटी चायपत्ती बनाने का कारखाना संचालित किया जा रहा है।
एसटीएफ और पुलिस ने मिलकर एक युवक को दबोचा
इस सूचना पर उपनिरीक्षक फैजुद्दीन सिद्दीकी के नेतृत्व में मु.आ. सुनील मिश्रा, मु.आ. राघवेन्द्र तिवारी, मु.आ. चेतन सिंह, आरक्षी सुधीर कुमार चालक सुरेश कुमार की टीम द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए कृष्णलोक कालोनी फैजुल्लागंज थाना मड़ियांव जनपद-लखनऊ पहुंचकर अवैध रूप से संचालित नकली चायपत्ती बनाने वाले गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके कब्जे से उपरोक्त बरामदगी हुई। गिरफ्तार अभियुक्त मो. आरिफ ने पूछताछ पर बताया कि हम लोगों का एक संगठित गिरोह है। जो अवैध रूप से मिलावटी चायपत्ती बनाकर लखनऊ एवं आस-पास के जनपदों में सप्लाई करता है।
लखनऊ व आसपास के जिलों में होती रही सप्लाई
इस गिरोह द्वारा कैरियरों के माध्यम से आसाम से सस्ती एवं रद्दी चायपत्ती मंगाकर उसमें विभिन्न प्रकार के कैमिकल मिलाकर स्ट्रांग एवं कलरयुक्त चायपत्ती तैयार की जाती है। जिसे अलग-अलग कम्पनियों के नाम से पैकेट तैयार कराकर उसमें भरकर लखनऊ एवं आस-पास बाराबंकी, सीतापुर, शाहजहांपुर, बहराईच आदि जनपदों में सप्लाई किया जाता है। जिससे काफी मुनाफा होता है। इस नकली व मिलावटी कैमिकल युक्त चायपत्ती से मानव स्वास्थ्य पर अत्यन्त बुरा प्रभाव पड़ता है तथा मानव जीवन के लिए घातक व असुरक्षित है। गिरफ्तार अभियुक्त मोहम्मद आरिफ के विरूद्ध थाना मडियावांव में मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।
18 जिलों में नकली चायपत्ती की सप्लाई करता रहा था
मकर संक्रान्ति पर्व के रोज़ जिस तरह से राजधानी लखनऊ के फैजुल्लागंज जैसे घनी आबादी के बीच अघोषित तौर पर नकली चायपत्ती तैयार करने वाली अवैध फैक्ट्री का खुलासा और एक-दो नहीं 11 कुंतल से अधिक नकली माल बरामद हुआ, 13 लाख की चीजें मिली और पता चला कि उक्त कारोबारी लखनऊ से सीधे 18 जिलों में नकली चायपत्ती की सप्लाई करता रहा...वो भी बिना किसी जीएसटी नंबर और फूड लाइसेंस के फैक्ट्री दौड़ रही थी। इससे पहले अगस्त 2022 में ठाकुरगंज इलाके में भी इसी तरह नकली चाय पत्ती की बड़ी खेप पकड़ी गई थी...उसके बाद यह यूपी एसटीएफ और लखनऊ एफएसडीए टीम की बड़ी संयुक्त कार्रवाई मानी जा रही।
शहर में तकरीबन तीन से चार हजार ऐसे खुले टी स्टॉल होंगे
बीते एक दशक से अधिक समय से चाय की गुमटी चला रहे कुछ अस्थाई और फुटपाथी चायवालों से बात की गई तो उनका यही कहना रहा कि अकेले लखनऊ शहर में तकरीबन तीन से चार हजार ऐसे खुले टी स्टॉल होंगे और इन पर रोजाना बड़ी संख्या में चाय की खपत होती है। जबकि स्थाई फूड स्टॉल, होटलों, ढाबों, रेस्टोरेंट पर भी चाय मिलती है। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़िमी है कि कहीं जनाब, आप भी तो कड़ाके की ठंडक में नकली चाय की चुस्कियां तो नहीं ले रहें।
खुशबू बढ़ाने के लिए भी कलर का होता है इस्तेमाल
फूड सेफ्टी टीम के अधिकारियों के अनुसार चायपत्ती की सैंपलिंग की जाती है, मगर इतनी बड़ी संख्या में जब चाय की दुकानें हैं तो क्या यह संभव है कि उक्त टीमें क्रमवार इनके यहां चायपत्तियों की सैंपलिंग कर पाती होंगी या नहीं। वहीं चाय वैराइटी के कुछ जानकारों का दबे जुबां यह कहना रहा कि कभी-कभार चाय की खुश्बू बढ़ाने और कलर लाने के लिये उसमें पोस्ता-अफीम, भांग, डोडा पाउडर के भी कुछ अंश डाले जाते हैं जिससे लोगों के चाय की तलब उनकी दुकानों की ओर ज्यादा बढ़े...हालांकि अभी तक तथ्य और बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है।
शेयर के तर्ज पर चायपत्ती में उतार-चढ़ाव!
याहियागंज व्यापार मंडल से जुड़े और रकाबगंज में बीते तीन दशक से थोक चायपत्ती का उद्यम कर रहे एक प्रमुख कारोबारी के अनुसार जैसे शेयर का भाव हर पल बदलता है, वैसे ही चाय पत्ती की भी खरीद-फरोख्त होती है और वो भी देश में कुछ छह अधिकृत टी बोर्ड ऑक्शन कमेटी है जिनकी कमेटी से जुड़े ब्रोकर के जरिये होलसेल चायपत्ती का कारोबार चलता है। कोलकाता, सिलीगुड़ी, गुवाहटी, कुन्नूर, कोयम्बटूर, कोचीन (तमिलनाडु) से ही पूरे देश में चायपत्ती बाजारों में पहुंचती है।
ऑनलाइन टी-बोर्ड के जरिये ट्रेडिंग शुरू होती
लखनऊ में अमीनाबाद, रकाबगंज, नटखेड़ा रोड, तालकटोरा चायपत्ती के होलसेल मार्केट हैं जहां से हरदोई, सीतापुर, बाराबंकी, रायबरेली, सुल्तानपुर, लखीमपुर, बहराईच, गोंडा, अयोध्या, शाहजहांपुर और बरेली तक चायपत्ती का माल जाता है।ऐसे में बताया गया कि 120 से लेकर एक हजार रुपये प्रति किलो की चायपत्ती की बिकवाली रोजाना होती है, जबकि आजकल डिप-डिप चाय व ग्रीन टीन भी जोरों पर चल रहा है जिनमें चायपत्ती का डस्ट यानी चूरे का इस्तेमाल होता है...तो यह जरूरी नहीं कि जिसमें पत्ती दिख रही हो वही क्वालिटी वाली चाय है...चाय के स्वाद और उसके रंग पर उसकी पूरी क्वालिटी निर्भर करती है और फिर ऑनलाइन टी-बोर्ड के जरिये ट्रेडिंग शुरू होती है।
बहराइच-नानपारा तो नहीं कलर वाली चाय का गढ़
फैजुल्लागंज में जो नकली चायपत्ती फैक्ट्री पकड़ी गई, बताया गया कि उसके धंधे के तार कहीं न कहीं प्रमुखता के साथ बहराइच से भी जुड़े हैं। जबकि इस कारोबार से जुड़े कुछ लोगों की माने तो नानपारा कहीं न कहीं कलर वाली चाय का गढ़ है, जहां का नेटवर्क प्रदेश के कई जिलों में फैला हुआ है। वहीं लखनऊ के ही थोक चायपत्ती कारोबारियों की माने तो इन कलर वाली या फिर मिलावटी चाय बनाने वाले लोगों के चलते उनके पुराने चायपत्ती के विश्वसनीय धंधे पर नकारात्मक असर तो पड़ता ही है।
लिवर-किडनी प्रॉब्लम, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम
-प्रो. डॉ. आकाश माथुर, पूर्व प्रोफेसर पीजीआई गैस्ट्रोएंटरोलॉजी ने कहा कि नकली चाय पत्ती का सेवन पेट और संपूर्ण स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। इसमें मौजूद हानिकारक रसायन कृत्रिम रंग और हानिकारक पदार्थ, पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं। नकली चाय पत्ती पेट में जलन, गैस, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याओं को बढ़ा सकती है।हानिकारक केमिकल्स लिवर और किडनी पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। लंबे समय तक इसका सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है।
पेट, हार्ट, गुर्दा, पेशाब करने में दिक्कत हो सकती है: डा. विवेक वर्मा
डॉ. विवेक वर्मा, एमडी मेडिसन बोले कि चाय में यदि लकड़ी बुरादा, सैंडस्टोन, डोडा या पोस्ता पाउडर, सूखी पत्ती जैसे स्तेमाल किया जा रहा है। पेट, हार्ट, गुर्दा, पेशाब करने में दिक्कत हो सकती है। डॉ. एसपी सिंह, चेस्ट फिजिशियन सीएमएस, ठाकुरगंज संयुक्त टीबी अस्पताल ने कहा कि बुजुर्ग हो या युवा पीढ़ी सभी को चाय की चुस्की लेना पसंद है। हालांकि हद से ज्यादा चाय हो या कोई खादपदार्थ वो नुकसानदायक ही होता है। अब लोग खाने से ज्यादा चाय पर निर्भर हो गये है। यदि उसमें भी मिलावटी हो रही है सभी को पेट, गुर्दा, लीवर,और पेशाब में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
अधिकारी बोले-इसका अभी और तलाशा जा रहा नेटवर्क
इस मुद्दे पर विजय प्रताप सिंह, सहायक आयुक्त, खाद्य सुरक्षा विभाग लखनऊ बोले कि जो मामला अभी पकड़ा गया है, उसकी ट्रेसिंग हमारी टीमें दो माह पूर्व से कर रही थीं। इसके नेटवर्क बहराइच, नानपारा, नेपाल से तो जुड़े लग रहे हैं, उसको खंगाला जा रहा है। वहीं गोंडा, बलरामपुर, शाहजहांपुर, सीतापुर बेल्ट की भी हमारी विभागीय टीमें सक्रिय कर दी गई हैं, इसीलिये उक्त मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई है ताकि रणनीति बनाकर ठोस कार्रवाई की जा सके।
Jan 17 2025, 09:38